MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 12 वर्षावर्णनम्
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 12 वर्षावर्णनम्
वर्षावर्णनम् पाट का सार
प्रस्तुत पाठ आदिकाव्य ‘रामायण’ के ‘किष्किन्धाकांड’ के अट्ठाईसवें सर्ग से लिया गया है। इस अंश में ‘रामायण’ के रचयिता ‘आदिकवि वाल्मीकि’ के द्वारा प्रकृति व ऋतु का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है। उसी में से वर्षा ऋतु का वर्णन यहाँ पर है, जो बहुत ही मनोरम है।
वर्षावर्णनम् गाठ का अनुवाद
1. रजः प्रशान्तं सहिमोऽद्य वायु-निदाघदोषप्रसराः प्रशान्ताः।
स्थिता हि यात्रा वसुधाधिपानां प्रवासिनो यान्ति नराः स्वदेशान्॥1॥
अन्वयः :
अद्य (पृथिव्याः) रजः प्रशान्तम् वायुः सहिमः, प्रसराः निदाघदोषाः प्रशान्ताः, वसुधाधिपानां यात्रा स्थिता हि। प्रवासिनः नराः स्वदेशान् यान्ति।
शब्दार्थाः :
रजः-धूलि कण-particles of dust; सहिमः-बर्फ/शीतलता से युक्त-cool., icy; प्रसराः-फैले हुए-spread; निदाघदोषाः-गर्मी के दोष-disadvantages of heat; प्रशान्ताः-शांत हो गए हैं-dispelled; वसुधाधिपानाम्-राजाओं की-ofkings; प्रवासिनः-विदेश में निवास करने वाले-migrants.
अनुवाद :
आज (धरती पर) धूल शांत है, वायु शीतल है, फैले हुए गर्मी के दोष शांत हो गए हैं। राजाओं की यात्राएँ रुक गयी हैं। विदेशों में निवास करने वाले लोग अपने देश जा रहे हैं।
English :
Particles of sand settled-heat subsided-Royal campaigns stopped. Migrants return to native countries.
2. समुदहन्तः सलिलातिभारं बलाकिनो वारिधरा नदन्तः।
महत्सु शृङ्गेषु महीधराणां विश्रम्य विश्रम्य पुनः प्रयान्ति॥2॥
अन्वयः :
बलाकिनः (सुशोभिताः) वारिधराः सलिलातिभारं समुद्वहन्तः नदन्तः महीधराणां महत्सु शृङ्गेषु विश्रम्य-विश्रम्य पुनः (अग्रे) प्रयान्ति।
शब्दार्थाः :
पुनः (अग्रे) प्रयान्ति।-दोबारा आगे बढ़ते हैं-proceed again; बालकिनः-बक पङ्क्तियों से-the rows of herons; वारिधराः-बादल-clouds; समुदहन्त-उठाए हुए-carried; सलिलातिभारम्-पानी के अधिक भार को-heavy weight of water; नदन्तः-गर्जना करते हुए-roaring; महीधराणाम्-पर्वतों के-of mountains; शृङ्गेषु-शिखरों/चोटियों पर-on the peaks; प्रयान्ति-जाते हैं-go ahead.
अनुवाद :
बगुलों की पङ्कितयों से सुशोभित बादल, पानी के अत्यधिक भार को उठाए हुए गर्जना करते हुए पर्वतों को ऊँची चोटियों पर रुक-रुक कर फिर (आगे) बढ़ते हैं।
English :
Clouds laden with water and adorned with rows of herons-roar-stay on mountain peaks-proceed ahead.
3. वहन्ति वर्षन्ति नदन्ति भान्ति ध्यायन्ति नृत्यन्ति समाश्वसन्ति।
नद्यो घना मत्तगजाः वनान्ताः प्रियाविहीनाः शिखिनः प्लवङ्गमाः ॥3॥
अन्वयः :
नद्यः वहन्ति, घना वर्षन्ति, मत्तगजाः नदन्ति, वनान्ताः भान्ति, प्रियाविहीनाः (प्राणिनः) ध्यायन्ति, शिखिनः नृत्यन्ति, प्लवङ्गमाः समाश्वसन्ति।
शब्दार्थाः :
नदन्ति-चिग्घाड़ रहे हैं-trumpet; भान्ति-सुशोभित हो रहे हैं-shine; ध्यायन्ति-चिन्तामग्न हो रहे हैं -are worried; शिखिनः-मोर-peacocks; प्लवङ्गमाः-मेंढक-frogs; समाश्वसन्ति-निश्चिंत/सुखी हो रहे है-feel pleasure.
