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Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 2 कलाकार

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 2 कलाकार Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।


उत्तर:

2. परिणाम लिखिए :

प्रश्न 1.
बीमार सेठानी पर धूनी की चुटकी भर राख का…..
उत्तर:
सकारात्मक प्रभाव पड़ा और धीरे-धीरे उसकी तबीयत सुधरने लगी।

 

प्रश्न 2.
बहुरूपिये की वास्तविकता जानने के उपरांत सेठ जी की स्थिति –
उत्तरः
वह आश्चर्य के मारे आसमान से गिरा।

3. निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

प्रश्न 1.
बहुरूपिये हू-ब-हू उसी तरह का व्यवहार करके प्राय: लोगों को भ्रम में नहीं डालते थे।
उत्तर:
बहुरूपिये हू-ब-हू उसी तरह का व्यवहार करके प्रायः लोगों को भ्रम में डालते थे।

प्रश्न 2.
एक बार सेठ जी बीमार हो गए।
उत्तर:
एक बार सेठानी बीमार हो गई।

 

प्रश्न 3.
सेठानी कभी-कभी आने लगी।
उत्तर:
सेठ रोज आने लगा।

प्रश्न 4.
साधु ने झगड़ा करके सेठ को लौटा दिया।
उत्तरः
साधु ने समझा-बुझाकर सेठ को लौटा दिया।

प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
प्रवाह तालिका पूर्ण कीजिए।

उत्तर:

5. निम्नलिखित वाक्यों को घटनाक्रम के अनुसार लिखिए।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को घटनाक्रम के अनुसार लिखिए।

  1. सेठजी द्वारा सेठानी को साधु के पास ले जाना।
  2. बहुरूपिये का साधु का रूप लेना।
  3. सेठानी का बीमार होना।
  4. धीरे-धीरे सेठानी की तबीयत सुधरना।

उत्तर:

  1. बहुरूपिये का साधु का रूप लेना।
  2. सेठानी का बीमार होना
  3. सेठजी द्वारा सेठानी को साधु के पास ले जाना।
  4. धीरे-धीरे सेठानी की तबीयत सुधरना।

6. इन कृदंत शब्दों की मूल क्रियाएँ लिखिए।

प्रश्न 1.
इन कृदंत शब्दों की मूल क्रियाएँ लिखिए।

  1. झुकाव = [ ]
  2. सोच = [ ]
  3. बनावट = [ ]
  4. लगाव = [ ]

उत्तर:

  1. झुकाव = [झुकाना या झुकना]
  2. सोच = [सोचना]
  3. बनावट = [बनवाना]
  4. लगाव = [लगना]

 

7. ‘कला के प्रति ईमानदारी ही सच्चे कलाकार की पहचान है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 1.
‘कला के प्रति ईमानदारी ही सच्चे कलाकार की पहचान है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
कलाकार उसे कहते हैं जो कला का ज्ञाता हो, जिसे अपनी कला के सिवा अन्य कुछ नहीं भाता हो। अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन करके लोगों का मनोरंजन करना ही उसका मुख्य उद्देश्य होता है। फिर वह कलाकार, अभिनेता हो या फिर कोई बहुरूपिया। उसकी कला ही उसकी पहचान होती है। इसलिए उसे अपनी पहचान एवं अस्तित्व को कभी नहीं खोना चाहिए। चरित्र निर्माण एवं संस्कार करने में कलाकार की भूमिका अनन्यसाधारण होती

है। इसलिए वह अपनी कला के माध्यम से लोगों पर अपनी अमिट छाप छोड़ता है। यदि वह अपनी कला के प्रति ईमानदार नहीं होता अथवा उसका सहारा लेकर गलत कार्य करता है, तो इससे उसकी कला का अपमान होता है। अत: वह हमेशा अपना व्यक्तिगत स्वार्थ त्यागकर, अपने पेशे के प्रति ईमानदारी पर अधिक बल देता है। इसी कारण समाज में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है और सभी उसका और उसकी कला का सम्मान करते हैं।

अभिव्यक्ति :

