MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 12 भारतीय संविधान
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 12 भारतीय संविधान
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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 12 भारतीय संविधान
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 पाठान्त अभ्यास
महत्त्वपूर्ण तथ्य
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
संविधान है –
(i) सरकार का गठन
(ii) देश का शासन
(iii) नियम व कानूनों का संकलित प्रलेख
(iv) मौलिक अधिकार।
उत्तर:
(iii) नियम व कानूनों का संकलित प्रलेख
प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सी विशेषता भारतीय संविधान की नहीं है ?
(i) संसदीय शासन प्रणाली
(ii) संघात्मक शासन
(iii) स्वतन्त्र व निष्पक्ष न्यायपालिका
(iv) अलिखित संविधान।
उत्तर:
(iv) अलिखित संविधान।
प्रश्न 3.
संविधान में कितने मौलिक कर्तव्य बताये गये हैं ?
(i) 6
(ii) 14
(iii) 18
(iv) 111
उत्तर:
(iv) 111
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष ……………….. थे। (2011, 13)
- डॉ. बी. आर. आम्बेडकर संविधान की ……………….. के अध्यक्ष थे। (2015)
- भारत का नवनिर्मित संविधान, संविधान सभा द्वारा ……………….. को अंगीकृत किया गया। (2018)
- समानता का अधिकार संविधान में वर्णित ……………….. में से एक है। (2017)
उत्तर:
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- प्रारूप समिति
- 26 नवम्बर, 1949
- मौलिक अधिकारों।
सही जोड़ी बनाइए
उत्तर:
- → (घ)
- → (ख)
- → (ङ)
- → (क)
- → (ग)
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संविधान क्या है ?
उत्तर:
किसी देश का शासन जिन मूलभूत नियमों एवं कानूनों के अनुसार चलाया जाता है उनके संकलित प्रलेख को संविधान कहते हैं।
प्रश्न 2.
भारत में मौलिक अधिकारों का संरक्षक किसे बनाया गया है ?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों का संरक्षक है।
प्रश्न 3.
संविधान में मौलिक कर्तव्य कब जोड़े गये?
उत्तर:
संविधान के 42वें संशोधन (1976) के द्वारा संविधान में एक नया प्रावधान ‘मौलिक कर्त्तव्य’ जोड़ा गया है। उसके द्वारा नागरिकों के 10 कर्तव्य निश्चित किए गये हैं।
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संविधान का क्या महत्त्व है ? लिखिए। (2010)
उत्तर:
संविधान का महत्त्व – किसी देश का संविधान, उस राष्ट्र की राजनीतिक व्यवस्था का बुनियादी ढाँचा निर्धारित करता है। संविधान में शासन के सभी अंगों (व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) की रचना, शक्तियों, कार्यों और दायित्वों का उल्लेख होता है। संविधान शासन के अंगों और नागरिकों के मध्य सम्बन्धों को भी विनियमित करता है।
संविधान देश के आदर्शों को भी प्रकट करता है। संविधान जनता की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था एवं आकांक्षाओं पर आधारित होता है।
प्रश्न 2.
संविधान सभा का परिचय दीजिए। (2009)
उत्तर:
संविधान सभा – वह सभा जिसे किसी देश का संविधान बनाने का कार्य सौंपा जाए उसे संविधान सभा के नाम से जाना जाता है।
भारत का संविधान एक संविधान सभा द्वारा निर्मित किया गया। संविधान सभा का गठन ब्रिटिश शासन तथा भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के नेतृत्वकर्ताओं के मध्य परस्पर सहमति से किया गया। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई जिसमें डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को संविधान सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया। संविधान सभा की दूसरी बैठक 11 दिसम्बर, 1946 को हुई, जिसमें डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया। संविधान सभा की 2 वर्ष, 11 माह एवं 18 दिन की कार्य अवधि में कुल 11 अधिवेशनों में 166 बैठकें हुईं।
प्रश्न 3.
