Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि
Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि
HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 12 ध्वनि
HBSE 9th Class Science ध्वनि Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:
ध्वनि-ऊर्जा का वह रूप जिससे हमें सुनाई दे, ध्वनि कहलाती है। ध्वनि के पैदा होने के लिए किसी वस्तु में कंपन का पैदा होना जरूरी है। उदाहरण के तौर पर जब हम बोलते हैं तो हमारे गले में स्वर-तंत्र कांपते हैं। जब सितार या सारंगी बजती है तो उसकी तारें कांपती हैं। जब घंटी बजती है तो उसमें भी कंपन पैदा होता है। घंटी में कंपन को हाथ लगाकर महसूस किया जा सकता है। इस प्रकार ध्वनि कंपन पैदा होने से पैदा होती है।
प्रश्न 2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:

ध्वनि स्रोत अपने सामने की वायु को धक्का देकर संपीडित करती है और इस प्रकार उच्च दाब का क्षेत्र संपीडन बनता है। यह संपीडन वस्तु से दूर आगे की ओर गति करता है, जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो निम्न दाब का क्षेत्र विरलन बनता है। अतः वस्तु के कंपन से वायु में लगातार संपीडन और विरलन होते हैं। इन्हीं संपीडन और विरलन से तरंग बनती हैं।
प्रश्न 3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है। इसके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। इसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा सिद्ध किया जा सकता है प्रयोग-चित्र में दिखाए अनुसार एक विद्युत घंटी को एक बेलजार में कार्क के द्वारा लटकाओ। बेलजार को एक निर्वात पंप से जोड़ो। विद्युत घंटी का स्विच ऑन करो। घंटी की आवाज सुनाई देती है। अब निर्वात पंप से बेलजार की वायु धीरे-धीरे निकालो। हमें घंटी की आवाज धीरे-धीरे ही कम होती अनुभव होती है। बेलजार में पूर्ण निर्वात होने पर घंटी की आवाज सुनाई देनी बंद हो जाती है। अतः प्रयोग से सिद्ध होता है कि निर्वात में ध्वनि संचरण नहीं होता। ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। बेलजार में वायु माध्यम था। इसीलिए विद्युत घंटी की ध्वनि सुनाई दे रही थी।

प्रश्न 4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?
उत्तर:
ध्वनि की तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समांतर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते। वे केवल अपनी विराम अवस्था के आगे-पीछे दोलन करते हैं। इसीलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य होती हैं।
प्रश्न 5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर:
ध्वनि का तारत्व। किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को हमारा मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं। तारत्व ही ध्वनि को पहचानने में हमारी मदद करता है।
प्रश्न 6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है, ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
सामान्य ताप पर ध्वनि की चाल 344 मीटर प्रति सेकंड और प्रकाश का वेग 3 लाख कि०मी० प्रति सेकंड है। तड़ित और गर्जन दोनों एक ही समय में उत्पन्न होते हैं, परंतु दोनों की चाल में अंतर के कारण, चमक पहले और गर्जन बाद में सुनाई देती है।
प्रश्न 7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 m/s लीजिए।
हल:
वायु में ध्वनि का वेग (υ) = 344 m/s
मनुष्य की पहली आवृत्ति, (v1) = 20 Hz
मनुष्य की दूसरी आवृत्ति, (v2) = 20 kHz = 20,000 Hz
पहली तरंगदैर्ध्य (λ1) = υ/υ1 = 344/20
= 17.2 m उत्तर
दूसरी तरंगदैर्ध्य (λ2) = υν/υ2 = 344/20,000m उत्तर
प्रश्न 8. दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
माना पाइप की लंबाई = 1 मी०
सामान्य ताप पर ध्वनि की वायु में चाल (υ1) = 346 m/s
वायु में लिया गया समय =
= 1m/346m s = 1/346s ………………(i)
सामान्य ताप पर ध्वनि की ऐलुमिनियम में चाल (υ2) = 6420 m/s
ऐलुमिनियम में लिया गया समय =
= 1m/6420m S = 1/6420s ……………….(ii)
दोनों समयों में अनुपात = 1/346 : 1/6420 = 18.55 : 1 उत्तर
प्रश्न 9. किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?
हल:
ध्वनि की आवृत्ति (v) = 100 Hz
1 सेकंड में तय कंपनों की संख्या = 100
60 सेकंड में तय कंपनों की संख्या = 100 x 60 = 6000 उत्तर
प्रश्न 10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं। इन नियमों को बताइए।
उत्तर:
हाँ, ध्वनि परावर्तन के नियमों का प्रकाश की तरह ही पालन करती है। ध्वनि ठोस या द्रव की सतह से परावर्तित होती है। नियम –
(1) परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब और ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तित होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं।
(2) आपतित ध्वनि, अभिलंब और परावर्तित ध्वनि की दिशा एक ही तल में होती है। ध्वनि परावर्तन के लिए पालिश किए हुए या खुरदरे बड़े आकार के अवरोधकों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी-
- जिस दिन तापमान अधिक हो,
- जिस दिन तापमान कम हो?
उत्तर:
जिस दिन तापमान अधिक हो।
प्रश्न 12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग निम्नलिखित हैं
- रात्रि के समय चमगादड़ ध्वनि परावर्तन के द्वारा ही अपने गमन पथ का एहसास करते हैं।
- पराध्वनि का उपयोग गुर्दे की छोटी पत्थरी को बारीक कणों में तोड़ने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 13. 500 मीटर ऊंची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी? (g = 10 ms-2 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)।
हल:
यहाँ पर u= 0, s = 500 m, g= 10 m/s2
परन्तु s =ut + 1/2 gt2 = 0 + 1/2 x 10 x t2 = 5t2
= 500 या 1 = 10s
पानी के तल से मीनार की चोटी की दूरी = 500 m
ध्वनि की चाल = 340 m/s
समय =
= 500/340 = 1.47s
= 1.47s
ध्वनि को ऊपर आने में लगा कुल समय = 10 + 1.47 = 11.47s उत्तर
प्रश्न 14. एक ध्वनि तरंग 339 m/s की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्ध्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?
हल:
यहाँ पर
ध्वनि तरंग की चाल = 339 m/s
तरंगदैर्ध्य = 1.5 cm = 15/10 = 15/1000 m
आवृत्ति =
= 339/15 x 1000 = 22600 Hz
यह ध्वनि अवश्रव्य है क्योंकि मनुष्य 20,000 Hz से ऊपर की ध्वनि को नहीं सुन सकता। उत्तर
प्रश्न 15. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर:
अनुरणन-बारंबार परावर्तन, जिसके कारण ध्वनि निर्बंध होता है, अनुरणन कहलाता है। कम करने के उपाय-सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों; जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर, पर्दे, गत्ता, घास-फूस की दीवारों का उपयोग कर अनुरणन कम किया जा सकता है। सीटों के पदार्थों का उचित चुनाव भी ध्वनि अवशोषण का कार्य करता है।
प्रश्न 16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
ध्वनि की उत्तेजना के दर्जे को ध्वनि की प्रबलता कहते हैं। यह उत्तेजना का दर्जा स्रोत के तेज या हल्के कंपनों पर निर्भर करता है। जब कंपन अधिक तेज होते हैं, तब ध्वनि प्रबलता अधिक तथा जब कंपन हल्के होते हैं तो ध्वनि प्रबलता भी कम होती है। ध्वनि की प्रबलता अथवा मृदुता मूलतः उसके आयाम से ज्ञात की जाती है। अधिक ऊर्जा वाली ध्वनि में प्रबलता भी अधिक होती है।
प्रश्न 17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चमगादड़, उच्च आवृत्ति के स्पंदों (अल्प समय के ध्वनि संकेत) को उत्सर्जित करते हैं। वे अपने रास्ते में आने वाले अवरोधों या कीटों से उत्पन्न प्रतिध्वनि को सुनते हैं। प्रतिध्वनि को पहुंचने में लगने वाले समय से वे परावर्तक स्रोत की दूरी का अनुमान लगा लेते हैं। इस प्रकार चमगादड़ अपना भोजन खोजने में ध्वनि का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 18. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर:
वस्तुओं को साफ करने के लिए उन्हें मार्जन विलयन में रखकर विलयन में पराध्वनि तरंगों को प्रेषित किया जाता है। तरंगों की उच्च आवृत्ति के कारण, धूल, चिकनाई तथा गंदगी के कण अलग होकर नाचे गिर जाते हैं और वस्तु साफ हो जाती है। इस विधि द्वारा ऐसी वस्तुओं को भी साफ किया जाता है, जिन्हें उनके विषम आकार के कारण साफ करना आसान न हो।
प्रश्न 19. सोनार की कार्य-विधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कार्य-विधि-SONAR-Sound Navigation And Ranging ऐसी युक्ति है, जिसमें ध्वनि तरंगें उत्पन्न कर तथा परावर्तित कर ध्वनि तरंगों का लघु समयांतर कर मापा जाता है। इस तकनीक में पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित व संसूचक होता है। इसे जहाज या नाव की तली पर लगाया जाता है। प्रेषित द्वारा ध्वनि तरंगें उत्पन्न व प्रेषित की जाती हैं और जल में गमन करती हुई पिंड से टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। ध्वनि तरंगों के प्रेषण और अभिग्रहण में लगे समय की गणना कर, ज्ञात ध्वानि चाल के द्वारा पिंड की स्थिति का अनुमान लगा लिया जाता है।

उपयोग-इसके उपयोग निम्नलिखित हैं-
- समुद्र की गहराई व तेल कुएँ की गहराई ज्ञात करने में।
- मछलियों के झुंडों की दूरी ज्ञात करने में।
- शत्रु की पनडुब्बी या टारपीडों का पता लगाने के लिए।
- उद्योगों में विशाल गार्डरों, ब्लॉकों तथा शीटों में संभावित दरारों या दोषों का पता लगाने में।
इनमें सोनार-युक्ति का उपयोग किया जाता है। डूबे हुए जहाज का भी इसके द्वारा पता लगाया जा सकता है।
प्रश्न 20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार-युक्ति संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 s हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल:
पनडुब्बी से वस्तु की दूरी (d) = 3625 m
प्रतिध्वनि दुगुना रास्ता तय करती है
2d = 2 x 3625 = 7250 m
समय (t) = 5 s
जल में ध्वनि की चाल = 2d/t =
= 7250/5 =1450 m/s
अतः जल में ध्वनि की चाल = 1450 m/s उत्तर
प्रश्न 21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों (पिंडों) में दरारों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखलाई नहीं देते, भवन या पुल की संरचना की मजबूती को कम कर देते दूरी हैं। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता

है। दोष होने पर पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं। इस कार्य के लिए इन ध्वनि तरंगों का सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता, जिनकी तरंगदैर्ध्य अधिक हो क्योंकि ये तरंगें दोषयुक्त स्थान के कोनों से मुड़कर संसूचक तक पहुँच जाती हैं और दोष का पता लगाने के स्थान पर भ्रम की स्थिति बन जाती है।
प्रश्न 22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का बाह्य कान परिवेश से ध्वनि तरंगों को एकत्रित कर मध्य कान के पर्दे पर पहुँचा देता है, जिसके कारण पर्दे के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है। अंदर की ओर दाब कम होता है। इस दाब के अंतर के कारण कान का पर्दा कंपन करने लगता है। मध्य कान में तीन अस्थियाँ-मुग्दरक, निहाई, वलयक इन कंपनों को कई गुणा बढ़ाकर आंतरिक कान में संचरित कर देती हैं। आंतरिक कान में कर्णावत द्वारा इन कंपनों को विद्युत संकेतों में बदल कर श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क में भेज दिया जाता है, जिसे मस्तिष्क ध्वनि संदेश में पहचान लेता है।

