MP 8 Sanskrit

MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना

MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना

MP Board Class 8th Sanskrit अनुवाद-रचना

एक भाषा को दूसरी भाषा में बदलने का नाम अनुवाद है। संस्कृत में शब्दों के रखने का कोई क्रम नहीं है। वाक्य का कोई भी शब्द कहीं भी रखा जा सकता है; जैसे

रामः विद्यालयं गच्छति।
या
विद्यालयं रामः गच्छति। इत्यादि

अनुवाद करने के लिए हमें विभक्ति, कारक, वचन, पुरुष, लिंग, शब्द रूप, धातु रूप का ज्ञान होना आवश्यक है। नीचे सरलता के लिए कारक और उनके चिह्न दिये जा रहे हैं-

 

पुरुष

कहने वाले, सुनने वाले या जिसके विषय में बात की जाती है, उस संज्ञा या सर्वनाम को पुरुष कहते हैं। पुरुष तीन प्रकार के होते हैं-
(क) अन्य पुरुष या प्रथम पुरुष-जिसके विषय में बात की जाये उसे अन्य पुरुष कहते हैं। जैसे-रामः, सः, सा, तत्, किम्, बालक, बालिका इत्यादि।
(ख) मध्यम पुरुष-जिससे प्रत्यक्ष बात की जाती है उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे-त्वम् (तुम्), युवाम् (तुम दोनों), यूयम् (तुम सब)।
(ग) उत्तम पुरुष-जो बात को कहता है उसके लिए उत्तम पुरुष का प्रयोग होता है। जैसे-अहम् (मैं), आवाम् (हम दोनों), वयम् (हम सब)।

लिङ्ग

संस्कृत में लिंग के तीन प्रकार होते हैं-
(क) पुल्लिग-रामः, बालकः, हरिः, गुरुः, सः इत्यादि।
(ख) स्त्रीलिंग-सीता, बालिका, सा, माला, रमा इत्यादि।
(ग) नपुंसकलिंग-फलम्, पुस्तकम्, वस्त्रम्, जलम्, मित्रम् इत्यादि।

वचन

प्रत्येक विभक्ति में तीन वचन होते हैं
(क) एकवचन :
एक व्यक्ति या वस्तु के लिए एक वचन का प्रयोग होता है; जैसे बालकः (एक बालक), रामः (राम), बालिका (एक लड़की) इत्यादि।
(ख) द्विवचन :
दो व्यक्ति या वस्तुओं के लिए द्विवचन का प्रयोग होता है; जैसे बालकौ (दो बालक), बालिके (दो लड़कियाँ), पुस्तके (दो पुस्तकें) इत्यादि।
(ग) बहुवचन :
तीन या तीन से अधिक व्यक्ति या वस्तुओं के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है; जैसे-बालका (बहुत से बच्चे), बालिकाः (लड़कियाँ), पुस्तकानि (पुस्तकें) इत्यादि।

अभ्यास 1.
लट्लकार (वर्तमानकाल)

अभ्यास 2.
लट्लकार (वर्तमान काल)

अभ्यास 3.
लङ्लकार (भूतकाल)

अभ्यासः 4.
लट्लकार (भविष्यकाल)

अभ्यास 5.
लोट्लकार (आज्ञार्थ)

अभ्यास 6.
विधिलिङ्ग लकार (चाहिए अर्थ में)

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