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MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 20 योगः स्वास्थ्यस्य साधनम्

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 20 योगः स्वास्थ्यस्य साधनम्

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 20 योगः स्वास्थ्यस्य साधनम्

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 20 अभ्यासः

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखिए
(क) कः योगस्य प्रवर्तकः? [योग के प्रवर्तक कौन थे?]
उत्तर:
पतञ्जलिः

(ख) केन शरीरं स्वस्थं भवति? [किससे शरीर स्वस्थ होता है?]
उत्तर:
योगेन

(ग) श्वासनियंत्रणम् केन भवति? [श्वास नियंत्रण किससे होता है?]
उत्तर:
श्वासोच्छ्वसनं

(घ) कः कालः योगाय उचितः? [योग के लिए कौन-सा समय उचित होता है?]
उत्तर:
प्रातः

(ङ) योगनिद्रा किमर्थं क्रियते? [योगनिद्रा किसलिए की जाती है?]
उत्तर:
मनः शान्त्यर्थं।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) आद्यं धर्मसाधनं किम् अस्ति? [प्रारम्भिक धर्म का साधन क्या है?]
उत्तर:
शरीरमाद्यम् खलु धर्मसाधनम् अस्ति। [शरीर ही धर्म का प्रारम्भिक साधन है।]

(ख) योगेन किं स्वस्थं भवति? [योग से क्या स्वस्थ होता है?]
उत्तर:
योगेन शरीरं स्वस्थं भवति। [योग से शरीर स्वस्थ होता है।]

(ग) स्वस्थ शरीरे किं सुकरम्? [स्वस्थ शरीर से क्या आसान है?]
उत्तर:
स्वस्थ शरीरे अध्ययनं सुकरम् भवति। [स्वस्थ शरीर से अध्ययन आसान है।]

(घ) योगशास्त्रम् किमर्थं प्रवर्तितम्? [योगशास्त्र का प्रवर्तन किसलिए हुआ?]
उत्तर:
योगशास्त्रम् शरीरस्वास्थ्यार्थम् प्रवर्तितम्। [योगशास्त्र का प्रवर्तन शरीर के स्वास्थ्य के लिए हुआ।]

(ङ) सुलभा कस्य मूर्तिम् अपश्यत्? [सुलभा ने किसकी मूर्ति को देखा?]
उत्तर:
सुलभा मुनेः पतञ्जलेः मूर्तिम् अपश्यत्। [सुलभा ने मुनि पतञ्जलि की मूर्ति को देखा।]

प्रश्न 3.
उचित विकल्प से रिक्त स्थानों को भरो (व्याकरणम्, आयुर्वेदम्, नास्ति, अस्ति, करिष्यति, कारयिष्यति)
(क) सम्यग् अन्नपचनं …………।
(ख) सदैव क्षुधाभावः ………..।
(ग) सुलभा योगं ………….।
(घ) शारदा योगं ……………।
(ङ) पतञ्जलिः शरीरस्वास्थ्यार्थम् ………….अरचयत्।
(च) पतञ्जलिः वाणीशुद्धयर्थं …………. अरचयत्।।
उत्तर:
(क) नास्ति
(ख) अस्ति
(ग) करिष्यति
(घ) कारयिष्यति
(ङ) आयुर्वेदम्
(च) व्याकरणम्।

प्रश्न 4.
अधोलिखित पदों को लकार के अनुसार लिखो (आसीः, भवति, करिष्यति, अपश्यत्, अकरोत्, सम्भवन्ति, इच्छामि, उन्मूलयन्ति, ज्ञास्यामि, आगमिष्यामि)
उत्तर:
(क) लङ् (भूतकालिकः) = आसीः, अपश्यत्, अकरोत्।
(ख) लट् (वर्तमाने) = भवति, सम्भवन्ति, इच्छामि, उन्मूलयन्ति।
(ग) लुट (भविष्यत्) = करिष्यति, ज्ञास्यामि, आगमिष्यामि।

