Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता
Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता
HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता
HBSE 9th Class Science जीवों में विविधता Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1. जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
जीवों के वर्गीकरण से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं
- वर्गीकरण से जीवों का अध्ययन सरल हो जाता है।
- वर्गीकरण से जीवों के विभिन्न समूहों के बीच संबंधों के बारे में जानकारी मिलती है।
- वर्गीकरण से जीवों की समानता और विभिन्नताओं के बारे में जानकारी मिलती है।
- यह जीव विज्ञान की अन्य शाखाओं के लिए आधार का कार्य करता है।
- वर्गीकरण जीवों की एकदम स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 2. वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे?
उत्तर:
जीवों के वर्गीकरण में कोशिकीय संरचना और कार्य वर्गीकरण के आधारभूत लक्षण हैं। इन्हीं लक्षणों का पदानुक्रम विकास होता है। जीवों के अंगों द्वारा कार्य करने का लक्षण ही वर्गीकरण का प्रमुख लक्षण हो सकता है।
प्रश्न 3. जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्हिटेकर द्वारा प्रस्तुत जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. मोनेरा-इन एककोशीय प्रोकैरियोटिक जीवों में कोशिका भित्ति पाई जाती है। ये स्वपोषी अथवा विषमपोषी दोनों प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरण-जीवाणु, नील-हरित शैवाल, माइकोप्लाज्मा।
2. प्रोटिस्टा-ये एककोशीय यूकैरियोटिक स्वपोषी और विषमपोषी दोनों प्रकार के होते हैं। इनमें गमन के लिए सीलिया, फ्लैजेला पाए जाते हैं।
उदाहरण-पैरामीशियम एककोशिक शैवाल, प्रोटोजोआ, डाइएटम आदि।
3. पंजाई या कवक-ये विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव हैं। ये गले, मरे, सड़े कार्बनिक पदार्थों से पोषण प्राप्त करते हैं। इन्हें मृतजीवी भी कहते हैं। इनमें काइटिन नामक जटिल शर्करा की बनी हुई कोशिका भित्ति होती है। उदाहरण-यीस्ट, मशरूम, एगेरिकस आदि।
4. प्लांटी-ये कोशिका भित्ति वाले बहुकोशिक यूकैरियोटिक जीव स्वपोषी होते हैं, जो प्रकाशसंश्लेषण क्रिया में पर्णहरिम का उपयोग करते हैं।
उदाहरण-सभी हरे पौधे।
5. एनिमेलिया-ये सभी बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक विषमपोषी जीव होते हैं इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती।
प्रश्न 4. पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन-से हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर:
पादप जगत के प्रमुख वर्ग:
- थैलोफाइटा,
- ब्रायोफाइटा,
- टेरिडोफाइटा,
- जिम्नोस्पर्म,
- एंजियोस्पर्म।
इनके वर्गीकरण का आधार पादपं शरीर के प्रमुख घटकों का विकसित एवं विभेदित होना या नहीं होना है। वर्गीकरण का अगला स्तर पादप शरीर में जल और अन्य पदार्थों को संवहन करने वाले विशिष्ट ऊतकों की उपस्थिति के आधार पर होता है और तीसरी वर्गीकरण प्रक्रिया का आधार पौधों द्वारा बीजों को धारण करना या न करना है।
प्रश्न 5. जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर क्या है?
उत्तर:
अधिकतर पौधों का शरीर भोजन बनाने की क्षमता के अनुसार विकसित होता है जबकि जंतुओं का शरीर बाहर से भोजन ग्रहण करने के अनुसार विकसित होता है। यही जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण का मुख्य आधार है क्योंकि पौधे स्वपोषी और जंतु परपोषी कहलाते हैं।
प्रश्न 6. वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सभी कशेरुकाओं में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं
- नोटोकार्ड,
- पृष्ठनलीय कशेरुक दंड एवं मेरुरज्जु,
- त्रिकोरिक शरीर,
- युग्मित क्लोम थैली,
- देहगुहा।
सभी कशेरुकी जंतु द्विपार्श्वसममिति त्रिकोरिक, देहगुहा वाले जंतु हैं, इन्हें पाँच वर्गों में बाँटा गया है
1. मत्स्य:
- ये जलीय जंतु हैं जो मीठे और लवणीय दोनों प्रकार के जल में पाए जाते हैं,
- ये अंडे देने वाले असमतापी जीव हैं,
- इनका शरीर शल्कों से ढका होता है,
- इनका शरीर धारारेखीय होता है,
- श्वसन के लिए इनमें गलफड़े पाए जाते हैं,
- इनका हृदय द्विकक्षीय होता है,
- इनके शरीर पर पंख पाए जाते हैं।
उदाहरण-टॉरपीडो, रोहू, शार्क, ट्यूना, स्कॉलियोडॉन, समुद्री घोड़ा, ऐनाबस।
2. ऐंफिबिया (उभयचर वर्ग):
- ये अलवण जल और नमी वाले स्थानों पर पाए जाते हैं,
- शरीर शल्क रहित होता है,
- इनमें दो जोड़ी पंचांगुलि पाद होते हैं,
- श्वसन क्लोम, फेफड़ों या त्वचा द्वारा होता है,
- इनका हृदय तीन कक्षीय होता है।
उदाहरण-मेंढक, टोड, हाइला।
3. रेप्टीलिया वर्ग (सरीसृप वर्ग):
- ये अधिकतर स्थलीय होते हैं,
- इनकी त्वचा पर शल्क होते हैं,
- श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा होता है,
- हृदय तीन कक्षीय होता है (कुछ में चार कक्षीय; जैसे मगरमच्छ में),
- ये एकलिंगी होते हैं।
उदाहरण हेमिडैक्टाइलस (छिपकली), कैमेलिऑन (गिरगिट), ड्रैको (उड़न छिपकली)।
4. एवीज़ वर्ग (पक्षी वर्ग):
- ये विश्वव्यापी हैं,
- अग्रपाद पंखों में परिवर्तित हैं,
- शरीर पंखों में ढका होता है,
- कंकाल खोखला होता है,
- इनकी चोंच में दाँत नहीं होते,
- श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। फेफड़ों में वायुकोष पाए जाते हैं,
- हृदय चार कक्षीय है।
उदाहरण-कबूतर, मोर, चिड़िया, शुतुरमुर्ग आदि।
5. मैमेलिया वर्ग (स्तनपायी):
- ये प्रायः स्थलीय होते हैं,
- इनके शरीर पर बाल पाए जाते हैं,
- श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा होता है,
- हृदय चार कक्षीय है,
- ये स्तनों द्वारा अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं,
- ये एकलिंगी होते हैं।
उदाहरण-कंगारू, चूहा, व्हेल, गिलहरी, हाथी, खरगोश, चमगादड़, चिपैंजी, मनुष्य आदि।
HBSE 9th Class Science जीवों में विविधता Intext Questions and Answers
(पृष्ठ संख्या-91)
प्रश्न 1. हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते हैं?
उत्तर:
संसार में विभिन्न तरह के पेड़-पौधे और जंतु पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, संसार में जहाँ पर बैक्टीरिया सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने वाले सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, वहीं पर दूसरी ओर, नीले व्हेल जैसे 30 मीटर लंबे जीव भी पाए जाते हैं। जबकि कैलिफोर्निया में 100 मीटर लंबे रेडवुड पेड़ भी पाए जाते हैं। इनकी आयु, संरचना आदि भी भिन्न-भिन्न होती है। कुछ जीवों की संरचना सरल तथा कुछ जीवों की संरचना जटिल होती है। इसलिए जीवन के इन विभिन्न रूपों के अध्ययन को सरल बनाने के लिए इनकी समानताओं तथा असमानताओं के आधार पर इनका वर्गीकरण किया जाता है।
प्रश्न 2. अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दें।
उत्तर:
- संसार में एक तरफ बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने वाले सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं तो दूसरी तरफ 30 मीटर लंबी नीली व्हेल पाई जाती है।
- कैलिफोर्निया में 100 मीटर लंबे रेडवुड के पेड़ पाए जाते हैं जबकि लाइकेन केवल छोटे से धब्बों के रूप में भी दिखाई देते हैं।
- कछुआ 300 वर्ष तक जीवित रहता है, जबकि कुछ कीट जैसे मच्छर का जीवन केवल कुछ ही दिनों का होता है।
(पृष्ठ संख्या-92)
प्रश्न 1. जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या हो सकता है?
- उनका निवास स्थान,
- उनकी कोशिका संरचना।
उत्तर:
2. उनकी कोशिका संरचना।
प्रश्न 2. जीवों के प्रारंभिक विभाजन के लिए किस मूल लक्षण को आधार बनाया गया?
उत्तर:
यूनानी विचारक एरिस्टोटल ने जीवों के वर्गीकरण उनके स्थल, जल एवं वायु में रहने के आधार पर किया था।
प्रश्न 3. किस आधार पर जंतुओं और वनस्पतियों को एक-दूसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है?
उत्तर:
जंतुओं और वनस्पतियों को कोशिका में पाई जाने वाली कोशिका भित्ति के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। वनस्पतियों में कोशिका भित्ति पाई जाती है, जबकि जंतुओं में नहीं पाई जाती।
(पृष्ठ संख्या-93)
प्रश्न 1. आदिम जीव किन्हें कहते हैं? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर सबसे पहले विकसित जीवों को आदिम जीव कहते हैं; जैसे अमीबा। दूसरे प्रकार के जीव अर्थात् निम्न जीवों से विकसित जीवों को उन्नत जीव कहते हैं।
प्रश्न 2. क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं?
उत्तर:
हाँ, उन्नत और जटिल जीव एक ही होते हैं क्योंकि पुराने जीवों में जटिलताओं के साथ विकास हुआ। अतः सरल जीव उन्नत जीवों में बदल गए।
(पृष्ठ संख्या-96)
प्रश्न 1. मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण के मापदंड क्या हैं?
उत्तर:
मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण का आधार कोशिकीय संरचना, पोषण के स्रोत व तरीके और शारीरिक संगठन हैं।
प्रश्न 2. प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एककोशिक यूकैरियोटी जीव को आप किस जगत में रखेंगे?
उत्तर:
प्लांटी।
प्रश्न 3. वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में किस समूह में सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों को रखा जाएगा?
उत्तर:
सबसे कम – जाति (स्पीशीज)
सबसे अधिक – जगत (किंगडम)
(पृष्ठ संख्या-99)
प्रश्न 1. सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है?
उत्तर:
थैलोफाइटा वर्ग में।
प्रश्न 2. टेरिडोफाइटा और फैनरोगैम में क्या अंतर है?
उत्तर:
टेरिडोफाइटा-ये निम्न वर्ग के पौधे हैं। इनका शरीर जड़, तने व पत्तों में विभक्त होता है। उनमें संवहन तंत्र पाया जाता है। इनके जननांग बहुकोशिक होते हैं। इनमें निषेचन के बाद भ्रूण बनता है; जैसे फर्नस। फैनरोगैम-ये उच्च-कोटि के पौधे हैं। इनमें जड़, तना, पक्षी, फल, फूल व बीज पाए जाते हैं। इनमें लैंगिक जनन द्वारा बीज बनते हैं; जैसे गेहूँ, सरसों आदि।
प्रश्न 3. जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
| जिम्नोस्पर्म (अनावृतबीजी) | एंजियोस्पर्म (आवृतबीजी) |
| 1. इनमें बीज ढके हुए नहीं होते। | 1. इनके बीज ढके हुए होते हैं। |
| 2. इनके बीज फल के बाहर होते हैं। | 2. इनके बीज फलाभित्ति के अंदर होते हैं। |
| 3. ये अधिकतर पर्वतीय पौधों में पाए जाते हैं। उदाहरण-पाइनस (चीड़), साइकस। |
3. ये प्रायः सभी वर्ग के मैदानी पौधों में होते हैं। उदाहरण-मटर, गेहूँ। |
(पृष्ठ संख्या-105)
प्रश्न 1. पोरीफेरा और सीलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है?
उत्तर:
पोरीफेरा और सीलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं
| पोरीफेरा | सीलेंटरेटा |
| 1. ये अत्यंत सरल बहुकोशीय जंतु हैं। | 1. ये जटिल बहुकोशीय जंतु हैं। |
| 2. पूरा शरीर छिद्रमय होता है। | 2. इनका शरीर छिद्रमय नहीं होता। |
| 3. ये फूलदान के आकार के चपटे, गोल व शाखित होते हैं। | 3. इनके शरीर में टेंटाकलस पाए जाते हैं। |
| 4. ये स्थिर होते हैं। | 4. ये स्थिर या जल में तैरते हुए पाए जाते हैं। |
| 5. इनमें कंकाल स्पैंजिन तंतुओं का बना होता है। उदाहरण-साइकॉन, स्पांजिल़ा । | 5. इनका बाह्य कंकाल चूने का बना होता है। उदाहरण-हाइड्रा, फाइसेलिया। |
प्रश्न 2. एनीलिडा के जंतु, आर्थोपोडा के जंतुओं से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
एनीलिडा और आर्थोपोडा के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं
| एनीलिडा (सखंड कृमि) | आर्थोपोडा (संधिपाद कृमि) |
| 1. इसमें जीवों की संख्या कम है। | 1. यह सबसे बड़ा जंतु संघ है। |
| 2. इनमें बाह्य कंकाल नहीं पाया जाता। | 2. इनमें बाह्य कंकाल पाया जाता है। |
| 3. इनमें खुला परिसंचरण नहीं होता। | 3. इनमें खुला परिसंचरण तंत्र पाया जाता है। |
| 4. इनकी आँखें संयुक्त नहीं होती। | 4. इनकी आँखें संयुक्त होती हैं। |
| 5. इनमें शरीर सिर, धड़ और वक्ष में नहीं बँटा होता। | 5. इनका शरीर सिर, धड़, वक्ष में बँटा होता है। |
| 6. ये द्विलिंगी होते हैं। उदाहरण-केंचुआ, जोंक, नेरीस। |
6. ये एकलिंगी होते हैं। उदाहरण-तितली, मक्खी, मकड़ी, झींगा आदि। |
प्रश्न 3. जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अंतर है?
