HR 9 Science

Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

HBSE 9th Class Science हम बीमार क्यों होते हैं Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए? बीमारी क्या थी?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने पास-पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे? ।
उत्तर:
हर व्यक्ति कभी-न-कभी छोटी या बड़ी बीमारी से ग्रसित हो सकता है। कुछ ही व्यक्ति ऐसे हो सकते हैं जिन्हें वर्ष-भर में कोई बीमारी न हो, परंतु फिर भी किन्हीं कारणों से स्वास्थ्य प्रभावित हो ही सकता है। एक विद्यार्थी भी इसी प्रकार बीमारी से परेशान हो सकता है; जैसे मलेरिया, दस्त लगना, वायरल बुखार, आँखों में जलन होना, उल्टियाँ लगना आदि। उदाहरण के लिए यदि कोई विद्यार्थी मलेरिया से पीड़ित रहा हो तो वर्ष-भर में कई बार उसका प्रकोप शरीर पर पड़ा होगा। पिछले एक वर्ष में मैं दो बार बीमार हुआ। प्रथम बार मुझे मलेरिया हुआ तथा दूसरी बार वायरल बुखार।

(a) बीमारियों से बचाव के लिए सर्वप्रथम तो प्रतिरक्षा-तंत्र का योग्य होना आवश्यक है। इनसे बचाव के लिए मैं संतुलित तथा पौष्टिक भोजन खाना पसंद करूँगा। मच्छरों से बचाव के लिए मैं मच्छरदानी तथा शरीर पर मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करूँगा। मच्छर घर में भी प्रवेश न कर सके इसके लिए घरों के दरवाजे व खिड़कियों पर जाली लगवाने का प्रबंध करूँगा।

(b) पास-पड़ोस में साफ-सफाई रखकर, गड्ढों और नालियों में पानी खड़ा न होने देने से बेकार घास-फूस या झाड़ियों आदि को नष्ट कर मच्छरों की संख्या बढ़ने पर रोक लगा सकते हैं।

प्रश्न 2. डॉक्टर/नर्स/स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के संपर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने-आपको बीमार होने से कैसे बचाते हैं?
उत्तर:
डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के संपर्क में अधिक समय तक रहते हैं। बीमारियों के रोगाणुओं से बचने के लिए उनके द्वारा निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं

  1. प्रतिदिन, धुले हुए साफ वस्त्र पहनना इनकी आदत है।
  2. डॉक्टर, रोगी का परीक्षण करते समय मुँह और नाक ढाँप कर रखते हैं, ताकि सांस द्वारा शरीर में रोगाणु प्रवेश न कर पाएँ।
  3. नर्स और अन्य कर्मचारी रोगी को टीका लगाते समय तथा मरहम पट्टी करते समय हाथों पर रबड़ के दस्ताने पहनकर रखते हैं, ताकि उनके शरीर का रोगी के साथ सीधा संपर्क न हो।
  4. रोगी का निरीक्षण करने के उपरांत डॉक्टर या अन्य व्यक्ति अपने हाथों को रोगाणुनाशक घोल से धोते हैं।
  5. अस्पताल के सभी कर्मचारी सामान्य सफाई की ओर विशेष ध्यान देते हैं। कमरों के फर्श को फिनायल के घोल से साफ़ किया जाता है।
  6. अस्पताल के कचरे का वैज्ञानिक ढंग से निपटारा किया जाता है।

प्रश्न 3. अपने पास-पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए और पता लगाइए कि सामान्यतः कौन-सी तीन बीमारियाँ होती हैं? इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
पास-पड़ोस के सर्वेक्षण से पता लगाने पर मालूम हुआ कि निम्नलिखित तीन बीमारियाँ सामान्यतः हो जाती हैं

  1. पेचिश और उल्टियाँ लगना,
  2. मलेरिया,
  3. खाँसी-जुकाम।

इन बीमारियों से बचने के लिए तीन सुझाव निम्नलिखित प्रकार से हैं

  1. खाने-पीने की वस्तुओं और पेयजल को दूषित होने से बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
  2. हमारे परिवेश में मच्छर न फैलें, इसलिए खड़े पानी, नालियों आदि में कीटनाशकों का छिड़काव नियमित रूप से किया जाना चाहिए।
  3. पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के लिए कूड़े-कचरे का उचित प्रकार से व वैज्ञानिक ढंग से निपटारा किया जाना आवश्यक है।

प्रश्न 4. एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रहा है। हम कैसे पता करेंगे कि

  • बच्चा बीमार है?
  • उसे कौन-सी बीमारी है?

उत्तर:
यदि एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में कुछ बता पाने में असमर्थ है तो उसके शरीर में होने वाले बदलाव या खराबी देखकर यह तय किया जाता है कि बच्चा स्वस्थ है या बीमार। उसके शरीर में दिखाई देने वाले लक्षण, रोगी होने का संकेत देते हैं। इन्हीं लक्षणों के आधार पर प्रयोगशाला में विभिन्न परीक्षण करवाकर बीमारी के बारे में सुनिश्चित किया जा सकता है। लक्षण किसी विशेष रोग के बारे में पक्के संकेत होते हैं। इन्हीं के आधार पर ही चिकित्सक बीमारी का अनुमान लगाते हैं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है? क्यों?

  • जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा है।
  • वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और वह चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
  • मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है?

उत्तर:
यदि किसी व्यक्ति को एक बार चेचक हो जाए तो उसे पुनः चेचक होने की संभावना नहीं रहती। चेचक बार-बार होने से, उसी रोग से बचने की विश्वस्त विधि है क्योंकि हमारे शरीर में रोगाणु प्रतिरक्षा-तंत्र मजबूत हो जाता है। केवल मलेरिया का प्रकोप पुनः होने की संभावना बनी रहती है क्योंकि प्लाजमोडियम परजीवी मानव शरीर में अपनी उपस्थिति बनाए रखते हैं और अनुकूल वातावरण मिलने पर अपनी संख्या बढ़ाकर मलेरिया का कारण बन जाते हैं। इसीलिए मलेरिया उन्मूलन के लिए बार-बार कुछ अंतराल उपरांत दवाई दी जाती है।

प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं? क्यों?

  • जब आपकी परीक्षा का समय है?
  • जब आप बस तथा रेलगाड़ी में दो दिन तक यात्रा कर चुके हैं?
  • जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है।

उत्तर:

  • परीक्षा के समय परीक्षार्थी तनाव से ग्रसित हो सकता है क्योंकि परीक्षा का डर हमारे स्नायु-तंत्र को प्रभावित करता है जिसके कारण तनाव बढ़ जाता है।
  • बस या रेलगाड़ी में दो दिन या इससे भी अधिक यात्रा करने पर व्यक्ति उस समय तक बीमार नहीं होता जब तक उसे किसी रोग का संक्रमण न हो। लंबी यात्रा करने के उपरांत यात्री थकावट अवश्य महसूस करता है।
  • खसरा एक संक्रामक रोग है। खसरे के रोग से पीड़ित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से इस रोग का संक्रमण हो सकता है। इसीलिए खसरा से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क से बचना ही उचित है।

प्रश्न 7. यदि आप किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हो तो आप किसको चुनते हैं?

  • स्वयं की?
  • अपने क्षेत्र में फैले एक सामान्य रोग की। क्यों?

उत्तर:
यदि हम किसी एक संक्रामक रोग के टीके की खोज कर सकते हैं तो हम अपने क्षेत्र में फैले एक सामान्य रोग के टीके की खोज करेंगे ताकि अधिक-से-अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।

HBSE 9th Class Science हम बीमार क्यों होते हैं Intext Questions and Answers

(पृष्ठ संख्या-200)

प्रश्न 1. अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ निम्नलिखित हैं

  • सामुदायिक स्वच्छता,
  • संतुलित आहार।

प्रश्न 2. रोगमुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियाँ बताइए।
उत्तर:

  • स्वच्छ पर्यावरण,
  • उचित आदतें व व्यायाम करना।

प्रश्न 3. क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न हैं? क्यों?
उत्तर:
उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर लगभग एक-समान ही हैं, क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य को रखना या रोगमुक्त होना लगभग एक-समान स्थितियाँ हैं।

(पृष्ठ संख्या-203)

प्रश्न 1. ऐसे तीन कारण लिखिए जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
बीमार होने को परिलक्षित करने वाले अनेक कारण हो सकते हैं जैसे
(1) खाँसी होना,

(2) बुखार आना,

(3) शरीर में कमजोरी होना। यदि उपरोक्त लक्षण कम समय के लिए दिखाई दें तो चिकित्सक के पास तुरंत जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमारे शरीर का प्रतिरक्षा-तंत्र इन कारणों को शीघ्र समाप्त कर बीमारी के प्रभाव से मुक्त कर देता है। परंतु यदि खाँसी दीर्घकालिक हो तो फेफड़ों संबंधी विकार हो सकता है।

बुखार लंबे समय तक आए तो टी.बी. जैसी भयानक बीमारी होने की संभावना हो सकती है। शरीर में पोषण की कमी से कमज़ोरी हो सकती है। ऐसी परिस्थितियों में चिकित्सक के पास जाना ही उचित है, ताकि बीमारी के सही कारण का पता लग सके और उसका निदान हो सके।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किसके लंबे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा? तथा क्यों?

  • यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं।
  • यदि आपके शरीर पर जूं (Lice) हैं।
  • यदि आप मुँहासों से ग्रस्त हैं।

उत्तर:
उपरोक्त में से यदि हम पीलिया से ग्रसित हों तो इसका स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ने की प्रबल संभावना होती है। पीलिया रोग का संबंध हमारे यकृत से होता है जो शरीर की एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथि है जिसका शरीर में अत्यधिक योगदान है। अतः पीलिया से ग्रसित व्यक्ति का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। जूं से या मुँहासे से होने वाले विकारों का शरीर के स्वास्थ्य पर इतना अधिक बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

(पृष्ठ संख्या-2107)

प्रश्न 1. जब आप बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन करने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
बीमार व्यक्ति को आसानी से पचने वाला सुपाच्य व पोषणयुक्त भोजन लेने का परामर्श इसलिए दिया जाता है ताकि भोजन आसानी से पच सके और शरीर में जिन पोषक तत्त्वों की कमी हुई है उनकी पूर्ति हो सके।

प्रश्न 2. संक्रामक रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
संक्रामक या छूत के रोग निम्नलिखित विधियों द्वारा फैलते हैं
1. वायु द्वारा अनेक रोगों के रोगाणु छींकने, खाँसने, बोलने, थूकने या मल-मूत्र त्यागने के द्वारा वायु में फैल जाते हैं। वायु के द्वारा ये रोगाणु सांस लेने की क्रिया द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर उसे रोगी बना देते हैं।

2. जल द्वारा हैजा, तपेदिक, पेचिश आदि रोगों के रोगाणु पीने वाले जल में मिलकर शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। दूषित जल में बर्तन धोने, फल-सब्जियों के धोने से भी रोगों का संक्रमण होता है। रोगी व्यक्ति के कपड़े जल-स्रोतों के पास धोने से या मल विसर्जन के द्वारा रोगाणु जल में प्रवेश कर लेते हैं जो शरीर में पहुँच कर रोग का कारण बन जाते हैं।

3. भोजन द्वारा भोजन और अन्य दूषित खाने वाले खाद्य पदार्थों के द्वारा रोगाणु शरीर में पहुँच कर व्यक्ति को रोगी बना देते हैं। बासी और ठंडा भोजन अधिक नुकसानदायक है।

4. व्यक्तिगत संपर्क द्वारा रोगी के कपड़ों, बिस्तरों, बर्तन, तौलिए या सीधे संपर्क द्वारा संक्रामक रोग स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँच कर हानि पहुँचाते हैं।

5. जंतुओं द्वारा कुछ जंतु मक्खी, मच्छर, चूहा आदि रोगवाहक की भूमिका निभाते हैं। भोजन को दूषित कर या सीधे शरीर में पहुँच कर रोगाणु रोग का कारण बन जाते हैं। मलेरिया मच्छर के काटने और हैजा मक्खी के द्वारा तथा प्लेग चूहे के द्वारा फैलता है।

प्रश्न 3. संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
विद्यालय में संक्रामक रोगों को फैलने से रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने आवश्यक हैं

  1. पेयजल का क्लोरीनेशन कर रोगाणुनाशक किया जाना चाहिए।
  2. विद्यालय की कैंटीन में सभी खाद्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए।
  3. बासी व गले-सड़े खाद्य पदार्थों व फलों के बेचने पर रोक होनी चाहिए।
  4. यदि किसी विद्यार्थी को कोई संक्रामक रोग हो जाए तो रोगमुक्ति तक उसे विद्यालय में अन्य बच्चों के साथ क्लास व खेल के मैदान में मिलने-जुलने की पाबंदी होनी चाहिए।
  5. बच्चों को व्यक्तिगत व सामुदायिक स्वच्छता के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
  6. विद्यालय में सभी बच्चों का संक्रामक रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाना चाहिए।

प्रश्न 4. प्रतिरक्षीकरण क्या है?
उत्तर:
शरीर में उत्पन्न रोगरोधी शक्ति को प्रतिरक्षा कहते हैं; जैसे किसी रोगजनक को थोड़ी मात्रा में टीकाकरण द्वारा शरीर में प्रविष्ट कराया जाता है। इस रोगजनक का सामना हमारी रुधिर कोशिकाओं से होता है। दोनों की प्रक्रिया स्वरूप कुछ विशिष्ट रासायनिक पदार्थ उत्पन्न होता है। यही पदार्थ शरीर के रोगाणुओं को नष्ट करके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता उत्पन्न करते हैं। इसे शरीर की प्रतिरक्षा (Immunity) कहते हैं और इस प्रक्रिया को प्रतिरक्षीकरण कहते हैं।

प्रश्न 5. आपके पास में स्थित स्वास्थ्य केंद्र में टीकाकरण के कौन-से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य संबंधी मुख्य समस्या है?
उत्तर:
हमारे नगर के स्वास्थ्य केंद्र में निम्नलिखित कार्यक्रम टीकाकरण के लिए उपलब्ध हैं

  1. राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम,
  2. राष्ट्रीय हैज़ा उन्मूलन कार्यक्रम,
  3. राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम,
  4. राष्ट्रीय पोलियो उन्मूलन अभियान,
  5. राष्ट्रीय बाल संक्रामक रोग उन्मूलन अभियान (बच्चों का टीकाकरण)।

प्रायः सभी शहरों और नगरों में पर्यावरणीय स्वच्छता, सामुदायिक स्वच्छता और शुद्ध पेयजल संबंधी समस्याएँ पाई जाती हैं। नगरों व शहरों में कूड़े-कचरे के उचित निपटान के अभाव में पर्यावरण दूषित हो रहा है। शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है। वायु-प्रदूषण और जल-प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ रही हैं।

Haryana Board 9th Class Science Important Questions Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य का क्या अर्थ है?
उत्तर:
शरीर के सभी अंगों तथा तंत्रों की ठीक बनावट, स्थिति तथा ठीक प्रकार से कार्य करना, स्वास्थ्य कहलाता है। स्वास्थ्य शरीर की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक जीवन क्षमता की सामान्य स्थिति है।

प्रश्न 2.
रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य में रुकावट पैदा होना ही रोग है। या शरीर तंत्र में किसी विकार का आ जाना रोग कहलाता है।

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले एक कारक का नाम लिखो।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वच्छता।

प्रश्न 4.
सामुदायिक स्वच्छता को प्रभावित करने वाले एक कारण का नाम लिखो।
उत्तर:
कूड़े-करकट का वैज्ञानिक ढंग से निपटारा न होना।

प्रश्न 5.
भोजन हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर:
भोजन में पोषक पदार्थों की कमी और अधिकता दोनों स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालते हैं।

प्रश्न 6.
हमारा परिवेश किस प्रकार हमें नुकसान पहुंचाता है?
उत्तर:
परिवेश में मिल रहे, अवांछनीय पदार्थ, हमारे लिए रोगों का कारण बनते हैं।

प्रश्न 7.
क्या शरीर में किसी रोग का न होना ही स्वास्थ्य कहलाता है?
उत्तर:
नहीं, कोई रोग न होने पर भी आप अपने-आपको स्वस्थ नहीं मान सकते।

प्रश्न 8.
रोग का पता कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
रोग के लक्षणों के द्वारा।

प्रश्न 9.
रोग के लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर:
जो संकेत हमारे शरीर में खराबी के बारे में संकेत देते हैं, उन्हें रोग के लक्षण कहते हैं।

प्रश्न 10.
चिकित्सक किसी रोग के बारे में सुनिश्चित करने के लिए क्या करते हैं?
उत्तर:
प्रयोगशाला में परीक्षण करवाते हैं।

प्रश्न 11.
रोग कितने प्रकार के होते हैं? (अवधि के आधार पर)
उत्तर:
दो प्रकार के तीव्र रोग, दीर्घकालिक रोग।

प्रश्न 12.
तीव्र रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
कम अवधि वाले रोगों को, तीव्र रोग कहते हैं।

