MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 वसीयतनामे का रहस्य
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 वसीयतनामे का रहस्य
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 वसीयतनामे का रहस्य
वसीयतनामे का रहस्य बोध प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए
उत्तर
दूरदर्शी-दूर तक की बात सोचने वाला; न्यायप्रियन्याय (इन्साफ) चाहने वाला; निष्पक्ष = बिना भेदभाव के; विवाद – झगड़ा; जटिल = कठिन; जायदाद = सम्पत्ति; वसीयत = वसीयत सम्बन्धी लिखित आदेश।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) वसीयतनामे का अर्थ समझाइए।
उत्तर
सम्पत्ति के बँटवारे का लिखित आदेश वसीयतनामा कहा जाता है।
(ख) गाँव का वयोवृद्ध व्यक्ति किस विशिष्ट कार्य के लिए प्रसिद्ध था ?
उत्तर
गाँव का वयोवृद्ध व्यक्ति अपनी बुद्धिमानी, दूरदर्शिता व न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था। वह झगड़ों और विवादों का निपटारा निष्पक्षता से करता था। वह एक न्यायप्रिय पंच के रूप में चारों ओर प्रसिद्ध था।
(ग) वसीयतनामे में जायदाद कितने पुत्रों को बाँटने का संकेत था?
उत्तर
वसीयतनामे में जायदाद के तीने हिस्से करके उसे तीन भाइयों (पुत्रों) में बाँट दिया जाय, परन्तु उस वसीयतनामे में यह नहीं लिखा था कि किस भाई को (पुत्र को) हिस्सा न दिया जाए।
(घ) बँटवारे का अन्तिम निर्णय किसने किया ?
उत्तर
बँटवारे का अन्तिम निर्णय महाराजा ने किया।
(ङ) राजा के प्रथम दो महलों में जो दो लोग मिले, वे कौन थे?
उत्तर
राजा के प्रथम दो महलों में जो दो लोग मिले, उनमें क्रमश: सत्रह-अठारह वर्ष का एक युवक और उन्नीस-बीस वर्षीय अद्वितीय सुन्दर कन्या थी।
(च) पंचों को किस बात की शंका थी?
उत्तर
पंचों को इस बात की शंका थी कि वृद्ध किसान के तीन बेटे असली है व एक बेटा उसका नहीं है। तभी तो उसने अपनी जायदाद के तीन हिस्से करने की बात वसीयत में लिखी है।
(छ) वसीयतनामे में क्या लिखा था ?
उत्तर
वसीयतनामे में दो बातें लिखी हुई थीं। पहली सम्पूर्ण जायदाद के तीन हिस्से कर उसे तीन भाइयों में बाँट दिया जाए, लेकिन यह नहीं लिखा था कि किस भाई को हिस्सा न दिया जाए। दूसरी-जो पंच इस बात का फैसला करे उसके साथ बेटी का विवाह कर दिया जाए।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए(क) झगड़े का कारण क्या था?
उत्तर
चारों भाई जायदाद के बँटवारे को लेकर आपस में झगड़ने लगे। जायदाद के तीन हिस्से थे और हिस्सेदार थे चार। तीन हिस्से को चार भाइयों में किस प्रकार विभाजित किया जाए। उन चार भाइयों में से कोई एक भाई अपना हिस्सा छोड़ देता तो न्याय हो जाता परन्तु कोई भी अपना हक छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। बुद्धिमान पिता ने इस तरह की वसीयत क्यों लिखी ? इसमें कोई न कोई रहस्य अवश्य होगा।
(ख) गाँव वालों को वसीयत के बारे में जानकर आश्चर्य क्यों हुआ?
उत्तर
गाँव वालों को जब वसीयतनामे के बारे में जानकारी हुई तो उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि वसीयतनामे में जायदाद का बँटवारा तीन हिस्सों में किया था जबकि उस वृद्ध किसान के चार पुत्र थे। जायदाद का बँटवारा तो चारों पुत्रों में बराबर ही होना चाहिए था। गाँव वाले लोग सोचने लगे कि इतने बुद्धिमान व्यक्ति ने इस तरह की वसीयत क्यों लिखी अवश्य ही इसमें कोई रहस्य की बात होगी। अत: गाँववासियों ने विवाद को बहुत ही कठिन समझा। इसलिए उन्होंने उन चार भाइयों को वसीयतनामे के रहस्य को समझने के लिए गाँव में पंचायत बुलाने की सलाह दी।
(ग) गाँव के वृद्ध व्यक्ति ने राजा से कौन-सी दो बातें पूछीं?
