MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 14 प्रेरक प्रसंग
MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 14 प्रेरक प्रसंग
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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 14 प्रेरक प्रसंग
प्रश्न अभ्यास
अनुभव विस्तार
(क) सही जोड़ी बनाइए
प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
उत्तर
(अ) 4, (व) 3, (स) 1, (द) 2
(ख) सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(अ) अब्राहम लिंकन नाम का एक …………….. लड़का था। (अमीर, गरीब)
(ब) आधी रात तक लिंकन ……………… रहता। (पढ़ता-सोता)
(स) द्विवेदी जी ने …………….. में नौकरी की और तार बाबू बने। रिलवे, डाकघर)
(द) द्विवेदी जी ने नौकरी छोड़ दी और वे … …. पत्रिका का संपादन करने लगे। (लक्ष्मी, सरस्वती)
उत्तर
(अ) गरीब
(ब) पढ़ता
(स) रेलवे
(द) सरस्वती।
प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ)महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने किस पत्रिका का संपादन किया?
(ब) द्विवेदी जी ने किन-किन भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया?
(स) लिंकन गणित के सवाल किस पर हल करते थे?
(द) लिंकन ने सर्वोच्च पद किसके बल पर प्राप्त किया?
उत्तर
(अ) महावीर प्रसाद द्विवेदी ने ‘सरस्वती’ पत्रिका का संपादन किया।
(ब) द्विवेदी जी ने हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी और फारसी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया।
(स) लिंकन गणित के सवाल लकड़ी के लट्ठों पर हल करते थे।
(द) लिंकन ने सर्वोच्च पद अपनी लगन, परिश्रम और योग्यता के बल पर प्राप्त किया।
प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ)
द्विवेदी जी के प्रेरक प्रसंग पढ़कर आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर
द्विवेदी जी के प्रेरक प्रसंग पढ़कर हमें समय का सदुपयोग, घोर परिश्रम और ईमानदारी सहित ज्ञानवर्द्धन करने की प्रेरणा मिलती है।
(ब)
द्विवेदी सुबह के समय किसी से क्यों नहीं मिलते थे?
उत्तर
द्विवेदी सुबह के समय किसी से नहीं मिलते थे। यह इसलिए कि वे प्रातःकाल ‘सरस्वती’ पत्रिका का सम्पादन करते थे। पत्रिका के स्तर के अनुसार उस पर कड़ी मेहनत करते थे। यदि वे इस काम को एकाग्रतापूर्वक न करते तो वह श्रेष्ठ नहीं होती। दूसरी बात वे प्रातःकाल का समय मानसिक कामों के लिए अधिक उपयोगी समझते थे।
(स)
समय नियोजन को स्पष्ट करने वाली द्विवेदी जी के जीवन की घटना बताइए।
उत्तर
समय-नियोजन को स्पष्ट करने वाली द्विवेदी जी के जीवन की घटना है एक बार साहित्यकार श्री सद्गुरुशरण अवस्थी अपने मित्र के साथ द्विवेदी जी से मिलने गए। द्विवेदी जी उनसे प्रेम से मिले, किंतु समय की कमी के कारण पहले ही संकेत कर दिया-‘हम समझते हैं कि अपनी बात पन्द्रह मिनट में पूरी हो जाएगी। उन्होंने नपे-तुले शब्दों में बातचीत की। समय परा होने पर द्विवेदी जी ने पुनः स्नेह से पूछा-“और कोई विशेष बात तो नहीं रह गई।” अवस्थी जी ने उत्तर दिया ‘इतनी जल्दी वात पूरी होने की तो हमें आशा ही नहीं थी।’
(द)
अब्राहम लिंकन की दिनचर्या कैसी थी?
उत्तर
अब्राहम लिंकन की दिनचर्या इस प्रकार थी वह दिन-भर खेतों में गल्ला-उठाने-धरने का काम करता, दिन ढलने पर घर आता, भोजन करता और दिया जलाकर पढ़ने के लिए बैठ जाता। यह सिलसिला रोज चलने लगा। पढ़ने की लगन थी, आधी रात तक वह पढ़ता रहता पर उसे थकान न लगती।
(ई)
लिंकन ने किताब का दाम किस प्रकार चुकाया?
उत्तर
जिसकी किताव थी, उसके खेत में लिंकन ने चार दिनों तक कड़ी मेहनत की। इसके लिए उस तनख्वाह नहीं मिली। केवल भरपेट भोजन ही मिला।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिए
विद्वान, श्रेणी, कौटुम्बिक, सरस्वती, राष्ट्रभाषा, दुरावस्था, रायबरेली, प्रलोभन, प्रधान, ट्रैफिक, मैनेजर।।
उत्तर
विद्वान, श्रेणी, कौटुम्बिक, सरस्वती, राष्ट्रभाषा, दुरावस्था, रायबरेली, प्रलोभन, प्रधान, ट्रैफिक, मैनेजर।
प्रश्न 2.
सही जोड़ी बनाइए
उत्तर
(अ) , (ब) 4, (स) 2, (द) 1।
प्रश्न 3.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्दों को बहुवचन में लिखिए
उत्तर
प्रश्न 4.
दिए गए उदाहरण के अनुसार विलोम और समानार्थी शब्द लिखिए।
उत्तर
प्रश्न 5.
निम्नलिखित क्रियाओं के पूर्वकालिक क्रियारूप बनाइए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए
जाग, माँग, खेल, लौट, खा, नहा, घूम, उड़, उठा।
उत्तर
प्रश्न 6.
कठोर, निम्न, दीर्घ, कम, मधुर, शब्दों में ‘तर’ ‘तम’ प्रत्यय लगाकर उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के विशेषण बनाइए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर
प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ
1. पूर्व निर्धारित समय के बिना काम करने से एक कार्य दूसरे की सीमा में अकारण घुस जाता है और सारी व्यवस्था चौपट कर देता है। पूर्व निर्धारित समय में कार्य करने का संकल्प मनुष्य की शक्तिों में निखार लाता है। .
शब्दार्व
निर्धारित-निश्चित । पूर्व-पहले। चौपट-बर्बाद । संकल्प-प्रतिज्ञा।
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिन्दी सामान्य) के भाग-8 के पाठ-14 ‘प्रेरक-प्रसंग’ से ली गई हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के समय के सदुपयोग के विषय में यह बतलाने का प्रयास किया है कि
व्याख्या
एक समय महान् साहित्यकार श्री सद्गुरुशरण अवस्थी अपने किसी मित्र के साथ आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी से भेंट करने गए। प्रेमपूर्वक मिलने के बाद द्विवेदी जी ने कहा कि हमारी बात पन्द्रह मिनट में पूरी हो जाएगी। जब बात पूरी हो गई तो अवस्थी जी ने चकित होकर कहा कि इतनी जल्दी बात पूरी हो जाने की उन्हें आशा नहीं थी। द्विवेदी जी ने उन्हें समझाया कि पहले तय सीमा के अंदर काम पूरा हो जाता है। इससे दूसरे काम में कोई रुकावट नहीं होती है। इसके विपरीत पहले तय सीमा के बिना काम पूरा नहीं होता है और दूसरा काम भी रुक जाता है। इस प्रकार पहले निर्धारित समय के अंदर काम करने पर आदमी की शक्ति और क्षमता बढ़ती है।
विशेष
- समय के सदुपयोग का तरीका बताया गया है।
- भाषा-शैली रोचक है।