मध्य प्रदेश से सम्बन्धित संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
तत्कालीन मध्य प्रान्त और बरार, मध्य भारत राज्य समूह (भोपाल, ग्वालियर, इन्दौर एवं रीवा) से संविधान सभा में जो सदस्य थे उनमें पण्डित रविशंकर शुक्ल, सेठ गोविन्द दास, डॉ. हरिसिंह गौर और हरिविष्णु कामथ आदि प्रमुख थे।
प्रश्न 4.
राज्य के नीति निदेशक तत्वों से क्या आशय है ? (2009)
उत्तर:
राज्य के नीति निदेशक तत्व-भारतीय संविधान के चौथे भाग में शासन संचालन के लिए मूलभूत सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है। इन्हें राज्य के नीति निर्धारण करने वाले निदेशक तत्व कहा गया है। ये तत्व आधुनिक प्रजातन्त्र के लिए राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। नीति निदेशक तत्वों को किसी न्यायालय द्वारा परिवर्तित नहीं कराया जा सकता किन्तु ये तत्व देश के शासन में मूलभूत स्थान रखते हैं। इन तत्वों के माध्यम से भारत में एक लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना का प्रयास किया गया है।
प्रश्न 5.
संविधान में प्रस्तावना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
संविधान की प्रस्तावना में संविधान निर्माताओं ने संविधान निर्माण के लक्ष्यों, मूल्यों एवं विचारों का समोवश किया है। इसे संविधान की आत्मा या कुंजी भी कहा जाता है। प्रस्तावना संविधान निर्माताओं की मनोभावना एवं संकल्प का प्रतीक है।
प्रस्तावना के प्रारम्भिक शब्दों में ही यह भाव निहित है कि संविधान का निर्माण जनता की इच्छा से ही हुआ है व अन्तिम सत्ता जनता में निहित है। प्रस्तावना में संविधान सभा के इस संकल्प की घोषणा है कि भारत सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न गणराज्य होगा। सन् 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा भारत को समाजवादी एवं पंथनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। देश की एकता और अखण्डता की रक्षा करना केवल राज्य का ही नहीं वरन् प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है।
प्रश्न 6.
समाजवादी एवं पंथनिरपेक्षता का आशय समझाइए। (2009, 13, 18)
उत्तर:
समाजवादी राज्य का आशय – समाजवादी राज्य से आशय है कि भारतीय व्यवस्था ‘समाज के समतावादी ढाँचे’ पर आधारित होगी। प्रत्येक भारतीय की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति की जाएगी। भारतीय परिस्थिति के अनुसार समाजवादी को अपनाया जाएगा।
पंथनिरपेक्षता से आशय – संविधान में पंथनिरपेक्ष राज्य का आदर्श रखा गया है। इसका आशय है कि राज्य सभी पंथों की समान रूप से रक्षा करेगा और स्वयं किसी भी पंथ को राज्य के धर्म के रूप में नहीं मानेगा। सरकार द्वारा नागरिकों के मध्य पंथ के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को अपने विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता है।
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2009, 11, 13, 16)
अथवा
संसदीय शासन प्रणाली की पाँच विशेषताएँ लिखिए। (2012, 15)
अथवा
इकहरी नागरिकता किसे कहते हैं ? (2012)
[संकेत : ‘इकहरी नागरिकता’ शीर्षक देखें।
उत्तर:
भारतीय संविधान की विशेषताएँ भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं –
- लिखित और निर्मित संविधान – भारत का संविधान लिखित और निर्मित है। यह ब्रिटेन के संविधान की भाँति अलिखित नहीं है।
- सम्पूर्ण प्रभुत्व – सम्पन्न लोकतान्त्रिक गणराज्य-सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न का अर्थ है कि भारत अपने आन्तरिक एवं बाह्य मामलों में सर्वोच्च शक्ति रखता है। लोकतन्त्रात्मक का आशय है कि भारत में राजसत्ता का स्रोत जनता है। भारत गणराज्य भी है, क्योंकि राज्य का प्रधान जनता के प्रतिनिधियों द्वारा निर्वाचित व्यक्ति होता है।
