संसाधन एवं विकास Class 10 Questions Answer Geography
अध्याय का संक्षिप्त परिचय
1. संसाधन – हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयोग की जा सकती है।
2. संसाधनों का वर्गीकरण –
(क) उत्पत्ति के आधार पर जैव और अजैव ।
(ख) समाप्यता के आधार पर नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य |
(ग) स्वामित्व के आधार पर व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ।
(घ) विकास के स्तर के आधार पर – संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष ।
3. संसाधनों का महत्त्व – संसाधन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के आधार हैं और लोगों की जीविका का प्रमुख साधन हैं।
4. संसाधनों का विकास – संसाधनों का उचित समझ-बूझ के साथ प्रयोग करना ही संसाधन विकास कहलाता है।
5. सतत् पोषणीय विकास – सतत् पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे ।
6. संसाधन नियोजन – संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए नियोजन एक सर्वमान्य रणनीति है। राष्ट्रीय, प्रांतीय और स्थानीय स्तर पर संतुलित संसाधन नियोजन की आवश्यकता है।
7. संसाधनों के नियोजन का लाभ – इससे संसाधनों की बर्बादी कम होती है, पर्यावरण प्रदूषणमुक्त रहता है और भविष्य की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाता है ।
8. संरक्षण का अर्थ – मानव द्वारा संसाधनों के प्रबंधन को संरक्षण कहते हैं ।
9. मृदा – पृथ्वी की भू-पर्पटी की सबसे ऊपरी परत, जो विखंडित शैल चूर्ण से बनी है और पौधों के लिए उपयोगी है, को मृदा या मिट्टी कहते हैं ।
10. मृदा का वर्गीकरण – मृदा का वर्गीकरण मिट्टी की उर्वरता और रंगों के आधार पर किया जाता है ।
11. मृदा अपरदन – प्राकृतिक कारकों; जैसे पवन और जल द्वारा मिट्टी का एक स्थान से दूसरे स्थान पर हटना मृदा अपरदन कहलाता है ।
12. भू- अपरदन के कारण – ( 1 ) वनस्पति अथवा वनों की कटाई, ( 2 ) अत्यधिक चराई, ( 3 ) पहाड़ी ढलानों पर ढाल की ओर खेत जोतना, (4) अत्यधिक वर्षा ।
अभ्यास के प्रश्न – उत्तर
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य
उत्तरः
(घ) अनवीकरण योग्य
(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय
उत्तरः
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण
उत्तरः
(ख) अधिक सिंचाई
(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) कृषि की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तरांचल
उत्तरः
(घ) उत्तराखण्ड
Class 10th Sansadhan Evam Vikas HBSE Geography
(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा (मिट्टी) पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखंड
उत्तरः
(ग) गुजरात
संसाधन एवं विकास कक्षा 10 प्रश्न उत्तर HBSE Geography
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती
है?
उत्तरः
जहाँ काली मृदा पाई जाती है वे तीन राज्य निम्नलिखित हैं
(i) महाराष्ट्र (ii) मालवा (iii) मध्यप्रदेश
काली मृदा (मिट्टी) कपास की खेती के लिए मुख्य रूप से उपयुक्त मानी जाती है। काली मृदा को ‘रेगर’ मृदा भी कहते हैं।
(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तरः
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाइ जाती है।
जलोढ़ मृदा की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है
(ii) जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं।
(iii) अधिकांशतः जलोढ़ मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस और चूनायुक्त होती है।
(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तरः
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम हेतु निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए
(क) ढाल वाली भूमि पर कृषि हेतु सोपान बनाने चाहिए।
(ख) वृक्षों को पंक्तिबद्ध कर रक्षक (Shelter belt) मेखला बनाना।
(घ) पशुचारण रोककर
(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तरः
जैव संसाधन-इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल होती है और इनमें जीवन व्याप्त रहता है। उदाहरणार्थ-मानव, प्राणिजात, वनस्पति जात, मत्स्य-जीवन, पशुधन आदि।
अजैव संसाधान-ऐसे संसाधन निर्जीव वस्तुओं से निर्मित है। उदाहरणार्थ-चट्टानें और धातुएँ।
संसाधन एवं विकास HBSE 10th Class Geography
3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में भूमि उपयोग प्रारम्भ 2002-2003 भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग कि.मी. है परन्तु इसके 93% भाग के ही भू-उपयोग आँकड़े प्राप्त हैं। स्थायी चरागाहों के अन्तर्गत भूमि कम हुई है। वर्तमान परती भूमि के अलावा अन्य परती भूमि अनुपजाऊ है। शुद्ध (निवल) बोये गए क्षेत्र का प्रतिशत भी विभिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न है। पंजाब और हरियाणा में 80% भूमि पर तो अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और अंडमान निकोबार दीपसमूह में 10% से भी कम क्षेत्र बोया जाता है।
भारत में वनों के अन्तर्गत 33% भौगोलिक क्षेत्र वांछित है। जिसकी तुलना में वन के अन्तर्गत क्षेत्र काफी कम है। वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लाखों लोगों की आजीविका इस पर आश्रित है। गैर कृषि प्रयोजनों में लगाई भूमि में बस्तिया. सड़कें, रेल लाइन, उद्योग इत्यादि आते हैं। लम्बे समय तक निरन्तर भूमि संरक्षण और प्रबन्धन की अवहेलना करने एवं निरन्तर भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है। इसके कारण पर्यावरण पर गंभीर आपदा आ सकती है।
वर्ष 1960-61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हो पाई क्योंकि बड़े पैमाने पर वनों की कटाई की जा रही है।
(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
(क) उद्योगों की स्थापना के परिणामस्वरूप अधिक उत्पादन होता है जिसके अधिक कच्चे माल की आवश्यकता होती है।
(ख) आर्थिक विकास के फलस्वरूप लोगों की आय में वृद्धि होने से भी अधिक मात्र में उत्पादों की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त कारणों से संसाधनों का अधिक उपयोग होता है। परन्तु संसाधनों का विवेकहीन उपभोग और अति उपभोग के कारण कई सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती है। गांधी जी ने संसाधनों के संरक्षण पर अपनी इन शब्दों में व्यक्त की है-“हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति हेतु बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं। अर्थात् हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत है लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं।
यहाँ यह कहना अति आवश्यक है कि संसाधनों के अधि क उपयोग से अनवीकरण संसाधनों की जैसे-पेट्रोल, डीजल, गैस आदि शीघ्र समाप्त होने की संभावना बन गई है। यह चिन्ताजनक विषय है।
संसाधन एवं विकास के प्रश्न उत्तर HBSE 10th Class Geography
परियोजना/क्रियाकलाप
1. अपने आस पास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।
2. आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
3. वर्ग पहेली को सुलझाएँ ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूंढे।
नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
(i) भूमि, जल, वनस्पति और खनिजों के रूप में प्राकृतिक सम्पदा
(ii) अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार
(iii) उच्च नमी रखाव क्षमता वाली मृदा
(iv) मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ
(v) मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए बृहत् स्तर पर पेड़ लगाना
(vi) भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं।
उत्तर-
(i) RESOURCE,
(ii) MINERALS,
(iii) BLACK,
(iv) LATERITE,
(v) AFFORESTATION,
(vi) ALLUVIAL.
परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न [Long-Answer Type Questions]
प्रश्न 1. संसाधन किसे कहते हैं? संसाधनों के विभिन्न वर्गीकरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर- संसाधन हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयोग की जा सकती है, उसे संसाधन कहते हैं। नदी, पर्वत, भवन, मृदा, सड़कें, मानव मुख्य संसाधन हैं।
संसाधनों का वर्गीकरण संसाधनों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है –
(क) उत्पत्ति के आधार पर – जैव और अजैव ।
(ख) समाप्यता के आधार पर नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य |
(ग) स्वामित्व के आधार पर व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय |
(घ) विकास के स्तर के आधार पर – संभावी, विकसित, भंडार और संचित कोष ।
(क) उत्पत्ति के आधार पर-
जैव संसाधन-इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमें जीवन व्याप्त है; जैसे मनुष्य, वनस्पतिजात, प्राणिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि ।
अजैव संसाधन-वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं। उदाहरणार्थ, चट्टानें और धातुएँ ।
(ख) समाप्यता के आधार पर –
( 1 ) नवीकरण योग्य संसाधन वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुनः उत्पन्न किया जा सकता है, उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है। उदाहरणार्थ, सौर तथा पवन ऊर्जा, जल, वन व वन्य जीवन ।
( 2 ) अनवीकरण योग्य संसाधन – इन संसाधनों का विकास एक लंबे भू-वैज्ञानिक अंतराल में होता है। खनिज और जीवाश्म ईंधन इस प्रकार के संसाधनों के उदाहरण हैं। इनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इनमें से कुछ संसाधन; जैसे धातुएँ पुनः चक्रीय हैं और कुछ संसाधन जैसे जीवाश्म ईंधन अचक्रीय हैं तथा एक बार के प्रयोग के साथ ही खत्म हो जाते हैं ।
(ग) स्वामित्व के आधार पर –
( 1 ) व्यक्तिगत संसाधन – इन संसाधनों पर निजी स्वामियों का स्वामित्व होता है; जैसे घर, भूखंड, स्कूटर, साइकिल आदि।
(2) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन – इन संसाधनों पर पूरे समुदाय को प्रयोग करने का हक होता है; जैसे पार्क, गाँव की शामलात भूमि, श्मशान भूमि ।
(3) राष्ट्रीय संसाधन-तकनीकी तौर पर देश में पाए जाने वाले सभी संसाधन राष्ट्रीय हैं। देश की सरकार को कानूनी अधिकार है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित के लिए अधिकारपूर्वक ग्रहण कर सकती है। आपने देखा होगा कि सड़कें, नहरें और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व वाले खेतों में बनी हुई हैं।
(4) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन–इन संसाधनों पर पूरे विश्व का सार्वभौमिक हक होता है; जैसे किसी भी देश की सीमा से 200 कि०मी० दूरी पर खुले महासागर ।
(घ) विकास के स्तर के आधार पर –
(1) संभावी संसाधन–ये वे संसाधन हैं जो किसी प्रदेश में मौजूद होते हैं परंतु इनका प्रयोग नहीं किया गया है। उदाहरण के तौर पर भारत के पश्चिमी भाग, विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की बहुत अधिक संभावना है, परंतु इनका सही ढंग से विकास नहीं हुआ है ।
( 2 ) विकसित संसाधन वे संसाधन जिनका निरीक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा तय की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं। संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी और उनकी संभाव्यता के स्तर पर निर्भर करता है; जैसे बॉम्बे हाई में खनिज तेल के भंडारों का विकास हो चुका है ।
( 3 ) भंडार – पर्यावरण में उपलब्ध वे पदार्थ जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं परंतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभाव में उसकी पहुँच से बाहर हैं, भंडार में शामिल हैं। उदाहरण के लिए, जल दो ज्वलनशील गैसों, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का यौगिक है तथा यह ऊर्जा का मुख्य स्रोत बन सकता है। परंतु इस उद्देश्य से, इनका प्रयोग करने के लिए हमारे पास आवश्यक तकनीकी ज्ञान नहीं है ।
( 4 ) संचित कोष – यह संसाधन भंडार का ही हिस्सा है, जिन्हें उपलब्ध तकनीकी ज्ञान की सहायता से प्रयोग में लाया जा सकता है, परंतु इनका उपयोग अभी आरंभ नहीं हुआ है। इनका उपयोग भविष्य में आवश्यकता पूर्ति के लिए किया जा सकता है। नदियों के जल को विद्युत पैदा करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है, परंतु वर्तमान समय में इसका उपयोग सीमित पैमाने पर ही हो रहा है । इस प्रकार बाँधों में जल, वन आदि संचित कोष हैं जिनका उपयोग भविष्य में किया जा सकता है।
प्रश्न 2. भूमि के निम्नीकरण में मुख्य भूमिका निभाने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए ।
अथवा
भूमि निम्नीकरण के किन्हीं छः प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- भूमि निम्नीकरण के प्रमुख कारक या कारण निम्नलिखित हैं –
1. खनन खनन के बाद खदानों वाले स्थानों को गहरी खाइयों और मलबे के साथ खुला छोड़ दिया जाता है जिसके कारण भूमि निम्नीकरण की समस्या उत्पन्न हुई है।
2. वनोन्मूलन – झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और ओडिशा जैसे राज्यों में अत्यधिक खनन के कारण वनोन्मूलन हुआ है जो भूमि निम्नीकरण का एक अन्य प्रमुख कारण बना है। खनन के अलावा अन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भी बड़े पैमाने पर वनों को निरंतर काटा जा रहा है जिससे भूमि निम्नीकरण की समस्या निरंतर बढ़ रही है ।
3. अधिक सिंचाई- अधिक सिंचाई भी भूमि निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अत्यधिक सिंचाई के कारण भूमि निम्नीकरण में तेजी से वृद्धि हुई है ।
4. जलाक्रांतता – अत्यधिक व लगातार सिंचाई से उत्पन्न जलाक्रांतता भी निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी है जिससे मृदा में लवणता और क्षारीयता की मात्रा में वृद्धि हो जाती है ।
5. अत्यधिक पशुचारण- कुछ राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि में अत्यधिक पशुचारण भूमि के निम्नीकरण का मुख्य कारण है ।
6. औद्योगिक जल निकास औद्योगिक जल निकास से बाहर आने वाला अपशिष्ट पदार्थ भूमि और जल प्रदूषण का मुख्य स्रोत है ।
7. खनिज प्रक्रियाएँ – खनिज प्रक्रियाएँ जैसे सीमेंट उद्योग में चूना पत्थर को पीसना और चीनी मिट्टी के बर्तन उद्योग में चूने (खड़िया मिट्टी) और सेलखड़ी के प्रयोग से बहुत अधिक मात्रा में वायुमंडल में धूल छोड़ी जाती है। जब इसकी परत भूमि पर जम जाती है तो मिट्टी की जल सोखने की प्रक्रिया रुक जाती है ।
प्रश्न 3. ‘रेगर मृदा’ किसे कहा जाता है? इस मिट्टी की पाँच विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर- काली मृदा को रेगर मृदा भी कहा जाता है ।
विशेषताएँ – रेगर मिट्टी / काली मिट्टी की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) काली मृदा बहुत ही महीन कणों अर्थात् मृत्तिका से बनी है ।
(ii) यह मृदा कैल्शियम, कार्बोनेट, मैग्नीशियम, पोटाश और चूने से भरपूर होती है।
(iii) इस मृदा में फास्फोरस की मात्रा कम होती है।
(iv) गर्म और शुष्क मौसम में इन मृदाओं में दरारें पड़ जाती हैं, जिससे इनमें अच्छी तरह वायु मिश्रण हो जाता है।
(v) ये मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार के साथ-साथ दक्षिणी पूर्वी दिशा में गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियों तक फ़ैली हैं ।
प्रश्न 4. भूमि निम्नीकरण की समस्या के समाधान हेतु अपने सुझाव दीजिए ।
उत्तर – भूमि निम्नीकरण की समस्या को निम्नलिखित तरीकों द्वारा सुलझाया जा सकता है
1. वृक्षारोपण–पर्वतीय ढालों, मरुस्थलीय क्षेत्रों व बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में वृक्षारोपण मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण हो सकता है ।
2. पेड़ों की रक्षक मेखला- शुष्क क्षेत्रों में पेड़ों की रक्षक मेखला बनाकर पवन द्वारा होने वाले मृदा अपरदन को नियंत्रित किया जा सकता है।
3. पशुचारण नियंत्रण – आवारा पशुचारण पर कठोर प्रतिबंध लगाना चाहिए ।
4. चरागाहों का उचित प्रबंधन – चरागाह क्षेत्र सुनिश्चित करके भी भूमि कटाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
5. कांटेदार झाड़ियाँ – रेतीले टीलों को कांटेदार झाड़ियाँ लगाकर स्थिर बनाने की प्रक्रिया से भी भूमि कटाव की रोकथाम पर अंकुश लगा सकते हैं ।
6. नदियों के किनारों पर पेड़-पौधे लगाना – नदी-नालों के किनारों पर पेड़-पौधे लगाकर भूमि कटाव को रोककर इस समस्या पर नियंत्रण पा सकते हैं ।
7. पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाना-पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाकर भी भूमि निम्नीकरण को रोका जा सकता है ।
8. बंजर भूमि का उचित प्रबंधन – बेकार पड़ी हुई भूमि का उचित प्रबंधन करके भी इस पर नियंत्रण कर सकते हैं ।
9. खनन नियंत्रण – खनन कार्य को नियंत्रित किया जाए तथा खनन के बाद खदानों को भरा जाए ।
10. औद्योगिक अपशिष्ट जल का उचित प्रबंधन औद्योगिक अपशिष्ट जल परिष्करण के बाद ही विसर्जित किया जाए जिससे जल और भूमि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके ।
प्रश्न 5. भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टियों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर भारत में प्रमुखतः निम्नलिखित प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं
1. जलोढ़ मिट्टी – नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी कहते हैं । यह मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है। यह मिट्टी उत्तरी मैदान और पूर्व-पश्चिमी तटीय मैदानों तथा डेल्टा प्रदेशों में पाई जाती है।
2. काली मिट्टी – यह मिट्टी लावे से बनी चट्टानों के टूटने से बनती है। इसका रंग काला होता है । यह नमी को काफी समय तक अपने में समाए रखती है। यह कपास के लिए बहुत लाभदायक होती है। काली मिट्टी महाराष्ट्र, काठियावाड़ (गुजरात) और मध्य प्रदेश में पाई जाती है ।
3. लाल मिट्टी-लौह पदार्थ की अधिकता के कारण इस मिट्टी का रंग लाल होता है। यह मिट्टी ज्वार- बाजरा आदि के लिए लाभदायक होती है। यह मुख्यतः कर्नाटक, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र और दक्षिणी बिहार में पाई जाती है।
4. लेटराइट मिट्टी – इस गट्टी का रंग ईंट जैसा होता है । इस मिट्टी में एलुमिनियम और लोहे की मात्रा अधिक होती है। यह मिट्टी कम गहरी तथा उपजाऊ होती है। यह मिट्टी पूर्वी तथा पश्चिमी घाट, ओडिशा और असम में मिलती है।
5. मरुस्थली मिट्टी-यह मिट्टी अधिकतर राजस्थान, पश्चिमी हरियाणा और दक्षिण-पश्चिमी पंजाब में पाई जाती है। यह उन भागों में पाई जाती है, जहाँ पर जल की पूर्ति कम होती है । इस मिट्टी में रेत के कणों की अधिकता होती है। यह हल्के भूरे रंग की होती है।
6. पर्वतीय मिट्टी – इस प्रकार की मिट्टी की रचना मुख्यतः वनस्पति के आवरण और जीवों की प्रकृति पर निर्भर करती है। यह मिट्टी असम, उत्तर प्रदेश, मैसूर और लघु हिमालय क्षेत्रों में पाई जाती है। कांगड़ा, देहरादून, उत्तरी बंगाल और असम के पहाड़ी ढालों पर पाई जाने वाली मिट्टियों में लोहे की मात्रा अधिक और चूने की मात्रा कम होती है। चाय के लिए यह मिट्टी अति उत्तम होती है ।
प्रश्न 6. मृदा अपरदन से आप क्या समझते हैं ? मृदा अपरदन के क्या कारण हैं?
