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MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 17 राज्ञी दुर्गावती

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 17 राज्ञी दुर्गावती

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 17 राज्ञी दुर्गावती

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 17 अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखित प्रश्नों के उत्तरों को एक शब्द में लिखो
(क) महाराज्ञी दुर्गावती कुत्र जाता? [महारानी दुर्गावती का जन्म कहाँ हुआ?]
उत्तर:
मण्डलाक्षेत्रे

(ख) दुर्गावत्याः विवाहः केन सह जातः? [दुर्गावती का विवाह किसके साथ हुआ?]
उत्तर:
दलपतशाहेन सह

(ग) दुर्गावती कृपाणेन किम् अकरोत्? [दुर्गावती ने तलवार से क्या किया?]
उत्तर:
प्राणघातम्

(घ) दुर्गावत्या पुत्र कः आसीत्? [दुर्गावती का पुत्र कौन था?]
उत्तर:
वीरनारायणः

(ङ) दुर्गावतीविश्वविद्यालयः कुत्र स्थितः? [दुर्गावती विश्वविद्यालय कहाँ स्थित है?]
उत्तर:
जबलपुरनगरे।

प्रश्न 2.
अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखो
(क) दुर्गावत्याः समाधिः कुत्र अस्ति? [दुर्गावती की समाधि कहाँ है?]
उत्तर:
जबलपुरमण्डलामार्गे तस्याः समाधिः अस्ति। [जबलपुर और मण्डला के मार्ग पर उसकी समाधि है।]

(ख) प्रजासु दुर्गावत्याः कीदृशः स्नेहः आसीत्? [प्रजा पर दुर्गावती का कैसा स्नेह था?]
उत्तर:
प्रजासु तस्याः पुत्रवत् स्नेहः आसीत्। [प्रजा पर उसका पुत्र के समान स्नेह था।]

(ग) कः दुर्गावत्याः उपरि आक्रमणम् अकरोत्? [किसने दुर्गावती पर आक्रमण किया?]
उत्तर:
अकबरस्य सेनापतिः आसफखानः तस्याः उपरि आक्रमणम् अकरोत्। [अकबर के सेनापति आसफखान ने उसके ऊपर आक्रमण किया।]

प्रश्न 3.
अधोलिखित शब्दों के मूल शब्द, विभक्ति और वचन लिखो
(क) मण्डलाक्षेत्रे
(ख) दलपतशाहेन
(ग) राजकार्येषु
(घ) राजधान्याम्
(ङ) रक्षायै
(च) तस्याः।
उत्तर:
(क) ‘मण्डलाक्षेत्र’ शब्द, सप्तमी विभक्तिः, एकवचनं।
(ख) ‘दलपतशाह’ शब्द, तृतीया विभक्तिः, एकवचनं।
(ग) ‘राजकार्य’ शब्द, सप्तमी विभक्तिः, बहुवचनं।
(घ) ‘राजधानी’ शब्द, सप्तमी विभक्तिः, एकवचनं।
(ङ) ‘रक्षा’ शब्द, चतुर्थी विभक्तिः, एकवचनं
(च) ‘सा’ शब्द, चतुर्थी विभक्तिः, एकवचनं।

प्रश्न 4.
अधोलिखित शब्दों का मूलधातु-लकार-पुरुषवचन लिखो
(क) न्यवसत्
(ख) अकरोत्
(ग) आसीत्
(घ) अपश्यत्
(ङ) प्राप्नोत्
(च) अत्यजत्।।
उत्तर:
(क) ‘वस्’ धातु, लङ् लकार, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।
(ख) ‘कृ’ धातु, लङ् लकार, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।
(ग) ‘अस्’ धातुः, लङ् लकारः, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।
(घ) ‘दृश्’ धातुः, लङ् लकारः, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।
(ङ) ‘आप्’ धातुः, लङ् लकारः, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।
(च) ‘त्यज्’ धातुः, लङ् लकारः, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।

प्रश्न 5.
कोष्ठक में उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को पूरा करो
(क) सा चन्देलराज्यपुत्री …………। (आसीत्/आस्ताम्)
(ख) प्रजाः अपि तां मातेव …………. (पश्यत्/अपश्यन्)
(ग) सा रणचण्डी भूत्वा युद्धम् …………। (अकरोत्/अकुर्वन्)
(घ) तस्याः बलिदानम् अधुनापि जनाः ………। (स्मरतः/स्मरन्ति)
(ङ) सा अद्यापि यशः शरीरेण ……….। (जीवति/जीवन्ति)
उत्तर:
(क) आसीत्
(ख) अपश्यन्
(ग) अकरोत्
(घ) स्मरन्ति
(ङ) जीवति।