- संसदीय शासन प्रणाली – भारतीय संविधान में शासन की संसदीय प्रणाली अपनायी गयी है। देश का संवैधानिक प्रधान राष्ट्रपति होता है, जबकि वास्तविक सत्ता मन्त्रिपरिषद् के अधीन होती है।
- अंशतः लचीला एवं अंशतः कठोर – भारतीय संविधान न तो पूर्ण रूप से लचीला है न पूर्ण रूप से कठोर। यह अंशत: लचीला तथा अंशत: कठोर है।
- मूल अधिकारों की व्यवस्था – मूल अधिकार नागरिकों के व्यक्तित्व के विकास के लिए अनिवार्य होते हैं। अतः भारतीय संविधान में नागरिकों के लिए मूल अधिकारों की व्यवस्था की गयी है। सरकार इनमें हस्तक्षेप नहीं करती।
- संघात्मक शासन व्यवस्था – भारतीय संविधान के प्रथम अनुच्छेद के अनुसार भारत राज्यों का एक संघ है। इस प्रकार भारत में संघात्मक शासन की स्थापना की गई है। संविधान ने शासन की शक्ति को एक स्थान पर केन्द्रित न कर केन्द्र और राज्य सरकारों में विभाजित किया है।
- स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका – नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा और संविधान की व्याख्या करने का अधिकार होने के कारण न्यायपालिका को स्वतन्त्र घोषित किया गया है। संविधान न्यायपालिका को न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार देता है। संविधान द्वारा न्यायपालिका को निष्पक्ष बनाये रखने के लिए समुचित प्रावधान किये गये हैं।
- राज्य के नीति निदेशक तत्व – लघु उत्तरीय प्रश्न नं. 4 का उत्तर देखें।
- सार्वभौम वयस्क मताधिकार – संविधान द्वारा भारतीय नागरिकों को सार्वभौम वयस्क मताधिकार प्रदान किया गया है। हमारे संविधान में यह मताधिकार 18 वर्ष की आयु प्राप्त सभी नागरिकों को किसी धर्म, वंश, जाति, वर्ण, लिंग, जन्मस्थान के भेदभाव के बिना समान रूप से दिया गया है।
- इकहरी नागरिकता – भारतीय संविधान ने इकहरी नागरिकता को अपनाया है अर्थात् प्रत्येक व्यकि भारत का नागरिक है चाहे वह किसी भी स्थान पर निवास करता हो। भारत के सभी नागरिक देश में कहीं भी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं तथा देश के सभी भागों में समान अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं।
प्रश्न 2.
भारत का संविधान लिखित एवं विस्तृत क्यों है ? वर्णन कीजिए। (2014)
उत्तर:
लिखित संविधान
भारत का संविधान एक संविधान सभा ने एक निश्चय समय तथा योजना के अनुसार बनाया था इसलिए यह निर्मित संविधान है। इसमें सरकार के संगठन के सिद्धान्त, कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका आदि की रचना व कार्य, नागरिकों के साथ उनके सम्बन्ध, नागरिकों के अधिकार तथा कर्त्तव्य आदि के विषय में स्पष्ट रूप से लिख दिया गया है। इसलिए हमारा संविधान लिखित है।
विस्तृत या विशाल संविधान
भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। भारत के वर्तमान संविधान में 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं जो 22 भागों में विभाजित हैं जबकि अमेरिका के संविधान में 7, कनाडा के संविधान में 147 और ऑस्ट्रेलिया के संविधान में 128 अनुच्छेद ही हैं। भारतीय संविधान के विस्तृत होने के निम्नलिखित कारण हैं –
(1) भारतीय संविधान में शासन सम्बन्धी बातों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
(2) संघीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है जिसमें शक्तियों के विभाजन की तीनों सूचियों –
- संघीय सूची
- राज्य सूची
- समवर्ती सूची को विस्तार से लिखा गया है।
(3) मौलिक अधिकारों तथा नीति निदेशक सिद्धान्तों को संविधान में शामिल करने से भी संविधान लम्बा हो गया है।
(4) अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़ी जातियों की सुरक्षा के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है। यह विश्व के अन्य किसी भी संविधान में नहीं है।
(5) नागरिकता, राष्ट्रभाषा, सार्वजनिक सेवाओं तथा न्याय व्यवस्था के बारे में विशेष उपबन्ध हैं। इसी कारण संविधान इतना विस्तृत हो गया है।
प्रश्न 3.
