Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति
Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति
Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति
Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति Textbook Questions and Answers
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
(१) संजाल पूर्ण कीजिए:
Answer:
(२) कृति में जानकारी लिखिए:
Answer:
(३) उत्तर लिखिए:
Answer:
(४) निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय और मूलशब्द अलग करके लिखिए:
Answer:
(५) उपसर्ग तथा प्रत्यययुक्त शब्द बनाकर लिखिए:
Answer:
अभिव्यक्ति
‘सादा जीवन, उच्च विचार’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
सादा जीवन यानी सादगी से भरा जीवन। सादे जीवन में सौंदर्य होता है। ऐसा जीवन तन को ही नहीं मन को भी सुंदर बना देता है। सुंदर शरीर और शांत मन ही उच्च विचार को प्रेरित करता है। यदि व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होना है, तो उसे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ इस सिद्धांत का पालन करना चाहिए। जीवन का सच्चा लाभ आराम का जीवन बिताने में नहीं, बल्कि महान बनने में है।
सफल महापुरुषों के जीवन में प्रकाश डालने से हमें पता चलता है कि उन्होंने ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ को अपने जीवन में उतारा है। जीवन में सादगी लाना बहुत ही बड़ा महान गुण है। इसे स्वीकार करने से व्यक्ति तुच्छ विचारों को अपने हृदय से दूर कर देता है। सादगी से भरा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति के पास गहरी संवेदना होती हैं जो व्यक्तित्व को गरिमा प्रदान करती है। इसलिए व्यक्ति को ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ इस सिद्धांत को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
भाषा बिंदु
(१) निम्नलिखित संधि विच्छेद की संधि कीजिए और भेद लिखिए:
Answer:
(२) निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए और भेद लिखिए:
Answer:
(३) निम्नलिखित शब्दों का विच्छेद कीजिए और संधि भेद लिखिए:
Answer:
(४) पाठों में आए संधि शब्द छाँटकर उनका विच्छेद कीजिए और संधि का भेद लिखिए।
Answer:
उपयोजित लेखन
‘यदि मैं शिक्षा मंत्री होता —–‘ विषय पर लगभग सौ शब्दों में निबंध उपयोजित लेखन लिखिए।
Answer:
यदि मैं शिक्षा मंत्री होता….. जीवन में शिक्षा का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा के द्वारा व्यक्ति का मानसिक, सामाजिक, बौद्धिक व आर्थिक विकास होता है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा देश के पाठ्यक्रम एवं शिक्षा प्रणाली पर ध्यान रखा जाता है। शिक्षा मंत्री शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख होते हैं। देश में शिक्षा प्रणाली सुचारू रूप से कार्यान्वित हो रही है या नहीं, इस पर ध्यान एवं नियंत्रण रखने का कार्य शिक्षा मंत्री करते हैं। सचमुच शिक्षा मंत्री एक बहुत बड़ा महत्त्वपूर्ण पद है। मैं भी भविष्य में बड़ा होकर देश का शिक्षा मंत्री बनना चाहता हूँ।
जब मैं शिक्षा मंत्री बनूँगा; तब मैं संपूर्ण देश में शिक्षा का कार्य सुचारू रूप से हो रहा है या नहीं इस पर ध्यान रखूगा। देश की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में एकरूपता लाने हेतु में सभी शिक्षा मंडलों का एकीकरण करूँगा; जिससे देश में एक ही प्रकार की शिक्षा प्रणाली सभी के लिए उपलब्ध हो सके। आज कई स्कूल एवं महाविद्यालयों की हालत बहुत ही दयनीय है। कई स्कूलों में संसाधनों की कमी है। कई स्कूलों में छात्रों को बैठने के लिए कुर्सियाँ तथा पर्याप्त शैक्षणिक साधन भी नहीं है। कई स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। इन सारी समस्याओं को तुरंत सुलझाने के लिए मैं शिक्षा मंत्री होने के नाते एक समिति की स्थापना करूँगा। इससे किसी भी नगर या गाँव का छात्र शिक्षा के मूलभूत अधिकारों से वंचित नहीं रह पाएगा।
