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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 12 समय पर मिलने वाले

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 12 समय पर मिलने वाले

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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 12 समय पर मिलने वाले

प्रश्न अभ्यास
अनुभव विस्तार

(क) सही जोड़ी बनाइए

प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न


उत्तर
(अ) 4, (ब) 1, (स) 2, (द) 3

(ख)
सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(अ) इसके बाद कुछ मुट्ठी भर ……………… बचते हैं, जो समय पर मिलते हैं। (जीवधारी/चक्रधारी)
(ब) मित्र की भावुकता और ………………… के सामने मैं भी गाफिल हो गया। (आत्मीयता/धृष्टता)
(स) इस बार आत्मा ने मनुष्य का ………… लिया है। (चोला, झोला)
(द) हमारा चेहरा ………………… हो जाता है। (नीला, लाल)
उत्तर
(अ) जीवधारी
(ब) आत्मीयता
(स) चोला
(द) लाल।

प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) परसाई जी के अनुसार मनुष्य कितने प्रकार के होते
(ब) लेखक ने ‘टाइमपीस’ किन मनुष्यों को कहा है?
(स) समाज में किन मनुष्यों की निंदा की जाती है?
(द) समय पर न मिलने वाले यदि समय पर मिल जाएँ तो कैसा लगता है?
उत्तर
(अ) परसाई जी के अनुसार मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं

  • समय पर न मिलने वाले
  • समय पर किसी के घर न जाने वाले और
  • न समय पर पर मिलने वाले और न समय पर किसी के घर जाने वाले।

(ब) लेखक ने ‘टाइमपीस’ उन मनुष्यों को कहा है जो समय पर घर मिलते हैं और समय पर दूसरों के घर भी जाते हैं।
(स) समाज में उन मनुष्यों की निंदा की जाती है, जो समय का ख्याल नहीं रखते और अपना तथा दूसरों का समय खराव करते हैं।
(द) समय पर न मिलने वाले यदि समय पर मिल जाएँ तो लगता है भगवान को पा लिया।

प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) समय निर्धारित कर समय पर न मिलने वालों से क्या कठिनाई होती है?
उत्तर
समय निर्धारित कर समय पर न मिलने वालों से अनेक कठिनाई होती है। उनका लम्बे समय तक इंतजार करना पड़ता है। उनका बार-बार चक्कर लगाना पड़ता है। इससे जी ऊब जाता है। दूसरों की नज़र में गिर जाना पड़ता है।

(ब)
समय पर न मिलने वाले की प्रतीक्षा करने में कैसा अनुभव होता है?
उत्तर
समय पर न मिलने वाले की प्रतीक्षा करने में कठिन और दुखद अनुभव होता है। हर क्षण मन उनकी ओर लगा रहता है। आँखें फाटक पर बिछी रहती हैं।

(स)
लड़का पूछने से पहले क्या उत्तर देता है?
उत्तर
लड़का पूछने से पहले उत्तर देता है-“वे घर में नहीं हैं।”

(द)
लेखक ने कई अनुभवों के बाद क्या किया?
उत्तर
लेखक ने कई अनुभवों के बाद तय किया कि वह जिसे इस जन्म में नहीं पूरा कर पाया, उसे अगले जन्म में पूरा कर लेगा।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
बोलिए एवं लिखिएमट्ठर
औपचारिकता, स्वतंत्रता, अवहेलना।
उत्तर
मट्ठर, औपचारिकता, स्वतंत्रता, अवहेलना।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी पर गोला

उत्तर
शिष्टता, अनिश्चित, अवमानना, अनुभव।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
जीवधारी, बैठक, अभ्यास, विश्वास, विज्ञापन।
उत्तर
शब्द   – वाक्य-प्रयोग
जीवधारी – मनुष्य सर्वश्रेष्ठ जीवधारी है।
वैठक – बैठक में तेज बहस हो रही थी।
अभ्यास – अभ्यास से कठिन काम आसान हो जाता है।
विश्वास – हमें सब पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
विज्ञापन – अखबार में रोज ही विज्ञापन निकलते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में से उर्दू, अंग्रेजी और हिन्दी शब्द छाँटकर लिखिए
शिष्टता, अखवार, किताव, स्वतंत्रता, टाइमपीस, अफसोस, अनुचित, ऐजेन्ट, निंदा, कमेटी, तवादला, निमंत्रण, आत्मा, ऑफिस, दिलचस्पी, टेबिल।
उत्तर
उर्दू शब्द- अखवार, किताव, अफ़सोस, तवादला, दिलचस्पी।
अंग्रेजी शब्द- टाइमपीस, एजेन्ट, कमेटी, ऑफिस, टेबिल ।
हिन्दी शब्द- शिष्टता, स्वतंत्रता, अनुचित, निंदा, निमंत्रण, आत्मा।

