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MP Board Class 7th Social Science Solutions विविध प्रश्नावली 2

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) गुलाम वंश का संस्थापक था
(अ) मोहम्मद गौरी
(ब) इल्तुतमिश
(स) कुतुबुद्दीन ऐबक
(द) अलाउद्दीन खिलजी।
उत्तर:
(स) कुतुबुद्दीन ऐबक

(2) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है ?
(अ) प्रधानमन्त्री
(ब) राष्ट्रपति
(स) राज्यपाल
(द) मुख्यमन्त्री।
उत्तर:
(ब) राष्ट्रपति

(3) पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ था –
(अ) 1526 ई. में
(ब) 1556 ई. में
(स) 1529 ई. में
(द) 1527 ई. में।
उत्तर:
(अ) 1526 ई. में

(4) हमारी पृथ्वी के कितने प्रतिशत भाग पर थलमण्डल –
(अ) 71%
(ब) 72%
(स) 28%
(द) 29%
उत्तर:
(द) 29%

(5) दीर्घ ज्वार आता है –
(अ) पंचमी को
(ब) पूर्णिमा को
(स) अष्टमी को
(द) चतुर्थी को।
उत्तर:
(ब) पूर्णिमा को।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) खिलजी वंश का संस्थापक …………. था।
(2) गुरुनानक देव का जन्म …………… गाँव में हुआ था।
(3) भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल ………….. वर्ष का होता है।
(4) वर्षा मापने वाले यन्त्र को ………… कहते हैं।
(5) भारत में ऋतुओं की संख्या …………..’ हैं।
उत्तर:
(1) जलालुद्दीन खिलजी
(2) तलवण्डी
(3) 5
(4) वर्षा मापक
(5) तीन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित की सही जोड़ियाँ बनाइए

उत्तर:
(1) (b) ताँबे की मुद्रा का प्रचलन
(2) (c) पहेलियाँ-मुकरियाँ
(3) (a) इक्ता प्रणाली तुगलक
(4) (e) चतुर, वाकपटु, सलाहकार
(5) (d) लहरें

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए –
(1) अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियन्त्रण व्यवस्था को समझाइए।
उत्तर:
धन की पूर्ति हेतु उसने बाजार नियन्त्रण नीति को लागू किया था। उसने वस्तुओं की कीमतें निश्चित कर दी। व्यापारियों पर नियन्त्रण रखने के लिए उसने कुशल तथा ईमानदार कर्मचारियों की नियुक्ति की। दुकानदारों द्वारा बाजार के नियमों का पालन न करने पर उन्हें कठोर दण्ड दिया जाता था। बाजार भावों पर गुप्तचरों द्वारा निगरानी रखी जाती थी। अकाल पड़ने पर सरकारी गोदामों से खाद्यान्नों की पूर्ति की जाती थी।

(2) ज्वार – भाटे से कौन-कौन से लाभ हैं, लिखिए।
उत्तर:
ज्वार-भाटे से निम्नलिखित लाभ हैं –

  •  ज्वारीय शक्ति से जल विद्युत उत्पन्न की जा सकती है।
  • अनेक प्रकार की सीमें, शंख, मोती आदि वस्तुएँ किनारों पर आ जाती हैं।
  • नदियों के मुहानों की गंदगी साफ हो जाती है तथा नौकायन में सहायता मिलती है।
  • ज्वार के समय उथले बन्दरगाहों की गहराई बढ़ जाती है, जिससे बड़े-बड़े जलयान बन्दरगाह तक पहुँच जाते हैं और भाटे के साथ लौट आते हैं। इससे व्यापारिक माल ढोने में सहायता मिलती है।

(3) अध्यादेश से क्या आशय है ?
उत्तर:
जब विधानसभा की बैठकें नहीं चल रही हों और किसी कानून की तुरन्त आवश्यकता हो तो राज्यपाल द्वारा जारी आदेश अध्यादेश कहलाता है। अध्यादेश कानून के ही समान होते हैं।

(4) शाहजहाँ के शासनकाल में स्थापत्य कला की प्रगति को लिखिए।
उत्तर:
शाहजहाँ ने अपने शासन काल में दिल्ली का लाल किला, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जामा मस्जिद, ताजमहल आदि का निर्माण कराया। उसकी शान-शौकत और ऐश्वर्य का प्रतीक मयूर सिंहासन भी है जिसमें विख्यात कोहिनूर हीरा भी जड़ा हुआ था।