HBSE 9th Class Science ध्वनि Intext Questions and Answers
(पृष्ठ संख्या-182)
प्रश्न 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर:
माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ माध्यम के द्वारा हमारे कानों तक पहुँचता है।
(पृष्ठ संख्या-182)
प्रश्न 1. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर:
विद्यालय की घंटी कंपन के द्वारा ध्वनि उत्पन्न करती है क्योंकि जब घंटी को हथौड़े से पीटा जाता है तो घंटी में कंपन उत्पन्न होता है।
प्रश्न 2. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ध्वनि की तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं, जिनके द्वारा यांत्रिक कार्य करना संभव है। इसीलिए ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें कहते हैं।
प्रश्न 3. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। चंद्रमा पर माध्यम उपलब्ध नहीं है, इसीलिए चंद्रमा पर ध्वनि का संचरण न होने के कारण, ध्वनि सुनाई नहीं देती।
(पृष्ठ संख्या-186)
प्रश्न 1. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है
(a) प्रबलता,
(b) तारत्व।
उत्तर:
(b) तारत्व।
प्रश्न 2. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है?
(a) गिटार,
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
(b) कार के हॉर्न का।
(पृष्ठ संख्या -186)
प्रश्न 1. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
- तरंगदैर्ध्य दो क्रमागत संपीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है। इसे ग्रीक अक्षर 2 (लैम्डा) से निरूपित किया जाता है।
- आवृत्ति प्रति सेकंड दोलनों की संख्या आवृत्ति कहलाती है।
- आवर्तकाल-एक दोलन में लिया गया समय आवर्तकाल कहलाता है।
- आयाम-लोलक में मध्य बिंदु (स्थिति) के किसी भी ओर अधिकतम दूरी आयाम कहलाती है।
प्रश्न 2. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर:
υ = λ v या
वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
प्रश्न 3. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
हल:
तरंग की आवृत्ति, (v) = 220 Hz
तरंग का वेग (υ) = 440 m/s
जबकि υ = λ x v
440 m/s = λ x 220 Hz
λ = 440/220 = 2m
λ = 2m उत्तर
(पृष्ठ संख्या-187)
प्रश्न 1. ध्वनि की प्रबलता और तीव्रता में अंतर बताइए।
उत्तर:
ध्वनि की प्रबलता-ध्वनि की उत्तेजना के दर्जे को ध्वनि की प्रबलता कहते हैं। यह हल्के और तेज कंपनों पर निर्भर करती है। ध्वनि की तीव्रता-किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
(पृष्ठ संख्या-188)
प्रश्न 1. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?
उत्तर:
लोहे में ध्वनि सबसे तेज चलती है। 25°C पर वायु में ध्वनि की चाल 346 m/s, जल में 1531 m/s और लोहे में 5950 m/s है।
(पृष्ठ संख्या-189)
प्रश्न 1. कोई प्रतिध्वनि 3s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
हल:
यहाँ पर
ध्वनि का वेग (v) = 342 m/s
प्रतिध्वनि सुनने में लगा समय (t) = 3s
ध्वनि द्वारा तय दूरी = वेग x समय
= 342 x 3 m = 1026 m
अतः ध्वनि स्रोत व परावर्तक तल के बीच दूरी = 1026/2 m = 513 m उत्तर
(पृष्ठ संख्या-190)
प्रश्न 1. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर:
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए होती हैं ताकि ध्वनि परावर्तन के बाद हॉल के सभी भागों में पहुँच सके।
(पृष्ठ संख्या-191)
प्रश्न 1. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर:
20 Hz से 20,000 Hz.
प्रश्न 2. निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
- अवश्रव्य ध्वनि,
- पराश्रव्य ध्वनि।
उत्तर:
- अवश्रव्य ध्वनि का परास = 20 Hz से कम।
- पराश्रव्य ध्वनि का परास = 20 kHz से अधिक।
(पृष्ठ संख्या-193)
प्रश्न 1. एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ पर
प्रेषण तथा संसूचन में लगा समय (t) = 1.02 s
खारे पानी में ध्वनि की चाल (v) = 1531m/s
पराध्वनि द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2x पनडुब्बी से चट्टान की दूरी
= 2d
जहाँ d = पनडुब्बी से चट्टान की दूरी
कुल दूरी (20) = चाल x समय = 1531m/s x 1.02 = 1561.62 m
d = 1561.62/2 = 780.81 m
d = 780.81 m उत्तर
Haryana Board 9th Class Science Important Questions Chapter 12 ध्वनि
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है?
उत्तर:
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है, जो कंपन द्वारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2.
ध्वनि उत्पन्न कर रही वस्तु किस अवस्था में होती है?
उत्तर:
कंपन अवस्था में।
प्रश्न 3.
वायु में ध्वनि संचरण कैसे होता है?
उत्तर:
वायु में ध्वनि संचरण संपीडन व विरलन के रूप में होता है।
प्रश्न 4.
ध्वनि की गति ठोस, द्रव और गैसों में से किसमें अधिक होती है?
उत्तर:
ठोसों में।
प्रश्न 5.
वायु में 0°C पर ध्वनि का वेग कितना होता है?
उत्तर:
331 मीटर प्रति सेकंड।
प्रश्न 6.
वायु में 22°C पर ध्वनि का वेग कितना होता है?
उत्तर:
344 मीटर प्रति सेकंड।
प्रश्न 7.
आसुत जल में 25°C पर ध्वनि का वेग कितना होता है?
उत्तर:
1498 मीटर प्रति सेकंड।
प्रश्न 8.
ध्वनि का वेग 20°C पर 5100 मीटर प्रति सेकंड किसमें होता है-
(1) स्टील
(2) ऐलुमिनियम
(3) ऐल्कोहॉल
(4) पारा।
उत्तर:
(2) ऐलुमिनियम।
प्रश्न 9.
प्रकाश का वेग कितना है?
उत्तर:
3 x 108 मीटर प्रति सेकंड।
प्रश्न 10.
ऊर्जा के दो रूप के नाम बताओ।
उत्तर:
- ऊष्मा ऊर्जा
- प्रकाश ऊर्जा।
प्रश्न 11.
माध्यम किसे कहते हैं?
उत्तर:
द्रव्य या पदार्थ में जिससे होकर ध्वनि संचरित होती है माध्यम कहलाता है।
प्रश्न 12.
ध्वनि संचरण में माध्यम के कण आगे बढ़ते हैं या विक्षोभ आगे बढ़ता है?
उत्तर:
विक्षोभ आगे बढ़ता है।
प्रश्न 13.
ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें क्यों कहलाती हैं?
उत्तर:
क्योंकि ध्वनि की तरंगें माध्यम के कणों द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं, इसीलिए ध्वनि तरंगें यांत्रिक तरंगें कहलाती हैं।
प्रश्न 14.
संपीडन किसे कहते हैं?
उत्तर:
माध्यम में उच्च दाब का क्षेत्र संपीडन (C) कहलाता है।
प्रश्न 15.
विरलन किसे कहते हैं?
उत्तर:
माध्यम में निम्न दाब का क्षेत्र विरलन (R) कहलाता है।
प्रश्न 16.
स्वरित्र द्विभुज (ट्यूनिंग फोक) पर 256 लिखा होने का क्या अर्थ है?
उत्तर:
स्वरित्र द्विभुज पर 256 लिखा होने का अर्थ है कि उसकी आवृत्ति 256 हज़ है।
प्रश्न 17.
विद्युत् चुंबकीय तरंग क्या होती है?
उत्तर:
वह तरंग जो बिना किसी माध्यम के गमन कर सकती है, विद्युत् चुंबकीय तरंग कहलाती है।
प्रश्न 18.
क्या निर्वात में भी ध्वनि तरंगें संचरण कर सकती हैं?
उत्तर:
नहीं, निर्वात में ध्वनि तरंगें संचरण नहीं कर सकतीं।
प्रश्न 19.
कौन-सी तरंगों द्वारा चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री आपस में बातचीत करते हैं?
उत्तर:
रेडियो तरंगों द्वारा चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री आपस में बातचीत करते हैं।
प्रश्न 20.
तरंग के वेग की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
इकाई समय में तरंग द्वारा चली गई दूरी को तरंग का वेग कहते हैं।
प्रश्न 21.
आवृत्ति तथा आवर्तकाल में क्या संबंध है?
उत्तर:
आवृत्ति आवर्तकाल के विलोम के बराबर है अर्थात् v = 1/T
प्रश्न 22.
किसी तरंग के वेग, तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति में क्या संबंध है?
उत्तर:
तरंग का वेग, आवृत्ति और तरंगदैर्ध्य के गुणनफल के बराबर है, अर्थात् υ = vi.
प्रश्न 23.
स्लिंकी कितने प्रकार की तरंगें उत्पन्न कर सकती है?
उत्तर:
स्लिंकी तीन प्रकार की तरंगें उत्पन्न कर सकती है
- अनुप्रस्थ तरंगें।
- अनुदैर्ध्य तरंगें।
- आवर्ती तरंगें।
प्रश्न 24.
तरंगें किस भौतिक राशि का संचरण करती हैं?
उत्तर:
तरंगें ऊर्जा का संचरण करती हैं।
प्रश्न 25.
आवृत्ति की S.I. इकाई क्या है?
उत्तर:
आवृत्ति की S.I. इकाई हर्ट्ज़ है।
प्रश्न 26.
तरंगदैर्ध्य की S.I. इकाई क्या है?
उत्तर:
तरंगदैर्ध्य की S.I. इकाई मीटर है।
प्रश्न 27.
तरंग के वेग की S.I. इकाई क्या है?
उत्तर:
तरंग के वेग की S.I. इकाई मीटर/सेकंड है।
प्रश्न 28.
स्पंद किसे कहते हैं?
उत्तर:
अल्पकालिक तरंगों को स्पंद कहते हैं।
प्रश्न 29.
जब कोई तरंग गति करती है तो माध्यम के कणों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
जब कोई तरंग गति करती है तो माध्यम के कण केवल दोलन गति करते हैं, तरंग के साथ गति नहीं करते।
प्रश्न 30.
अनुदैर्ध्य तरंगें किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे तरंगें जिनमें माध्यम के कण तरंग की गति की दिशा में कंपन करते हैं, अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं।
प्रश्न 31.
तरंगें कितनी प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
तरंगें तीन प्रकार की होती हैं-
- अनुप्रस्थ तरंगें
- अनुदैर्ध्य तरंगें
- आवर्ती तरंगें।
प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से अनुदैर्ध्य तरंगें कौन-सी हैं?
(1) तालाब के जल की लहरें
(2) ध्वनि तरंगें
(3) प्रकाश तरंगें।
उत्तर:
(2) ध्वनि तरंगें।
प्रश्न 33.
अनुप्रस्थ तरंगें किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे तरंगें जिनमें माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के लंबवत् दिशा में दोलन करते हैं, अनुप्रस्थ तरंगें कहलाती हैं।
प्रश्न 34.
ध्वनि का संचरण कौन-सी तरंग का उदाहरण है?
उत्तर:
ध्वनि का संचरण अनुदैर्ध्य तरंग का उदाहरण है।
प्रश्न 35.
तालाब के जल पर उत्पन्न उर्मियाँ कौन-सी तरंगें हैं?
उत्तर:
तालाब के जल पर उत्पन्न उर्मियाँ अनुप्रस्थ तरंगें हैं।
प्रश्न 36.
अनुदैर्ध्य तरंगें कैसे गति करती हैं?
उत्तर:
अनुदैर्ध्य तरंगें संपीडन तथा विरलन के रूप में गति करती हैं।
प्रश्न 37.
गर्त किसे कहते हैं?
उत्तर:
आवर्ती तरंगों के ग्राफ में Y-अक्ष में ऋणात्मक दिशा की ओर अधिकतम विस्थापन को गर्त कहते हैं।
प्रश्न 38.
तारत्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं।
प्रश्न 39.
स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर:
अनेकों आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर कहते हैं।
प्रश्न 40.
ध्वनियों में अंतर होने का क्या कारण होता है?
उत्तर:
ध्वनियों में अंतर का मुख्य कारण ध्वनि प्रबलता, गुणता, ध्वनि तारत्व तथा आवृत्ति हैं।
प्रश्न 41.
हमारे कानों की श्रव्यता परिसर कितनी है?
उत्तर:
20 हर्ट्ज़ से 20,000 हज़ं।
प्रश्न 42.
पराश्रव्य ध्वनि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
20,000 हर्ट्ज़ से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि को पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
प्रश्न 43.
भूकंप व ज्वालामुखी विस्फोट के समय किस आवृत्ति की ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
20 हज़ से कम आवृत्ति की ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 44.
20 हर्ट्ज़ से कम आवृत्ति की ध्वनियाँ उत्पन्न करने वाले दो प्राणियों के नाम लिखो।
उत्तर:
- व्हेल
- हाथी।
प्रश्न 45.
पराश्रव्य ध्वनि उत्पन्न करने वाले दो जीवों के नाम लिखो।
उत्तर:
- चमगादड़
- कुत्ते।
प्रश्न 46.
चमगादड़ों को कौन-सी ध्वनि से अपने गमन पथ का आभास होता है?
उत्तर:
पराश्रव्य ध्वनि से।
प्रश्न 47.
अनुरणन किसे कहते हैं?
उत्तर:
ध्वनि का बारम्बार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निबंध हो जाती है, अनुरणन कहलाता है।
प्रश्न 48.
पराध्वनिक चाल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब कोई पिंड ध्वनि की चाल से अधिक चाल से गति करता है तब उसकी चाल को पराध्वनिक चाल कहा जाता है।
प्रश्न 49.
कौन-से वायुयान वायु में प्रघाती तरंगें उत्पन्न करते हैं?
उत्तर:
पराध्वनिक वायुयान वायु में प्रघाती तरंगें उत्पन्न करते हैं।
प्रश्न 50.
पराध्वनिक वायुयानों द्वारा तेज गति के कारण उत्पन्न धमाके की ध्वनि को क्या कहते हैं?
उत्तर:
ध्वनि बूम।
प्रश्न 51.
ध्वनि परावर्तन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ध्वनि का किसी सतह से टकराकर दिशा बदलना; ध्वनि परावर्तन कहलाता है।
प्रश्न 52.
गहरे कुँओं, बड़ी इमारतों, पहाड़ों आदि में ध्वनि उत्पन्न करने पर मूल ध्वनि के अतिरिक्त थोड़ी देर बाद जो ध्वनि सुनाई पड़ती है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
प्रतिध्वनि (Echo)।
प्रश्न 53.
मेगाफोन किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
उत्तर:
मेगाफोन ध्वनि-परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है।
प्रश्न 54.
प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा प्रतिध्वनि के बीच कम-से-कम कितना समय होना चाहिए?
उत्तर:
0.1 सेकंड अर्थात् 1/10 सेकंड।
प्रश्न 55.
प्रतिध्वनि सुनने के लिए परावर्तक वस्तु ध्वनि के स्रोत से कम-से-कम कितनी दूर होनी चाहिए?
उत्तर:
17.2 मीटर।
प्रश्न 56.
ध्वनि द्वारा तय की गई कम-से-कम दूरी कितनी होनी चाहिए ताकि प्रतिध्वनि सुनाई दे सके?
उत्तर:
34.4 मीटर।
प्रश्न 57.
सोनार (Sonar) क्या है?
उत्तर:
सोनार (Sound Navigation and Ranging) का अर्थ है-ध्वनि द्वारा संचालन तथा परिसर निर्धारण करना।
प्रश्न 58.
सोनार का उपयोग कहाँ किया जाता है?
उत्तर:
सोनार का उपयोग समुद्र में डूबी वस्तुओं का पता लगाने में किया जाता है।
प्रश्न 59.
सोनार की कार्य-प्रणाली में किन तरंगों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
पराश्रव्य तरंगों का।
प्रश्न 60.
चमगादड़ कितनी आवृत्ति तक की पराश्रव्य ध्वनियाँ उत्पन्न कर सकता है?
उत्तर:
चमगादड़ 120 किलो-हर्ट्ज़ आवृत्ति तक की पराश्रव्य ध्वनियाँ उत्पन्न कर सकता है।
प्रश्न 61.
शरीर के पीड़ाग्रस्त जोड़ों को किन तरंगों से उद्भाषित करने पर मालिश के समान सुखद अनुभूति होती है?
उत्तर:
पराश्रव्य तरंगों से उद्भाषित करने पर।
प्रश्न 62.
एक्स-रे किरणों के स्थान पर शरीर के अंदर का चित्र लेने के लिए पराश्रव्य ध्वनि का उपयोग क्यों लाभकारी होता है?
उत्तर:
क्योंकि पराश्रव्य ध्वनि के प्रयोग से ऊत्तकों तथा कोशिकाओं पर प्रभाव नहीं पड़ता।
प्रश्न 63.
अल्ट्रासोनोग्राफी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पराश्रव्य ध्वनि तरंगों की सहायता से त्रिविमीय चित्र प्राप्त करने की तकनीक को अल्ट्रासोनोग्राफी कहते हैं।
प्रश्न 64.
आंखों में ट्यूमर का पता लगाने तथा उसका इलाज करने में कौन-सी तरंगें प्रयोग की जाती हैं?
उत्तर:
पराश्रव्य तरंगें।
प्रश्न 65.
पराश्रव्य ध्वनि का कौन-सा गुण फोटोग्राफी फिल्म बनाने में काम आता है?
उत्तर:
पराश्रव्य ध्वनि द्वारा अमिश्रणीय द्रवों को मिश्रित करने का गुण फोटोग्राफी फिल्म बनाने में काम आता है।
प्रश्न 66.
श्वसन थरेपी में किन ध्वनि तरंगों का उपयोग होता है?
उत्तर:
पराश्रव्य ध्वनि तरंगों का।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
पूश्न 1.
सिद्ध करो कि यनि ऊर्जा का रूप है।
उत्तर:
जब हम अधिक समय तक बोलते हैं या ऊँचा बोलते हैं तो थक जाते हैं। बोलते समय हम अपनी ऊर्जा खर्च करते हैं। यह ऊर्जा गले में कंपन पैदा करती है। इससे यह सिद्ध होता है कि ध्वनि ऊर्जा का रूप है।
प्रश्न 2.
संपीडन और विरलन किसे कहते हैं? ध्वनि तरंगों के कारण वायु के परमाणुओं के घनत्व को ग्राफ द्वारा प्रदर्शित करो।
उत्तर:
संपीडन-ध्वनि संचरण के दौरान वायु के अणु जिन स्थानों पर इकट्ठे हो जाते हैं, उन्हें संपीडन कहते हैं। विरलन-ध्वनि संचरण के दौरान जिन स्थानों पर वायु के अणुओं की संख्या बहुत कम हो जाती है, उन्हें विरलन कहते हैं। ध्वनि के लिए इकाई अंतराल में वायु के घनत्व तथा दूरी के बीच ग्राफ खींचा जा सकता है।