अनुवाद :
नदियाँ बहती हैं, बादल बरसते हैं, मतवाले हाथी चिंघाड़ रहे हैं। वन प्रदेश सुशोभित हो रहे हैं, प्रियविहीन प्राणी चिंतामग्न हो रहे हैं, मोर नाच रहे हैं, मेंढक निश्चित्त हो रहे हैं।
English :
Rivers flow-clouds rain-passionate elephants trumpet-forests shine-companionless people pine, peacocks dance, frogs are enjoying
4. वर्षप्रवेगाविपुलाः पतन्ति प्रवान्ति वाताः समुदीर्णवेगाः।
प्रणष्टकूलाः प्रवहन्ति शीघ्रं नद्योजलं विप्रतिपन्नमार्गाः ॥4॥
अन्वयः :
विपुलाः वर्षप्रवेगाः पतन्ति। वाताः समुदीर्णवेगा: प्रवान्ति। प्रणष्टकूलाः विप्रतिपन्नमार्गा, नद्यः जलं शीघ्रं प्रवहन्ति।
शब्दार्थाः :
विपुलाः-बहुत अधिक-excessive, plenty; वाताः-वायु-wind; प्रणष्टकूला:-जिनके किनारे नष्ट हो गए हैं, जल के वेग से जिन्होंने कगारों को काट दिया है-overflowed the banks; विप्रतिपन्नमार्गाः-मार्ग को रोक दिया है, मार्ग अवरुद्ध कर दिया है जिन्होंने-blocked the path.
अनुवाद :
बहुत अधिक वर्षा वेग से हो रही है। वायु बहुत अधिक वेग से बह रही है। टूटे हुए किनारों वाली तथा अवरुद्ध मार्ग वाली नदियों का जल तेजी से बह रहा है।
English :
Torrential rain-stormy wind-rivers overflowing their banks.
5. षट्पादतन्त्रीमधुराभिधानं प्लवङ्गमोदीरितकण्ठतालम्।
आविष्कृतं मेघमृदङ्गनादै र्वनेषु सङ्गीतमिव प्रवृत्तम्।।5॥
अन्वयः :
वनेषु षट्पादतन्त्रीमधुराभिधानं, प्लवङ्गमोदीरितकण्ठतालम् मेघमृदङ्गनादैः आविष्कृतं सङ्गीतमिव प्रवृत्तम्।
शब्दार्थाः :
षटपदाः-भौरे-Bumble bees; आविष्कृतम्-बनाई हुई-produced; तन्त्री-वीणा-a lyre; अभिधानम्-बोलना-resounding; प्लवङ्गमाः-मेंढक-frogs; नादैः-आवाज-sounds; प्रवृत्तम्-लगे हैं/कर रहे हैं-are producing.
अनुवाद :
वनों में भौरे वीणा के समान मधुर आवाज में बोल रहे हैं, मेंढक के गले की आवाज (ताल) बादल और मृदङ्ग की आवाज के बनाए गए सङ्गीत के समान लग रही है।
English :
Bumble bees buzzing in forests like a lyre–frogs croaking like the sound of drums and roaring clouds.
6. मत्ता गजेन्द्रा मुदिता गवेन्द्रा वनेषु विक्रान्ततरा मृगेन्द्राः।।
रम्या नगेन्द्रा निभृता नरेन्द्राः प्रक्रीडितो वारिधरैः सुरेन्द्रः ॥6॥
अन्वयः :
गजेन्द्राः मत्ताः गवेन्द्राः मुदिताः, मृगेन्द्राः वनेषु विक्रान्ततराः नगेन्द्राः रम्याः (दृश्यन्ते) नरेन्द्राः निभृताः सुरेन्द्रः वारिधरैः प्रक्रीडितः
शब्दार्थाः :
गवेन्द्राः-बैल/पशुगण-animals; मुदिताः-प्रसन्न-delighted; मृगेन्द्राः-सिंह-lions; विक्रान्ततराः-अत्यन्तपराक्रमशाली-very brave; नगेन्द्राः-बड़े-बड़े पर्वत-huge mountains; निभृताः-मौन (युद्धादि उत्साह को छोड़कर)-silent (leaving craze for battles etc.); वारिधरैः-मेघों से-with clouds.