प्रश्न 13.
दो तीव्र रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
खाँसी-जुकाम, सिरदर्द।

प्रश्न 14.
दीर्घकालिक रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
दीर्घकालिक रोग लंबी अवधि तक या जीवन-पर्यंत रहते हैं।

प्रश्न 15.
दीर्घकालिक रोग का नाम लिखो।
उत्तर:
फीलपाँव।

प्रश्न 16.
क्या पोषण के अभाव में व्यक्ति बीमार हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, पोषण के अभाव में व्यक्ति बीमार हो सकता है।

प्रश्न 17.
एंटीबायोटिक पेनिसीलीन बैक्टीरिया की ………………… बनाने वाली प्रक्रिया को बाधित कर देती है।
उत्तर:
कोशिका भित्ति।

प्रश्न 18.
संक्रामक रोग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जो रोग संपर्क से फैलते हैं, उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं।

प्रश्न 19.
दो संक्रामक रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
हैज़ा, पीलिया।

प्रश्न 20.
असंक्रामक रोग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जो रोग संक्रमण से न फैलें, उन्हें असंक्रामक रोग कहते हैं।

प्रश्न 21.
असंक्रामक रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
गलगंड, मधुमेह।

प्रश्न 22.
कैंसर कैसा रोग है?
उत्तर:
असंक्रामक रोग।

प्रश्न 23.
वाइरस से होने वाले दो रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
खाँसी-जुकाम, इंफ्लुएंजा।

प्रश्न 24.
बैक्टीरिया से कौन-कौन से रोग होते हैं?
उत्तर:
हैजा, क्षयरोग।

प्रश्न 25.
फंजाई (कवकों) से होने वाले रोगों के उदाहरण दो।
उत्तर:
चर्म रोग-खाज-खुजली, दाद आदि।

प्रश्न 26.
प्रोटोजोआ से होने वाले दो रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
मलेरिया, कालाजार।

प्रश्न 27.
कृमि से होने वाले रोगों के नाम क्या हैं?
उत्तर:
फीलपाँव, एस्केरिएसिस।

प्रश्न 28.
मुहाँसे के कारक का नाम लिखो।
उत्तर:
स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया।

प्रश्न 29.
निंद्रालु व्याधि का कारण क्या है?
उत्तर:
ट्रिप्नोसोमा जीवाणु।

प्रश्न 30.
लेस्मानिया नामक प्रोटोजोआ कौन-से रोग का कारण है?
उत्तर:
कालाजार।

प्रश्न 31.
एक एंटीबायोटिक का नाम लिखो।
उत्तर:
पेनिसिलीन।

प्रश्न 32.
संक्रामक रोगों के फैलने की दो विधियों के नाम लिखो।
उत्तर:
वायु द्वारा, सीधे संपर्क द्वारा।

प्रश्न 33.
खाँसी-जुकाम के विषाणु कैसे फैलते हैं?
उत्तर:
रोगी व्यक्ति के द्वारा छींकने से।

प्रश्न 34.
पेयजल के संक्रमण से कौन-सा रोग हो जाता है?
उत्तर:
हैज़ा।

प्रश्न 35.
लैंगिक संपर्क द्वारा फैलने वाले दो रोगों के नाम लिखो।
उत्तर:
सिफलिस, एड्स।

प्रश्न 36.
क्या गर्भावस्था में रोगी माता से शिशु को AIDS के फैलने का भय हो सकता है?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 37.
रोगवाहक किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो जंतु रोगाणुओं को रोगी से लेकर अन्य नए पोषी तक पहुँचा देते हैं, रोगवाहक कहलाते हैं।

प्रश्न 38.
मलेरिया का रोगवाहक कौन-सा जंतु है?
उत्तर:
मादा एनाफ्लीज मच्छर।

प्रश्न 39.
प्लेग के वेक्टर (रोगवाहक) का नाम लिखो।
उत्तर:
चूहा।

प्रश्न 40.
क्षयरोग किस विधि द्वारा फैलता है?
उत्तर:
वायु द्वारा।

प्रश्न 41.
पीलिया के कारक का नाम लिखो।
उत्तर:
हेपेटाइटिस बैक्टीरिया।

प्रश्न 42.
HIV शरीर में प्रवेश कैसे करता है?
उत्तर:
लैंगिक अंगों द्वारा।

प्रश्न 43.
शोथ किसे कहते हैं?
उत्तर:
नई कोशिकाओं के बनने के प्रक्रम को शोथ कहते हैं।

प्रश्न 44.
HIV-AIDS का शरीर पर क्या कुप्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
यह शरीर के प्रतिरक्षा-तंत्र को आघात पहुँचाता है।

प्रश्न 45.
शरीर में रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए किन पदार्थों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
औषधियों का।

प्रश्न 46.
एंटी वायरल औषधि बनाना कठिन होता है, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि वाइरस में जैव रासायनिक प्रणाली कम ही होती है।

प्रश्न 47.
वातोढ़ रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायु द्वारा फैलने वाले रोगों को, वातोढ़ रोग कहते हैं।

प्रश्न 48.
जलोढ़ रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जल से होने वाले रोगों को जलोढ़ रोग कहते हैं।

प्रश्न 49.
हमारे शरीर में कौन-सा तंत्र रोगाणुओं से लड़ता है?
उत्तर:
प्रतिरक्षा-तंत्र।

प्रश्न 50.
टीका किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें प्रतिरक्षी पदार्थ (टीका) सुई द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में दिया जाता है ताकि उसके शरीर में बीमारी के प्रति प्रतिरक्षण हो जाए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य किसे कहते हैं? अच्छे स्वास्थ्य के लाभ लिखें।
उत्तर:
किसी व्यक्ति को उसके शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से ठीक अनुभव करने की स्थिति, स्वास्थ्य कहलाती है। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर के सभी अंगों की बनावट और उनके कार्य ठीक-ठाक होते हैं। वह हर प्रकार के मनोवैज्ञानिक, मानसिक व सामाजिक तनावों से मुक्त होता है। केवल शारीरिक रोगों से मुक्त व्यक्ति ही पूर्ण स्वस्थ नहीं होता, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति को रोग घटकों से भी मुक्त होना चाहिए।

लाभ-अच्छे स्वास्थ्य के लाभ निम्नलिखित हैं-

  • स्वस्थ व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन सुखमय होता है।
  • स्वस्थ व्यक्ति निजी रूप में, परिवार के रूप में, समाज के रूप में तथा राष्ट्र के रूप में अपनी पूरी क्षमताओं का सदुपयोग करता है और वह दूसरे व्यक्ति पर किसी प्रकार का बोझ नहीं होता।

प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ क्या हैं?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्नलिखित प्रकार से हैं-

  • व्यक्तिगत तथा घरेलू स्वच्छता।
  • उचित व्यायाम तथा विश्राम।।
  • संतुलित आहार।
  • सामुदायिक स्वच्छता।
  • उचित आदतें एवं व्यसनकारी पदार्थों से परहेज।

प्रश्न 3.
किसी स्वस्थ व्यक्ति के बारे में आपका दृष्टिकोण क्या है?
उत्तर:
स्वस्थ व्यक्ति वह है जिसके शरीर के सभी अंग तथा तंत्र सुचारू रूप से कार्य कर रहे हों तथा वह शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक तनावों से मुक्त हो । स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक दृष्टि से सक्षम होता है। स्वस्थ व्यक्ति प्रसन्न, मानसिक रूप से चैतन्य, निरोग तथा चिंताओं से मुक्त होता है। वह सामाजिक रूप से अपना कर्त्तव्य पूर्ण करने में सक्षम होता है। वह अपने वातावरण से अच्छी तरह समायोजन कर सकता है। ऐसे व्यक्ति की कार्यक्षमता अधिक होती है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
सभी व्यक्तियों का स्वास्थ्य उसके आस-पड़ोस अथवा आस-पास के पर्यावरण पर आधारित होता है। पर्यावरण में कारक आते हैं। व्यक्ति जीवन की आधारभूत आवश्यकताएँ पर्यावरण से ही प्राप्त करता है केवल साफ़-सुथरे पर्यावरण से ही यह संभव हो सकता है। दूषित पर्यावरण हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर बीमार कर देता है।

प्रश्न 5.
रोगजनक सूक्ष्मजीव किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ सूक्ष्मजीव पौधों और जंतुओं में रोग उत्पन्न करते हैं, इन्हें रोगजनक सूक्ष्मजीव कहते हैं। इनमें से कुछ सूक्ष्मजीव हमारे पाचन संस्थान या फिर शरीर के अन्य किसी भाग में विष उत्पन्न करने के कारण बन जाते हैं। कुछ सूक्ष्मजीव शरीर की सामान्य प्रक्रियाओं को असामान्य कर शरीर को रोगी बना देते हैं।