चित्र में ध्वनि तरंग के संचरण से वायु के अणुओं के वितरण की किसी व्यवस्था का स्वरूप प्रदर्शित किया गया है। घनत्व तथा दूरी के बीच ग्राफ भी दिखाया गया है।
प्रश्न 3.
एक प्रयोग द्वारा समझाओ कि कंपित वस्तु के पास बने संपीडन और विरलन माध्यम में कैसे गति करते हैं?
उत्तर:
प्रयोग-एक सर्पिलाकार कमानी लीजिए। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। कमानी के एक सिरे को अपने हाथ से एक समान रूप से धीरे-धीरे दबाओ और छोड़ दो। हम देखते हैं कि कमानी में संपीडन और विरलन बन जाते हैं और वे कमानी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक संचरित हो जाते हैं। संपीडन और विरलन की इस संचरण गति को तरंग गति कहते हैं। ठीक इसी प्रकार से वायु में भी उत्पन्न संपीडन तथा विरलन वायु की एक परत से दूसरी परत में संचरित होते हैं और इस प्रकार ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँच जाती है।

प्रश्न 4.
वायु में ध्वनि प्रक्रिया को स्वरित्र द्विभुज की सहायता से स्पष्ट करो।
उत्तर:
स्वरित्र द्विभुज को रबड़ पैड पर मारने से इसकी भुजाएँ कंपन करने लगती हैं। कंपित भुजा वायु के कणों पर दबाव डालकर उन्हें विस्थापित करती है। वायु के कण विरामावस्था से गति में आते हैं और निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् स्वयं अपनी मूल अवस्था में आ जाते हैं। वायु में जिस क्षेत्र के कण कंपन के दबाव के कारण पास आ जाते हैं।
वहाँ उच्च दाब का क्षेत्र संपीडन बनता है और कंपन का दबाव हटने पर वायु के कण दूर-दूर अपनी मूल अवस्था में आ जाते हैं। इस क्षेत्र को निम्न दाब का क्षेत्र विरलन कहते हैं। माध्यम के कण स्वयं आगे नहीं बढ़ते, बल्कि संपीडन और विरलन से कणों का विक्षोभ आगे बढ़ता है इसे ही ध्वनि की तरंग कहते हैं। ध्वनि संचरण के लिए वायु सबसे अधिक सामान्य माध्यक है।

प्रश्न 5.
क्या ध्वनि एक प्रकाश धब्बे को नृत्य करा सकती है। स्पष्ट करो।
उत्तर:
एक दोनों सिरों से खुला डिब्बा लो। गुब्बारे की झिल्ली को एक सिरे पर तानकर बांध दो। समतल दर्पण का एक छोटा टुकड़ा लो और इसे गुब्बारे की झिल्ली पर ऐसे चिपकाओ कि इसकी चमकदार सतह ऊपर की ओर हो और एक झिरी से आने वाले प्रकाश की किरणें दर्पण पर पड़ें और परावर्तन के पश्चात् प्रकाश का धब्बा दीवार पर पड़े। डिब्बे के खुले सिरे से जोरदार आवाज लगाइए। आप देखेंगे कि दीवार पर धब्बा नाचता हुआ नजर आएगा।
कारण आवाज के कंपन से झिल्ली और इस पर लगा दर्पण कंपन करता है जिसके कारण दीवार पर बनने वाला प्रतिबिंब हिलता हुआ नजर आता है। आवाज लगानी बंद करो। धब्बा एक जगह पर स्थिर नजर आएगा क्योंकि झिल्ली का कंपन बंद हो गया है।
प्रश्न 6.
अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य तरंगों की परिभाषाएँ लिखो।
उत्तर:
- अनुप्रस्थ तरंगें वे तरंगें जिनमें माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के लंबवत् दिशा में दोलन करते हैं, अनुप्रस्थ तरंगें कहलाती हैं।
- अनुदैर्ध्य तरंगें वे तरंगें जिनके माध्यम के कणों की दोलन की दिशा तथा संचरण की दिशा एक ही होती है, अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं।
प्रश्न 7.
ग्राफ द्वारा एक अनुप्रस्थ तरंग के लिए श्रृंग, गर्त तथा आयाम को प्रदर्शित करो तथा इनकी परिभाषा दो।
उत्तर:
एक अनुप्रस्थ तरंग के लिए शृंग, गर्त तथा आयाम चित्र में दिए गए हैं।
- श्रृंग-अनुप्रस्थ तरंग गति के दौरान बने उभारों को शृंग कहते हैं।
- गर्त-अनुप्रस्थ तरंग गति के दौरान बने गड्ढों को गर्त कहते हैं।
- आयाम-तरंग गति के दौरान माध्यम के कणों द्वारा अपनी मध्य स्थिति से, कंपन करते समय, चली गई अधिकतम दूरी आयाम कहलाती है। आयाम का मानक मात्रक मीटर है।