संपूर्ण देश के पाठ्यक्रम में मैं समयानुसार परिवर्तन करने हेतु विद्वान सदस्यों की एक समिति गठित करूँगा; ताकि भूमंडलीकरण एवं विज्ञान-तकनीकी के इस युग में भारतीय छात्र आगे ही आगे बढ़ सकें। आज हमारे देश में शिक्षकों को दिया जाने वाला वेतन बहुत ही कम है। इसके लिए मैं शिक्षकों के लिए एक नए वेतनमान प्रणाली की शुरुआत करूँगा, जिससे अच्छे से अच्छे उम्मीदवार शिक्षा क्षेत्र से जुड़कर ज्ञान के प्रचार-प्रसार का पवित्र कार्य करने के लिए आगे आ सकें। अब तो बस, यही मेरा ध्येय है। इसे साकार करने के लिए सर्वप्रथम मुझे मन लगाकर पढ़ना होगा। फिर मैं अपने विचारों को वास्तविक रूप में परिवर्तित कर सकता हूँ।
Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 5 अनोखे राष्ट्रपति Additional Important Questions and Answers
निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति अ (१): आकलन कृति
कृति पूर्ण कीजिए।
Answer:
समझकर लिखिए।
Question 1.
सच्चे व्यक्तित्व की विशेषता
Answer:
सच्चे व्यक्तित्व में कुछ जोड़ना घटाना संभव नहीं है।
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
Question 1.
लेखिका ने राजेंद्र बाबू को सर्वप्रथम गद्यात्मक वातावरण में देखा।
Answer:
सत्य
Question 2.
सत्य में से जोड़ना या घटाना असंभव नहीं रहता।
Answer:
असत्य
कृति अ (२) : शब्द संपदा
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ गद्यांश में से ढूँढ़कर लिखिए।
- नजर
- प्रणाम
- पक्षी
- याद
Answer:
- दृष्टि
- अभिवादन
- विहंगम
- स्मृति
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
Question 1.
व्यक्ति की विशेषता या गुण
Answer:
व्यक्तित्व
Question 2.
शीत ऋतु में होनेवाली छुट्टियाँ
Answer:
शीतावकाश
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
Question 1.
विहंगम
Answer:
पक्षी, नभ यात्री, सम्यक
Question 2.
गद्यांश में प्रयुक्त एक विलोम शब्द की जोड़ी लिखिए।
Answer:
जोड़ना x घटाना
निम्नलिखित शब्द के उपसर्गयुक्त व प्रत्यययुक्त शब्द बनाइए।
Question 1.
सत्य
Answer:
उपसर्गयुक्त शब्द – असत्य, प्रत्यययुक्त शब्द – सत्यवादी
Question 2.
संभव
Answer:
उपसर्गयुक्त शब्द – असंभव, प्रत्यययुक्त शब्द – संभावित
लिंग बदलिए।
- बाबू
- भाई
Answer:
- बबुआइन
- बहन
कृति अ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति
Question 1.
सच्चे व्यक्तित्व की पहचान का आधार बताइए।
Answer:
सच्चा व्यक्तित्व हर समय वास्तविक होता है। सच्चे व्यक्ति का चरित्र प्रकाश की तरह दिव्य व पावन होता है। उसके चरित्र बल के आलोक से लोगों को प्रेरणा मिलती है। उसके विचार आदर्शवादी होते हैं। वह अपने विचारों से ही स्वयं के चरित्र का निर्माण करता है। वह दूसरों की भावनाओं को समझता है। उसके पास दया, प्रेम, करुणा, क्षमा आदि मानवीय गुण होते हैं। वह सदैव दूसरों के हित के बारे में ही सोचता रहता है।
वह कभी भी स्वयं के स्वार्थ का विचार नहीं करता है। उसका जीवन सादा होता है। ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ ही उसके जीवन का मूलमंत्र होता है। सच्चे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति दूसरों की परेशानियों को अपने हृदय के भीतर महसूस करता है और दूसरों को पीड़ा से मुक्ति दिलाने हेतु प्रयास करता है। वह स्वयं तकलीफों में रहकर दूसरों के जीवन में खुशियाँ निर्माण करता है। प्रश्न २ (आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
कृति आ (२): शब्द संपदा
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
- रोमिल
- भृकुटी
- ठुड्डी
- वेशभूषा
Answer:
- रोयेंदार
- भौंह
- ठोढ़ी
- पहनावा
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
Question 1.
