MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 24 बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 24 बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 24 बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 24 पाठ का अभ्यास
बोध प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(क) महाराजा छत्रसाल किस नाम से विख्यात हैं?
उत्तर
महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड केसरी’ के नाम से विख्यात हैं।
(ख) महाराजा छत्रसाल का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर
महाराजा छत्रसाल का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया, संवत् सत्रह सौ छह (1706) अर्थात् 4 मई सन् 1649 ई. को टीकमगढ़ जिले के मोर पहाड़ी नामक स्थान पर हुआ था।
(ग) वीर चम्पतराय आजीवन किसका विरोध करते रहे?
उत्तर
महाराजा छत्रसाल के पिता वीर चम्पतराय आजीवन मुगल शासक शाहजहाँ और औरंगजेब के धर्मान्ध शासन और बहुसंख्यक प्रजा के प्रति पक्षपातपूर्ण नीतियों का विरोध करते
(घ) बालक छत्रसाल में कौन-कौन से गुण विद्यमान थे?
उत्तर
बालक छत्रसाल में साहस, शौर्य, आत्मविश्वास, वीरता और निर्भयता के गुण कूट-कूट कर भरे थे।
(ङ) घोड़े को ‘भले भाई’ की संज्ञा क्यों दी गई ?
उत्तर
देवगढ़ युद्ध के दौरान छत्रसाल बुरी तरह घायल हो । गए थे। उनका प्यारा घोड़ा रात-भर उनकी रक्षा करता रहा। दूसरे दिन छत्रसाल के भाई अंगद राय की पहचान करने के बाद ही घोड़े ने उन्हें छत्रसाल के शिविर में जाने दिया। स्वस्थ होने पर छत्रसाल ने अपने घोड़े को भले भाई’ की उपाधि दी।
(च) छत्रपति शिवाजी ने वीर छत्रसाल को कैसे प्रेरित किया ?
उत्तर
छत्रपति शिवाजी ने वीर छत्रसाल को स्वाधीनता का मंत्र और अपनी तलवार देकर बुन्देलखण्ड को स्वतंत्र कराने के लिए प्रेरित किया।
(छ) वीर छत्रसाल ने अपनी सेना कैसे तैयार की?
उत्तर
वीर छत्रसाल के पास साधनों का घोर अभाव था। संगी-साथी भी कम ही थे। उन्होंने अपनी माता के आभूषणों को बेचकर पाँच घोड़ों और पच्चीस सैनिकों की एक छोटी-सी सेना तैयार की। उनकी इस सेना में सभी वर्गों के लोग थे।
(ज) स्वामी प्राणनाथ ने महाराजा छत्रसाल को आशीर्वाद देते हुए क्या कहा ?
उत्तर
स्वामी प्राणनाथ ने छत्रसाल को आशीर्वाद देते हुए कहा
“छत्ता तेरे राज में, धक-धक धरती होय। जित-जित घोड़ा मुख करे, तित-तित फतै होय॥”
(झ) महाराजा छत्रसाल की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर
महाराजा छत्रसाल ने प्रजा की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए अनेक प्रयास किए। उन्होंने न्याय व्यवस्था को सरल बनाने के लिए पंचायती व्यवस्था की स्थापना की। वे अपराधियों को कठोर दण्ड देते थे। जिससे उनके राज्य में अपराध होना कम हो गए। उनके राज्य में बच्चे, बूढ़े और महिलाएँ निर्भीकतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे।
प्रश्न 2.
खाली स्थान भरिए
(क) महाराजा छत्रसाल ने ………… में ‘भले भाई’ का स्मारक बनवाया।
(ख) बुन्देलखण्ड की ………… भूमि भी इस संग्राम से अछूती नहीं थी।
(ग) स्वामी प्राणनाथ ………… के गुरु थे।
(घ) छत्रपति शिवाजी ने ……….. का मंत्र दिया।
(ङ) वीर छत्रसाल ने अपने दुश्मनों के …….दिए।
उत्तर
(क) धुबेला
(ख) वीर प्रसूता
(ग) महाराजा छत्रसाल
(घ) स्वाधीनता
(ङ) बके छुड़ा।
प्रश्न 3.
दिए गए उत्तरों में से सही उत्तर छाँटकर लिखिए
(क) महाराजा छत्रसाल ने पालकी में लगाकर सम्मान बढ़ाया:
(अ) भूषण का
(ब) जगनिक का
(स) सेनापति का।
उत्तर
(अ) भूषण का
(ख) महाराजा छत्रसाल की समाधि स्थित है:
(अ) पन्ना में
(ब) धुबेला में
(स) महेबा में।
उत्तर
(ब) धुबेला में
(ग) वीर छत्रसाल का जन्म हुआ था :
(अ) मोर पहाड़ी पर
(ब) गोर पहाड़ी पर
(स) मड़ोर पहाड़ी पर।
उत्तर
(अ) मोर पहाड़ी पर
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को वाक्य में प्रयोग कीजिए
स्वाधीन, सम्मान, समृद्धि, शौर्य, ओज, निर्भय, चुनौती, उत्तरदायी।
उत्तर
(क) स्वाधीन-छत्रसाल ने स्वाधीन पन्ना राज्य की स्थापना की।
(ख) सम्मान-छत्रसाल के दरबार में कवियों को पूरा सम्मान मिलता था।
(ग) समृद्धि-छत्रसाल ने प्रजा की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए अनेक प्रयत्न किए।
(घ) शौर्य-बुन्देलखण्ड में आज भी छत्रसाल की शौर्य और वीरता के गीत गाए जाते हैं।
(ङ) ओज-धुबेला में स्थित छत्रसाल का समाधिस्थल आज भी उनके शौर्य और ओज का स्मरण करा रहा है।
(च) निर्भय-छत्रसाल के राज्य में सभी लोग निर्भय होकर रहते थे।
(छ) चुनौती-छत्रसाल ने मुगलों को चुनौती देते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध किया।
(ज) उत्तरदायी-छत्रसाल ने अपने माता-पिता की मृत्यु के उत्तरदायी विश्वासघातियों को दण्डित किया।
प्रश्न 2.
‘प्र’ उपसर्ग लगाकर बनने वाले तीन शब्द लिखिए।
उत्तर
- प्रसूता
- प्रहार
- प्रसाद।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में आए मूल शब्द और प्रत्यय शब्दांश को अलग-अलग लिखिए
वीरता, अछूती, जागीरदार, मार्मिक, उत्तरदायी।
उत्तर
(क) वीरता – वीर + ता
(ख) अछूती – अछूत + ई
(ग) जागीरदार – जागीर + दार
(घ) मार्मिक – मर्म + इक
(ङ) उत्तरदायी – उत्तर + दाई।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों को उनके सामने दिए गए काल के अनुसार बदलिए
(क) महाराज छत्रसाल का समाधिस्थल उनके शौर्य का स्मरण दिला रहा है। (भविष्यकाल)
(ख) वे भारत के वीर सपूत थे। (वर्तमानकाल)
(ग) शत्रु सैनिक जान बचाकर भागे। (भूतकाल)
उत्तर
(क) महाराजा छत्रसाल का समाधिस्थल उनके शौर्य का स्मरण दिलाएगा।
(ख) वे भारत के वीर सपूत हैं।
(ग) शत्रु सैनिक जान बचाकर भाग गए ।
प्रश्न 5.
संधि विच्छेद कीजिएअत्याचार, स्वाधीन, इच्छानुसार, आत्मोत्सर्ग, सहायतार्थ।
उत्तर
(क) अत्याचार = अति + आचार।
(ख) स्वाधीन = स्व + आधीन।
(ग) इच्छानुसार = इच्छा + अनुसार।
(घ) आत्मोत्सर्ग = आत्मा + उत्सर्ग।
(ङ) सहायतार्थ = सहायता + अर्थ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए और वाक्य में प्रयोग कीजिए
दो-दो हाथ करना, छक्के छुड़ाना, नाकों चने चबाना, लोहा लेना।
उत्तर
(क) दो-दो हाथ करना – मुकाबला करना। वाक्य प्रयोग-छत्रसाल मुगलों से दो-दो हाथ करने से पहले उनकी रणनीति समझना चाहते थे।
(ख) छक्के छुड़ाना – निरुत्साह करना। वाक्य प्रयोग-देवगढ़ के युद्ध में छत्रसाल ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए।
(ग) नाकों चने चबाना – तंग करना। वाक्य प्रयोग-छत्रसाल ने मुगल सत्ता को नाकों चने चबाने के लिए विवश कर दिया था।
(घ) लोहा लेना – युद्ध करना, लड़ना। वाक्य प्रयोग-वीर दुर्गादास राठौर मुगल सत्ता को चुनौती देकर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए लोहा ले रहे थे।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए
प्रसूता, धरोहर, अस्त्र, शस्त्र, क्षति, ललकार, आत्मोत्सर्ग, पारावार, स्मारक, सिपहसालार, आधिपत्य, प्रजावत्सल, फत्तै (फतह), राजी, रैयत, ताजी, बार, बाँकौ।
उत्तर
‘शब्दकोश’ शीर्षक का अवलोकन करें।
बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या
1. देवगढ़ विजय में छत्रसाल के पुरुषार्थ को कोई महत्व नहीं दिए जाने पर छत्रसाल ने राजा जयसिंह का साथ छोड़ दिया। अब छत्रसाल का उद्देश्य भी पूरा हो गया था। उनका अगला ध्येय अपनी मातृभूमि से मुगलों के आधिपत्य को समाप्त करना था। इस कार्य में सफलता पाने के लिए छत्रसाल ने छत्रपति शिवाजी से भेंट की। छत्रपति ने उन्हें स्वाधीनता का मंत्र और अपनी तलवार देकर बुन्देलखण्ड में स्वतंत्रता का अलख जगाने भेज दिया।
सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा भारती’ के ‘बुन्देलखण्ड केसरी-महाराजा छत्रसाल’ नामक पाठ से अवतरित है। यह एक संकलित रचना है।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में महाराजा छत्रसाल द्वारा मुगलों के चंगुल से अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से छत्रपति शिवाजी से भेंट करने का वर्णन किया गया है।
व्याख्या-जयपुर के राजा जयसिंह की सेना में छत्रसाल एक वीर योद्धा थे। उन्होंने राजा जयसिंह के साथ अनेक युद्धों में भाग लिया एवं अपनी वीरता का परिचय दिया। देवगढ़ की विजय में भी छत्रसाल ने बड़ी बहादुरी का परिचय देते हुए युद्ध किया और देवगढ़ पर विजय प्राप्त की। परन्तु राजा जयसिंह द्वारा छत्रसाल की वीरता एवं बहादुरी को कोई महत्व न दिए जाने के कारण छत्रसाल ने राजा जयसिंह का साथ छोड़ दिया। वैसे भी जिस उद्देश्य के लिए छत्रसाल राजा जयसिंह की सेना में सम्मिलित हुए थे, वह उद्देश्य अब पूरा हो गया था। अब उनका अगला उद्देश्य मुगलों के चंगुल से अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराना था। परन्तु यह कार्य इतना आसान नहीं था। इस उद्देश्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उनका छत्रपति शिवाजी से मिलना और उनका मार्गदर्शन प्राप्त करना आवश्यक था। अतः छत्रसाल ने शिवाजी महाराज से भेंट की। भेंट होने पर शिवाजी ने छत्रसाल को स्वतंत्रता प्राप्त करने हेतु मंत्र दिया और अपनी तलवार उन्हें उपहारस्वरूप देकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाने के लिए भेज दिया।
2. स्वतंत्र पन्ना की स्थापना और राज्य विस्तार के बाद उन्होंने प्रजा की सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए प्रयत्न किए। स्वामी प्राणनाथ के निर्देश पर पन्ना राज्य में हीरों की खदानों की खोज करवाई। उन्होंने न्याय व्यवस्था को सरल बनाने के लिए पंचायती व्यवस्था स्थापित की। वे अपराधियों को कठोर दण्ड देते थे जिससे उनके राज्य में अपराध होना कम हो गए। उनके शान्ति पूर्ण राज्य में बच्चे-बूढ़े और स्त्रियाँ निर्भीकतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे। महाराज छत्रसाल जैसे तलवार के धनी थे वैसे ही कशल और प्रजावत्सल शासक भी
सन्दर्भ-पूर्व की तरह।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में महाराजा छत्रसाल की शासन व्यवस्था का प्रभावपूर्ण वर्णन किया गया है।
व्याख्या-महाराजा छत्रसाल द्वारा स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने और अपने राज्य का विस्तार करने के बाद अपनी प्रजा की सुख-शान्ति तथा समृद्धि के अनेक प्रयास किए गए। अपने गुरु राज्य में अपराध होना कम हो गए। उनके शान्ति पूर्ण राज्य में बच्चे-बूढ़े और स्त्रियाँ निर्भीकतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे। महाराज छत्रसाल जैसे तलवार के धनी थे वैसे ही कशल और प्रजावत्सल शासक भी
सन्दर्भ-पूर्व की तरह।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में महाराजा छत्रसाल की शासन व्यवस्था का प्रभावपूर्ण वर्णन किया गया है।
व्याख्या-महाराजा छत्रसाल द्वारा स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने और अपने राज्य का विस्तार करने के बाद अपनी प्रजा की सुख-शान्ति तथा समृद्धि के अनेक प्रयास किए गए। अपने गुरु स्वामी प्राणनाथ के आदेश पर छत्रसाल ने पन्ना राज्य में हीरों की खदानों की खोज का काम शुरू किया। महाराजा छत्रसाल ने अपने राज्य में न्याय व्यवस्था को आसान बनाने के लिए पंचायती व्यवस्था की स्थापना की। उनके राज्य में अपराधियों को कठोर दण्ड दिया जाता था जिसके फलस्वरूप राज्य में अपराधों की संख्या बहुत कम हो गई थी। उनके राज्य में प्रजा सुखी थी, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं बिना किसी भय के स्वतंत्रतापूर्वक कहीं भी आ-जा सकते थे। महाराजा छत्रसाल जिस प्रकार एक कुशल योद्धा थे उसी प्रकार वह शासन व्यवस्था में भी निपुण एवं पारंगत थे। वे अपनी प्रजा के सुख का ध्यान रखने वाले शासक थे।
बुन्देलखण्ड केशरी-महाराजा छत्रसाल शब्दकोश
प्रसूता = जन्म देने वाली; धरोहर = अमानत, धाती, पूर्वजों से प्राप्त सांस्कृतिक विरासत; अस्त्र = हाथ से चलाने वाले हथियार; शस्त्र = फेंक कर चलाने वाले हथियार; क्षति = हानि; ललकार = चुनौती देना; आत्मोत्सर्ग = स्वयं का बलिदान; पारावार = असीम; स्मारक = स्मरण हेतु बनाई गई कोई रचना;
सिपहसालार = सेनापति; आधिपत्य = अधिकार; प्रजावत्सल = प्रजा से पुत्रवत प्रेम करने वाला; फत्तै (फतह) = जीत, विजय; राजी = प्रसन्न, सुखी; रैयत = प्रजा; ताजी = सजग; चुस्त = दुरुस्त; बार = बाल; बाँकी = टेढ़ा।