प्रश्न 6.
अधोलिखित तालिका से वाक्य बनाओ


उत्तर:
(क) वीरनारायणः बालकः एव आसीत्।
(ख) दुर्गावती चातुर्येण शौर्यण च राज्यमकरोत्।
(ग) राज्ञी दुर्गावती धीरा वीरा च आसीत्।
(घ) प्रजासु तस्याः पुत्रवत् स्नेहः आसीत्।
(ङ) प्रजाः अपि तां माता इव अपश्यन्।

प्रश्न 7.
लङ्लकार में निम्नलिखित धातुओं के रूप लिखो
(वस्, लिख्, भू(भव), क्रीड्, धाव, खाद्, गम् (गच्छ))
उत्तर:

प्रश्न 8.
अधोलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखो
(क) सा “महाराज्ञी” उपाधिना विभूषितः।
(ख) महिला अगच्छन्।
(ग) वीरनारायणः जाता।
(घ) आसफखानः आक्रमणम् अकुर्मः।
(ङ) बालकाः अक्रीडत।
उत्तर:
(क) विभूषिता
(ख) अगच्छत्
(ग) जातः
(घ) अकरोत्
(ङ) अक्रीडन्।

राज्ञी दुर्गावती हिन्दी अनुवाद

दीक्षा :
भ्रात! त्वं कुत्र पठसि?

रमण :
अहं जबलपुरनगरे पठामि। दीक्षा-तत्र कस्यां संस्थायाम् अध्ययनं करोषि?

रमणः :
अहं “राज्ञीदुर्गावतीविश्वविद्यालये” अध्ययनं करोमि।

दीक्षा :
महाराज्ञी दुर्गावती का आसीत् यस्याः नाम्ना विश्वविद्यालयः प्रचलित।

रमणः :
महाराज्ञी दुर्गावती मध्यप्रदेशस्य मण्डलाक्षेत्रस्य वीराङ्गना आसीत्। सा चन्देलराज्यपुत्री आसीत्। तस्याः विवाहः गोंडराजदलपतशाहेन सह अभवत्। दलपतशाहः गोंडवानाराजस्य राजधान्यां मण्डलानगरे न्यवसत्। विवाहात् चतुर्वर्षाणाम् अनन्तरं दलपतशाहः दिवङ्गतः।

अनुवाद :
दीक्षा:
भाई! तुम कहाँ पढ़ते ह?

रमण :
मैं जबलपुर नगर में पढ़ता हूँ।

दीक्षा :
वहाँ किस संस्था में अध्ययन करते हो?

रमण :
मैं “रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में” अध्ययन करता हूँ।

दीक्षा :
महारानी दुर्गावती कौन थी, जिसके नाम से विश्वविद्यालय चलता है।

रमण :
महारानी दुर्गावती मध्य प्रदेश के मण्डला क्षेत्र की वीरांगना (वीर स्त्री) थी। वह चन्देल राज्य की पुत्री थी। उसका विवाह गौंडराज दलपतशाह के साथ हुआ था। दलपतशाह गौंडवाना राज की राजधानी में मण्डला नगर में रहते थे। विवाह के चार वर्षों के बाद ही दलपतशाह का स्वर्गवास हो गया।

दीक्षा :
तदा दलपतशाहस्य पुत्रः नृपः अभवत् किम्?

रमण: :
आम्! राज्ञः मरणोपरान्तं तस्य अल्पवयस्कपुत्रः। वीरनारायणः राजा अभवत्।

दीक्षा :
केन कारणेन सा इयती प्रसिद्धा?

रमणः :
वीरनारायणः बालक एव आसीत्। अतः सा दुगा. ‘वती चातुर्येण शौर्यण च राज्यमकरोत्। अतएव सा “महाराज्ञी” इति उपाधिना विभूषिता।

दीक्षा :
तस्याः राज्यस्य वैशिष्ट्यं किम् आसीत्?

रमणः :
राज्ञी दुर्गावती धीरा वीरा च आसीत्। राजकार्येषु युद्धविद्यायां च प्रवीणा आसीत्। प्रजासु तस्याः पुत्रवत् स्नेहः आसीत्। प्रजा अपि तां माता इव अपश्यन्। लोककल्याणमेव तस्याः आदर्शः। तस्याः राज्यकाले सर्वत्र सम्पन्नता आसीत्।।

अनुवाद :
दीक्षा :
क्या तब दलपतशाह का पुत्र राजा हो गया था?