स्वच्छंद रहने के भाव
Answer:
स्वच्छंदतावाद
विलोम शब्द लिखिए।
- ग्रामीण x ….
- आवरण x …..
Answer:
- ग्रामीण x शहरी
- आवरण x अनावरण
Question 1.
गद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
- दाहिना x बाँया
- ऊपर x नीचे
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलिए।
- फेंटा
- धोती
- टोपी
- भृकुटी
Answer:
- फेंटे
- धोतियाँ
- टोपियाँ
- भृकुटियाँ
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।
- शरीर
- दृष्टी
Answer:
- शारीरिक
- दृष्टिहीन
निम्नलिखित वाक्यों में विराम चिह्न का उचित प्रयोग कीजिए।
Question 1.
क्या गांधी टोपी की स्थिति और भी विचित्र नहीं थी
Answer:
क्या गांधी टोपी की स्थिति और भी विचित्र नहीं थी?
कृति आ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति
Question 1.
‘व्यक्तित्व का आईना होती है वेशभूषा।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
व्यक्ति का पहनावा या उसकी वेशभूषा उसके व्यक्तित्व का आईना होती है। वह मानव के संपूर्ण जीवन को प्रभावित करती है। यदि आप किसी औपचारिक मीटिंग या कार्यालय में जा रहे हैं तो आप रंग-बिरंगी टी-शर्ट और शॉर्टस् पहनकर जाते हैं तो आप हँसी के पात्र बन सकते हैं या आपके व्यक्तित्व पर इसका गलत असर पड़ सकता है।
यदि आप अनौपचारिक समारोह या पार्टी में सुट पहन कर जाएंगे, तो भी आप बचकाने लगेंगे। यदि व्यक्ति पदवी या पद में बड़ा है; तो उसकी वेशभूषा उसके अनुसार या उससे अधिक फॉर्मल होनी चाहिए। व्यक्ति को स्वच्छ एवं साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। कपड़े अच्छी तरह से प्रेस होने चाहिए। वेशभूषा सादगी से युक्त होनी चाहिए। स्वामी विवेकानंद धोती, कुर्ता व पगड़ी पहनकर विदेश में गए थे। व्यक्ति को अपनी संस्कृति की वेशभूषा में रहना अधिक उचित और श्रेयस्कर है।
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति इ (१): आकलन
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हो
Question 1.
भारतीय कृषक
Answer:
राजेंद्र बाबू अपने स्वभाव एवं रहन-सहन में किसका प्रतिनिधित्व करते थे ?
Question 2.
राजेंद्र बाबू
Answer:
लेखिका को किसकी मुखाकृति देखकर ऐसा लगता था मानो उन्हें पहले कहीं देखा है?
सही विकल्प चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
Question 1.
राजेंद्र बाबू को देखने वालों को कोई-न-कोई आकृति या व्यक्ति स्मरण हो आता था क्योंकि …..
(अ) उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक असामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थी।
(आ) उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थी।
(इ) उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक महापुरुष की आकृति और गठन की छाया थी।
Answer:
राजेंद्र बाबू को देखने वालों को कोई-न-कोई आकृति या व्यक्ति स्मरण हो आता था क्योंकि उनके शरीर के संपूर्ण गठन में एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थी।
समझकर लिखिए।
Answer:
कृति इ (२) : शब्द संपदा
Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
- साथ – साथ
- रहन – सहन
वचन बदलिए।
- आकृति
- अनुभूति
- संवेदना
Answer:
- आकृतियाँ
- अनुभूतियाँ
- संवेदनाएँ
Question 1.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए।
Answer:
प्रत्यययुक्त शब्द : व्यापकता, सामान्यता, विशिष्टता प्रत्यययुक्त शब्द : गहराई
Question 2.