प्रश्न 5.
अधोलिखित भूतकालिक कृदन्त शब्दों को देखो और रिक्त स्थानों को भरो [लिखितम्, आगतः, पीडिता, प्रयुक्तम्]
(क) बालकः पत्रम् लिखति। तेन पत्रं ………..।
(ख) रोगः सुलभां पीडयति। सुलभा रोगेन ………..।
(ग) बालकः गृहम् आगच्छत्। बालकः गृह ………..।
(घ) शारदा आसनं प्रायुक्त। शारदया आसनं ………..।
उत्तर:
(क) लिखितम्
(ख) पीडिता
(ग) आगतः
(घ) प्रयुक्तम्।

प्रश्न 6.
रेखांकित पदों के लिए प्रश्न निर्माण करो
(क) योगाभ्यासेन कार्ये कौशलं जायते।
(ख) आसनानि सन्धि रोगान् उन्मूलयन्ति।
(ग) सुलभा शारदाम् अमिलत्।
(घ) सर्वं गुरोः निर्देशने करणीयम्।
उत्तर:
(क) योगाभ्यासेन कस्मिन् कौशलं जायते?
(ख) आसनानि कान् रोगान् उन्मूलयन्ति?
(ग) का शारदाम् अमिलत्?
(घ) सर्वम् कस्य निर्देशने करणीयम्?

प्रश्न 7.
उचित शब्दों को मिलाओ-


उत्तर:
(क) → (3)
(ख) → (4)
(ग) → (5)
(घ) → (6)
(ङ) → (1)
(च) → (2)

प्रश्न 8.
अधोलिखित रूपों का लकार, वचन और पुरुष लिखो
(क) आसीः
(ख) आसम्
(ग) अस्ति
(घ) सन्ति
उत्तर:
(क) आसी: = लङ् लकार, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।
(ख) आसम् = लङ् लकार, उत्तम पुरुषः, एकवचनम्।
(ग) अस्ति = लट् लकार, अन्य पुरुषः, एकवचनम्।
(घ) सन्ति = लट् लकार, अन्य पुरुषः, बहुवचनम्।

योगः स्वास्थ्यस्य साधनम् हिन्दी अनुवाद

(संस्कृतशिक्षिका विद्यावती स्वछात्रां सुलभाम् अपृच्छत्)

विद्यावती :
सुलभे! ह्यः त्वं कक्षायाम् उपस्थिता न आसीः। किं कारणम्?

सुलभा:
महोदये! रात्रौ मम उदरपीडा आसीत्। गतसप्ताहे अपि अनेनैव कारणेन पीडिता आसम्। कदाचित् ज्वरः वर्तते। अन्नपचनं सम्यग् नास्ति। क्षुधाभावः सदैव अस्ति।

विद्यावती :
एतत् चिन्तनीयम्। वैद्यस्य किम् अभिमतम्?

सुलभा:
वैद्यः औषधयोजनां करोति। किन्तुस्थगिते औषधे पुनः पीडा प्रादुर्भवति। न जाने किं कर्त्तव्यमिति। धिगस्तु रुग्णजीवनम्।

विद्यावती:
यदा औषधसेवनं रोगान् न उन्मूलयति, तदा योगोपचारः कर्त्तव्यः। योगकक्षां गत्वा योगशिक्षिकायाः मार्गदर्शनं स्वीकुरु। सा चिकित्सां करिष्यति।

अनुवाद :
(संस्कृत की अध्यापिका विद्यावती ने अपनी छात्रा सुलभा से पूछा)

विद्यावती :
हे सुलभा! कल तुम कक्षा में उपस्थित नहीं थीं। क्या कारण था?

सुलभा :
हे महोदया! रात को मेरे पेट में दर्द था। बीते सप्ताह भी इसी कारण से (मैं) पीड़ित थी। शायद ज्वर है। अन्न का पाचन ठीक तरह से नहीं होता है। भूख की कमी सदा ही बनी रहती है।

विद्यावती :
यह चिन्ता का विषय है। वैद्य की क्या राय है?