प्रश्न 1.
‘सहयोग से कठिन कार्य की पूर्ति होती है।’ विषय पर अपने विचार शब्दांकित कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिसकी उन्नति सहयोग की बुनियाद पर निर्भर है। सहयोग भावना मानवता का प्रतीक है। किसी भी व्यक्ति को सहयोग करना एवं उसे सहायता पहुँचाना सबसे बड़ा धर्म होता है। हमें सबकी समान भाव से मदद करनी चाहिए। सहयोग से बहुत बड़े-बड़े कार्य पूर्ण होते हैं। सहयोग से पुल का निर्माण होता है, बड़ी-बड़ी इमारतें सहयोग के बल पर ही बनती हैं।

सहयोग से व्यक्ति, समाज व राष्ट्र की उन्नति होती है। सहयोग के बल पर ही आधुनिक भारत का नवनिर्माण संभव है। गाँधी जी ने सभी भारतीयों का सहयोग पाकर ही इस देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराया तथा हमें आजादी दिला पाने में सफल रहे। सहयोग असंभव को संभव कर देता है। अत: सभी को इसका पालन करना चाहिए।

 

भाषाबिंदु :

प्रश्न 1.
पाठ में प्रयुक्त तीन-तीन क्रियाविशेषण अव्यय व संबंधसूचक अव्यय बकर उनका स्वतंत्र वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. क्रियाविशेषण अव्यय :

  • धीरे-धीरे : गाड़ी धीरे-धीरे जा रही थी।
  • एक बार : एक बार मैं बहुत बीमार हो गया था।
  • अब : अब मैं जा रहा हूँ।

2. संबंधसूचक अव्यय :

  • के लिए : मैंने उसके लिए खिलौने लाए।
  • की तरफ : मैंने तुरंत उसकी तरफ देखा।
  • के नीचे : पेड़ के नीचे एक लड़का बैठा था।

 

उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की सैर का वर्णन करने वाला पत्र अपनी सहेली या अपने मित्र को लिखिए। (पत्र निम्न प्रारूप में हों।)

उत्तर:

10 जुलाई, 2018
प्रिय मित्र राहुल,
सप्रेम नमस्ते।
तुम कैसे हो? बहुत दिन हो गए लेकिन तुम्हारा पत्र नहीं मिला। आशा करता हूँ कि तुम ठीक होगे। मैं भी कुशल हूँ। मेरी चिंता मत करना राहुल, हमारे विद्यालय ने महाबलेश्वर की सैर आयोजित की थी। सैर तीन दिन की थी। दिनांक 25 जून को हम सुबह 7 बजे महाबलेश्वर की ओर निकले। करीबन शाम के 4 बजे तक हम महाबलेश्वर पहुंच गए थे। महाबलेश्वर के बारे में तुम्हें क्या बताऊँ? बहुत ही रम्य प्राकृतिक स्थल है महाबलेश्वर । वहाँ की वादियाँ एवं घाटियाँ देखकर मेरा मनमयूर नाचने लगा था।

सघन वृक्ष देखने लायक थे। चारों ओर का वातावरण बड़ा ही शांत और खुशनुमा था। हवा में ठंडक व ताज़गी थी। पेड़ों पर उछल-कूद करने वाले बंदरों की सेना देखकर मैं आनंदविभोर हो गया। वहाँ का रम्य वातावरण एवं मित्रों के साथ घूमते-घूमते तीन दिन कैसे बीत गए, इस बात का मुझे पता ही नहीं चला।

जैसे ही छुट्टियाँ शुरू हो जाएगी; वैसे ही तुम मेरे घर पर आना। फिर हम मिलकर खूब खेलेंगे। तुम्हारे माता जी एवं पिता जी को मेरा सादर प्रणाम।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
विजय मेहता
पता : 201, गीता महल,
कृष्ण नगर,
मुंबई : 400 012
vijay-44@gmail.com

 

Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 2 कलाकार Additional Important Questions and Answers

(अ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

प्रश्न 2.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

i. बहुरूपियों के बारे में सभी नहीं जानते हैं।
उत्तर:
बहुरूपियों के बारे में हम सब जानते हैं।

 

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
i. गद्यांश में इस प्रांत की लोक कथाओं का जिक्र हुआ है।
उत्तर:
राजस्थान

कृति अ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए।

  1. पेशा
  2. नगर
  3. इनाम
  4. धोखा

उत्तर:

  1. व्यवसाय
  2. शहर
  3. उपहार
  4. विश्वासघात

 

प्रश्न 2.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. कपड़े धोने का पेशा करनेवाली एक जाति –
ii. अनेक प्रकार के रूप धारण करने वाला –
उत्तर:
i. धोबी
ii. बहुरूपिया

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।

  1. सफलता × ……….
  2. व्यवहार × ……….
  3. भीतर × ……….