उत्तर:
जल-स्थलचर और सरीसृप जंतुओं में अंतर निम्नलिखित हैं
| जल-स्थलचर जंतु | सरीसृप जंतु |
| 1. ये अलवण जल और नमी वाले स्थानों पर पाए जाते हैं। | 1. ये प्रायः स्थलीय होते हैं। |
| 2. इनकी त्वचा शल्क रहित होती है। | 2. इनकी त्वचा पर शल्क पाए जाते हैं। |
| 3. इनमें श्वसन क्लोम, फेफड़ों और त्वचा द्वारा होता है। | 3. इनमें श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा होता है। |
| 4. इनमें नेत्र गोलक इधर-उधर घुमाया जा सकता है। | 4. इनमें ऐसा नहीं होता। |
| 5. ये असम रक्त प्राणी हैं। उदाहरण-मेंढक, बूफो, हाइला आदि । | 5. ये शीत रक्त प्राणी हैं। उदाहरण-छिपकली, गिरगिट, साँप, आदि । |
प्रश्न 4. पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं
| पक्षी वर्ग | स्तनपायी |
| 1. इनके शरीर पर पंख पाए जाते हैं। | 1. इनके शरीर पर बाल पाए जाते हैं। |
| 2. पक्षी अंडे देते हैं। | 2. ये बच्चों को जन्म देते हैं। |
| 3. इसकी चोंच में दाँत नहीं होते। | 3. इनके मुँह में दाँत होते हैं। |
| 4. इनका शरीर धारा रेखीय होता है। | 4. इनमें ऐसा नहीं होता। |
| 5. इसकी हड्डियाँ खोखली होती हैं। | 5. इसकी हड्डियाँ ठोस होती हैं। |
| 6. इनके फेफड़ों में वायुकोष पाए जाते हैं। उदाहरण-तोता, कबूतर, कौआ। | 6. इनके फेफड़ों में वायुकोष नहीं पाए जाते।उदाहरण-मनुष्य, गाय, चमगादड़। |
Haryana Board 9th Class Science Important Questions Chapter 7 जीवों में विविधता
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्गिकी किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीवों का वर्गीकरण करने वाली विज्ञान की शाखा. वर्गिकी कहलाती है।
प्रश्न 2.
किस व्यक्ति ने जीवों का वर्गीकरण उनके आवास के आधार पर किया?
उत्तर:
यूनानी विचारक एरिस्टोटल ने।
प्रश्न 3.
किन कोशिकाओं में केंद्रक, कोशिकांग और झिल्ली पाई जाती है?
उत्तर:
यूकैरियोटिक कोशिकाओं में।
प्रश्न 4.
किन कोशिकाओं में बहुकोशिकीय जीव के निर्माण की क्षमता होती है?
उत्तर:
केंद्रक युक्त कोशिकाओं में।
प्रश्न 5.
जो कोशिकाएँ समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं, उनमें पाए जाने वाले एक गुण के बारे में लिखो।
उत्तर:
श्रम विभाजन का गुण।
प्रश्न 6.
पौधे किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जिन जीवों में प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया द्वारा भोजन बनाने की क्षमता हो, उन्हें पौधे कहते हैं।
प्रश्न 7.
जंतु किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जो जीव अपना भोजन बाहर से ग्रहण करें, उन जीवों को जंतु कहते हैं।
प्रश्न 8.
जैव विकास की अवधारणा किस वैज्ञानिक ने दी?
उत्तर:
चार्ल्स डार्विन ने 1859 में अपनी पुस्तक ‘दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ में।
प्रश्न 9.
आदिम या निम्न जीव किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर पहले प्रकार के जीव आदिम जीव या निम्न जीव कहलाते हैं।
प्रश्न 10.
उन्नत या उच्च जीव किसे कहते हैं?
उत्तर:
आदिम जीवों में आई जटिलताओं से बने जीवों को उन्नत या उच्च जीव कहते हैं।
प्रश्न 11.
जीवों का किंगडम नामक बड़े वर्ग में विभाजित करने का प्रयास किन जैव वैज्ञानिकों ने किया?
उत्तर:
अन्सर्ट हेकेल (1894), राबर्ट व्हिटेकर (1959) और कार्ल वोस (1977) ने।
प्रश्न 12.
व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण का नाम क्या है?
उत्तर:
पाँच-किंगडम।
प्रश्न 13.
मोनेरा किंगडम को किस जैव वैज्ञानिक ने आर्कीबैक्टीरिया और यूबैक्टेरिया में बाँटा?
उत्तर:
कार्ल वोस ने।
प्रश्न 14.
स्पीशीज किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीवों का समूह जिसकी प्रजाति परस्पर संकरण कर सकती है। यह वर्गीकरण की सबसे छोटी इकाई है।
प्रश्न 15.
वर्गीकरण की आधारभूत इकाई क्या है?
उत्तर:
जाति।
प्रश्न 16.
नामकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसी पद्धति जिसमें जीव-जंतुओं और पौधों की प्रत्येक जाति का नामकरण किया जाता है।
प्रश्न 17.
वर्गिकी के जनक कौन हैं?
उत्तर:
केरोलस लिनियस।
प्रश्न 18.
वैज्ञानिक नाम लिखने की पद्धति को द्विनाम पद्धति क्यों कहते हैं?
उत्तर:
इस पद्धति में किसी भी जीव के दो नाम लिखे जाते हैं-पहला नाम जेनेटिक और दूसरा स्पीशीज़ (प्रजाति) का।
प्रश्न 19.
मनुष्य का वैज्ञानिक नाम क्या है?
उत्तर:
होमो सेपिएंस।
प्रश्न 20.
नामकरण की अंतर्राष्ट्रीय नाम पद्धति कौन-सी है?
उत्तर:
द्विनाम पद्धति।
प्रश्न 21.
वर्गीकरण की विभिन्न इकाइयाँ क्या हैं?
उत्तर:
जाति, वंश, गण, वर्ग, संघ तथा जगत।
प्रश्न 22.
जीनस (Genus) क्या है?
उत्तर:
समान जातियाँ मिलकर वंश या जीनस बनाती हैं।
प्रश्न 23.
पुराने तंत्र के अनुसार संसार को कितने जगतों में बाँटा गया है?
उत्तर:
दो जगतों में-
- पादप जगत
- जंतु जगत।
प्रश्न 24.
वर्गीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीवों में समानता, विभिन्नता तथा इनके आपसी संबंधों के आधार पर समूहों या वर्गों में बाँटना वर्गीकरण कहलाता है।
प्रश्न 25.
वर्गीकरण का एक महत्त्व लिखो।
उत्तर:
जीवों का अध्ययन सरल हो गया है।
प्रश्न 26.
संसार के समूचे जीवों को वनस्पति व जंतु जगत में किस वैज्ञानिक ने बाँटा?
उत्तर:
केरोलस लिनियस ने सन् 1758 में।
प्रश्न 27.
प्रोटिस्टा (तीसरा श्रेणी जगत) किसकी देन है?
उत्तर:
ई०एच० हेकेल (1866) की।
प्रश्न 28.
चौथा श्रेणी जगत मोनेरा और पांचवाँ श्रेणी जगत फेजार्ड किसने बनाए?
उत्तर:
राबर्ट व्हिटेकर (1959) ने।
प्रश्न 29.
किन जीवों में वृद्धि जीवन-भर होती रहती है?
उत्तर:
पौधों में।
प्रश्न 30.
आइशलर (1883) ने वनस्पति जगत को कितने उपजगतों में बाँटा?
उत्तर:
दो-क्रिप्टोगैमी व फैनरोगैमी।
प्रश्न 31.
कवक अपना भोजन स्वयं क्यों नहीं बना सकते?
उत्तर:
क्योंकि कवक में पर्णहरिम नहीं पाया जाता।
प्रश्न 32.
आवृतबीजी पौधे कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दो प्रकार के-
- द्विबीजपत्री तथा
- एकबीजपत्री।
प्रश्न 33.
अनावृतबीजी पौधों के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
साइकस व चीड़।
प्रश्न 34.
शैवाल और कवक में एक अंतर बताओ।
उत्तर:
शैवाल में पर्णहरितम पाया जाता है, जबकि कवक में नहीं।
प्रश्न 35.
लाइकेन क्या है?
उत्तर:
कवक और शैवाल के सहजीवी लाइकेन कहलाते हैं।
प्रश्न 36.
क्रिप्टोगैमी का कौन-सा विभाजक कवक से संबंधित है?
उत्तर:
थैलोफाइटा।
प्रश्न 37.
ब्रायोफाइटा का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
मॉस (फ्यूनेरिया)।
प्रश्न 38.
टेरिडोफाइटा का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
फर्नस, मार्सीलिया।
प्रश्न 39.
क्रिप्टोगैम्स किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन पौधों में बीज उत्पन्न करने की क्षमता न हो और इनमें अप्रत्यक्ष जननांग स्पोर पाए जाते हैं।
प्रश्न 40.
फैनरोगैम्स किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन पौधों में जनन प्रक्रिया के पश्चात् बीज उत्पन्न हो।
प्रश्न 41.
जिम्नोस्पर्म किसे कहते हैं?
उत्तर:
नग्न बीज उत्पन्न करने वाले पौधों को जिम्नोस्पर्म कहते हैं।
प्रश्न 42.
एंजियोस्पर्म किसे कहते हैं?
उत्तर:
फल के अंदर बीज उत्पन्न करने वाले पौधों को एंजियोस्पर्म कहते हैं।
प्रश्न 43.
प्लांटी का प्रमुख गुण क्या है?
उत्तर:
स्वपोषण।
प्रश्न 44.
एनिमेलिया का प्रमुख गुण क्या है?
उत्तर:
परपोषण।
प्रश्न 45.
पोरीफेरा किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन जीवों के शरीर पर अनेकों छिद्र पाए जाते हैं।
प्रश्न 46.
सीलेंटरेटा के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
हाइड्रा, समुद्री एनीमोन।
प्रश्न 47.
चपटे कृमि वर्ग का नाम क्या है?
उत्तर:
प्लेटीहेल्मिन्थीज।
प्रश्न 48.
फीताकृमि का वैज्ञानिक नाम लिखो।
उत्तर:
टिनिया सोलियम।
प्रश्न 49.
किस वर्ग के अधिकतर जीव परजीवी हैं?
उत्तर:
निमेटोडा के।
प्रश्न 50.
एनीलिडा का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
केंचुआ, जोंक।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्गिकी अथवा वर्गीकरण विज्ञान क्या है?
उत्तर:
वर्गिकी-जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवों का वर्गीकरण किया जाता है, वर्गिकी कहलाती है। सबसे पहले डी० केंडोली ने इस शब्द का उपयोग किया। वर्गिकी द्वारा जीवों की पहचान, वर्गीकरण, नामकरण आदि किया जाता है।
वर्गीकरण-यह जीवों को उनके संबंधों के आधार पर समूहों में व्यवस्थित करता है। जंतु तथा पौधों को विभिन्न श्रेणियों; जैसे फाइलम, वर्ग, आर्डर, कुल, जीनस तथा जाति में विकास के क्रम में रखा गया है। केरोलस लिनियस (1707-1778) ने सर्वप्रथम अपनी पुस्तक Systema Naturae में इस बारे में जानकारी दी। इसीलिए केरोलस लिनीयस को जीव वर्गिकी का जनक कहा जाता है।
प्रश्न 2.
जीवों को वर्गीकृत करना क्यों आवश्यक है? अपने शब्दों में बताओ।
उत्तर:
संसार में जीवों की संख्या अत्यधिक है। इन जीवों में कुछ समानताएँ हैं तो कुछ विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। इन जीवों की संरचना कुछ की सरल तो कुछ की जटिल है। इन जीवों की रचना, स्वभाव, जीवन-चक्र, पोषण, श्वसन, जनन आदि करने में भारी भिन्नताएँ पाई जाती हैं। अतः इन जीवों का अध्ययन करने के लिए वर्गीकृत करना आवश्यक है। जीवों को इनकी समानताओं और असमानताओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। वर्गीकरण जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के लिए आधार का कार्य करता है।
प्रश्न 3.
वर्गीकरण क्या है? इसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
जीवों को इनकी समानताओं, विभिन्नताओं तथा आपसी संबंधों के आधार पर वर्गीकृत करना ‘वर्गीकरण’ कहलाता है। महत्त्व-वर्गीकरण का महत्त्व निम्नलिखित है-
- वर्गीकरण अन्य जीव विज्ञान की शाखाओं को आधार प्रदान करता है।
- वर्गीकरण से जीवों का अध्ययन करना सरल और आसान हो जाता है।
- वर्गीकरण सभी जीवों की एकदम स्पष्ट तस्वीर प्रदान करता है।
- इससे विभिन्न जीवों के समूहों के बीच आपसी संबंधों के बारे में जानकारी मिलती है।
- भूगोल का अध्ययन पूर्णतया पौधों तथा जंतुओं के वर्गीकरण पर आधारित है।
- जीवों का वर्गीकरण अन्य विषयों में से अधिकतर ज्ञान विकास में काफी सीमा तक योगदान करता है।
- पारिस्थितिकी कोशिका विज्ञान, कायिकी आदि जीव विज्ञान की शाखाएँ वर्गीकरण के कारण विकसित हो पाई हैं।
प्रश्न 4.
द्विपद नाम पद्धति क्या है? एक उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
द्विपद नाम पद्धति (Binomial Nomenclature) यह पद्धति केरोलस लिनियस की देन है। इस पद्धति में जंतुओं की 4200 जातियों का नामकरण सन् 1758 में सिस्टेमा नेचुरी नामक पुस्तक में किया गया। इस पद्धति में प्रत्येक पौधे व जंतु को दो नाम दिए जाते हैं। पहला नाम जेनेटिक तथा दूसरा नाम स्पीशीज अर्थात जीव के वंश का नाम होता है। लिनियस को द्विनाम पद्धति का जनक माना गया है।
उदाहरणार्थ-आम (Mango) का वैज्ञानिक नाम मेंगिफेरा इंडिका (Mangifere Indica), सरसों का नाम ब्रेसिका कंपेस्ट्रिस (Brassica Compertis) और मनुष्य का नाम होमो सेपिएंस (Homo Sapiens) है। इन सभी में पहला नाम जेनेटिक और दूसरा स्पीशीज़ है और ये नाम पूरे संसार में एक समान अर्थात् उक्त नाम ही प्रचलित हैं।
प्रश्न 5.
वर्गीकरण की द्वि-जगतीय प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? बैक्टीरिया और कवक को पौधों के साथ वर्गीकृत क्यों किया गया है?
उत्तर:
संसार के सभी जीवों को दो मुख्य जगतों में बाँटा गया है-
- जंतु जगत (Animals) तथा
- पादप जगत (Plants)।
इन दोनों जगत के जीवों में जीवों के मुख्य लक्षण तो एक समान हैं परंतु कुछ लक्षणों के कारण भिन्न होते हैं। जंतु जगत के जीव प्रायः एक स्थान पर नहीं रहते हैं। ये अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं कर सकते, क्योंकि इनमें हरे रंग का पदार्थ पर्णहरिम अर्थात् क्लोरोफिल नहीं पाया जाता, जबकि पादप जगत के जीव प्रायः स्वपोषी होते हैं। ये प्रायः एक स्थान पर रहते हैं। इनकी कोशिका . भित्ति सैल्यूलोज की बनी होती है। इन जीवों में पर्णहरिम अर्थात् क्लोरोफिल पाया जाता है।
बैक्टीरिया और कवक में हरे रंग का पदार्थ पर्णहरिम नहीं पाया जाता और न ही ये स्वपोषी होते हैं। ये अपना भोजन मृत अथवा जीवित जीवों से प्राप्त करते हैं। फिर भी इन्हें निम्नलिखित कारणों से पादप जगत में रखा गया है-
- इनकी कोशिका भित्ति सैल्यूलोज की बनी होती है।
- यह अपना भोजन पौधों की तरह घोल अवस्था में ही प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 6.