‘अनुभव’ इस शब्द में निहित उपसर्ग से अन्य दो शब्द बनाकर लिखिए।
Answer:
अनुभव – उपसर्ग : अनु ।
नए शब्द –
अनुकरण
अनुसरण
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
- समान x ……..
- सामान्य x ….
Answer:
- समान x असमान
- सामान्य x असामान्य
नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
- समान
- प्रतिभा
- उपरांत
Answer:
- सामान
- प्रतिमा
- अपरांत
कृति इ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति
Question 1.
‘सादा जीवन उच्च विचार’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
सादा जीवन यानी सादगी से भरा जीवन। सादे जीवन में सौंदर्य होता है। ऐसा जीवन तन को ही नहीं मन को भी सुंदर बना देता है। सुंदर शरीर और शांत मन ही उच्च विचार को प्रेरित करता है। यदि व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होना है, तो उसे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ इस सिद्धांत का पालन करना चाहिए। जीवन का सच्चा लाभ आराम का जीवन बिताने में नहीं, बल्कि महान बनने में है।
सफल महापुरुषों के जीवन में प्रकाश डालने से हमें पता चलता है कि उन्होंने ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ को अपने जीवन में उतारा है। जीवन में सादगी लाना बहुत ही बड़ा महान गुण है। इसे स्वीकार करने से व्यक्ति तुच्छ विचारों को अपने हृदय से दूर कर देता है। सादगी से भरा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति के पास गहरी संवेदना होती हैं जो व्यक्तित्व को गरिमा प्रदान करती है। इसलिए व्यक्ति को ‘सादा जीवन व उच्च विचार’ इस सिद्धांत को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ई (१) : आकलन कृति
कृति पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।
Question 1.
राजेंद्र बाबू चक्रधर जी के निजी सचिव थे।
Answer:
चक्रधर जी राजेंद्र बाबू के निजी सचिव थे।
Question 2.
राष्ट्रपति के रूप में राजेंद्र बाबू महिला विद्यापीठ का शिलान्यास करने प्रयाग आए।
Answer:
काँग्रेस के अध्यक्ष के रूप में राजेंद्र बाबू महिला विद्यापीठ का शिलान्यास करने प्रयाग आए।
गद्यांश पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हाँ
Question 1.
सन १९३७
Answer:
महिला विद्यापीठ का शिलान्यास करने राजेंद्र बाबू प्रयाग कब आए थे?
Question 2.
पंद्रह-सोलह
Answer:
राजेंद्र बाबू के संयुक्त परिवार में कितनी पौत्रियाँ थी?
संजाल पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
कारण लिखिए।
Question 1.
राजेंद्र बाबू की पत्नी प्रयाग आती थीं।
Answer:
उनकी पौत्रियाँ प्रयाग में महिला विद्यापीठ के छात्रावास में रहकर पढ़ाई करती थीं। अत: उन्हें मिलने के लिए राजेंद्र बाबू की पत्नी प्रयाग आती थीं।
कृति ई (२) : शब्द संपदा
निम्नलिखित वाक्य में विरामचिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
Question 1.
राजेंद्र बाबू के पुराने परिधान से अपने आपको प्रसाधित कर कितना कृतार्थता का अनुभव किया था चक्रधर जी ने
Answer:
राजेंद्र बाबू के पुराने परिधान से अपने आपको प्रसाधित कर कितना कृतार्थता का अनुभव किया था चक्रधर जी ने !
