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MP Board Class 12th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 5 नैनो टेक्नोलॉजी

MP Board Class 12th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 5 नैनो टेक्नोलॉजी

MP Board Class 12th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 5 नैनो टेक्नोलॉजी (वैज्ञानिक निबंध, संकलित)

पाठ का सारांश

संकलित वैज्ञानिक निबन्ध, ‘नैनो टेक्नोलॉजी’ में वर्तमान में चल रहे वैज्ञानिक युग में एक नये एवं क्रान्तिकारी युग के सूत्रपात की अवधारणा और सम्भावना की बात कही गई है।

‘नैनो’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द ‘नैनों’ से हुई है, जिसका अर्थ है-‘बौना’ या ‘सूक्ष्म’। यह नाम जापान के वैज्ञानिक नौरिया तानीगूगूची ने वर्ष 1976 में दिया था । वास्तव में, नैनो टेक्नोलॉजी एक इकाई है जो एक मीटर के अरब हिस्से के बराबर होती है। एक से लेकर सौ नैनोमीटर को ‘नैनोडोमेन’ कहा जाता है।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी को एक नए युग के सूत्रपात के रूप में देखा जा रहा है। नैनो टेक्नोलॉजी की दुनिया अति सूक्ष्म है। अद्भुत बात यह है कि जितनी अधिक यह सूक्ष्म है उतनी ही अधिक सम्भावनाएँ इसमें निहित हैं। नैनो टेक्नोलॉजी के तहत मेटेरियल का आकार छोटा करके उसे ‘नैनोडोमेन’ बना लिया जाता है। ऐसा करने पर उस पदार्थ के विभिन्न गुण; जैसे-इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, थर्मल व ऑप्टीकल, हर स्तर पर बदल जाते हैं। नैनो उत्पाद बेहद हल्के,छोटे,मजबूत,पारदर्शी एवं अपने मूल मेटेरियल से पूरी तरह से भिन्न होते हैं।

वर्तमान प्रौद्योगिकी के इस युग में नैनो टेक्नोलॉजी का क्षेत्र असीम है और इसके विस्तार की सम्भावनाएँ भी अनन्त हैं। आज नैनो टेक्नोलॉजी चिकित्सा क्षेत्र से लेकर उद्योगों तक कहीं-न-कहीं अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। भारत में भी इसका उपयोग और विस्तार अत्यन्त तेजी से हो रहा है।

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नैनो टेक्नोलॉजी क्या है? इसके क्षेत्र-विस्तार के बारे में सम्भावनाएँ बतलाइए। (2011, 14)
उत्तर:
नैनो टेक्नोलॉजी एक अतिसूक्ष्म दुनिया है, जिसका दायरा एक मीटर के अरबवें हिस्से अथवा उससे भी छोटा है। वास्तव में नैनो’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द नैनों से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है-बौना अथवा सूक्ष्म। यह नाम जापान के वैज्ञानिक नौरिया तानीगूगूची ने 1976 में दिया। नैनो टेक्नोलॉजी एक इकाई है जो एक मीटर के अरबवें हिस्से के बराबर होती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि यह टेक्नोलॉजी जितनी अधिक सूक्ष्म है,उतनी ही विशाल सम्भावनाएँ यह अपने आप में समेटे हुए है। वर्तमान में नैनो टेक्नोलॉजी चिकित्सा के क्षेत्र से लेकर उद्योगों तक में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रही है। यद्यपि भारतीय बाजारों में नैनो उत्पादों की संख्या अत्यन्त कम है,मगर वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी नैनो टेक्नोलॉजी जनित उत्पादों का बोलबाला होगा। वर्तमान में भारतीय विशेषज्ञ भी इस क्षेत्र में शोध करने में रत हैं। स्पष्ट है कि भविष्य में नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र विस्तार की सम्भावनाएँ असीम हैं।

प्रश्न 2.
‘नैनोडोमेन’ की निर्माण प्रक्रिया समझाते हुए उसके आश्चर्यजनक परिणाम लिखिए। (2009)
उत्तर:
नैनो टेक्नोलॉजी एक इकाई है जिसका मान 1 मीटर के अरबवें हिस्से के बराबर होता है। एक से लेकर सौ नैनोमीटर को ‘नैनोडोमेन’ कहा जाता है। नैनो टेक्नोलॉजी के तहत मेटेरियल का आकार छोटा करके उसे नैनोडोमेन’ बना लिया जाता है। ऐसा करने पर उस पदार्थ के विभिन्न गुण; जैसे-इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल,थर्मल व ऑप्टीकल इत्यादि हर स्तर पर बदलना शुरू हो जाते हैं। यह एक नवीन विज्ञान है जो बेहद आश्चर्यचकित परिणाम प्रदान करता है। जब अणु और परमाणु नैनो क्षेत्र को प्रभावित करते हैं तो इनमें नवीन परिवर्तन होना प्रारम्भ हो जाते हैं। ये परिवर्तन अद्भुत होते हैं, जिसमें वस्तु के मूल गुण तक बदल जाते हैं।

प्रश्न 3.
नैनो मेटेरियल किसे कहते हैं? नैनो मेटेरियल तैयार करने की दो पद्धतियाँ कौन-कौन सी हैं? (2015)
उत्तर:
नैनो टेक्नोलॉजी के तहत मेटेरियल के आकार को छोटा करके उसे नैनोडोमेन में बदल लिया जाता है। इस प्रक्रिया में मेटेरियल के विभिन्न गुण; जैसे-इलेक्ट्रिकल,मैकेनिकल, थर्मल व ऑप्टीकल इत्यादि हर स्तर पर बदलने लगते हैं। इन परिवर्तनों से अत्यन्त आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं। जैसे-जैसे परमाणु का आकार छोटा होता जाता है, उसके अन्दर दूसरी धातुओं व पदार्थों से आपसी प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ती जाती है। इस विशेषता का उपयोग करके नैनो मेटेरियल से एकदम नया उत्पाद सरलता से तैयार किया जा सकता है।

नैनो मेटेरियल को तैयार करने के लिए सदैव दो पद्धतियों को उपयोग में लाया जाता है-प्रथम, बड़े से छोटा करने की पद्धति और द्वितीय, छोटे से बड़ा करने की पद्धति। इन पद्धतियों से एक आश्चर्यचकित कर देने वाला नैनो मेटेरियल तैयार किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
चिकित्सा क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिता बताइए। (2009)
उत्तर:
वर्तमान में नैनो टेक्नोलॉजी दुनिया भर में अपनी विशेषताओं और उपयोगिताओं के कारण अत्यन्त तेजी से लोकप्रिय हो रही है। वैसे तो नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिताओं का क्षेत्र प्रसार अनन्त एवं असीम है, किन्तु वर्तमान में इसका सर्वाधिक प्रभाव चिकित्सा के क्षेत्र में ही देखने को मिल रहा है। वैज्ञानिक इस प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ‘गोल्ड पार्टिकल बैक्टीरिया ट्यूमर सेल्स’ का निर्माण कर रहे हैं,जो कैंसर की संमूची प्रक्रिया को ही परिवर्तित करने में सक्षम होंगे। इससे ट्यूमर के खतरनाक तत्व को समाप्त कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त विशेषज्ञ कलाई में पहन सकने योग्य एक ऐसी कलाई घड़ी के रूप में नैनो टेक्नोलॉजी आधारित युक्ति का विकास करने में प्रयत्नशील हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर की कई बीमारियों का समय रहते पता लगा पायेंगे।

प्रश्न 5.
“सुपर कम्प्यूटर नैनो टेक्नोलॉजी का ही परिणाम है।” समझाइए।
उत्तर:
वर्तमान युग प्रौद्योगिकी एवं कम्प्यूटर का युग है। आज कम्प्यूटर हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन के मध्य इतना घुल-मिल गये हैं कि इनके बिना अब जीवन की कल्पना करना भी आसान नहीं है। कम्प्यूटर की चर्चा चलते ही एक बड़े से घनाभाकार डिब्बे की आकृति मानस-पटल पर अंकित हो उठती है। एक समय था जब कम्प्यूटर अपनी शैशवावस्था में था। उसका आकार काफी बड़ा और उसकी क्षमता सीमित थी। किन्तु नैनो टेक्नोलॉजी के आगमन ने कम्प्यूटर की तो मानो काया ही पलट कर रख दी है। नैनो टेक्नोलॉजी के उपयोग से जहाँ कम्प्यूटर के आकार को छोटा किया जाना सम्भव हो सका है, वहीं उसकी तमाम क्षमताओं में आश्चर्यजनक बढ़ोत्तरी की जा सकती है। कम्प्यूटर के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी के प्रभावी दखल का सबसे ज्वलंत उदाहरण है-‘सुपर कम्प्यूटर’ वास्तव में,सुपर कम्प्यूटर इस नैनो टेक्नोलॉजी का ही परिणाम है। पलभर में अरबों गणनाएँ त्रुटिरहित सम्पन्न कर देना, मैमोरी इतनी विशाल कि असंख्य आँकड़े समा जायें इत्यादि विशेषताएँ सुपर कम्प्यूटर में नैनो टेक्नोलॉजी के उपयोग से ही सम्भव हो सकी हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिता बतलाइए
(1) पेंट
(2) कपड़ा
(3) जल-शोधन,
(4) टी. वी डिस्प्ले।
उत्तर:
जीवन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिता अब सर्वविदित है। कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में इस नवीन क्रान्तिकारी प्रौद्योगिकी के उपयोग की चर्चा निम्नवत् की जा सकती है-
(1) पेंट उद्योग में :
पेंट उद्योग के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी अपनी पैठ बनाती जा रही है, जैसे-टिटेनियम डाइ-ऑक्साइड पेंट। यदि इस पेंट को नैनो मेटेरियल बनाकर अन्य पेंट में मिला दिया जाये तो उसकी चमक और अन्य गुण बढ़ जाते हैं। इस प्रकार निर्मित पेंट का जीवन अन्य सामान्य पेंट की तुलना में काफी अधिक होता है।