अनुवाद :
हाथी मदयुक्त (मस्त) हो रहे हैं, बैल प्रसन्न हो रहे हैं, सिंह वन में अत्यंत पराक्रमशाली महसूस कर रहे हैं, बड़े-बड़े पर्वत सुंदर हो रहे हैं, राजा गण शांत (मौन) हैं, देवराज इंद्र बादलों से खेल रहे हैं।
English :
Elephants-full of rut-animals rejoicing-brave lions in forests-mountains get cleaned-kings silent (not longing for battles)-Lord Indra playing with clouds
7. घनोपगूढं गगनं न तारा न भास्करो दर्शनमभ्युपैति।।
नवैर्जलौघैर्धरणी वितृप्ता तमोविलिप्ता न दिशः प्रकाशाः ॥7॥
अन्वयः :
गगनं घनोपगूढं ताराः भास्करः (च) दर्शनं न अभ्युपैति। धरणी नवैः जलौधैः वितृप्ता। दिशः तमोविलिप्ताः न प्रकाशाः।
शब्दार्थाः :
घनोपगूढम्-घने अन्धकार से आच्छादित-covered with deep darkness; अभ्युपैति-करा रहा है।-; वितृप्ताः -पूर्ण रूप से तृप्त हो गई हैं-fully gratified; तमोविलिप्ताः-अन्धकार से लिप्त-drenched (covered) with darkness.
अनुवाद :
आकाश घने अन्धकार से आच्छादित होने से तारों और चंद्रमा के दर्शन नहीं कर रहा है। धरती नये जल के बहने से पूर्ण रूप से तृप्त हो गई है। दिशाएँ अन्धकार से लिप्त हैं, प्रकाश नहीं है।
English :
Dark sky-stars and moon not visible-Earth’s thirst totally quenched-no lights.
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 12 वर्षावर्णनम् (पद्यम्) (वाल्मीकिरामयनतः)
MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 12 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए-)।
(क) समुदीर्णवेगाः के प्रवान्ति? (बहुत वेग से कौन बहती है?)
उत्तर:
वाताः (वायु)
(ख) वर्षाकाले शिखिनः किं कुर्वन्ति? (वर्षा के समय मोर क्या करते हैं?)
उत्तर:
नृत्यन्ति (नाचते हैं)
(ग) वर्षाकाले के भान्ति? (वर्षा के समय कौन सुशोभित होते हैं?)
उत्तर:
वनान्ताः (वन-प्रदेश)
(घ) कः मृदङ्गनादम् करोति? (कौन मृदङ्गनाद करता है?)
उत्तर:
प्लवङ्गमः (मेंढक)
(ङ) घनोपगूढं किम्? (घने अन्धकार से आच्छादित कौन है?)
उत्तर:
गगनम् (आकाश)
प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) वारिधराः कुत्र विश्रम्य पुनः प्रयान्ति? (बादल कहाँ रुक कर फिर चलते हैं?)
उत्तर:
वारिधराः महीधराणां महत्सु शृङ्गेषु विश्रम्य पुनः प्रयान्ति। (बादल पर्वतों के ऊँचे शिखरों पर रुक कर फिर जाते (चलते) हैं।)
(ख) वर्षाकाले मृगेन्द्राः कीदृशाः भवन्ति? (वर्षा के समय सिंह कैसे होते हैं?)
उत्तर:
वर्षाकाले मृगेन्द्राः विक्रान्ततराः भवन्ति। (वर्षा के समय सिंह अत्यन्त पराक्रमशाली हो जाते हैं।)
(ग) वर्षाकाले धरणी कैः वितृप्ता भवति? (वर्षा के समय धरती किससे तृप्त होती है?)
उत्तर:
वर्षाकाले धरणी नवैः जलौधैः वितृप्ता भवति। (वर्षा के समय धरती नये जल से तृप्त होती है।)
(घ) वर्षाकाले के प्रशान्ताः भवन्ति? (वर्षा के समय कौन शान्त होते हैं?)
उत्तर:
वर्षाकाले प्रसराः निदाघदोषाः प्रशान्ताः भवन्ति। (वर्षा के समय फैले हुए गर्मी के दोष शांत हो जाते हैं।)
(ङ) सुरेन्द्रः कैः प्रक्रीडितः? (देवराज इन्द्र किससे खेलते हैं?)
उत्तर:
सुरेन्द्रः वारिधरैः प्रक्रीडितः। (देवराज इन्द्र बादलों से खेलते हैं।)
प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) वर्षाकाले वारिधराः कथं प्रयान्ति? (वर्षा के समय बादल कैसे चलते हैं?)
उत्तर:
वर्षाकाले वारिधराः सलिलातिभारं समुद्वहन्तः नदन्तः महीधराणां महत्सु शृङ्गेषु, विश्रम्य पुनः अग्रे प्रयान्ति।
(वर्षा के समय बादल पानी के भार को उठाते हुए, गरजते हुए पर्वतों की ऊँची चोटियों पर रुकते हुए चलते हैं।)
(ख) वर्षाकाले नद्यः कथं वहन्ति? (वर्षा के समय नदियाँ कैसे बहती हैं?)