(5) चक्रवातीय वर्षा पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चक्रवातीय वर्षा – गर्म और ठण्डी हवाओं के मिलने पर गर्म हवाएँ ऊपर की ओर उठती हैं और ठण्डी हवाएँ तेजी से कम दबाव की ओर आती हैं। पृथ्वी की गति के कारण ये हवाएँ चक्र की भाँति घूमने लगती हैं जिन्हें चक्रवात कहते हैं। चक्रवात के मध्य की हवाएँ ठण्डी होने पर वर्षा करती हैं। इसे चक्रवाती वर्षा कहते हैं।

(6) अकबर की मनसबदारी व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
अकबर की मनसबदारी व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • गुप्तचर व डाक व्यवस्था में सुधार करना।
  • प्रशासनिक तन्त्र को सैन्य स्तर पर संगठित करना।
  • सरकारी सेवारत अधिकारियों को सैन्य पद (मनसबदार) पर नियुक्त करना।
  • मनसबदारों को नकद वेतन देना तथा सेना के रख-रखाव के लिए भूमि (जागीर) देना।

(7) भक्ति आन्दोलन का जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:

  • भक्ति आन्दोलन ने धर्म व समाज में व्याप्त आडम्बर और कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया।
  • समाज में हिन्दू व मुसलमानों के भेद व अलगाव को दूर कर दोनों को निकट लाने का प्रयास किया।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(1) समुद्री धाराओं का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? लिखिए।
उत्तर:
जल धाराओं के उत्पन्न होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. स्थायी पवनों का प्रभाव-स्थायी पवनों के प्रभाव से जलधाराएँ उत्पन्न होकर इन हवाओं की दिशा की ओर बहने लगती हैं।
  2. तापमान में भिन्नता का प्रभाव-विषुवत रेखा के आस-पास तापमान अधिक रहने के कारण समुद्री जल गर्मी पाकर फैलता है और जलधाराएँ ध्रुवों की ओर बढ़ने लगती हैं।विषुवत रेखा के समीप खाली स्थान को भरने के लिए ध्रुवों की ओर से ठण्डी जलधाराएँ विषुवत रेखा की ओर बहने लगती हैं। इस प्रकार तापमान की भिन्नता जलधाराओं को उत्पन्न करती हैं।
  3. पृथ्वी की दैनिक परिभ्रमण गति का प्रभाव-पृथ्वी। अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर 24 घण्टे में घूर्णन गति द्वारा एक चक्कर पूरा करती है जिससे जलधाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में। अपने दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर मुड़ जाती हैं।
  4. स्थल भू-भाग का प्रभाव-बहती हुई धारा के सामने जब कोई विशाल स्थल भाग आ जाता है, तो वह अपनी दिशा। स्थल के अनुरूप बदल लेती हैं।
  5. समुद्र की लवणता का प्रभाव-कुछ धाराएँ जल के घनत्व में अन्तर होने से भी उत्पन्न होती हैं। जलधाराओं का मानव जीवन पर प्रभाव – इन धाराओं का जलवायु, आवागमन, वर्षा और मत्स्य उद्योग पर प्रभाव पड़ता है –
    • गर्म जलधाराएँ अपने तटवर्ती स्थानों का तापमान बढ़ा देती हैं तथा ठण्डी धाराएँ निकटवर्ती क्षेत्रों का सामान्य तापमान कम कर देती हैं।
    • समुद्रों में जहाँ गर्म और ठण्डी धाराएँ मिलती हैं, तो वहाँ घना कोहरा उत्पन्न हो जाता है।
    • गर्म जलधारा के कारण ऊँचे अक्षांशों में स्थित बन्दरगाह वर्षभर खुले रहते हैं। गर्म धाराओं के ऊपर बहने वाली हवाएँ गर्म होकर
      आर्द्रता ग्रहण कर लेती हैं और निकटवर्ती क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा । कर देती हैं।

(2) शेरशाह के शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शेरशाह की शासन व्यवस्था –