उत्तर – मृदा अपरदन – भारी वर्षा और पवन मिट्टी की अधिक मात्रा को घोलकर अथवा उड़ाकर अपने साथ ले जाती हैं। इसके फलस्वरूप मिट्टी के उपजाऊ तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। इसे ‘मृदा अपरदन’ अथवा ‘मिट्टी का कटाव’ कहते हैं। मृदा अपरदन मरुस्थलीय क्षेत्रों तथा तीव्र ढाल वाले भू-भागों में अधिक होता है।
मृदा अपरदन के कारण मृदा अपरदन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
1. पवन अपरदन-मरुस्थलों और अर्ध-मरुस्थलों में पवन मिट्टी के महीन कणों को उड़ाकर ले जाती है जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो जाती है।
2. अत्यधिक चराई–पहाड़ी ढालों पर पशुओं और विशेषकर बकरियों द्वारा अत्यधिक चराई के फलस्वरूप मिट्टी का अपरदन होता है।
3. प्राकृतिक वनस्पति का विनाश – वृक्षों की जड़ें मिट्टी के कणों को बांधे रखती हैं और उन्हें बह जाने से रोकती हैं। किंतु जिन स्थानों पर वृक्षों को अंधाधुंध काट दिया जाता है, वहाँ पानी के बहाव की गति तेज हो जाती है और मिट्टी का अपरदन बढ़ता है।
4. मूसलाधार वर्षा- मूसलाधार वर्षा अपने साथ मृदा को बहाकर ले जाती है जिससे अत्यधिक भूमि-अपरदन होता है।
5. मिट्टी के प्रकार – जिन क्षेत्रों में मिट्टी ढीली, असंगठित या तीव्र ढाल वाली होती है, वहाँ मिट्टी का अपरदन अधिक व शीघ्र होता है। अधिक तीव्र ढालों पर बहता हुआ जल अधिक अपरदन करता है, जिसे अवनालिका अपरदन कहते हैं।
लघुत्तरात्मक प्रश्न [Short – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. नवीकरणीय संसाधन और अनवीकरणीय संसाधन में अंतर बताइए ।
उत्तर–नवीकरणीय संसाधन और अनवीकरणीय संसाधन में निम्नलिखित अंतर हैं –
नवीकरणीय संसाधन |
अनवीकरणीय संसाधन |
(i) ये संसाधन प्रयोग करने के पश्चात् एक निश्चित समय में अपने-आप बन जाते हैं । |
(i) एक बार प्रयोग करने के पश्चात् इन संसाधनों को दोबारा नहीं बनाया जा सकता हैं । |
(ii) जल, वन, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा ज्वारीय ऊर्जा इस प्रकार के प्रमुख संसाधन हैं। |
(ii) कोयला, खनिज तेल और सभी प्रकार की धातुएँ इस प्रकार के प्रमुख संसाधन हैं । |
(iii) ये संसाधन कम महँगे होते हैं । |
(iii) ये संसाधन अधिक महँगे होते हैं । |
(iv) ये ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत हैं । |
(iv) ये ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं। |
प्रश्न 2. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन क्या होते हैं?
उत्तर – 1. राष्ट्रीय संसाधन-तकनीकी तौर पर देश में पाए जाने वाले सारे संसाधन राष्ट्रीय हैं। देश की सरकार को कानूनी अधिकार है कि वह व्यक्तिगत संसाधनों को भी आम जनता के हित में अधिगृही कर सकती है। आपने देखा होगा कि सड़कें, नहरें और रेल लाइनें व्यक्तिगत स्वामित्व वाले खेतों में बनी हुई हैं। शहरी विकास प्राधिकरणों को सरकार ने भूमि अधिग्रहण का अधिकार दिया हुआ है। है | सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, वन, वन्य जीवन, राजनीतिक सीमाओं के अंदर सारी भूमि और 12 समुद्री मील ( 19.2 कि.मी.) तक महासागरीय क्षेत्र व इसमें पाए जाने वाले संसाधन राष्ट्र की संपदा हैं ।
2. अंतर्राष्ट्रीय संसाधन – कुछ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ संसाधनों को नियंत्रित करती हैं | तट रेखा से 200 कि०मी० की दूरी से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं है । इन संसाधनों को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता ।
प्रश्न 3. ‘भारत (India) जैसे देशों में संसाधन नियोजन को न्याय संगत विकास के लिए मान्यता दी गई है ।” कथन की व्याख्या के लिए तर्क संगत उदाहरण दें।
अथवा
“संसाधन नियोजन अति आवश्यक है।” कथन का विश्लेषण करें।
उत्तर – (i) संसाधन जैसे कोयला, पैट्रोल आदि सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं, यह तेज़ी से कम हो रहे हैं । इनके विवेकपूर्ण और न्यायसंगत उपयोग के लिए नियोजन की आवश्यकता है।
(ii) संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण भी हमें संसाधन नियोजन की आवश्यकता है।
(iii) संसाधन प्रकृति की देन हैं इन्हें इस प्रकार न्यायपूर्ण प्रयोग करना चाहिए कि भविष्य की पीढ़ियाँ इनसे वंचित न रह जाएं।
(iv) संसाधन नियोजन सतत् पोषणीय विकास के लिए भी आवश्यक है।
(v) भारत में संसाधनों की उपलब्धता में बहुत अधिक विविधता पाई जाती है, यहाँ ऐसे प्रदेश हैं, जहाँ एक तरह के साधनों की प्रचुरता है, परंतु दूसरी तरह के संसाधनों की कमी है।
प्रश्न 4. मानव प्राणियों के लिए संसाधन क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर पृथ्वी पर मानव जीवन के अस्तित्व के लिए संसाधनों का संरक्षण बहुत जरूरी है। ये संसाधन किसी भी राष्ट्र की जीवन-रेखा होते हैं । यदि संसाधनों का विकास रुक जाता है तो देश का आर्थिक विकास भी रुक जाता है। महासागर, नदियाँ, पर्वत, भूमि, खानें, खनिज पदार्थ, वनस्पति तथा जीव-जंतु हमारे प्रमुख संसाधन हैं और इन्हीं संसाधनों के संतुलित रूप से ही राष्ट्र और व्यक्ति अपनी उन्नति के मार्ग खोलते हैं । ये हमारे अमूल्य उपहार हैं इसलिए इनका प्रयोग करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इनका गलत उपयोग न हो। हमें जीव-जंतुओं और पेड़-पौ प्रति दया भाव रखना चाहिए और इनकी देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए ।
प्रश्न 5. संसाधनों का हमारे लिए क्या महत्त्व है?
