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Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

Maharashtra Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

Maharashtra State Board Class 10 Hindi Lokvani Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 6 अति सोहत स्याम जू Textbook Questions and Answers

सुचना के अनुसर क्रुतिया कीजिए।

1. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।


उत्तरः

 

2. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।

उत्तरः

3. कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –

प्रश्न 1.
कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –
उत्तर:
(अ) गोकुल में ग्वाला बनकर रहना चाहते हैं।
(आ) गोकुल के बने में पशु बनकर चरना चाहते हैं।
(इ) गोकुल में स्थित गिरिधर पर्वत का पत्थर बनकर रहना चाहते हैं।
(ई) यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ पर पक्षी बनकर रहना चाहते हैं।

 

प्रश्न 4.

उत्तरः

प्रश्न 5.
पद्य में इस अर्थ में आए शब्द लिखिए।

  1. शोभा देता है
  2. ग्वाल-बालाएँ
  3. गोरस देने वाली
  4. शुक मुनि

उत्तरः

  1. सोहत
  2. अहीर की छोहरियाँ
  3. धेनु
  4. सुक

6. निम्न शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ लिखिए:

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ लिखिए:
image 7

प्रश्न 2.
शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए:

  1. जिसके कोई खंड नहीं होते – …..
  2. छाछ रखने का छोटा पात्र – ………
  3. जिसका कोई अंत नहीं होता – ……
  4. जो सदैव चलता रहता है – ……….

 

7. कृदंत व तद्धित शब्दों के मूल शब्द पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
कृदंत व तद्धित शब्दों के मूल शब्द पहचानकर लिखिए।

उत्तरः
झगड़ालू, मुस्कान, सांस्कृतिक, रसीला,
खिलाड़ी, कहानी, जगमगाहट, सुखी।

कृदंत शब्द तद्धित शब्द
1. जगमगाना 1. रस
2. मुस्कुराना 2. झगड़ा
3. कहना 3. संस्कृति
4. खेलना 4. सुख

8. किसी एक पद का सरल अर्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
किसी एक पद का सरल अर्थ लिखिए।
सेस, गनेस ……………
…………… नाच नचावें।
उत्तरः
कवि रसखान कहते हैं कि कृष्ण तो प्रेमरूपी भक्ति के प्यासे हैं। शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य एवं इंद्र जिसके गुणों की हमेशा प्रशंसा करते हैं; जिन्हें अनादि, अनंत, अखंड, अछेद, अभेद और सुवेद बनाते हैं, ब्रह्म ऋषि नारद, शुकदेव व महाकवि व्यास जैसे तपस्वी जिनके नाम की निरंतर रट लगाते रहते हैं और प्रयत्न करने के बावजूद भी उनका पार नहीं पा सकें, ऐसे कृष्ण को अहीर कन्याएँ (ग्वालिने) कटोरे भर छाछ के लिए नाच नचाती हैं।

Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 6 अति सोहत स्याम जू Additional Important Questions and Answers

(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

1. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कवि यहाँ और यह बनकर रहना चाहते हैं –
उत्तर:
(अ) गोकुल में ग्वाला बनकर रहना चाहते हैं।
(आ) गोकुल के बने में पशु बनकर चरना चाहते हैं।
(इ) गोकुल में स्थित गिरिधर पर्वत का पत्थर बनकर रहना चाहते हैं।
(ई) यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ पर पक्षी बनकर रहना चाहते हैं।

 

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:

कृति अ (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. मानुष
  2. कालिंदी
  3. गिरि
  4. धेनु
  5. पाहन

उत्तर:

  1. मानव
  2. यमुना
  3. पर्वत
  4. गाय
  5. पत्थर

प्रश्न 2.
वचन बदलिए।
1. बसेरा
2. डाल
उत्तर:
1. बसेरे
2. डालें

 

प्रश्न 3.
पद्यांश में प्रयुक्त तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:

  1. धेनु
  2. गिरि
  3. खग
  4. नित

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्यय लगाइए।
1. गाँव
2. गोकुल
उत्तर:
1. गाँववासी
2. गोकुलवासी

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अपने आराध्य की जन्मभूमि से सभी को लगाव होता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आराध्य वह होता है जिसकी हम आराधना करते हैं। आराध्य के बिना जीवन का अर्थ प्राप्त नहीं हो सकता। अतः प्रत्येक व्यक्ति के अपने-अपने आराध्य होते हैं। अपने आराध्य की जन्मभूमि से लगाव होना, स्वाभाविक है। प्रति वर्ष हजारों-लाखों लोग अयोध्या, मथुरा-ब्रज आदि देवस्थान और अपने आराध्य देव के देवस्थलों की यात्रा करते हैं।

अपने आराध्य की जन्मभूमि को भेंट देकर लोग इसमें अपनी धन्यता समझते हैं। वहाँ पर जाकर उन्हें दिव्य आनंद की अनुभूति होती है। साधकों को ऐसा लगता है मानो वे स्वर्ग में ही आ पहुँचे हैं। आराध्य की जन्मभूमि भक्तों के लिए तीर्थस्थल होती है। ऐसे तीर्थस्थलों पर जाकर भक्त मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। अत: अपने आराध्य की जन्मभूमि सभी को प्रिय होती है।

(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के भिन्न अर्थ लिखिए।
1. चोटी
2. निधि
उत्तर:
1. स्त्री के सिर के गूंथे हुए बाल, पर्वत शिखा
2. संपत्ति, आश्रयस्थान

 

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तद्भव शब्द का तत्सम रूप लिखिए।
काग
उत्तर:
काक

प्रश्न 3.
उचित प्रत्यय लगाकर नया शब्द लिखिए।
1. कला
2. सुंदर
उत्तर:
1. कलापूर्ण
2. सुंदरता

प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. चोटी
2. कला
उत्तर:
1. चोटियाँ
2. कलाएँ

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1.धूरि
2. निधि
उत्तर:
1. धूल
2. संपत्ति

कृति आ (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘बाल कृष्ण का मनोहारी वर्णन करते हुए कवि ने कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति समर्पित कर दी है।’ कथन का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तरः
कवि रसखान कृष्ण के असाधारण भक्त थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपनी भक्ति को कृष्ण के प्रति समर्पित कर दिया था। भगवान कृष्ण की लीलाओं से सभी परिचित है। उन्होंने गोकुल में जन्म लिया था और वे जन्म से ही अपने भक्तों का उद्धार करते रहे। अत: उनकी बालसुलभ क्रियाएँ एवं उनकी बचपन की लीलाओं का मनोहारी वर्णन कर सभी पाठकों को कृष्ण भक्ति में एकाकार करना कृष्ण प्रेमी कवियों का प्रमुख लक्ष्य रहा और साथ ही अपने इष्ट का वर्णन करते हुए उसके साथ एकाकार होना यह भी प्रमुख उद्देश्य रहा। कवि रसखान इससे अपवाद नहीं हैं। उन्होंने बड़ी ही तन्मयता से कृष्ण के बालरूप का मनोहारी वर्णन करके अपनी भक्ति को कृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया है।

 

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. ग्वाले
2. कृष्ण
उत्तरः
1. कौन पुकार कर हँस रहे थे?
2. कवि की आँखों में किसकी छबि बस गई है?

3. कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि रसखान की आँखें बौरा हो गई हैं।
उत्तरः
कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखें बौरा हो गई हैं।

 

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
वचन बदलिए।
1. वनमाला
2. मूर्ति
उत्तरः
1. वनमालाएँ
2. मूर्तियाँ

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।

  1. पाग
  2. भाल
  3. हिय
  4. नैन

उत्तरः

  1. पगड़ी
  2. मस्तक
  3. हृदय
  4. आँखें

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बाल कृष्ण की छबि देखकर अपने मन में आए विचारों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तरः
बाल कृष्ण भगवान कृष्ण का बचपन का रूप था, जो मोहक एवं सभी को अपनी ओर आकर्षित करता था। मैंने कई बार बाल कृष्ण की छबि देखी है। इतना ही नहीं, मैंने दूरदर्शन पर कई धारावाहिक भी देखे हैं; जिसमें कृष्ण के बालरूप को बड़े ही मनोहारी एवं आकर्षक रूप में दर्शाया गया है। बाल कृष्ण के सुंदर व मुग्ध रूप को देखकर मैं आनंदविभोर हो गया हूँ। कोमल, श्यामल रंग, हाथ में बाँसुरी लिए हुए वे बहुत आकर्षक लगते है। उनकी छबि दिव्य और बड़ी ही मोहक है।

(ई) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः

कृति (2): शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
1. अहीर
2. दिनेश
उत्तरः
1. ग्वाला
2. सूर्य

 

प्रश्न 2.
शब्द समूह के लिए एक शब्द लिखिए।
1. जिसके कोई खंड नहीं होते –
2. जिसका कोई अंत नहीं होता –
3.  छाछ रखने का छोटा पात्र –
4.  जो सदैव चलता रहता है –
उत्तरः
1. अखंड
2. अनंत
3. छछिया
4. निरंतर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग व प्रत्यय लगाइए।
खंड:
उत्तरः
उपसर्गयुक्त शब्द : अखंड
प्रत्यययुक्त शब्द : अखंडता