संघात्मक व संसदीय शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए। (2009, 17)
उत्तर:
संघात्मक शासन व्यवस्था
भारतीय संविधान के प्रथम अनुच्छेद के अनुसार भारत राज्यों का एक संघ है। इस प्रकार भारत में संघात्मक शासन की स्थापना की गई है। संविधान ने शासन की शक्ति को एक स्थान पर केन्द्रित न कर केन्द्र और राज्य सरकारों में विभाजित किया है और दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में स्वतन्त्र हैं। संविधान लिखित और बहुत सीमा तक कठोर है और इसे सर्वोच्च स्थिति प्रदान की गई है। सर्वोच्च न्यायालय संविधान का रक्षक है, जिसे संविधान की व्याख्या करने और केन्द्र व राज्यों के बीच उत्पन्न संवैधानिक विवादों के निर्णय का अधिकार है।
संसदीय शासन व्यवस्था
भारतीय संविधान द्वारा देश में संसदीय शासन प्रणाली की स्थापना की गई है। संसदीय शासन प्रणाली उस शासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का अध्यक्ष होता है। वास्तविक शासन प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद् द्वारा चलाया जाता है। मन्त्रिमण्डल का निर्माण संसद में किया जाता है।
इस प्रशासन प्रणाली में कार्यपालिका की वास्तविक शक्तियाँ मन्त्रिपरिषद् में निहित होती हैं तथा राष्ट्रपति नाममात्र का शासक होता है। इस प्रणाली में मन्त्रिपरिषद् सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त का अनुसरण करती है। लोकसभा में सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर मन्त्रिपरिषद् को त्यागपत्र देना होता है।
प्रश्न 4.
संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार एवं कर्तव्यों का वर्णन कीजिए। (2011)
अथवा
भारत के नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए। (2009)
अथवा
भारतीय संविधान में वर्णित नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख कीजिए। (2010, 15, 18)
अथवा
भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार कौन-कौनसे हैं ? (2009, 14, 17)
उत्तर:
मौलिक अधिकार
नागरिकों के सर्वांगीण विकास हेतु मौलिक अधिकार आवश्यक हैं। भारत के संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का प्रावधान है। ये ऐसे अधिकार हैं जो न्याय योग्य हैं अर्थात् जिनका उल्लंघन होने पर नागरिक उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकता है। ये अधिकार निम्नवत् हैं –
(1) समानता का अधिकार – इस अधिकार के द्वारा प्रत्येक नागरिक को कानून के समक्ष समानता तथा भेदभाव, अस्पृश्यता और उपाधियों का अन्त कर दिया गया है। सरकारी नौकरियों में बिना धर्म, जाति, लिंग आदि को भेदभाव किये समानता है।
(2) स्वतन्त्रता का अधिकार – स्वतन्त्रता के अन्तर्गत नागरिकों को भाषण देने तथा विचार प्रकट करने, शान्तिपूर्ण सभा करने, संघ बनाने, देश में किसी भी स्थान पर घूमने-फिरने की स्वतन्त्रता, देश के किसी भी भाग में व्यवसाय की स्वतन्त्रता, देश में कहीं भी रहने की स्वतन्त्रता आदि प्राप्त हैं।
(3) शोषण के विरुद्ध अधिकार – प्रत्येक नागरिक को शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने का अधिकार है। इस अधिकार के अनुसार मानव के क्रय-विक्रय, किसी से बेगार लेने तथा 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को कारखानों, खानों या किसी खतरनाक धन्धे में लगाने पर रोक लगा दी गयी है।
(4) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार – भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है अतः प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है। प्रत्येक धर्म के अनुयायियों को अपनी धार्मिक संस्थाएँ स्थापित करने तथा उनका प्रबन्ध करने का अधिकार है।
(5) सांस्कतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार – इस अधिकार के अन्तर्गत भारत के नागरिकों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने तथा उसका विकास करने का अधिकार है।