उत्तर:

  1. असफलता
  2. अव्यवहार
  3. बाहर

 

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द से उपसर्ग व प्रत्यययुक्त शब्द बनाइए।
i. व्यवहार
ii. रूप
उत्तर:
i. उपसर्गयुक्त शब्द : अव्यवहार, प्रत्यययुक्त शब्द : व्यावहारिक
ii. उपसर्गयुक्त शब्द : कुरूप, प्रत्यययुक्त शब्द : रूपवान

कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बहुरूपियों का पेशा अब समाप्त होता जा रहा है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
पुराने जमाने में मनोरंजन के साधन सीमित होते थे। सिनेमा हॉल, दूरदर्शन, संगणक या मोबाइल जैसे अत्याधुनिक एवं मन बहलाने वाले साधन कम थे। वास्तव में मनोरंजन की दुनिया बहुत छोटी थी। पहले पुराने संस्कार एवं विधियों का अनुकरण किया जाता था। लोक कथाओं एवं लोक कलाओं का अनुकरण करने में सभी को आनंद मिलता था। लेकिन अब जमाना बदल गया है। लोगों की मनोरंजन को लेकर मानसिकता बदल गई है।

विज्ञान व तकनीकी ने मानव सभ्यता में परिवर्तन ला दिया है। इस कारण पहले जिस प्रकार बहुरूपिया द्वार-द्वार पर जाकर अपनी कलाबाजी एवं हुनर को प्रदर्शित करता था, उस प्रकार अब द्वार पर बुहरूपिया नहीं आता है। उसकी कलाबाजी एवं हुनर को देखने के लिए लोगों के पास पर्याप्त समय भी नहीं है। आपाधापी के इस युग में जहाँ अपनों के लिए वक्त नहीं है, वहाँ बहुरूपिए के करतब देखने के लिए किसी के पास समय नहीं है। इसलिए बहुरूपियों का पेशा अब समाप्त होता जा रहा है।

 

(आ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलंन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

कृति आ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. भस्म
  2. साधु
  3. उपदेश
  4. समाचार

उत्तर:

  1. राख
  2. सज्जन
  3. सलाह
  4. खबर

 

प्रश्न 2.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।

  1. तीन आड़ी रेखाओं का तिलक .
  2. कमर में बाँधने का एक प्रकार का वस्त्र –
  3. जिसने संसार को त्यागा है –

उत्तर:

  1. त्रिपुंड
  2. लँगोटी
  3. संसारत्यागी

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. कीर्ति × ……….
  2. आशीर्वाद × ………….
  3. साधु × …………..
  4. नगर × ………….

उत्तर:

  1. अपकीर्ति
  2. शाप
  3. गाँव

 

प्रश्न 4.
गद्यांश में प्रयुक्त पर्यायवाची शब्द को ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. सिर, माथा

प्रश्न 5.
वचन बदलिए।

  1. डेरा
  2. झोपड़ी
  3. बगीचा
  4. सफलता

उत्तर:

  1. डेरे
  2. झोपड़ियाँ
  3. बगीचे
  4. सफलताएँ

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग छाँटकर लिखिए।
i. महात्मा
ii. उपदेश
उत्तर:
i. महा
ii. उप

 

प्रश्न 7.
गद्यांश से प्रयुक्त शब्द-युग्म +डकर लिखिए।
उत्तरः
i. कभी-कभी
ii. धीरे-धीरे

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्द के लिए अनेकार्थी शब्द लिखिए। –
i. रूप
उत्तरः
सूरत, प्रकृति, खूबसूरत, समान।।

प्रश्न 9.
गद्यांश में से तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
संसार, कीर्ति, साधु

 

कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘साधु माला, जटा, त्रिपुंड, कमंडल, तिलक, भस्म क्यों धारण करते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत में हिंदू साधुओं का एक विशेष पहनावा होता है। भारतीय संस्कृति की परंपरा के अनुसार ये माला, जटा, त्रिपुंड, कमंडल, तिलक, भस्म आदि का प्रयोग करके स्वयं को संसारत्यागी

