MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 7 बल-बहादुरी
MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 7 बल-बहादुरी
MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 7 बल-बहादुरी
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए –
1. “बल के साथ बुद्धि का एकत्र संयोग सौभाग्य का पुनीत वरदान है। जिस मनुष्य जाति या राष्ट्र को महामाया का यह वरदान प्राप्त है, सफलता उसके सामने हाथ बाँधे खड़ी रहने में अपने जीवन को चरितार्थता मानती है और विजय उसकी आँख के सूक्ष्म संकेत पर नाचने में अपना गौरव अनुभव करती है।” (म. प्र. 2011)
शब्दार्थ:
एकत्र = एक जगह, सूक्ष्म = छोटा, पुनीत = पवित्र।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश ‘बल-बहादुरी’ से उद्धृत किया जाता है जिसके लेखक कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी हैं।
प्रसंग:
लेखक ने बल के साथ बुद्धि के प्रयोग की बात कही है।
व्याख्या:
प्रस्तुत गद्यांश में बुद्धि का संबंध बल के साथ हो तब सोने में सुहागा। यह संयोग ही उसे विकास की भूमि में लाकर खड़ा कर देती है तथा अच्छे एवं बुरे की पहचान करने में सक्षम होता है।
बुद्धि द्वारा जो भी निर्णय लिये जाते हैं वह उसे अच्छे कार्यों के लिये प्रेरित करते हैं। साथ ही बल का दुरुपयोग नहीं होता है जब मनुष्य बल के द्वारा भ्रमित होने लगता है तब बुद्धि उसे मर्यादित करती है साथ ही सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
साथ ही सफलता पलक झपकते ही उसके सामने नाचती है।
विशेष:
लेखक ने बुद्धि एवं बल को एक साथ करके कार्य करने पर साथ गुंजाइश से नहीं नकारा है।
2. “पश्चिम शरीर बल का उपासक है और भारत आत्मबल का। अपने-अपने क्षेत्र और समय में दोनों ही खूब फले-फूले और विकास की चरम सीमा तक पहुँचे।
प्राचीनतम अतीत के अनंतर भी बुद्ध के रूप में भारत ने बार-बार फिर अपने पक्ष की उज्ज्वलता घोषित की, पर अभी विश्व के विशाल प्रांगण में उसके पक्ष की सर्वोत्कृष्टता प्रमाणित होनी अवशिष्ट थी कि प्रकृति में गांधी की महासृष्टि की, जो युद्ध की पाशविकता की अहिंसा के साथ सफलतापूर्वक जोड़ एक सांस्कृतिक अनुष्ठान का रूप दे सका और यों भारतीय संस्कृति की इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने में सफल हुआ”।
शब्दार्थ उपासक = आराधना करने वाला, आत्मबल = मन की शक्ति, चरम सीमा = ऊँचाई. अतीत = बीता हुआ कल, अनंतर = तुरंत बाद, उज्ज्वलता = चमक, अवशिष्ट = बाकी, पाशविकता = पशु प्रवृत्ति।
संदर्भ:
पूर्ववत्।
प्रसंग:
भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण को लेखक ने प्रकट किया है।
व्याख्या:
लेखक के अनुसार पश्चिमी देश शक्ति व ताकत को महत्व देते हैं। भारत आत्मा की शक्ति पर विश्वास करता है। वह अहिंसा की राह अपनाता है। दोनों ही तरह की विचारधारा का अपने-अपने समय और क्षेत्र में महत्व रहा।
प्राचीनतम भारत एवं गौतम बुद्ध ने आत्मा की शक्ति की महत्ता जब-तब प्रतिपादित की। भारत में तो लोगों ने मान लिया कि आत्मा की शक्ति बड़ी शक्ति है किन्तु सम्पूर्ण विश्व ने अभी इसे नहीं माना है।
महात्मा गांधी ने आत्मा की शक्ति की महत्ता सिद्ध की। पशुता के तिरोहण एवं अहिंसा को अपनाने के लिए गांधी जी ने सांस्कृतिक आन्दोलन ही छेड़ दिया। गांधी जी की इस विचारधारा के कारण भारतीय संस्कृति का मान और बढ़ा।
विशेष:
- आत्मबल की महत्ता प्रतिपादित की गई है।
- भाषा संस्कृतनिष्ठ एवं विवरणात्मक है।
- सूक्तिपरक शैली है।
3. “रावण भी बली था और राम भी, कृष्ण में भी बल का अधिष्ठान था और कंस में भी पर एक की आज जयन्ती मनाई जाती है और दूसरे का स्मरण हमारे हृदयों में घृणा के उद्रेक का कारण होता है।” (म. प्र. 2010)
संदर्भ:
पूर्ववत्।
प्रसंग:
इस गद्यांश में लेखक बल के सदुपयोग और दुरुपयोग में अंतर स्पष्ट कर रहा है।
व्याख्या:
लेखक कहता है कि रावण भी शक्तिशाली था और राम भी शक्तिशाली थे।
इसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण भी शक्ति के वासस्थान थे और कंस भी बलशाली था। जब ये चारों बलशाली और शक्तिशाली थे तो भी इनमें से एक का जन्म दिन बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है जबकि दूसरे की याद आते ही हमारे हृदयों में घृणा की वृद्धि होती है।
इसका कारण है एक ने अपनी शक्ति का उपयोग जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए किया था। उसने अन्याय, अत्याचारी, दुराचारी, राक्षस प्रवृत्ति के लोगों के चंगुल में फँसी जनता को मुक्ति दिलाने के लिए उनका संहार किया था। दूसरे शक्तिशाली ने जनता के अधिकारों का बलपूर्वक हनन किया।
उनके अधिकारों को छीना था और जनता को सताया था। एक ने शक्ति का मार्ग दिखाने का कार्य प्रेम में किया।
विशेष:
- लेखक ने शक्ति (बल) के सदुपयोग और दुरुपयोग का अंतर उदाहरण देकर किया है।
- भाषा तत्सम शब्दावली प्रधान है।
- प्रत्येक वाक्य नपा-तुला सूक्तिात्मक है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बल और सहृदयता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
बल में पुरुषत्व और सहृदयता में देवत्व का निवास होता है।
प्रश्न 2.
मानवता के विकास की पुण्यभूमि किसे कहा गया है?
उत्तर:
अभय और शांति का सुन्दर सम्मेलन ही मानवता के विकास की पुण्यभूमि है।
प्रश्न 3.
बल का उपयोग विवेक के साथ क्यों करना चाहिए? (म. प्र. 2015)
उत्तर:
बल के साथ विवेक का साहचर्य उसे स्वर्ग की सीमा में ले जाता है। बल का हमेशा विवेक के साथ प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 4.
लेखक ने बल के किन दो रूपों का वर्णन किया है?
उत्तर:
बल आत्मा का संस्पर्श कर उसे वीरता के पवित्र एवं स्पृहणीय रूप में दिखाई देता है। बल का दूसरा रूप क्रूरता, जघन्यता एवं घृणित होता है।
प्रश्न 5.
सम्राट अकबर ने किन वीरों का सम्मान किया था? (म. प्र. 2011, 16)
उत्तर:
वीर शिरोमणि जयमल और फत्ता का सम्मान अकबर ने किया था।
प्रश्न 6.
अंग्रेज सेनापति द्वारा झाँसी की रानी की वीरता की प्रशंसा को लेखक ने क्यों महत्वपूर्ण माना है?
उत्तर:
ब्रिटिश सेना के वीर ह्यूरोज ने महारानी लक्ष्मीबाई के वीरता की प्रशंसा इतिहास ग्रंथों में की है। इतिहास के स्वर्ण पृष्ठों में उनकी गौरव गाथा महत्वपूर्ण है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
“सबल के बल का सदुपयोग ही सफलता की कुंजी है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (म. प्र. 2009, 12, 17)
उत्तर:
राम और रावण दोनों बलवान थे। राम ने समाज की रक्षा एवं अधिकारों के लिए बल का प्रयोग किया। रावण ने बुरे कर्मों में बल का अपव्यय कर समाज का अहित किया।
कंस और कृष्ण के साथ भी यही बात लागू होती है। बल का हमेशा सदुपयोग किया जाना चाहिए। दुरुपयोग से समाज में नकारात्मक प्रवृत्तियाँ बढ़ती हैं।
प्रश्न 2.
सात्विक सहयोग को राष्ट्रों के निर्माण की मूल शिला क्यों कहा गया है? (महत्वपूर्ण)
उत्तर:
बल नसों में अभिमान एवं कर्मण्यता के रक्त का संचार करता है। प्रेम उसे त्याग का अमृत पिलाकर अमर करने का प्रयत्न करता है। बल और प्रेम का सात्विक सहयोग ही राष्ट्रों के निर्माण की मूल शिला है।
दोनों का पारस्परिक विरोध ही विश्व के विशाल राष्ट्रों एवं जातियों के खण्डहरों का सच्चा एवं हृदयवेधी इतिहास है।
प्रश्न 3.