उत्तर
गाँव के वृद्ध व्यक्ति ने राजा से दो बातें बड़ी विनम्रता से पूर्थी
- पहली बात यह कि अब वे महल के पास से गुजर रहे थे तो उन्हें एक युवक मिला था। उस युवक से जब आपके (राजा के) बारे में पूछा तो उस युवक ने उन्हें बताया (गाँव के वृद्ध व्यक्ति को बताया) कि राजा को मरे हुए तीन साल हो गए हैं।
- दूसरी बात यह कि जब वे दूसरे महल के पास से गुजर रहे थे तो वहाँ उन्हें एक रूपवती कन्या मिली। उसने उन्हें (गाँव के वृद्ध व्यक्ति को) बताया कि आप (राजा) अन्धे हो गए हैं। उपर्युक्त दोनों की बातों का क्या रहस्य है ?
(घ) राजा ने तीनों भाइयों को अलग-अलग ले जाकर क्या कहा ?
उत्तर
राजा तीनों भाइयों को अलग-अलग ले गये और हर एक को अपनी तलवार देकर कहा कि वह शेष तीनों की हत्या उसकी तलवार से कर सकता है परन्तु इन तीनों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया। वे अपने-अपने हिस्से की जायदाद छोड़ने के लिए तैयार हो गये।
(ङ) क्या तीनों भाई राजा के प्रस्ताव से सहमत थे?
उसर
तीनों भाई राजा के प्रस्ताव से सहमत नहीं थे। वे जमीन जायदाद के लालच में अपने भाइयों की हत्या करना नहीं चाहते थे। वे अपने इस फैसले पर अडिग थे। वे सभी अपने हिस्से की जायदाद को अपने अन्य भाइयों के लिए छोड़ने के लिए तैयार थे। उनके अन्दर त्याग की भावना उच्च स्तर की थी और वे अपने भाइयों को आपस में फलता-फूलता देखना चाहते थे।
(च) चौथा भाई राजा के द्वारा दिए गए प्रस्ताव से क्या सोचकर सहमत हो गया ?
उत्तर
महाराजा चौथे भाई को किसी एकान्त कमरे में ले गए। राजा ने उसे अपनी तलवार दे दी और सलाह दी कि वह अपने शेष तीन भाइयों को उनकी तलवार से कत्ल कर दे। वह चौथा भाई अपने तीन भाइयों को कत्ल करने के लिए तैयार हो गया क्योंकि उसने सोच लिया था ऐसा अवसर, जो उसे हाथ लगा है कि उसके लिए बहुत ही शुभ है। वह शीघ्र ही धनवान हो जायेगा। अपने भाइयों का कत्ल करके उसे पूरी जायदाद मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त उसका विवाह भी महाराजा की सुन्दर बहन से हो जाएगा। इस तरह के विचारों को सोचकर चौथा भाई राजा के द्वारा दिए गए प्रस्ताव से सहमत हो गया।
(छ) राजा ने समस्या का निदान कैसे किया ?
उत्तर
धनवान होने तथा महाराजा की सुन्दर बहन के साथ विवाह होने के रंगीन सपने देखते हुए उस चौथे भाई को महाराजा | ने जेल में डाल दिया। महाराजा बाहर निकलकर आए। उन्होंने उनके साथियों को पूरी बात बतलाई तथा उन्हें समझा दिया। सभी लोग इस निर्णय से बहुत ही प्रसन्न थे । वे सभी सोचने लगे कि छोटा भाई अपने पिता को इसी तरह कष्ट देता होगा। इसलिए ही उन्होंने (उनके पिता ने) अपनी जायदाद के तीन हिस्से किए थे। तीन भाइयों ने अपने-अपने हिस्से की जायदाद प्राप्त कर ली और समस्या का निदान बड़ी चतुराई से कर दिया।
प्रश्न 4.