प्रश्न 6.
कारण बताते हुए स्पष्ट कीजिए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं अथवा असत्य-
(1) अच्छे स्वास्थ्य का अर्थ है शरीर का रोगमुक्त होना।
(2) यदि आप संतुलित आहार ले रहे हैं तो आपका स्वच्छ रहना आवश्यक नहीं है।
उत्तर:
(1) यह कथन असत्य है क्योंकि स्वास्थ्य का अर्थ केवल शारीरिक रोग का न होना (रोगमुक्त होना) ही नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सभी अंगों तथा तंत्रों की सुचारू रूप से कार्य करने की स्थिति है। स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक तनावों से मुक्त होता है तथा आनंद का अनुभव करता है।

(2) यह कथन असत्य है क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए केवल एकमात्र संतलित आहार लेना ही आवश्यक नहीं, बल्कि शरीर रोगमुक्त भी होना चाहिए। इसलिए संतुलित आहार के साथ-साथ व्यक्तिगत स्वच्छता तथा आस-पड़ोस की स्वच्छता भी आवश्यक है। इसके लिए पर्यावरण शुद्ध और सुंदर होना चाहिए। स्वच्छ. रहकर ही हम सूक्ष्मजीवों, कृमि, कीटों, प्रदूषण आदि कारकों से उत्पन्न रोगों से मुक्त हो सकते हैं।

प्रश्न 7.
यदि आपका घर स्वच्छ है किंतु आस-पड़ोस स्वच्छ नहीं है तो क्या आप स्वस्थ रह सकते हैं? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
नहीं, यदि हमारा घर स्वच्छ है और आस-पड़ोस स्वच्छ नहीं है तो हम स्वस्थ नहीं रह सकते क्योंकि यदि हमारे आस-पास गंदगी के ढेर लगे होंगे तो उसमें हानिकारक सूक्ष्मजीव पैदा होने लगेंगे जो वायु में मिलकर वायु को प्रदूषित कर देंगे। ऐसी वायु में सांस लेने पर हम स्वस्थ नहीं रह सकेंगे। इसी प्रकार मक्खी जैसे कीट हानिकारक सूक्ष्मजीवों को हमारे भोजन तक पहुँचा देंगे। ऐसे भोजन को खाने से भी हम स्वस्थ नहीं रह पाएँगे। मच्छर जैसे जीव रोगाणुओं को हमारे शरीर में प्रविष्ट कर देंगे।

यदि हमारे आस-पास का पेयजल स्वच्छ नहीं है तो उस जल में उपस्थित रोगाणु हमें स्वस्थ नहीं रहने देंगे। अतः स्वस्थ रहने के लिए यह आवश्यक है कि घर के साथ-साथ आस-पड़ोस भी स्वच्छ हो। उदाहरण के लिए, जल-स्रोत के पास गंदे कपड़े धोने पर वे सभी लोग प्रभावित होंगे, जो वहाँ से जल ग्रहण करते हैं। इसलिए कुओं और तालाबों पर गंदे कपड़े धोने को मना किया जाता है। इसी प्रकार गंदगी पर पनपे मच्छर और मक्खियाँ स्वच्छ घर वाले व्यक्ति को भी प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 8.
रोग के लक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर:
शरीर में रोग होने पर, अंग-तंत्रों में आई खराबी या व्यवधान, बदलाव या परिवर्तन के द्वारा दिखाई देते हैं। इन परिवर्तनों के संकेतों को ही लक्षण कहते हैं। रोग के लक्षणों से रोगों की पहचान करना सरल हो जाता है केवल अनुभव की आवश्यकता होती है। कई बार दिखाई देने वाले लक्षणों से बीमारी का ठीक-ठाक अनुमान भी नहीं लग पाता; जैसे सिर दर्द का कारण भय, तनाव, मस्तिष्क शोथ में से कुछ भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में प्रयोगशाला में कुछ परीक्षण करवाकर रोग के बारे में सुनिश्चित किया जाता है।

प्रश्न 9.
रोग क्या है? रोग कैसे होते हैं?
उत्तर:
शारीरिक, मनोवैज्ञानिक या शरीर की किसी अन्य कार्यप्रणाली में अवरोध की स्थिति को, रोग कहा जाता है। रोगी व्यक्ति अपने-आपको आराम की स्थिति में अनुभव नहीं करता।

रोगों के कारण-रोग निम्नलिखित तीन कारणों में से किसी एक कारण से हो सकते हैं-

  • पोषक तत्त्वों की कमी या अधिकता के कारण होने वाले रोग; जैसे गलगंड, बेरी-बेरी, मोटापा आदि।
  • संक्रमण से; जैसे हैज़ा, तपेदिक, खसरा आदि।
  • बिना संक्रमण के जैसे हृदय रोग, गुर्दे या पिताशय की पथरी आदि।

प्रश्न 10.
असंक्रमित रोग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
कुछ रोग; जैसे हृदय रोग, गुर्दे का कार्य न करना, पिताशय की पथरी व गुर्दे की पथरी ऐसे रोग हैं जो किसी रोगी व्यक्ति के संक्रमण से नहीं होते, इन रोगों को असंक्रमित रोग कहते हैं।

प्रश्न 11.
आनुवंशिक रोगों से क्या अभिप्राय है? उदाहरण दें।
उत्तर:
जो रोग मां-बाप से बच्चों तक पहुँचते हैं, उन्हें आनुवंशिक रोग कहते हैं। इस प्रकार का एक रोग हीमोफीलिया है जिसमें रोगी का रक्त आसानी से नहीं जमता। सामान्यतः इसका समय 2 से 8 मिनट से बढ़कर 30 मिनट से 24 घंटे तक का हो जाता है। हीमोफीलिया का रोगी किसी छोटी-सी चोट के घाव से लगातार रक्त बहते रहने के कारण मर सकता है।

इसी प्रकार का एक अन्य रोग है-दांत्र-कोशिका अरक्तता (Sickle cell anaemia)। यह ऐसे व्यक्तियों को होता है जिनके रक्त की लाल रुधिर कोशिकाओं में दोषपूर्ण हीमोग्लोबिन होता है। ये कोशिकाएँ हंसिया की भाँति दिखाई देती हैं। इससे इन RBC की ऑक्सीजन संवहन क्षमता कम हो जाती है और व्यक्ति कमज़ोर होता जाता है।

प्रश्न 12.
संक्रामक तथा असंक्रामक रोगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संक्रामक रोग-संक्रामक रोग शरीर में रोगाणुओं के प्रवेश से उत्पन्न होते हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से छूने या रोगवाहकों द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं। ये रोग हवा, पानी, दूध, भोजन आदि द्वारा भी संचरित हो सकते हैं; जैसे चेचक, हैज़ा, पेचिश, लिवररोट, दाद, खुजली आदि।

असंक्रामक रोग-ये रोग व्यक्ति के छूने या अन्य तरीकों से नहीं फैलते। ये रोग मुख्यतः पोषण की कमी या अधिकता, पर्यावरण प्रदूषण, आनुवंशिकी व्यसन के कारण होते हैं; जैसे हृदय रोग, कैंसर, बेरी-बेरी, मोटापा, मरास्मस, स्कर्वी, दांत्र-कोशिका आदि।

प्रश्न 13.
सर्दी-जुकाम के विषाणु शरीर के अंदर कैसे प्रवेश करते हैं?
उत्तर:
साधारण सर्दी-जुकाम से पीड़ित व्यक्ति जब भी छींकता है तो विषाणुयुक्त नमी की कुछ बूंदें हवा में छिटक जाती हैं। जब नमी वाष्पित होती है तो यही संक्रमण विषाणु खुली हवा व धूल कणों में फैल जाते हैं जो सांस द्वारा स्वस्थ व्यक्ति में प्रवेश कर उसे प्रभावित करते हैं। रोगी व्यक्ति के रूमाल से भी विषाणु का संक्रमण होता है।

प्रश्न 14.
प्रतिजैविक पदार्थ क्या हैं? ये रोगाणओं से हमें कैसे बचाते हैं? इनका अधिक प्रयोग क्यों हानिकारक है?
उत्तर:
प्रतिजैविक पदार्थ वे पदार्थ हैं जो एक सूक्ष्मजीव बनाता है तथा दूसरे सूक्ष्मजीव के लिए वे घातक होते हैं। इनसे मनुष्य के प्रोटोप्लाज्म को हानि नहीं पहुँचती। उदाहरण के लिए, पेनिसिलीन, टैरामाइसिन, क्लोरोमाइसीटीन, स्ट्रेप्टोमाइसिन आदि। ये रोगाणुओं की वृद्धि को रोककर और उनकी जैव क्रियाओं को नष्ट करके हमें उनसे बचाते हैं।

