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Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया

प्रश्न 1. ‘क्रिया’ से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘क्रिया’ शब्द की उत्पत्ति ‘कृ’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है-कुछ करना या कुछ किया जाना। व्याकरण की दृष्टि से ‘क्रिया’ वह शब्द है जिससे किसी काम के करने या होने का ज्ञान होता है; जैसे हँसना, खेलना, लिखना, दौड़ना, सोना आदि।

किसी भी कार्य के दो रूप होते हैं कार्य या तो होता है या फिर किया जाता है; यथा ‘वृक्ष गिर गया।’ इस वाक्य में कार्य स्वयं हुआ है, किन्तु जब हम ऐसा कहते हैं कि ‘वृक्ष गिरा दिया गया है तो इसका अर्थ यह हुआ कि वृक्ष को गिराने का कार्य किसी के.द्वारा किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि, “कार्य के होने या किए जाने को क्रिया कहते हैं।”

धातु

प्रश्न 2. ‘धातु’ की परिभाषा एवं उसके भेदों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं, जैसे लिखना, पढ़ना, खेलना आदि क्रियाओं में लिख, पढ़, खेल आदि क्रिया के मूल रूप होने के कारण धातु हैं। धातु के पाँच भेद होते हैं
(1) सामान्य धातु-पढ़, लिख, सो, गा आदि।
(2) व्युत्पन्न धातु-मूल धातु में प्रत्यय लगाकर बनाई गई; जैसे करवाना, सुनवाना आदि।
(3) नाम धातु-बतियाना, हथियाना आदि।
(4) सम्मिश्रण धातु-दर्शन करना, प्यार करना आदि।
(5) अनुकरणात्मक धातु-खटखटाना, हिनहिनाना, झनझनाना आदि।

क्रिया के भेद

प्रश्न 3. क्रिया के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हिन्दी में क्रिया के मुख्य दो भेद होते हैं-
(1) अकर्मक क्रिया-अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता। अतः क्रिया का व्यापार और फल कर्ता में ही पाए जाते हैं; जैसे(क) मोहन पढ़ता है। (ख) सोहन सोया है। उपर्युक्त दोनों वाक्यों में पढ़ता है’ और ‘सोया है’ अकर्मक क्रियाएँ हैं।
(2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रियाएँ कहते हैं; यथा-
(क) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ख) सीता पत्र लिखती है।
इन दोनों वाक्यों में पढ़ने का प्रभाव पुस्तक पर और लिखने का प्रभाव पत्र पर पड़ता है, अतः ये दोनों सकर्मक क्रियाएँ हैं।

प्रश्न 4. अकर्मक एवं सकर्मक क्रिया की पहचान क्या है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
क्रिया एवं कर्ता वाक्य के अनिवार्य अंग हैं। इसलिए क्रिया शब्द से पूर्व क्या या किसको शब्द लगाकर प्रश्न पूछे। यदि इसका उत्तर मिल जाए तो वह उत्तर कर्म होगा और क्रिया सकर्मक होगी। यदि उत्तर न मिले तो क्रिया अकर्मक होगी; जैसे-
(1) सोहन पुस्तक पढ़ता है। इस प्रश्न से पहले क्या प्रश्न लगाएँ तो लिखा जाएगा, क्या पढ़ता है ?
उत्तर होगा-‘पुस्तक’। अतः ‘पढ़ता है’ सकर्मक क्रिया है।

इसी प्रकार ‘सोहन पढ़ रहा है। तो प्रश्न होगा क्या पढ़ रहा है। इसका कुछ उत्तर नहीं मिला तो क्रिया अकर्मक होगी।

प्रश्न 5. सकर्मक क्रिया के कितने उपभेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
सकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है-
(1) एककर्मक क्रिया
(2) द्विकर्मक क्रिया, तथा
(3) अपूर्ण सकर्मक क्रिया।

1. एककर्मक क्रिया: जिस क्रिया में एक ही कर्म हो, उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-राम पुस्तक पढ़ता है। यहाँ ‘पुस्तक’ एक ही कर्म है।

2. द्विकर्मक क्रिया:
जिस क्रिया में दो कर्म हों, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं; यथा-राम श्याम को पत्र भेजता है। इस वाक्य में श्याम और पत्र दोनों कर्म हैं। अतः ‘भेजता है’ द्विकर्मक क्रिया है। द्विकर्मक क्रिया में जिस कर्म के साथ ‘को’ परसर्ग लगा होता है वह गौण कर्म होता है, लेकिन जिसके साथ ‘को’ परसर्ग नहीं होता वह मुख्य कर्म होता है। उपर्युक्त वाक्य में ‘श्याम’ गौण कर्म है और ‘पत्र’ मुख्य कर्म है।