वर्गीकरण की विभिन्न श्रेणियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्गीकरण की निम्नलिखित श्रेणियाँ हैं-
- जाति-यह जीवों की निम्नतम श्रेणी है।
- जीनस-जातियाँ मिलकर जीनस बनाती हैं।
- कुल-जीनस से उच्चतम श्रेणी कुल है।
- आर्डर-कुल मिलकर आर्डर बनाते हैं।
- वर्ग-आर्डर मिलकर वर्ग बनाते हैं।
- फाइलम-वर्ग से उच्चतम तथा वर्गों से मिलकर फाइलम बनता है।
प्रश्न 7.
क्रिप्टोगैमी और फैनरोगेमी किसे कहते हैं?
उत्तर:
- क्रिप्टोगैमी-ये निम्नकोटि के पौधे होते हैं। इनमें फूल, फल व बीजों का अभाव होता है। इनमें गुप्त जननांग होते हैं। स्पोर के द्वारा जनन करते हैं।
- फैनरोगैमी-ये उच्च-कोटि के पौधे होते हैं। इनमें जड़, तना, पत्ते, फूल, फल व बीज पाए जाते हैं। इनमें जनन प्रक्रिया के पश्चात बीज बनता है। बीज में भ्रूण और संचित खाद्य पदार्थ होता है।
प्रश्न 8.
क्रिप्टोगैमी का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
उत्तर:
क्रिप्टोगैमी-ये सभी अपुष्पी पौधे होते हैं। इनमें जनन अंग छुपे हुए होते हैं। इनमें बाहरी फूल व बीज नहीं पाए जाते। लिंडले और आइशलर के वर्गीकरण अनुसार क्रिप्टोगैमी को तीन फाइलमों (संघों) में विभाजित किया गया है-
- थैलोफाइटा; जैसे यूलोथ्रिक्स, पेनिसिलियम, लाइकेन आदि।
- ब्रायोफाइटा; जैसे फ्यूनेरिया, मार्केशिया आदि।
- टेरिडोफाइटा; जैसे फर्नस, सिलैजीनैला आदि।
प्रश्न 9.
एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री पौधों में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर:
एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री पौधों में निम्नलिखित अंतर हैं-
| एकबीजपत्री (Monocots) | द्विबीजपत्री (Dicots) |
| 1. इनके बीजों में एक बीजपत्र पाया जाता है। | 1. उनके बीज में दो बीजपत्र पाए जाते हैं। |
| 2. इनकी पत्तियों में समानांतर शिरा विन्यास पाया जाता है। | 2. इनकी पत्तियों में जालिका शिरा विन्यास पाया जाता है। |
| 3. इनमें रेशेदार जड़ तंत्र पाया जाता है। | 3. इनमें मूसला जड़ तंत्र पाया जाता है। |
| 4. इनमें द्वितीयक वृद्धि नहीं होती। | 4. इनमें द्वितीयक वृद्धि पाई जाती है। |
| 5. इनका तना गांठदार (पोरियों में बँटा) होता है। उदाहरण- गोहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा। |
5. इसका तंना पोरियों में नहीं बँटा होता। उदाहरण-सरसों, मटर, चना आदि। |
प्रश्न 10.
एनिमेलिया किसे कहते हैं? इस वर्ग की प्रमुख विशेषताएँ और इनके प्रमुख फाइलम के नाम लिखो।
उत्तर:
एनिमेलिया-ऐसे बहुकोशीय जीव जिनमें कोशिका भित्ति का अभाव होता है, एनिमेलिया कहलाते हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- ये सभी जीव विषमपोषी और परपोषी होते हैं।
- ये एक निश्चित आकृति प्राप्त कर देहवृद्धि रोकने वाले जीव होते हैं।
- अधिकतर जीव जंगम (चल) होते हैं।
इनका वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-
- पोरीफेरा
- सीलेंटरेटा
- प्लेटीहेल्मिन्थीज
- निमेटोडा
- एनीलिडा
- आर्थोपोडा
- मोलस्का
- इकाइनोडर्मेटा
- प्रोटोकॉर्डेटा
- वर्टीब्रेटा।
प्रश्न 11.
पोरीफेरा फाइलम (संघ) की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
पोरीफेरा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- ये अधिकतर लवणीय होते हैं, जबकि कुछ अलवण जल (ताजे जल) में भी पाए जाते हैं।
- ये बहुकोशिक होते हैं।
- उनकी देहाभित्ति दो स्तरों की बनी होती है।
- इनमें तंत्रिका तंत्र व कंकाल-तंत्र नहीं पाया जाता।
- देहाकृति क्लश या थैलीनुमा गोलाकार या शाखित होती है।
- सारे शरीर में छिद्र (Ostia) पाए जाते हैं, जबकि शिखर पर एक बड़ा मुख ऑसकुलम (Osculum) पाया जाता है।
- इनमें नाल तंत्र पाया जाता है।
- जनन लैंगिक (निषेचन) तथा अलैंगिक (मुकुलन) द्वारा होता है। उदाहरण-साइकॉन, यूप्लेक्टेला, स्पांजिला आदि।
प्रश्न 12.
सीलेंटरेटा फाइलम (गुहांत्र जीव) के मुख्य लक्षण बताइए।
उत्तर:
सीलेंटरेटा (गुहांत्र) के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-
- ये समुद्र में एकल या कॉलोनी के रूप में पाए जाते हैं।
- इनमें सत्य गुहा नहीं होती।
- अरीय सममित होती है।
- इनमें सीलेंटट्रोन उपस्थित होता है।
- दंश कोशीय टेंटाकलस पर पाई जाती हैं।
- इनमें स्टिगिंग कोशिकाएँ पाई जाती हैं, जिन्हें निडोब्लास्ट कहते हैं।
- निवाही जीवों में (पॉलिप व मेडूसा) जीवन-चक्र में बारी-बारी से आते हैं अर्थात् पीढ़ी एकांतरण पाया जाता है।
- जनन प्रायः पॉलिप में अलैंगिक और मेडूसा में लैंगिक होता है। उदाहरण-हाइड्रा, ओबीलिया, समुद्री एनीमोन, मूंगा आदि।
प्रश्न 13.
प्लेटीहेल्मिन्थीज फाइलम (चपटे कृमि) की विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
प्लेटीहेल्मिन्थीज की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

- ये प्रायः चपटे कृमि होते हैं
- ये अधिकतर परजीवी होते हैं, कुछ मुक्तजीवी भी हैं
- इनका शरीर तीन स्तरों (layers) का बना होता है
- शरीर द्विपार्श्व (Bilateral) होता है
- ये उभयलिंगी होते हैं
- आहार नाल में केवल एक मुँह छिद्र होता है
- इनका शरीर यकृत पर्णाभ पृष्ठधारीय, चपटा और पत्ते जैसा या रिबॅननुमा होता है।
उदाहरण-फीताकृमि, प्लेनेरिया, लिवरफ्लूक आदि। ।
प्रश्न 14.
निमेटोडा फाइलम (गोल कृमि) की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
निमेटोडा फाइलम की विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है-

- ये परजीवी या मुक्तजीवी हैं।
- इनकी द्विपार्श्व सममित होती है।
- उनकी आहार नाल पूर्ण होती है।
- देहगुहा असली नहीं है, उसे कूटसीलोम कहते हैं।
- ये एकलिंगी होते हैं।
- शरीर त्रिस्तरीय और अखंडित होता है।
- शरीर का आकार सूक्ष्मदर्शी से लेकर कुछ सेंटीमीटर तक होता है।
उदाहरण-एस्केरिस, पिन कृमि, गोल कृमि आदि।
प्रश्न 15.