प्रश्न 5.
‘भव’ में ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर अनुभव शब्द बना है। निम्नलिखित शब्दों में इसी प्रकार ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए- .
कूल, सार, करण, मोदन, मति, मान।
उत्तर

प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1. इसके बाद कुछ मुट्ठी भर जीवधारी बचते हैं जो समय पर घर मिलते हैं और समय पर दूसरे के घर भी जाते हैं। सज्जनतावश हम इन्हें भी ‘आदमी’ कह देते हैं। ये असल में टाइमपीस हैं। ये घर रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर होंगे तो हाथ की घड़ी देखते रहेंगे। इन्हें हम बर्दाश्त कर लेते हैं। मगर इनकी चर्चा करना व्यर्थ है।।

शब्दार्थ
मुट्ठी भर-बहुत कम। जीवधारी-आदमी। सज्जनतावश-सज्जनता के कारण। टाइमपीस-घड़ी।

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ . (हिन्दी-सामान्य) ‘भाग-8’ के पाठ-12 ‘समय पर मिलने वाले’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों के लेखक श्री हरिशंकर परसाई

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने समय की पाबंदी रखने वाले व्यक्तियों के बारे में बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या
अधिकांश लोग ऐसे होते हैं जो न स्वयं किसी के यहाँ समय पर जाते हैं और न किसी को समय पर मिलते हैं। किंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो समय पर घर मिलते हैं और समय पर दूसरे के घर जाते हैं। ऐसे लोगों को लेखक ने टाइमपीस कहा है; अर्थात् यह हमेशा घड़ी देखकर ही कार्य करते हैं। ऐसे लोग घर पर रहते हैं तो टाईमपीस देखते रहते हैं। और बाहर जाते हैं तो अपनी हाथ घड़ी देखते रहते हैं।इस प्रकार के व्यक्तियों को हम बहुत कठिनाई से झेल पाते हैं। भाव यह कि ऐसे व्यक्तियों से हमारा समय नष्ट होता है। इससे हमें दुःख पहुँचता है। इस प्रकार इनकी चर्चा हमें व्यर्थ ही सिद्ध होती है।

विशेष

  • समय के पाबंद व्यक्तियों की विशेषता को प्रकट किया गया है।
  • भाषा चटपटी और सरल है।
  • व्यंग्य प्रधान शैली है।

2. ऐसे लोगों की निंदा भी होती है कि वे समय का कोई ख्याल नहीं रखते और अपना तथा दूसरे का वक्त खराब करते हैं। पर मेरा मत दूसरा है, ऐसे लोग ज्ञानी हैं। वे जानते हैं कि काम अनन्त हैं और आत्मा अमर है। जल्दी वे करें और समय का ख्याल वे रखें, जिनकी उम्र 50-60 साल होती है। हमारी उम्र तो करोड़ों साल है क्योंकि आत्मा कभी मरती नहीं। जो काम इस जन्म से पूरे नहीं हुए, उन्हें अगले जन्म में पूरे कर लेंगे या उसके बाद वाले में। इस बार आत्मा ने मनुष्य… का चोला लिया है। अगली बार वह मेंढक का चोला भी ले सकती है। तब मेंढक के रूप में हम वे काम पूरे कर लेंगे, जो आदमी के रूप में नहीं हो पाये। जल्दी क्या है?

शब्दार्थ
ख्याल-ध्यान। वक्त-समय। मत-विचार। चोला-शरीर।

संदर्भ – पूर्ववत्

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने समय की पाबंदी न करने वाले व्यक्तियों पर व्यंग्य कसते हुए कहा है कि

व्याख्या
जो समय का ध्यान नहीं रखते तथा अपना और दूसरों का समय नष्ट करते हैं, ऐसे लोगों की लोग निंदा करते हैं किंतु लेखक उन्हें ज्ञानी कहता है। लेखक कहते हैं कि लोग समझते हैं कि काम का कोई अंत नहीं है और आत्मा अमर है। वह कभी मरती नहीं है तो जल्दी किस बात की है। काम इस जन्म में पूरे नहीं हुए तो अगले जन्म में हो जायेंगे।

लेखक का पुनः कहना है कि इस प्रकार के लोगों की यह आम धारणा होती है कि अगर इस जन्म में आत्मा ने मनुष्य का रूप धारण किया है तो अगले जन्म में इसका कुछ भी पता नहीं कि यह कौन-सा रूप धारण करेगा। हो सकता है कि यह मेंढक का ही रूप धारण कर ले। इस रूप में ही सही हम पहले जन्म के अधूरे काम को पूरा कर लेंगे। फिर इस तरह अधूरे काम को पूरा करने के लिए किसी प्रकार जल्दीबाजी की कोई आवश्यकता नहीं दिखाई देती है।

विशेष

  • भाषा में प्रवाह है।
  • शैली व्यंग्यपूर्ण है।
  • सामान्य शब्दावली है।

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