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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 11 आदर्श और वरदान

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 11 आदर्श और वरदान

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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 11 आदर्श और वरदान

प्रश्न अभ्यास
अनुभव विस्तार

प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) सही जोड़ी बनाइए(अ) प्रातः काल


उत्तर
(अ) 5, (ब) 4, (स) 2, (द) 1, (ई) 3

(ख) सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(अ) सुख का समय …………… व्यतीत हो जाता है। (शीघ्रता से, देर से)
(ब) छगन’ और दीनू की मित्रता भी …………… की सी मित्रता थी।. (राम-कृष्ण, कृष्ण-सुदामा)
(स) लिफाफे पर प्रेषक के स्थान पर लिखा था……। (डॉ. छगन चौधरी, दीनानाथ शमा)
(द) मेरे चिराग को तुमने ………….. से बचाया है। (जलने, बुझने)
उत्तर
(अ) शीघ्रता
(ब) कृष्ण-सुदामा
(स) डॉ. छगन चौधरी
(द) बुझने।

प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) दीनू को डूबने से किसने बचाया?
(ब) नर्सिंग होम किसने खोला था?
(स) योग्यता सूची में शीर्ष स्थान पर किसका नाम या?
(द) छगन की पढ़ाई पूरी करवाने की जिम्मेदारी किसने ली?
(ई) नर्सिंग होम किस स्थान पर खोला गया था?
उत्तर-
(अ) दीनू को डूबने से छगन ने बचाया?
(ब) नर्सिंग होम छगन ने खोला था।
(स) योग्यता सूची में शीर्ष स्थान पर छगन का नाम था।
(द) छगन की पढ़ाई पूरी करवाने की जिम्मेदारी दीनानाथ शर्मा ने ली।
(ई) नर्सिंग होम रतनगढ़ में खोला गया था।

प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न

(अ)
सच्चे मन से की गई मित्रता की क्या विशेषता होती
उत्तर
सच्चे मन से की गई मित्रता टिकाऊ होती है। वह आदर्शमय होती है। वह प्रेरणादायक और वरदान के रूप में होती है। उसमें कोई स्वार्थ और भेदभाव नहीं होता है। वह एक-दूसरे के सुख-दुख की सहभागी बनकर दृढ़ होती है।

(ब)
छगन के चरित्र की कोई चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
छगन के चरित्र की चार विशेषताएँ हैं

  • विनम्रता
  • मेहनती
  • आत्मीयता
  • कृतज्ञता।

(स)
दीनू और छगन एक-दूसरे को ऋणी क्यों मान रहे थे?
उत्तर
दीनू और छगन एक-दूसरे को ऋणी मान रहे थे। यह इसलिए कि वे दोनों एक-दूसरे के सहयोग को बार-बार याद कर रहे थे।

(द)
छगन की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर
छगन की आर्थिक स्थिति दयनीय थी। वह बकरियाँ चराता था। उसकी पढ़ाई का खर्चचलना कठिन था।

