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MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 8 उत्साह

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 8 उत्साह

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MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 8 उत्साह

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 8 प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. बुरी – (क) महूरत
2. बड़ी – (ख) शेर
3. बड़े – (ग) जिंदगी
4. यात्रा – (घ) शर्मिंदगी
उत्तर
1. (ग), 2. (घ) , 3. (ख) , 4. (क)

प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. फिसड्डी रहे और जीते रहे। किसी का दिया पीते रहे। (दूध/पानी)
2. भला यात्रा का……….. भी है। (जरूरत/महूरत)
3. कभी तुम बड़े………….. ये ठीक है। (शेर/सियार)
4. जरा………… अपना बदलते चलो। (मार्ग/भाग)
उत्तर
1. पानी
2. महूरत
3. शेर
4. भाग।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 8 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए

(क)
इस कविता में फिसड्डी रहने का क्या अर्थ है?
उत्तर
इस कविता में फिसड्डी रहने का अर्थ है ‘हर कार्य में पीछे रहना।

(ख)
कवि के अनुसार उत्साह की आवश्यकता क्यों
उत्तर
कवि के अनुसार जीवन में किसी भी कार्य में उन्नति करने के लिए उत्साह की आवश्यकता होती

(ग)
दूसरों के सहारे जीने का भाव कविता की कौन-सी पंक्ति में आया है?
उत्तर
दूसरों के सहारे जीने का भाव कविता की ‘किसी का दिया दूध पीते रहे’ पंक्ति से लिया गया है।

(घ)
हमें मुहूर्त की प्रतीक्षा में रुककर क्यों नहीं बैठना चाहिए?
उत्तर
हमें मुहूर्त की प्रतिक्षा में रुककर इसलिए नहीं बैटना चाहिए क्योंकि समय कभी किसी के लिए रुकता नहीं है।

(ङ)
क्या अपने अतीत पर अभिमान करते रहना उचित है?
उत्तर
हमें मात्र अपने अतीत के गौरव का मान करते रहना नहीं चाहिए बल्कि जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर कम-से-कम तीन वाक्यों में लिखिए

(क)
व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर
व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए द्रढ़ निश्चय और कढ़ी मेहनत की तो आश्यकता होती ही है, किंतु सफलता में निश्चयता लाने के लिए उत्साह की जरूरत होती है।

(ख)
कवि के अनुसार बुरी जिंदगी कौन-सी है?
उत्तर
जीवन के प्रत्येक कार्य में फिसड्डी बने रहना तथा हमेशा दूसरों के दया-धर्म पर जिंदा रहना, कवि ने ऐसी जिंदगी को सबसे बुरी बना है।

(ग)
शर्मिदगी से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर
शर्मिंदगी से बचने के लिए हमें आत्म-निर्भर तथा मेहनती बनना चाहिए। हमें कदापि दूसरों के टुकड़ों पर नहीं पलना चाहिए। यदि हमें पूर्ण विकास करना है तो निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

(घ)
हम ‘बड़े शेर’ कब थे और कैसे?
उत्तर
प्राचीन काल में भारत प्रत्येक क्षेत्र जैसे साहित्य, व्यापार, चिकित्सा तथा कला आदि में सर्वश्रेष्ठ था। इसीलिए हम कहते है कि हम कभी शेर थे। किंतु हमें यह सोचकर हमेशा खुश नहीं रहना चाहिए बल्कि अपने वर्तमान को सुधारने के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए।

(ङ)
उत्साह कविता का मूल-भाव क्या है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर
कवि कविता के माध्यम से हम सबको संदेश देते हैं कि हमें अपने आलस्य को त्याग कर तथा दूसरों पर निर्भरता छोड़ कर स्वयं की मेहनत और कर्म पर विश्वास करना चाहिए। कभी हम सोने की चिढ़िया कहलाते थे, यह सोचकर हमेशा खुश नहीं होते रहना ‘चाहिए बल्कि हमें वर्तमान की मेहनत और लान पर भरौसा करना चाहिए।

भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
शर्मिंदगी, जिंदगी, यात्रा, जमाना
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में शुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को गोला लगाइए
उत्तर
फिसड्डी, फसड्डी, फिसीड्डी खियाल, ख्याल, खयाल सर्मिन्दगी, शर्मिंदगी, शर्मंदगी

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए
महूरत, दूध, जात्रा, भाग
उत्तर
शब्द – तत्सम रुप
महूरत – मुहूर्त
दुध – दुग्ध
जात्रा – यात्रा
भाग – भाग्य