कहलवाते हैं। हिंदू समाज में तुलसी की माला का विशेष महत्व होता है। अतः साधुओं के हाथ व गले में माला होती है। जटा, भस्म व कमंडल का सीधा संबंध भगवान शिव से होता है। भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाते थे। हिंदू संप्रदाय में तिलक का भी अपना विशेष महत्त्व होता है। धार्मिक कार्य एवं ईश्वर की उपासना करने के पश्चात माथे पर तिलक लगाया जाता है। माला, जटा, त्रिपुंड, कमंडल, तिलक, भस्म आदि का आध्यात्मिक महत्त्व भी है। इनके प्रयोग से व्यक्ति शुद्ध आचरण करने लगता है। अत: साधु उपर्युक्त साधनों को धारण करते हैं।

 

(इ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पड़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
i. सेठ
ii. सेठानी
उत्तर:
i. अविश्वास से कौन हँस पड़ा?
ii. कौन बीमार हो गई?

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. सेठ साधु को मिलने के लिए तैयार हो गया क्योंकि…..
(अ) दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी माँ ठीक नहीं हुई।
(आ) दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी बेटी ठीक नहीं हुई।
(इ) दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी पत्नी ठीक नहीं हुई।
उत्तर:
सेठ साधु को मिलने के लिए तैयार हो गया क्योंकि दुनियाभर के इलाज कराने के बाद भी उसकी पत्नी ठीक नहीं हुई।

 

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

i. बड़ी प्रसन्नता से सेठ साधु को मिलने गया।
उत्तर:
हारकर सेठ साधु से मिलने गया।

प्रश्न 4.
किसने, किससे कहा?
i. “सेठानी को जीवनदान दीजिए।”
उत्तर:
सेठ ने साधु से कहा।

ii. “ऐसे ढोंगी जाने यहाँ कितने आते रहते हैं।”
उत्तर:
सेठ ने व्यक्ति से कहा।

कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. कभी-कभी
ii. वैद्य-डॉक्टर

 

प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
i. सेठानी
ii. पेशा
उत्तर:
i. सेठानियाँ
i. पेशे

प्रश्न 3.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:

  1. जीवनदान : प्रत्यय : दान
  2. करोड़पति : प्रत्यय : पति
  3. बेईमानी : प्रत्यय : ई

प्रश्न 4.
‘अविश्वास’ इस शब्द में निहित उपसर्ग प्रत्यय को पहचानकर संबंधित उपसर्ग लगाकर अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तरः
अविश्वास : प्रत्यय : अ, नए शब्द : अकारण, अप्रसन्न

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश में प्रयुक्त लिंग शब्द की जोड़ी ढूँढकर लिखिए।
उत्तरः
सेठ-सेठानी

 

प्रश्न 6.
निम्नलिखित गद्यांश में प्रयुक्त पर्यायवाची शब्दों की जोड़ी ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
i. वैद्य-डॉक्टर
ii. चरण-पाँव

प्रश्न 7.
नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. संपत्ति
ii. अब
उत्तर:
i. संप्रति
ii. आब

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. डोली
ii. जीवन
उत्तर:
i. एक क्रिया जो ‘डोलना’ से संबंधित है, पालकी
ii. पानी, जिंदगी

 

कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘क्या कोई साधु बीमार व्यक्ति को स्वस्थ करने की शक्ति रखता है।’ विधान को वर्तमान समय के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। आज हमारे समाज में साधु और तांत्रिक के वेश में कुछ ढोंगी भी देखने को मिलते हैं। वे दूसरे की अज्ञानता और सीधेपन का लाभ उठाकर पैसा कमाते हैं। ऐसे में यदि घर का कोई व्यक्ति बीमार हो जाए, तो उसे साधु या तांत्रिक के पास ले जाना उचित नहीं है। फिर भी लोग अंधविश्वास के कारण बीमार व्यक्ति को साधु महाराज के पास लेकर जाते हैं। साधु के पास कोई भी ऐसी अद्भुत शक्ति नहीं होती है। वह तो सिर्फ उसके पास आने वाले व्यक्ति

