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MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 18 दीपावलिः

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 18 दीपावलिः

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 18 दीपावलिः

MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 18 अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) दीपावल्याः उत्सवे कति दिवसाः सन्ति? (दीपावली के उत्सव कितने दिन होते हैं?)
उत्तर:
पञ्च दिवसाः (पाँच दिन)

(ख) धन्वन्तरिपूजनं कस्मिन् दिने भवति? (धन्वन्तरि पूजन किस दिन होता है?)
उत्तर:
त्रयोदश्यां, (त्रयोदशी को)

(ग) व्यापारिणां नूतनः संवत्सरः कदा प्रारभते? (व्यापारियों का नया वर्ष कब प्रारम्भ होता है?)
उत्तर:
कार्तिक प्रतिपदायां शुक्ल पक्षे (कार्तिक महीने की प्रतिपदा शुक्लपक्ष को)।

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) दीपावल्यां लक्ष्मीः कदा पूज्यते? (दीपावली पर लक्ष्मी की पूजा कब होती है?)
उत्तर:
दीपावल्यां लक्ष्मीः अमावस्यायां पूज्यते। (दीपावली पर लक्ष्मी की पूजा अमावस्या को होती है।)

(ख) कः दीपावलिसन्देशः? (दीपावली का क्या सन्देश है?)
उत्तर:
“तमसो मा ज्योतिर्गमय” इति दीपावलि सन्देशः। (“तमसो मा ज्योतिर्गमय” ही दीपावली का सन्देश है।)

(ग) भ्रातृभगिन्यौ किं कामयतः? (भाई-बहन क्या कामना करते हैं?)
उत्तर:
भ्रातृभगिन्यौ दीर्घजीवनं सुखसमृद्धि च कामयतः।। (भाई-बहन दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करते है।)

(घ) अल्पनारेखनं कुत्र दृश्यते? (अल्पना रेखन कहाँ दिखाई पड़ता है?)
उत्तर:
गृहाणां पुरतः अल्पनारेखनं दृश्यते। (अल्पना रेखन घर के आँगन में दिखाई देती है।)

प्रश्न 3.
उचितं चित्वा पूरयत (उचित को चुनकर पूरा करो)
(क) बालकः …………. वस्त्रं धारयति। (नूतनं/नूतनानि)
(ख) …………. प्राक् अभ्यङ्गस्नानं क्रियते।। (सूर्योदयस्य/सूर्योदयात्)
(ग) भ्रातृभगिन्यौ परस्परं ………….। (मिलति/मिलतः)
(घ) आपणा ………….परिपूर्णाः भवन्तिः। (ग्राहकाणां/ग्राहकैः)
उत्तर:
(क) नूतनं
(ख) सूर्योदयात्
(ग) मिलतः
(घ) ग्राहकैः।

प्रश्न 4.
योजयत (जोडिए)


उत्तर:
(क) → 3
(ख) → 4
(ग) → 2
(घ) → 5
(ङ) → 1

प्रश्न 5.
‘दीपावलिः’ इति विषयम् आधृत्य पञ्च वाक्यानि लिखत (‘दीपावली’ इस विषय पर आधारित पाँच वाक्य लिखो)
उत्तर:

  1. ‘दीपावलिः’ हिन्दूनाम् प्रमुखः उत्सवः वर्तते। (दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख उत्सव है।)
  2. अयम् उत्सवः कार्तिक मासस्य अमावस्यायाम् आयोज्यते। धनस्य देवी लक्ष्मी च पूज्यते। (यह उत्सव कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।)
  3. अस्य उत्सवस्य आयोजनम् पञ्चदिनानि पर्यन्तं प्रचलति। (इस उत्सव का आयोजन पाँच दिन तक चलता है।)
  4. सर्वत्र उल्लासम् प्रतीतम् भवति। (सभी जगह उल्लास प्रतीत होता है।)
  5. सर्वे बालकाः बालिकाः च नूतनानि वस्त्राणि धारयन्ति। (सभी बालक और बालिकाएँ नये वस्त्र धारण करते हैं।)
  6. ते मिष्ठान्नानि खादन्ति प्रसन्नाः च भवन्ति। (वे मिठाइयाँ खाते हैं और प्रसन्न होते हैं।)

योग्यताविस्तारः

1. दीपावलितः आरभ्य निम्नलिखितानाम् उत्सवानां कालक्रमं स्थापयत (दीपावली से लेकर निम्नलिखित उत्सवों का कालक्रम स्थापित करो)
गणेशोत्सवः, होलिकोत्सवः, रक्षाबन्धनम्, नवरात्रम्।
उत्तर:

