MP 8TH Hindi

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 21 मेरा गाँव मिल क्यों नहीं रहा?

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 21 मेरा गाँव मिल क्यों नहीं रहा?

In this article, we will share MP Board Class 8th Hindi Book Solutions Chapter 21 मेरा गाँव मिल क्यों नहीं रहा? Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books.

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 21 मेरा गाँव मिल क्यों नहीं रहा?

प्रश्न अभ्यास
अनुभव विस्तार

प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
वस्तुनिष्ठ प्रश्न


उत्तर
(अ) 2, (ब) 1, (स) 4, (द) 3

(ख) दिए गए विकल्पों से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(ऋण, चेहरा, दर्द, भूख, गोरस, आम, पानी, स्वप्न)
(अ) ये कौन लोग हैं जो बाँटे गए…………………से खेतों के लहलहाने का……………….देख रहे हैं?
(ब) अब तो नदी का ………………. उभरे हुए ………की तरह रेत बन चुका है।
(स) गाँव का …………. बजाय चीखते बच्चों के, होटल वालों की ……………बुझाने में लगा है।
(द) आम को देखकर…………आदमी के मुँह में……..तो नहीं आ रहा है।
उत्तर
(अ) ऋण, स्वप्न,
(ब) पानी, दर्द
(स) गोरस, भूख
(द) ‘आम’, पानी।

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
(अ) गाँव की गली के मोड़ पर कौन बाट जोह रहा है? (ब) पीली पत्तियों की तुलना किससे की गई है?
(स) “गाँव में जहाँ रथ-सी सजी गाड़ियाँ खड़ी रहती थीं’-वहाँ अब क्या खड़े नजर आते हैं?
(द) तेलघानी में तिल्ली या मूंगफली के स्थान पर अब क्या डाला जा रहा है?
(ई) लेखक क्या ढूँढ रहा है?
उत्तर
(अ) गाँव की गली के मोड़ पर खड़ा बूढ़ा नीम बाट जोह रहा है।
(ब) पीली पत्तियों की तुलना पगड़ी से की गई है।
(स) ‘गाँव में जहाँ रथ-सी सजी गाड़ियाँ खड़ी रहती थीं’ वहाँ अब ठलुओं के साथ ठेले खड़े नज़र आते हैं।
(द) तेलघानी में तिल्ली या मूंगफली के स्थान पर अब नोट डाला जा रहा है।
(ई) लेखक अपना गाँव ढूँढ़ रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.

(अ)
लेखक की बूढ़े बाबा से क्या बात होती थी?
उत्तर
लेखक की बूढ़े बाबा से यह बात होती है कि उसने उसे कैसे पहचाना।

(ब)
लेखक कुबेर-सा समृद्ध कब हो उठता था?
उत्तर
लेखक उस समय कुबेर-सा समृद्ध हो उठता था, जब बकरी के दूध से बनी चाय के साथ अपनी तार-तार पगड़ी के पेंच से बँधे दस पैसे निकाल दक्षिणा में देता था।

(स)
गाँव में अब नदी की क्या स्थिति हो गई है?
उत्तर
गाँव में अब नदी की स्थिति दर्द की तरह बन चुकी है।

(द)
गाँव की अमराई के स्वरूप में क्या परिवर्तन हुआ है? स्पष्ट करें।
उत्तर
गाँव की अमराई के स्वरूप में वड़ा दुखद परिवर्तन हो गया है। अब उन पर कायलें कूकती नहीं, कौए बैठकर इस बात की चौकसी करते हैं कि कहीं ‘आम को देखकर’ आम आदमी के मुँह में पानी तो नहीं आ रहा है।