लिंग बदलिए।
- अध्यक्ष
- पौत्री
- स्वामी
- दादा
Answer:
- अध्यक्षा
- पौत्र
- स्वामिनी
- दादी
Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
- ताने – बाने
- पंद्रह – सोलह
- अस्त – व्यस्तता
- गुरु – शिष्य
- स्वामी – सेवक
- कभी – कभी
निम्नलिखित शब्द के लिए समश्रुतभिन्नार्थक शब्द लिखिए।
- सज्जा
- सहेज
Answer:
- सजा
- सहज
Question 1.
‘ममतालु’ इस शब्द में से प्रत्यय अलग कीजिए और संबंधित प्रत्यय लगाकर अन्य दो शब्द बनाइए।
Answer:
ममतालु : शब्द : ममता प्रत्यय : आलु ।
अन्य शब्द :
- कृपालु
- श्रद्धालु
कृति ई (३) : अभिव्यक्ति
Question 1.
‘नारी जीवन में शिक्षा का अनन्यसाधारण महत्त्व है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
जिस प्रकार पुरुष समाज का अहम् हिस्सा है ठीक उसी प्रकार नारी भी समाज का महत्त्वपूर्ण अंग है। समाज की उन्नति के लिए स्वी का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। अत: समाज में नारी शिक्षा को महत्त्व दिया जाता है। स्वतंत्रता के समय हमारे देश में स्त्रियों की शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं थी। धीरे-धीरे स्थिति में बदलाव होना शुरू हुआ।
आज भारत में लड़कियों के लिए अलग स्कूल, महाविद्यालय एवं विश्व विद्यालय खोले जा रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वे शिक्षा ग्रहण कर सकें। शिक्षा के कारण नारी अपने अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति सजग हो गई है। वह धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बन रहीं हैं। एक पढ़ी-लिखी स्त्री अपने परिवार को ठीक से चला सकती है। वह नौकरी करके अपने परिवार को आर्थिक सहयोग देती है। इस प्रकार अनेक दृष्टियों से नारी जीवन में शिक्षा का अनन्यसाधारण महत्व है।
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति उ (१): आकलन कृति
कारण लिखिए।
Question 1.
राजेंद्र बाबू की पत्नी की रीढ़ की हड्डी झुक गई थी।
Answer:
क्योंकि उन्हें जमींदार परिवार की परंपरा के अनुसार घंटों तक सिर नीचा करके एकासन बैठना पड़ता था।
कृति पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
Question 1.
कर्तव्य विलास नहीं कर्मनिष्ठा है।
Answer:
सत्य
Question 2.
राजेंद्र बाबू अपनी पौत्रियों को अहंकार से दूर नही रखना चाहते थे।
Answer:
असत्य
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।
Question 1.
Answer:
i – ग
ii – घ
iii – ख
iv – क
किसने, किससे कहा?
Question 1.
“महादेवी बहन दिल्ली मेरी नहीं है।”
Answer:
राजेंद्र बाबू ने महादेवी वर्मा से कहा।
कृति उ (२) : शब्द संपदा
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।
- निर्देश
- अहंकार
- स्वतंत्र
Answer:
- सूचना
- घमंड
- आजाद
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
Question 1.
स्कूल या कॉलेज के विद्यार्थियों के रहने की जगह
Answer:
छात्रावास
Question 2.
वह स्थान जहाँ छात्र पढ़ाई करते हैं
Answer:
विद्यालय
Question 3.
जहाँ पहुँचना हो
Answer:
गंतव्य
नीचे दिए हुए शब्द के विलोम शब्द लिखिए।
- अहंकार x ……..
- स्वतंत्र x ……
Answer:
- अहंकार x नम्रता
- स्वतंत्र x परतंत्र
Question 1.
गद्यांश में से प्रत्यययुक्त शब्द ढूंढकर लिखिए।
Answer:
योग्यता
कर्मनिष्ठा
नीचे दिए शब्द के लिए श्रुतिसमभिन्नार्थक लिखिए।
- चिंता
- जेल
Answer:
- चिता
- जल
कृति उ (३) : स्वमत अभिव्यक्ति
Question 1.