प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए
फिसड्डी रहना, किसी का दिया दूध पीना, मुहूर्त सोचना, बड़े शेर होना, ख्यालों में बना।
उत्तर

उत्साह कविता का परिचय

1. प्रस्तुत कविता में कवि ने देशवासियों को सर्वदा बढते रहने के लिए कहा है। जीवन में चाहे कितनी ही कठिनाइयाँ उत्पन्न हों, हमें रूकना नहीं चाहिए। हमें किसी की दया और सहारे पर नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास और मेहनत पर भरोसा करना चाहिए। समय हमारे साथ है, हमें आगे बढ़ने के लिए किसी का इंतजार नहीं करना चाहिए। यह भी सोचना व्यर्थ है कि सैकड़ों वर्ष पहले हम श्रेष्ठ थे, “अब क्या है?” यह महत्त्वपूर्ण है, हम आज की कमियों को पूरा करने के लिए बढ़ते चले।

उत्साह संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. चलते चलो और चलते चलो लहरों में,
लपटों में पलते चलो।

फिसड्डी रहे और जीते रहे,
किसी का दिया दूध पीते रहे,
तो इससे बुरी जिंदगी कौन-सी?
बड़ी और शर्मिंदगी कौन-सी?

ये आराम छोड़ों, उबलते चलो
लहरों में, लपटों में चलते चलो।

शब्दार्थ-लहरों में = जीवन का उतार चढ़ाव में। लपटों में = जीवन में आने वाले कष्टों की ज्वालाओं में। फिसड्डी = पीछे रहने वाले। किसी का दिया दूध पीते रहे = दी हुई सहायता का कर्ज से पलते रहे। शर्मिंदगी = उत्साह या जोशपूर्वक चलते चलो।

संदर्भ- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-8 ‘उत्साह’ से ली गई हैं। इसके रचयिता भवानीप्रसाद मिश्र हैं।

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवि ने शर्मिंदगी की जिंदगी को छोड़ आगे बढ़ने का उत्साह दिया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहना चाहिए। सैकड़ों सालों से हम रूढ़िवादी और फिसड्डी बने रहे हैं। हमने कभी भी आत्मनिर्भरता प्राप्त नहीं की। यह हमारे लिए बड़े शर्म की बात है। हमे सारे विश्व के साथ आगे बढ़ना चाहिए। अब हमें आलस्य को त्याग कर अपने अंदर एक उत्साह पैदा करना चाहिए। और उस उत्साह में हम बढ़ते चले जाएँ।

विशेष

  • सरल भाषा का प्रयोग है।
  • आम बोलचाल के शब्दों का उपयोग है।

2. भला यात्रा का महूरत भी है,
कहीं बैठे रहने की सूरत भी है,
निकलता चला जा रहा है समय,
महूरत न सोचो मचलते चलो।
लहरों में, लपटों में पलते चलो।

कभी तुम शेर थे, ठीक है,
उसी ख्याल में डूबना लीक है,
जमाना कहाँ से कहाँ जा चुका,
जरा भाग अपना बदलते चलो।
लहरों में, लपटों में पलते चलो।

शब्दार्थ- महूरत = शुभ-समय। बैठ रहने की सूरत = रुककर बैठे रह जाने की स्थिति या काम बंद कर देने की दशा। मचलते चलो = जिद करके अपनी धुन में बढ़े चलो। बड़े शेर = बहुत शक्तिशाली। ख्याल में डूबना = विचारों में खो जाना। लीक = परंपरा । भाग = भाग्य।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-इसमें कवि ने कहा है कि इतिहास की सफलता पर ही खुश न होकर वर्तमान में भी आगे बढ़ना चाहिए।

व्याख्या-कवि के अनुसार समय कभी किसी के लिए रूकता नहीं है जो उसके साथ चलते है वहीं कामयाब रहते हैं। रूकने का कारण मत ढूंढों, बल्कि आगे बढ़ते चलो। किसी जमाने में हम सर्वश्रेष्ठ थे, किंतु उस बीती सफलता को सोच-सोच कर खुश नहीं होना चाहिए। जीवन वर्तमान संघर्ष पर विद्यमान रहता है। सारा संसार विकांस कर रहा है और हम दर्शक बने मात्र देख रहे हैं। अब हमें अपनी किस्मत बदलनी होगी और आगे बढ़ता चला जाऊँगा।

विशेष – वर्तमान सफलता पर जोर दिया गया है।

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