प्रश्न 4.
पद्यांश में से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः

  1. अनंत
  2. अभेद
  3. अखंड
  4. अनादि

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के भिन्न अर्थ लिखिए।
व्यास
उत्तरः
महर्षि व्यास, कथावाचक, ज्यामिति

 

कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘ईश्वर सच्चे और निष्कपट भक्ति का प्यासा होता है।’ कथन विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
ईश्वर सच्चे प्रेम का भूखा होता है। वह सच्चे मन से की गई भक्ति पर प्रसन्न होता है और अपने भक्तों को स्वयं के दर्शन कराता है। उसे पाने के लिए हमें दिन-रात उसके नाम का जप करने की जरूरत नहीं होती। उसका दिन-रात भजन करना भी आवश्यक नहीं होता। उसे तो सच्चा भक्त कभी भी सच्चे हृदय से पुकार सकता है।

जब अंतर्मन से निकलने वाली पुकार में सच्चे मन की भक्ति की एकाग्रता हो, तो वह स्वयं अपने भक्तों की पुकार पर सहायता के लिए आ जाता है। गोकुल में रहने वाली ग्वालिने कृष्ण से सच्चे हृदय से प्रेम करती थीं। अत: वे उनके साथ नाचते-गाते थे और उनसे माखन पाने के लिए हठ करते थे। संत कबीर ने भी अपनी रचनाओं के द्वारा यही समझाया है कि ईश्वर को पाने के लिए हमें धार्मिक आडंबरों की जरूरत नहीं होती। उसे तो सच्चे हृदय से प्राप्त किया जा सकता है।

अति सोहत स्याम जू Summary in Hindi

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: रसखान जी का जन्म सन १५९० में उत्तर प्रदेश के पिहानी, मथुरा में हुआ। इनका मूलनाम सैयद इब्राहिम था। ये भगवान श्रीकृष्ण के अनन्यसाधारण भक्त थे। हिंदी के कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन रीतिमुक्त कवियों में इनका प्रमुख स्थान है। इनकी अधिकांश रचनाएँ भगवान कृष्ण के लिए समर्पित हैं। इनकी रचनाओं में भक्ति एवं श्रृंगार रस की प्रधानता है। इन्होंने श्रीकृष्ण के सगुण रूप को बड़े ही मनोहारी ढंग से अभिव्यक्त किया है।

प्रमुख कृतियाँ: ‘प्रेमवाटिका’ (दोहे), ‘सुजान रसखान’ (कवित्त, सवैया) आदि।

पद्य-परिचय:

सवैया: सवैया मात्रिक छंद का एक प्रकार है। इसमें चार चरण होते हैं । प्रत्येक चरण में २२ से २६ वर्ण होते हैं। रीतिकाल में ।
विभिन्न प्रकार के सवैया प्रचलित रहे हैं।

प्रस्तावना: ‘अति सोहत स्याम जू’ इस रचना में कवि रसखान ने श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति लगाव, बालकृष्ण का मनोहारी वर्णन ।
एवं उसे पाने के लिए हृदय में सच्ची भक्ति की आवश्यकता जैसे बिंदुओं का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है।

 

सारांश:

कवि रसखान भगवान श्रीकृष्ण के अनन्यसाधारण भक्त थे। उन्हें श्रीकृष्ण की जन्मभूमि के प्रति बेहद लगाव है। वे कृष्ण-भक्ति में एकाकार हो गए हैं। वे श्रीकृष्ण से अलग होना नहीं चाहते हैं। वे सदैव उनका सानिध्य चाहते हैं। इसलिए वे अगले जन्म में किसी भी योनी में जन्म लें फिर भी वे गोकुल से अलग होना नहीं चाहते। वे गोकुल में उपस्थित किसी भी प्राकृतिक अंश में बस जाना चाहते हैं। कवि रसखान ने बालकृष्ण का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है।

कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखे उन्मुक्त हो गई हैं। श्रीकृष्ण सच्ची भक्ति के द्वारा तुरंत मिल सकते हैं। उन्हें पाने के लिए भक्त को सच्चे हृदय से उन्हें पुकारने की आवश्यकता होती है। श्रीकृष्ण सच्ची भक्ति के प्यासे हैं। उनके दर्शन के लिए निरंतर जाप की आवश्यकता नहीं होती। श्रीकृष्ण भी सच्चे भक्त की पुकार सुनकर उसकी सहायता के लिए तत्पर हो जाते हैं। इस प्रकार प्रस्तुत रचना के माध्यम से कवि रसखान ने अपनी भक्ति श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दी है।