(ई)
दीनू और छगन की मित्रता की तुलना कृष्ण और सुदामा से क्यों की गई है?
उत्तर
दीनू और छगन की मित्रता की तुलना कृष्ण और सुदामा से की गई है। यह इसलिए कि उसमें निस्वार्थ था। वह निर्मल थी। उसमें अमीरी-गरीबी और ऊँच-नीच का कोई भेदभाव नहीं था। वह हृदय की गहराई और सच्चे मन से की गई थी।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिएछात्रवृत्ति, निःस्वार्थ, स्तब्ध, आचरण, डॉक्टर।
उत्तर
छात्रवृत्ति, निःस्वार्थ, स्तब्ध, आचरण, डॉक्टर।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में ‘स’ ‘श’ ‘घ’ वर्णों को उचित स्थान पर रखकर अशुद्ध शब्दों को शुद्ध कीजिए
उत्तर
अशुद्ध शब्द  – शुद्ध शब्द
बरबश – बरबस
शिश्टता – शिष्टता
सीर्ष – शीर्ष
पुश्टि – पुष्टि
साशन – शासन
रासन – राशन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को वर्णक्रमानुसार लिखिए
अचानक, आँखें, उन्हें, ईश्वर, आराम, आचरण, अच्छा, ऊपर, इधर, औकात, एक, उद्वेलित, ऐतिहासिक, अंगूर, अंबर।
उत्तर
अंगुर, अंबर, अच्छा, अचानक, आँखें, आचरण, शिष्टता आराम, इधर, ईश्वर, उद्वेलित, उन्हें, ऊपर, एक, ऐतिहासिक, औकात।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्द अलग-अलग कीजिए
निमंत्रण, दरवाजा, मात्र, वृक्ष, नर्सिंग होम, स्कूल, छात्रवृत्ति, सुबक, छांह, सरपट, स्थानांतरण, तीव्र, पगडण्डी।
उत्तर-तत्सम शब्द-निमंत्रण, मात्र, वृक्ष, छात्रवृत्ति, स्थानान्तरण, तीव्र
तद्भव शब्द-छांह, दरवाजा देशज शब्द-सुबक, पगडण्डी, सरपट विदेशी शब्द-नर्सिंग होम, स्कूल।

प्रश्न 5.
‘आ’ उपसर्ग में ‘चरण’ शब्द जोड़कर बनता है-‘आचरण’। इसी प्रकार ‘आ’ उपसर्ग लगाकर पाँच शब्द बनाइए।
उत्तर
‘आ’ उपसर्ग लगाकर पाँच शब्द-आसमान, आधार, आसान, आहार, आराम।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) मेहनती व्यक्ति किसी भी काम में जान की …. ……. लगाने में पीछे नहीं हटते। (बाजी, होड़)
(ख) अपने पुत्र को सही सलामत देखकर माँ की आँखें …………. आईं। (भर, तर)
(ग) कृष्ण-सुदामा के मिलन की बड़ी सुखद ……….. थी। (घड़ी, जोड़ी)
(घ) शेर को सामने देख राहुल का कलेजा………. को आ गया। (मुँह, सिर)
(ङ) अतीत के पलों को याद कर आशीष के हों …………….. लगे। (फड़कने, कटने)
उत्तर
(क) बाजी
(ख) भर
(ग) घड़ी
(घ) मुँह
(ङ) फड़कने।

प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1. शर्माजी सरकारी दफ्तर में असफर थे। घर में सभी सुविधाएँ थीं। दीनू की सेवा में नौकर-चाकर लगे ही रहते थे। कहाँ दीनू, और कहाँ गरीब किसान का बेटा छगन! पर मित्रता ऊँच-नीच नहीं देखती है। हृदय की गहराई से एवं सच्चे मन से की गई मित्रता भी निःस्वार्थ एवं निर्मल होती है। एक-दूसरे के सुख-दुःख के सहभागी बनकर ही मित्रता के आदर्श की स्थापना की जा सकती है। छगन और दीनू की मित्रता भी कृष्ण-सुदामा की सी मित्रता थी।

शब्दार्थ:
दफ्तर-कार्यालय। ऊँच-नीच-भेदभाव । निर्मल-पवित्र । सहभागी-सहयोगी।

संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिन्दी सामान्य) भाग-8′ के पाठ-11 आदर्श और वरदान’ से ली गई हैं।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने सच्ची मित्रता की विशेषता बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या
यों तो दीनानाथ शर्मा किसी सरकारी कार्यालय में एक अधिकारी थे। फलस्वरूप उन्हें हर प्रकार की सुविधाएँ थीं। उन्हें घर पर भी अपेक्षित साधन-सामग्री प्राप्त थी। उनकी सेवा-सत्कार के लिए किसी प्रकार की असुविधा नहीं थी। नौकर-चाकर उनके बेटे दीनू के लिए हमेशा लगे रहते थे। दूसरी ओर दीनू का दोस्त छगन बड़ा ही गरीव था। फलस्वरूप

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