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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran वाक्य-भेद

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran वाक्य-भेद

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran वाक्य-भेद

वाक्य-रचना

वाक्य के भेद Class 10 HBSE Hindi Vyakaran प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
सार्थक शब्दों के उस समूह को वाक्य कहते हैं, जो अपेक्षित अर्थ को प्रकट करता हो।
वर्णों से शब्द बनते हैं और शब्दों से वाक्य। वाक्य में कम-से-कम दो शब्द-कर्ता और क्रिया होना आवश्यक है किंतु बातचीत में कभी-कभी विवशता की स्थिति में एक शब्द से भी वाक्य का काम लेना पड़ता है; जैसे-
(क) कहाँ जा रहे हो?
(ख) विद्यालय।
(ग) क्या काम करते हो?
(घ) व्यापार।
उपर्युक्त वाक्यों में दूसरा और चौथा वाक्य एक-एक शब्द का ही है। सुनने वाला इसका अभिप्राय समझ जाता है।

वाक्य के तत्त्व

Vakya Bhed Class 10 HBSE Hindi Vyakaran प्रश्न 2.
वाक्य के प्रमुख तत्त्वों का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वाक्य में छह तत्त्व होते हैं
(1) योग्यता
(2) आकांक्षा
(3) आसक्ति
(4) सार्थकता
(5) पद-क्रम ।
(6) अन्वय

1. योग्यता:
इसका अर्थ यह है कि वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में अपने प्रकरण के अनुसार अर्थ व्यक्त करने की योग्यता या क्षमता होनी चाहिए। जैसे-
‘दीवार खाती है।’ यह शब्द-समूह वाक्य नहीं हो सकता क्योंकि दीवार खाने की योग्यता नहीं रखती। इसी प्रकार, ‘घोड़ा घास पीता है’ यह शब्द-समूह भी वाक्य नहीं कहला सकता क्योंकि ‘घास’ पीने का पदार्थ नहीं है। अतः सही वाक्य हो सकता है-घोड़ा घास खाता है या घोड़ा पानी पीता है।

2. आकांक्षा:
वाक्य अपने-आप में पूर्ण होना चाहिए। उससे कुछ आकांक्षा या जिज्ञासा नहीं झलकनी चाहिए। जैसे-‘रात को जागता है। इस वाक्य को सुनकर श्रोता को यह जानने की जिज्ञासा बनी रहती है कि क्रिया का कर्ता कौन है। अतः पूर्ण वाक्य इस प्रकार ही बनेगा-चौकीदार रात को जागता है।

3. आसक्ति (निकटता):
‘आसक्ति’ का अर्थ है-निकटता या समीपता। बोलते अथवा लिखते समय वाक्य के शब्दों में निकटता या समीपता नितांत आवश्यक है। अगर शब्द थोड़ी-थोड़ी देर बाद या रुक-रुक कर बोले जाएँ तो वे वाक्य नहीं बनाते। वाक्य तो एक निरंतर प्रवाह में बोला या लिखा जाना चाहिए। स्वाभाविक ठहराव और बलाघात की और बात है जिन्हें दिखाने के लिए विराम चिह्नों का समुचित प्रयोग किया जाता है।

4. सार्थकता:
यह वाक्य का सर्वाधिक अनिवार्य तत्त्व है। वाक्य का प्रत्येक शब्द सार्थक होना चाहिए। उसमें निरर्थक शब्दों का प्रयोग तभी हो सकता है जबकि वे कुछ-न-कुछ अर्थ प्रकट करते हों। ‘कच-कच्’ शब्द निरर्थक है, लेकिन “क्या कच-कच् लगा रखी है?” इस वाक्य में यह शब्द ‘व्यर्थ की बकवास’ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। अतः सार्थक बन गया है।

5. पद-क्रम:
वाक्य में सभी पदों का एक निश्चित क्रम रहता है। यह क्रम ही वाक्य को व्यवस्थित एवं सार्थक बनाता है। उदाहरण के रूप में, हिंदी में प्रायः कर्ता के बाद कर्म और उसके बाद क्रिया का प्रयोग किया जाता है। जैसे-“मोहन पत्र लिखता है” किंतु “पत्र मोहन लिखता है” या “लिखता है मोहन पत्र” ऐसा शब्द-समूह वाक्य नहीं कहलाते क्योंकि इनमें पद-क्रम नहीं है।

6. अन्वय:
अन्वय का अभिप्राय यह है कि वाक्य में लिंग, वचन, पुरुष, काल, कारक आदि के अनुसार क्रिया का प्रयोग होना चाहिए। इस मेल के बिना वाक्य के अर्थ में भ्रम उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार के मेल को ही अन्वय कहते हैं। उदाहरणार्थ, निम्नलिखित वाक्य देखिएगीता सुंदर नाचते हैं-अशुद्ध गीता सुंदर नाचती है-शुद्ध प्रथम वाक्य में कर्ता के अनुसार क्रिया का प्रयोग नहीं है, इसलिए उसे शुद्ध वाक्य नहीं कहा जाता।

रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद

Vakya Ke Bhed Class 10 HBSE Hindi Vyakaran प्रश्न 3.
रचना की दृष्टि से वाक्य कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद होते हैं
(1) सरल वाक्य,
(2) संयुक्त वाक्य,
(3) मिश्रित वाक्य।

1. सरल वाक्य:
जिस वाक्य में एक ही मुख्य क्रिया हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं; जैसे-
(क) राम पुस्तक पढ़ता है।
(ख) लड़के फुटबॉल से खेल रहे हैं।
(ग) शीला के भाई मोहन ने क्रिकेट के मैच में शतक बनाकर सभी को हैरान कर दिया।
उपर्युक्त वाक्यों में मुख्य क्रिया एक ही है। अतः ये छोटे-बड़े होते हुए भी सरल वाक्य हैं।

2. संयुक्त वाक्य:
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल या मिश्रित वाक्य किसी योजक द्वारा जुड़े हुए हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं; जैसे-
(क) राम आज दिल्ली गया और शाम तक लौट आया।
(ख) आप चाय लेंगे या आपके लिए कॉफी बनवाऊँ?
(ग) कल मोहन आएगा और सोहन भी आएगा।
(घ) सत्य बोलो किंतु कटु सत्य न बोलो।
(ङ) वह बीमार है, अतः जाने में असमर्थ है।
उपर्युक्त वाक्यों को देखने से स्पष्ट हो जाता है कि संयुक्त वाक्य में दो उपवाक्य समान स्तरीय एवं स्वतंत्र होते हैं तथा योजक से जुड़े होते हैं।

3. मिश्र या मिश्रित वाक्य:
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य और एक या एक से अधिक गौण उपवाक्य हों तथा वे गौण उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर आश्रित हों तो वह मिश्र या मिश्रित वाक्य कहलाता है; जैसे-
(क) राम ने कहा कि वह आज स्कूल नहीं जाएगा।
(ख) जब मैं स्टेशन पहुँचा, गाड़ी छूट चुकी थी।
(ग) जो व्यक्ति समय की कीमत नहीं समझता, उसे पछताना पड़ता है।
उपर्युक्त वाक्यों में से प्रत्येक में एक प्रधान उपवाक्य है और दूसरा गौण वाक्य प्रधान उपवाक्य पर आश्रित है। अतः ये तीनों मिश्र वाक्य हैं।

आश्रित वाक्य के भेद:
आश्रित वाक्य के तीन भेद होते हैं-
(i) संज्ञा उपवाक्य:
यदि उपवाक्य प्रधान वाक्य के उद्देश्य, कर्म या पूरक के रूप में संज्ञा के समान आए तो संज्ञा उपवाक्य होता है; जैसे-
मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं समाज-सेवा करूँ। इस वाक्य में ‘कि मैं समाज-सेवा करूँ’ प्रधान उपवाक्य की क्रिया है’ का उद्देश्य है। अतः यह संज्ञा उपवाक्य है। सीता ने कहा कि आज मुझे घर जाना है। यहाँ भी ‘आज मुझे घर जाना है’-यह उपवाक्य ‘कहा’ क्रिया का कर्म है। संज्ञा वाक्य के आरंभ में प्रायः ‘कि’ योजक का प्रयोग होता है।