‘कर्तव्य विलास नहीं कर्मनिष्ठा है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
कर्तव्य शब्द का अभिप्राय उन कार्यों से होता है जिन्हें करने के लिए व्यक्ति नैतिक रूप से प्रतिबद्ध होता है। व्यक्ति को अपने कर्तव्य के प्रति सदैव जाग्रत रहना चाहिए। अंत:करण की प्रेरणा या उचित कार्य की प्रवृत्ति से कर्तव्य का संबंध होता है। यदि व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से नहीं करता है तो उसका अंत:करण उसे धिक्कारता है। कर्तव्य को प्राथमिकता देकर व्यक्ति को अपना कार्य करते रहना चाहिए। उसे अपने कर्म में लीन होना चाहिए। व्यक्ति को हर काम को पूरे मन से करने पर ही आनंद का अनुभव होता है। प्रश्न ६ (क) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ऊ (१): आकलन कृति
ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों –
Question 1.
रसोईघर
Answer:
राजेंद्र बाबू की पत्नी के कमरे से संलग्न क्या बन गया था?
Question 2.
दिल्ली
Answer:
बालिकाओं की दादी ने लेखिका को कहाँ आने का विशेष निमंत्रण दिया था?
कृति पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
संजाल पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
कारण लिखिए।
Question 1.
राष्ट्रपति भवन के हर द्वार पर सलाम ठोंकने वाले सिपाहियों की आँखें विस्मय से खुली रह गई। .
Answer:
क्योंकि लेखिका राष्ट्रपति भवन में एक दरजन सूप लेकर गई थीं। ऐसी भेंट लेकर कोई अतिथि न कभी वहाँ पहुँचा था, न पहुँचेगा।
कृति ऊ (२) : शब्द संपदा
Question 1.
गद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
Answer:
फटकने-पछोरने
नीचे दिए हुए शब्द के विलोम लिखिए।
- विशेष x ………
- आदेश x …….
Answer:
- विशेष x साधारण
- आदेश x प्रार्थना
Question 1.
गद्यांश में से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते।
Answer:
सूप
आदेश
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
Question 1.
वह भवन जिसमें राष्ट्रपति रहते हैं
Answer:
राष्ट्रपति भवन
Question 2.
अतिथि का सत्कार व उनकी देखभाल
Answer:
आतिथ्य
निम्नलिखित शब्दों के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
- ग्रहण
- अंक
Answer:
- पकड़ने की क्रिया, लेने की क्रिया, खाने की क्रिया, मुसीबत
- संख्या, गोद
कृति ऊ (३): स्वमत अभिव्यक्ति
Question 1.
‘सहधर्मिणी अपने पति के आदर्श एवं सिद्धांत का पालन करती है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
सहधर्मिणी वही कहलाती है जो अपने पति का जीवन के प्रत्येक मोड़ पर साथ देती है। वह अपने पति के आदर्श एवं सिद्धांतों का पालन करती है। यदि उसका पति सादा जीवन उच्च विचार रखता है, तो वह भी उसका अनुसरण करती है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का जीवन सादगी से भरा हुआ था। उसीप्रकार उनकी पत्नी ने भी उनके इस सिद्धांत को अपने जीवन में उतारा।
उनके पति कितने भी बड़े पद पर क्यों न हों, फिर भी वे घर के काम-काज को संभालने से पीछे नहीं हटीं। सबके लिए भोजन बनाना एवं सभी के खाने के उपरांत स्वयं खाना खाना, आदि संस्कारों का उन्होंने भलीभांति निर्वाह किया। घर के सभी सदस्य एवं घर पर आने वाले अतिथियों के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी। इस प्रकार वह अपने पति के पचिह्नों पर चलकर सभी का दिल जीत लेती है।
गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ए (१): आकलन कृति
गद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।
Question 1.
लेखिका राष्ट्रपति भवन उस दिन पहुँची जिस दिन ….
Answer:
राजेंद्र बाबू और उनकी सहधर्मिणी का उपवास था।
कारण लिखिए।
Question 1.
