MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए
MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए
MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए – महात्मा गाँधी
1. “काम की अधिकता से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए और न ही यह सोचना चाहिए कि वह कैसे होगा और पहले क्या करूँ?
शांत चित्त से विचारपूर्वक तुमने यदि सभी सद्गुणों को प्राप्त करने की चेष्टा की, तो तुम्हारे लिए ये बहुत उपयोगी और मूल्यवान प्रमाणित होंगे।”
शब्दार्थ:
चित्त = मन, सद्गुणों = अच्छे गुणों, चेष्टा = प्रयास।।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ नामक पाठ से उद्धृत किया गया है, जिसके लेखक महात्मा गाँधी हैं।
प्रसंग:
महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र को काम में प्रवृत्त रहने और सद्गुणों को अपनाने का उपदेश दिया है।
व्याख्या:
महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र को पत्र लिखकर समझाया है कि व्यक्ति को काम के अधिक होने से घबराना नहीं चाहिए। काम के संबंध में यह भी नहीं सोचना चाहिए कि वह कैसे पूर्ण होगा।
अनेक काम होने . पर पहले एवं बादं का निर्धारण भी नहीं करना चाहिए। काम करने के लिए आल्मबल बनाए रखने की आवश्यकता होती है। मनुष्य के जीवन में उच्च मूल्य कीमती होते हैं। अतः हमेशा अच्छे गुणों को अपनाने की दिशा में प्रवृत्त होना चाहिए। सद्गुण हमेशा उपयोगी एवं मूल्यवान साबित होते हैं।
विशेष:
- सूक्ति शैली में उपदेश दिया गया है।
- भाषा सहज-सरल एवं आत्मीयतापरक है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘बा’ का स्वास्थ्य सुधरने की जानकारी बापू को किसके द्वारा मिली?
उत्तर:
डिप्टी गवर्नर से।
प्रश्न 2.
बापू जी प्रातःकालीन स्वल्पाहार में किन पदार्थों को ग्रहण करने की सलाह देते थे?
उत्तर:
दूध और साबूदाना।
प्रश्न 3.
गाँधी जी ने अक्षर ज्ञान में किन विषयों पर बल दिया है? और क्यों?
उत्तर:
गणित और संस्कृत कठिन विषय होते हैं, अतः इन्हें सिखाने पर बल दिया है।
प्रश्न 4.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से व्यय के संबंध में कौन-सी सावधानी रखने को कहा है?
उत्तर:
एक-एक पैसे का हिसाब रखने को कहा है।
प्रश्न 5.
गाँधी जी के अनुसार ईश प्रार्थना करने का सबसे उपयुक्त समय क्या है?
उत्तर:
सूर्योदय से पहले उठकर ईश प्रार्थना करना सबसे उपयुक्त है। वह इसलिए क्योंकि सुबह प्रार्थना करने से मन स्थिर एवं प्रसन्न रहता है तथा सुबह की हवा स्फूर्तिदायक होती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गाँधी जी का शिक्षा के प्रति क्या दृष्टिकोण था? (म. प्र. 2009, 16, 18)
उत्तर:
गाँधी जी के अनुसार शिक्षा वह है जो मनुष्य में चरित्र निर्माण एवं कर्तव्य भावना का विकास करे। गाँधी जी अक्षर ज्ञान को सच्ची शिक्षा नहीं मानते थे।
प्रश्न 2.
माँ की सेवा के माध्यम से अपने पुत्र को गांधी जी क्या संदेश देना चाहते थे?
उत्तर:
गाँधी जी माँ और भारत माता में कोई भेद नहीं मानते थे। अपने पुत्र को वे कहते थे कि तुम भारत माता की सेवा करो माँ की स्वयमेव सेवा हो जाएगी।
माँ की सेवा करना ही उनकी दृष्टि में सच्ची शिक्षा है।
प्रश्न 3.