को आशीर्वाद दे सकता है और ईश्वर से उनके कष्ट हरने की प्रार्थना कर सकता है। इससे ज्यादा उसके हाथ में कुछ नहीं होता है। फिर भी लोग उस पर विश्वास रखते हैं। हमें समाज में चारों ओर फैले कुछ ढोंगी साधुओं से बचना चाहिए और बीमार व्यक्ति को डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए तथा डॉक्टर से उसका इलाज करवाना चाहिए।

(ई) गद्यांश को पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ई (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
परिणाम लिखिए।

i. सेठानी की तबीयत ठीक हो जाने पर …..
उत्तरः
सेठ का साधु पर गहरा विश्वास हो गया और वह रोज साधु के पास आने लगा।

प्रश्न 2.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. सात-आठ
ii. धन
उत्तर:
i. सेठानी की तबीयत कितने दिनों में ठीक हो गई?
ii. क्या बढ़ने से लोभ भी उतना ही बढ़ता है?

 

प्रश्न 3.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

कृति ई (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
i. साधु ने सेठ से कहा सच्चा सुख धन का त्याग करने में है अपना ध्यान भगवान के चरणों में लगा दो
उत्तरः
साधु ने सेठ से कहा, “सच्चा सुख धन का त्याग करने में है; अपना ध्यान भगवान के चरणों में लगा दो।”

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. भगवान
  2. विश्वास
  3. संसार
  4. लोभ

उत्तर:

  1. ईश्वर
  2. भरोसा
  3. जग
  4. लालच

 

प्रश्न 3.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
i. सात-आठ
ii. धीरे-धीरे

प्रश्न 4.
नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. सात
ii. समाधी
उत्तर:
i. साथ
ii. समधी

प्रश्न 5.
‘बीमारी’ इस शब्द में से प्रत्यय अलग कीजिए और संबंधित प्रत्यय लगाकर अन्य दो शब्द बनाइए।
उत्तरः
बीमारी : शब्द : बीमार प्रत्यय : ई अन्य शब्द : लोभी, संबंधी

 

प्रश्न 6.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. योगसाधना द्वारा अंतर्ध्यान लगाकर बैठना –
उत्तरः
समाधी

कृति ई (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘जीवन का सच्चा सुख धन का त्याग करने में है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
उपर्युक्त बिल्कुल शतप्रतिशत: सही है। जीवन का सच्चा सुख धन का त्याग करने में ही है। जिस व्यक्ति को धन का लोभ नहीं होता है; वह धन का कभी भी संचय नहीं करता है। जैसे-जैसे उसके पास धन आ जाता है; वैसे-वैसे वह धन दीन-दुखियों में बाँट देता है। दीन-दुखियों के चेहरे पर संतोष देखकर उसे अथाह खुशी मिलती है। ऐसा व्यक्ति सच्चे सुख का अनुभव करता है। जीवन में जो भी महान पुरुष हुए हैं, उन्होंने कभी भी धन का संचय नहीं किया था। आजीवन उन्होंने मानवता की भलाई हेतु ही कार्य किया। आखिर यह संसार एक माया है। धन का लोभ आदमी को आदमी नहीं रहने देता। जो व्यक्ति जितना धन का संचय करता है; उतना ही उसका लोभ बढ़ता जाता है।

(उ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति उ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कारण लिखिए।
i. सेठ का संसार से मन फिर गया।
उत्तर:
क्योंकि साधु महाराज के उपदेश का उस पर सकारात्मक असर पड़ा।

 

प्रश्न 3.
उचित जोड़ियाँ लगाइए।

‘अ’ ‘ब’
1. बैलगाड़ियों (क) कपट
2. सच्चा (ख) झुंड
3. साधु (ग) ज्ञान
4. झूठ (घ) उपदेश

उत्तरः

‘अ’ ‘ब’
1. बैलगाड़ियों (ख) झुंड
2. सच्चा (ग) ज्ञान
3. साधु (घ) उपदेश
4. झूठ (क) कपट

कृति उ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. प्रणाम
  2. कुटी
  3. असलियत
  4. मंदिर

उत्तर:

  1. नमस्कार
  2. झोपड़ी
  3. सच्चाई
  4. देवालय

 