बल और बुद्धि में पारस्परिक सम्बन्ध है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
बल और बुद्धि में वही सम्बन्ध है, जो देह और आँख का। बुद्धि-कौशल के बिना बल का कुछ अर्थ नहीं और बल के अभाव से बुद्धि-कौशल पंगु है।
राजपूतों के पास बल था, किन्तु बुद्धि नहीं अत: उन्हें लगातार पराजय का सामना करना पड़ा। दारा में अतुलित शक्ति थी, किन्तु औरंगजेब बुद्धि के बल पर शासक बन बैठा। बल एवं बुद्धि का संबंध उसी प्रकार है जिस प्रकार ‘सोने में सुहागा’ बल का प्रयोग करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कहीं बुद्धि की अपेक्षा बल का प्रभाव अधिक तो नहीं सदैव दोनों सामंजस्य बना कर चलना चाहिए।
प्रश्न 4.
लेखक ने बल की चरम सीमा कहाँ तक बतलाई है? (महत्वपूर्ण)
उत्तर:
लेखक ने बल की चरम सीमा शत्रुओं के समूह गर्जन में केसरी के साथ खेलने में या फिर देश और धर्म के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान देने में बताई है।
बल की चरम-सीमा वीर की उस अविचल मुस्कान में है, जो चारों ओर पराजय और पराभव का वातावरण उपस्थित होने पर भी उसके अरुण अधर मण्डल पर अपने पुण्य-पुनीत प्रकाशमाला के साथ थिरका करती है।
प्रश्न 5.
बल की दृष्टि से पश्चिम और भारत में क्या अंतर है? (म. प्र. 2010, 14)
उत्तर:
पश्चिम शरीर बल का उपासक है, जबकि भारत आत्म बल का उपासक है। दोनों ही प्रकार के बल अपने समय में खूब फले-फूले और विकास की चरम सीमा तक पहुँचे। बुद्ध और महात्मा गाँधी ने आत्मबल के महत्व को कभी कमतर नहीं होने दिया।
प्रश्न 6.
शरीर बल और आत्मबल में लेखक ने किसे श्रेष्ठ माना है? आज विश्व कल्याण के लिए दोनों में से कौन-सा अधिक उपयोगी है? (म. प्र. 2015, 18)
उत्तर:
लेखक ने आत्मबल को ही श्रेष्ठ बतलाया है। आत्मबल से शरीर बल पर जीत हासिल की जा सकती है। विश्व-कल्याण के लिए शरीर बल से ज्यादा उपयोगी आत्मबल है। आत्मबल से संसार में परिवर्तन की आँधी आ सकती है।
आत्मबल का सहारा प्राचीनतम समय में गौतम बुद्ध ने लिया तथा अपने पक्ष को रखा एवं इसमें उज्जवलता घोषित की। पर अभी विश्व के विशाल प्रांगण में उसकी परीक्षा होनी बाकी थी। ऐसे समय में महात्मा गाँधी ने आत्मबल को नई दिशा दी एवं नये युग की शुरुआत की।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- भारत ………….. का उपासक है।
- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ के निबंध का नाम ……….. है। (महत्वपूर्ण)
- अज्ञान का पुत्र ………….. होता है।
- शाहजहाँ का उत्तराधिकारी अत्यंत …………. था।
- बल ………….. होता है। (महत्वपूर्ण)
- बल बहादुरी पाठ …………. विधा है। (निबंध / एकांकी) (म. प्र. 2017)
उत्तर:
- आत्मबल
- बल-बहादुरी
- अहंकार
- बलवान
- अंधा
- निबंध।
प्रश्न 2.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –
- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने किस पत्रिका का सम्पादन किया था?
- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म किस शहर में हुआ?
- कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ निबन्ध के अतिरिक्त और क्या लिखते हैं?
- किसके अभाव में बुद्धि कौशल पंगु है? (म. प्र. 2016)
उत्तर:
- ज्ञानोदय
- सहारनपुर
- रेखा चित्र
- बल।
प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिये –
1. बल में निवास है –
(क) देवत्व का
(ख) पुरुषत्व का
(ग) अज्ञान का
(घ) मानवता का।
उत्तर:
(ख) पुरुषत्व का।
2. साठ हजार हाथियों से अधिक बल राशि का स्वामी (म. प्र. 2018)
(क) दारा
(ख) शाहजहाँ
(ग) औरंगजेब
(घ) हुमायूँ।
उत्तर:
(क) दारा।