3. अपूर्ण सकर्मक:
क्रिया ये वे क्रियाएँ हैं जिनमें कर्म रहते हुए भी कर्म को किसी पूरक शब्द की आवश्यकता होती है, वरना अर्थ अपूर्ण रहता है; जैसे-
(क) सोहन मोहन को समझता है।
सोहन मोहन को मूर्ख समझता है।

(ख) वह तुम्हें मानता है।
वह तुम्हें मित्र मानता है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों में ‘मूर्ख’ एवं ‘मित्र’ पूरक शब्द हैं।

क्रिया के कुछ अन्य भेद

1. संयुक्त क्रिया

प्रश्न 1. संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
संयुक्त क्रिया-दो या दो से अधिक धातुओं के योग से मिलकर बनी क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं। इन धातुओं में मूल धातु को प्रधान क्रिया कहते हैं तथा दूसरी धातुओं को सहायक धातु या क्रिया कहते हैं। यह मूल क्रिया के अर्थ का विस्तार करती है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं-
(i) मोहन तुरंत बोल उठा। (‘बोल’ मूल धातु, उठा सहायक क्रिया)
(ii) बादल गर्जने लगा है। (‘गर्ज’ मूल धातु, लगना सहायक क्रिया)
(iii) मैं उसे समझा दूंगा। (‘समझा’ मूल धातु, देना सहायक क्रिया)
(iv) पानी बरस चुका था। (‘बरस’ मूल धातु, चुकना सहायक क्रिया)
(v) अब तो मैं हस्ताक्षर कर बैठा हूँ। (‘कर’ मूल धातु, बैठना सहायक क्रिया)
(vi) कृष्ण को जाने दो। (‘जा’ मूल धातु, देना सहायक क्रिया)
(vii) वे सैर करने जाया करते हैं। (‘जा’ मूल धातु, करना सहायक क्रिया)
(viii) क्या वे गाना चाहते हैं? । (‘गा’ मूल धातु, चाहना सहायक क्रिया)

2. अपूर्ण क्रिया

प्रश्न 1. अपूर्ण क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब क्रिया को सार्थक या पूर्ण बनाने के लिए उससे पहले कोई संज्ञा या सर्वनाम या विशेषण शब्द लगाया जाता है, तो उस क्रिया को अपूर्ण क्रिया कहते हैं; जैसे
(1) विद्यार्थी योग्य है।
(2) उसने राकेश को नेता चुना।
(3) यह बालिका तो बहुत चालाक है।
(4) क्षमा करना, मैंने आपको पराया समझा।
इन वाक्यों में रेखांकित शब्द-योग्य, नेता, चालाक, पराया आदि न हों तो ये क्रियाएँ अपूर्ण ही रह जाती हैं। इन्हें पूरा करने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है। इन क्रियाओं को पूरा करने वाले शब्दों को पूरक कहते हैं।

3. नामधातु क्रिया

प्रश्न 1. किन क्रियाओं को नामधातु क्रियाएँ कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों से मूल धातुओं को जोड़कर जो क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें नामधातु क्रियाएँ कहते हैं। नामधातु क्रियाओं के अग्रलिखित उदाहरण देखिए
(क) संज्ञा शब्दों से-

संज्ञा धातु क्रिया
शर्म शर्मा शर्माना
बात बतिया बतियाना
लात लतिया लतियाना
झूठ झुठला झुठलाना

(ख) सर्वनाम से-

सर्वनाम धातु क्रिया
अपना अपना अपनाना
मैं मिमिया मिमियाना

(ग) विशेषण से-

विशेषण धातु क्रिया
मोटा गर्मा गर्माना
गर्म मोटा मोटापा

4. पूर्वकालिक क्रिया

प्रश्न 1. पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब मूल क्रिया से पहले ऐसी क्रिया आ जाए जिससे काम के पहले हो चुकने का बोध हो, तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया के मूल धातु के साथ ‘कर’ या ‘करके’ शब्द आते हैं आदि; जैसे-
(1) वह तो लिखकर आया है।
(2) मैं उससे भोजन करके बात करूँगा।
(3) वह देख-देखकर लिखती है।
(4) मोहन ने स्कूल पहुँचकर अध्यापक को प्रणाम किया।
(5) कृष्ण दौड़कर स्टेशन पहुंचा।

5. प्रेरणार्थक क्रिया

प्रश्न 1. प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस क्रिया से किसी अन्य से काम करवाने का बोध हो, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं; जैसेलिखना से लिखवाना-मोहन ने राम से पत्र लिखवाया। भेजना से भिजवाना-मैंने विद्यार्थी द्वारा संदेश भिजवाया था। खोलना से खुलवाना-मालिक ने नौकर से दुकान खुलवाई। धोना से धुलवाना-शीला धोबी से कपड़े धुलवाती है।

