MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 10 परिचयः
MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 10 परिचयः
MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 10 परिचयः
MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 10 अभ्यासः
प्रश्न 1.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) चन्द्रः कासां भूषणम् अस्ति? (चन्द्रमा किनका आभूषण है?)
उत्तर:
चन्द्रः ताराणां भूषणम् अस्ति? (चन्द्रमा तारों का आभूषण है।)
(ख) संस्कृतस्य पठने केषां रुचिः अस्ति? (संस्कृत पढ़ने में किसकी रुचि है?)
उत्तर:
संस्कृतस्य पठने छात्राणाम् रुचिः अस्ति। (संस्कृत के पढ़ने में छात्रों की रुचिः है।)
(ग) अवधेशः कस्य अग्रजः अस्ति? (अवधेश किसका बड़ा भाई है?)
उत्तर:
अवधेशः गिरीशस्य अग्रजः अस्ति। (अवधेशः गिरीश का बड़ा भाई है।)
(घ) विद्यालस्य पुरतः किम् अस्ति? (विद्यालय के सामने क्या है?)
उत्तर:
विद्यालयस्य पुरतः उद्यानम् अस्ति। (विद्यालय के सामने उद्यान है।)
(ङ) भवतः/भवत्याः नाम किम्? (आपका नाम क्या है?)
उत्तर:
मम नाम कविता। (मेरा नाम कविता है।)
प्रश्न 2.
षष्ठीविभक्ति योजयित्वा रिक्तस्थानं पूरयत (षष्ठी विभक्ति जोड़कर रिक्त स्थान को पूरा करो)
(क) ………….. नाम अविनाशः। (आचार्य)
(ख) ………….. आचार्यः अविनाशः। (कविता-गिरीश)
(ग) ………… पदानि मधुराणि। (संस्कृतभाषा)
(घ) संस्कृतं ………….. भाषा। (शास्त्र)
(ङ) गिरीशस्य ……….. नाम अञ्जना अस्ति। (जननी)
उत्तर:
(क) आचार्यस्य
(ख) कवितायाः गिरीशस्य
(ग) संस्कृतभाषायाः
(घ) शास्त्रस्य
(ङ) जनन्याः।
प्रश्न 3.
चित्रं पश्यत। सम्बन्धवाचकवाक्यानि पठत (चित्र को देखो। सम्बन्ध वाचक वाक्यों को पढ़ो)
- विश्वामित्रस्य शिष्यः। (विश्वामित्र के शिष्य)
- दशरथस्य पुत्रः। (दशरथ के पुत्र)
- रावण-कुम्भकर्णयोः संहारकः। (रावण कुम्भकर्ण के संहारक)
- भरत-लक्ष्मण-शत्रुजानाम् अग्रजः। (भरत-लक्ष्मण-शत्रुघ्न के बड़े भाई।)
- ‘सीतायाः पतिः। (सीता के पति)
- अयोध्यायाः नृपः। (अयोध्या के राजा)
- अहल्या-शबर्यो:मोक्षदायकः। (अहिल्या और शबरी को श्री रामः मुक्ति देने वाले)
- ‘कौशल्या-सुमित्राकैकय्यीनां पुत्रः। (कौशल्या-सुमित्रा -कैकेई के पुत्र)
प्रश्न 4.
चित्रं दृष्ट्वा सम्बन्धवाचकवाक्यानि लिखत। (चित्र को देखकर सम्बन्धवाचक वाक्यों को लिखो)
यथा-
श्रीकृष्णः वसुदेवस्य पुत्रः।
जैसे-श्रीकृष्ण वसुदेव के पुत्र हैं।
उत्तर:
- इदम् श्रीकृष्णस्य चित्रम्।
(यह श्रीकृष्ण का चित्र है।) - तस्य हस्तयोः मुरलिका उपशोभते।
(उनके हाथों में मुरली सुशोभित है।) - सः तस्या वादने निरतः।
(वह उसको बजाने में संलग्न है।) - श्रीकृष्णस्य पार्वे एका धेनुः स्थितः अस्ति।
(श्रीकृष्ण की बगल में एक धेनु (गाय) खड़ी है।) - सा श्रीकृष्णस्य पादे लिलीहता अस्ति।
(वह श्रीकृष्ण के दोनों पैरों को चाट रही है।)
प्रश्न 5.