ऐनीलिडा फाइलम (सखंड कमि) की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
ऐनीलिडा फाइलम की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

- ये गीली मिट्टी, अलवण व लवण जल में पाए जाते हैं।
- ये लंबे व सखंड शरीर वाले होते हैं।
- ये असली देहगुहा वाले प्रथम प्राणी हैं।
- इनमें उत्सर्जन के लिए नेफेरिया नामक अंग पाए जाते हैं।
- द्विपार्श्व सममित शरीर होता है।
- कुछ जीव द्विलिंगी होते हुए भी जनन लैंगिक करते हैं; जैसे जनन लैंगिक व अलैंगिक दोनों प्रकार का होता है।
- इनमें गति के लिए काइटिन युक्त शुकमय तथा पैरापोडियम के रूप में पार्श्व उपांग होते हैं।
उदाहरण-केंचुआ, जोंक, नेरीस, समुद्री चूहा आदि।
प्रश्न 16.
आर्थोपोडा फाइलम की विशेषताएँ क्या-क्या हैं?
उत्तर:
आर्थोपोडा फाइलम (संधित उपांग वाले जीव) की विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है-

- ये ज़मीन पर, मिट्टी में, अलवण व लवण जल में सभी जगह पाए जाते हैं।
- ये परजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं।
- इनके पाँव सखंड होते हैं।
- इनका शरीर भी सखंड है। पूरा शरीर तीन भागों-सिर, वृक्ष व उदर में समूहित होता है।
- शरीर का अग्रभाग मस्तिष्क व संवेदी अंगों के लिए एक पृथक् सिर बनाता है।
- शरीर पर काईटिननी का बना निर्जीव बाहरी कंकाल पाया जाता है।
- परिवहन तंत्र खुले प्रकार का होता है।
- इनमें शरीर गुहा (Haemocoel) होती है।
- नर व मादा जननांग अलग-अलग होते हैं।
उदाहरण-कॉकरोच, केकड़ा, बिच्छू, मक्खी, तितली, मच्छर आदि।
प्रश्न 17.
मोलस्का फाइलम (नरम देह वाले कवची जीव) के जीवों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मोलस्का फाइलम की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

- ये नरम शरीर वाले कवची जीव होते हैं।
- ये जलचर होते हैं।
- इनका आकार सूक्ष्म से लेकर भीमकाय (ऑक्टोपस 50 फुट) तक होता है।
- इनका शरीर अखंड व उपांगरहित होता है।
- श्वसन गिल या कंकत्वक्लोम (Ctenidia) द्वारा होती है।
- ये एकलिंगी होते हैं।
- इनमें सत्य देह गुहिका पाई जाती है।
- इनमें प्रचलन पाद द्वारा होता है।
उदाहरण-पाइला, यूनियो, ऑक्टोपस, काइटॉन।
प्रश्न 18.
हेमीकॉर्डेटा फाइलम की विशेषताएँ लिखो।
उत्तर:
हेमीकॉर्डेटा फाइलम की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- ये कृमिनुमा अखंड जीव होते हैं,
- ये सभी जीव समुद्र के निवासी हैं
- इनमें कशेरुकी व अकशेरुकी दोनों के गुण पाए जाते हैं
- इनका शरीर शुंड (Proboscis), कॉलर व धड़ में बँटा होता है
- ये सममिति द्विपार्शिव होते हैं
- इनमें श्वसन गिल स्लिट (कलोम छिद्र) द्वारा होता है
- ये एकलिंगी होते हैं।
उदाहरण बैलैनाग्लोसस, सेफैलोडिस्कस आदि।
प्रश्न 19.
नानकॉर्डेटा और कॉर्डेटा जंतुओं में मुख्य अंतर लिखो।
उत्तर:
नानकॉर्डेटा और कॉर्डेटा में मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं-
| नानकॉर्डेटा जंतु | कॉर्डेटा जंतु |
| 1. इनकी गुदा के पीछे पूँछ नहीं पाई जाती। | 1. इनमें पूँछ पाई जाती है। |
| 2. इनके रक्त में हीमोग्लोखिन प्लैज्मा घुला होता है। | 2. इनमें हीमोग्लोबिन लाल रक्त कणिकाओं में पाया जाता है। |
| 3. हृदय पृष्ठ उपस्थित होता है। | 3. इनमें हृदय अधर की ओर होता है। |
| 4. इनमें केंद्रीय तंत्रिका तंतु ठोस होता है। | 4. इनमें यह खोखला होता है। |
| 5. इनमें रीढ़ रज्जु नहीं पाई जाती है । | 5. इनमें रीढ़ रज्जु पाई जाती है। |
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
क्रिप्टोगैमी के वर्गीकरण का वर्णन करो।
उत्तर:
क्रिप्टोगैमी-ये पौधे पुष्पविहीन व फलविहीन होते हैं। इनमें जनन अंग छुपे हुए होते हैं। इनमें बाहरी फूल व बीज नहीं पाए जाते। इन्हें तीन वर्गों में बाँटा गया है-
1. थैलोफाइटा-पादप शरीर तना, जड़ व पत्तियों में विभाजित नहीं होता, अपितु एक समरूप थैलस के रूप में होता है। इनमें कोई संवहन तंत्र नहीं होता। उनके जननांग एककोशी होते हैं। इस डिवीज़न में पौधों के तीन स्पष्ट समूह हैं-
- शैवाल; जैसे यूलोथ्रिक्स, क्लैडोफोरा, अल्वा।
- कवक; जैसे ऐस्पर्जिलस, पेनिसिलियम, ऐगैरिकस।
- लाइकेन; जैसे लाइकेन पर्णिल, फ्रुटिकोज लाइकेन (सहजीवी)।
2. ब्रायोफाइटा-इन पौधों का शरीर जड़, तना व पत्तों जैसी संरचनाओं में बंटा होता है। ये नमी वाले छायादार स्थानों पर उगते हैं। इनमें भी संवहन तंत्र अनुपस्थित होता है। जननांग बहुकोशीय होते हैं। इनमें निषेचन के बाद भ्रूण बनता है; जैसे रिक्सिया, फ्यूनेरिया, मार्केशिया आदि।
3. टेरिडोफाइटा-इनका शरीर जड़, तना, पत्तों में विभाजित होता है। इनमें संवहन तंत्र विद्यमान होता है। इनके जननांग बहुकोशिक होते हैं। इनमें निषेचन के बाद भ्रूण बनता है; जैसे फर्नस (टेरिस, सिलैजीनैला)।
प्रश्न 2.