(ई)
वर्तमान में गाँव का ठाठ उठ चुका है’ कैसे? पाइ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘वर्तमान में गाँव का ठाठ उठ चुका है बाजार की तरह। यह ठीक उसी प्रकार जैसे हुए बाजार का सन्नाटा छा जाता है। जहाँ नमकीन, सेव और गुड़ी पट्टी से चिपचिपाते कागज के जूठे पन्ने हवा में उड़ते-फिरते हैं। जहाँ पान की पीक और मूंगफली के छिलकों से वहाँ कभी आदमियों के होने का आभास होता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिए
चौपाल, चौसर, जन्मान्ध, पगथैलियों, खलिहान, अमराई, तेलघानी, समृद्ध, सर्वांगीण, अनुदान, क्वार्टर।।
उत्तर
चौपाल, चौसर, जन्मान्ध, पगथैलियों, खलिहान, अमराई, तेलघानी, समृद्ध, सर्वांगीण, अनुदान, क्वार्टर।।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
पड़ोसिन, कूम्हार, दक्षीणा, चौरहा, अवाज, तिली, मूंगफलि, दफतर, चिपचपाते।
उत्तर
पड़ोसिन, कुम्हार, दक्षिणा, चौराहा, आवाज, तिल्ली. मूंगफली, दफ्तर, चिपचिपाते।

प्रश्न 3.
नीचे लिखे शब्दों से विशेषण शब्द अलग करके, लिखिए
(अ) बूटा नीम
(ब) फटे जूते
(स) शरारती हवा
(द) पीली पत्तियाँ
(ई) ‘नालदार जूते
उत्तर
शब्द – विशेषण शब्द
(अ) बूढ़ा नीम – बूढ़ा
(ब) फटे जूते – फटे
(स) शरारती हवा – शरारती
(द) पीली पत्तियाँ – पीली
(ई) नालदार जूते – नालदार

प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
उत्तर
(अ) घर – सदन, आवास।
(ब) धरती – धरा, अवनि।
(स) धन – सम्पदा, अर्थ।
(द) नदी – सरिता, निर्झरणी।

प्रश्न 5.
उदाहरण के अनुसार नीचे दिए गए क्रिया शब्दों को प्रेरणार्थक क्रिया में बदलिए
उत्तर

गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. लगता है, उठे हुए बाजार की तरह मेरे गाँव का ठाठ उठ चुका है। कभी देखा है उठे हुए बाजार का सन्नाटा, जहाँ नमकीन, सेंव और गुड़ी पट्टी से चिपचिपाते कागज के जूठे पन्ने हवा में उड़ते फिरते हैं। जहाँ पान की पीक तथा मूंगफली के छिलकों से, वहाँ कभी आदमियों के होने का आभास होता है।

शब्दार्थ
ठाठ-सौन्दर्य । सन्नाटा-चुप्पी, शान्ति।पीक-थूक। आभास-भ्रम, अनुमान।

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-8 के पाठ 21 ‘मेरा गाँव मिल क्यों नहीं रहा?’ से ली गई हैं। इनके लेखक श्री रामनारायण उपाध्याय है।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने बदलते यांत्रिक परिवेश में गाँव की दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा कि

व्याख्या
आज गाँव की दशा को देखकर ऐसा लगता है कि आज गाँव का सब कुछ उजड़ चुका है। लुट चुका है। इस तरह गाँव की दशा आज ठीक वैसी ही दिखाई दे रही है, जैसे उठे हुए बाजार की रूप-दशा। इसी तरह आज गाँव की शान, और सुन्दरता उतर चुका है। जिस प्रकार उठे हुए बाजार में सन्नाटा छा जाता है। वहाँ केवल नमकीन, सेव, गुड़ी पट्टी से चिपचिपाते कागज के जूठे पन्ने-पत्ते हवा के झोंके से कभी इधर कभी उधर मँडराते रहते हैं। पान की पीक और मूंगफली के छिलकों से वहाँ पर किसी-न-किसी आदमी के होने का भ्रम होता है। ठीक इसी प्रकार आज के इस यंत्र युग के अभाव से गाँवों की दशा हो गई।

विशेष

  • भाषा सरल है।
  • गाँव की दुखद दशा का उल्लेख है।

The Complete Educational Website

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *