MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 4 हिमालय
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 4 हिमालय
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MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 4 हिमालय
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 4 प्रश्न-अभ्यास
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) सही जोड़े बनाइए
1. सतरंगी = (क) बूटी
2. नई = (ख) सपने
3 .उत्तर = (ग) सदी
4 .जड़ी = (घ) दिशा
उत्तर
1. (ख), 2. (ग), 3. (घ), 4. (क)
प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. रखवाली का वचन निभाए……………. की कथा सुनाएं। (कर्तव्यों वीरों)
2. दुश्मन का मुख ……………. करता, जन-जन की पीड़ा को हरता। (काला/पीला)
3. जड़ी-बूटियाँ मिले यहाँ पर …………… यहाँ के सुंदर-सुंदर। (दृश्य/तथ्य)
4. यह पहचान संस्कृति की है, इसमें . निहित है अपनी।। (शान/जान)
5. गर्व हमें हैं ……………. सरीखा, ले मुकाबला अड़ा हिमालय। (पिता/माता)
उत्तर
1. वीरों
2. काला
3. दृश्य
4. शान
5. पिता।
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 4 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए
(क)
भारतमाता के मस्तक पर हिमालय किस तरह शोभित हो रहा है?
उत्तर
भारतमाता के मस्तक पर हिमालय मुकुट-सा शोभित हो रहा है।
(ख)
इस कविता के आधार पर हिमालय किसका मुँह काला करता है? .
उत्तर
कविता के आधार पर हिमालय दुश्मन का मुँह काला करता है।
(ग)
हिमालय पर कौन-कौन सी औषधियाँ मिलती
उत्तर
हिमालय पर औषधियों के रुप में जड़ी-बूटियाँ मिलती हैं।
(घ)
हमारे देश की उत्तर दिशा की रखवाली कौन करता है?
उत्तर
हमारे देश की उत्तर दिशा की रखवाली हिमालय करता है।
(ङ)
हिमालय परोपकार का कौन-सा कार्य कर रहा है?
उत्तर
हिमालय सैकड़ों वर्षों से भारत की रक्षा कर रहा है।
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 4 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तरी तीन से पाँच वाक्यों में लिखिए
(क)
हिमालय हमारी सुरक्षा किस प्रकार करता है?
उत्तर
हिमालय हमारे दुश्मन राज्यों को आने से रोकता है। दुश्मनों ने सैकड़ों वर्षों में कई चेष्टाएं की परंतु हिमालय ने उन्हें हर बार चुनौती दी। दूसरी और उत्तर से आने वाली बर्फीली हवाओं को भारत में आने से रोकता है।
(ख)
हिमालय को उम्मीदों का घड़ा क्यों कहा गया है?
उत्तर
हिमालय को उम्मीदों का घड़ा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह स्वयं में कई रहस्यों को समेटे है। इसमें अतुल्नीय दृश्य तो है ही साथ ही यह हमारे लिए जीवनदाता के रूप में है।
(ग)
हिमालय के प्रति हमारे क्या कर्त्तव्य हैं?
उत्तर
बेशक हिमालय हमारी रक्षा करता है किंतु हमें भी चाहिए कि इसकी तन-मन से सेवा करे। इसके उस पार जो दुश्मन हैं, उनसे इसकी रक्षा करें ताकि इसके सौंदर्य और संस्कृति को कायम रख सकें।
(घ)
हिमालय को पिता के समान क्यों कहा गया
उत्तर
जिस तरह पिता अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं तथा उनके पालन-पोषण में कोई कसर नहीं छोड़ते, उसी प्रकार हिमालय भी हमारे पिता तुल्य है जो अपने करोड़ों बच्चों की पानी एवं संपदा प्रदान करता है।
(ङ)
नई सदी के कौन-से करिश्मे देखकर हिमालय को शर्म आ रही है?
उत्तर
आधुनिक समय में हम अपने सबसे बड़े रक्षक हिमालय का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं। दुश्मन इसकी छवि को लगातार आघात पहुँचा रहे हैं। हम धीरे-धीरे हिमालय का एहसान भूलते जा रहे हैं। इसलिए हिमालय को शर्म आ रही है।
भाषा की बात
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
कर्त्तव्य, मस्तक, संस्कृति, करिश्मा, अंबर।
उत्तर
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए
दुष्य, अडीग, मुकट, हीमालय, निहीत, सदीयाँ, पिड़ा, हीत, बचन
उत्तर
शुद्ध वर्तनी-दृश्य, अडिग, मुकुट, हिमालय, निहित, सदियाँ, पीड़ा, हित, वचन।
प्रश्न 6.
‘अ’ उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए
जैसे : डिग = अडिग
उत्तर
(क) मिट = अमिट
(ख) टल = अटल
(ग) सीम = असीम
(घ) लिखित = अलिखित
प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम शब्द लिखिए
सपना, सदी, लाज, काला, पिता।
उत्तर
शब्द
सपना = स्वप्न
सदी = शताब्दी
लाज = शर्म
काला = श्याम
पिता = पितृ
प्रश्न 8.