  • गणेशोत्सव: :
    गणेशोत्सवः भाद्रपदमासे शुक्लपक्षे चतुर्थी तिथौ आयोजितः भवति। (गणेशोत्सव भादों महीने की शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को आयोजित होता है।)
  • होलिकोत्सवः :
    होलिकोत्सव: फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायाम् तिथौ सम्पाद्यते। (होलिकोत्सव फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।)
  • रक्षाबन्धनम् :
    रक्षाबन्धनम् श्रावणमासे पूर्णिमायाम् तिथौ भवति। (रक्षाबन्धन श्रावण महीने की पूर्णिमा की तिथि को मनाया जाता है।)
  • नवरात्रम् :
    नवरात्रम् उत्सवः आश्विन मासस्य शुक्लपक्षस्य प्रतिपदायाः आरभ्यः नवम्यां तिथि पर्यन्तौ सम्पाद्यते। (नवरात्रि का उत्सव आश्विन महीने की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से आरम्भ होकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है।)

2. निम्नलिखितान् शब्दान् उचितरिक्तस्थानेषु योजयित्वा होलिकोत्सववर्णनं लिखत (निम्नलिखित शब्दों का उचित रिक्त स्थानों पर जोड़कर होलिकोत्सव का वर्णन लिखो)

षड्दिवसीयः षष्ठदिवसे होलिकादहनं
होलिकादहनात् धूलिवन्दनं रङ्गपञ्चमी।

होलिकोत्सवः……… उत्सवः। सः ……… आरभ्य ………. पर्यन्तं भवति। प्रथमदिवसे ……….. भवति। द्वितीयदिने ………… क्रियते। ……….. रङ्गपञ्चमीपर्व भवति।
उत्तर:
होलिकोत्सवः, षड् दिवसीयः उत्सवः। सः हो. लिकादहनात् आरभ्य धूलिवन्दनं पर्यन्तं भवति। प्रथमे दिवसे होलिकादहनं भवति। द्वितीयदिने धूलिवन्दनं क्रियते। षष्ठदिवसे रङ्गपञ्चमी पर्व भवति।

दीपावलिः हिन्दी अनुवाद

भारतवर्षे बहवः उत्सवाः भवन्ति। यथा-नवरात्रं, होलिका, रक्षाबन्धनं च। एतेषु दीपावलिः इति प्रधानः उत्सवः कार्तिकामासे कृष्णपक्षे अमावस्यायां तिथौ भवति। भगवतः रामस्य अयोध्यागमने अयोध्यायां प्रथमं दीपावलिः आयोजिता इति जनश्रतिः। एष दीपोत्सवः प्रकाशोत्सवः च। एषः पञ्चदिवसीयः उत्सवः। अस्य पञ्चसु अपि दिवसेषु सर्वत्र दीपानाम् आवलिः दृश्यते।

अनुवाद :
भारतवर्ष में बहुत से उत्सव (त्यौहार) होते हैं। जैसे- नवरातें, होली और रक्षाबन्धन। इनमें ‘दीपावली’ प्रधान उत्सव कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष में अमावस्या की तिथि को होता है। भगवान राम के अयोध्या आने पर अयोध्या में सबसे पहली दीपावली आयोजित की गई-ऐसी जनश्रुति है। यह दीपकोत्सव और प्रकाशोत्सव है। यह पाँच दिवसीय उत्सव है। इसके पाँच दिनों पर ही सर्वत्र दीपकों की पंक्तियाँ दिखाई पड़ती हैं।

प्रथमदिवसे त्रयोदश्यां जनाः आभूषणानि गृहपात्राणि स्वर्ण रजतं वा क्रीणन्ति। धन्वन्तरीति वैद्यराजः अद्य एव पूज्यते। द्वितीयदिवसस्य चतुर्दश्याः विशेषता अस्ति सूर्योदयात् प्राक् अभ्यङ्गस्नानम्। तृतीयदिवसे अमावास्यायां जनाः धनदेवी लक्ष्मी पूजयन्ति। व्यापारिण: व्यापारपुस्तकानामपि पूजनं कुर्वन्ति।