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार – इस अधिकार के अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उपरिवर्णित पाँच अधिकारों में से किसी भी अधिकार पर आक्षेप किया जाए या उससे छीना जाए, चाहे वह सरकार की ओर से ही क्यों न हो, तो वह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय से न्याय की माँग कर सकता है।
इन अधिकारों को संकटकाल में प्रतिबन्धित किया जाता है।
मौलिक कर्त्तव्य
संविधान के 42वें संशोधन (1976) के द्वारा संविधान में एक नया प्रावधान “मूल कर्त्तव्य” जोड़ा गया है। उसके द्वारा नागरिकों के 11 कर्त्तव्य निश्चित किए गए हैं –
- भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
- भारत की प्रभुसत्ता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे बनाये रखे।
- भारतीय राष्ट्रीय संग्राम के आदर्शों को सँजोए रखे तथा उनका अनुसरण करे।
- देश की रक्षा करे तथा आवश्यकतानुसार राष्ट्रीय सेवा करे।
- भारत के सभी लोगों में सामान्य भाईचारे को बढ़ावा दे तथा महिलाओं की मर्यादा के विरुद्ध अपमानजनक व्यवहार न करे।
- राष्ट्र की समृद्ध विरासत को सुरक्षित रखे।
- प्राकृतिक वातावरण को संरक्षित रखे तथा अधिक अच्छा बनाए एवं सभी प्राणियों के प्रति दयाभाव रखे।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे।
- सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करे व हिंसा से दूर रहे।
- सभी व्यक्तिगत एवं सामूहिक क्रिया-कलाप में विशिष्टता के लिए प्रयास करे।
- यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य को शिक्षा के अवसर प्रदान करे।
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत का संविधान कब लागू हुआ?
(i) 26 जनवरी, 1948 को
(ii) 26 जनवरी, 1950 को
(iii) 26 जनवरी, 1930 को
(iv) 15 अगस्त, 1947 को
उत्तर:
(ii) 26 जनवरी, 1950 को
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता निम्न में से क्या है ?
(i) भारतीय संविधान का प्रमुख स्रोत अमेरिका का संविधान है
(ii) भारतीय संविधान पूर्ण लोकतान्त्रिक गणराज्य है
(iii) भारतीय संविधान संघात्मक है
(iv) भारतीय संविधान एकात्मक है।
उत्तर:
(ii) भारतीय संविधान पूर्ण लोकतान्त्रिक गणराज्य है
प्रश्न 3.
भारत के संविधान में कितने अनुच्छेद हैं ?
(i) 320
(ii) 345
(iii) 370
(iv) 395
उत्तर:
(iv) 395
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- हमारे संविधान ने नागरिकों को ………………… प्रकार के मौलिक अधिकार प्रदान किये हैं।
- वह सभा जिसे किसी देश का संविधान बनाने का कार्य सौंपा जाए उसे ………………… के नाम से जाना जाता है।
- भारत का संविधान भारत की सांस्कृतिक और ………………… को अपने अन्दर समेटे हुए है।
उत्तर:
- 6
- संविधान सभा
- राष्ट्रीय अस्मिता।
सत्य/असत्य
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। (2016)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
संविधान सभा की पहली बैठक 8 दिसम्बर, 1945 को हुई।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद हैं। (2010)
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
मौलिक अधिकारों को संकटकाल में प्रतिबन्धित किया जा सकता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 5.
संविधान न्यायपालिका को न्यायिक पुनर्विलोकन करने का अधिकार देता है।
उत्तर:
सत्य।
जोड़ी मिलाइए
उत्तर:
- → (ख)
- → (ग)
- → (क)
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान का आधार कौन-सी योजना रही ?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन योजना
प्रश्न 2.
संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी ? (2009)
उत्तर:
9 दिसम्बर, 1946
प्रश्न 3.
भाषा, लिपि और संस्कृति के लिए कौन-सा मौलिक अधिकार रखा गया है ?
उत्तर:
संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार
प्रश्न 4.
किस स्थिति में मौलिक अधिकार स्थगित किये जाते हैं ?
उत्तर:
संकटकाल
प्रश्न 5.
कौन-से संशोधन द्वारा संविधान में ‘मूल कर्त्तव्य’ जोड़ा गया है ? (2017)
उत्तर:
42वें संशोधन (1976) के द्वारा,
प्रश्न 6.