प्रश्न 8.
अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में क्या अंतर है?
उत्तर:
अनुप्रस्थ तथा अनुदैर्ध्य तरंगों में निम्नलिखित अंतर हैं-
| अनुप्रस्थ तरंगें | अनुदैर्ध्य तरंगें |
| 1. इनमें माध्यम के कण तरंग के गमन की दिशा के लंबवत् कंपन करते हैं। | 1. इनमें माध्यम के कण तरंग के गमन की दिशा के आगे-पीछे कंपन करते हैं। |
| 2. इनमें शृंग तथा गर्त बनते हैं। एक श्रृंग और एक गर्त को मिलाकर एक तरंग बनती है। | 2. इनमें संपीडन तथा विरलन के मिलने पर एक तरंग बनती है। |
| 3. इन तरंगों को उत्पन्न करने के लिए ठोस या द्रव माध्यम की आवश्यकता होती है। | 3. ये तरंगें ठोस, द्रव तथा गैस किसी भी माध्यम में उत्पन्न की जा सकती हैं। |
| 4. इन तरंगों का ध्रुवीकरण किया जा सकता है। | 4. इन तरंगों का ध्रुवीकरण नहीं किया जा सकता है। |
प्रश्न 9.
निम्नलिखित के विषय में आप क्या जानते हो?
(1) ध्वनि की प्रबलता
(2) तारत्व
(3) आवृत्ति।
अथवा
ध्वनि तरंग की प्रबलता तथा तारत्व में दो अंतर लिखिए।
उत्तर:
(1) ध्वनि की प्रबलता-ध्वनि की उत्तेजना के दर्जे को ध्वनि की प्रबलता कहते हैं। यह उत्तेजना का दर्जा स्रोत के तेज या हल्के कंपनों पर निर्भर करता है। जब कंपन अधिक तेज होते हैं तब ध्वनि प्रबलता अधिक तथा जब कंपन हल्के होते हैं, तो ध्वनि प्रबलता भी कम होती है।
(2) तारत्व-यह ध्वनि की वह विशेषता है जिससे हम मोटी व पतली आवाज़ को पहचानते हैं। यह विशेषता ध्वनि स्रोत की आवृत्ति (प्रति सेकंड कंपन संख्या) पर निर्भर करती है। जब ध्वनि स्रोत की आवृत्ति अधिक होती है तब तारत्व भी अधिक होता है।
(3) आवृत्ति-किसी वस्तु द्वारा एक सेकंड में पूर्ण किए गए कंपनों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं।
प्रश्न 10.
मच्छर की आवाज तथा शेर की आवाज में क्या अंतर है?
उत्तर:
मच्छर की आवाज (ध्वनि) की प्रबलता कम होती है, परंतु आवृत्ति अधिक होती है जबकि शेर की आवाज की प्रबलता अधिक होती है, परंतु आवृत्ति कम होती है। इसलिए मच्छर की आवाज शेर की आवाज से तीखी होती है।
प्रश्न 11.
ग्राफीय चित्र द्वारा दिखाओ कि ध्वनि तरंग जब किसी माध्यम में गति करती है तो घनत्व और दाब में कैसे परिवर्तन होता है?
उत्तर:

किसी निश्चित समय पर माध्यम का घनत्व तथा दाब दोनों ही उनके औसत मान से ऊपर और नीचे दूरी के साथ परिवर्तित होते हैं। चित्र में संपीडन उच्च दाब क्षेत्र और विरलन निम्न दाब क्षेत्र दिखाया गया है। चित्र में शिखर को तरंग का शृंग तथा घाटी को गर्त कहते हैं।
प्रश्न 12.
किसी आरकेस्ट्रा में वायलन और बांसुरी की ध्वनि में क्या अंतर है?
उत्तर:
वायलन और बांसुरी दोनों एक माध्यम में चलती हैं, दोनों एक ही समय में कानों तक पहुँचती हैं, दोनों की चाल एक समान हैं, परंतु दोनों ध्वनियाँ अलग-अलग अभिलक्षणों के साथ प्राप्त की जाती हैं। वह भिन्न अभिलक्षण हैं-तारत्व। किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं। इसीलिए वायलन और बांसुरी की ध्वनि अलग-अलग प्रकार से सुनाई देती है।
प्रश्न 13.
ग्राफ चित्र द्वारा निम्न व उच्च तारत्व की ध्वनि में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्रश्न 14.
मृदु और प्रबल ध्वनि में प्रमुख कारण क्या है? इसे ग्राफ चित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर:
ध्वनि की मृदुता और प्रबलता उसके आयाम पर निर्भर करती है। जैसे दरवाजे को धीरे-धीरे खटखकाने से कम आयाम की ध्वनि और जोर से खटखकाने से उच्च आयाम की ध्वनि उत्पन्न होती है। कम आयाम में कम ऊर्जा और उच्च आयाम में अधिक ऊर्जा संबद्ध होती है। यही कारण है कम आयाम की ध्वनि कम दूरी और उच्च आयाम की ऊर्जा अधिक दूरी तय करती है।

प्रश्न 15.
एक प्रयोग द्वारा समझाओ कि ध्वनि की गति वायु की अपेक्षा द्रवों में अधिक होती है।
उत्तर:
पानी से भरा एक गुब्बारा लो और इसकी सतह को धीरे-से अपने हाथ से रगड़ो तो हमें ध्वनि सुनाई पड़ेगी। अब गुब्बारे को अपने कान के समीप रखो और गुब्बारे की दूसरी सतह को धीरे से अपने हाथ से रगड़ो। हमें ध्वनि स्पष्ट और अधिक सुनाई देगी। इससे सिद्ध होता है कि ध्वनि की गति वायु की अपेक्षा द्रवों में अधिक होती है।

प्रश्न 16.
रेलवे लाइन के साथ कान लगाकर हम बहुत दूर से आती रेलगाड़ी की आवाज़ कैसे सुन सकते हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं कि सामान्य तापमान पर लोहे में ध्वनि का वेग लगभग 5950 मीटर प्रति सेकंड है। इसलिए हम रेलवे लाइन, जो कि लोहे के गार्डरों की बनी होती है, से कान लगाकर बहुत दूर से आती हुई गाड़ी की आवाज़ सुन सकते हैं।
प्रश्न 17.
ध्वनि के परावर्तन को दर्शाने के लिए किसी एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्लास्टिक या गत्ते की बनी दो एक जैसी चौड़ी ट्यूबें लीजिए। धातु या प्लाईवुड की एक चादर भी लीजिए। चित्र के अनुसार इन्हें व्यवस्थित कीजिए। इनमें से किसी एक ट्यूब के एक सिरे पर टिक-टिक करने वाली एक घड़ी रख दीजिए। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। दूसरी ट्यूब के सिरे के पास अपना कान रखिए।
दोनों ट्यूबों के बीच में एक मोटा पर्दा रखिए जिससे कि घड़ी की टिक-टिक की ध्वनि आपके कानों तक सीधे न पहुँच पाए। दूसरी ट्यूब के कोण को तब तक समायोजित कीजिए जब तक कि आपको टिक-टिक की स्पष्ट ध्वनि सुनाई न देने लगे। आप देखेंगे कि इस स्थिति में दोनों ट्यूबें अभिलंब के सामान कोण बनाती है। इससे सिद्ध होता है कि ध्वनि का परावर्तन होता है।

प्रश्न 18.
ध्वनि के परावर्तन से आप क्या समझते हैं? ध्वनि परावर्तन का कान उपयोग समुद्र की गहराई को मापने में कैसे किया जाता है?
उत्तर:
ध्वनि का किसी सतह से टकराकर दिशा बदलना ध्वनि परावर्तन कहलाता है; जैसे जब किसी कुएँ के मुंह पर कोई ध्वनि उत्पन्न की जाती है तो उत्पन्न मूल ध्वनि की तरंगें कुएँ के अंदर जाती हैं और वे कुछ समय बाद पानी के तल से परावर्तित होकर फिर ऊपर कुएँ के मुंह तक आ जाती हैं और मूल ध्वनि की भांति प्रतिध्वनि के रूप में दोबारा सुनाई पड़ती हैं।

ध्वनि परावर्तन से समुद्र की गहराई मापना-समुद्र की गहराई ‘थाईमापी’ नामक यंत्र द्वारा ज्ञात की जाती है। इस यंत्र द्वारा पहले जलयान से ध्वनि संकेत समुद्र की तह तक भेजा जाता है। यह संकेत समुद्र की तली से परावर्तन के बाद इसी यंत्र में लौट आता है। इस प्रकार जलयान से सतह पर पहुँचने और परावर्तित होकर वापस आने में लगे समय को माप लेते हैं। समुद्र के पानी में ध्वनि की गति से समुद्र की गहराई ज्ञात कर ली जाती है। अब समय तथा समुद्र के पानी में ध्वनि की गति के ज्ञान से समुद्र की गहराई की गणना कर ली जाती है।