गाँधी जी का ‘आधी शिक्षा से क्या अभिप्राय था? (म. प्र. 2015)
उत्तर:
गाँधी जी अक्षर ज्ञान को आधी शिक्षा मानते थे। पूर्ण शिक्षा मनुष्य में चारित्रिक सद्गुणों एवं कर्तव्य बोध की भावना का विकास करती है। भारतमाता एवं असहायों की सेवा से बड़ी दूसरी कोई शिक्षा नहीं हो सकती।
प्रश्न 4.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से अच्छा किसान बनने की अपेक्षा क्यों की?
उत्तर:
गाँधी जी चाहते थे उनका पुत्र अच्छा किसान हो। वे स्वयं और देश का भविष्य खेती-किसानी में देखते थे। गाँधी जी का मानना था कि खेती से बेहतर जीवन-निर्वाह हो सकता है।
प्रश्न 5.
समय की पाबंदी के संबंध में गाँधी जी का क्या मत था? स्पष्ट कीजिए। (म. प्र. 2013, 17)
उत्तर:
समय की पाबंदी से व्यक्ति जीवन में विकास कर सकता है। वक्त की पाबंदी जीवन में आगे चलकर बड़ी सहायक सिद्ध होती है। वे अपने पुत्र से भी समय की पाबंदी की अपेक्षा करते थे।
प्रश्न 6.
गाँधी जी ने जेल जीवन में अध्ययन के द्वारा शिक्षा के संबंध में क्या निष्कर्ष निकाला? (म. प्र. 2013)
उत्तर:
गाँधी जी ने जेल जीवन में अध्ययन के द्वारा शिक्षा के संबंध में निष्कर्ष निकाला कि अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं। सच्ची शिक्षा तो चरित्र निर्माण द्वारा कर्त्तव्य का बोध है। अर्थात् शिक्षा द्वारा चरित्र को उज्ज्वल रूप प्रदान करना ही शिक्षा का दायित्व है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य का भाव पल्लवन कीजिए – (म. प्र. 2016)
“अमीरी की तुलना में गरीबी अधिक सुखद है।”
उत्तर:
अमीरी की तुलना में गरीबी व्यक्ति को अधिक सुख देती है। अमीरी में व्यक्ति छोटों के दुःख दर्द को कुछ समय के लिए भूल जाता है एवं झूठे प्रदर्शन की भावना के साथ-साथ अभिमान की भावना घर कर जाती है।
समाज के लोगों से उसका व्यवहार कट जाता है। अमीर व्यक्ति के मन में ईर्ष्या-द्वेष की भावना उत्पन्न हो जाती है। व्यक्ति अधिक-से-अधिक कमाने के चक्कर में सदैव असंतुष्ट रहता है। गरीबी में व्यक्ति संतोष प्राप्त करता है। उसकी आवश्यकताएँ सीमित रहती हैं। वह सुख-शान्ति का अनुभव करता है। उसे धन की रक्षा की चिन्ता नहीं रहती।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए – (महत्वपूर्ण)
- पत्र में …………. की बीमारी का उल्लेख किया गया है।
- गाँधी जी अपने पुत्र को एक योग्य ………….. बनाना चाहते थे।
- बा के स्वास्थ्य सुधरने की जानकारी ………………….. से हई।
- ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ के लेखक …………. हैं।
- जो ………… इतिहास बन गये हैं। (पत्र / संस्मरण) (म. प्र. 2011)
उत्तर:
- बा
- किसान
- डिप्टी गवर्नर
- महात्मा गाँधी
- पत्र।
प्रश्न 2.
सत्य / असत्य कथन पहचानिए –
- गाँधी जी अक्षर ज्ञान को ही शिक्षा समझते थे। (म. प्र. 2009, 11, 14)
- गाँधी जी ने पत्र पुत्र के नाम लिखा।
- जीवन की सार्थकता लेने के भाव में हैं।
उत्तर:
- असत्य
- सत्य
- असत्य।
प्रश्न 3.
‘अमीरी की तुलना में गरीबी अधिक सुखद है।’ यह कथन किसका है?
उत्तर:
महात्मा गाँधी।