अनुवाद :
पहले दिन त्रयोदशी को लोग आभूषण, घर के बर्तन, स्वर्ण अथवा चाँदी खरीदते हैं। ‘धन्वन्तरि’ नामक वैद्यराज आज भी पूजे जाते हैं। दूसरे दिन चतुर्दशी की विशेषता है सूर्य उदय होने से पहले पूरे शरीर से मंगल स्नान करने की। तीसरे दिन अमावस्या को लोग धन देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। व्यापारी लोग व्यापार पुस्तकों का भी पूजन करते हैं।

चतुर्थे दिवसे कार्तिकप्रतिपदि शुक्लपक्षे व्यापारिणां नूतनः संवत्सरः प्रारभते। कृषकाः पशुपालकाः च गोवर्धनं पूजयन्ति गोधनं च अलङ्कर्वन्ति। अन्तिमदिवसे द्वितीयायां भ्रातृभगिन्यौ मिलतः, परस्परं सत्कारयतः दीर्घजीवनं सुखसमृद्धिं च कामयतः।

अनुवाद :
चौथे दिन कार्तिक महीने की शक्लपक्ष की प्रतिपदा को व्यापारियों का नया संवत्सर प्रारम्भ होता है। किसान और पशुपालक (ग्वाले) गोवर्धन की पूजा करते हैं और गोधन को सजाते हैं। अन्तिम दिन पर द्वितीया को (दौज पर) भाई और बहन मिलते हैं, परस्पर (एक-दूसरे का) सत्कार करते हैं, दीर्घ जीवन (लम्बी उम्र) तथा सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

अस्मिन् समये सर्वत्र आनन्दः प्रवर्तते। कृषकाणां गृहेषु नूतनान्नं नवधान्यम् समागच्छति। नदीजलं स्वच्छम् आकाश: निरभ्रः दृश्यते। आपणा: द्रव्यैः ग्राहकैः च परिपूर्णाः भवन्ति। बालकाः अग्निक्रीड्नकानि ज्वालयन्ति। गृहेषु मिष्ठान्नस्य सेवनं भवति। लाजाः देवेभ्यः अतिथिभ्यः च समर्पिता: भव, न्ति। गृहाणां पुरतः अल्पनारेखनं दृश्यते।

तमसो मा ज्योतिर्गमय” इति दीपावलिसन्देशः। सर्वे जनाः परस्परं मिलन्ति अभिनन्दन्ति च। अभिनन्दनपत्राणि प्रेषयन्ति ते प्रार्थयन्ति च।।

“शुभं करोतु कल्याणं, आरोग्यं सुखसम्पदम्।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥”

अनुवाद :
इस अवसर पर सब जगह आनन्द ही आनन्द होता है। किसानों के घरों में नया अन्न तथा नया धान्य आ जाता है। नदी जल स्वच्छ और आकाश बादलों से रहित दिखाई पड़ता है। दुकानें द्रव्य और ग्राहकों से परिपूर्ण होती हैं। बालक आतिशबाजी जलाते हैं। घरों में मिठाई का सेवन होता है। खीलें देवताओं और अतिथियों को समर्पित की जाती हैं। घरों के सामने अल्पना बनायी हुई दिखाई देती हैं।

‘अन्धकार से ज्योति (उजाले) की ओर मुझे ले चलो’, यह ही दीपावली का सन्देश है। सभी लोग आपस में मिलते हैं और (एक-दूसरे का) अभिनन्दन करते हैं। वे अभिनन्दनपत्र भेजते हैं और प्रार्थना करते हैं- “हे दीपक की ज्योति तुम्हें नमस्कार है, तुम शुभ और कल्याण करो, आरोग्य और सम्पदा (देती हो) तथा दुष्ट (शत्रु) बुद्धि का विनाश करती हो।”

दीपावलिः शब्दार्थाः

जनश्रुतिः = लोगों की मान्यता। आवलिः = कतार, पंक्ति।। स्वर्णं = सुवर्ण को। रजतं = चाँदी को। क्रीणन्ति = खरीदते हैं। धन्वन्तरिः = यह भारतीय परम्परा में प्रथम वैद्य हैं। प्राक् = पूर्व। अभ्यङ्गस्नानम् = मङ्गलस्नान। (यह शरीर पर तेल लगाकर गर्म जल से किया जाता है।) संवत्सरः = वर्ष कामयतः = कामना करते हैं। अग्निक्रीडनकम् = आतिशबाजी। लाज़ाः = धान की लाई। अल्पना = रंगोली। तमसः = अन्धेरे से। ज्योतिर्गमय = उजाले की ओर ले चलो। आलङ्कर्वन्ति = सजाते हैं। निरभ्रः = बादल रहित।

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