प्रश्न 19.
पराश्रव्य ध्वनि और प्रतिध्वनि में क्या अंतर है?
उत्तर:
पराश्रव्य ध्वनि-20,000 कंपन प्रति सेकंड से अधिक आवृत्ति की ध्वनि को पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं। यह ध्वनि हमें सुनाई नहीं पड़ती। कुछ पशुओं; जैसे कुत्तों में पराश्रव्य ध्वनि सुनने की क्षमता होती है। चमगादड़ों में पराश्रव्य ध्वनि को पैदा करने तथा इसे सुनने की क्षमता होती है।
प्रतिध्वनि-गहरे कुंओं, बड़ी इमारतों, पहाड़ों आदि में ध्वनि उत्पन्न करने पर मूल ध्वनि के अतिरिक्त थोड़ी देर बाद वैसी ही ध्वनि दोबारा सुनाई पड़ती है, जिसे प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं। प्रतिध्वनि हम तभी सुन सकते हैं जब मूल ध्वनि और परावर्तित ध्वनि के हमारे कानों तक पहुंचने में कम-से-कम 1/10 सेकंड का अंतर हो।
प्रतिध्वनि सुनने के लिए ध्वनि द्वारा चली गई दूरी कम-से-कम 34.4 मीटर होनी चाहिए। अतः वस्तु ध्वनि के स्रोत से 17.2 मीटर या उससे अधिक दूरी पर होनी चाहिए क्योंकि 22°C पर ध्वनि की चाल 344 m/s होती है। ध्वनि को अवरोधक तक जाने और वापिस श्रोता तक 1/10 सेकंड में पहुंचनी चाहिए। हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना 1/10 सेकंड तक बनी रहती है।
प्रश्न 20.
विभिन्न जंतुओं में श्रव्यता का परास क्या है?
उत्तर:
भिन्न-भिन्न जंतुओं में श्रव्यता का परास भिन्न-भिन्न है, जैसे-
- मनुष्य में 20 Hz से 20,000 Hz तक।
- कुत्ता व 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में 25 kHz तक।
- राइनोसिरस (गेंडा) में 5 Hz तक।
- व्हेल और हाथी में अवश्रव्य परास की ध्वनियाँ भी।
- डालफिन, चमगादड़, पॉरपॉइज में 20 kHz से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनियाँ।
- शलभ में चमगादड़ों द्वारा उच्च आवृत्ति की चींची की ध्वनियाँ भी सुन सकते हैं।
प्रश्न 21.
क्या कारण है कि हम भूकंप से उत्पन्न तरंगों को नहीं सुन पाते जबकि चमगादड़ या कुत्ते सुन सकते हैं?
उत्तर:
हमारा कान 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हज़ तक की आवृत्तियाँ वाली तरंगों को सुन सकता है। आवृत्ति का यह परास श्रवण परास (Audible Range) कहलाता है। भूकंप द्वारा पैदा हुई तरंगों की आवृत्ति इस परास (Range) में नहीं होती। इसीलिए हम इन तरंगों को नहीं सुन सकते, परंतु चमगादड़ और कुत्ते के कान भूकंप द्वारा पैदा हुई तरंगों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसीलिए वे इन तरंगों को सुन सकते हैं।
प्रश्न 22.
अवश्रव्य तरंगें, श्रव्य परास व पराश्रव्य तरंगें क्या हैं?
उत्तर:
- अवश्रव्य तरंगें-वे तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ से कम हो, उन्हें अवश्रव्य तरंगें कहते हैं। इन्हें हम नहीं सुन सकते; जैसे भूकंप से निकली तरंगें।
- श्रव्य परास या श्रवण परास-वे तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हर्ट्ज़ के बीच हो, उन्हें श्रव्य परास कहते हैं। इन्हें हम सुन सकते हैं।
- पराश्रव्य तरंगें-वे तरंगें जिनकी आवृत्ति 20,000 हर्ट्ज़ से अधिक हो, उन्हें पराश्रव्य तरंगें कहते हैं। इन्हें भी हम नहीं सुन सकते। इन्हें कुत्ते व चमगादड़ सुन सकते हैं।
प्रश्न 23.
पराश्रव्य ध्वनि के उपयोग लिखो।
उत्तर:
पराश्रव्य ध्वनि के उपयोग निम्नलिखित हैं-
- रेडार इसी सिद्धांत पर कार्य करता है।
- इससे प्रभावित दूध अधिक समय तक खराब नहीं होता।
- इससे प्रभावित अनाज में अंकुरण अधिक होता है।
- इसके द्वारा ढाली गई धातु की चादरों में दरारों का पता लगाया जाता है।
- चमगादड़ इसी पराश्रव्य ध्वनि से अपने शिकार का पता लगा लेते हैं।
- इसके प्रयोग से आधुनिक थाईमापी द्वारा समुद्र की गहराई मापी जा सकती है।
- कपड़ों व प्लेटों को धोने में इसका प्रयोग होता है।
- शरीर के भागों में कैंसर का पता लगाने में इसका प्रयोग होता है।
- यह कठोर पदार्थों को काटने व ऐलुमिनियम आदि को जोड़ने के काम आती है।
प्रश्न 24.
एक व्यक्ति को ऐसे कमरे में बंद कर दिया गया है जिसके दरवाजे व खिड़कियाँ कांच के बने हैं। जब वह व्यक्ति कमरे के अंदर आवाज़ लगाता है तो कोई नहीं सुनता, परंतु जब वह खिड़की को खटखटाता है तो बाहर के व्यक्तियों को खटखटाहट सुनाई दे जाती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
जब कमरे में बंद व्यक्ति अंदर से आवाज़ लगाता है तो उससे उत्पन्न तरंगों का कांच द्वारा परावर्तन हो जाता है। इससे कांच में क्षीण कंपन उत्पन्न होते हैं जो कमरे के बाहर की वायु को कंपित करने में असमर्थ होते हैं। फलतः आवाज़ बाहर सुनाई नहीं देती।
इसके विपरीत खिड़की के कांच को खटखटाने से उत्पन्न तरंग कांच के बाह्य पृष्ठ पर पहुंचकर उसके संपर्क की वायु को कंपित कर देती है। परिणामस्वरूप खटखटाने की आवाज़ व्यक्तियों को सुनाई दे जाती है।
प्रश्न 25.
ध्वनि बूम से क्या अभिप्राय है? इससे क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
पराध्वनिक वायुयान वायु में प्रघाती तरंगें उत्पन्न करते हैं। ये प्रघाती तरंगें, पराध्वनिक चाल से चलती हैं और इनमें बहुत अधिक ऊर्जा होती है। इस प्रकार की प्रघाती तरंगों से संबद्ध वायुदाब में अत्यधिक परिवर्तन एक प्रकार का प्रस्फोट या कड़क ध्वनि उत्पन्न करता है, जिसे ‘ध्वनि बूम’ कहते हैं।
यह अप्रिय ध्वनि बूम, जो आप किसी पराध्वनिक वायुयान के निकट होने पर सुन सकते हैं, आसपास रखी कांच की प्लेटों, खिड़कियों के शीशों और यहाँ तक कि भवनों को भी क्षति पहुँचा सकता है। कई बार ध्वनि बूम से इतनी प्रबलता का शोर हो सकता है जो हमारी सहनशक्ति की सीमा से परे हो। ऐसे शोर से हमारे कानों में पीड़ा हो सकती है। याद रखिए, जब तक पराध्वनिक वायुयान उड़ता रहता है, वह निरंतर अपने चारों ओर के माध्यम में ध्वनि बूम उत्पन्न करता रहता है।
प्रश्न 26.
मरमर श्रावी गैलरी पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
लंदन में सैंट पॉल गिरजाघर के गुंबद की मरमर श्रावी गैलरी बहुत प्रसिद्ध है तथा यह ध्वनि के परावर्तन का एक रोचक उदाहरण प्रस्तुत करती है। यह गैलरी गुंबद के भीतर के चारों ओर वृत्तीय रूप में है। जब आप इस गैलरी की दीवारों के निकट किसी बिंदु पर कोई कानाफूसी करते हैं तो उत्पन्न ध्वनि गैलरी की दीवारों द्वारा सभी स्थानों पर परावर्तित हो जाती है।
दीवारों के निकट किसी भी स्थान पर यह ध्वनि स्पष्ट सुनाई देती है, किंतु केंद्र की ओर कुछ ही दूरी पर, जैसे बिंदु A पर, यह ध्वनि कदाचित् सुनाई नहीं देती। इस प्रकार की गैलरी भारत में भी कई ऐतिहासिक स्थानों पर देखी जा सकती है।

प्रश्न 27.
सोनार (SONAR) से क्या तात्पर्य है? इसके उपयोग बताइए।
उत्तर:
सोनार-वह उपकरण, जो ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता है तथा परावर्तित ध्वनि तरंगों का लघु समयांतर मापता है, सोनार कहलाता है।
उपयोग-
- समुद्र की गहराई मापने में।
- मछलियों के झुण्डों की दूरी ज्ञात करने में।
- पनडुब्बी एवं शत्रु के टारपीडो की स्थिति निर्धारण में।
- उद्योगों में धातु के विशाल गार्डरों, ब्लॉकों अथवा शीटों में संभावित दरारों अथवा अन्य दोषों का पता लगाने में।
प्रश्न 28.
सोनार के सिद्धांत का उपयोग कर गहन अंधकार में भी चमगादड़ कैसे मुक्त रूप से उड़ सकता है?
उत्तर:
सोनार के सिद्धांत का उपयोग चमगादड़ों द्वारा प्राकृतिक रूप में किया जाता है। चमगादड़ 120 kHz अथवा 1.2 x 105 Hz आवृत्ति तक की पराश्रव्य ध्वनियाँ उत्पन्न कर सकता है तथा उन्हें सुन सकता है। इतनी उच्च आवृत्तियों की संगत पराश्रव्य तरंगों की वायु में तरंगदैर्ध्य बहुत कम, लगभग 0.29 cm होती है। चमगादड़ वास्तव में दृष्टिहीन होता है, परंतु गहन अंधकार में उड़ते हुए अवरोधों से आसानी से बचता हुआ चलता है।
यह पराश्रव्य तरंगों का उपयोग अपने भोजन को खोजने में भी करता है। उड़ान के समय चमगादड़ उच्च आवृत्ति के पराश्रव्य स्पंदों को अल्प समय अंतराल में क्रम से उत्सर्जित करता है। ये स्पंद चमगादड़ के आसपास के पिंडों से टकराकर परावर्तित होते हैं। चमगादड़ के शरीर में उच्च-कोटि के अभिग्राही जैसी संरचना होती है जिसके द्वारा वह अपने समीप के पिंडों की उपस्थिति एवं अवस्थितियों का संसूचन कर लेता है। अतः चमगादड़, पराश्रव्य तरंगों द्वारा किसी पिण्ड से परावर्तित होकर वापस लौटने में लगे समय का संसूचन कर लेता है। इस प्रकार, गहन अंधकार में भी चमगादड़ मुक्त रूप से उड़ान भर सकता है।
प्रश्न 29.
ध्वनि की चाल कौन-कौन से कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
ध्वनि की चाल निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है-
- माध्यम के घनत्व पर-ध्वनि की चाल माध्यम के घनत्व के समानुपाती होती है अर्थात् घनत्व बढ़ने से चाल बढ़ती है तथा घनत्व कम होने से चाल घटती है।
- ताप पर-ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल बढ़ जाती है।
- तरंगदैर्ध्य-ध्वनि की चाल तरंगदैर्ध्य के समानुपाती होती है।
- माध्यम की अवस्था ध्वनि की चाल ठोस में सबसे अधिक, द्रवों में उससे कम तथा गैसों में सबसे कम होती है।
प्रश्न 30.
सुनने योग्य सीमा से क्या भाव है? इस सीमा से अधिक आवृत्ति की ध्वनियों के नाम लिखो तथा इनके कोई दो उपयोग लिखो।
उत्तर:
सुनने योग्य सीमा मनुष्य 20 हर्ट्ज़ से 20,000 हर्ट्ज़ आवृत्ति की तरंगों को सुन सकता है। इस सीमा को सुनने योग्य श्रव्यता का परिसर कहते हैं।
20,000 हर्ट्ज़ से अधिक आवृत्ति की ध्वनि को पराश्रव्य तरंगें या पराध्वनि कहते हैं। इसके उपयोग निम्नलिखित हैं-
- इसके सिद्धांत पर रेडार बनाए जाते हैं।
- शरीर के भागों में कैंसर का पता लगाने में इसका उपयोग होता है।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है? प्रयोगों द्वारा सिद्ध करो कि ध्वनि कंपन द्वारा उत्पन्न होती है।
उत्तर:
ध्वनि-ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कानों में सुनने की संवेदना पैदा करती है। ध्वनि कंपन द्वारा उत्पन्न होती है। इसे निम्नलिखित प्रयोगों द्वारा सिद्ध कर सकते हैं-
प्रयोग 1.
एक चिमटा लो। इसे मुड़े हुए सिरे से पकड़कर इसकी एक भुजा को फर्श या पत्थर पर मारकर उठा लो। चिमटे की भुजाएँ हिलती हुई दिखाई देंगी। चिमटे की भुजाओं का हिलना ही कंपन कहलाता है। इसी कंपन के कारण चिमटे के हिलने की ध्वनि सुनाई देती है। यह क्रिया दोबारा दोहराओ तथा चिमटे को कान के निकट लाओ। चिमटे की ध्वनि साफ सुनाई देगी।

प्रयोग 2.
एक लकड़ी के तख्ते पर दो कीलें गाढ़ो और दोनों के बीच में एक बारीक तार कसो। तार के नीचे एक लकड़ी का तिकोना टुकड़ा रखो। अब तार को पकड़कर थोड़ा ऊपर खींचकर छोड़ दो। ध्वनि सुनाई देगी। यदि एक कागज़ का टुकड़ा तार पर रखकर तार को खींचकर छोड़ें तो कंपन के कारण यह कागज़ का टुकड़ा नीचे गिर जाता है जो सिद्ध करता है कि ध्वनि कंपन द्वारा उत्पन्न होती है।