प्रत्येक की एक या दो विशेषताओं व उदाहरण सहित प्राणियों के मुख्य फाइलम के नाम दीजिए।
उत्तर:
जंतुओं के प्रमुख फाइलम व उनकी विशेषताएँ व उदाहरण निम्नलिखित प्रकार से हैं-
| उपजगत | संघ तथा उसके सामान्य लक्षण | उदाहरण |
| (1) प्रोटोजोआ (एककोशिकीय) | 1. प्रोटोजोआ-ये एककोशी होते हैं। इनका आकार निश्चित व अनिश्चित होता है। | अमीबा, यूग्लीना |
| (2) मेटाजोआ (बहुकोशिकीय) | 2. पोरीफेरा-ये बहुकोशी जीव हैं। सभी स्थानबद्ध होते हैं। | स्पंज, साइकॉन |
| 3. सीलेंटरेटा-इनमें दंश कोशिकाएँ पाई जाती हैं। इनमें ऊतक विभाजन पाया जाता है। | हाइड्रा, जैलीफिश, ओबीलिया | |
| 4. प्लेटीहेल्मिन्थीज-इन कृमियों का शरीर मुलायम और चपटा होता है। इनमें सत्यगुहा नहीं पाई जाती। | फीताकृमि, लिवरफ्लूक | |
| 5. निमेटोडा-इनका शरीर गोल बेलनाकार व क्यूरीकल से ढका होता है। इनमें पाचन नली पूर्ण होती है। | एस्केरिस, (हुकवार्म) | |
| 6. एनीलिडा-इनका शरीर लंबा व खंड-युक्त होता है। इनमें वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। | केंचुआ, जोंक | |
| 7. आर्थ्रोपोडा-इनका शरीर खंड-युक्त होता है। श्वसन गिल, श्वास नली या पुस्त फुफ्फस द्वारा होता है। | कॉकरोच, मक्खी, मच्छर | |
| 8. मोलस्का-शरीर कोमल व सख्त कवच से ढका होता है। इनका शरीर अखंड व उपांगरहित होता है। | पाइला, ऑक्टोपस, यूनियो | |
| 9. इकाइनोडर्मेटा-इनका शरीर चूनेदार काँटों से ढका होता है। ये अखंड होते हैं। | सी-कुकुम्बर, सितारा मछली | |
| 10. प्रोटोकॉर्डेटा-इनमें कशेरुकी तथा अकशेरुकी दोनों के गुण पाए जाते हैं। शरीर शुंड, कालर व धड़ में विभाजित होता है। | बैलैनाग्लोसस, होलोध्यूरिया, | |
| 11. कॉर्डेटा-इनमें तंत्रिका-तंत्र तथा गिल रंध्र पाए जाते हैं। इनमें नोटोकार्ड पाया जाता है। | क्रेल, चूहा, बंदर |
अध्याय का तीव्र अध्ययन
1. ‘वर्गिकी’ शब्द के जनक हैं-
(A) एरिस्टोटल
(B) राबर्ट हुक
(C) डी. केंडोली
(D) केरोलस लिनियस
उत्तर:
(D) केरोलस लिनियस
2. मोनेरा जैसे जीवों के वर्गीकरण का आधार नहीं है-
(A) कोशिकीय संरचना
(B) पोषण
(C) शारीरिक संगठन
(D) निवास
उत्तर:
(D) निवास
3. पर्णहरित नहीं पाया जाता-
(A) मोनेरा में
(B) प्रोटिस्टा में
(C) फंजाई में
(D) प्लांटी में
उत्तर:
(C) फंजाई में
4. मत्स्य का लक्षण नहीं है-
(A) धारारेखीय शरीर
(B) श्वसन गलफड़ों द्वारा
(C) हृदय तीन कक्षीय
(D) शरीर पर शल्क पाए जाते हैं।
उत्तर:
(C) हृदय तीन कक्षीय
5. उभयचर प्राणी नहीं है
(A) ड्रैको
(B) हाइला
(C) टोड
(D) मेंढक
उत्तर:
(A) ड्रैको
6. कंकाल खोखला होता है
(A) मत्स्य में
(B) उभयचर में
(C) सरीसृप में
(D) एवीज़ में
उत्तर:
(D) एवीज़ में
7. जीवों को किंगडम नामक बड़े वर्ग में विभाजित करने में योगदान नहीं था-
(A) अन्सर्ट हेकेल का
(B) राबर्ट व्हिटेकर का
(C) कार्ल वोस का
(D) डार्विन का
उत्तर:
(D) डार्विन का
8. निम्नलिखित में से कौन-सा जीव अंडे देता है, परंतु स्तनों से बच्चों को दूध पिलाता है?
(A) मनुष्य
(B) हाथी
(C) कंगारू
(D) डकबिल प्लेटीपस
उत्तर:
(D) डकबिल प्लेटीपस
9. निम्नलिखित में से जीनस है-
(A) समान आर्डर का समूह
(B) समान जातियों का समूह
(C) समान गणों का समूह
(D) समान कुलों का समूह
उत्तर:
(B) समान जातियों का समूह
10. आइशलर ने वनस्पति जगत को दो उपजगतों में बाँटा, उनके नाम हैं-
(A) क्रिप्टोगैमी व फैनरोगैमी
(B) जिम्नोस्पर्मी व एंजियोस्पर्मी
(C) ब्रायोफाइटा व टेरिडोफाइटा
(D) मोनेरा व प्रोटिस्टा
उत्तर:
(A) क्रिप्टोगैमी व फैनरोगैमी
11. अनावृतबीजी का उदाहरण है-
(A) फर्नस
(B) मार्सीलिया
(C) साइकस
(D) मॉस
उत्तर:
(C) साइकस
12. थैलस पाया जाता है-
(A) थैलोफाइटा में
(B) ब्रायोफाइटा में
(C) टेरिडोफाइटा में
(D) इनमें से किसी में भी नहीं
उत्तर:
(A) थैलोफाइटा में
13. फैनरोगैम्स वे होते हैं जिनमें बीज-
(A) होते हैं।
(B) नहीं होते
(C) नग्न होते हैं
(D) ढके होते हैं
उत्तर:
(A) होते हैं
14. जीव विज्ञान का जनक है-
(A) कार्ल वोस
(B) केरोलस
(C) डार्विन
(D) थियोफ्रेस्टस
उत्तर:
(D) थियोफ्रेस्टस
15. सहजीविता का गुण निम्नलिखित में से किसमें पाया जाता है?
(A) मोनेरा में
(B) लाइकेन में
(C) प्रोटिस्टा में
(D) इनमें से किसी में भी नहीं
उत्तर:
(B) लाइकेन में
16. निम्नलिखित में से जिम्नोस्पर्म का पादप कौन-सा है?
(A) आम
(B) मटर
(C) साइकस
(D) अमरूद
उत्तर:
(C) साइकस
17. निम्नलिखित में से किसमें बाह्य कवच पाया जाता है?
(A) यूनियो में
(B) घोंघा में
(C) काइटॉन में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
18. निम्नलिखित में से किस वर्ग में दुग्ध ग्रंथियाँ पाई जाती हैं?
(A) पक्षियों में
(B) स्तनधारियों में
(C) सरीसृप में
(D) इनमें से किसी में भी नहीं
उत्तर:
(B) स्तनधारियों में
19. किस संघ के जंतु का शरीर छिद्रमय होता है?
(A) मोलस्का
(B) सरीसृप
(C) स्पंज
(D) प्रोटोजोआ
उत्तर:
(C) स्पंज
20. रेशेदार जड़ तंत्र पाया जाता है-
(A) सरसों में
(B) मूली में
(C) गेहूँ में
(D) गाजर में
उत्तर:
(C) गेहूँ में
21. किस संघ के जीव उभयलिंगी होते हैं?
(A) प्लेटीहेल्मिन्थीज़
(B) सीलेंटरेटा
(C) पोरीफेरा
(D) मोलस्का
उत्तर:
(A) प्लेटीहेल्मिन्थीज़
22. किन जीवों का शरीर सिर, वक्ष व उदर में बंटा होता है?
(A) एनीलिड़ा
(B) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(C) निमेटोडा
(D) आर्थोपोडा
उत्तर:
(D) आर्थोपोडा
23. काइटन किस फाइलम से संबंधित है?
(A) आर्थोपोडा
(B) मोलस्का
(C) नेमेटोडा
(D) एनीलीडा
उत्तर:
(B) मोलस्का
24. किस फाइलम में कशेरुकी और अकशेरुकी दोनों के गुण पाए जाते हैं?
(A) यूरोकॉर्डेटा
(B) सेफैलोकॉर्डेटा
(C) हेमीकॉर्डेटा
(D) वर्टीब्रेटा
उत्तर:
(C) हेमीकॉर्डेटा
25. पादप जगत का उभयचर है-
(A) थैलोफाइटा
(B) ब्रायोफाइटा
(C) टेरिडोफाइटा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) ब्रायोफाइटा
26. हाइड्रा, आबीलिया, ओरेलिया का फाइलम कौन-सा है?