प्रश्न 2.
नीचे दिए हुए शब्द के विलोम शब्द लिखिए।
i. शिष्य × ……….
ii. सच्चा × ……….
उत्तर:
i. गुरु
ii. झूठा

प्रश्न 4.
‘असलियत’ शब्द में प्रत्यय अलग कीजिए और संबंधित प्रत्यय लगाकर अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
उत्तर:
असलियत : प्रत्यय : इयत, अन्य शब्द: इनसानियत, हैवानियत

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए।
i. सुवर्ण
ii. उष्ट्र
उत्तर:
i. सोना
ii. ऊँट

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए शब्द का श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. चरण
उत्तर:
चारण

 

कृति उ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हृदय परिवर्तन व्यक्ति को सत्मार्ग की ओर अग्रसित करता है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हृदय परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति का स्वभाव, उसकी बुराइयाँ आदि सब कुछ अच्छाई में परिवर्तित हो जाती हैं। हृदय परिवर्तन व्यक्ति के व्यक्तित्व को संपूर्णत: नया आयाम देता है। भगवान बौद्ध के उपदेश का अंगुलिमाल के हृदय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा और उसका हृदय परिवर्तन हो गया। मोहनदास गांधी का भी हृदय परिवर्तन हुआ और वे महात्मा गांधी बने। दीन-दुखियों का दुख देखकर मदर टेरेसा का भी हदय परिवर्तन हुआ था।

जिस व्यक्ति का हृदय परिवर्तन हो जाता है वह व्यक्ति सत्मार्ग की ओर अग्रसित हो जाता है और फिर वह अपने जीवन में कभी भी बुराइयों को अपनाता नहीं। वह अपने जीवन में सत्संग कर दूसरों के जीवन में खुशहाली निर्माण करता है। जिसका हृदय परिवर्तन हो जाता है वह दूसरों की सेवा निःस्वार्थ भाव से करता है। हृदय परिवर्तन व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा परिवर्तन होता है।

 

(ऊ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ऊ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
i. धन
ii. सेठ जी
उत्तर:
i. साधु के अनुसार मिट्टी क्या है?
ii. बहुरूपिये के अनुसार चतुर आदमी कौन है?

प्रश्न 2.
परिणाम लिखिए।
i. बहुरूपिये ने सेठ जी से धन नहीं लिया –
उत्तर:
सेठ की आँखों में आँसू आ गए।

 

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सही करके लिखिए।

ii. प्रसन्न भाव से बहुरूपिया सिर ऊँचा करके खड़ा था।
उत्तर:
अपराधी भाव से बहुरूपिया सिर झुकाए खड़ा था।

प्रश्न 4.
कारण लिखिए।
i. बहुरूपिये ने सेठ से अपना इनाम माँगा।
उत्तर:
क्योंकि उसने सेठ जैसे चतुर आदमी को धोखा दे दिया था और अपनी कला का सम्मान चाहता था।

कृति ऊ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
i. समझा-बुझाकर
ii. इधर-उधर

 

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।

  1. बड़ा × ………….
  2. स्वीकार × ……….
  3. इनाम × …………..
  4. चतुर × ……………

उत्तर:

  1. छोटा
  2. अस्वीकार
  3. हर्जाना
  4. मूर्ख

प्रश्न 3.
पर्यायवाची शब्द लिखिए।
i. कसूर
ii. इनाम
उत्तर :
i. गलती
ii. उपहार

 

प्रश्न 4.
गोश में से ऐसे दो शब्द ढूँढकर लिखिए जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते।
उत्तर:
सिर, इनाम

प्रश्न 5.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. वस्तु पर से अपना स्वत्व हटा लेना –
उत्तर:
त्याग

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. माया
उत्तर:
माया, धन, देवी, लक्ष्मी

 

(ए) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति ए (1) : आकलन कृति

प्रश्न 1.
गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. अगर बहुरूपिया सेठ जी की संपत्ति लेकर भाग जाता …..
उत्तर:
अगर बहुरूपिया सेठ जी की संपत्ति लेकर भाग जाता तो उसके रूप में खोट आ सकती थी।

ii. बहुरूपिए ने रूप को सच्चा रखने के लिए
उत्तर:
बहुरूपिए ने रूप को सच्चा रखने के लिए संपत्ति का त्याग कर दिया था।