भावार्थ:

1. मानुष …………………….. कूल कंदब की डारन।।

कवि रसखान कृष्णभक्त थे। उन्हें श्रीकृष्ण के जन्मभूमि के प्रति बेहद लगाव है। वे प्रत्येक स्थिति में श्रीकृष्ण का सानिध्य चाहते हैं। वे । भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए कहते हैं कि यदि अगले जन्म में मनुष्य बनूँ, तो गोकुल के ग्वालों और गायों के बीच रहना पसंद करूँगा। ,
यदि मैं पशु की योनि में जन्म लेता हूँ, तो हमेशा नंद की गायों के साथ चरना चाहूँगा। यदि मैं पत्थर बनूँ, तो उसी पर्वत का पत्थर बनूँ जिसे । इंद्र के कारण भगवान कृष्ण ने अपनी उँगली पर धारण कर लिया था। यदि पक्षी बनूँ, तो यमुना के किनारे पर स्थित किसी कंदब के पेड़ की । डाल पर अपना बसेरा निर्माण करूँ।

2. धूरि भरे अति ……………….. माखन रोटी।

कवि रसखान ने प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से बालकृष्ण का अत्यंत मनोहारी वर्णन किया है। बालकृष्ण धूल से सने हुए अत्यंत मोहक लग रहे हैं। उनके सिर पर चोटी शोभायमान हो रही है। उन्होंने कमर में पीली धोती पहनी हुई है तथा पैरों में पैजनियाँ बज रही है। वे पूरे आँगन में खाते-खेलते घूम रहे हैं। रसखान कहते हैं कि उनकी छवि देखकर कामदेव अपनी करोड़ों कलाओं की निधि निछावर करते हैं। सचमुच । वह कौआ बहुत ही भाग्यशाली है जो बालकृष्ण के हाथ से माखन रोटी को छीन कर ले उड़ा है।

3. सोहत हे चॅदवा ………………………. माँझ बसी है।

कवि रसखान कृष्ण के बालरूप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि उनके सिर पर मोर मुकुट शोभायमान है। उन्होंने अपने सिर पर बड़ी । सुंदर पगड़ी बाँध रखी है। उनके मस्तक पर गायों के पैरों से उड़नेवाली धूल वैसे ही शोभा दे रही है जैसे हृदय पर वनमाला शोभित हो रही है। कृष्ण के आकर्षक एवं मनोहारी रूप को देखकर कवि रसखान की आँखे मारे खुशी के पागल हो गई हैं। उनकी बंद आँखों को देखकर ग्वाले उन्हें पुकारकर हँस रहे हैं, मानो वे उन्हें अपनी आँखा से पलकों के घूघट खोलने के लिए कह रहे हैं। किंतु कवि रसखान के सामने समस्या यह है कि वे अपनी पलकें नहीं खोल सकते क्योंकि कृष्ण की छवि उनकी आँखों में बस गई है।

4. सेस, गनेस ………………… नाच नचावें।

कवि रसखान कहते हैं कि कृष्ण तो प्रेमरूपी भक्ति के प्यासे हैं। शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य एवं इंद्र जिनके गुणों की हमेशा प्रशंसा करते हैं; जिन्हें अनादि, अनंत, अखंड अछेद, अभेद और सुवेद बताते हैं। ब्रह्म ऋषि नारद, शुकदेव व महाकवि व्यास जैसे तपस्वी जिनके नाम को निरंतर रटते रहते हैं और प्रयत्न करने के बावजूद भी उनका पार नहीं पा सके, ऐसे कृष्ण को अहीर कन्याएँ (ग्वालिने) कटोरे भर । छाछ के लिए नाच नचाती हैं।

 

शब्दार्थ:

  1. मानुष – मानव
  2. धूरि – धूल
  3. हिय – हृदय
  4. गिरि – पर्वत
  5. पाग – पगड़ी
  6. अहीर – ग्वाला, आभीर
  7. धेनु – गाय
  8. भाल – मस्तक
  9. पाहन – पत्थर
  10. दिनेश – सूर्य
  11. छाछिया – छाछ रखने का छोटा पात्र
  12. वारत – निछावर करना
  13. लसी – सुशोभित होना
  14. बिलोकत – देखना
  15. पचिहारे – हार जाना
  16. जू – जी
  17. पीरी – पीले रंग की
  18. कछोटी – कमर में लपेटी जानेवाली धोती
  19. दृग – आँख
  20. कूल – तट, किनारा
  21. काग – कौआ

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