उत्तर – संसाधनों का हमारे लिए निम्नलिखित महत्त्व है
(i) संसाधन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ हैं,
(ii) संसाधन लोगों की आर्थिक शक्ति और आजीविका के प्रमुख स्रोत हैं,
(iii) संसाधन हमारे उद्योगों की आधारशिला हैं,
(iv) संसाधन भूमि की सुंदरता को बढ़ाते हैं,
(v) संसाधन वैज्ञानिक अनुसंधानों को प्रोत्साहन देते हैं,
(vi) प्राकृतिक संसाधन मानव जीवन का आधार हैं ।
प्रश्न 6. संसाधनों के नियोजन के स्तर बताएँ ।
उत्तर – हमारे संसाधन सीमित हैं और हमारे देश में उनका वितरण असमान है। अतः संसाधनों के विकास और इनकी निरंतरता के लिए संसाधनों का नियोजन आवश्यक है । संसाधन नियोजन के तीन स्तर हैं-
(i) पहले स्तर पर संसाधनों के अन्वेषण की तैयारी, विकास के लिए संसाधन की उपलब्धता का मूल्यांकन और संसाधनों के शोषण की योजना, सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना, संसाधनों की विशेषताओं और गुणों के मापन शामिल हैं, (ii) दूसरे स्तर पर संसाधनों का मूल्यांकन, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और आवश्यकता के आधार पर किया जाता है, (iii) तीसरा स्तर क्रियान्वयन परख योजना से संबंधित है जिसमें संसाधन के उपयोग और उनके पुनः उपयोग पर बल दिया जाता है।
प्रश्न 7. भारत के भूमि संसाधनों पर नोट लिखिए ।
उत्तर – हमारा देश बहुत विशाल है। यहाँ के भूमि संसाधनों में अनेक विविधताएँ पाई जाती हैं। देश के भू-भाग का लगभग 43 प्रतिशत भाग मैदानी है जो हमें फसलों को उगाने के लिए सुअवसर प्रदान करता है। देश का लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र पर्वतीय है। पर्वत हमें प्राकृतिक संसाधनों के रूप में वन और वन्य जीवन प्रदान करते हैं। ये प्राकृतिक मांदर्य और पारिस्थितिकी के लिए जाने जाते हैं । कुल क्षेत्र के लगभग 27 प्रतिशत भांग पर पठारों का विस्तार है । पठार खनिज संसाधनों, वनों एवं कृषि योग्य भूमि से संपन्न हैं। पर्वतों और पठारों में नदी-घाटियाँ भी पाई जाती हैं। ये नदी-घटियाँ मानव आवास के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करती हैं ।
प्रश्न 8. मृदा का निर्माण किस प्रकार होता है ?
उत्तर – मिट्टी की सबसे ऊपरी परत को मृदा कहते हैं। शैलों के टूटने-फूटने से मृदा का निर्माण होता है। मृदा के निर्माण और उसकी उर्वरता के विकास में कई कारकों का योगदान है। इनमें शैल, जलवायु, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, स्थानीय स्थालाकृति और समय की लंबी अवधि महत्त्वपूर्ण कारक हैं। जिन शैलों से मृदा का निर्माण होता है, उनका अपक्षय और अपरदन की प्रक्रियाओं द्वारा विखंडन और विघटन होता है। जलवायु, अपक्षरण की दर और वनस्पति के प्रकारों का निर्धारण करती है। भूमि की ढाल मिट्टी की मोटाई को निश्चित करती हैं। समयावधि मिट्टी को परिपक्वता प्रदान करती है । मिट्टी के निर्माण की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है। इस प्रकार मृदा अपने निर्माण में वर्षों का समय लेती है ।
प्रश्न 9. मृदा संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर भारत की विभिन्न प्रकार की उपजाऊ मिट्टियों में विविध फसलें पैदा की जा सकती हैं। परंतु यह सब कुछ मिट्टियों की उर्वरता बनाए रखकर ही किया जा सकता है । इस उर्वरता को बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाना जरूरी है। मृदा संरक्षण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है –
1. बांध बनाकर – नदियों और नालों पर बांध बनाने से पानी का फालतू बहाव कम हो जाता है। इससे मृदा अपदरन रुक जाता है।
2. वृक्षारोपण – पेड़-पौधों की जड़ें मृदा के कणों को आपस में जकड़े रखती हैं इसलिए मृदा संरक्षण के लिए अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने चाहिएँ ।
3. सीढ़ीनुमा खेत बनाकर – पर्वतीय प्रदेशों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर मृदा संरक्षण किया जा सकता है।
4. पशु चराई रोककर–पशु चरते समय मृदा का अपरदन करते हैं । इसलिए मृदा संरक्षण के लिए कृषियोग्य भूमि में पशुओं की चराई पर रोक लगानी चाहिए ।
5. मृदा अपरदन का सर्वेक्षण मृदा अपरदन का सही सर्वेक्षण करके उसकी रोकथाम के लिए उपयुक्त वैज्ञानिक तरीके अपनाने चाहिएँ।
प्रश्न 10. लाल मृदा और लेटराइट मृदा के बीच कोई तीन अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- लाल मृदा और लेटराइट मृदा के बीच निम्नलिखित अंतर हैं –
लाल मृदा |
लेटराइट मृदा |
(i) यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में रवेदार आग्नेय चट्टानों से विकसित होती है। |
(i) यह उच्च तापमान और भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। |
(ii) यह मृदा ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य गंगा के दक्षिणी छोर पर पश्चिमी घाट में पहाड़ी पद पर पाई जाती है। |
(ii) यह मृदा कर्नाटक, केरल और ओडिशा तथा असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है । |
(iii) इसका लाल रंग रवेदार आग्नेय चट्टानों और रूपांतरित चट्टानों में लौह धातु के प्रसार के कारण होता है। |
(iii) इस मृदा में ह्यूमस की मात्रा बहुत ही कम होती है । |
प्रश्न 11. जलोढ़ मिट्टी का वर्णन कीजिए। यह भारत में कहाँ मिलती है?
उत्तर–जलोढ़ मिट्टी बहुत उपजाऊ मिट्टी है । यह मिट्टी भारत के कई क्षेत्रों में पाई जाती है । इसके अंतर्गत देश का 40 प्रतिशत भाग शामिल है। भारत के समस्त उत्तरी मैदानों में यही मिट्टी पाई जाती है । यह मिट्टी हिमालय से निकलने वाली तीन बड़ी नदियों सतलुज, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों द्वारा बहाकर लाई गई है। इन नदियों ने इस मिट्टी को उत्तरी मैदान में बिछा दिया है। राजस्थान में भी इस मिट्टी की एक पेटी पाई जाती है। यह गुजरात के मैदानों में भी मिलती है। यह मिट्टी पूर्वी तटीय मैदानों और महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टाई प्रदेश में भी मिलती है।
प्रश्न 12. जलोढ़ मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर – जलोढ़ मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) यह मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है,
(ii) इस मिट्टी में पोटाश, फॉस्फोरस एवं चूना अधिक पाया जाता है,
(iii) इस मिट्टी में नाइट्रोजन एवं जैव पदार्थों की कमी होती है,
(iv) यह मिट्टी गन्ने, चावल, गेहूँ एवं अन्य अनाजों तथा दलहन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त होती है ।
प्रश्न 13. लाल मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर – लाल मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) इस मिट्टी में लोहे के यौगिकों की अधिकता के कारण इसका रंग लाल होता है ।
(ii) इस मिट्टी में जैव पदार्थों की कमी है।
(iii) यह मिट्टी सामान्यतः कम उपजाऊ है।
(iv) यह मिट्टी चावल, ज्वार- बाजरा, मक्का, मूँगफली, तम्बाकू और फलों की पैदावार के लिए उपयुक्त है।
प्रश्न 14. लेटराइट मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर- लेटराइट मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) इस मिट्टी में एलुमिनियम और लोहे के ऑक्साइड के द्वारा मिला लाल-भूरा रंग होता है ।
(ii) इस मिट्टी में चूना, पोटाश, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी होती है ।
(iii) ऊँचे भागों में यह मिट्टी कम गहरी, कंकरीली तथा कम उपजाऊ होती है। निचाई वाले भागों में यह अधिक गहरी होती है।
(iv) लेटराइट मिट्टी पर अधिक मात्रा में खाद और रासायनिक उर्वरक डालकर ही खेती की जा सकती है ।
प्रश्न 15. मरुस्थली मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – मरुस्थली मिट्टी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) मरुस्थली मिट्टियों का रंग लाल और भूरा होता है ।
(ii) ये मिट्टियाँ आमतौर पर रेतीली और लवणीय होती है ।
(iii) कुछ क्षेत्रों में नमक की मात्रा इतनी अधिक होती है कि झीलों से जल वाष्पीकृत करके खाने का नमक भी बनाया जाता है।
(iv) शुष्क जलवायु और उच्च तापमान के कारण जलवाष्पन दर अधिक है और मिट्टियों में ह्यूमस और नमी की मात्रा कम होती है।
अति लघुत्तरात्मक प्रश्न [Very Short – Answer Type Questions]
प्रश्न 1. संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर- हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयोग की जा सकती है, उसे संसाधन कहते हैं ।
प्रश्न 2. अजैव संसाधन क्या हैं ?
