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Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

Haryana Board 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

HBSE 10th Class Social Science Solutions History Chapter 2 इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन

HBSE 10th Class History इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन Textbook Questions and Answers

इंडो चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन HBSE 10th Class History प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
(क) उपनिवेशकारों के ‘सभ्यता मिशन’ का क्या मतलब था।
(ख) हुइन फू सो।
उत्तर-फ्रांसीसी नीति निर्माता वियतनाम के लोगों को दो उपेश्यों से शिक्षित करना चाहते थे।
(1) वे रास्ते क्लर्क चाहते थे जो उन्हें समझ सकें और प्रशासन व्यवस्था में उनकी सहायता करें।
(2) उनका दूसरा उपेश्य शिक्षा द्वारा वहा! के लोगों को सभ्य बनाना था जो उनके विचार में सभ्य नहीं थे। वे यह सोचने लगे थे कि उन्होंने अन्य देशों को अपने लाभ के लिए विजय नहीं किया। वरन् अपने अधीन लोगों का सुधार करने के लिये किया है। इसी उपेश्य को उन्होंने ‘सभ्यता मिशन’ (Civilizing Mission) का नाम दिया। वास्तव में यह साम्राज्यवादी देशों की अपने स्वार्थों और आर्थिक शोषण को ढांपने की एक सोची-समझी योजना थी। ऐसा कहकर वे आसानी से शोषण की चक्की को भी चला सकते थे और ईसाई पादरियों को भी खुश कर सकते थे। जिनमें अन्य धर्म वालों को ईसाई बनाने की बड़ी लालसा थी।

इंडो-चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन प्रश्न उत्तर HBSE 10th Class History प्रश्न 2.
निम्नलिखित की व्याख्या करें
(क) वियतनाम के केवल एक तिहाई विद्यार्थी की स्कूली पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी कर पाते थे।
उत्तर-
वियतनाम के लोगों को शिक्षा देने के बारे में फ्रांसीसी अधिकारी असमंजस में थे। उनमें से कुछ फ्रांसीसी भाषा को लागू करना चाहते थे ताकि वियतनाम के लोग उनकी सभ्यता और संस्कृति के प्रशंसक बन जायें और उन्हें सस्ते क्लर्क भी मिल सकें। कुछ अन्य फ्रांसीसी लोग इस शिक्षा के विरुद्ध थे। उनका कहना था कि यदि वियतनाम के लोग पढ़-लिख जायेंगे तो वे राजनीतिक चेतना के उत्पन्न हो जाने के कारण स्वतन्त्रता की माँग करने लगेंगे। बहुत से फ्रांसीसी लोग जो वियतनाम में बस गए थे, वे भी वियतनाम के लोगों को फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दिये जाने के विरुद्ध थे क्योंकि उन्हें डर था कि ऐसे में अमयापकों, क्लर्को और सिपाहियों के रुप उनकी नौकरियाँ जाती रहेंगी।

ऐसे में यही सोचा गया कि वियतनामी विद्यार्थियों को शिक्षा तो दी जाए परन्तु उनमें से दो-तिहाई विद्यार्थियों को फेल कर दिया जाए ताकि न वे पास हो सकें और न ही वे नौकरियाँ माँग सकें।

(ख) फ्रांसीसियों ने मेकाँग डेल्टा क्षेत्र में नहरें बनवाना – और जमीन को सुखना आरम्भ किया।
उत्तर-
फ्रांसिसियों ने मेकाँग डेल्टा में नहरें बनवाई और दलदली जमीनों का सुखाना शुरु किया। इसके पीछे उनका मुख्य उदेश्य यह था कि नहरी पानी के इलाके में चावल उगाया जा सके और उसे विश्व के बाजारों में बेचकर जल्दी धनाढ्य बना जा सके। वास्तव में फ्रांसिसी कम्पनी एक व्यापारिक कम्पनी थी इसलिये उसका मुख्य उदेश्य वियतनाम के साधनों का प्रयोग करके अपने आर्थिक साधनों का अधिक से अधिक विस्तार करना था।

(ग) सरकार ने आदेश दिया कि साइगॉन नेटिव गर्ल्स स्कूल उस लड़की को वापस कक्षा में ले, जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था।
उत्तर-
एक घटना जो साइगॉण नेटिव गर्ल्स स्कूल (Saigon Native Girls School) में हुई उसने वियतनाम में काफी तैनाव का-सा वातावरण बना दिया। विवाद तब शुरु हुआ जब अगली सीट पर बैठी वियतनामी लड़की को उठाकर पिछली सीट पर बैठने के लिये कहा गया और उस सीट पर एक फ्रांसिसी छात्रा को बैठा दिया जाए। जब उस पर वियतनामी लड़की ने सीट छोड़ने से इंकार कर दिया तो स्कूल की प्रिंसिपल ने उस छात्रा को स्कूल से निकाल दिया।