लेखिका ने निरन्न भोजन की इच्छा प्रकट की।
Answer:
क्योंकि उपवास के दिन वह अतिथेय का साथ देना उचित समझती थीं।
निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।
Question 1.
जीवन मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि के कारण राजेंद्र बाबू को पद्मश्री की उपाधि मिली।
Answer:
जीवन मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि के कारण राजेंद्र बाबू को देशरल की उपाधि मिली।
Question 2.
राष्ट्रपति भवन में लेखिका ने मेवे व मिष्ठान्न खाया।
Answer:
राष्ट्रपति भवन में लेखिका ने उबले आलू खाए।
गद्यांश: ७ पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. १९ . राजेंद्र बाबू तथा उनकी चरित्र ढलते थे?
कृति ए (२) : शब्द संपदा
निम्नलिखित वाक्य में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए।
Question 1.
लेखिका ने कहा आज वह साँचा टूट गया है जिसमें कठिन कोमल चरित्र ढलते थे
Answer:
लेखिका ने कहा, “आज वह साँचा टूट गया है, जिसमें कठिन कोमल चरित्र बलते थे।”
Question 2.
दिए गए गद्यांश में से देशज शब्द ढूँढकर लिखिए।
Answer:
- उबले
- आलू
- छलक
- ढलते
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
Question 1.
संतोष
Answer:
उपसर्गयुक्त शब्द : असंतोष, प्रत्यय युक्त शब्द : संतोषप्रद
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
Question 1.
जिसका कोई शत्रु ही न हो
Answer:
अजातशत्रु
Question 2.
भोजन ग्रहण न करने का निश्चय
Answer:
उपवास
पर्यायवाची शब्द लिखिए।
- निरन्न
- अजातशत्रु
Answer:
- अन्नरहित
- शत्रुहीन
कृति ए (३) : स्वमत अभिव्यक्ति
Question 1.
‘व्यक्ति के जीवन-मूल्यों का बड़ा महत्व होता है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
जीवन-मूल्य मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक होते हैं। जीवन मूल्यों का व्यक्ति के जीवन में महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। व्यक्ति इन्हीं के आधार पर अच्छा-बुरा या सही-गलत की परखा करता है। हमेशा नम्र रहना, सबका आदर करना, सादगी से जीवन बिताना आदि जीवन-मूल्य हैं। सुखद व सफल जीवन व्यतीत करने के लिए व्यक्ति को जीवन-मूल्यों को स्वीकार करना पड़ता है। जीवन-मूल्यों के बिनी व्यक्ति अपने जीवन को अनुशासित नहीं कर सकता और न ही अपने मन को स्वयं के नियंत्रण में रख सकता है। जीवन में अपने व्यक्तित्व को निखारने और सफल बनाने के लिए जीवन-मूल्य अनिवार्य है।
अनोखे राष्ट्रपति Summary in Hindi
अनोखे राष्ट्रपति लेखिका – परिचय
जीवन – परिचय : महादेवी वर्मा जी का जन्म सन १९०७ में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ। ये एक उच्चकोटि की लेखिका एवं प्रतिभावान कवयित्री थीं। छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इनके साहित्य में पीड़ा, करुणा, वेदना आदि पाई जाती है। इन्हें हिंदी साहित्य में आधुनिक युग की मीरा’ कहा जाता है। इनका साहित्य समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है तथा प्रत्येक वर्ग को प्रभावित और प्रेरित करता है।
प्रमुख कृतियाँ : ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘सांध्यगीत’ (कविता संग्रह), ‘संकल्पिता’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’, (निबंध), ‘पथ के साथी’, ‘मेरा परिवार’, ‘अतीत के चलचित्र’। (रेखाचित्र)