उत्तर – अजैव संसाधन वे होते हैं जिनमें जीवन क्रिया नहीं होती है। इनका नवीकरण नहीं होता। ये एक बार उपयोग में लाने के बाद समाप्त हो जाते हैं ।
प्रश्न 3. नवीकरण योग्य संसाधन क्या हैं?
उत्तर – इसमें वे सभी संसाधन आते हैं जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनः उत्पादित किया जा सकता · है । अतः संसाधन असमाप्य होते हैं। इनकी पुनरावृत्ति संभव है ।
प्रश्न 4. खादर किसे कहते हैं ?
उत्तर – नदी के समीपवर्ती क्षेत्रों की नवीन जलोढ़क भूमियों को खादर कहते हैं ।
प्रश्न 5. बांगर किसे कहते हैं ?
उत्तर – प्राचीन जलोढ़क भूमियाँ जो नदी के दूरवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती हैं, उन्हें बांगर कहते हैं ।
प्रश्न 6. आयु के आधार पर जलोढ़ मिट्टियाँ कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर – आयु के आधार पर जलोढ़ मिट्टियाँ दो प्रकार की होती हैं –
(i) पुराना जलोढ़ (बांगर ) तथा (ii) नया जलोढ़ ( खादर ) ।
प्रश्न 7. भारत में लाल मिट्टी किन क्षेत्रों में पाई जाती है?
उत्तर – प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में बहुत बड़े भाग पर लाल मिट्टी पाई जाती है। इसमें तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, दक्षिण-पूर्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा (ओडिशा), छोटा नागपुर पठार, उत्तर-पूर्वी राज्यों और मेघालय के पठार प्रमुख हैं ।
प्रश्न 8. भारत में लेटराइट मिट्टी का क्षेत्र कौन-सा है?
उत्तर- लेटराइट मिट्टी भारत में मुख्य तौर पर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा तथा मेघालय के पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाती है।
प्रश्न 9. नवीकरण तथा अनवीकरण योग्य संसाधनों में क्या अंतर हैं?
उत्तर- नवीकरण तथा अनवीकरण योग्य संसाधनों में निम्नलिखित अंतर हैं –
नवीकरण योग्य संसाधन |
अनवीकरण योग्य संसाधन |
(i) ये वे संसाधन हैं, जिन्हें कम समय में दोबारा प्राप्त किया जा सकता है। |
(i) ये वे संसाधन हैं, जिन्हें कम समय में दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता । |
(ii) ये संसाधन पर्यावरण को कोई हानि नहीं पहुँचाते । |
(ii) इन संसाधनों से पर्यावरण प्रदूषण फ़ैलता है। |
उदाहरण – सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा । |
उदाहरण – खनिज और जीवाश्म ईंधन । |
प्रश्न 10. सतत् पोषणीय आर्थिक विकास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – सतत् पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ है पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना किया जाने वाला विकास | सतत् पोषणीय आर्थिक विकास की नीति के अनुसार विकास के साथ-साथ संसाधनों पर इसके पड़ने वाले प्रभावों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। देश के स्वस्थ तथा संतुलित विकास के लिए यह नीति बहुत आवश्यक है। विकास की इस अवधारणा में हमारी भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं का भी पूरा ध्यान रखा गया है।
प्रश्न 11. संभावी और विकसित संसाधनों से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
संभाव्य संसाधन किसे कहते हैं ? इसके कोई दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर—ये वे संसाधन हैं जो किसी प्रदेश में मौजूद होते हैं परंतु इनका प्रयोग नहीं किया गया है। उदाहरण के तौर पर भारत के पश्चिमी भाग, विशेषकर राजस्थान और गुजरात में पवन और सौर ऊर्जा संसाधनों की बहुत अधिक संभावना है, परंतु इनका सही ढंग से विकास नहीं हुआ है ।
प्रश्न 12. विकसित संसाधन क्या हैं ?
उत्तर–वे संसाधन जिनका निरीक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा तय की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं | संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी और उनकी संभाव्यता के स्तर पर निर्भर करता है; जैसे बॉम्बे हाई में खनिज तेल के भंडारों का विकास हो चुका है। ।
प्रश्न 13. संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर–वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिक विकास के कारण संसाधनों का बहुत तीव्र गति से विनाश हो रहा है और यदि संसाधनों का यह विनाश इसी दर से जारी रहा तो ये संसाधन जल्दी ही समाप्त हो जाएंगे और आर्थिक विकास रुक जाएगा। इसलिए संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है ।
प्रश्न 14. लेटराइट मिट्टी फसलों के लिए उपयुक्त नहीं है, क्यों?
उत्तर – लेटराइट मिट्टी फसलों के लिए उपयुक्त नहीं होती क्योंकि –
(i) इस मिट्टी में क्षारीय तत्त्वों के अतिरिक्त मैग्नीशियम तथा फॉस्फोरस की कमी होती है,
(ii) चूना तथा सिलिका जैसे महत्त्वपूर्ण तत्त्वों के भी वर्षा में बह जाने के कारण इस मिट्टी में कमी हो जाती है,
(iii) यह मिट्टी अधिक नमी नहीं सोख सकती जिससे इसकी उर्वरा शक्ति कम होती है ।
प्रश्न 15. व्यक्तिगत संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर – ये वे संसाधन होते हैं जिन पर निजी स्वामियों का स्वामित्व होता है। बहुत से किसानों के पास सरकार द्वारा आबंटित भूमि होती है जिसके बदले में वे सरकार को लगान चुकाते हैं। गाँव में बहुत से लोग भूमि के स्वामी होते हैं और बहुत से भूमिहीन भी होते हैं। शहरों में लोग भूखंड, घरों व अन्य जायदाद के मालिक होते हैं । बाग, चरागाह, तालाब और कुओं का आ संसाधनों के निजी स्वामित्व के कुछ उदाहरण हैं ।
प्रश्न 16. सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर – ये संसाधन समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं। गाँव की शामलात भूमि (चारण भूमि, श्मशान भूमि, तालाब इत्यादि) और नगरीय क्षेत्रों के सार्वजनिक पार्क और खेल के मैदान, पिकनिक स्थल वहाँ रहने वाले सभी लोगों के लिए उपलब्ध हैं।
प्रश्न 17. बांगर और खादर में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर बांगर और खादर में निम्नलिखित अंतर हैं –
बांगर |
खादर |
(i) यह प्राचीन जलोढ़क भूमियाँ हैं। |
(i) यह नवीन जलोढ़क भूमियाँ हैं । |
(ii) यह नदी से दूर स्थित हैं। |
(ii) यह नदी के पास स्थित हैं। |
(iii) यह मिट्टी चीकायुक्त और गहरे रंग की होती है। |
(iii) यह मिट्टी बलुई और रंग में हल्की होती है। |
प्रश्न 18. ‘शुद्ध बोया गया क्षेत्र’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर–शुद्ध बोए गए क्षेत्र से अभिप्राय कुल भूमि के उस भाग से है जिस पर वास्तविक रूप से फसल बोई गई हो । भारत के कुल क्षेत्रफल का 54 प्रतिशत शुद्ध बोए गए क्षेत्र के अंतर्गत आता है। शुद्ध बोए गए क्षेत्र का प्रतिरूप एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न है। पंजाब और हरियाणा में यह 80 प्रतिशत से अधिक है जबकि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों और मणिपुर में 10 प्रतिशत से भी कम है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]
I. एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
प्रश्न 1. उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों के दो प्रकार लिखिए ।
उत्तर – (i) जैव संसाधन, (ii) अजैव संसाधन ।
प्रश्न 2. जैव संसाधन क्या हैं ?