प्रश्न 2.
कारण लिखिए।
i. बहुरूपिया अब खुशी से इनाम ले सकता है।
उत्तर:
क्योंकि उसने अपने बहुरूपिये का काम पूरा कर लिया था।

 

प्रश्न 3.
निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।
i. सेठानी बहुरूपिये के आशीर्वाद से ठीक हो गई थी।
उत्तर:
सेठानी और सेठ का विश्वास और संयोग इनके मिलन से सेठानी ठीक हो गई थी।

ii. दुर्जन व्यक्ति की तरह बहुरूपिये ने साधु का रूप त्याग दिया था।
उत्तर:
सच्चे महत्मा की तरह बहुरूपिये ने साधु का रूप त्याग दिया था।

कृति ए (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
i. बहुरूपिये ने सेठ से कहा अब आप जो इनाम मुझे देंगे खुशी से ले लूँगा
उत्तर:
बहुरूपिये ने सेठ से कहा, “अब आप जो इनाम मुझे देंगे, खुशी से ले लूंगा।”

प्रश्न 2.
दिए गए गद्यांश में से विदेशी शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
अशर्फी

 

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. नम
ii. संतुष्ट
उत्तर:
i. उपसर्गयुक्त शब्द: विनम्र, प्रत्यययुक्त शब्द: नम्रता
ii. उपसर्गयुक्त शब्द: असंतुष्ट, प्रत्यययुक्त शब्दः संतुष्टि

प्रश्न 4.
विलोम शब्द लिखिए।
i. विश्वास ×
ii. नम्रता ×
उत्तर:
i. अविश्वास
ii. अशिष्टता

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. सोने का सिक्का –
उत्तर:
अशर्फी

 

कृति ए (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हमें अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिए।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘व्यवसाय’ का अर्थ है काम-धंधा एवं पेशा। व्यवसाय से व्यक्ति को रोजगार प्राप्त होता है। व्यवसाय एक नैतिक उत्तरदायित्व होता है। लाभ कमाने के ध्येय से व्यवसाय किया जाता है। व्यवसाय के कई प्रकार हैं। जैसे कि अध्यापन, डॉक्टरी, चित्रकारी आदि तरह-तरह के व्यवसाय हैं। व्यक्ति किसी भी व्यवसाय का चयन करें, पर उसे अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिए। उसे अपना काम निष्ठा एवं विश्वास से करना चाहिए। उसके मन में अपने व्यवसाय के प्रति अपनत्व की भावना होनी चाहिए तथा प्रतिकूल परिस्थिति में भी वह अपने व्यवसाय की नैतिकता में सतर्क रहे। जो व्यक्ति अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार होता है; वह राष्ट्रीय विकास हेतु अपना योगदान देने में सक्षम होता है। व्यवसाय के प्रति ईमानदार रहने से व्यक्ति का व्यवसाय समाज में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर लेता है। अत: हमें व्यवसाय के प्रति ईमानदार होना चाहिए।

कलाकार Summary in Hindi

लेखक – परिचय :

जीवन-परिचय : राजेंद्र यादव जी का जन्म सन 1929 में उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में हुआ। आप साठोत्तरी पीढ़ी के जाने-माने उपन्यासकार एवं साहित्यकार हैं। राजेंद्रजी हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय संपादक भी थे। इन्होंने ‘नई कहानी’ के नाम से हिंदी साहित्य में एक नई विधा का सूत्रपात भी किया था। इन्होंने ‘हम’ पत्रिका का पुनः प्रकाशन किया और यह कार्य अपने जीवन के अंतिम समय तक यानी पूरे 27 वर्ष तक जारी रखा। हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा आपको समग्र लेखन के लिए ‘सर्वोच्च शलाका सम्मान’ प्रदान किया गया।
प्रमुख कृतियाँ : ‘जहाँ लक्ष्मी कैद है. ‘छोटे-छोटे ताजमहल’, ‘किनारे से किनारे तक (कहानी संग्रह), ‘सारा आकाश’, ‘शह और मात’। तथा ‘उखड़े हुए लोग’ (उपन्यास) आदि।

 

गद्य-परिचय :