(2) कपड़ा उद्योग में :
कपड़ा उद्योग में भी नैनो टेक्नोलॉजी अपना प्रभाव एवं उपयोगिता सिद्ध कर रही है। इस चमत्कारी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ‘नैनोबेस्ड क्लॉथ’ बनाए जा रहे हैं,जो व्यक्ति के पसीने को सरलता से सोख लेते हैं। साथ ही, इस तकनीक से बना कपड़ा उपलब्ध अन्य कपड़ों की तुलना में अधिक टिकाऊ होता है।

(3) जल-शोधन में :
नैनो टेक्नोलॉजी रूपी वरदान का उपयोग जल-शोधन के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ तीन-चौथाई जनसंख्या को शुद्ध पेयजल तक उपलब्ध नहीं है, इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किसी ‘देव-वरदान’ से कम सिद्ध नहीं होगा। इस नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से जल में मौजूद एवं स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक ऑर्सेनिक तत्त्व को समाप्त कर दिया जाता है अथवा एकत्र कर जल से पृथक् कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में नैनो मिनरल, नैनो गोल्ड, नैनो सिल्वर व नाइट्रेट इत्यादि नैनो उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।

(4) टी. वी. डिस्ले में :
नैनो टेक्नोलॉजी के आम जनजीवन में उपयोग का सबसे सुन्दर उदाहरण है टी.वी. डिस्प्ले का क्षेत्र। टेलीविजन पर दिखाई देने वाली तस्वीर की ‘ब्राइटनेस’ व ‘कंट्रास्ट’ को बेहतर बनाने के लिए इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में नैनो फास्टर मेटेरियल का उपयोग किया जाता है, जिससे टी.वी. की ‘पिक्चर क्वालिटी काफी उन्नत हो जाती है। वास्तव में, नैनो टेक्नोलॉजी एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसे एक नये युग का सूत्रपात माना जा सकता है।

प्रश्न 7.
भारत में नैनो टेक्नोलॉजी के शिक्षण-प्रशिक्षण की उपलब्धता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
यदि वर्तमान में भारत में नैनो टेक्नोलॉजी के प्रचार-प्रसार और उपयोग की बात की जाये तो नैनो टेक्नोलॉजी के शिक्षण-प्रशिक्षण में अभी बहुत कम निजी व सरकारी संस्थान आगे आए हैं। वर्तमान में, इस प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित मात्र एम. टेक. नैनो टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम ही देश में उपलब्ध है, जिसके लिए निर्धारित योग्यता इंजीनियरिंग की डिग्री अथवा भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान या जैव प्रौद्योगिकी के साथ स्नातकोत्तर डिग्री अनिवार्य है। एम. टेक.के इस कोर्स की कुल अवधि दो वर्ष है, जिसमें प्रशिक्षुओं को छ: माह का प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है।

आशा है कि जिस प्रकार यह प्रौद्योगिकी दनिया-भर में तेजी से अपने पैर पसार रही है. भारत में भी जल्दी ही विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में इससे सम्बन्धित अनेक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने लगेंगे।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किस वैज्ञानिक युक्ति की सहायता से वैज्ञानिक पहली बार अणु व परमाणु को देख पाए?
उत्तर:
जर्मन वैज्ञानिक गार्ड विनिग व स्विट्जरलैंड के हैनरिच रारेर के संयुक्त प्रयास से तैयार ‘स्कैनिंग टानलिंग माइक्रोस्कोप’ की सहायता से वैज्ञानिक पहली बार अणु व परमाणु को देख पाए।

प्रश्न 2.
एक नैनो मीटर मानव बाल के कौन-से हिस्से के बराबर होता है?
उत्तर:
एक नैनो मीटर का आकार ‘मानव बाल के 50 हजारवें’ हिस्से के बराबर होता है।

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