सही विकल्प चिह्नित कीजिएवसीयतनामे के विषय में जानकर पंचों को शक था
(1) वसीयतकर्ता मूर्ख था
(2) भूल से उससे गलती हो गई
(3) तीन बेटे असली हैं और एक बेटा उसका नहीं है।
उत्तर
(3) तीन बेटे असली हैं और एक बेटा उसका नहीं है।
वसीयतनामे का रहस्य भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
जायदाद विदेशी शब्द है, इसके स्थान पर मानक हिन्दी शब्द सम्पत्ति होता है। इसी प्रकार इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों के मानक हिन्दी शब्द लिखिए
वसीयतनामे, हिस्सा, हिस्सेदार, हक, राहगीर, शानदार, फैसला, मामला, गुजर, राज, होशियार।
उत्तर
वसीयतनामे सम्पत्ति का लिखित आदेश; हिस्सा भाग; हिस्सेदार = भागीदार; हक अधिकार; राहगीर = पथिक शानदार = चमकीला, तेज; फैसला = न्याय; मामला = विषय; गुजर = व्यतीत राजरहस्य होशियार = चतुर, सावधान।
प्रश्न 2.
इस पाठ में आने वाले विभिन्न कारकों के उदाहरण छाँटकर लिखिए।
उत्तर
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में से साधारण वाक्य, मिश्रित वाक्य और संयुक्त वाक्य अलग करके लिखिए
(क) एक गाँव में एक किसान रहता था।
(ख) जायदाद के तीन हिस्से थे और चार हिस्सेदार थे।
(ग) यदि एक भाई अपना हिस्सा छोड़ देता तो न्याय हो जाता।
(घ) वे सोचने लगे कि इतने बुद्धिमान व्यक्ति ने ऐसी वसीयत क्यों लिखी?
(ङ) एक दिन पंचायत लगी थी।
(च) महाराजा हंसते हुए बोला और उठकर खड़ा हो गया।
उत्तर
(क) साधारण वाक्य
(ख) संयुक्त वाक्य
(ग) मिश्रित वाक्य
(घ) मिश्रित वाक्य
(ङ) साधारण वाक्य
(च) संयुक्त वाक्य।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द,शब्द युग्म हैं या पुनरुक्त ? उनके सामने लिखिए
(क) दूर-दूर, (ख) तरह-तरह, (ग) राम-राम, (घ) सत्रह-अठारह, (ङ) युवक-युवती, (च) उन्नीस-बीस, (छ) अपना-अपना, (ज) एक-दो।
उत्तर
(क) पुनरुक्त
(ख) पुनरुक्त
(ग) पुनरुक्त
(घ) शब्द युग्म
(ङ) शब्द युग्म
(च) शब्द युग्म
(छ) पुनरुक्त
(ज) शब्द युग्म।
प्रश्न 5.
पाठ में दिए गए प्रसंग के अनुसार सही जोड़े (विशेषण-विशेष्य) बनाइए।
वर्ग (क) – वर्ग (ख)
(1) दूसरा – (अ) मामला
(2) अद्वितीय – (ब) स्वर
(3) शान्त – (स) महल
(4) पूरा – (द) कन्या
(5) रंगीन – (य) सुन्दरी
(6) रूपवती – (२) सपने
उत्तर-(1)→ (स), (2) → (य), (3) + (ब), (4)+ (अ),(5)+ (र),(6)→(द)
प्रश्न 6.
उदाहरण की तरह शब्दों के रूप परिवर्तित कीजिए
उदाहरण-दुकान-दुकानें, कपड़ा-कपड़े। बहन, भाई, युवक, युवती, महल, सपना, मामला, राहगीर।
उत्तर
- बहनें
- भाइयों
- युवकों
- युवतियाँ
- महलों
- सपने
- मामलों
- राहगीरों।
प्रश्न 7.
शिक्षक की सहयता से इस पाठ के कुछ महत्त्वपूर्ण वाक्यों को अनुतान के साथ (भिन्न-भिन्न ढंग से)
पढ़िए और उनके बोलने से होने वाले अर्थ परिवर्तन को समझिए।
उत्तर
विद्यार्थी आदरणीय गुरुजी की मदद से स्वयं अभ्यास करें।
वसीयतनामे का रहस्य परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या
(1) एक दिन पंचायत लगी हुई थी। तभी वहाँ से एक राहगीर निकला। उसने पंचों से राम-राम की और बैठ गया। पंचों ने राहगीर को पूरा मामला समझाया और सहायता करने को कहा। राहगीर को भी आश्चर्य हुआ। उसने पंचों को समझाया कि मामला इतना जटिल है कि इसका फैसला केवल महाराजा ही कर सकता है। उसने उन्हें महाराजा का पता भी बता दिया।
शब्दार्थ-पंचायत लगी हुई थी = पंचायत जुड़ी हुई थी; तभी = उसी समय; राहगीर = पथिक; राम = राम की = अभिवादन किया; आश्चर्य = अचम्भा; मामला = समस्या; जटिल = कठिन, उलझी हुई; फैसला = न्याय।
सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘वसीयतनामे का रहस्य से अवतरित है। इसके लेखक डॉ. परशुराम शुक्ल हैं।
प्रसंग-इस गद्यांश में पिता द्वारा की गई वसीयतनामे की कठिन समस्या के विषय में एक राहगीर के द्वारा उपाय बताया गया है।
व्याख्या-वसीयतनामे के रहस्य को (छिपी बात को) समझने के लिए एक दिन पंचायत बुलाई गई थी। पंचायत में सभी पंच उस वसीयतनामे की भाषा के अर्थ को समझ कर निर्णय करने का उपाय कर रहे थे परन्तु उन पंचों की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। उसी समय वहाँ से एक पथिक अपने मार्ग से चला जा रहा था। उसने समस्या को सुलझाने के लिए जुटी पंचायत के सदस्यों को राम-राम कहकर अभिवादन किया और इसके बाद वहाँ चुपचाप बैठ गया। पंचायत के सदस्यों ने उस राहगीर को समस्या के विषय में समझाया तथा उससे प्रार्थना की कि वह भी उनकी (पंचायत के सदस्यों की) सहायता करे जिससे वसीयतनामे में लिखी भाषा के अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट समझा जा सके और सम्पत्ति का बँटवारा उसके अनुसार किया जा सके।
जब पथिक को भी वसीयतनामे में लिखी भाषा का अर्थ समझाने के लिए सभी पंचों ने कहा तो वह भी अचम्भे में पड़ गया। उसने कोशिश की परन्तु वह भी वसीयतनामे में लिखित भाषा के अर्थ को नहीं समझ पाया, इसलिए उस पथिक ने अपना मत स्पष्ट करते हुए कहा कि इसका फैसला (न्याय) तो महाराजा ही कर सकते हैं, कोई साधारण आदमी नहीं। उस पथिक ने उन पंचों को महाराजा का पता भी बता दिया कि वे महाराजा के पास उस पते पर मिल सकते हैं।
(2) महाराजा बड़े निर्भीक, साहसी और निडर थे। उन्होंने अपनी रक्षा के लिए एक भी सैनिक नहीं रखा था। वह हमेशा प्रजा के सुख और आराम के लिए ही कार्य करते थे। उनके पास दूर-दूर से एक से एक जटिल मामले आते जिन्हें वह कुछ ही पलों में इस बुद्धिमानी से हल – कर लेते कि लोग देखते रह जाते।
शब्दार्थ-निर्भीक = निडर, भय रहित; साहसी = हिम्मत वाले; सैनिक = सेना का जवान; प्रजा = अपने राज्य के लोगों के लिए: जटिल-कठिन, उलझी हुई; मामले समस्याएँ कुछ ही पलों में = कुछ ही क्षणों में बुद्धिमानी- समझदारी; हल कर लेते = सुलझा लेते; देखते रह जाते = अचम्भे में रह जाते थे, चकित रह जाते।
सन्दर्भ-पूर्व की तरह।
प्रसंग-महाराजा की बुद्धिमानी के विषय में बताया जा
व्याख्या-राहगीर पंचायत के सदस्यों को बताने लगा कि महाराजा बहुत ही निडर हैं। उनमें किसी भी समस्या का सामना करने की बड़ी हिम्मत है। वे किसी से भी नहीं डरते थे। वे अपनी सुरक्षा के लिए भी चिन्ता नहीं करते थे, अत: उन्होंने कोई भी सैनिक (सेना का सिपाही) अपनी रक्षा करने के लिए नियुक्त नहीं किया था। वे सदैव अपने राज्य की जनता के सुख की चिन्ता। करते थे। प्रजा के आराम के लिए ही कार्य करते थे। वे सदा उन लोगों से घिरे रहते थे जो अपनी कठिन समस्याओं को लेकर उनको सुलझाने के लिए उनके पास आते थे। उन लोगों की उन समस्याओं को बहुत कम समय में ही सुलझा देते थे। वे बहुत ही चतुर थे। उनके समस्याओं को सुलझाने के तरीके को देखकर सभी लोग अचम्भे में पड़ जाते।