कोष्ठक में दिए गए शब्दों में निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द छांटकर लिखिए
(भागीरथी, गिरि, आकाश, शीश, नभ, पहाड़, माथा, जाह्नवी)
उत्तर
(क) गंगा – भागीरथी, जाह्नवी
(ख) पर्वत – गिरि, पहाड़
(ग) अंबर – आकाश, नभ
(घ) मस्तक – माथा, शशि
प्रश्न 9.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) मुँह काला करना
(ख) उम्मीदों का घड़ा
(ग) लाज से गड़ना
उत्तर
(क) दुश्मनों ने आतंकवादी भेजकर मुँह काला किया।
(ख) सदियों से विद्यमान हिमालय हमारी उम्मीदों का घड़ा है।
(ग) पिता तुल्य हिमालय के लिए हमने कुछ नहीं किया है, हमें लाज से गड़ जाना चाहिए।
हिमालय कविता का परिचय
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि हिमालय की अडिगता तथा निर्भयता को अंकित करता है। हिमालय भारक का मुकुट है जो इसकी शान बढ़ाता है। हिमालय ही है जो सदियों से भारत की शत्रुओं से रक्षा करता आया है। यहाँ की वादियों में बहुरंग तो हैं ही बल्कि अनमोल जड़ी-बूटियाँ भी विद्यमान है।
हिमालय संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या
1. कितनी सदियाँ बीत चुकी हैं
एक जगह पर खड़ा हिमालय!
रखवाली का वचन निभाए,
कर्तव्यों की कथा सुनाए।
अविचल और अडिग रहकर नित,
मुस्कानों के कोश लुटाए।
लगे मुकुट-सा जड़ा हिमालय।
कितनी सदियाँ बीत चुकी हैं
एक जगह पर खड़ा हिमालया।
शब्दार्थ-सदी-सौ वर्ष का समय, शताब्दी; वचन-प्रतिज्ञा, वादा; कोश-भंडार, खजाना।
संदर्भ-प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ ‘हिमालय’ से ली गई हैं। इसके रचयिता घमंडीलाल अग्रवाल हैं।
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में हिमालय की अविचलता तथा अडिगता को प्रकट किया गया है।
व्याख्या – अनेक सदियों बीत चुकी हैं किंतु हिमालय अपनी जगह विद्यमान है। हिमालय हमें रखवाली करना तो सिखाता ही है बल्कि कर्तव्यों को अडिगता से पूर्ण करना सिखाता है। भारत के मस्तक पर मुकुट के समान है जो हमारी रक्षा करता है।
2. दुश्मन का मुख काला करता,
जन-जन की पीड़ा को हरता।
गंगा की धारा को लाए,
पर-हित में ही जीता रहता।
गर्व हमें है पिता सरीखा
ले मुकाबला अड़ा हिमालय।
कितनी सदियाँ बीत चुकी हैं
एक जगह पर खड़ा हिमालय।
शब्दार्थ-मुख काला करना = अपमानित करना; पीड़ा हरना = दुःख दूर करना; परहित = दूसरों की भलाई; मुकाबला लेना = सामना करना।
संदर्भ- पूर्ववत्।
प्रसंग-इसमें हिमालय को पिता की तरह दर्शाया गया
व्याख्या – हिमालय हमारी बुरी नजर और दुश्मनों से तो रक्षा करता ही है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की चिंताओं को मिटाता है। हिमालय स्वयं से गंगा को उत्पन्न करता है और हमारी प्यासी धरती को तृत्प करता है। अतः हिमालय हमारी पिता की तरह रक्षा करता है।
3. जड़ी-बूटियाँ मिले यहाँ पर,
दृश्य यहाँ के सुंदर-सुखकर।
उत्तर दिशा देश की कायम,
खुश हो इसे देखकर अंबर।।
सतरंगी सपनों की आभाउम्मीदों का घड़ा हिमालय।
कितनी सदियाँ बीत चुकी हैं
एक जगह पर खड़ा हिमालय।।
शब्दार्थ – जड़ी-बूटियाँ = औषधियों के रुप में प्रयुक्त होने वाली पेड़-पौधों की जड़ें, पत्तियाँ, फल, बीज आदि, अंबर = आसमान, आकाश; सतरंगी = सात रंगों की;आभा = चमक; उम्मीदों का घड़ा = आशाओं का भंडार।
संदर्भ-पूर्ववत्।
प्रसंग-इसमें हिमालय के अतुल्नीय दृश्यों को दर्शाया गया है।
व्याख्या-हिमालय की छटाएँ तो अतुल्नीय हैं ही अपितु वहाँ पर पाई जाने वाली औषधि एवं जड़ी बूटियाँ भी विश्वस्तर की हैं। जब सूर्य की किरणें इस पर पड़ती हैं तो यह सतरंगी दिखता है। कई सदियाँ बीत चुकी हैं किंतु हिमाल ज्यों का त्यों अटल है। स्थिर है।
4. हमको रक्षा इसकी करनी,
कहती है यह हमसे जननी।
यह पहचान संस्कृति की है,
इसमें शान निहित है अपनी॥
नई सदी के देख करिश्मेलाज-शर्म से गड़ा हिमालय।
कितनी सदियों बीत चुकी हैं
एक जगह पर खड़ा हिमालय।
शब्दार्च-जननी = माँ, माता; संस्कृति = जीवनशैली, पारंपरिक आचार-विचार; शान = प्रतिष्ठा, मान;
निहित = छुपी हुई, छुआ हुआ; करिश्मे = करतब, काम; लाज = शर्म से गड़ा-लज्जित; शर्मिंदा।
संदर्भ-पूर्ववत्।
प्रसंग-इसमें बताया गया है कि हमें भी हिमालय की रक्षा करनी चाहिए।
व्याख्या-हिमालय ने हमारी सदियों से रक्षा की है। दुश्मन कभी इसको लांघ नहीं पाए हैं। अतः हमारी मातृभूति भी हमसे कहती है कि हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। किंतु वर्तमान कमजोर रक्षकों से हिमालय का मान घटा है।