6. समापिका अथवा प्रधान क्रिया

प्रश्न 1. समापिका अथवा प्रधान क्रिया की सोदाहरण परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जो क्रिया वाक्य के अन्त में लगे उसे समापिका या प्रधान क्रिया कहते हैं; जैसे-
(1) नीता खाना खा रही है।
(2) चिड़िया आकाश में उड़ती है।
(3) घोड़ा सड़क पर दौड़ता है।
(4) मैंने उसे जाते हुए देखा था।

वृत्ति या क्रियार्थ (Mood)

प्रश्न 1. वृत्ति या क्रियार्थ से क्या अभिप्राय है? उदाहरण देते हुए समझाइए। उसके भेदों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि क्रिया किस प्रयोजन के लिए की गई है, उसे वृत्ति या क्रियार्थ (Mood) कहते हैं। हिन्दी भाषा में मुख्य रूप से पाँच वृत्तियाँ हैं
1. निश्चयार्थ वृत्ति:
सूचना-प्रधान क्रिया को निश्चयार्थ वृत्ति कहते हैं; जैसे–
(क) खिलाड़ी नहीं खेल रहे हैं।
(ख) तुम अभी बाजार जाओ।

2. विध्यर्थ वृत्ति:
इच्छा-प्रधान क्रिया को विध्यर्थ वृत्ति कहते हैं; जैसे-
(क) कृपया मेरी मदद कीजिए।
(ख) भगवान आपका भला करे।
(ग) तेरा सर्वनाश हो।

3. सम्भावनार्थ:
क्रिया के जिस रूप से सम्भावना या अनुमान का बोध हो, उसे सम्भावनार्थ क्रिया कहते हैं; जैसे
(क) शायद आज वर्षा हो। (अनुमान)
(ख) सम्भव है आज प्राचार्य जी आएँ। (सम्भावना)

4. सन्देहार्थ:
जिस क्रिया से कार्य होने का लगभग पूरा निश्चय होता है, किन्तु थोड़ा-सा सन्देह भी रहता है, उसे सन्देहार्थ क्रिया कहते हैं; जैसे
(क) कृष्ण उपवन में आ गया होगा।
(ख) परीक्षा समाप्त हो गई होगी।

5. संकेतार्थ:
जिस वाक्य क्रिया में दो क्रियाएँ होती हैं और दोनों में कार्य-करण का सम्बन्ध हो, उन्हें संकेतार्थ क्रियाएं कहते हैं; जैसे
(क) पानी बरसता तो फसल अवश्य होती।
(ख) मेहनत करता तो सफल अवश्य हो जाता।

क्रिया के विकारी तत्त्व

प्रश्न 1. क्रिया के प्रमुख विकारी तत्त्व कौन-कौन से हैं? अथवा क्रिया-परिवर्तन से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
क्रिया में भी विकार उत्पन्न होता है। इसलिए इसकी गिनती हिन्दी के विकारी शब्दों में की जाती है। क्रिया के विकार के प्रमुख कारण या तत्त्व लिंग, वचन, पुरुष, काल और वाच्य हैं। इन सबके कारण ही क्रिया के रूप में परिवर्तन होता है। क्रिया परिवर्तन के कुछ उदाहरण देखिए
1. वचन के आधार पर
(क) मैं पढ़ता हूँ। – हम पढ़ते हैं।
(ख) मैंने पुस्तक पढ़ी। – हमने पुस्तक पढ़ी।
(ग) वह पुस्तक पढ़ता है। – वे पुस्तक पढ़ते हैं।

2. लिंग के आधार पर-
(क) मैं पुस्तक पढ़ता हूँ। – मैं पुस्तक पढ़ती हूँ।
(ख) लड़का पुस्तक पढ़ता है। – लड़की पुस्तक पढ़ती है।
(ग) छात्र गीत गाता है। – छात्रा गीत गाती है।

3. वाच्य के अनुसार
(क) मैंने पुस्तक पढ़ी। – मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी गई।
(ख) रमेश ने पत्र लिखा। – रमेश द्वारा पत्र लिखा गया।
(ग) उसने गीत गाया। – उसके द्वारा गीता गाया गया।

अभ्यासार्थ लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. क्रिया की परिभाषा दीजिए। अकर्मक और सकर्मक क्रियाओं के दो-दो उदाहरण देते हुए इनका अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी काम के करने या होने का ज्ञान हो, उन्हें क्रिया कहते हैं; जैसे-
(क) राम पुस्तक पढ़ता है।
(ख) विद्यार्थी खेल रहे हैं।
इन वाक्यों में ‘पढ़ता’ और ‘खेल’ दोनों क्रिया पद हैं।

