Kerala Syllabus 8th Standard Hindi Solutions Unit 2 Chapter 1 सुख-दुख
Kerala Syllabus 8th Standard Hindi Solutions Unit 2 Chapter 1 सुख-दुख
Kerala State Syllabus 8th Standard Hindi Solutions Unit 2 Chapter 1 सुख-दुख (कविता)
सुख-दुख पाठ्यपुस्तक के प्रश्न और उत्तर
सुख दुख कविता का सारांश Kerala Syllabus 8th प्रश्ना 1.
‘सुख-दुख की खेल मिचौनी खोले जीवन अपना मुख।’ इन पंक्तियों का आशय क्या है?
उत्तर:
सुख और दुख एक सिक्के के दो पहलू हैं। जीवन में सुख और दुख का होना स्वाभाविक है। जीवन का असली मुख सुख-दुख के मिलन में खुलता है।
Sukh Dukh Poem Summary In Hindi Kerala Syllabus 8th प्रश्ना 2.
‘फिर घन में ओझल हो शशि फिर शशि में ओझल हो घन।’ यहाँ घन और शशि किन-किन के प्रतीक हैं?
उत्तर:
यहाँ घन दुख का प्रतीक है और शशि सुख का प्रतीक है।
सुख-दुख कविता का सारांश Kerala Syllabus 8th प्रश्ना 3.
‘अविरत सुख भी उत्पीड़न’ क्या आप इससे सहमत है? क्यों?
उत्तर:
मैं इस कथन से सहमत हूँ। क्योंकि जीवन का असली मुख सुख-दुख पूर्ण है। हमेशा सुख हो तो जीवन की असलियत की पहचान नहीं होगी। सदा सुखी रहनेवालों के जीवन में दुख के आने पर वे उसके सामना करने में असफल हो जाते हैं।
सुख-दुख Textbook Activities
Sukh Dukh Kavita Ka Saransh Kerala Syllabus 8th प्रश्ना 1.
कविता से शब्द युग्मों का चयन करके लिखें।
उत्तर:
1. सुख-दुख
2. निशा-दिवा
3. सोता-जागता
4. साँझ-उषा
5. विरह-मिलन
6. हास-अश्रु
Sukh Dukh Poem Kerala Syllabus 8th प्रश्ना 2.
वर्गपहेली की पूर्ति करें।
दाईं ओर:
1. ‘मुख’ का समानार्थी शब्द।
5. इसका अर्थ है- ‘आकाश’।
6. सुख-दुख के मिलन से यह परिपूर्ण हो जाता है।
9. यह ‘निरंतर’ का समानार्थी है।
नीचे की ओर:
2. सफलता पाने के लिए इसकी ज़रूरत है।
3. ‘मेघ’ के लिए इस कविता में प्रयुक्त शब्द।
4. कविता में ‘संसार’ का प्रतीकात्मक शब्द।
7. ‘उषा’ का अर्थ।
8. ‘सुख-दुख’ किस विधा की रचना है?
10. यह कभी नहीं बोलना चाहिए।
उत्तर:
दाईं ओर:
1. आनन,
5. गगन,
6. जीवन,
9. अविरत
नीचे की ओर:
2. मेहनत,
3. घन,
4. जग,
7. प्रभात,
8. कविता,
10. झूठ
सुख दुख कविता का आशय Kerala Syllabus 8th प्रश्ना 3.
सुख-दुख कविता का आशय लिखें।
उत्तर:
सुख-दुख कविता श्री. सुमित्रानंदन पंत की है। इसमें कवि जीवन की असलियत को समझाने का प्रयास किया है। वे कहते हैं कि जीवन सुख-दुखपूर्ण है। सुख-दुख की खेलमिचौनी से जीवन अपना वास्तविक मुख खोल देता है। सुख-दुख के मधुर मिलन से जीवन पूर्ण हो जाता है। जीवन के दुख कभी सुख में बदलता है तो कभी सुख दुख में परिणित हो जाता है। संसार अति सुख और दुख से पीड़ित है। सुख-दुख मानव जीवन में बराबर रहें। निरंतर दुख और निरंतर सुख दोनों पीड़ा देनेवाले हैं। सुख-दुख रूपी दिन-रात में संसार का जीवन सोता और जागता है। इस संध्या और उषा के आँगन में विरह और मिलन का आलिंगन हो रहा है। मानव जीवन का मुख सदा हँसी और आँसू से भरा है।
सुख-दुख Summary in Malayalam and Translation
सुख-दुख शब्दार्थ Word meanings