जब वियतनामी विद्यार्थियों ने इसका विरोध किया तो उन्हें भी स्कूल से निकाल दिया गया । इस बात ने तूल पकड़ लिया
और लोगों ने खुले रूप में जुलूस निकालने शुरु कर दिये। जब हालात बेकाबू होने लगे तो सरकार ने आदेश दिया कि लड़की को आदेश दोबारा स्कूल में वापस-लिया जाए।

(घ) हनोई के आधुनिक, नवनिर्मित इलाकों में चूहे अधिक थे।
उत्तर-
आधुनिकता लाने के नशे में फ्रांसिसियों ने हेनोई के एक भाग को आधुनिकता नगर में बदल डाला। वहाँ बढ़-चढ़ कर वास्तुकला के नवीनतम विचारों और इंजीनियरिंग के ढंगो को प्रयोग में लाया गया। ज़मीन के अन्दर ल्लश की नई-नई नालियों का निर्माण किया गया ताकि गन्दा पानी बाहर निकल जाए। परन्तु हेनोई का नया नगर भी बच न सका। चुहे पुराने नगर को छोड़ कर नए नगर की ओर बड़ी तेजी से बढ़ते चले गए और ल्लश की नई नालियों में घुलकर उन्होंने नगर के फ्रांसिसी भाग में प्लेग को एक बड़े पैमाने में फैला दिया।

इस मुसीबत को दूर करने के लिए फ्रांसिसियों ने 1902 ई. में चूहे पकड़ने की एक मुहिम चलाई। चूहे पकड़ने या मारने वालों को ईनाम दिए जाने की घोषणा की गई। परिणामस्वरुप एक ही दिन (20मई 1902 को) कोई 20,000 चूहे पकड़े गए। परन्तु जब चूहे पकड़ने का काम खत्म ही नही हुआ और उसमें धोखा होने लगा तो फ्रांसिसी सरकार ने इस मुहिम को बन्द कर दिया परन्तु ऐसा करने से फ्रांसिसी लोगों और वियतनामी लोगों में एक टकराव की सी स्थिति पैदा कर दी। उधर जब हेनोई के पुराने नगर की प्लेग को दूर करने के लिये कोई मयान न दिया गया तो बात और अधिक बिगड़ गई। इस प्रकार एक घटना के बाद दूसरी घटना ने वियतनाम के लोगों को साम्राज्यवाद का विरोध करने के लिए तैयार कर दिया।

इंडो चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन प्रश्न उत्तर 10th Class HBSE History प्रश्न 3.
टोकिन फ्री स्कूल की स्थापना के पीछे कौन से विचार थे। वियतनाम में औपनिवेशिक विचारों के लिहाज़ से यह उदाहरण कितना सटीक है?
उत्तर-
वियतनाम में पश्चिमी ढंग की शिक्षा देने के लिए 1907 ई. में टोफिन फ्री स्कूल खोला गया। इसकी तीन मुख्य विशेषतायें निम्नलिखित थीं।

(1) अन्य सम्राज्यवादियों की भाँति फ्रांसीसी यह चाहते _थे कि उनके अधीन स्थानीय लोग उनकी संस्छति और सभ्यता
में रंग जायें। यही उपेश्य उन्होंने टोंकिन फ्री स्कूल जैसे अनेक शिक्षा संस्थानों को खोलकर पूरा करने की सोची।
(2) इस स्कूल में विज्ञान, फ्रांसीसी भाषा और पश्चिमी विचारों की शिक्षा पर जोर दिया गया।
(3) इसके अतिरिक्त आधुनिक बनने के लिए वियतनामी छात्रों को पश्चिमी शैलियो को अपनाने के लिए भी उकसाया जाता था।

Indo China Me Rashtrawadi Andolan HBSE 10th Class History प्रश्न 4.
वियतनाम के बारे में फान यू त्रिन्ह का उपेश्य क्या था? फान बोई चा। और उनके विचारों में क्या भिन्नता थी?
उत्तर-
फान चू त्रिन्ह (phan Chu Trinh) और फान बोई चा। (phan Boi Chau) दोनों ही वियतनाम के महान् राष्टीय नेता थे परन्तु दोनों के वियतनाम राष्ट्रवाद के बारें में विभिन्न विचार थे।
फान चू त्रिन्ह (1871-1926) राजशाही/राजतन्त्र के कमकर विरोधी थे। वे इस बात के समर्थक नहीं थे कि फ्रासिसियों को देश से प्रजातन्त्रीय नियमों पर आधारित एक गणतन्त्र स्थापित होना चाहिए।

इसके विपरीत फान बोई चा (1867-1940) ने राजकुमार कुआंग ने (Cuong De) के नेतृत्व में एक क्रान्तिकारी संस्था की नींव रखी। इस प्रकार वह राजतन्त्र के पक्ष में था जबकि फान चू त्रिन्ह एक गणतन्त्र के पक्ष में था। पर दोनों ही अपने देश को स्वतन्त्र देखना चाहते थे। फान बोई चा की पुस्तक ‘द हिस्ट आफ द लॉस आफ वियतनाम’ (The History of the Loss of Vietnam) ने वियतनाम में राष्ट्रवाद के उत्थान में काफी सहयोग दिया।

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