प्रयोग 3.
एक स्वरित्र द्विभुज या ट्यूनिंग फार्क लो। इसकी एक चोट कार्क या रबड़ पैड पर मारो। अब इसको मेज पर सीधा खड़ा कर दो। ध्वनि उत्पन्न होगी। यह ध्वनि हमें सुनाई देगी। अब स्टैंड से लटकी एक गुदे की गुहिका या प्लास्टिक की हल्की गेंद को कंपित भुजाओं के किनारों के पास लाओ।
स्वरित्र द्विभुज की भुजा से गेंद बार-बार टकराती है। यह स्वरित्र द्विभुज की भुजा के कंपित होने का प्रमाण है। यदि इसकी भुजा को हम अंगुली के समीप लाएँ, तो इसका कंपन अनुभव होगा। छूने पर ध्वनि आनी बंद हो जाएगी जो सिद्ध करता है कि ध्वनि कंपन द्वारा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
दो विभिन्न प्रकार की तरंग गतियों का वर्णन करो।
उत्तर:
दो विभिन्न प्रकार की तरंग गतियाँ निम्नलिखित हैं-
1. अनुप्रस्थ तरंगें-वे तरंगें जिनमें माध्यम के कण तरंग के संचरण की दिशा के लंबवत् दिशा में दोलन करते हैं, अनुप्रस्थ तरंगें कहलाती हैं।
उदाहरण-
- स्लिंकी में उत्पन्न तरंगें
- पानी की सतह पर उत्पन्न तरंगें।
(1) स्लिंकी में उत्पन्न तरंगें-एक स्लिंकी लो। इसके एक सिरे को दीवार में लगे हुक से बांध दो। अब दूसरे सिरे को खींचकर एक झटका मारो। स्लिंकी में उत्पन्न विक्षोभ हाथ से स्लिंकी की तरफ चलते हैं तथा स्लिंकी के कण अपनी मध्य स्थिति से ऊपर-नीचे गति करते हैं। इस प्रकार यह अनुप्रस्थ तरंगों का उदाहरण है।
(2) पानी की सतह पर बनी तरंगें तालाब के जल की शांत सतह पर किसी ऊंचाई से एक पत्थर फेंको तो जल की सतह पर उर्मियाँ उत्पन्न होती हैं जो चारों ओर फैलती हुई दिखाई देती हैं। उन उर्मियों पर कोई पत्ता रखो तो उर्मियाँ उसे उसी स्थान पर ऊपर-नीचे गतिशील करती हैं। इस प्रकार तरंग के उठे हुए भाग को शृंग तथा निचले दबे हुए भाग को गर्त कहते हैं।
2. अनुदैर्ध्य तरंगें-वे तरंगें जिनके माध्यम के कणों की दोलन की दिशा तथा तरंग के संचरण की दिशा एक ही होती है, अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं।
उदाहरण-
- स्लिंकी में उत्पन्न तरंगें
- वायु में संचारित तरंगें।
(1) स्लिंकी में उत्पन्न तरंगें-स्लिंकी द्वारा अनुदैर्ध्य तरंगें भी उत्पन्न की जा सकती हैं। स्लिंकी के एक सिरे को दीवार पर लगे हुक से बांधों और दूसरे सिरे को हाथ से पकड़कर खींचो। अब स्लिंकी के हाथ के सिरे के पास किसी छोटे-से भाग में निहित कुंडलियों को अंगुलियों के बीच दबाकर छोड़ दो। संपीडन स्लिंकी के दूसरे सिरे तक पहुँच जाता है।
(2) वायु में संचरित तरंगें-एक स्वरित्र द्विभुज लो। इसे रबड़ के पैड से बलपूर्वक टकराओ। इसकी भुजाएँ दाएँ-बाएँ कंपन करने लगेंगी। इसकी एक भुजा कांपते हुए जब दाएँ ओर जाती है तो वायु के कणों को दबा देती है जिससे वायु के कण दाईं ओर संपीडित होते चले जाते हैं जिससे वायु के कणों के बीच की दूरी कम हो जाती है।
इसे संपीडन कहते हैं। कांपते समय स्वरित्र की भुजा जब वापस बाईं ओर जाती है तो दाईं ओर आंशिक निर्वात उत्पन्न हो जाता है जिसके भरने के लिए वायु के कण दाईं ओर खुल जाते हैं जिससे वायु के कणों के बीच की दूरी अधिक हो जाती है, जिसे विरलन कहते हैं।
प्रश्न 3.
आवर्ती तरंगों की विशेषताएँ कौन-कौन-सी हैं? किसी आवर्ती तरंग के लिए तरंग-वेग, आवृत्ति तथा तरंग-लंबाई में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
आवर्ती तरंगों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. आयाम-कंपन करने वाले कण की मध्य स्थिति से अधिकतम विस्थापन को दोलन का आयाम कहते हैं।
2. आवर्त काल-एक दोलन पूरा करने में किसी कण द्वारा लगा समय आवर्त काल कहलाता है।
3. आवृत्ति कंपन करने वाला कण, एक सेकंड में जितनी बार कंपन करता है, उसे तरंग की आवृत्ति कहते हैं। इसको ‘V’ द्वारा दशति हैं, इसका मात्रक हज़ (Hz) है।
4. तरंगदैर्ध्य-जितने समय में माध्यम के कण एक कंपन पूरा करते हैं, उतने ही समय में तरंग द्वारा चली गई दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है। इसे λ (ग्रीक अक्षर लैम्डा) द्वारा दर्शाते हैं।
5. वेग-इकाई समय में तरंग द्वारा चली गई दूरी तरंग का वेग कहलाती है। इसे ‘υ’ द्वारा व्यक्त करते हैं।
आवृत्ति, तरंगदैर्ध्य तथा वेग में संबंध-परिभाषा के अनुसार,
T सेकंड में तरंग द्वारा तय की गई दूरी = λ
1 सेकंड में तय की गई दूरी = λ/T
परंतु 1 सेकंड में तरंग द्वारा तय की गई दूरी = वेग (υ)
∴ υ = λ/T … (i)
यदि एक कंपन में लगा समय T हो तो
T सेकंड में होने वाले कंपनों की संख्या = 1
1 सेकंड में होने वाले कंपनों संख्या = 1/T
लेकिन 1 सेकंड में होने वाले कंपनों की संख्या को आवृत्ति (v) कहते हैं।
∴ V = 1/T
v का मान समीकरण (i) में रखने पर,
υ = λ/T = λ 1/T = λv (∵1/T = v)
अतः υ = v λ
वेग = आवृत्ति x तरंगदैर्ध्य
प्रश्न 4.
ध्वनि के परावर्तन से क्या अभिप्राय है? इसके कोई तीन उपयोग लिखो।
उत्तर:
ध्वनि परावर्तन-ध्वनि का किसी सतह से टकराकर दिशा बदलना ध्वनि का परावर्तन कहलाता है।
ध्वनि परावर्तन के उपयोग-ध्वनि के परावर्तन के व्यावहारिक उपयोग निम्नलिखित हैं-
1. मेगाफोन-आपने मेलों या पर्यटन स्थलों पर एकत्रित भीड़ को संबोधित | करने के लिए मेगाफोन का प्रयोग करते हुए देखा होगा। मेगाफोन, सींग के आकार की एक नली है। इसके भीतरी पृष्ठों से बार-बार परावर्तन द्वारा ध्वनि की मेगाफोन तरंगें बाहर फैलने से रुक जाती हैं और नली के भीतर की वायु तक ही सीमित रहती हैं। यही कारण है कि लाउडस्पीकरों के मुख भी सींग के आकार के ही बनाए जाते हैं।

2. कर्ण तूर्य या श्रवण सहाय-यह ऐसी युक्ति है जिसे वे लोग काम में लाते हैं, जिन्हें कम सुनाई देता है। किसी तूर्य या तुरही के चौड़े सिरे पर पड़ने वाली ध्वनि तरंगें परावर्तित होकर अपसाहत अत्यधिक संकीर्ण क्षेत्र में एकत्र होकर कान में पहुँचती हैं। इससे कान के अंदर की वायु की परतों के कंपन का आयाम बढ़ जाता है और ध्वनि की प्रबलता में वृद्धि के कारण सुनने में सहायता मिलती है।

3. ध्वनि-पट्ट-ध्वनि का परावर्तन वक्राकार पृष्ठों से भी हो सकता है। इस तथ्य का उपयोग बड़े हॉलों में ध्वनि को पूरे हॉल में समान रूप से फैलाने में किया जाता है। इसके लिए ध्वनि-पट्टों को काम में लाया जाता है। वक्ता S ध्वनि-पट्ट के फोकस पर अवस्थित है।
अवतल परावर्तक ध्वनि पट्टों को बड़े हॉलों या सभा भवनों चित्र 12.22 की भांति वक्ता के पीछे रखा जाता है, ध्वनि-पट्ट ध्वनि को विभिन्न दिशाओं में फैलने से रोकते हैं। यह फोकस पर स्थित वक्ता की ध्वनि की तरंगों को श्रोताओं की ओर परावर्तित कर देता है, इनसे दूर बैठे श्रोताओं को भी वक्ता का भाषण स्पष्ट सुनाई देने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 5.
मानव कर्ण के विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव कर्ण के मुख्य तीन भाग होते हैं-
1. बाह्य कर्ण-यह वह भाग है जो बाहर से दिखाई देता है। यह उपास्थि तथा मांसपेशियों का बना अर्धचंद्राकार भाग है। इसका निचला भाग लचीला व नर्म होता है।
बाह्य कर्ण के निम्नलिखित तीन भाग होते हैं-
- पिन्ना
- कर्णनाल
- कर्णपट।
(1) पिन्ना-यह उपास्थि एवं मांसपेशियों का बना होता है। इसका निचला भाग लचीला और नर्म होता है। पिन्ना ध्वनि की तरंगों को इकट्ठा करने तथा उनको दिशा प्रदान करने का कार्य करता है। पिन्ना कर्णनाल से जुड़ा होता है।
(2) कर्णनाल-कर्णनाल लगभग 3-4 सें०मी० लंबी तिरछी नली होती है। इस नली की त्वचा में बाल एवं सूक्ष्म ग्रंथियाँ होती हैं जिनमें कुछ अर्धद्रव पदार्थ निकलता रहता है। इसे कर्ण मोम या कान का मैल कहते हैं। यह कान को धूल कण व कीड़ों से बचाता है।
(3) कर्णपट-कर्णनाल के अंतिम सिरे पर झिल्ली का बना पर्दा होता है जिसे कर्णपट कहते हैं। यह ध्वनि की तरंगों को मध्य कान में पहुँचाता है।
2. मध्य कर्ण-मध्य कर्ण एक ऐसे कक्ष के समान है जिसमें हवा भरी रहती है। मध्य कर्ण एक नली द्वारा कंठ के साथ मिला रहता है। इस नली को यूस्टेकीयन नली कहते हैं। यह नली कर्णपट के दोनों ओर वायु के दबाव को बराबर रखती है। मध्य कर्ण में कान के पर्दे की अंदर की सतह की ओर तीन-तीन छोटी-छोटी हड्डियों की लाइन होती है जो कि भीतरी कान के साथ जुड़ी रहती है। इन छोटी-छोटी हड्डियों के नाम हैं-
- मैलियस
- इन्कस तथा
- स्टेपस।
3. आंतरिक कर्ण-यह कान का सबसे भीतरी भाग है और इसके मुख्य तीन भाग हैं-
- कौकिल्या
- कर्ण कुटी
- अर्ध-वृत्ताकार नलिकाएँ।
(1) सैकुलस अथवा कौकिल्या-ये घोंघे के कवच तथा शंख के आकार का होता है। इसके अंदर एक तरल पदार्थ होता है, जिसे एंडोलिंफ कहते हैं। यह श्रवण क्रिया में सहायक होता है।
(2) कर्ण कुटी-यह एक छोटी-सी कोष्ठिका है जो सामने से कौकिल्या से तथा पीछे से अर्ध-वृत्ताकार नलियों से जुड़ा रहता है।
(3) अर्ध-वृत्ताकार नलिकाएँ यह संख्या में तीन होती हैं और एक-दूसरे के साथ समकोण बनाती हैं। इनके अंदर भी एंडोलिंफ भरा रहता है। ये शरीर का संतुलन बनाए रखने में सहायता करती हैं। एंडोलिंफ के अंदर श्रवण तंत्रिकाओं के सिरे तैरते रहते हैं।
महत्त्वपूर्ण सारणी
सारणी : विभिन्न माध्यमों में 25°C पर ध्वनि की चाल
| अवस्था | पदार्थ | चाल m/s में |
| ठोस | ऐलुमिनियम निकेल स्टील लोहा पीतल कांच (फ्लिंट) |
6420 6040 5960 5950 4700 3980 |
| द्रव | जल (समुद्री) जल (आसुत) इथेनॉल मीथेनॉल |
1531 1498 1207 1103 |
| गैस | हाइड्रोजन हीलियम वायु ऑक्सीजन सल्फर डाइऑक्साइड |
1284 965 346 316 213 |
गणनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी ध्वनि तरंग की आवृत्ति 2kHz और उसकी तरंगदैर्ध्य 25 cm है। यह 1.5 km दूरी चलने में कितना समय लेगी?
हल:
दिया हुआ है,
आवृत्ति (v) = 2 kHz = 2000 Hz
तरंगदैर्ध्य (λ) = 25 cm = 0.25 m
हम जानते हैं, तरंग वेग (υ) = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
υ = λ v
υ = 0.25 m x 2000 Hz = 500 m/s
तरंग को 1.5 km दूरी तय करने में लगने वाला समय
t = d/υ=1.5×1000 m/500 m/s=15/5 s=3s
ध्वनि 1.5 km दूरी चलने में 3s समय लेगी।
प्रश्न 2.
एक मनुष्य किसी खड़ी चट्टान के पास ताली बजाता है और उसकी प्रतिध्वनि 6s के पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 346ms-1 ली जाए, तो चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दूरी कितनी होगी?
हल:
ध्वनि की चाल (υ) = 346ms-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय (t) = 6s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = υ x t = 346 m/s x 6s = 2076m
6s में ध्वनि ने चट्टान तथा मनुष्य के बीच की दुगुनी दूरी तय की। अतएव चट्टान तथा मनुष्य के बीच
की दूरी = 2076/2 m = 1038m उत्तर
प्रश्न 3.
एक जहाज पराध्वनि उत्सर्जित करता है तो समुद्र तल से परावर्तित होकर 3.42s के पश्चात् संसूचित की जाती है। यदि समुद्र जल में पराध्वनि की चाल 1531m/s हो, तो समुद्र तल से जहाज की कितनी दूरी होगी?
हल:
प्रेषण तथा संसूचन के बीच लगा समय (t) = 3.42s
समुद्र जल में पराध्वनि की चाल (υ) = 1531m/s
पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2 x समुद्र की गहराई = 2d
जहाँ 2d = ध्वनि की चाल x समय
= 1531m/s x 3.42s = 5236m
d = 5236 m/2 = 2618m
अतः जहाज से समुद्र तल की दूरी = 2618m या 2.62km है।
प्रश्न 4.
दो बालक किसी लोहे के दो विपरीत सिरों पर हैं। एक बालक नलिका के एक सिरे को पत्थर से ठोकता है। ध्वनि के लोहे और वायु से होकर दूसरे बालक तक जाने में लगे समयों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
[यदि वायु में ध्वनि का वेग 344 m/s तथा लोहे में ध्वनि का वेग 5130 m/s है।]
हल:
माना नलिका की लंबाई = L मीटर
वायु में ध्वनि का वेग (υ1) = 344 m/s
लोहे में ध्वनि का वेग (υ2) = 5130 m/s