उत्तर – जैव मंडल में स्थित अपने निश्चित जीवन-चक्र वाले संसाधन जैविक संसाधन कहलाते हैं ।
प्रश्न 3. जैव संसाधनों के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर–पशु-पक्षी, पेड़-पौधे एवं मनुष्य |
प्रश्न 4. अजैव संसाधनों के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – धातुएँ और मृदा ।
प्रश्न 5. समाप्यता के आधार पर संसाधनों के दो प्रकार कौन-से हैं?
उत्तर – (i) नवीकरण योग्य संसाधन, (ii) अनवीकरण योग्य संसाधन ।
प्रश्न 6. नवीकरण योग्य संसाधनों के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – (i) सौर ऊर्जा, (ii) पवन ऊर्जा ।
प्रश्न 7. अनवीकरण योग्य संसाधन क्या हैं ?
उत्तर – ये ऐसे संसाधन होते हैं जिनका एक बार दोहन करने के बाद उनकी पुनः पूर्ति संभव नहीं है, क्योंकि इनकी मात्रा सीमित होती है।
प्रश्न 8. अनवीकरण योग्य संसाधनों के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – (i) खनिज, (ii) जीवाश्म ईंधन |
प्रश्न 9. स्वामित्व के आधार पर संसाधनों के कौन-कौन से वर्गीकरण हैं?
उत्तर–(i) व्यक्तिगत संसाधन, (ii) सामुदायिक संसाधन, (iii) राष्ट्रीय संसाधन, (iv) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन ।
प्रश्न 10. व्यक्तिगत संसाधनों के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – (i) घर, (ii) भूखंड
प्रश्न 11. सामुदायिक संसाधनों के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – (i) गाँव की शामलात भूमि, (ii) सार्वजनिक पार्क ।
प्रश्न 12. भूमि निम्नीकरण के लिए कोई एक कारण बताएँ । उत्तर- अधिक सिंचाई ।
प्रश्न 13. विकास के स्तर के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण किन वर्गों में किया जा सकता है?
उत्तर – (i) संभावी संसाधन, (ii) विकसित भंडार, (iii) संचित कोष ।
प्रश्न 14. संसाधन नियोजन किसे कहते हैं?
उत्तर- संसाधनों के विवेकपूर्ण प्रयोग के लिए बनाई गई सर्वमान्य रणनीति को संसाधन नियोजन कहते हैं।
प्रश्न 15. संसाधन संरक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर- संसाधनों के उचित उपयोग और प्रबंधन को संसाधन संरक्षण कहते हैं ।
प्रश्न 16. भारत की भूमि पर मुख्य रूप से कौन-सी आकृतियाँ पाई जाती हैं?.
उत्तर- भारत की भूमि पर मुख्य रूप से पर्वत, पठार, मैदान और द्वीप पाए जाते हैं ।
प्रश्न 17. भारत का भौगोलिक क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर- 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर ।
प्रश्न 18. मृदा क्या होती है?
उत्तर – भू-पृष्ठ की सबसे ऊपरी परत को जिसमें पौधों के उगने के लिए पोषक तत्त्व पाए जाते हैं, उसे मृदा कहते हैं ।
प्रश्न 19. अत्यधिक निक्षालन द्वारा किस मृदा का निर्माण होता है ?
उत्तर – लेटराइट मृदा |
प्रश्न 20. लेटराइट शब्द में ‘लेटर’ शब्द का अर्थ है?
उत्तर – लेटराइट शब्द में ‘लेटर’ शब्द का अर्थ है-ईंट |
प्रश्न 21. लावा (मैग्मा) से निर्मित मिट्टी का नाम बताएँ ।
उत्तर – काली मिट्टी |
प्रश्न 22. काली मिट्टी किस फसल के लिए उपयुक्त है ?
उत्तर – काली मिट्टी कपास के लिए उपयुक्त है।
प्रश्न 23. भारत के विशाल मैदान किस प्रकार की मृदा से बने हैं ?
उत्तर – जलोढ़ मृदा से ।
प्रश्न 24. प्रथम पृथ्वी सम्मेलन कहाँ हुआ था ?
उत्तर – प्रथम पृथ्वी सम्मेलन ब्राजील में हुआ था ।
प्रश्न 25. दक्षिण भारत में जलोढ़ मिट्टी कहाँ पाई जाती है?
उत्तर-दक्षिणी भारत में महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी के डेल्टा प्रदेशों में यह मिट्टी पाई जाती है ।
प्रश्न 26. भारत में काली मिट्टी किन क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है?
उत्तर – भारत में काली मिट्टी महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा का पठार, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती है ।
प्रश्न 27. उन दो राज्यों के नाम बताइए जहाँ शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल अधिक है।
उत्तर- पंजाब और हरियाणा |
प्रश्न 28. राष्ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार कितना प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र वनों के अन्तर्गत होना चाहिए?
उत्तर – 33 प्रतिशत।
प्रश्न 29. मनुष्य किन दो तरीकों से बंजर भूमि का क्षेत्र बढ़ाता है?
उत्तर – (i) अत्यधिक पशुचारण द्वारा, (ii) वनों के विनाश द्वारा |
प्रश्न 30. कृषि में सिंचाई का क्या महत्त्व है?
उत्तर-सिंचाई के द्वारा कृषि क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है और एक वर्ष में तीन-तीन फसलें पैदा की जा सकती हैं।
प्रश्न 31. सौर ऊर्जा किस प्रकार का संसाधन है ?
उत्तर – पुनः पूर्ति योग्य |
प्रश्न 32. उच्च नमी रखाव क्षमता वाली मृदा का नाम बताइए ।
उत्तर – काली मृदा ।
प्रश्न 33. ज्वारीय ऊर्जा किस प्रकार का संसाधन है ?
उत्तर नवीकरणीय
प्रश्न 34. बंजर भूमि किसे कहते हैं?
उत्तर – जिस भूमि पर कृषि उपजें नहीं उगाई जा सकतीं, उसे बंजर भूमि कहते हैं ।
प्रश्न 35 मिट्टी किस प्रकार का प्राकृतिक संसाधन है?
उत्तर- नवीकरण योग्य ।
प्रश्न 36 प्राकृतिक संसाधन किसे कहते हैं? इसके कोई दो उदाहरण लिखिए ।
उत्तर – प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं जो हमें प्रकृति से उपहार स्वरूप प्राप्त हुए हैं। उदाहरण – जल तथा वायु ।
II. बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए –
1. संसाधन की विशेषता है
(A) इनका मूल्य होता है
(B) ये उपयोगी होते हैं
(C) ये प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों होते हैं
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
2. संसाधन का संबंध है –
(A) प्रौद्योगिकी से
(B) प्रकृति से
(C) संस्थाओं से
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
3. निम्नलिखित में से कौन-सा जैव संसाधन नहीं है?
(A) प्राणीजात
(B) वनस्पतिजात
(C) चट्टानें
(D) पशुधन
उत्तर-(C)
4. निम्नलिखित में कौन-सा अजैव संसाधन हैं?
(A) चट्टानें
(B) धातुएँ
(C) (A) एवं (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(C)
5. निम्नलिखित में से नवीकरण योग्य संसाधन हैं-
(A) जल
(B) वन एवं वन्य प्राणी
(C) मृदा एवं कृषि उपजें
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर—(D)
6. नवीकरण योग्य संसाधन नहीं है –
(A) खनिज
(B) सौर ऊर्जा
(C) पवन ऊर्जा
(D) वन्य जीवन
उत्तर – (A)
7. निम्नलिखित में से कौन-सा जीवाश्म ईंधन नहीं है?
(A) कोयला
(B) लौह अयस्क
(C) पेट्रोलियम
(D) प्राकृतिक गैस
उत्तर-(B)
8. निम्नलिखित में से कौन-सा स्वामित्व के आधार पर संसाधन का उदाहरण है ?
(A) घर
(B) नहरें
(C) सड़कें
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
9. सामुदायिक स्वामित्व वाला संसाधन नहीं है –
(A) श्मशान भूमि
(B) घर
(C) तालाब
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(B)
10. निम्नलिखित में से कौन-सा एक देश के राष्ट्रीय संसाधन का उदाहरण है ?
(A) खनिज पदार्थ
(B) जल संसाधन
(C) राजनीतिक सीमा के अन्तर्गत भू-भाग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
11. रियो – डी – जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन, कब हुआ?