यदि इनका अधिक प्रयोग किया जाए तो हमारी आहार-नली में स्थित लाभदायक जीवाणु मरने लगते हैं, जिससे हमारा पाचन-संस्थान बिगड़ जाता है।

प्रश्न 15.
सूक्ष्मजीवों से होने वाले रोगों से बचने के लिए साधारण व सरल उपाय क्या हैं?
उत्तर:
सूक्ष्मजीवों से होने वाले रोगों से बचने के साधारण और सरल उपाय निम्नलिखित हैं-

  • रोगी व्यक्तियों को स्वस्थ व्यक्तियों से अलग रखकर।
  • रोग प्रतिरोधी टीके लगवाकर।
  • पानी को पीने से पहले उबालकर।
  • अपने आस-पड़ोस में साफ-सफाई रखकर।
  • मक्खी और मच्छरों पर नियंत्रण रखकर।
  • साफ़-सुथरे कपड़े पहनकर।
  • कूड़े-करकट, अपशिष्ट पदार्थों को ढके स्थानों पर रखकर।
  • कीटनाशकों का छिड़काव कर अपने आस-पड़ोस को हानिकारक कीटों, कवकों और रोगाणओं से मक्त करके।

प्रश्न 16.
सूक्ष्मजीव हमारे शरीर में किन-किन माध्यमों से प्रवेश करते हैं? प्रत्येक का उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
सूक्ष्मजीव हमारे शरीर में वायु, जल, भोजन तथा त्वचीय स्पर्श द्वारा प्रवेश करते हैं। सामान्य सर्दी या जुकाम में इंफ्लुएंजा के विषाणु वायु द्वारा फैलते हैं। हैजे, जठरात्र शोध तथा मियादी बुखार के जीवाणु भोजन तथा जल के माध्यम से फैलते या शरीर में प्रवेश करते हैं। रिंगवर्म एक प्रकार की फंगस का संक्रमण है। यह त्वचीय स्पर्श द्वारा फैलता है। सिफलिस, गोनोरिया जैसे यौन रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणु तथा एड्स उत्पन्न करने वाले विषाणु यौन संबंधों द्वारा फैलते हैं।

प्रश्न 17.
जीवाणुओं और विषाणुओं में क्या अंतर है?
उत्तर:
जीवाणुओं और विषाणुओं में निम्नलिखित अंतर हैं-

जीवाणु विषाणु
1. ये जीवधारी होते हैं। 1. इनमें सजीव तथा निर्जीव दोनों के गुण पाए जाते हैं।
2. इनकी संरचना कोशिकीय होती है। 2. विषाणु की संरचना कोशिकीय नहीं होती।
3. जीवाणु सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जा सकते हैं। 3. इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है।
4. जीवाणुओं का जन्म उसी प्रकार के जीवाणुओं से होता है। 4. विषाणुओं को निर्जीव पदार्थों से बनाया जा सकता है।
5. जीवाणु लाभदायक और हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। 5. विषाणु केवल हानिकारक ही होते हैं।

प्रश्न 18.
जीवाणु (बैक्टीरिया) संक्रमण के विरुद्ध एंटीबायोटिक कैसे कार्य करते हैं? यह औषधि विषाणु (वाइरस) संक्रमण के विरुद्ध प्रभावकारी नहीं होती, कारण स्पष्ट करें।
उत्तर:
बैक्टीरिया अपनी सुरक्षा के लिए कोशिका भित्ति बना लेते हैं। परन्तु एंटीबायोटिक पदार्थ कोशिका भित्ति निर्माण में बाधा डाल देते हैं जिसके कारण बैक्टीरिया अपनी सुरक्षा नहीं कर पाते और एंटीबायोटिक पदार्थ इन्हें नष्ट कर देते हैं। परन्तु विषाणु में कोशिका भित्ति का निर्माण नहीं होता। इसलिए एंटीबायोटिक का विषाणु पर कोई प्रभाव नहीं होता।

प्रश्न 19.
वायु द्वारा संक्रमण कैसे होता है?
उत्तर:
रोगी व्यक्ति जब वायु में सांस छोड़ता है, छींकता है या खाँसी करता है तो रोगाणु वायु में मिल जाते हैं। इसी वायु में अन्य व्यक्ति द्वारा श्वसन करने से ये रोगाणु उसके शरीर में पहुँच जाते हैं। खाँसी-जुकाम, निमोनिया तथा क्षयरोग इसी विधि द्वारा फैलते हैं। भीड़ वाले स्थानों पर खाँसी-जुकाम होने का यही कारण है।

प्रश्न 20.
जल द्वारा संक्रमण कैसे होता है?
उत्तर:
रोगी व्यक्ति के शरीर से जब रोगाणु पेयजल में मिल जाते हैं तो स्वस्थ व्यक्ति भी इसी जल के पीने से रोग से संक्रमित हो जाता है। बरसात के दिनों में जल द्वारा संक्रमण की दर अधिक होती है। हैज़ा इसी विधि द्वारा फैलता है।

प्रश्न 21.
लैंगिक संचारी रोग के फैलने के बारे में क्या भ्रांतियाँ हैं?
उत्तर:
सिफलिस, गोनोरिया, सुजाक आदि लैंगिक संचारी रोगों के बारे में आम जनता में भ्रम है कि ये रोग हाथ मिलाने, गले मिलने, कुश्ती करने, मिलकर खेलने-कूदने या आलिंगन से फैलते हैं। जबकि यह कटु असत्य है ये रोग रोगी व्यक्ति से रक्त आदान से, लैंगिक संपर्क से, शेव के स ब्लेड से, रोगी माता के स्तनपान कराने से, गर्भावस्था में रोगी माता से संचरित हो सकते हैं।

प्रश्न 22.
रोग के लक्षण व चिह्न किस बात पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
रोग के लक्षण व चिहन इस बात पर निर्भर करते हैं कि सूक्ष्मजीवों का आक्रमण किस ऊतक या अंग विशेष पर हुआ है; जैसे-

  • फेफड़ों पर आक्रमण का लक्षण है खाँसी या सांस का कम आना।
  • यकृत पर आक्रमण का लक्षण है पीलिया रोग का होना।
  • मस्तिष्क पर आक्रमण का लक्षण है सिर दर्द, उल्टी आना, चक्कर आना अथवा बेहोशी। रोग के लक्षणों से यह तय हो जाता है कि किस अंग या ऊतक पर सूक्ष्मजीवों ने आक्रमण किया है।

प्रश्न 23.
शोथ किस बात का संकेत है?
उत्तर:
संक्रमण के समय प्रतिरक्षा-तंत्र क्रियाशील होने के कारण प्रभावित ऊतक को बचाने और रोगाणुओं का नाश करने के लिए अनेक कोशिकाएँ बनाता है यही ‘शोथ’ कहलाता है। इस प्रक्रम में स्थानीय प्रभाव उस भाग का फूलना व दर्द करना और सामान्य प्रभाव बुखार का होना है।

प्रश्न 24.
रोग की अभिव्यक्ति का सूक्ष्मजीवों की संख्या से क्या संबंध है?
उत्तर:
यदि सूक्ष्मजीवों की संख्या कम होती तो रोग की अभिव्यक्ति भी कम होती है अर्थात् रोग के लक्षण कम दिखाई देते हैं प्रभाव भी कम ही होता है और जबकि इनकी संख्या अधिक होने पर रोग की अभिव्यक्ति अधिक होती है। रोग के लक्षण अधिक व तीव्र दिखाई देते हैं और प्रभाव भी अधिक होता है।

प्रश्न 25.
किसी रोग के उपचार के नियम क्या हैं?
उत्तर:
संक्रमित रोग के उपचार के दो नियम हैं-

  • रोग के प्रभाव को कम करना
  • रोग के कारण को मारना।

पहले रोग के प्रभाव को कम करने के लिए उपचार किया जाता है ताकि रोग के लक्षण कम हो जाएँ और इसके उपरांत औषधि का उपयोग कर रोगाणुओं को नष्ट किया जाता है ताकि रोग ही नष्ट हो जाए।