प्रश्न 5.
किसी लंगर (खड़ी नाव) से जल तरंगें लगातार टकरा रही हैं। यदि इन तरंगों के दो क्रमागत शृंगों के बीच की – 100 m तथा जल में तरंगों का वेग 20 m/s है तो तरंगों के नाव से टकराने की आवृत्ति क्या है?
हल:
यहाँ पर तरंग के दो क्रमागत शृंगों के बीच की दूरी = तरंगदैर्ध्य (λ)
= 100 m
तरंग का वेग (υ) = 20 m/s
∴ तरंग की आवृत्ति (v) = υ/λ = 20/100 Hz
= 0.2 Hz (हर्ट्ज़) उत्तर
प्रश्न 6.
कोई तरंग-स्रोत 0.4 सेकंड में 40 शृंग और 40 गर्त उत्पन्न करता है। तरंग की आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
हल:
यहाँ पर
तरंग के शृंगों की संख्या = तरंग के गर्तों की संख्या = 40
समय = 0.4 सेकंड
∴ प्रति सेकंड शृंगों की संख्या = प्रति सेकंड गर्मों की संख्या = 40/0.4
= 100
अतः तरंग की आवृत्ति = 100 हर्ट्ज़ उत्तर
प्रश्न 7.
सोनार द्वारा पानी के पृष्ठ पर ध्वनि स्पंद उत्सर्जित किए जाते हैं। ये स्पंद पानी की तली से परावर्तन के पश्चात् संसूचित किए जाते हैं। यदि उत्सर्जन व संसूचन के बीच समय अंतराल 2 सेकंड है, तो पानी की गहराई कितनी है? (संकेत : पानी में ध्वनि का वेग 1498 m/s लीजिए)
हल:
पानी में ध्वनि का वेग (υ) = 1498 m/s
स्पंद पैदा होकर जाने तथा आने में लगा समय = 2 सेकंड
अतः स्पंद के जाने में लगा समय = 2/2 = 1 सेकंड
∴ पानी की गहराई = वेग x समय
= 1498 x 1 = 1498 मीटर उत्तर
प्रश्न 8.
कोई बच्चा किसी शक्तिशाली पटाखे के फटने के 4 सेकंड बाद उसकी किसी खड़ी चट्टान के कारण प्रतिध्वनि सुनता है। बच्चे से चट्टान की दूरी क्या है?
हल:
ध्वनि के जाने तथा आने में लगा कुल समय = 4 सेकंड
∴ ध्वनि के जाने में लगा समय = 4/2 = 2 सेकंड
वायु में ध्वनि का वेग = 344 m/s
∴ अतः बच्चे व चट्टान के बीच की दूरी = वेग x समय
= 344 x 2 = 688 मीटर उत्तर
प्रश्न 9.
कोई पत्थर किसी 44.1 मीटर गहरे कुएँ में डाला जाता है। यदि पत्थर के पानी से टकराने पर उत्पन्न ध्वनि, पत्थर गिराने के 3.13 सेकंड बाद सुनाई देती है, तो ध्वनि का वायु में वेग ज्ञात कीजिए। हल:
यहाँ पर
कुएँ की गहराई (s) = 44.1 मीटर
माना पत्थर को कुएँ के पानी तक पहुँचने में लगा समय = t1 सेकंड
तथा ध्वनि को पानी से ऊपर तक आने में लगा समय = t2 सेकंड
प्रश्नानुसार t1 + t2 = 3.13 सेकंड, u = 0, g = 9.8 m/s²
हम जानते हैं कि