संविधान में नागरिकों को कितने मूल अधिकार प्रदान किये गये हैं ? (2015)
उत्तर:
6.
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हम कर्त्तव्य का पालन क्यों करते हैं ?
उत्तर:
भारतीय नागरिक होने के नाते हमारा कर्त्तव्य है कि हम संविधान का पालन करें, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गीत का सम्मान करें अर्थात् देश की एकता और अखण्डता की रक्षा के लिए हमें कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 2.
भारत के संविधान में संशोधन की कितनी प्रक्रियाओं का उल्लेख है ?
उत्तर:
भारत के संविधान में संशोधन की तीन प्रक्रियाओं का उल्लेख है जिसके अनुसार संविधान के कुछ प्रावधान संसद के साधारण बहुमत से, कुछ प्रावधानों में विशिष्ट बहुमत से तथा महत्वपूर्ण शेष प्रावधानों में संसद के विशिष्ट बहुमत के साथ-साथ आधे राज्यों के अनुसमर्थन से बदले जा सकते हैं।
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 लघु उत्तराय प्रश्न
प्रश्न 1.
संविधान की अवधारणा और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संविधान की अवधारणा और आवश्यकता – शासन व्यवस्था के सुचारु संचालन हेतु व्यवस्थापिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका का गठन एवं उसके कार्यों और अधिकारों की सीमाओं के निर्धारण के लिए संविधान की आवश्यकता होती है। संविधान के अभाव में शासन का सुचारु रूप से संचालित होना कठिन है और अराजकता की स्थिति निर्मित होने की प्रबल सम्भावना रहती है। संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार एवं कर्त्तव्यों का भी विवरण होता है। संविधान शासन व्यवस्था का आधार है।
प्रश्न 2.
“भारत के संविधान में विश्व के विद्यमान संविधानों के सर्वोत्तम लक्षणों का समावेश है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत का संविधान बनाते समय संविधान निर्माताओं ने विश्व के विद्यमान संविधानों के सर्वोत्तम लक्षणों को एकत्र किया और उन्हें अपने राष्ट्र की आवश्यकता और विद्यमान दशाओं के अनुसार अंगीकृत किया। आयरलैण्ड के संविधान से नीति-निदेशक तत्वों को लिया गया है। अमेरिका के संविधान से मूल अधिकारों के विचार को ग्रहण किया है। संघात्मक शासन व्यवस्था कनाडा के संविधान से ली है। भारतीय संविधान पर स्वतन्त्रता संघर्ष के दिनों हुए भारत के संवैधानिक विकास का भी बहुत प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही इंग्लैण्ड की संवैधानिक परम्पराएँ, न्यायिक निर्णय, संवैधानिक टीकाएँ और संविधान विशेषज्ञों की राय आदि का भी प्रभाव झलकता है।
MP Board Class 10th Social Science Chapter 12 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान की प्रारूप समिति का गठन क्यों और किस प्रकार हुआ था ?
उत्तर:
प्रारूप समिति का निर्माण- भारत के संविधान का निर्माण कार्य सरल नहीं था, अतः संविधान निर्माण को सरल बनाने के लिए विभिन्न समितियाँ बनाई गईं। प्रक्रियागत मामलों से सम्बन्धित 10 समितियाँ एवं तथ्यगत मामलों की 8 समितियाँ गठित की गयी थीं। इन समितियों के प्रतिवेदनों एवं सुझावों के अनुसार संविधान को अन्तिम स्वरूप देने हेतु एक प्रारूप समिति गठित की गई। इस समिति का अध्यक्ष डॉ. भीमराव आम्बेडकर को बनाया गया। इस समिति में एन. गोपालस्वामी, अल्लादि कृष्ण स्वामी, मोहम्मद सादुल्ला, के. मुन्शी, बी. एल. मित्तल और डी. पी. खेतान थे। बाद में पी. एल. मित्तल तथा डी. पी. खेतान की मृत्यु के बाद उनके स्थान पर क्रमशः एम. माधवन तथा टी. टी. कृष्णामाचारी उसके सदस्य हुए। संविधान का लिखित प्रारूप 21 फरवरी, 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष को सौंपा गया।