(ii) विशेषण उपवाक्य:
प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा, सर्वनाम या संज्ञा पदबंध की विशेषता प्रकट करने वाले उपवाक्य को विशेषण उपवाक्य कहते हैं। इस प्रकार के उपवाक्यों से पूर्व जो, जिसने, जैसे, जितना आदि शब्दों का प्रयोग होता है; जैसे-
(क) मैंने एक बिल्ला देखा जो कुत्ते जितना बड़ा था।
(ख) जो विद्यार्थी योग्य होते हैं, उन्हें सभी शिक्षक चाहते हैं।

(iii) क्रियाविशेषण उपवाक्य-जब आश्रित या गौण उपवाक्य का प्रयोग क्रियाविशेषण की भाँति हो तो वह क्रियाविशेषण उपवाक्य कहलाता है। ऐसे वाक्यों का आरंभ ‘जब भी’ अथवा ‘जहाँ-जहाँ’ जैसे शब्दों से होता है; जैसे
(क) जब-जब धर्म को खतरा होता है, ईश्वर अवतार लेते हैं।
(ख) जहाँ-जहाँ प्रधानमंत्री गए, लोगों ने उनका स्वागत किया।
इन वाक्यों में ‘जब-जब’ तथा ‘जहाँ-जहाँ’ से आरंभ होने वाले उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया के समय या स्थान की जानकारी दे रहे हैं। अतः ये क्रियाविशेषण उपवाक्य हैं।

क्रियाविशेषण उपवाक्य पाँच प्रकार के होते हैं
(i) कालवाची क्रियाविशेषण उपवाक्य
(क) ज्यों ही मैं स्टेशन पर पहुंचा, त्यों ही गाड़ी ने सीटी बजाई।
(ख) जब पानी बरस रहा था, तब मैं सो रहा था।
(ग) जब-जब मैंने बाहर जाने की तैयारी की, तब-तब घर में कोई-न-कोई बीमार पड़ गया।

(ii) रीतिवाची क्रियाविशेषण उपवाक्य-
(क) मैंने वैसा ही किया है जैसा आपने बताया था।
(ख) वह उसी प्रकार खेलता है, जैसा उसके कोच सिखाते हैं।

(iii) परिमाणवाची क्रियाविशेषण उपवाक्य(क) जैसे-
(क) जैसे आमदनी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे महँगाई बढ़ती जाती है।
(ख) तुम जितना पढ़ोगे, उतना ही तुम्हारा लाभ होगा।

(iv) परिणामवाची (कार्य-कारण) क्रियाविशेषण उपवाक्य-
(क) वह आएगा अवश्य क्योंकि उसको पैसे लेने हैं।
(ख) यदि तुमने परिश्रम किया होता तो तुम सफल हो जाते।
(ग) यद्यपि तुम मोटे-ताजे हो तो भी उससे जीत नहीं पाओगे।
(घ) वह तुम्हारे पास आ रहा है ताकि कल का कार्यक्रम बना सके।

(v) स्थानवाची क्रियाविशेषण उपवाक्य-
(क) जहाँ तुम पढ़ते थे, वहीं मैं भी पढ़ता था।
(ख) जिधर तुम जा रहे हो, उधर आगे रास्ता बंद है।
(ग) जहाँ तुम्हारे भाई गए हैं, वहीं तुम भी जाओ।

वाक्य-रचनांतरण

प्रश्न 4.
वाक्य-रचनांतरण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए तथा उसके भेदों के नाम भी लिखिए।
उत्तर:
एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में बदलना वाक्य-रचनांतरण कहलाता है। यह रचनांतरण तीन प्रकार का होता है
(1) रचना की दृष्टि से रचनांतरण।
(2) अर्थ की दृष्टि से रचनांतरण।
(3) वाक्य की दृष्टि से रचनांतरण।