उत्तर:
वर्षाकाले नद्यः प्रणष्टकूलाः विप्रतिपन्नमार्गाः जलं शीघ्रं प्रवहन्ति।
(वर्षा के समय नदियाँ जो टूटे हुए किनारों वाली तथा अवरुद्ध मार्ग वाली हैं, उनका जल तेजी से बहता है।)
(ग) वनेषु सङ्गीतं कैः कथम् आविष्कृतम्?
(वनों में सङ्गीत किनके द्वारा कैसे बनाया जाता है?)
उत्तर:
वनेषु सङ्गीतं मेघमृदङ्गनादै। प्लवङ्गमोदीरितकण्ठतालम् आविष्कृतम्। (वनों में संगीत मेघ-मृदङ्ग की आवाजों से मेंढक की गले की ताल से बना।)
प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत? (दिए हुए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(मृगेन्द्राः, वनेषु, नराः, धरणी, वारिधरैः)
(क) प्रवासिनो यान्ति …………….. स्वदेशान्।
उत्तर:
प्रवासिनो यान्ति नराः स्वदेशान्।
(ख) वनेषु विक्रान्ततराः ……………..।
उत्तर:
वनेषु विक्रान्ततराः मृगेन्द्राः।
(ग) नवैर्जलौघैः …………….. वितृप्ता।
उत्तर:
नवैर्जलौघैः धरणी वितृप्ता।
(घ) प्रक्रीडितो …………….. सुरेन्द्रः।
उत्तर:
प्रक्रीडितो वारिधरैः सुरेन्द्रः।
(ङ) …………….. सङ्गीतमिव प्रवृत्तम्।
उत्तर:
वनेषु सङ्गीतमिव प्रवृत्तम्।
प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत (उचित क्रम से जोड़िए-)
उत्तर:
(क) 2
(ख) 1
(ग) 4
(घ) 5
(ङ) 3
प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए-)
(क) प्रवासिनः नराः स्वदेशान् यान्ति।
(ख) विपुलाः वर्षप्रवेगाः पतन्ति।
(ग) प्लवङ्गमाः मृदङ्गनादं कुर्वन्ति।
(घ) नरेन्द्राः निभृताः।
(ङ) धरणी अतृप्ता।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) आम्
(घ) आम्
(ङ) न।
प्रश्न 7.
अधोलिखितशब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
(नीचे लिखे शब्दों के मूलशब्द, विभक्ति और वचन लिखिए-)
प्रश्न 8.
निम्नलिखितक्रियापदानां धातुं लकारं पुरुष वचनं च लिखत (नीचे लिखे क्रियापदों के धातु, लकार, पुरुष व वचन लिखिए-)
प्रश्न 9.
अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत. (नीचे लिखे पदों के सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए)
प्रश्न 10.
अधोलिखितान् उपसर्गान् योजयित्वा शब्द निर्माणं कुरुत (नीचे लिखे उपसर्गों को जोड़कर शब्द बनाइए-)
प्रश्न 11.
अधोलिखितानां शब्दानां पर्यायशब्दान् लिखत (नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची लिखिए)
यथा – वायु = पवनः
(क) नराः
(ख) वारिधराः
(ग) शिखिनः
(घ) प्लवङ्गमाः
(ङ) महीधराणाम्
उत्तर:
(क) मनुष्याः, जनाः
(ख) मेघाः
(ग) मयूराः
(घ) दुर्दराः
(ङ) नगालाम्।
योग्यताविस्तारः –
पाठे समागतानां श्लोकानां लयबद्धगानं कुरुत।
(पाठ में आए श्लोकों को लय में गाइए।)
महर्षिवाल्मीकेः जीवनवृत्तान्तं पठत।
(महर्षि वाल्मीकि का जीवन वृतान्त पढ़िए।)
रामायणग्रन्थतः प्रकृतिचित्रणाविषयकान् (पाठेतरान्) दशश्लोकान् लिखत्।
(रामायणग्रन्थ से प्रकृतिचित्रण विषय पर (पाठ से अलग) दस श्लोक लिखिए।)
रामायणग्रन्थस्य सप्तकाण्डानां नामानि लिखत।
(रामायण के सात काण्डों के नाम लिखिए)
“वर्षर्तुः” इतिविषयमवलम्वय संस्कृते निबन्धरचनां कुरुत।
(‘वर्षा ऋतु; विषय पर संस्कृत में निबन्ध बनाइए।)