अनोखे राष्ट्रपति गद्य – परिचय
संस्मरण : संस्मरण साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। स्मृति के आधार पर किसी विषय पर या किसी व्यक्ति पर लिखित आलेख संस्मरण कहलाता है। यह केवल अतीत की घटनाओं पर आधारित होता है। संस्मरण में चारित्रिक गुणों से युक्त किसी व्यक्ति को याद करते हुए उसके परिवेश के साथ उसका प्रभावशाली वर्णन किया जाता है।
प्रस्तावना : ‘अनोखे राष्ट्रपति’ इस संस्मरण में लेखिका महादेवी वर्मा जी ने भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के ‘सादा जीवन–उच्च विचार’ गुण से परिचित कराया है। जीवन में सादगी, सहजता व सरल स्वभाव अपनाने से व्यक्ति का व्यक्तित्व ऊँचा उठ सकता है, लेखिका ने इस विचार से सभी को अवगत कराया है।
अनोखे राष्ट्रपति सारांश
‘अनोखे राष्ट्रपति’ यह एक संस्मरण है। इस संस्मरण में लेखिका महादेवी वर्मा जी ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के जीवन मूल्यों से पाठकों को परिचित कराया है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की वेशभूषा में अत्यंत सादगी थी। स्वतंत्रता पूर्व से ही लेखिका डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को अच्छी तरह से जानती थीं। सन १९३७ में प्रयाग में महिला विद्यापीठ का शिलान्यास डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के करकमलों द्वारा हुआ था। तब उन्होंने लेखिका से निवेदन करते हुए कहा था कि वे अपनी पंद्रह–सोलह पौत्रियों की शिक्षा को लेकर चिंतित हैं। इसलिए उन्हें वे प्रयाग के महिला विद्यापीठ में भर्ती करवाना चाहते हैं।
लेखिका ने भी उनकी पौत्रियों को अपने संरक्षण में ले लिया। इस प्रकार उनकी पौत्रियाँ विद्यापीठ के छात्रावास में रहने लगीं। कभी–कभी डॉ. राजेंद्र प्रसाद और उनकी पत्नी सामान्य भारतीय गृहिणी के समान पति, परिवार तथा परिजनों को खिलाने के उपरांत स्वयं अन्न ग्रहण करती थीं। राष्ट्रपति बनने के पश्चात भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को अहंकार ने कभी नहीं छुआ। वे अपनी पौत्रियों को अहंकार से दूर रखना चाहते थे। इसलिए साफ शब्दों में उन्होंने लेखिका से कहा था दिल्ली व राष्ट्रपति भवन उनका नहीं है। उनकी पौत्रियाँ जैसी रहती आई हैं; वैसी ही रहेंगी।
एक बार उनकी पत्नी के द्वारा निमंत्रण मिलने पर लेखिका स्वयं राष्ट्रपति भवन जाती हैं। वहाँ पर भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को उपवास के उपरांत उबले हुए आलू खाते हुए देखती हैं। उनके सादगी एवं संयम से भरे जीवन को देखकर लेखिका नतमस्तक हो जाती हैं। जीवन–मूल्यों की परख करने वाली दृष्टि राजेंद्र बाबू जी के पास थी। उनके पास मन की स्वच्छता थी। उनका कोई शत्रु नहीं था। इसी कारण उन्हें भारतरल की उपाधि मिली थी। ऐसे अनोखे राष्ट्रपति की संगति में लेखिका स्वयं को धन्य समझती हैं।
अनोखे राष्ट्रपति शब्दार्थ
- भृकुटी – भौंह
- ठुड्डी – ठोढ़ी
- रोमिल – रोयेंदार
- निर्देश – सूचना
- सिरकी – सरकंडे या सरई
- पछोरना – अनाज सूप में रखकर फटककर साफ करना
- निरन्न – निराहार, अन्नरहित
- दृष्टि – नजर
- अभिवादन – प्रणाम
- विहंगम – पक्षी
- स्मृति – याद
- वेशभूषा – पहनावा
- निर्देश – सूचना
- अहंकार – घमंड
- कर्तव्य – कार्य
- स्वतंत्र – आजाद
- अजातशत्रु – शत्रुहीन
- भेंट – उपहार