प्रश्न 26.
रोग के कारण को नष्ट करने के लिए क्या सिद्धांत अपनाया जाता है?
उत्तर:
हम रोग के कारण को नष्ट करने अर्थात् रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए ऐसी औषधियों का उपयोग करते हैं जो रोगाणुओं को तो नष्ट कर दें; परंतु शरीर को नुकसान न पहुँचाएँ। एंटीबायोटिक पदार्थ इसलिए उपयोगी होते हैं। जबकि वाइरस को नष्ट करने के लिए प्रतिजैविक पदार्थों का इस्तेमाल अधिक कारगर नहीं है क्योंकि वाइरस में अपनी जैव रासायनिक प्रणाली के कम होने के कारण एंटीबायोटिक पदार्थों का इन पर प्रभाव लगभग नहीं के बराबर है।

प्रश्न 27.
संक्रामक रोगों से छुटकारा पाने में तीन प्रमुख कठिनाइयाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
संक्रामक रोगों से छुटकारा पाने में निम्नलिखित तीन प्रमुख कठिनाइयाँ हैं-

  • एक बार बीमार होने पर शरीर के कार्यों को काफी हानि होती है।
  • उपचार में लंबा समय लग सकता है।
  • संक्रमित रोगी अन्य व्यक्तियों में रोग फैलाने का स्रोत बन सकता है। अतः उपरोक्त कठिनाइयों से समस्या और बढ़ जाएगी। इसीलिए रोगों का निवारण (बचाव) उपचार से अच्छा है।

प्रश्न 28.
रोगों के निवारण की कितनी विधियाँ हैं? वर्णन करो।
उत्तर:
रोग निवारण की दो विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  • सामान्य या संक्रमण से बचने की विधि
  • रोग विशिष्ट विधि।

1. सामान्य विधि-यदि हमें रोग फैलने की विधियों की जानकारी है तो हम सावधानी रखकर उनसे बचाव कर सकते हैं; जैसे दूषित जल व भोजन को ग्रहण न करना, संदूषित वायु में सांस न लेना, स्वच्छ पर्यावरण में रहना, रोगी के सीधे संपर्क से बचना आदि।

2. रोग विशिष्ट विधि-रोग विशिष्ट विधि में केवल उन सावधानियों को अपनाया जाता है जो रोग विशेष को होने से रोकती हैं; जैसे मच्छरदानी का उपयोग करने से मलेरिया से बचा जा सकता है। विशेष टीका लगाने से रोग विशेष के होने का खतरा टल सकता है।

प्रश्न 29.
हमारा शरीर रोगाणुओं से कैसे लड़ता है?
उत्तर:
हमारे शरीर में स्थित प्रतिरक्षा-तंत्र रोगाणुओं से लड़ता है। हमारे रक्त में पाई जाने वाली श्वेत रक्त कणिकाएँ रोगाणुओं को मार देती हैं। जैसे ही शरीर में रोगाणुओं का संक्रमण बढ़ता है तो ये कोशिकाएँ इन रोगाणुओं से मुकाबला करती हैं। यदि मुकाबले में रोगाणु नष्ट हो जाएँ तो शरीर स्वस्थ रहता है और यदि मुकाबला करने वाली विशेष कोशिकाएँ इस संघर्ष में हार जाएँ तो हम बीमार हो जाते हैं। शरीर में गंभीर बीमारी प्रतिरक्षा-तंत्र की असफलता का ही परिणाम है। अतः प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए उचित पोषक तत्त्वों वाले आहार की आवश्यकता है।

प्रश्न 30.
एक बार चेचक होने पर उसे अंतिम बार क्यों माना जाता है?
उत्तर:
एक बार चेचक होने पर, शरीर का प्रतिरक्षा-तंत्र सक्रिय हो जाता है और चेचक के वाइरस से मुकाबला करता है। जब भी चेचक या इससे मिलता-जुलता रोगाणु शरीर में प्रवेश करता है तो प्रतिरक्षा-तंत्र पूरी क्षमता के साथ उसे नष्ट करने में जुट जाता . है जिससे संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। इस प्रकार शरीर में सशक्त प्रतिरक्षा-तंत्र विकसित हो जाता है और पुनः चेचक नहीं हो पाता।

प्रश्न 31.
टीकाकरण क्या है?
उत्तर:
यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पदार्थ (टीका) का संरोपण एक स्वस्थ व्यक्ति में सुई द्वारा किया जाता है जिससे उसके शरीर में उस बीमारी के प्रतिरक्षी पैदा हो जाते हैं। प्रतिरक्षण शरीर की वह क्षमता है जिससे प्रतिरक्षी वाहक द्वारा बाह्य बीमारी को पहचानने, समाप्त करने तथा उसे पूरी तरह उखाड़ फेंकने में सहायता मिलती है। टीकाकरण से व्यक्ति में बीमारी से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है। चेचक, रेबीज़, पोलियो, डिप्थीरिया, चिकनपॉक्स तथा हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से सुरक्षा के लिए टीकाकरण किया जाता है।

प्रश्न 32.
बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण क्यों किया जाता है?
उत्तर:
पोलियो, काली खाँसी, खसरा, डिप्थीरिया, टायफाइड तथा टेटनस बच्चों को होने वाले कुछ मुख्य रोग हैं। इन रोगों से बचाव के लिए शिशुओं एवं बच्चों को टीका लगवाना (प्रतिरक्षीकरण) आवश्यक है। सभी बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के इन रोगों से प्रतिरक्षण हेतु योजना के अंतर्गत भारत में पर्याप्त मात्रा में टीके बनाए तथा वितरित किए जा रहे हैं। यदि गर्भवती महिलाओं को बच्चे के जन्म से पहले ही टेटनस का टीका लगाया जाए तो बच्चों में प्रतिरक्षा का सामर्थ्य होता है। इसलिए उचित समय पर टीका लगाकर लाखों बच्चों की जान बचाई जा सकती है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रोगाणु बीमारियों को किस प्रकार फैलाते हैं?
उत्तर:
वे जीवाणु, जो रोग फैलाते हैं, रोगाणु कहलाते हैं। रोगाणुओं के शरीर में प्रवेश और इनकी प्रतिक्रिया से मनुष्य बीमार हो जाता है। निम्नलिखित विधियों द्वारा रोगाणु रोग फैला सकते हैं-
1. संपर्क द्वारा-कुछ रोगाणु रोगी के सीधे संपर्क से या रोगी द्वारा इस्तेमाल की हुई वस्तुओं से फैलते हैं; जैसे कोई स्वस्थ व्यक्ति रोगी के कपड़े पहन लेता है या उसका बिस्तर इस्तेमाल करता है, तो रोग के कीटाणु उसके शरीर में प्रवेश करके उसे रोगी बना देते हैं; जैसे चर्म रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणु।

2. खाने की वस्तुओं द्वारा-टायफाइड, हैज़ा आदि के रोगाणु रोगी का बचा हुआ भोजन खाने से हमारे शरीर में प्रवेश करके रोग फैला देते हैं।

3. हवा द्वारा सर्दी, जुकाम, इंफ्लुएंजा आदि रोगों के रोगाणु स्वस्थ मनुष्य के शरीर में सांस द्वारा प्रवेश करते हैं।

4. रोगवाहकों द्वारा-मक्खी, मच्छर, चूहे, पिस्सू आदि कुछ जंतु रोग फैलाने में सहायक होते हैं; जैसे मलेरिया मादा एनाफ्लीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। प्लेग चूहों के द्वारा फैलता है।

5. जल द्वारा रोगाणु पीने के जल के साथ मिलकर स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँच जाते हैं और हैज़ा, पेचिश, टायफाइड आदि रोग मनुष्य को आ घेरते हैं। इसीलिए विशेषकर वर्षा ऋतु में पानी को उबालकर फिर उसे ठंडा कर पीने की सलाह दी जाती है ताकि रोगाणु नष्ट हो जाएँ।

प्रश्न 2.
संक्रमण से होने वाली प्रमुख बीमारियों का संक्षिप्त परिचय दो।
उत्तर:
संक्रमण से होने वाले रोग सूक्ष्मजीवों के द्वारा होते हैं; जैसे-
1. हैज़ा हैज़ा का कारक जीव विब्रियों कोलरी है। यह दूषित जल के पीने या संक्रमित खाद्य-पदार्थों के खाने से होता है, लगातार बुखार, थूक के साथ रक्त, शरीर में दर्द, अतिसार और गर्दन की गांठों में
सूजन आ जाती है।

2. टायफाइड-यह सालमोनेला बैक्टीरियम टाइफी द्वारा फैलता है। बुखार आना, सिरदर्द, नाक से रक्त का बहना, त्वचा पर चकते पड़ना, छाती पर लाल दाने टायफाइड के प्रमुख लक्षण हैं।

3. खाँसी-जकाम-यह राइनो विषाण द्वारा होता है। जकाम में नाक से तरल पदार्थ का बहना, आँखों का लाल होना, जलन होना व सिरदर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं।