  • केन्द्रीय शासन-केन्द्रीय शासन का सबसे बड़ा अधिकारी स्वयं सम्राट था। उसकी सहायता के लिए अनेक अधिकारी व कर्मचारी होते थे। वह एक उदार शासक था। उसकी दण्ड व्यवस्था कठोर थी। हिन्दुओं के साथ उसका व्यवहार अच्छा था।
  • जिले का शासन – शासन की सुविधा के लिए शेरशाह ने अपने समस्त साम्राज्य को अनेक सरकारों (जिलों) में विभाजित किया, जिन्हें पुनः परगनों में विभाजित किया गया। सरकारों और परगनों के अधिकारियों को समय-समय पर स्थानान्तरित किया जाता था।
  •  सैनिक प्रशासन – शेरशाह ने एक विशाल एवं शक्तिशाली सेना का संगठन किया जिसमें पैदल सिपाही, घुड़सवार, तोपखाना व हाथी चार विभाग थे। सैनिकों को नकद वेतन दिया जाता था तथा उनका हुलिया एक रजिस्टर में दर्ज किया जाता था। घोड़ों को दागने की प्रथा प्रचलित थी।
  • भूमि प्रबन्ध – शेरशाह ने भूमि की नाप कराकर उसे उपज के अनुसार बाँट दिया गया था। किसानों से उपज का चौथाई भाग लगान के रूप में वसूल किया जाता था।
  • न्यायव्यवस्था – सम्राट न्याय विभाग का सर्वोच्च अधिकारी था। वह न्याय में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता था। साम्राज्य के विभिन्न भागों में काजियों की नियुक्ति की गई।
  • जनता की भलाई के कार्य-शिक्षा के क्षेत्र में उसने मदरसों का निर्माण कराया। उसने यात्रियों की सुविधा के लिए कुँओं और सरायों की व्यवस्था की। अनेक सड़कें बनवाईं तथा उनके किनारे छायादार वृक्ष लगवाए। आज की ग्राण्ड ट्रंक रोड (शेरशाह सूरी मार्ग) उसी की देन है।

(3) विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
वित्तीय कार्य:
विधानसभा राज्य की वित्तीय व्यवस्था पर नियंत्रण रखती है। प्रतिवर्ष विधान सभा में वित्तमन्त्री द्वारा राज्य का आय-व्यय विधेयक (बजट) प्रस्तुत होता है। विधानसभा द्वारा बजट पारित होने पर इसे राज्यपाल के हस्ताक्षर हेतु भेजा जाता है। राज्यपाल के हस्ताक्षर होने के बाद सभी वित्तीय कार्य संचालित होते हैं। इसके अतिरिक्त विधान सभा कार्य विभिन्न माध्यमों से जनहित के कार्यों, सरकारी योजनाओं, विभागीय कार्यवाहियों आदि के सम्बन्ध में जानकारियाँ प्राप्त करना है।

विधानसभा की शक्तियाँ:
विधान सभा सरकारी विभागों द्वारा किए गए कार्यों पर नियन्त्रण रखती है। यह कार्य विधानसभा सदस्य विभिन्न प्रस्तावों के माध्यमों से करते हैं। ऐसे प्रस्ताव काम रोको प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण, प्रश्न पूछना, बजट में कटौती प्रस्ताव आदि हैं। गम्भीर स्थिति उत्पन्न होने पर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया जा सकता है।

(4) महासागरों से कौन-कौन से लाभ हैं ? लिखिए।
उत्तर:
महासागरों से निम्नलिखित लाभ हैं –

  • भूमि पर वर्षा – भूमि पर समस्त वर्षा समुद्र के पानी के वाष्पन से उत्पन्न भाप से होती है, जो वनस्पति, जीव-जन्तु एवं मानव जीवन के लिए उपयोगी है।
  • तापमान का सन्तुलन – महासागर धरातल पर तापमान का सन्तुलन बनाने में उपयोगी हैं।
  • आवागमन के साधन – महासागर विभिन्न महाद्वीपों को जोड़ते हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सहायक हैं।
  • अन्य – इसके अतिरिक्त महासागर खनिजों के भण्डार, सुरक्षा के उत्तम साधन, मछलियों के भण्डार एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से भी परिपूर्ण हैं।

(5) सल्तनतकालीन वास्तुकला की प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
सल्तनतकालीन वास्तुकला की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –

  • नुकीले मेहराब और गुम्बद तथा ऊँची सँकरी मीनारें इस काल की वास्तुकला की महत्वपूर्ण विशेषता थी।
  • इस काल के अनेक शासकों ने उल्लेखनीय निर्माण कार्य करवाए। दिल्ली की कुतुबमीनार, फिरोजशाह का दुर्ग, अलाई दरवाजा, लाल महल, तुगलकाबाद का किला, लोदी सुल्तानों के रंग-बिरंगे खपरैलों की डिजाइनों से सजे मकबरे आदि का निर्माण कराया।
  • दक्षिण के शासकों ने किले के अन्दर शानदार – इमारतें बनवायीं। दौलताबाद एवं गोलकुण्डा के किले इनमें प्रमु ख हैं।
  • सुदूर दक्षिण में विजयनगर के शासकों द्वारा मन्दिरों का निर्माण व जीर्णोद्धार कराया गया। इनके द्वारा

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