1. रचना की दृष्टि से वाक्य-रचनांतरण:
रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद हैं-साधारण वाक्य, मिश्र वाक्य और संयुक्त वाक्य । साधारण वाक्य से मिश्र या संयुक्त वाक्य बनाना, मिश्र वाक्य से सरल या संयुक्त वाक्य बनाना तथा संयुक्त वाक्य से सरल या मिश्र वाक्य बनाना रचना की दृष्टि से वाक्य-रचनांतरण के अंतर्गत आता है। इस प्रकार के परिवर्तन में वाक्यों के मूल अर्थ का ध्यान रखा जाता है। परिवर्तन करते समय कुछ शब्द अपनी ओर से भी लगाए जा सकते हैं; जैसे
सरल – मोहन हिंदी पढ़ने के लिए शास्त्री जी के यहाँ गया है।
मिश्र – मोहन को हिंदी पढ़नी है इसलिए वह शास्त्री जी के यहाँ गया है।
संयुक्त – मोहन को हिंदी पढ़नी है और इसलिए वह शास्त्री जी के यहाँ गया है। कुछ अन्य उदाहरण-

(1) सरल – मोहन के घर पहुंचने से पूर्व उसके पिता चल चुके थे।
मिश्र – जब मोहन घर पहुंचा तब उसके पिता चल चुके थे।
संयुक्त – मोहन घर पहुंचा तो उसके पिता चल चुके थे।

(2) सरल – मैंने एक बहुत बीमार आदमी को देखा।
मिश्र – मैंने एक आदमी को देखा जो बहुत बीमार था।
संयुक्त – मैंने एक आदमी को देखा और वह बहुत बीमार था।

मिश्र वाक्यों से साधारण वाक्य

मिश्र वाक्य साधारण वाक्य
1. वह मनुष्य पशु के समान है जिसके पास विद्या नहीं है।
अथवा
यदि मनुष्य के पास विद्या नहीं है तो वह पशु के समान है।
1. विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान है।
2. मैंने उसे समझाया तब घर भेजा। 2. मैंने उसे समझाकर घर भेजा।
3. जो विद्यार्थी मेहनती होते हैं, वे सफल होते हैं। 3. मेहनती विद्यार्थी सफल होते हैं।
4. सीता ने एक आदमी देखा जो मोटा था। 4. सीता ने एक मोटा आदमी देखा।
5. मेरी पत्नी को राशन खरीदना था, अतः वह बाज़ार गई है। 5. मेरी पत्नी राशन खरीदने बाज़ार गई है।
6. जो व्यक्ति विद्वान होता है, उसकी सर्वत्र पूजा होती है। 6. विद्वान व्यक्ति की सर्वत्र पूजा होती है।

2. अर्थ की दृष्टि से वाक्य-रचनांतरण-
अर्थ की दृष्टि से वाक्य के आठ भेद होते हैं। उनमें से विधिवाचक को मूलाधार माना जाता है। अर्थ की दृष्टि से एक प्रकार के वाक्य में रचनांतरण की विधि निम्नांकित है
1. विधानवाचक-मोहन स्कूल जाता है।
2. निषेधवाचक मोहन स्कूल नहीं जाता है।
3. प्रश्नवाचक-क्या मोहन स्कूल जाता है?
4. आज्ञावाचक-मोहन, स्कूल जाओ।
5. विस्मयवाचक-अरे, मोहन स्कूल जाता है!
6. इच्छावाचक-मोहन स्कूल जाए।
7. संदेहवाचक-मोहन स्कूल गया होगा।
8. संकेतवाचक-मोहन स्कूल जाता तो ……….।
इसी प्रकार, अन्य वाक्यों का भी अर्थ की दृष्टि से विभिन्न प्रकार के वाक्यों में परिवर्तन किया जा सकता है।

3. वाक्य की दृष्टि से वाक्य रचनांतरण-
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य और भाववाच्य के अंतरण का अध्ययन ‘वाक्य : कर्तृ, अकर्तृ वाच्य नामक अध्याय से किया जाएगा।