(A) 1901 ई० में
(B) 1942 ई० में
(C) 1952 ई० में
(D) 1992 ई० में
उत्तर-(D)
12. वे संसाधन प्रौद्योगिकी के अभाव में मानव की पहुँच से बाहर हैं –
(A) संभावी
18. 1952 की राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार धरातल के कम-से-कम कितने प्रतिशत भाग पर वन होने चाहिएँ ?
30. अति पशुचारण किस राज्य में भूमि निम्नीकरण का कारण है?
(A) राजस्थान
(B) गुजरात
(C) मध्य प्रदेश
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
31. भारत में कितने प्रकार की मृदा पाई जाती है?
(A) 3
(B) 4
(C) 5
(D) 6
उत्तर-(D)
32. भारत का सम्पूर्ण उत्तरी मैदान बना है –
(A) शुष्क मृदा से
(B) काली मृदा से
(C) जलोढ़ मृदा से
(D) लेटराइट मृदा से
उत्तर-(C)
33. बहुत अधिक उपजाऊ मृदा है –
(A) काली
(B) लाल
(C) पीली
(D) जलोढ़
उत्तर-(D)
34. किस राज्य में पर्वतीय मृदा पाई जाती है?
(A) पंजाब
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) उत्तराखंड
(D) (B) और (C) दोनों
उत्तर-(D)
35. कपास उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त कौन-सी मिट्टी होती है ?
(A) काली
(B) लेटराइट
(C) मरुस्थलीय
(D) पहाड़ी
उत्तर-(A)
36. खादर और बांगर का संबंध किस मृदा से है?
(A) काली
(B) लाल
(C) जलोढ़
(D) पर्वतीय
उत्तर-(C)
37. उत्तरी मैदान का निर्माण किस मृदा से हुआ है ?
(A) काली
(B) लाल
(C) जलोढ़
(D) पर्वतीय
उत्तर-(C)
38. प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी शिखर सम्मेलन का आयोजन कहाँ किया गया?
(A) दिल्ली
(B) लंदन
(C) रियो डी जेनेरो
(D) कोलम्बो
उत्तर-(C)
39. किस राज्य में मरुस्थलीय मृदा पाई जाती है?
(A) पंजाब में
(B) महाराष्ट्र में
(C) राजस्थान में
(D) गुजरात में
उत्तर-(C)
40. कौन-सी मृदा काजू की फसल के लिए अधिक उपयोगी है?
(A) जलोढ़
(B) काली
(C) लेटराइट
(D) पर्वतीय
उत्तर-(C)
41. अवनालिका अपरदन के बाद जो भूमि जोतने योग्य नहीं होती उसे कहा जाता है –
(A) खराब भूमि
(B) उत्खात भूमि
(C) उत्तम भूमि
(D) ढालू भूमि
उत्तर- (B)
42. निम्नलिखित में से मृदा अपरदन को कम करने का साधन है-
(A) समोच्च जुताई
(B) घास की पट्टियाँ
(C) पशुचारण पर नियंत्रण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(D)
43. मिट्टी के कटाव एवं बहाव की प्रक्रिया को कहा जाता है –
(A) मृदा अपरदन
(B) चादर अपरदन
(C) नालीदार अपरदन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A)
44. मैदान अथवा ढालू क्षेत्र से हवा द्वारा मिट्टी को उड़ा ले जाना कहा जाता है –
(A) जल अपरदन
(B) नदी अपरदन
(C) मिट्टी अपरदन
45. रियो डि जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन कहाँ हुआ था?
(A) अमेरिका
(B) ब्राजील
(C) चीन
46. काली मिट्टी निम्नलिखित में से किस राज्य में पाई जाती है?
(A) बिहार
(B) गुजरात
(C) हरियाणा
(D) पंजाब
उत्तर- (B)
47. निम्नलिखित राज्यों में से किसमें भू-निम्नीकरण का मुख्य कारण अतिचारण है?
(A) झारखण्ड और ओडिशा
(B) मध्य प्रदेश और राजस्थान
(C) पंजाब और हरियाणा
(D) केरल और तमिलनाडु
उत्तर-(B)
48. संसाधनों को उनकी उत्पत्ति के आधार पर कैसे वर्गीकृत किया जा सकता है?
(A) जैव और अजैव
(B) नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य
(C) व्यक्तिगत और सामुदायिक
(D) संभावी और भंडार
उत्तर – (A)
49. इनमें से किन संसाधनों को समाप्यता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?
(A) जैव और अजैव
(B) नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य
(C) व्यक्तिगत और सामुदायिक
(D) संभावी और भंडार
उत्तर – (A)
50. इनमें से कौन-सा सुधार ‘पहली पंचवर्षीय योजना’ का हिस्सा नहीं था?
(A) जमींदारी प्रथा का अंत करना
(B) न्यूनतम समर्थन मूल्य
(C) भूमि जोत की समीक्षा
(D) किसानों को भूमि का स्वामित्व
उत्तर-(B)
51. इनमें से कौन-सी भू-आकृति भारत के कुल सतह क्षेत्र का 30% भाग है ?
(A) पर्वत
(B) पठार
(C) मैदान
(D) द्वीप
उत्तर – (A)
52. ‘हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के नहीं।’ ये शब्द किसने कहे?
(A) विनोबा भावे
(B) महात्मा गाँधी
(C) जवाहरलाल नेहरू
(D) अटल बिहारी वाजपेयी
उत्तर-(B)
53. ‘लेटराइट’ शब्द ग्रीक भाषा के शब्द लेटर से लिया गया है जिसका अर्थ है –
(A) पर्वत
(B) ईंट
(C) चट्टान
(D) पत्थर
उत्तर-(B)
54. इनमें से किस मृदा को ‘रेगर मृदा’ के नाम से जाना जाता है ?
(A) काली मृदा
(B) लाल मृदा
(C) लेटराइट मृदा
(D) शुष्क मृदा
उत्तर- (A)
III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. .…………… मृदा कपास की खेती के लिए सबसे उत्तम है ।
2. ‘लेटराइट’ शब्द ………….. भाषा के शब्द लेटर से लिया गया है ।
3. मिट्टी के कटाव एवं बहाव की प्रक्रिया को …………. कहा जाता है।
4. वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, …………… संसाधन कहलाते हैं ।
5. पवन ऊर्जा ……………… संसाधन का उदाहरण है।
6. जलोढ़ मृदाएँ बहुत …………….. होती हैं।
7. उत्तरी मैदान का निर्माण …………….. मृदा से हुआ है।
8. रियो डि जेनेरो पृथ्वी सम्मेलन …………….. में हुआ था ।
9. चाय व कॉफी के लिए ………….. मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
10. ………………. मृदाओं का रंग लाल और भूरा होता है।
उत्तर – 1. काली, 2. ग्रीक, 3. मृदा अपरदन, 4. अजैव, 5. नवीकृत, 6. उपजाऊ, 7. जलोढ़, 8. ब्राजील, 9. लेटराइट, 10. मरुस्थली ।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हाँ / नहीं में दीजिए
1. कोई भी भौतिक पदार्थ मनुष्य के लिए उपयोगी और मूल्यवान होता है ।
2. लौह अयस्क अनवीकरण योग्य संसाधन है।
3. कपास की खेती के लिए उत्तम नमी रखाव क्षमता वाली लाल मिट्टी होती है ।
4. कोयला एवं खनिज तेल अनवीकरणीय संसाधन हैं ।
5. भूमि संसाधन किसी राष्ट्र की अमूल्य संपत्ति होती है ।
6. सड़कें प्राकृतिक निर्मित संसाधन हैं ।
7. भूमि, खनिज, जल एवं वनस्पति प्राकृतिक संसाधनों के उदाहरण हैं
8. वनों की कटाई और अतिचारण मृदा की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाते हैं ।
9. भूमि का कृषि के लिए अनुपयुक्त होना भूमि का निम्नीकरण कहलाता है।
10. क्या खादर और बांगर का संबंध पर्वतीय मृदा से है ?
11. क्या भारत में राष्ट्रीय वन नीति 1952 में लागू की गई ?
12. क्या भारतं का संपूर्ण उत्तरी मैदान शुष्क मृदा से बना है ?