4. चिकनपॉक्स-इसका कारक जीव बेरीसोला जोस्टर विषाणु है। इसमें रोगी को शरीर पर चकते, पीठ में दर्द, तेज बुखार, तथा सिरदर्द होता है। इसका प्रभाव 14 दिन तक रहता है।

5. पोलियो-यह बच्चों को होने वाला संक्रामक रोग है। यह पोलियो माइलिटिस विषाणु द्वारा फैलता है। बुखार, उल्टी, शरीर में दर्द, ऐंठन व मांसपेशियों के नियंत्रण में बाधा, इसके लक्षण हैं। बच्चों के शरीर में पक्षाघात हो जाता है।

6. रेबीज़-यह रेबीज़ विषाणु द्वारा फैलता है। यह रोग कुत्ते, बिल्ली, चमगादड़, गीदड़, लोमड़ी आदि के काटने से होता है। रेबीज से प्रभावित व्यक्ति जल से डरता है। इससे तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है और इस रोग से रोगी की दर्दनाक मृत्यु हो जाती है।

7. एड्स-यह लैंगिक संचारी रोग की श्रेणी में आता है जो विषाणु के द्वारा फैलता है। HIV एड्स से प्रभावित व्यक्ति में प्रतिरक्षा-तंत्र कमज़ोर पड़ जाता है जिसके कारण शरीर हल्के से संक्रमण का मुकाबला करने में भी असमर्थ हो जाता है। HIV से प्रभावित व्यक्ति को हल्के खाँसी-जुकाम से भी निमोनिया हो जाता है। फिलहाल एड्स असाध्य रोग है।

प्रश्न 3.
भारत में संचरणीय रोगों की रोकथाम के लिए क्या कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं?
उत्तर:
भारत में संचरणीय रोगों की रोकथाम के लिए निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं-
1. राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम यह कार्य सन् 1953 में आरंभ किया गया। सन् 1975 में इसे नियंत्रण की बजाय पूर्ण उन्मूलन में परिवर्तित कर दिया गया। सन् 1977 में परिवर्तित कार्यक्रम प्रारंभ किया गया जिसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया। इस कार्यक्रम में मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करना, उपयुक्त औषधियों के लिए लोगों को शिक्षित करना, मच्छर मारने के लिए कीटनाशक औषधियाँ छिड़कना, मलेरिया रोगी का पता लगाना, मलेरिया रोधी औषधियों का वितरण करना, उनका लेखा-जोखा रखना आदि सम्मिलित हैं।

2. राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम इस कार्य के निम्नलिखित क्रम हैं-

  • तपेदिक से ग्रसित रोगी का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाकर उसका उपचार करना।
  • कम आयु में व्यक्तियों को बी०सी०जी० के टीके लगवाकर रोग से बचाना।
  • देश में कई टी०बी० क्लीनिक, जिला केंद्र तथा प्रदर्शन केंद्र स्थापित किए गए हैं।

उचित टीकाकरण सूची

गर्भवती महिलाओं को- टीके का प्रकार
गर्भावस्था में जितनी जल्दी हो सके टेटनस-1 का टीका
टेटनस-1 के 1 माह बाद टेटनस-2 या बूस्टर का टीका
बच्चे के लिए- बी०सी०जी० व डी०पी०टी०-1 के टीके और
1 1/2 माह पर पोलियो-1 की खुराक
2 1/2 माह पर डी०पी०टी-2 का टीका और पोलियो-2 की खुराक
3 1/2 माह पर डी०पी०टी०-3 का टीका और पोलियो- 3 की खुराक
9 माह पर खसरे का टीका
16 से 24 माह के बीच में डी०पी०टी० और पोलियो की बूस्टर टीका/खुराक
5 से 6 वर्ष के बीच में टायफाइड व डी०्टी० के दो टीके
10 वर्ष पर टी०टी० और टायफाइड के दो टीके
16 वर्ष पर टी०टी० और टायफाइड के दो टीके

3. राष्ट्रीय हैज़ा उन्मूलन कार्यक्रम इसके अंतर्गत हैज़ा प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छता, पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध करवाना तथा शहरी मल-मूत्र के उपयुक्त निष्कासन आते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य शिक्षा तथा तत्काल चिकित्सा के लिए भ्रमणशील (मोबाइल) चिकित्सा इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। इसमें हैजे के टीके लगवाने का प्रबंध किया गया है।

4. राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम भारत में इस रोग का सर्वे किया गया तथा उपचार के लिए कई केंद्र खोले गए हैं। रोगियों के पुनर्वास के लिए मकान बनाए गए हैं। मद्रास (चेन्नई) सरकार ने कुष्ठ रोग शिक्षण तथा अनुसंधान केंद्र खोला है, जहाँ पर इस रोग की सलाहकार समिति है। इसमें सल्फोन औषधि द्वारा उपचार किया जाता है।

अध्याय का तीता अध्ययन

1. हैज़ा एक रोग है-
(A) जीवाणु जन्य
(B) विषाणु जन्य
(C) प्रोटोजन्य
(D) कवक जन्य
उत्तर:
(A) जीवाणु जन्य

2. मलेरिया परजीवी का संक्रमण कहाँ होता है?
(A) वृक्क में
(B) आमाशय में
(C) यकृत में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) यकृत में

3. मलेरिया फैलता है-
(A) चूहे द्वारा
(B) मक्खी द्वारा
(C) मच्छर द्वारा
(D) पिस्सू द्वारा
उत्तर:
(C) मच्छर द्वारा

4. श्वास रोग फैलते हैं-
(A) भोजन द्वारा
(B) जल द्वारा
(C) वायु द्वारा
(D) जंतुओं द्वारा
उत्तर:
(C) वायु द्वारा

5. बीमारी का लक्षण नहीं है-
(A) खाँसी होना
(B) बुखार आना
(C) शरीर में कमज़ोरी आना
(D) थकावट
उत्तर:
(D) थकावट

6. मच्छरों को फैलने से रोकने का उपाय है-
(A) मच्छर भगाने की क्रीम
(B) मच्छरदानी का उपयोग
(C) दवाई की गोलियाँ खाने से
(D) परिवेश में पानी खड़ा न होने देने से
उत्तर:
(D) परिवेश में पानी खड़ा न होने देने से

7. संक्रामक रोग है
(A) गलगंड
(B) बेरी-बेरी
(C) मोटापा
(D) तपेदिक
उत्तर:
(D) तपेदिक

8. रोग फैलने का साधन कौन-सा है?
(A) व्यक्तिगत सम्पर्क
(B) जल
(C) वायु
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

9. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग वाइरल से होता है?
(A) एंथ्रेक्स
(B) डेंगु बुखार
(C) मलेरिया
(D) हैजा
उत्तर:
(B) डेंगु बुखार

10. एड्स का कारण है-
(A) जीवाणु
(B) प्रोटोजोआ
(C) वाइरस
(D) कवक
उत्तर:
(C) वाइरस

11. निम्नलिखित में से किस कारण से एड्स नहीं फैलता?
(A) लैंगिक संपर्क से
(B) रक्त स्थानान्तरण
(C) माता के प्लेसेंटा से
(D) हाथ मिलाने से
उत्तर:
(D) हाथ मिलाने से

12. यकृत पर आक्रमण से होने वाला रोग कौन-सा है?
(A) मधुमेह
(B) मलेरिया
(C) पीलिया
(D) जापानी ज्वर
उत्तर:
(C) पीलिया

13. फंजाई के कारण कौन-सा रोग होता है?
(A) काला ज्वर
(B) हैजा
(C) मलेरिया
(D) त्वचा रोग
उत्तर:
(D) त्वचा रोग

14. जल से फैलने वाले रोग क्या कहलाते हैं?
(A) जलोढ़
(B) वातोढ़
(C) जलीय
(D) वायवीय
उत्तर:
(A) जलोढ़

15. जापानी बुखार किस अंग को प्रभावित करता है?
(A) पेट को
(B) फेफड़ों को
(C) मस्तिष्क को
(D) हृदय को
उत्तर:
(C) मस्तिष्क को

16. यौन रोग नहीं है-
(A) सिफलिस
(B) गोनोरिया
(C) एड्स
(D) गिआर्डियता
उत्तर:
(D) गिआर्डियता

17. अमीबी पेचिश एक रोग है-
(A) वाइरस जन्य
(B) प्रोटोजोआ जन्य
(C) जीवाणु जन्य
(D) कवक जन्य
उत्तर:
(B) प्रोटोजोआ जन्य

18. निम्नलिखित में से संकामक रोग नहीं है-
(A) तपेदिक
(B) एड्स
(C) चेचक
(D) कैंसर
उत्तर:
(D) कैंसर