सुलभा :
वैद्य औषधि की योजना करता है। किन्तु औषधि के बन्द कर देने पर पीड़ा फिर से उत्पन्न हो जाती है। क्या करना चाहिए? नहीं जानते हैं। रोगयुक्त जीवन के लिए धिक्कार है।

विद्यावती :
जब औषधि सेवन करने पर भी रोग नष्ट नहीं होता है, तब योग से उपचार (इलाज) करना चाहिए। योग की कक्षा में जाकर योग की शिक्षिका का मार्गदर्शन स्वीकार करो। वह चिकित्सा (इलाज) करती है।

सुलभा :
महोदये! योगमार्गः तु संन्यासिनां मार्गः। संसारत्यागं न इच्छामि। अहं छात्रा अस्मि।

विद्यावती :
न एतत्। योगेन शरीरं चित्तम् अपि स्वस्थं भवति। “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” इति प्रसिद्धं वचनम्। स्वस्थे शरीरे अध्ययनं सुकरं भवति। तेन चित्तस्य एकाग्रता भवति। कार्ये कौशलं जायते। योगस्य अभ्यासेन अनेके लाभाः सम्भवन्ति।

(अन्यस्मिन् दिने सुलभा योगकक्षां गत्वा योगशिक्षिकां शारदां मिलितवती।)

अनुवाद :
सुलभा-हे महोदया! योगमार्ग (योग का उपाय) तो संन्यासियों का मार्ग है। संसार को त्यागना नहीं चाहती। मैं एक छात्रा हूँ।

विद्यावती :
ऐसा नहीं है। योग से शरीर (और) चित्त भी स्वस्थ होता है। ‘शरीर ही धर्म का साधन होता है’, यह कहावत प्रसिद्ध है। शरीर के स्वस्थ रहने पर अध्ययन आसान होता है। उससे चित्त की एकाग्रता होती है। कार्य में कुशलता पैदा हो जाती है। योग के अभ्यास से अनेक लाभ सम्भव हैं।

(दूसरे दिन सुलभा योग की कक्षा में जाकर योग की शिक्षिका शारदा से मिलती है।)

सुलभा :
नमस्ते भगवति। अहं सुलभा। मम शिक्षिका विद्यावती भवती मेलितुं मां समादिशत्। अहम् उदररोगेण पीडिता अस्मि। अत: योगोपचारम् इच्छामि।

शारदा :
स्वागतं। प्रविश कक्षाम्। (सुलभा कक्षां प्रविश्य एका मूर्तिम् अपश्यत्) सुलभा-भगवति! एषः ऋषिः कः?

शारदा :
एषः भगवान् पतञ्जलिः। एषः योगविद्यायाः प्रवर्तकः। अनेन मुनिना शरीरार्थम् आयुर्वेदे, वाणीशुद्धयर्थं व्याकरणे, मनोनिग्रहार्थं च योगशास्त्रे ग्रन्थाः लिखिताः।।

अनुवाद :
सुलभा :
हे भगवति! नमस्ते। मैं सुलभा हूँ। मेरी शिक्षिका विद्यावती ने आपसे मिलने के लिए मुझे आदेश दिया था। मैं पेट के रोग से पीड़ित हूँ। अत: योग का उपचार चाहती हूँ।

शारदा :
स्वागत है। कक्षा में प्रविष्ट हो जाइए। (सुलभा ने कक्षा में प्रवेश करके एक मूर्ति को देखा।)

सुलभा :
हे भगवति! ये कौन से ऋषि हैं?

शारदा :
ये भगवान पतञ्जलि हैं। ये ही योगविद्या के प्रवर्तक थे। इन मुनि महोदय के द्वारा शरीर के लिए आयुर्वेद में, वाणी की शुद्धता के लिए व्याकरण में और मन का निग्रह करने के लिए योगशास्त्र पर ग्रंथों को लिखा।

सुलभा :
वन्दे पतञ्जलिम्। योगकक्षायाम् अहं किं करिष्यामि?

शारदा :
आदौ स्वस्तिकासनं सिद्धासनं पद्मासनं च कारयिष्यामि एतेषाम् अभ्यासेन एकस्थितौ उपवेशनं स्थिरं भवति। तदा अध्ययने, कार्ये, प्राणायामे लेखने च काठिन्यं न स्यात।

सुलभा:
रोगनिवारणार्थं कः उपायः?