अकर्मक क्रिया:
जिन क्रियाओं में कर्म नहीं होता वे अकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-
(क) सुधीर रो रहा है।
(ख) सीता हँसती है।
इन दोनों वाक्यों से क्रियाओं का फल कर्म पर नहीं, बल्कि कर्ता पर पड़ रहा है।

सकर्मक क्रिया:
इन क्रियाओं में क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है; जैसे
(क) अनुराग ने पत्र लिखा।
(ख) शोभा ने खाना खाया।

प्रश्न 2. स्थित्यर्थक/अवस्थाबोधक अकर्मक धातुओं का दो-दो वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. मोहन इस समय रो रहा है। (रोने की अवस्था)
2. रीटा इस समय सो रही है। (सोने की अवस्था)

प्रश्न 3. निम्नलिखित धातुओं से क्रिया शब्द निर्मित कीजिएपढ़, लिख, शर्म, गर्म, दोहरा, टक्कर, अपना, लाज।
उत्तर:
पढ़ – पढ़ना
दोहरा – दोहराना
लिख – लिखना
टक्कर – टकराना
शर्म – शर्माना
अपना – अपनापन
गर्म – गर्माना
लाज – लजाना

प्रश्न 4. क्रिया अर्थ कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
क्रिया अर्थ या वृत्ति पाँच प्रकार का होता है
1. विध्यर्थ – राजेश! घर जल्दी जाओ।
2. निश्चयार्थ – शोभा पत्र पढ़ रही है।
3. सम्भावनार्थ – आज शायद वर्षा हो।
4. सदेहार्थ – इस समय तक कृष्ण कुमार आ चुका होगा।
5. संकेतार्थ – यदि वर्षा हो जाती तो फसल उग जाती।

प्रश्न 5. संरचना की दृष्टि से निम्नलिखित क्रियाओं को वर्गीकृत कीजिएलजाना, मुटाना, हँसाना, चलवाना, लड़ाना, जागना, लिटाना, सुनना, कटाना, रखवाना।
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से क्रिया चार प्रकार की होती हैं-
1. प्रेरणार्थक क्रिया-हँसाना, चलवाना, लड़ाना, लिटाना, कटाना, रखवाना।
2. संयुक्त क्रिया-कोई नहीं है।
3. नाम धातु क्रिया-लजाना, मुटाना।
4. कृदन्त क्रिया-सुनना, जागना।।

प्रश्न 6. धातु एवं नामधातु में क्या अन्तर है? एक-एक उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं; जैसे पढ़, लिख, हँस, गा आदि। परन्तु जो क्रिया संज्ञा, सर्वनाम में प्रत्यय लगाकर बनाई जाती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं; जैसे हाथ से हथियाना (संज्ञा से), अपना से अपनाना (सर्वनाम से), गर्म से गर्माना (विशेषण से)।

प्रश्न 7. समापिका और असमापिका क्रिया में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समापिका उस क्रिया को कहते हैं जो वाक्य के अन्त में आती है; जैसे मोहन पुस्तक पढ़ता है। ‘पढ़ता है’ वाक्य के अन्त में प्रयुक्त हुई है, इसलिए यह समापिका क्रिया है जबकि असमापिका क्रिया वाक्य की समाप्ति पर नहीं, अपितु अन्यत्र प्रयुक्त होती है; जैसे मोहन ने खाना खाकर हाथ धोए।

प्रश्न 8. संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेदों के नाम और उनके दो-दो उदाहरण भी लिखो।
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से क्रिया तीन प्रकार की होती है

1. प्रेरणार्थक क्रिया:
(1) मोहन ने मुझसे पत्र लिखवाया।
(2) अध्यापक ने मुझसे पाठ पढ़वाया।

2. संयुक्त क्रिया:
(1) राम रूठकर चला गया।
(2) मोहन पत्र पढ़ सकता है।

3. नामधातु क्रियाएँ:
(1) कृपाल बतिया रहा था।
(2) हमने इस नाटक को नहीं फिल्माया।

प्रश्न 9. रंजक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो क्रिया मुख्य क्रियाओं में जुड़कर अपना अर्थ खोकर मुख्य क्रिया में नवीनता और विशेषता उत्पन्न कर देती है। संयुक्त क्रिया में पहली क्रिया को मुख्य तथा बाद में जुड़ने वाली क्रिया को रंजक क्रिया कहते हैं; जैसे
(1) किसान ने साँप को मार डाला।
(2) मोहन गीत गा सका।
(3) वह उठकर खड़ा हो गया आदि।

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