प्रश्न 10.
यदि एक स्वरित्र द्विभुज 512 हज़ की आवृत्ति के साथ कंपन करके ऐसी ध्वनि तरंगें उत्पन्न करता है जो 330 मीटर प्रति सेकंड के वेग से चलती हैं तो उनकी तरंगदैर्ध्य क्या होगी?
हल:
यहाँ पर
आवृत्ति (v) = 512 हर्ट्ज़
तरंग वेग (υ) = 330 मीटर/सेकंड
तरंगदैर्ध्य (λ) = ?
हम जानते हैं कि
υ = vλ
या λ = υ/v = 330/512 m = 0.645 m उत्तर
प्रश्न 11.
यदि किसी जल तरंग की तरंगदैर्ध्य 20 सें०मी० तथा आवृत्ति 20 हर्ट्ज़ हो तो उसका वेग क्या होगा?
हल:
यहाँ पर
तरंगदैर्ध्य (λ) = 20 सें०मी० = 20/100 मीटर
= 0.2 मीटर
आवृत्ति (v) = 20 हज़
तरंग वेग (υ) = ?
हम जानते हैं कि
υ = vλ
= 20 x 0.2
= 4 मीटर/सेकंड उत्तर
प्रश्न 12.
किसी तरंग का आवर्तकाल 0.02 सेकंड हो तो उसकी आवृत्ति ज्ञात करो।
हल:
यहाँ पर
आवर्तकाल (λ) = 0.02 सेकंड
आवृत्ति (v) = ?
हम जानते हैं कि
v = 1/T = 1/0.02
= 100/2 = 50 हर्ट्ज़ उत्तर
प्रश्न 13.
यदि किसी स्वरित्र द्विभुज की आवृत्ति 400 Hz है तथा हवा में ध्वनि की चाल 320 m/s है तो ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी ज्ञात कीजिए जब स्वरित्र द्विभुज 20 कंपन पूरे करता है।
हल:
यहाँ पर
तरंग वेग (υ) = 320 मीटर/सेकंड
आवृत्ति (v) = 400 हर्ट्ज़
हज़ हम जानते हैं कि
υ = vλ
या λ = υ/υ = 320/400 = 0.8 मीटर
अतः 1 कंपन में तय की दूरी = 0.8 मीटर
20 कंपनों में तय की गई दूरी = 20 x 0.8 = 16 मीटर उत्तर
प्रश्न 14.
एक वस्तु 1 मिनट में 6000 कंपन करती है। यदि वायु में उत्पन्न ध्वनि का वेग 330 m/s हो तो निम्नलिखित ज्ञात कीजिए।
(a) कंपनों की आवृत्ति
(b) उत्पन्न तरंगों की तरंगदैर्ध्य।
हल:
(a) 1 मिनट = 60 सेकंड में तय कंपनों की संख्या = 6000
∴ 1 सेकंड में तय कंपनों की संख्या = 6000/60 = 100
अतः आवृत्ति (v) = 100 हर्ट्ज़
(b) यहाँ पर
तरंग वेग (υ) = 330 m/s
आवृत्ति (v) = 100 हज़
तरंगदैर्ध्य (λ) = ?
हम जानते हैं कि
υ = v λ
या λ = υ/v = 330/100 = 3.3 मीटर उत्तर
प्रश्न 15.
एक नाव से एक ध्वनि संकेत भेजा गया। यह संकेत समुद्र की तली से परावर्तन होने के 0.8 सेकंड के बाद नाव पर लौट आया। यदि पानी में ध्वनि का वेग 1500 मीटर प्रति सेकंड हो तो समुद्र की गहराई ज्ञात करो।
हल:
पानी में ध्वनि का वेग = 1500 मीटर प्रति सेकंड
लगा समय = 0.8 सेकंड ध्वनि द्वारा कुल तय दूरी = ध्वनि का वेग x समय
= 1500 x 0.8 = 1200 मीटर
अतः समुद्र की गहराई = 1200/2 = 600 मीटर उत्तर
अध्याय का तांत्र अध्ययन
1. घंटी की ध्वनि ……….. है।
(A) यांत्रिक ऊर्जा
(B) ध्वनि ऊर्जा
(C) ऊष्मीय ऊर्जा
(D) प्रकाश ऊर्जा
उत्तर:
(B) ध्वनि ऊर्जा
2. ध्वनि निम्नलिखित के कारण उत्पन्न होती है-
(A) टकराने से
(B) कंपन से
(C) पीटने से
(D) रगड़ने से
उत्तर:
(B) कंपन से
3. ध्वनि संचरण नहीं होता है-
(A) ठोसों में
(B) द्रवों में
(C) गैसों में
(D) निर्वात में
उत्तर:
(D) निर्वात में
4. तरंग एक ………………… है।
(A) विक्षोभ
(B) संपीडन
(C) विरलन
(D) कंपन
उत्तर:
(A) विक्षोभ
5. उच्च दाब का क्षेत्र कहलाता है-
(A) तरंग
(B) संपीडन
(C) विरलन
(D) विक्षोभ
उत्तर:
(B) संपीडन
6. निम्नलिखित में से किसमें ध्वनि की गति सर्वाधिक होगी?
(A) शुष्क वायु में
(B) स्टील में
(C) आर्द्र वायु में
(D) जल में
उत्तर:
(B) स्टील में
7. ध्वनि संचरण के लिए सबसे अधिक सामान्य माध्यम कौन-सा है?
(A) जल
(B) पृथ्वी
(C) वायु
(D) अंतरिक्ष
उत्तर:
(C) वायु
8. जल में उत्पन्न तरंगें कौन-सी होती हैं?
(A) अनुदैर्ध्य
(B) अनुप्रस्थ
(C) (A) व (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अनुप्रस्थ
9. तरंग संचरण में स्थानांतरण होता है-
(A) द्रव्यमान का
(B) ऊर्जा का
(C) द्रव्यमान व ऊर्जा दोनों का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) ऊर्जा का
10. तरंग वेग का SI मात्रक है-
(A) m
(B) m/s
(C) km
(D) km/s
उत्तर:
(B) m/s
11. निम्नलिखित में से किसको λ (लैम्डा) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?
(A) तरंगदैर्ध्य
(B) तरंग वेग
(C) आवृत्ति
(D) आयाम
उत्तर:
(A) तरंगदैर्ध्य
12. अनुदैर्ध्य तरंगें उत्पन्न होती हैं-
(A) ठोसों में
(B) द्रवों में
(C) गैसों में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
13. अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न होती हैं-
(A) ठोस व द्रवों में
(B) द्रव व गैसों में
(C) गैस व ठोसों में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) ठोस व द्रवों में
14. प्रकाश …………………….. तरंग है।
(A) अनुप्रस्थ
(B) यांत्रिक
(C) अनुदैर्ध्य
(D) विद्युत चुंबकीय
उत्तर:
(A) अनुप्रस्थ
15. किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। आधे घंटे में यह कितनी बार कंपन करेगा?
(A) 1,80,000
(B) 90,000
(C) 60,000
(D) 1,00,000
उत्तर:
(A) 1,80,000
16. निम्नलिखित में से किसके बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है?
(A) दो क्रमागत संपीडनों
(B) दो क्रमागत विरलनों
(C) एक संपीडन व एक विरलन
(D) (A) और (B) दोनों
उत्तर:
(D) (A) और (B) दोनों
17. तरंगदैर्ध्य का SI मात्रक …………………….. है।
(A) मीटर
(B) जूल
(C) अर्ग
(D) न्यूटन
उत्तर:
(A) मीटर
18. ध्वनि तरंग की आवृत्ति का मात्रक क्या है?
(A) हर्ट्ज़
(B) मी०
(C) अर्ग
(D) जूल
उत्तर:
(A) हर्ट्ज़
19. आवर्तकाल का SI मात्रक है-
(A) हज़
(B) मी०
(C) सेकंड
(D) Nm
उत्तर:
(C) सेकंड
20. किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का/की …………………. कहते हैं।
(A) आवृत्ति
(B) आयाम
(C) वेग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) आयाम
21. A के द्वारा किसको निरूपित किया जाता है?
(A) आवृत्ति
(B) वेग
(C) आयाम
(D) आवर्तकाल
उत्तर:
(C) आयाम
22. एकल आवृत्ति की ध्वनि को …………………. कहते हैं।
(A) स्वर
(B) टोन
(C) शोर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) टोन
23. ………………. से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
(A) 20 Hz
(B) 200 Hz
(C) 2000 Hz
(D) 20000 Hz
उत्तर:
(A) 20 Hz
24. एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की ………………. कहते हैं।
(A) प्रबलता
(B) तीव्रता
(C) तारत्व
(D) आवृत्ति
उत्तर:
(B) तीव्रता
25. किस माध्यम में 25°C पर ध्वनि की चाल सर्वाधिक होती है?
(A) कांच
(B) स्टील
(C) ऐलुमिनियम
(D) निकेल
उत्तर:
(C) ऐलुमिनियम
26. किस द्रव में 25°C पर ध्वनि की चाल सर्वाधिक होती है?
(A) समुद्री जल
(B) आसुत जल
(C) इथेनॉल
(D) मीथेनॉल
उत्तर:
(A) समुद्री जल
27. किस गैस में ध्वनि की चाल 25°C पर सर्वाधिक होती है?
(A) ऑक्सीजन
(B) वायु
(C) हाइड्रोजन
(D) हीलियम
उत्तर:
(C) हाइड्रोजन
28. एकांक समय में होने वाले दोलनों की कुल संख्या को ………………. कहते हैं।
(A) आयाम
(B) तरंगदैर्ध्य
(C) आवर्ती
(D) आवर्तकाल
उत्तर:
(C) आवर्ती
29. ………………. को कम करने के लिए भवनों की दीवारों व छतों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थ लगाए जाते हैं।
(A) प्रतिध्वनि
(B) ध्वनि परावर्तन
(C) अनुरणन
(D) पराध्वनि
उत्तर:
(C) अनुरणन
30. स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए परावर्तक स्रोत की न्यूनतम दूरी होनी चाहिए-
(A) 172 m
(B) 17.2 m
(C) 344 m
(D) 34.4 m
उत्तर:
(B) 17.2 m
31. ध्वनि परावर्तन सिद्धांत का उपयोग है-
(A) मेगाफोन व हॉर्न में
(B) स्टेथोस्कोप में
(C) कंसर्ट हॉल, सिनेमा हॉलों में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
32. मनुष्य में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर कितना है? (लगभग)
(A) 10-15 Hz
(B) 20-20,000 Hz
(C) 30,000 Hz से-40,000 Hz
(D) 45,000 Hz-50,000 Hz तक
उत्तर:
(B) 20-20,000 Hz
प्रयोगात्मक कार्य
क्रियाकलाप 1.
स्वरित्र द्विभुज द्वारा उत्पन्न कंपनों का अध्ययन करना।
कार्य-विधि-
- एक छोटी हल्की प्लास्टिक की गेंद को धागे से बांध कर लटकाओ।
- पहले कंपन न करते हुए स्वरित्र द्विभुज को गेंद के पास ले जाओ तथा स्थिति का अवलोकन करो।
- अब कंपन करते हुए स्वरित्र द्विभुज को गेंद के पास ले जाओ तथा स्थिति का अवलोकन करो।
पहली स्थिति में गेंद स्वरित्र द्विभुज से दूर नहीं भागती जबकि दूसरी स्थिति में गेंद स्वरित्र द्विभुज को पास ले जाने पर दूर भागती है क्योंकि कंपन करने से स्वरित्र द्विभुज की भुजा गेंद पर बल लगाकर पीछे की ओर धकेलती है।
क्रियाकलाप 2.
वाद्य यंत्रों में कंपन करने वाले भागों का अध्ययन करना।
कार्य-विधि-सुविधानुसार विद्यालय के संगीत कक्ष में जाओ और विभिन्न वाद्य यंत्रों में ध्वनि (संगीत) कैसे पैदा होती है अर्थात् किस भाग से होती है, के बारे में संगीत अध्यापक से जानो, जैसे
- ढोल में झिल्ली में कंपन के द्वारा।
- सितार में-तार में कंपन द्वारा।
- एकतारा में तार में कंपन द्वारा।
- बांसुरी में वायु स्तंभ द्वारा।
- जल तरंग में जल द्वारा।
क्रियाकलाप 3.
स्लिंकी द्वारा अनुदैर्ध्य तरंग उत्पन्न करना।
कार्य-विधि-
- एक स्लिंकी लो और इसका एक सिरा किसी विद्यार्थी को पकड़ाओ।
- विद्यार्थी की ओर स्लिंकी को तेजी से धक्का दो। बार-बार ऐसा करने पर विशेष गति स्लिंकी में दिखाई देगी। स्लिंकी पर एक स्थान पर चिह्न लगाओ और एक बार फिर क्रिया को दोहराओ। स्लिंकी पर लगा चिह्न विक्षोभ के संचरण की दिशा के समानांतर आगे-पीछे गति करता है। यही अनुदैर्ध्य तरंग है।
Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 12 ध्वनि
→ ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण की संवेदन उत्पन्न करती है।
→ ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।
→ ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम का होना आवश्यक है।
→ ध्वनि द्रव्यात्मक माध्यम में से अनुदैर्ध्य तरंगों के रूप में संचरित होती है।
→ ध्वनि संचरण में, माध्यम के कण आगे नहीं बढ़ते, केवल विक्षोभ ही माध्यम से संचरित होता है।
→ ध्वनि निति में संचरित नहीं हो सकती।
→ ध्वनि माध्यम में क्रमागत संपीडनों तथा विरलनों के रूप में संचरित होती है।
→ घनत्व के अधिकतम मान से न्यूनतम मान और पुनः अधिकतम मान के परिवर्तन से एक दोलन पूरा होता है।
→ वह न्यूनतम दूरी जिस पर किसी माध्यम का घनत्व या दाब आवर्ती रूप में अपने मान की पुनरावृत्ति करता है, ध्वनि की तरंगदैर्ध्य (λ) कहलाती है।
→ तरंग द्वारा माध्यम के घनत्व के एक संपूर्ण दोलन में लिए गए समय को आवर्तकाल (T) कहते हैं।
→ ध्वनि की आवृत्ति का SI मात्रक हज़ (HE) है।
→ एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या को आवृत्ति (v) कहते हैं v = \frac{1}{T}.
→ ध्वनि का वेग (u), आवृत्ति (v) तथा तरंगदैर्ध्य (λ) में संबंध है, v = λv
→ ध्वनि की चाल मुख्यतः संचरित होने वाले माध्यम की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर होती है।
→ किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
→ ध्वनि के परावर्तन के नियम के अनुसार, ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा, परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब से समान कोण बनाते हैं और ये तीनों एक ही तल में होते हैं।
→ स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम-से-कम 0.15 का समय अंतराल अवश्य होना चाहिए।
→ मेगाफोन, हॉर्न, सूर्य और शहनाई में ध्वनि परावर्तन का उपयोग किया जाता है।
→ ध्वनि के अभिलक्षण; जैसे तारत्व, प्रबलता तथा गुणता; संगत तरंगों के गुणों द्वारा निर्धारित होते हैं।
→ किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
→ मानवों में ध्वनि की श्रव्यता की आवृत्तियों का औसत परास 20Hz – 20 kHz तक है।
→ श्रव्यता के परास से कम आवृत्तियों की ध्वनि को “अवश्रव्य” ध्वनि तथा श्रव्यता के परास से अधिक आवृत्ति की ध्वनियों को “पराध्वनि” कहते हैं।
→ पराध्वनि के चिकित्सा तथा प्रौद्योगिक क्षेत्रों में अनेक उपयोग हैं।
→ सोनार की तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने तथा जल के नीचे छिपी चट्टानों, घाटियों, पनडुब्बियों, हिम शैल, डूबे हुए जहाजों आदि का पता लगाने के लिए किया जाता है।
→ SONAR शब्द Sound Navigation And Ranging से बना है।
→ हृदय का ध्वनि तरंगों द्वारा प्रतिबिंब बनाना इकोकार्डियोग्राफी कहते हैं।
→ अल्ट्रोसोनोग्राफी द्वारा गर्भ में वृद्धि कर रहे भ्रूण के दोषों का पता लगाया जाता है।
→ ध्वनि-ऊर्जा का वह रूप जो हमारे कानों में श्रवण संवेदन उत्पन्न करती है, ध्वनि कहलाती है।
→ यांत्रिक तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित तरंगों को यांत्रिक तरंगें कहते हैं।
→ संपीडन-उच्च दाब का क्षेत्र संपीडन कहलाता है।
→ विरलन-निम्न दाब का क्षेत्र विरलन कहलाता है।
→ अनुदैर्ध्य तरंगें जब माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समानांतर होता है, उसे अनुदैर्ध्य तरंगें कहते हैं।
→ अनुप्रस्थ तरंगें-जब माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा में लंबवत हो, उसे अनुप्रस्थ तरंगें कहते हैं।
→ आवर्तकाल-दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं।
→ तारत्व-किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते हैं।
→ आयाम किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं।
→ तरंगदैर्ध्य-दो क्रमागत संपीडनों या विरलन के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं।
→ तरंग वेग-तरंग के किसी बिंदु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी, तरंग वेग कहलाती है।
→ ध्वनि की तीव्रता किसी एकांक क्षेत्रफल में से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
→ ध्वनि परावर्तन-जब ध्वनि एक धरातल से टकरा कर वापिस उसी माध्यम में लौट आए, इसे ध्वनि परावर्तन कहते हैं।
→ प्रतिध्वनि-परावर्तित ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं।
→ अनुरणन-बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बंध होता है, अनुरणन कहलाता है।
→ पराश्रव्य ध्वनि-20 kHz से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि को पराश्रव्य ध्वनि या पराध्वनि कहते हैं।