प्रश्न 5.
नीचे लिखे मिश्रित और संयुक्त वाक्यों को साधारण वाक्यों में बदलिए”
(क) मेरा विचार है कि आज घूमने चलें।
(ख) सोहन ने एक पुस्तक पढ़ी जो अत्यंत पुरानी थी।
(ग) अच्छे विद्यार्थी पढ़ने के समय पढ़ते हैं और खेलने के समय खेलते हैं।
(घ) मैंने एक व्यक्ति को देखा जो बहुत लंबा था।
(ङ) अध्यापक चाहता है कि उसके सभी शिष्य अच्छे बनें।
(च) हमें चाहिए कि केवल बातें ही न बनाएँ कुछ करके भी दिखाएँ।
(छ) बालिकाएँ गा रही हैं और नाच रही हैं।
(ज) जब शाम होती है, बस्ती के सारे बच्चे मैदान में खेलने आते हैं।
(झ) अध्यापक उन विद्यार्थियों को दंड देता है जो समय पर नहीं आते, पाठ याद नहीं करते और आपस में झगड़ते हैं।
उत्तर:
(क) मेरे विचार से आज घूमने चलें।
(ख) सोहन ने एक अत्यंत पुरानी पुस्तक पढ़ी थी।
(ग) अच्छे, विद्यार्थी समय पर पढ़ते और खेलते हैं।
(घ) मैंने एक बहुत लंबा व्यक्ति देखा।
(ङ) अध्यापक अपने शिष्यों को अच्छा बनते देखना चाहता है।
(च) हमें केवल बातें न बनाकर कुछ करके भी दिखाना चाहिए।
(छ) बालिकाएँ गा-नाच रही हैं।
(ज) शाम होते ही बस्ती के सारे बच्चे मैदान में खेलने आते हैं।
(झ) अध्यापक समय पर न आने वाले, पाठ याद न करने वाले तथा आपस में झगड़ने वाले विद्यार्थियों को दंड देता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों को सामने दिए हुए संकेत के अनुसार बदलिए
(क) सुरेश ने वह पुस्तक नहीं पढ़ी है। – (प्रश्नवाचक)
(ख) उसने घर आकर भोजन नहीं किया है। – (प्रश्नवाचक)
(ग) नितिन ने खाना नहीं खाया है। – (प्रश्नवाचक)
(घ) कृपया पत्र लिख दीजिए। – (आज्ञावाचक)
(ङ) राम घर पर है। – (संदेहवाचक)
(च) बच्चा स्कूल नहीं जाएगा। – (संकेतवाचक)
(छ) सुरेश ने वह पुस्तक पढ़ी है। – (निषेधवाचक)
(ज) उसने नदी में स्नान कर दान दिया। – (निषेधवाचक)
(झ) वाह! क्या सुंदर दृश्य है। – (विधानवाचक)
(ञ) क्या आज स्कूल में छुट्टी है? – (विधानवाचक)
(ट) अभी बाज़ार से फल लाओ। – (इच्छावाचक)
(ठ) सीता गा रही है। – (विस्मयादिबोधक)
(ड) उसने नदी में स्नान कर दान दिया। – (प्रश्नवाचक)
उत्तर:
(क) क्या सुरेश ने वह पुस्तक नहीं पढ़ी है?
(ख) क्या उसने घर आकर भोजन नहीं किया है?
(ग) क्या नितिन ने खाना नहीं खाया है?
(घ) पत्र लिखो।
(ङ) राम घर पर होगा।
(च) यदि छुट्टी होगी तो बच्चा स्कूल नहीं जाएगा।
(छ) सुरेश ने वह पुस्तक नहीं पढ़ी है।
(ज) उसने नदी में स्नान नहीं किया और न ही दान दिया।
(झ) वाह! बहुत सुंदर दृश्य है।
(ञ) आज स्कूल में छुट्टी है।
(ट) अभी बाज़ार से फल ले आएँ।
(ठ) वाह! सीता गा रही है।
(ड) क्या उसने नदी में स्नान कर दान दिया?

परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वाक्य की परिभाषा लिखिए और तीन पूर्ण वाक्य लिखिए।
उत्तर:
एक सार्थक शब्द-समूह को, जिससे एक पूर्ण भाव की अभिव्यक्ति हो, उसे वाक्य कहते हैं; जैसे
(क) राम ने कल एक पत्र लिखा।
(ख) रात्रि के समय चंद्रमा चमकता है।
(ग) प्राचार्य ने कहा कि कल विद्यालय बंद रहेगा।

प्रश्न 2.
नीचे लिखे वाक्यों में कुछ साधारण वाक्य, कुछ मिश्रित वाक्य और कुछ संयुक्त वाक्यांश हैं। उनके ठीक-ठीक नाम लिखिए।
(1) मोहन ने कहा कि मैं जिस सिनेमाघर में गया उसमें टिकट नहीं मिला।
(2) जो विद्वान होता है, उसे सभी आदर देते हैं।
(3) मैं चाहता हूँ कि तुम परिश्रम करो और परीक्षा में सफल होओ।
(4) वह आदमी पागल हो गया है।
(5) स्त्री कपड़े सीती है।
(6) झूठ बोलना महापाप है।
(7) हमारे जीवन का आधार केवल धन नहीं बल्कि कई और पदार्थ भी हैं।
(8) अपना काम देखो।
(9) जब राजा नगर में आया तब उत्सव मनाया गया।
(10) जो, पत्र मिला है, उसे शीला ने लिखा होगा।
उत्तर:
(1) मिश्र वाक्य,
(2) मिश्र वाक्य,
(3) मिश्र वाक्य,
(4) सरल वाक्य,
(5) सरल वाक्य,
(6) सरल वाक्य,
(7) संयुक्त वाक्य,
(8) सरल वाक्य,
(9) मिश्र वाक्य,
(10) मिश्र वाक्य।

प्रश्न 3.
नीचे लिखे कथनों में जो सही हैं उन पर (1) का तथा जो गलत हैं उन पर (x) का चिह्न लगाइए
(1) सरल और मिश्र वाक्यों में दोनों वाक्य हमेशा समान स्तर के होते हैं।
(2) मिश्र वाक्य में एक वाक्य आश्रित होता है।
(3) टिकाऊ लघु वाक्य है।
(4) पदक्रम सभी भाषाओं में एक-सा होता है।
(5) प्रेरणार्थक के चार भेद होते हैं।
(6) जाना क्रिया का प्रेरणार्थक साथ भेजना है।
उत्तर:
(1) सरल और मिश्र वाक्यों में दोनों वाक्य हमेशा समान स्तर के होते हैं। ✗
(2) मिश्र वाक्य में एक वाक्य आश्रित होता है। ✓
(3) टिकाऊ लघु वाक्य है। ✓
(4) पदक्रम सभी भाषाओं में एक-सा होता है। ✗
(5) प्रेरणार्थक के चार भेद होते हैं। ✗
(6) जाना क्रिया का प्रेरणार्थक साथ भेजना है। ✓

प्रश्न 4.
संयुक्त एवं मिश्रित वाक्य का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक वाक्य, उपवाक्य योजक शब्दों द्वारा जुड़े होते हैं। इन वाक्यों में कोई प्रधान या उपप्रधान नहीं होता। सभी समान स्तर के होते हैं। मिश्र वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण वाक्य या उपवाक्य होते हैं लेकिन इनमें से एक वाक्य प्रधान होता है और दूसरा गौण होता है। गौण वाक्य प्रधान उपवाक्य पर आश्रित होते हैं; जैसे-
संयुक्त वाक्य-
(क) उसकी कमीज लाल और पैंट सफेद है।
(ख) आप चाय लेंगे या आपके लिए कॉफी बनाऊँ।

मिश्र वाक्य-
(क) राम ने कहा वह कल स्कूल नहीं आएगा।
(ख) ज्यों ही पुलिस आई, लोग तितर-बितर होने लगे।

प्रश्न 5.
रचना की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों का भेद निर्धारित कीजिए
(क) हमारे घर के समीप एक पाठशाला है।
(ख) तुलसीदास ने कहा है कि विनाशकाल में मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।
(ग) जैसे ही हम लोग बगीचे में पहुँचे, एक व्यक्ति के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी।
(घ) देश को ऊँचा उठाना है तो दूसरों के नहीं, अपने दोषों को सुधारो।
(ङ) पिता जी बाहर गए हैं, कल तक लौट आएँगे।
उत्तर:
वाक्य क्रम – रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद
(क) – सरल वाक्य
(ख) – मिश्र वाक्य
(ग) – मिश्र वाक्य
(घ) – मिश्र वाक्य
(ङ) – संयुक्त वाक्य

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