कहानी : कहानी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है। जीवन की किसी एक घटना के रोचक वर्णन को ‘कहानी’ कहते हैं। कहानी का उद्देश्य उपदेश देना और मनोरंजन करना माना जाता है। कहानी का लक्ष्य मानव जीवन की विभिन्न समस्याओं और ! संवेदनाओं को व्यक्त करना होता है।
प्रस्तावना : ‘कलाकार’ इस कहानी में लेखक राजेंद्र यादव जी ने बहुरूपिए के माध्यम से बताया है कि श्रेष्ठ कलाकार को अपनी कला के प्रति ईमानदार रहना चाहिए अर्थात व्यक्ति का कोई भी पेशा या व्यवसाय हो; उसे उसके प्रति ईमानदार होना चाहिए।

सारांश :

‘कलाकार’ एक कहानी है। यह कहानी हमें अपनी कला और व्यवसाय के प्रति ईमानदार रहने की प्रेरणा देती है। इस कहानी का नायक एक बहुरूपिया है। तरह-तरह के रूप धारण कर लोगों का मनोरंजन करना उसका पेशा है। वह अपनी कला में माहिर है। एक बार वह साधु के जैसा हू-ब-रूप धारण करके नगर के बाहर डेरा लगाकर बैठ जाता है। धीरे-धीरे लोग उसके बारे में जानने लगते हैं और उससे मिलने आने लगते हैं। चारों तरफ उसका नाम फैल जाता है। नगर में रहने वाले एक सेठ की पत्नी बीमार पड़ जाती है।

डॉक्टर एवं वैद्यों द्वारा इलाज करने पर भी वह ठीक नहीं होती है। आखिर सेठ अपनी पत्नी को लेकर साधु महाराज के पास आते हैं। संयोग वश सेठानी की तबीयत सुधरने लगता हा सात-आठ दिना म उसका तबीयत ठीक हो जाती है। अब सेठ पूरी निष्ठा से साधु महाराज का भक्त बन जाता है। साधु महाराज उसे मोह-माया को त्यागने के लिए कहते हैं। साधु के उपदेश का सेठ पर गहरा असर होता है और वह एक दिन अपनी सारी संपत्ति लेकर साधु के पास आता है। वह अपनी संपत्ति साध महाराज को दान करना चाहता है। लेकिन साधु उसे विनम्रता से ठुकरा देता है।

अब साधु को लगता है कि उसने अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन करके सेठ जैसे चतुर आदमी को धोखा दे दिया है। अत: वह साधु का वेश त्यागकर सेठ के पास अपना इनाम माँगता है और सेठ को सब कुछ सच बता देता है। उसकी बातों को सुनकर सेठ आश्चर्यचकित हो जाते हैं। वे बहुरूपिए से कहते है कि अगर वह चाहता; तो उनका सारा धन लेकर भाग सकता था। तब बहुरूपिया कहता है कि यदि वह ऐसा करता, तो उसके रूप में खोट आ सकती थी। रूप को सच्चा रखने के लिए उसने धन का त्याग कर दिया था। फिर भी सेठ जी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि यह कैसा बहुरूपिया है। जो करोड़ों की संपत्ति छोड़कर अशर्फियों के इनाम के लिए इतना प्रसन्न और संतुष्ट है।

 

शब्दार्थ :

  1. बहुरूपिया – तरह-तरह के रूप धारण करने वाला
  2. जिक्र – चर्चा
  3. पेशा – व्यवसाय, उद्यम
  4. नगर – शहर
  5. इनाम – उपहार
  6. धोखा – फरेब
  7. भस्म – राख
  8. साधु – सज्जन
  9. उपदेश – सलाह
  10. समाचार – खबर
  11. अशर्फी – मूल्यवान धातु के सिक्के
  12. प्रणाम – नमस्कार
  13. कुटी – झोपड़ी
  14. असलियत – सच्चाई
  15. मंदिर – देवालय
  16. कमाल – सर्वोत्तम
  17. इनाम – उपहार
  18. धिक्कारना – झिड़कना
  19. शुभचिंतक – किसी कार्य/व्यक्ति के बारे में अच्छा सोचने वाला
  20. धूनी – साधुओं द्वारा बनाया गया अग्निकुंड

मुहावरे :

  1. डेरा लगाना – निवास के लिए जम जाना।
  2. आसमान से गिरना – आश्चर्यचकित होना।

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