शारदा :
कानिचित् आसनानि उदररोगोपचारे प्रयुक्तानि। कानिचित् हस्तपादयोः सञ्चालने सहायकानि। कानिचित् सन्धिरोगम् उन्मूलयन्ति।

अनुवाद :
सुलभा-पतञ्जलि को नमस्कार। योग की कक्षा में मैं क्या करूँगी?

शारदा :
पहले स्वास्तिक आसन, सिद्ध आसन और पद्म आसन कराऊँगी। इनके अभ्यास से एक स्थिति में उपवेशन स्थिर होता है। तब अध्ययन करने में, काम करने में, प्राणायाम करने में और लेखन कार्य करने में कठिनाई नहीं होती है।

सुलभा :
रोग दूर करने के लिए क्या उपाय है?

शारदा :
पेट के रोग के उपचार में कुछ आसनों का प्रयोग किया जाता है। कुछ हाथ और पैरों के संचालन में सहायक होते हैं। कुछ जोड़ों के दर्द को जड़ से नष्ट कर देते हैं।

सुलभा :
कः एषः प्राणायामः? किम् एतद् अपि आसनम्?

शारदा :
न। प्राणायामेन श्वासोच्छ्वसनं नियन्त्रितं भवति। अनेन हृदयरोगे, नासिकारोगे श्वासरोगे च लाभः भवति। शवासनं योगनिद्रा च मनः शान्त्यर्थं क्रियते। ततः उत्साहलाभः भवति। भवती शनैः शनैः सर्वं ज्ञास्यसि। सर्वम् एतत् गुरोः निर्देशने करणीयम्।

अनुवाद :
सुलभा :
यह कौन-सा प्राणायाम है? क्या यह भी आसन है?

शारदा :
नहीं। प्राणायाम से श्वास का छोड़ना नियन्त्रित होता है। इसमें हृदय रोग में, नासिका रोग में और श्वास रोग में लाभ होता है। शव-आसन और योगनिद्रा आसन मन की शान्ति दे लिए किया जाता है। उसके बाद उत्साह लाभ होता है। आप धीरे-धीरे सब कुछ जान जायेंगी। यह सब गुरु के निर्देशन में किया जाना चाहिए।

सुलभा :
योगकक्षा किमर्थं प्रातः एव आयुज्यते?

शारदा :
प्रातः सूर्यः शान्तः, वायुः शीतलः, शरीरं च निर्मलं भवति। प्रात:काल सुखकरः भवति। योगः प्राकृतिक उपचारः। अतः प्रात:कालः योगाय उचितः।

सुलभा :
तहिं अहं योगाभ्यासाय श्वः आगमिष्यामि। शारदा-पुनरागमनाय गच्छतु भवती।

अनुवाद :
सुलभा :
योग की कक्षा प्रातः ही क्यों आयोजित होती है?

शारदा :
प्रातः सूर्य शान्त रहता है, वायु शीतल होती है और शरीर भी स्वच्छ होता है। प्रातः का समय सुखकर (सुख देने वाला) होता है। योग प्राकृतिक उपचार (इलाज) है। अतः प्रातः का समय योग के लिए उचित होता है।

सुलभा :
तो मैं योग के अभ्यास के लिए कल आऊँगी।

शारदा :
फिर से आने के लिए आप जाएँ।

योगः स्वास्थ्यस्य साधनम् शब्दार्थाः

ह्यः = भूतकालिक कल (बीता हुआ)। श्वः = भविष्यकालिक कल (आने वाला)। करिष्यामि = (मैं) करूँगी/करूँगा। कारयिष्यामि = मैं कराऊँगी/कराऊँगा। प्रादुर्भवति = उत्पन्न होती है। उन्मूलयति = मिटाती है। प्रवर्तकः = आरम्भकर्ता। ज्वरः = बुखार। वैद्यः = डॉक्टर, चिकित्सक। क्षुधाभावः = (क्षुधा + अभाव) भूख न लगना। अभिमतम् = मत, सलाह। समादिशत् = सलाह दी। सम्यक् = ठीक।

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