(A) पोरीफेरा
(B) सीलेंटरेटा
(C) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) सीलेंटरेटा
27. यूनियो, घोंघा, ऑक्टोपस का फाइलम कौन-सा है?
(A) आर्थोपोडा
(B) एनीलिडा
(C) मोलस्का
(D) इकाइनोडर्मेटा
उत्तर:
(C) मोलस्का
28. आर्थोपोडा का सबसे मुख्य लक्षण है-
(A) जोड़ीदार टांगें
(B) बाह्य कंकाल
(C) श्वसन ट्रेकिया
(D) एंटीना
उत्तर:
(A) जोड़ीदार टांगें
29. स्टारफिश पाए जाते हैं-
(A) वायु में
(B) स्थल में
(C) समुद्र में
(D) पहाड़ों में
उत्तर:
(C) समुद्र में
30. जीवों के स्तर में सबसे ऊपर का स्तर है-
(A) वर्ग
(B) जाति
(C) गण
(D) जगत
उत्तर:
(D) जगत
31. चार्ल्स डार्विन ने जैव विकास की अवधारणा को कब जन्म दिया?
(A) सन् 1857 में
(B) सन् 1858 में
(C) सन् 1859 में
(D) सन् 1860 में
उत्तर:
(C) सन् 1859 में
32. प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन बनाते हैं-
(A) पक्षी
(B) पशु
(C) हरे पौधे
(D) मछलियाँ
उत्तर:
(C) हरे पौधे
33. निम्नलिखित में त्रिकोरक का उदाहरण कौन-सा है?
(A) स्पांजिला
(B) हाइड्रा
(C) यूग्लीना
(D) फीता कृमि
उत्तर:
(D) फीता कृमि
प्रयोगात्मक कार्य
क्रियाकलाप 1.
एकबीजपत्री और द्विबीजपत्री में अंतर करना।
कार्य-विधि-गेहूँ, चना, मटर, मक्का, धान, इमली आदि के बीज लेकर इन्हें पानी में भिगोओ। जब अच्छी तरह फूल जाए
इनका वर्गीकरण उतारकर अवलोकन करो। जिनमें एकबीजपत्र (गेहूँ, मक्का, धान) हो एकबीजपत्री और जिनमें द्विबीजपत्र (चना, मटर, इमली) हो द्विबीजपत्री होता है। इन पौधों में अन्य अंतर देखने के लिए तालिका बनाओ-
तालिका
| क्रमांक | अंतर का कारण | एकबीजपत्री | द्विबीजपत्री |
| 1. | जड़ें | रेशेदार | मूसला जड़ |
| 2. | पत्तियों में शिराविन्यास | समानांतर | जालिका |
| 3. | तना | गांठदार | बिना गांठ वाला |
| 4. | बीज | एकबीजपत्र | द्विबीजपत्र |
Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता
→ हमारी पृथ्वी पर लगभग 10 करोड़ प्रकार के जीव पाए जाते हैं, जिनमें से लगभग 17 लाख विभिन्न प्रकार की जातियों का वर्गीकरण किया गया है।
→ जीवों का वर्गीकरण इनमें समानता, विभिन्नता तथा उनके आपसी संबंधों के आधार पर किया गया है।
→ जीव विज्ञान की वह शाखा जो जीवों का वर्गीकरण करती है, वर्गिकी कहलाती है। यह शब्द डी० केंडोली ने दिया।
→ जीवों के वर्गीकरण से जीवों का अध्ययन करना आसान हो गया है।
→ केरोलस लीनियस वर्गीकरण का जनक है। उसने द्विनाम पद्धति विकसित की।
→ द्विनाम पद्धति में जीव को नाम देने के लिए नाम के दो घटक पहला जीनस (जेनेटिक नाम) तथा दूसरा जातीय नाम होता है।
→ जीवों के वर्गीकरण की विभिन्न श्रेणियाँ-जगत, फाइलम, क्लास, आर्डर, फैमिली, वंश तथा जाति हैं।
→ समूचे जीव-जगत को दो समूहों में बाँटा गया है-वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत।
→ जीवों को पाँच जगत में वर्गीकृत करने के लिए निम्न विशेषताओं को ध्यान में रखा जाता है
→ कोशिकीय संरचना-प्रोकैरियोटी अथवा यूकैरियोटी।
→ जीव का शरीर एककोशिक अथवा बहुकोशिक है। बहुकोशिक जीवों की संरचना जटिल होती है।
→ कोशिका भित्ति की उपस्थिति तथा स्वपोषण की क्षमता।
→ उपर्युक्त आधार पर सभी जीवों को पाँच जगत में बाँटा गया है मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक (फंजाइ), प्लांटी और एनिमेलिया।
→ जीवों का वर्गीकरण उनके विकास से संबंधित है।
→ ्लांटी और एनिमेलिया को उनकी शारीरिक जटिलता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
→ पौधों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है-शैवाल, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म।
→ जंतुओं को दस फाइलम में बाँटा गया है-पोरीफेरा, सीलेंटरेटा, प्लेटीहेल्मिन्थीज, निमेटोडा, एनीलिडा, आर्थोपोडा, मोलस्का, इकाइनोडर्मेटा, प्रोटोकॉर्डेटा और वर्टीब्रेटा।
→ जैव विविधता-जीवों के गुण-धर्मों में पाई जाने वाली विविधता जैव विविधता कहलाती है।
→ वर्गीकरण-समानता और भिन्नता के आधार पर जीवों को बाँटना वर्गीकरण कहलाता है।
→ जैव विकास-जीवों में निरंतर बदलावों की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप बेहतर जीवन-यापन जैव विकास कहलाता है।
→ मेगाडाइवर्सिटी क्षेत्र पृथ्वी पर कर्क और मकर रेखा के बीच जीवों में काफी विविधता पाई जाती है, इसलिए इसे मेगाडाइवर्सिटी क्षेत्र कहते हैं।
→ मोनेरा-एक कोशिकीय प्रोकैरियोटिक जीव, जिनमें कोशिका भित्ति पाई जाती है, मोनेरा कहलाते हैं।
→ प्रोटिस्टा-एक कोशिकीय यूकैरियोटिक जीव प्रोटिस्टा कहलाते हैं।
→ फंजाई-विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव, जो मृत गले-सड़े कार्बनिक पदार्थों से भोजन ग्रहण करें, फंजाई कहलाते हैं।
→ प्लांटी-कोशिका भित्ति वाले बहुकोशिक यूकैरियोटिक स्वपोषी जीव प्लांटी कहलाते हैं।
→ एनिमेलिया-बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीव, जिसमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती, एनिमेलिया कहलाते हैं।
→ थैलोफाइट जिन पादपों में विशेष संरचना थैलस पाया जाता है।
→ ब्रायोफाइटा-पादप वर्ग के उभयचर वर्ग को ब्रायोफाइटा कहते हैं।
→ क्रिप्टोगैम्स-जिन पादपों में बीज उत्पन्न करने की क्षमता न हो, वे क्रिप्टोगैम्स होते हैं।
→ जिम्नोस्पर्म-नग्न बीज उत्पन्न करने वाले पौधे जिम्नोस्पर्म कहलाते हैं।
→ एंजियोस्पर्म-ढके हुए बीजों वाले पौधे एंजियोस्पर्म कहलाते हैं।
→ कशेरुकी-जिन जीवों में रीढ़ की हड्डी पाई जाती है, कशेरुकी कहलाते हैं।
→ अकशेरुकी जिन जीवों में रीढ़ की हड्डी न पाई जाए, अकशेरुकी कहलाते हैं।