योग्यरूपं चित्वा रिक्तस्थानं पूरयत (उचित रूप चुनकर खाली स्थान भरो)
(क) शिवः …………. पतिः। (पार्वत्याः/पार्वतीनाम्)
(ख) हस्तः ……… अङ्गम्। (शरीरेण/शरीरस्य)
(ग) तत् मम ……….. गृहम्। (मित्रम्/मित्रस्य)
(घ) भोपालनगरं ……… राजधानी। (मध्यप्रदेशस्य/मध्या प्रदेशेन)
(ङ) वयं ………. अध्ययनम् इच्छामः। (भारतीयविद्याम्/भारतीयविद्यायाः)
उत्तर:
(क) पार्वत्याः
(ख) शरीरस्य
(ग) मित्रस्य
(घ) मध्यप्रदेशस्य
(ङ) भारतीयविद्यायाः।
प्रश्न 6.
रिक्तस्थानानि पूरयित्वा परिचयं लिखत (रिक्त स्थानों को पूरा करके परिचय लिखो)
(क) अहं ……….. पुत्रः।
(ख) अहं ……….. भगिनी/भ्राता।
(ग) सा ………… माता।
(घ) तस्याः नाम ………..।
उत्तर:
(क) राकेशः।
(ख) अवधेशस्य।
(ग) मम।
(घ) अञ्जना।
परिचय :
- अहं (गिरीश:) मम पितुः पुत्रः अस्मि। (मैं (गिरीश) अपने पिता का पुत्र हूँ।)
- अवधेशस्य भ्रातस्य अहम् अनुजः अस्मि। (अवधेश भाई का मैं अनुज हूँ।)
- मम माताः अञ्जना एकः साध्वी महिला। (मेरी माता अञ्जना एक साध्वी महिला है।)
- सा मम पितुः राकेशस्य पत्नी अस्ति। (वह मेरे पिता राकेश की पत्नी है।)
- मम भगिन्याः नाम मालिनी इति। (मेरी बहन का नाम मालिनी है।)
- आनन्द: मम मातुल: मम मातुः भ्राता भवति। (आनन्द मेरा मामा मेरी माता का भाई है।)
- शशाङ्क: मम अनुजः। (शशाङ्क मेरा अनुज है।)
प्रश्न 7.
कोष्ठकात् सर्वनामपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत (कोष्ठक से सर्वनाम पद चुनकर खाली स्थानों को भरो)
(तस्य, तेषाम्, तयोः, तासाम्, तस्याः)
(क) सः श्रावणः। …………. माता पूर्णिमा।
(ख) सा दीक्षा। ………… अनुजः श्रवणः।
(ग) तौ भगिनीभ्रातरौ। ……….. पिता नारायणः।
(घ) ते भ्रमणार्थं काशीम् अगच्छन्। ……….. गृहं ग्वालियरनगरे अस्ति।
(ङ) दीक्षा बालिकाभिः सह गायति। ……….. गीतं मधुरम् अस्ति।
उत्तर:
(क) तस्य
(ख) तस्याः
(ग) तयोः
(घ) तेषाम्
(ङ) तेषाम्।
योग्यताविस्तारः
अधोलिखितवाक्यानि पठत (निम्नलिखित वाक्यों को पढ़ो)-
नोट :
वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखते हुए उनके विभक्ति विग्रह पर विशेष ध्यान दें।
परिचयः हिन्दी अनुवाद
आचार्यः :
सर्वेषां स्वागतम्। मम नाम अविनाशः। भवतः नाम किम्?
गिरीश: :
मम नाम गिरीशः।
आचार्य: :
भवत्याः नाम किम्? कविता-मम नाम कविता।
आचार्यः :
गिरीश! तव परिवारस्य परिचयं वद।
गिरीश: :
मम जनन्याः नाम अञ्जना। जनकस्य नाम राकेशः।
अग्रजस्य नाम अवधेशः। अनुजस्य नाम शशाङ्कः। भगिन्याः नाम मालिनी। मातुलस्य नाम आनन्दः।
आचार्यः :
कविते! तव विद्यालयस्य परिचयं कथय।
कविता :
मम विद्यालयस्य नाम स्वामिविवेकानन्दविद्यालयः अस्ति। अयं नगरस्य मध्ये स्थितः अस्ति। एतस्य पुरतः उद्यानम् अस्ति। पृष्ठतः क्रीडाङ्गणम् अस्ति। क्रीडाङ्गणस्य वामतः मन्दिरे स्तः। दक्षिणतः भवनानि सन्ति।
अनुवाद :
आचार्य :
सभी का स्वागत है। मेरा नाम अविनाश है। आपका नाम क्या है?
गिरीश: :
मेरा नाम गिरीश है। आचार्य:-आपका नाम क्या है?
कविता :
मेरा नाम कविता है।
आचार्य :
हे गिरीश! अपने परिवार का परिचय बतलाओ।
गिरीश :
मेरी माता का नाम अञ्जना है। पिता का नाम राकेश है। बड़े भाई का नाम अवधेश है। छोटे भाई का नाम शशाङ्क है। बहन का नाम मालिनी है। मामा का नाम आनन्द है।
आचार्य :
हे कविता! अपने विद्यालय का परिचय बतलाओ।
कविता :
मेरे विद्यालय का नाम स्वामी विवेकानन्द विद्यालय है। यह नगर के बीच में स्थित है। इसके सामने उद्यान (बगीचा) है। पीछे खेल का मैदान है। खेल के मैदान के बाईं तरफ दो मन्दिर हैं। दक्षिण की ओर भवन (बने) हुए हैं।
आचार्य: :
गिरीश! षष्ठवर्गस्य संस्कृतपुस्तकम् आनय। संस्कृतभाषायाः पदानि मधुराणि सन्ति। एषा वेदानाम्, उपनिषदां,शास्त्राणां च भाषा अस्ति रामायण महाभारतयोः कथा संस्कृते लिखिता अस्ति।
छात्रा: :
महोदय! संस्कृतभाषायाः पठने अस्माकंरुचिः अस्ति। वयं एतस्याः अध्ययनम् इच्छामः।
आचार्य: :
आम्! सर्वेषां शिष्याणाम् इच्छानुसारं संस्कृतं पाठयामि।-
ताराणां भूषणं चन्द्रः नारीणां भूषणं पतिः।
पृथिव्याः भूषणं राजा विद्या सर्वस्य भूषणम्॥
अनुवाद :
आचार्य-हे गिरीश! कक्षा छः की संस्कृत की पुस्तक लाओ। संस्कृत भाषा के शब्द मधुर होते हैं। यह वेदों की, उपनिषदों की और शास्त्रों की भाषा है। रामायण और महाभारत की कथा संस्कृत में लिखी हुई है।
छात्रा :
महोदय! संस्कृत भाषा को पढ़ने में हमारी रुचि है। हम सभी इसके अध्ययन की इच्छा करते हैं।
आचार्य :
हाँ! सभी शिष्यों की इच्छा के अनुसार संस्कृत पढ़ाता हूँ।
“तारों का आभूषण चन्द्रमा होता है, स्त्रियों का आभूषण पति होता है। पृथ्वी का आभूषण राजा होता है, परन्तु विद्या तो सभी का आभूषण होती है।”
परिचयः शब्दार्थाः
परिवारस्य = परिवार का। जनन्याः = माता का। जनकस्य = पिता का। अग्रजस्य = बड़े भाई का। अनुजस्य = छोटे भाई का। मातुलस्य = मामा का। क्रीडाङ्गणस्य = खेल के मैदान का। ताराणाम् = तारों का। भूषणम् = आभूषण। नारीणाम् = नारियों का। पृथिव्याः = भूमि का। सर्वस्य = सभी का। पुरतः = आगे। पृष्ठतः = पीछे। वामतः = बाईं ओर। दक्षिणतः = दाईं ओर।