उत्तर- 1. हाँ, 2. हाँ, 3. नहीं, 4. हाँ, 5. हाँ, 6. नहीं, 7. हाँ, 8. नहीं, 9. हाँ, 10. नहीं, 11. हाँ, 12. नहीं।
Haryana Board 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास
संसाधन एवं विकास Notes HBSE 10th Class Geography
→ किसी भी देश या समाज की अर्थव्यवस्था की धूरी वहां के संसाधन होते हैं। संसाधनों के अभाव में किसी भी देश का आत्मनिर्भर हो पाना अत्यंत दुष्कर है।
→ मनुष्य न आज जो इतनी उन्नति की है वह निस्संदेह पर्यावरण के साथ अंतः क्रिया का ही परिणाम है। मानव निर्मित संसाधन यद्यपि मनुष्य की प्रगति के सूचक हैं तथापि इनकी आधारशिला प्राकृतिक संसाधन ही है।
→ दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और विकास दोनों ही मनुष्य पर निर्भर हैं। वस्तुतः आज मनुष्य ने अपनी बुद्धि अपने विवेक के बल पर प्राकृतिक संसाधनों को अपने स्वप्न के अनुरूप ढालकर ही आज उन्नति का यह शिखर खड़ा किया है।
→ संसाधन कई प्रकार के होते हैं। कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जो समय के साथ-साथ स्वयं ही बन जाते हैं। इनके भंडार का यदि समुचित योजना के साथ प्रयोग किया जाय तो समाप्त होने का भय नहीं रहता।
→ दूसरी ओर अनेक संसाधन ऐसे हैं जो एक निश्चित मात्रा में ही उपलब्ध हैं और जिनका भंडार एक न एक दिन समाप्त हो ही जाएगा। ऐसे संसाधनों के प्रयोग में और भी अधिक सावधानी बरतने की आवश्कता है।
संसाधन एवं विकास Class 10 Notes HBSE Geography
→ वस्तुतः मनुष्य का दायित्व है कि वह संसाधनों का विकास करे। संसाधन विकास का तात्पर्य संसाधनों के उपयोग के साथ ही उनका संरक्षण और पुन: उपयोग करने से है।
→ हमारी प्रत्येक पीढ़ी का यह दायित्व बनता है कि आगे वाली पीढ़ी तक संसाधनों को यथेष्ट मात्रा में सौंप सके। साथ ही वर्तमान समय की आवश्यकता ओं की अधिकाधिक पूर्ति कर सके। इन उद्देश्यों की पूर्ति मात्र तभी संभव है जब हम संसाधनों का उचित नियोजन करें।
→ संसाधन नियोजन तीन स्तरों पर संपन्न होता है-
- संसाधन अन्वेषण
- संसाधन सर्वेक्षण
- क्रियान्वयन।
→ प्रकृति प्रदत्त संसाधनों में से सर्वाधिक प्रमुख संसाधनों में से एक है भमि। भूमि हमारा निवासस्थल है, भूमि से ही हम अन्न ग्रहण करते हैं। भूमि से हमें अमूल्य खनिज मिलते हैं।
→ हमारा नितांत कर्त्तव्य है कि हम भूमि संसाधन का संरक्षण करें। परंतु आज हमारी लापरवाही से, अत्यधिक खनिज उत्खनन से, और कारखानों से उत्पन्न पर्यावरण प्रदुषण से भूमि का बहुत-सा भाग क्षरित हो चुका है।
→ वनों की अंधाधुंध कटाई जहाँ पर्यावरण को हानि पहुँचा रही है वहीं खनिज संपदा व संसाधनों में भी गिरावट का कारण बन रही है।
→ हमें इनमें से प्रत्येक तथ्य पर बल देते हुए ध्यान देकर अपने अमूल्य ससाधनों का संरक्षण और विकास करना चाहिए। साथ ही अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए।
→ भूमि के संरक्षण हेतु हमें वनों का संरक्षण करना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के लिए सीढ़ीदार खेत बनाकर मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।
→ वृक्षारोपण से ढ़ालों पर मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है। औद्योगिक अपशिष्टों का उचित प्रकार से अपसारित कर लेने पर भूक्षरण कम किया जा सकता है।
संसाधन और विकास Notes HBSE 10th Class Geography
भौगोलिक शब्दावली
→ परती भूमि- यह वह भूमि है जिस पर दो-तीन वर्षों में एक बार खेती हो पाती है।
→ शुद्ध बोया गया क्षेत्र-वह कृषि भूमि है जिस पर वर्ष में एक ही बार फसल उगाई जाय।
→ मृदा अपरदन-प्राकृतिक कारणों से मिट्टी का एक स्थान से दूसरे स्थान पर हटना!
→ अवनालिका अपरदन-सबसे विचित्र प्रकार का मृदा अपरदन।
→ संसाधन नियोजन-संसाधनों का उचित व उपयुक्त प्रयोग।
→ संसाधन संरक्षण-मनुष्य द्वारा संसाधनों का प्रबंधन।
→ व्यक्तिगत संसाधन-वे संसाधन जो निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं। व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं।
→ सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन-ऐसे संसाधन समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं।
→ संभावी संसाधन-वे संसाधन हैं जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परंतु इनका उपयोग नहीं किया गया है।
→ विकसित संसाधन-वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।
→ भंडार-पर्यावरण में उपलब्ध वे पदार्थ जो मानव की हर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं परंतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभाव में उसकी पहुँच से परे हैं, भंडार में शामिल हैं।
→ संचित कोष-यह संसाधन भंडार का ही हिस्सा है, जिन्हें उपलब्ध तकनीकी ज्ञाने की सहायता से प्रयोग में लाया जा सकता है, परंतु इनका उपयोग अभी आरंभ नहीं हुआ है। इनका उपयोग भविष्य में आवश्यकता पूर्ति हेतु किया जा सकता है।
→ सतत् पोषणी विकास-सतत् पोषणीय आर्थिक विकास से अर्थ यह है कि विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवलेहलना न करे।
→ संसाधन-हमारे पर्यावरण में उपलब्ध ऐसी प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से सम्भाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, एक संसाधन न है।
→ जैव संसाधन-वे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमण्डल से होती है और उनमें जीवन व्याप्त है जैव संसाधन कहलाते हैं।
→ अजैव संसाधन-वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से निर्मित हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।
संसाधन एवं विकास HBSE 10th Class Geography
→ नवीकरण योग्य संसाधन-वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुन: उत्पन्न किया जा सकता है, उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है।
→ अनवीकरण योग्य संसाधन-वे संसाधन जिनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-
→ उत्खात भूमि ( ठंक संदक)-ऐसी भूमि जो जोतने योग्य नहीं रहती उसे उत्खात भूमि कहते हैं।
→ चादर अपरदन ममज मतवेपवद) – जब जल विस्तृत क्षेत्र को ढके हुए ढाल के साथ नीचे की ओर बहता है। तब उस क्षेत्र की ऊपरी मिट्टी घुलकर जल के साथ बह जाती है। इसे चादर अपरदन कहते हैं।
→ पट्टी कृषि (जतपच तिउपदह)-बड़े खेतों को पट्टियों में बांटा जाता है। फसलों के बीच में घास की पट्टीयों उगाई जाती हैं। ये पवनों द्वारा जनित हैं।
कुछ तथ्य, कुछ सत्य
→ मानव निर्मित संसाधन : इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, मशीनें, भवन, स्मारक, चित्रकला, संगीत, प्रथा, परंपरा।
→ नवीनीकरण संसाधन : जल, सौर, ऊर्जा, वन, मृदा, पवन, ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा
→ अनवीनीकरण संसाधन : खनिज पदार्थ, प्राकृतिक गैस
→ मृदा अपरदन : प्राकृतिक कारकों द्वारा मिट्टी का एक स्थान से दूसरे स्थान से दूसरे स्थान पर हटना।
→ देश में कृषि योग्य बंजर भूमि का भाग : 4.41% (2002-03)
→ शुद्ध बोया गया क्षेत्र (2002-03) : 43.41%
→ अवनालिका अपरदन से प्रभावित भूमि : 40 लाख हैक्टेयर।
→ परती भूमि का प्रतिशत : 8%
→ कुल क्षेत्रफल पर बागों का प्रतिशत :1%
→ जल अपदित क्षेत्र : 56%
→ वन क्षेत्र : 22.57%
→ भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र : 32.8 लाख वर्ग किमी.
→ भू-उपयोग आंकड़े : 93%
→ राष्ट्रीय वन नीति द्वारा निर्धारित वन क्षेत्र : 33%
→ कृषि योग्य बंजर भूमि : 4.41%
→ वर्तमान परती : 7.03%
→ जल अपरदित क्षेत्र : 56%
→ वनों द्वारा निम्नीकृत क्षेत्र : 28%
→ लवणीय व क्षारीय क्षेत्र : 6%
→ वायु अपरदित क्षेत्र : 10%
→ मैदानी क्षेत्र : 43%
→ पर्वतीय क्षेत्र : 30%
→ पठार : 27%
→ वर्तमान परती (2002-03) : 7.03%