रमण :
हाँ! राजा की मृत्यु के बाद उनका अल्पवयस्क पुत्र वीरनारायण राजा हो गया था।

दीक्षा :
वह किस कारण से इतनी प्रसिद्ध हो गयी?

रमण :
वीरनारायण बालक ही था। इसलिए उस दुर्गावती ने चतुराई से और शूरवीरता से राज्य किया। इसलिए वह महारानी’ इस उपाधि से विभूषित हुई।

दीक्षा :
उसके राज्य की क्या विशेषता थी?

रमण :
रानी दुर्गावती धैर्यवान और वीर थी। राजकार्यों में और युद्धविद्या में चतुर थी। प्रजा पर उसका पुत्र के समान प्रेम था। प्रजा भी उसे माता की तरह देखती थी। लोककल्याण ही उसका आदर्श था। उसके राज्य काल में सर्वत्र सम्पन्नता थी।

दीक्षा :
केनापि सह तस्याः युद्धः अभवत् किम्?

रमण :
आम्! अवश्यमेव, तस्याः राजस्य सुखसमृद्धिम् असहमानः अकबरस्य सेनापतिः आसफखान: तस्याः उपरि आक्रमणम् अकरोत्। सा रणचण्डी भूत्वा युद्धं कृतवती, प्रथमदिवसे विजयं प्राप्नोत्।

दीक्षा :
तदन्तरं दुर्गावत्याः पूर्णविजयः अभवत् किम्?

रमण: :
न, पराजित: आसफखानः द्वितीयदिवसे शतघ्नीनां प्रयोगं कुर्वन् प्रचण्डाक्रमणम् अकरोत्। तस्य प्रतिरोधे असमर्थाः बहवः गौंडसैनिकाः हताः। अस्मिन् युद्धे एकः बाणः तस्याः नेत्रे, द्वितीयश्च कण्ठे लग्नः, तथापि सा युद्धं कृतवती अन्ते मृत्यु समीपम् अवलोक्य स्वसम्मानरक्षायै सा स्वयमेव कृपाणघातेन प्राणान् अत्यजत्।

अनुवाद :
दीक्षा :
क्या उसका किसी के साथ युद्ध हुआ?

रमण :
हाँ! अवश्य ही, उसके राज्य की सुखसमृद्धि को न सह सकने वाले अकबर के सेनापति आसफखान ने उसके ऊपर आक्रमण कर दिया। उसने रणचण्डी होकर युद्ध किया, पहले दिन विजय प्राप्त की।

दीक्षा :
क्या उसके बाद दुर्गावती की पूर्ण विजय हो गयी?

रमण :
नहीं, पराजित आसफखान ने दूसरे दिनशतघ्नीयों का (तोपों का) प्रयोग करते हुए भयंकर आक्रमण किया। उसका प्रतिरोध करने में असमर्थ बहुत से गौंड सैनिक मारे गये। इस युद्ध में एक बाण उसके नेत्र में और दूसरा कण्ठ में लग गया था फिर भी वह युद्ध करती रही। अन्त में मृत्यु को समीप ही देखकर अपने सम्मान की रक्षा के लिए उसने स्वयं ही तलवार के प्रहार से प्राणों को त्याग दिया।

दीक्षा :
इदं तु बहुकष्टकारकम्।

रमणः :
आम्, तस्याः, बलिदानम् अधुनापि जनाः स्मरन्ति। जबलपुरमण्डलामार्गे तस्या समाधिः अस्ति। काव्येषु लोकगीतेषु इतिहासे च सा अद्यापि यशः शरीरेण जीवति।

दीक्षा :सत्यम्! दुर्गावती दुर्गा इव आसीत्।

अनुवाद :
दीक्षा :
यह तो बहुत ही कष्ट देने वाली बात है।

रमण :
हाँ, उसके बलिदान को तो आज भी लोग याद करते हैं। जबलपुर और मण्डला के मार्ग पर उसकी समाधि है। काव्यों में और लोकगीतों में तथा इतिहास में वह आज भी यशरूपी शरीर से जीवित है।

दीक्षा :
सत्य है। दुर्गावती दुर्गा की भाँति थी।

राज्ञी दुर्गावती शब्दाथा:

सह = साथ में। न्यवसत् = निवास करते थे। दिवङ्गतः = स्वर्गवास होना। प्रतिरोधः विरोध करना।

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