19. विषाणु से होने वाला रोग है-
(A) खाँसी-जुकाम
(B) डेंगू बुखार
(C) इंफ्लूएंजा
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी

20. कौन-सा रोग एक बार होने पर अंतिम बार माना जाता है?
(A) रेबीज़
(B) पोलियो
(C) चिकनपॉक्स
(D) चेचक
उत्तर:
(D) चेचक

21. बच्चों को होने वाला रोग नहीं है-
(A) रेबीज़
(B) पोलियो
(C) टेटनस
(D) डिप्थीरिया
उत्तर:
(A) रेबीज़

22. रेबीज़ का मुख्य लक्षण है-
(A) यकृत में सूजन
(B) पानी से भय
(C) उल्टी की इच्छा
(D) थूक में खून आना
उत्तर:
(B) पानी से भय

23. एड्स का प्रमुख लक्षण है-
(A) प्रतिरोधक क्षमता में कमी
(B) बुखार
(C) पेशी ऐंठन
(D) तेज खाँसी
उत्तर:
(A) प्रतिरोधक क्षमता में कमी

24. हीन्ताजन्य रोग नहीं है-
(A) डायरिया
(B) स्कर्वी
(C) पैलेग्रा
(D) जीरोप्थैलमिया
उत्तर:
(A) डायरिया

25. सही मिलान कीजिए
(a) एड्स – (i) स्टेफाइलोकोकस ऑरियस
(b) मुँहासे – (ii) लेश्मानिया डोनोवोनी
(c) कालाजार व्याधि – (iii) ट्रिप्नोसोमा गैम्बिएन्स
(d) निद्रालु व्याधि – (iv) ह्यूमन इम्यून वाइरस
(A) a-iv, b-i, c- ii, d-iii
(B) a-i, b-ii, c-iii, d-iv
(C) a-ii, b-i, c- iii, d-iv
(D) a-iii, b-ii, c-i, d-iv
उत्तर:
(A) a-iv, b-i, c- ii,d-iii

प्रयोगात्मक कार्य

क्रियाकलाप 1.
संभावित आपदाओं से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना।
कार्य-विधि-प्राकृतिक आपदाओं से स्वास्थ्य पर दो प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। इनकी तालिका विज्ञान-अध्यापक की सहायता से तैयार करो-

तत्कालिक प्रभाव आपदा उपरांत प्रभाव
1. लोगों के घायल होने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 1. शुद्ध पेयजल के अभाव में संक्रामक रोग फैल सकते हैं।
2. बीमार व्यक्तियों का उपचार न हो पाने के कारण स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। 2. पर्याप्त पोषण उपलब्ध न होने के कारण लोग कुपोषण से बीमार पड़ सकते हैं।
3. महामारी फैलने की संभावना से भय और आंतक से तनाव बढ़ जाता है। 3. चारों तरफ फैली गंदगी से बीमारियाँ फैल सकती हैं क्योंकि उचित सफाई नहीं हो पाती।

क्रियाकलाप 2.
स्थानीय नगर निगम द्वारा स्वच्छ जल आपूर्ति के बारे में किए जा रहे उपायों का अध्ययन करना।
कार्य-विधि-अपने नगर प्रशासन द्वारा स्वच्छ जल आपूर्ति के लिए किए जा रहे उपायों की सूची जल वितरण केंद्र पर जाकर तैयार करो; जैसे

  • पेयजल का क्लोरीनेशन किया जाता है।
  • जल संग्रह टंकी की नियमित सफाई की जाती है।
  • भूमिगत पेयजल प्राप्त करने के लिए गहराई वाले ट्यूबवैलों का उपयोग किया जाता है।
  • नहरों से प्राप्त जल के लिए वाटर ट्रीटमैंट प्लांट स्थापित किया गया है।
  • जल दूषित न हो, इसलिए जल पाइपों के द्वारा वितरित किया जाता है।

क्रियाकलाप 3.
स्थानीय प्राधिकरण द्वारा कचरे के निपटारे के लिए किए जा रहे उपायों का अध्ययन करना।
कार्य-विधि-स्थानीय निकाय के संबंधित अधिकारी से इस संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर, उपायों की सूची तैयार करो; जैसे-

  • कचरे का निपटारा लैंडफिल द्वारा किया जा रहा है।
  • कार्बनिक कचरे का निपटारा भस्मीकरण द्वारा किया जा रहा है।
  • कचरे का संग्रहण ढके वाहनों से किया जा रहा है।
  • कार्बनिक कचरे से कंपोस्ट तैयार कर किसानों को बेचा जा रहा है।
  • स्थानीय निकाय सोलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की तैयारी कर रहा है।

Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

→ स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक जीवन क्षमता की पूर्णरूपेण समन्वयित स्थिति है।

→ सभी जीवों का स्वास्थ्य उनके पर्यावरण पर आधारित होता है।

→ मानव के लिए सामाजिक पर्यावरण व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए अति महत्त्वपूर्ण है।

→ सामुदायिक स्वच्छता भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

→ संतुलित आहार व उचित आदतें भी स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक हैं।

→ रोग या व्याधि का शाब्दिक अर्थ बाधित आराम या असुविधा है।

→ कम अवधि वाले रोगों को तीव्र रोग और लंबी अवधि वाले रोगों को दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

→ रोग फैलाने वाले कारणों को रोग कारक कहते हैं।

→ रोग दो प्रकार के होते हैं संक्रामक और असंक्रामक।

→ संक्रामक कारक जीवों के अलग-अलग वर्ग से हो सकते हैं। ये एककोशिक सूक्ष्मजीव या बहुकोशिक हो सकते हैं।

→ रोग का उपचार उसके कारक रोगाणु के वर्ग के आधार पर किया जाता है।

→ संक्रामक कारक जल, वायु, शारीरिक संपर्क या रोगवाहकों द्वारा फैलते हैं।

→ रोगों का निवारण सफल उपचार की अपेक्षा अच्छा है।

→ संक्रामक रोगों का निवारण जन-स्वास्थ्य स्वच्छता विधियों से किया जा सकता है जिससे संक्रामक कारक कम हो जाते हैं।

→ टीकाकरण द्वारा संक्रामक रोगों का निवारण किया जा सकता है।

→ संक्रामक रोगों के निवारण को प्रभावशाली बनाने के लिए जरूरी है कि सार्वजनिक स्वच्छता और टीकाकरण की सुविधा सभी को उपलब्ध हो।

→ टेटनस, डिप्थीरिया, कुकुर खाँसी, चेचक, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध हैं।

→ हिपेटाइटिस ‘A’ का टीका भी उपलब्ध है।

→ चेचक के टीके का आविष्कार इंगलिश चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने गऊ के चेचक फफोलों से तैयार किया।

→ स्वास्थ्य स्वास्थ्य व्यक्ति की सामाजिक, मानसिक व शारीरिक जीवन की एक समग्र समन्वयित अवस्था है।

→ रोग अच्छे स्वास्थ्य में रुकावट उत्पन्न होना ही रोग है या शरीर के किसी भी अंग में किन्हीं कारणों से कुसंक्रिया का होना रोग कहलाता है।

→ लक्षण-जो हमें शरीर की खराबी या विकार के बारे में सावधान करे, उसे लक्षण कहते हैं।

→ तीव्र रोग-कम अवधि के रोगों को तीव्र रोग कहते हैं।

→ दीर्घकालिक रोग-जो रोग लंबी अवधि या जीवन पर्यंत रहें, उन्हें दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

→ रोग का कारक-रोग का कारण, रोग का कारक कहलाता है।

→ संक्रामक रोग जो रोग किसी प्रकार के संपर्क के द्वारा फैलते हैं, उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं।

→ असंक्रामक रोग जो रोग संपर्क की बजाय अन्य कारण से हो, असंक्रामक रोग कहलाते हैं।

→ एंटीबायोटिक-ऐसे पदार्थ जो एक जीवधारी से तैयार किए जाएँ और अन्य जीवधारियों के लिए हानिकारक हों, एंटीबायोटिक कहलाते हैं।

→ लैंगिक संचारी रोग-जो रोग लैंगिक संपर्क से फैलें, उन्हें लैंगिक संचारी रोग कहते हैं।

→ रोगवाहक-जो जंतु रोगाणुओं को रोगी से लेकर अन्य स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँचाएँ उन्हें रोगवाहक या वेक्टर कहते हैं।

→ जलोढ़-जल द्वारा फैलने वाले रोगों को जलोढ़ रोग कहते हैं।

→ टीकाकरण-वह प्रक्रिया जिसमें पदार्थ (टीका) को एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है जिससे उस बीमारी के प्रति हैं।

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *