MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रुसी क्रांति
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रुसी क्रांति
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रुसी क्रांति
महत्वपूर्ण स्मरणीय बिन्दु
रूढ़िवादी (Conservative ) – वह लोग जो परिवर्तन का विरोध करते हैं।
उदारवादी (Liberals) – वह लोग जो नागरिकों की स्वतंत्रता में यकीन रखते हैं।
परिवर्तनवादी (Redical) – जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं ।
समाजवाद – ऐसी विचारधारा जो उस बात में विश्वास रखती है कि उत्पादन के साधनों पर समाज का अधिपत्य हो ।
निरंकुश राजशाही – राजा का बिना रोक-टोक शासन करना ।
जदीदी – रूसी साम्राज्य में सक्रिय मुस्लिम सुधारवादी।
उदारवादी ऐसा राष्ट्र चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान मिले।
परिवर्तनवादी समूह के लोग देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित सरकार के पक्ष में थे।
रूढ़िवादी, परिवर्तन की धीमी गति के पक्षधर थे।
औद्योगीकरण ने स्त्री और पुरुषों को कारखानों में लाकर खड़ा कर दिया।
वोट डालने का अधिकार पाने के लिए मताधिकार आंदोलन चलाया गया।
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) की अवधि में हआ।
1905 की क्रांति की शुरूआत खूनी रविवार की घटना से होती है।
प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी और तुर्की केन्द्रीय शक्तियाँ थीं।
फ्रांस, ब्रिटेन व रूस मित्र राष्ट्र थे।
रविवार 25 फरवरी 1917 को सरकार ने ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया।
लेनिन की तीन माँगों को अप्रैल थीसिस के नाम से जाना जाता है।
जार (राजा) ने 2 मार्च 1917 को गद्दी छोड़ दी।
अक्टूबर 1917 की क्रांति, बोल्शेविक व अंतरिम सरकार में टकराव ।
अक्टूबर क्रान्ति के पश्चात् रूस गृह युद्ध की चपेट में आ गया।
स्तालिन ने सामूहिकीकरण का सिद्धांत दिया।
रूसी क्रान्ति के पश्चात् सम्पूर्ण विश्व में समाजवाद तेजी से फैला।
20 वीं सदी के अंत तक समाजवादी देश के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत प्रतिष्ठा में कमी आई परन्तु आज भी वहाँ समाजवाद के सिद्धान्तों का सम्मान है।
क्रियाकलाप तथा पाठगत प्रश्न
प्रश्न 1. कोई समाज संपत्ति के बिना कैसे चल सकता है ?
उत्तर- समाजवादी मानते थे कि संपत्ति के बिना कोई भी समाज कार्य नहीं कर सकता, क्योंकि यह समाज के सामूहिक हित में नहीं होगा।
प्रश्न 2. समाजवादी समाज का आधार क्या होगा?
उत्तर- (1) कुछ समाजवादियों के अनुसार समाजवादी समाज का आधार पूँजीवादी उद्योगपतियों के स्थान पर सहकारी समितियों का विकास होगा।
(2) सहकारी समितियों में ऐसे संगठन होंगे जिनमें लोग सामूहिक रूप से वस्तुओं का उत्पादन करेंगे और सदस्यों द्वारा किए गए कार्य के अनुसार उनमें लाभ का बँटवारा किया जाएगा।
प्रश्न 3. निजी संपत्ति के बारे में पूँजीवादी और समाजवादी विचारधारा के बीच दो अंतर बताइये । उत्तर-

प्रश्न 4. मान लीजिए कि निजी सपंत्ति को खत्म करने और उसकी जगह सामूहिक स्वामित्व की व्यवस्था लागू करने के सवाल पर आपके इलाके में एक बैठक बुलाई गई है। निम्नलिखित व्यक्तियों के रूप में उस बैठक में आप जो भाषण देंगे वह लिखें।
1. एक गरीब खेतिहर मजदूर,
2. एक मझौला भूस्वामी,
3. एक गृहस्वामी ।
उत्तर 1. एक गरीब खेतिहर मज़दूर प्रकृति अपने संसाधनों को उपलब्ध कराने में किसी के साथ पक्षपात नहीं करती। फिर क्यों किसी के पास जीवन-यापन के अधिक साधन हैं और किसी के पास कम? संपत्ति कठोर श्रम का ही परिणाम है। यह श्रम खेतों में काम करने वाले गरीब मजदूरों द्वारा ही किया जाता है। किंतु उन्हें उन्हीं के द्वारा उत्पन्न लाभ में हिस्सा नहीं दिया जाता। लाभ पूरी तरह खेतों के मालिकों को ही प्राप्त होता है, जो अपने उत्तराधिकार के कारण ही भूमि के स्वामी होते हैं। इसीलिए निजी संपत्ति का बहिष्कार होना चाहिए और संपत्ति के सामूहिक स्वामित्व की शुरुआत की जानी चाहिए।
2. एक मंझौला भूस्वामी – प्रिय मित्रों, समाजवाद का विचार तो अच्छा है, किंतु निजी संपत्ति का पूर्ण रूप से उन्मूलन करना व्यावहारिक नहीं है। इससे फसलों का उत्पादन कम हो जाएगा। इंसान तभी अधिक परिश्रम करता है जब संभावित उत्पाद से उसको अधिक लाभ मिलना हो। परंतु जिस कार्य से उसे अधिक लाभ न मिलना हो, उसमें वह हृदय से प्रयास भी नहीं करता। इसीलिए निजी संपत्ति का पूर्ण उन्मूलन नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसका लोगों के बीच समान वितरण होना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कुछ लोग तो अति विशाल भूखंडों के स्वामी हों और कुछ बिल्कुल ही भूमिहीन ।
3. एक गृहस्वामी – प्रिय भाइयों, मैं जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं, जैसे रोटी, कपड़ा और मकान में समानता का पक्षधर हूँ। सभी को भरपेट रोटी, तन ढकने के लिए उचित वस्त्र और सिर पर छत मिलनी ही चाहिए। परंतु निजी संपत्ति के उन्मूलन और सामूहिक स्वामित्व के कारण लोगों की रचनात्मक क्षमता कुंद पड़ जाएगी। इस प्रकार कुछ समय बाद सामूहिक संपत्ति शून्य के बराबर हो जाएगी क्योंकि सभी उसमें से कुछ लेना ही चाहेंगे, उसमें कुछ जोड़ेंगे नहीं। इसीलिए, संपत्ति के स्वामित्व में समानता तो होनी चाहिए, परन्तु पूँजीवाद नहीं ।
प्रश्न 5. रूस में 1905 में क्रांतिकारी उथल-पुथल क्यों पैदा हुई थी ? क्रांतिकारियों की क्या माँगे थी ? अथवा रूस की क्रांति के लिए कौन-सी परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं? वर्णन कीजिए।
उत्तर (1) रूस एक विशाल देश था। लेकिन यूरोप के सबसे पिछड़े औद्योगिक देशों में से एक था। ज्यादातर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे। कार्य-स्थितियाँ खराब थीं। औद्योगिक मज़दूरों का शोषण हो रहा था।
(2) देहात की ज्यादातर जमीन पर किसान खेती करते थे। लेकिन विशाल संपत्तियों पर सामंतों, राजशाही और चर्चों का कब्जा था। औद्योगिक मजदूरों के समान ही किसानों की स्थिति दयनीय थी।
(3) रूस एक निरंकुश राजशाही था। अन्य यूरोपीय शासकों के विपरीत जार (जार निकोलस द्वितीय (II) राष्ट्रीय संसद के अधीन नहीं था। वह जनता पर बहुत कम ध्यान देता था। उसकी असामान्य तथा भ्रष्ट अफसरशाही उसे सामान्य उद्देश्य से दूर कर देते थे।
(4) ज़ार निकोलस – द्वितीय (II) ने रूस को प्रथम विश्व युद्ध में धकेला। शक्तिशाली जर्मनी से लड़ने के लिए रूसी सेना प्रशिक्षित और हथियारों से लैस नहीं थी। इसलिए उसे युद्ध में पराजय झेलनी पड़ी। इस पराजय से रूसी जनता जार के खिलाफ हो गई।
(5) दूसरी तरफ कार्ल मार्क्स की ‘वैज्ञानिक समाजवादी’ नीति लोगों से आग्रह कर रही थी कि पूँजीवाद व निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़ फेंकना चाहिए।
(6) 1870 का दशक आते-आते समाजवादी विचार पूरे यूरोप में फैल चुका था। मजदूरों ने अपनी कार्य-स्थितियों में सुधार लाने के लिए संगठन बनाने शुरू कर दिए थे। 1914 से पहले सभी राजनीतिक पार्टियाँ गैरकानूनी थीं। बोल्शेविकों ने क्रमशः कमेटियों एवं सोवियतों का निर्माण कर परिस्थितियाँ तैयार की जो रूसी क्रांति की ओर अग्रसर हुई ।
प्रश्न 6. 1916 के दिन हैं। आप ज़ार की सेना में जनरल हैं और पूर्वी मोर्चे पर तैनात हैं। आप मास्को सरकार के लिए एक रिपोर्ट लिख रहे हैं। अपनी रिपोर्ट में सुझाव दीजिए कि स्थिति को सुधारने के लिए आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए।
उत्तर – सर, यहाँ पूर्वी सीमा पर सेना अच्छा प्रदर्शन कर रही है, परंतु शहीदों व घायलों की संख्या बहुत अधिक है। इस कारण सैनिक निराश हो चले हैं। वे युद्ध को जारी नहीं रखना चाहते। इसीलिए मैं यह सुझाव देना चाहूँगा कि पराजय और जानमाल की हानि से बचने के लिए खुले युद्ध के बजाय गुरिल्ला युद्धनीति अपनाई जानी चाहिए।
प्रश्न 7. स्रोत ‘क’ ( पाठ्यपुस्तक पेज 32) और बॉक्स (पाठ्यपुस्तक पेज 37 ) को एक बार फिर देखें –
(1) मजदूरों की मनोदशा में आए पाँच परिवर्तन बताएँ ।
(2) खुद को इन दोनों परिस्थितियों की प्रत्यक्षदर्शी महिला के रूप में देखिए और लिखिए कि पहले वाली स्थिति से दूसरी स्थिति के बीच क्या बदलाव आया है।
उत्तर- (1) मजदूरों की मनोदशा में पाँच परिवर्तन निम्नलिखित थे –
(i) व्यक्तिगत तौर पर कारखानों और दुकानों में प्रचार किया गया।
(ii) इसके बाद गोष्ठी दल बनाए गए।
(iii) आधिकारिक मसलों पर कानूनी सभाएँ आयोजित की गई।
(iv) इसे मजदूरों के उद्धार हेतु चल रहे सामान्य संघर्ष के साथ समायोजित कर दिया गया।
(v) दोपहर के खाने और शाम की चाय के अवकाश के दौरान गेट के सामने, बरामदे में और सीढ़ियों पर गैर-कानूनी सभाएँ आयोजित की गई।
(2) पहले की स्थिति में श्रमिकों की हालत में कोई सुधार होने की आशा नहीं थी।
(i) परंतु बाद की स्थिति में महिला श्रमिकों ने अपने पुरुष सहकर्मियों को प्रेरित किया।
(ii) मार्फा वासीलेवा ने लॉरेंज़ टेलीफोन फैक्ट्री में अकेले ही सफल हड़ताल की।
(iii) उसे थोड़ी रियायत की पेशकश की गई, परंतु उसने तब तक हड़ताल समाप्त करने से इंकार कर दिया जब तक सभी मजदूरों से समानता का व्यवहार न किया गया।
(iv) इस प्रकार, दूसरी स्थिति में हड़ताल के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया, जबकि पहली स्थिति में हड़ताल के बजाय प्रचार, मज़दूरों की सभाओं आदि के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले कैंसे थे ?
उत्तर- रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले जनसाधारण के लिए बहुत बुरे थे।
(1) बीसवीं सदी के प्रारंभ में 85 प्रतिशत रूसी कृषक थे ।
(2) फ्रांस तथा जर्मनी में अनुपात 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत था। रूस अनाज का एक बड़ा निर्यातक था ।
(3) मॉस्को तथा सेंट पीट्सबर्ग प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे।
(4) जब रूसी रेल नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा था तो सन् 1890 के दशक में कई कारखाने स्थापित किए गए और कारखानों में विदेशी निवेश बढ़ गया।
(5) कामगार उनकी दक्षता के अनुसार सामाजिक समूहों में बंटे हुए थे। कामगार या तो गांवों से आते थे या कारखानों में नौकरी पाने के लिए प्रवास करते थे।
(6) इस समय किसानों की बिरादरी बहुत धार्मिक थी किन्तु कुलीनता के बारे में अधिक नहीं सोचती थी। उनका विश्वास था कि भूमि उनके बीच बंटी होनी चाहिए। लेकिन सामन्ती अधिकारों के कारण यह संभव नहीं था, अतः किसानों की अपनी कम्यून थी जिसमें धन का वितरण प्रत्येक परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता था।
(7) जब कभी कामगार किसी के निकाले जाने पर या कार्यस्थितियों को लेकर नियोक्ताओं से असहमत होते थे तो विभाजन के बावजूद भी वे हड़ताल के लिए इकट्ठे हो जाते थे।
सन् 1904 मजदूरों के लिए बुरा था।
(8) आवश्यक वस्तुओं के दाम बहुत बढ़ गए। मजदूरी 20 प्रतिशत घट गई।
(9) कामगार संगठनों की सदस्यता शुल्क नाटकीय तरीके से बढ़ गई है।
(10) सेंट पीट्सबर्ग के 1,10,000 से अधिक मजदूर रोज के काम के घण्टों को कम करने, मजदूरी बढ़ाने तथा कार्यस्थितियों में सुधार करने की मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए।
प्रश्न 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी ?
उत्तर – सन् 1917 से पहले रूस की कामकाज करने वाली जनसंख्या यूरोप के अन्य देशों से भिन्न थी क्योंकि सभी रूसी कामगार कारखानों में काम करने के लिए गांव से शहर नहीं आए थे। उनमें से कुछ ने गांवों में रहना जारी रखा और शहर में प्रतिदिन काम पर जाते थे। वे सामाजिक स्तर एवं दक्षता के अनुसार समूहों में बंटे हुए थे और यह उनकी पोशाओं कों में परिलक्षित होता था। धातुकर्मी; मजदूरों में खुद को साहब मानते थे। उनके काम में ज्यादा प्रशिक्षण और निपुणता की जरूरत जो रहती थी। तथापि कामकाजी जनसंख्या एक मोर्चे पर तो एकजुट थी- कार्यस्थितियों एवं नियोक्ताओं के अत्याचार के विरुद्ध हड़ताल।
अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले में रूस की कामगार जनसंख्या जैसे कि किसानों एवं कारखाना मजदूरों की स्थिति बहुत भयावह थी । ऐसा जार निकोलस द्वितीय की निरंकुश सरकार के कारण था। जिसकी भ्रष्ट एवं दमनकारी नीतियों से इन लोगों से उसकी दुश्मनी दिनों-दिन बढ़ती जा रही थी। कारखाना मजदूरों की स्थिति भी इतनी ही खराब थी। वे अपनी शिकायतों को प्रकट करने के लिए कोई ट्रेड यूनियन अथवा कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते थे। अधिकतर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे। वे अपने स्वार्थ के लिए मजदूरों का शोषण करते थे। कई बार तो इन मजदूरों को न्यूनतम निर्धारित मजदूरी भी नहीं मिलती थी। कार्य के घण्टों की कोई सीमा नहीं थी जिसके कारण उन्हें दिन में 12 – 15 घण्टे काम करना पड़ता था। उनकी स्थिति इतनी करुणाजनक थी कि न तो उन्हें राजनैतिक अधिकार प्राप्त थे और सन् 1917 की रूसी क्रांति की शुरूआत से पहले न ही किसी प्रकार के सुधारों की आशा थी ।
किसान जमीन पर सर्फ (कृषिमजदूर) के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था। कुलीन वर्ग, सम्राट तथा रूढ़िवादी चर्च के पास बहुत अधिक संपत्ति थी। ब्रिटानी में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान किसान कुलीनों का सम्मान करते थे और उनके लिए लड़ते थे किंतु रूस में किसान कुलीनों को दी गई जमीन लेना चाहते थे। उन्होंने लगान देने से मना कर दिया और जमींदारों को मार भी डाला।
रूस में किसान अपनी जमीन एकत्र करते और अपने कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और उनका कम्यून उसे प्रत्येक परिवार की जरूरत के अनुसार बाँट देता था।
प्रश्न 3. 1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर- जनता के बढ़ते अविश्वास एवं जार की नीतियों से असंतुष्टि के कारण जार का शासन 1917 में खत्म हो गया। जार निकोलस द्वितीय ने राजनैतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी, मतदान के नियम बदल डाले और अपनी सत्ता के विरुद्ध उठे सवालों अथवा नियंत्रण को खारिज कर दिया। रूस में युद्ध प्रारंभ में बहुत लोकप्रिय था और जनता जार का साथ देती थी। जैसे-जैसे युद्ध जारी रहा, जार ने ड्यूमा के प्रमुख दलों से सलाह लेने से मना कर दिया। इस प्रकार उसने समर्थन खो दिया और जर्मन विरोधी भावनाएं प्रबल होने लगी। जारीना अलेक्सान्द्रा के सलाहकारों विशेषकर रास्पूतिन ने राजशाही को अलोकप्रिय बना दिया। रूसी सेना लड़ाइयाँ हार गई। पीछे हटते समय रूसी सेना ने फसलों एवं इमारतों को नष्ट कर दिया। फसलों एवं इमारतों के विनाश से रूस में लगभग 30 लाख से अधिक लोग शरणार्थी हो गए जिससे हालात और बिगड़ गए। प्रथम विश्व युद्ध का उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ा। बाल्टिक सागर के रास्ते पर जर्मनी का कब्जा हो जाने के कारण माल का आयात बंद हो गया। औद्योगिक उपकरण बेकार होने लगे तथा 1916 तक रेलवे लाइनें टूट गई । अनिवार्य सैनिक सेवा के चलते सेहतमन्द लोगों को युद्ध में झोंक दिया गया जिसके परिणामस्वरूप, मजदूरों की कमी हो गई। रोटी की दुकानों पर दंगे होना आम बात हो गई। 26 फरवरी 1917 को ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया गया। यह आखिरी दांव साबित हुआ और इसने जार के शासन को पूरी तरह जोखिम में डाल दिया। 2 मार्च 1917 को जार गद्दी छोड़ने पर मजबूर हो गया और इससे निरंकुशता का अंत हो गया।
किसान जमीन पर सर्फ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था। किसानों में जमीन की भूख प्रमुख कारक थी । विभिन्न दमनकारी नीतियों तथा कुण्ठा के कारण वे आमतौर पर लगान देने से मना कर देते और प्रायः जमींदारों की हत्या करते।
कार्ल मार्क्स की शिक्षाओं ने भी लोगों को विद्रोह के लिए उत्साहित किया।
प्रश्न 4. दो सूचियाँ बनाइए: एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर- फरवरी क्रांति : 1917 की सर्दियों में राजधानी पेत्रोग्राद में हालात बिगड़ गए।
फरवरी 1917 में मजदूरों के क्वार्टरों में खाने की अत्यधिक किल्लत अनुभव की गई, संसदीय प्रतिनिधि जार की ड्यूमा को बर्खास्त करने की इच्छा के विरुद्ध थे।
शहर की बनावट इसके नागरिकों के विभाजन का कारण बन गई। मजदूरों के क्वार्टर और कारखाने नेवा नदी के दाएं तट पर स्थित थे। बाएं तट पर फैशनेबल इलाके जैसे कि विटंर पैलेस, सरकारी भवन तथा वह महल भी था जहाँ ड्यूमा की बैठक होती थी।
सर्दियाँ बहुत ज्यादा थी असाधारण कोहरा और बर्फबारी हुई थी। 22 फरवरी को दाएं किनारे पर एक कारखाने में तालाबंदी हो गई। अगले दिन सहानुभूति के तौर पर 50 और कारखानों के मजदूरों ने हड़ताल कर दी। कई कारखानों में महिलाओं ने हड़ताल की अगुवाई की। रविवार 25 फरवरी को सरकार ने ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया। 27 फरवरी को पुलिस मुख्यालय पर हमला किया गया।
गलियाँ ; रोटी, मजदूरी, बेहतर कार्य घण्टों एवं लोकतंत्र के नारे लगाते हुए लोगों से भर गई। घुड़सवार सैनिकों की टुकड़ियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से मना कर दिया तथा शाम तक बगावत कर रहे सैनिकों एवं हड़ताल कर रहे मजदूरों ने मिलकर पेत्रोग्राद सोवियत नामे की सोवियत या काउंसिल बना ली। जार ने 2 मार्च को अपनी सत्ती छोड़ दी और सोवियत तथा ड्यूमा के नेताओं ने मिलकर रूस के लिए अंतरिम सरकार बना ली। फरवरी क्रांति के मोर्चे पर कोई भी राजनैतिक दल नहीं था। इसका नेतृत्व लोगों ने स्वयं किया था । पेत्रोग्राद ने राजशाही का अंत कर दिया और इस प्रकार उन्होंने सोवियत इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया।
फरवरी क्रांति के प्रभाव –
(क) फरवरी के बाद जनसाधारण तथा संगठनों की बैठकों पर से प्रतिबंध हटा लिया गया।
(ख) पेत्रोग्राद सोवियत की तरह ही सभी जगह सोवियत बन गई यद्यपि इनमें एक जैसी चुनाव प्रणाली का अनुसरण नहीं किया गया।
(ग) अप्रैल 1917 में बोल्शेविकों के नेता ब्लादिमीर लेनिन देश निकाले से रूस वापस लौट आए। उसने “अप्रैल थीसिस’ के नाम से जानी जाने वाली तीन मांगे रखीं। ये तीन मांगे थीं – युद्ध को समाप्त किया जाए, भूमि किसानों को हस्तांतरित की जाए और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
(घ) उसने इस बात पर भी जोर दिया कि अब अपने रेडिकल उद्देश्यों को स्पष्ट करने के लिए बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर कम्युनिस्ट पार्टी रख दिया जाए।
अक्टूबर क्रांति- अक्टूबर क्रांति अंतरिम सरकार तथा बोल्शेविकों में मतभेद के कारण हुई।
सितंबर में ब्लादिमीर लेनिन ने विद्रोह के लिए समर्थकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। 16 अक्टूबर 1917 को उसने पेत्रोग्राद सोवियत तथा बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर सामाजिक कब्जा करने के लिए मना लिया। सत्ता पर कब्जे के लिए लियोन ट्रॉटस्की के नेतृत्व में एक क्रांतिकारी सैनिक समिति नियुक्त की गई।
जब 24 अक्टूबर को विद्रोह शुरू हुआ, प्रधानमंत्री केरेंस्की ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर होने से रोकने के लिए सैनिक टुकड़ियों को लाने हेतु शहर छोड़ा।
क्रांतिकारी समिति ने सरकारी कार्यालयों पर हमला बोला, ऑरोरा नामक युद्धपोत ने विंटर पैलेस पर बमबारी की और 24 तारीख की रात को शहर पर बोल्शेविकों का नियंत्रण हो गया। थोड़ी सी गंभीर लड़ाई के उपरांत बोल्शेविकों ने मॉस्को पेत्रोग्राद क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण पा लिया। पैत्रोग्राद में ऑल रशियन कांग्रेस ऑफ सोवियत्स की बैठक में बोल्शेविकों की कार्रवाई को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।
अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व मुख्यत: लेनिन तथा उसके अधीनस्थ ट्रॉटस्की ने किया और इसमें इन नेताओं का समर्थन करने वाली जनता भी शामिल थी। इसने सोवियत पर लेनिन के शासन की शुरूआत की तथा लेनिन के निर्देशन में बोल्शेविक इसके साथ थे।
प्रश्न 5. बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन-से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर- अक्टूबर क्रांति के बाद बोल्शेविकों द्वारा किए गए बदलावों में शामिल हैं-
(क) बोल्शेविक निजी संपत्ति के पक्षधर नहीं थे अतः अधिकतर उद्योगों एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
(ख) भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया और किसानों को उस भूमि पर कब्जा करने दिया गया जिस पर वे काम करते थे। “
(ग) शहरों में बड़े घरों के परिवार की आवश्यकता के अनुसार हिस्से कर दिए गए।
(घ) पुराने अभिजात्य वर्ग की पदवियों के प्रयोग पर रोक लगा दी गई।
(ङ) परिवर्तन को स्पष्ट करने के लिए बोल्शेविकों ने सेना एवं कर्मचारियों की नई वर्दियाँ पेश की।
(च) बोल्शेविक पार्टी का नाम बदल कर रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख दिया गया।
(छ) नवंबर में संविधान सभा के चुनावों में बोल्शेविकों की हार हुई और जनवरी 1918 में जब सभा ने उनके प्रस्तावों को खारिज कर दिया तो लेनिन ने सभा बर्खास्त कर दी। मार्च 1918 में राजनैतिक विरोध के बावजूद रूस ने ब्रेस्ट लिटोब्स्क में जर्मनी से संधि कर ली।
(ज) रूस एकदलीय देश बन गया और ट्रेड यूनियनों को पार्टी के नियंत्रण में रखा गया।
(झ) उन्होंने पहली बार केन्द्रीकृत नियोजन लागू किया जिसके आधार पर पंचवर्षीय योजनाएं बनाई गईं।
प्रश्न 6. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए।
(क) कुलक, (ख) ड्यूमा, (ग) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार, (घ) उदारवादी ।
उत्तर- (क) कुलक कुलक रूस के धनी किसान थे। स्तालिन का विश्वास था कि वे अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज इकट्ठा कर रहे थे। 1927-28 तक सोवियत रूस के शहर अन्न आपूर्ति की भारी किल्लत का सामना कर रहे थे। इसलिए इन कुलकों पर 1928 में छापे मारे गए और उनके अनाज के भंडारों को जब्त कर लिया गया। मार्क्सवादी स्तालिनवाद के अनुसार कुलक गरीब किसानों के वर्ग शत्रु थे। उनकी मुनाफाखोरी की इच्छा से खाने की किल्लत हो गई और अंततः स्तालिन को इन कुलकों का सफाया करने के लिए सामूहिकीकरण कार्यक्रम चलाना पड़ा और सरकार द्वारा नियंत्रित बड़े खेतों की स्थापना करनी पड़ी।
(ख) ड्यूमा 1905 की क्रांति के दौरान जार ने रूस में परामर्शदाता संसद के चुनाव की अनुमति दे दी। रूस की इस निर्वाचित परामर्शदाता संसद को ड्यूमा कहा गया। रूसी क्रांति के दबाव में 6 अगस्त 1905 को गठित यह संस्था प्रारंभ में परामर्शदात्री मानी गई थी। अक्टूबर घोषणापत्र में जार निकोलस द्वितीय ने इसे वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की।
(ग) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार मजदूरों ने रूस के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिला कामगार सन् 1914 तक कुल कारखाना कामगार शक्ति का 31 प्रतिशत भाग बन चुकी थी किन्तु उन्हें पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी दी जाती थी।
महिला कामगारों को न केवल कारखानों में काम करना पड़ता था अपितु उन्हें उनके परिवार एवं बच्चों की भी देखभाल करनी पड़ती थी।
वे देश के सभी मामलों में बहुत सक्रिय थी।
वे प्रायः अपने साथ काम करने वाले पुरुष कामगारों को प्रेरणा देती थी ।
1917 की अक्टूबर क्रांति के बाद समाजवादियों ने रूस में सरकार बनाई। 1917 में राजशाही के पतन एवं अक्टूबर की घटनाओं को ही सामान्यतः रूसी क्रांति कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, लॉरेंज टेलीफोन की महिला मजदूर मार्फा वासीलेवा ने बढ़ती कीमतों तथा कारखानों के मालिकों की मनमानी के विरुद्ध आवाज उठाई और सफल हड़ताल की। अन्य महिला मजदूरों ने भी मार्फा वासीलेवा का अनुसरण किया और जब तक उन्होंने रूस में समाजवादी सरकार की स्थापना नहीं की तब तक उन्होंने राहत की सांस नहीं ली।
(घ) उदारवादी – रूस के उदारवादी वे लोग थे जो ऐसा देश चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर सम्मान मिले। वे वंश आधारित शासकों की अनियंत्रित सत्ता के भी विरुद्ध थे। वे सरकार के समक्ष व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा के पक्ष में थे। वे प्रतिनिधित्व करने वाली, निर्वाचित संसदीय सरकार के पक्षधर थे जो शासकों एवं अफसरों के प्रभाव से मुक्त हो तथा सुप्रशिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किए गए कानूनों के अनुसार शासन कार्य चलाए। किन्तु वे लोकतंत्रवादी नहीं थे। वे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (प्रत्येक नागरिक का वोट देने का अधिकार) में विश्वास नहीं रखते थे। उनका विश्वास था कि वोट का अधिकार केवल संपत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए। वे महिलाओं को भी वोट देने का अधिकार नहीं देना चाहते थे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प का चयन कीजिए1. इनमें से कौन-सा देश 1914 में रूस के साम्राज्य में शामिल नहीं था ?
(a) फिनलैंड
(b) लिथुवानियाँ
(c) लेटेविया
(d) ऑस्ट्रिया
2. एक साथ मिलकर सामान का उत्पादन जो लोग करते थे और उसके लाभ का वितरण सदस्यों में साधारणत: काम के आधार पर होता था, वह क्या है ?
(a) पूँजीवादी
(b) को-ऑपरेटिव सहकारी
(c) सामूहिकीवाद
(d) समाजवाद
3. रूस के संदर्भ में ‘महिला मताधिकार आन्दोलन’ का समर्थक समूह कौन था?
(a) उदारवादी
(b) रैडिकल्स
(c) रूढ़िवादी
(d) इनमें से कोई नहीं
4. रूसी क्रांति के दौरान रूस में बोल्शेविक दल का नेतृत्व किसने किया?
(a) कार्ल मार्क्स
(b) फ्रेडरिक एंगेल्स
(c) ब्लादिमीर लेनिन
(d) ट्रॉटस्की
5. रूसी साम्राज्य के अंतर्गत मुस्लिम सुधारवादी कहे जाते थे ?
(a) जैकोबिन
(b) खलीफा
(c) जदीदी
(d) मुजाहिदीन
6. रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी का गठन किस वर्ष में हुआ था।
(a) 1898
(b) 1896
(c) 1860
(d) 1850
7. अपने ‘अप्रैल थीसिस’ में ब्लादिमीर लेनिन द्वारा तीन माँगों में से एक को अपनाया गया ? इनमें से कौन-सी एक माँग है ?
(a) बोल्शेविक पार्टी का कम्युनिस्ट पार्टी के रूप में पुन: नामकरण
(b) बैंकों का राष्ट्रीयकरण
(c) चुनाव की सामान्य प्रणाली होना
(d) प्रांतीय सरकार को मदद देना
8. इनमें से कौन एक रूस में संविधान सलाहकार संसद थी-
(a) सोवियत
(b) ड्यूमा
(c) ऑरोरा
(d) गुप्तचर पुलिस
9. रूस के संबंध में ‘शांति, भूमि एवं रोटी’ का नारा किसने दिया था ?
(a) चर्नोव
(b) रासपुतिन
(c) लेनिन
(d) ट्रॉटस्की
10. रूस के संदर्भ में इनमें से कोलखोज क्या थे?
(a) सामूहिक खेत
(b) अच्छी स्थिति के किसान
(c) राजनैतिक दल
(d) गरीब और भूमिहीन कृषक
11. एक जर्मन नाम, सेंट पीटर्सवर्ग का नाम बदलकर रखा गया था-
(a) लेनिनग्राद
(b) मास्को
(c) सेंट पीटर्सबर्ग
(d) पेत्रोग्राद
12. रूस के संदर्भ में ‘कुलाक’ क्या था?
(a) एक सामूहिक खेत
(b) एक रूसी चर्च
(c) धनी किसान ,
(d) भूमिहीन श्रमिक
उत्तर (1) (d) ऑस्ट्रिया, (2) (b) को-ऑपरेटिव सहकारी, (3) (b) रैडिकल्स, (4) (c) ब्लादिमीर लेनिन, (5) (c) जदीदी, (6) (a) 1898, (7) (b) बैंकों का राष्ट्रीयकरण, (8) (b) ड्यूमा, (9) (c) लेनिन, (10) (a) सामूहिक खेत, (11) (d) पेत्रोग्राद (12) (c) धनी किसान।
प्रश्न 2. एक शब्द में उत्तर लिखिए –
(1) साम्यवादी विचार के संस्थापक कौन थे?
(2) रूस में आर्थिक नीति को किसने प्रारंभ किया था?
(3) खूनी रविवार का संबंध रूस की किस क्रांति से है?
(4) रूस के शासकों को क्या कहा जाता था ?
(5) रूसी इतिहास के किस तिथि को आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर- (1) कार्ल मार्क्स, (2) लेनिन ने, (3) 1905 की क्रांति, (4) जार, (5) 22 फरवरी । –
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(1) 1917 की रूस की क्रांति का आरंभ ……. शहर से हुआ?
(2) रूस की संसद का नाम ……… था।
(3) मेनशेविक और वोल्शेविक के नेता …….. थे?
(4) रूस के जार निकोलस ।। ने त्यागपत्र ……… को दिया।
(5) रूस के संदर्भ में सामूहिक खेत को …….. कहा जाता था।
उत्तर- (1) पैत्रोग्राद, (2) ड्यूमा, (3) केरेंस्की और लेनिन, (4) 2 मार्च, 1917, (5) कोल खोज ।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
■ लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बीसवीं सदी के प्रारंभ में रूस की आर्थिक सामाजिक परिस्थितियों में से किन्हीं पाँच की व्याख्या कीजिए।
अथवा
बीसवीं सदी में रूस के लोगों की आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर- 1. अर्थव्यवस्था – (i) रूस की अर्थव्यवस्था कृषि पर अधिक निर्भर करती थी। लगभग 85% रूसी जनता कृषि के द्वारा रोज़ी-रोटी कमाती थी। रूस सबसे बड़ा खाद्यान्न का निर्यातक था।
(ii) दस्तकार अधिकतर फैक्ट्रियों में काम करते थे। कारीगरों की वर्कशापों के साथ-साथ बड़े-बड़े कल-कारखाने भी मौजूद थे।
(iii) 1890 के दशक में खूब फैक्ट्रियाँ लगीं। रेल का प्रसार होने से उद्योगों को बढ़ावा मिला।
(iv) कोयले का उत्पादन दोगुना तथा लोहे और स्टील का उत्पादन चार गुना बढ़ गया।
(v) विदेशी निवेश भी बढ़ने लगा जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होने लगी।
2. समाज (i) रूसी समाज दो वर्गों में विभाजित था-कृषक वर्ग तथा उद्योगपति । औद्योगिक वर्ग शहरों में रहता था तथा कृषक वर्ग एवं सामन्त ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे।
(ii) कारखानों में काम करने वाले भी दो गुटों में बँटे थे। कुछ मजदूर शहरों में ही रहते थे और कुछ रोज़ाना गाँवों से आते थे।
(iii) पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम मज़दूरी मिलती थी ।
(iv) गाँवों में अधिकतर कृषक अपने-आप ही खेती करते थे। सामंत, राजशाही और चर्च बहुत बड़े भू-भाग के मालिक थे। इन्हें सम्राट की ओर से बहुत-से अधिकार प्राप्त थे और ये आम जनता पर अत्याचार भी करते थे।
प्रश्न 2. रूसी क्रांति को किन सामाजिक कारकों ने योगदान दिया ?
अथवा
फ्रांस की क्रांति के लिए उत्तरदायी सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-(1) रूस एक विशाल देश था लेकिन यूरोप के अन्य देशों के समान यहाँ उद्योग बहुत कम थे। अधिकतर उद्योग उद्योगपतियों की निजी सम्पत्ति थे। मजदूरों की कार्यस्थिति शोचनीय थी। अस्वास्थकर स्थितियों में काम करने के कारण मजदूरों की जिंदगी खराब हो रही थी।
(2) मजदूरों के समान कृषकों का जीवन भी कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा था ।
( 3 ) देहात की ज्यादातर जमीन पर किसान खेती करते थे । लेकिन विशाल संपत्तियों पर सामंतों, राजशाही और ऑर्थोडॉक्स चर्च का कब्जा था।
(4) किसान और मजदूरों की नागरिक स्वतंत्रता की माँग जोर पकड़ रही थी। वे निर्वाचित असेंबली भी चाहते थे। साथ ही किसान माँग कर रहे थे कि सामंतों के कब्जे वाली जमीन फौरन किसानों को सौंपी जाए। रूस की क्रांति में इन सब कारणों का योगदान था।
प्रश्न 3. रूस में 1904 में हुए किन्हीं तीन परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
के रूसी कामगारों के लिए 1904 का वर्ष बुरा क्यों माना जाता है ? कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- (1) सन् 1904 का समय कामगारों के लिए बहुत कठिन था । आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने वाली वस्तुओं की कीमत बढ़ गयी थी। कामगारों की आय कम हो गयी थी।
(2) मजदूरों की यूनियनों की संख्या में वृद्धि हो गई। अक्सर ये यूनियन अपनी माँगों को लेकर हड़ताल कर देते थे।
(3) कुछ दिनों पश्चात् 1,10,000 कामगार सेंट पीटर्सबर्ग में एकत्रित होकर हड़ताल पर बैठ गए। उनकी माँग थी कि काम के घंटे घटाकर आठ घंटे किए जाए तथा मजदूरी बढ़ाई जाए। साथ ही, कार्यस्थितियों में सुधार किया जाए।
प्रश्न 4. रूस के उद्योगों को प्रथम विश्व युद्ध के प्रभावों से संबंद्ध कीजिए।
उत्तर- रूस के उद्योगों पर प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव
(1) रूस के स्वयं के उद्योगों की संख्या बहुत कम थी तथा बाल्टिक समुद्र पर जर्मनी के नियंत्रण के कारण रूस में औद्योगिक वस्तुओं की आपूर्ति लगभग बंद हो गई थी।
(2) यूरोप के शेष हिस्सों की तुलना में रूस में औद्योगिक उपकरण अधिक तेजी से बिखर गए।
(3) 1916 तक रेलवे लाइनें टूटने लगीं।
(4) सक्षम पुरुषों को युद्ध क्षेत्र में बुला लिया गया। फलतः, श्रमिकों की कमी हो गई तथा आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले छोटे-छोटे कारखाने ठप्प पड़ गए।
(5) सेना को भोजन उपलब्ध कराने के लिए बड़े स्तर पर अनाजों की आपूर्ति की गई।
प्रश्न 5. क्रांति से पूर्व रूस की राजनैतिक दशा का वर्णन कीजिए।
अथवा
1905 से पूर्व की रूस की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- (1) रूस एक निरंकुश राजशाही था। अन्य यूरोपीय शासकों के विपरीत बीसवीं सदी के आरंभ में ज़ार राष्ट्रीय संसद के अधीन नहीं था। अत: उदारवादियों ने इसे खत्म करने के लिए बड़ी मुहिम चलाई।
(2) ज़ार लोगों के प्रति असहानुभूतिपूर्ण रवैया रखता था। प्रशासन व्यवस्था भ्रष्टाचारी नौकरशाही के हाथ में थी। इसलिए ज़ार आम जनता से दूर होता गया।
(3) ज़ार निकोलस द्वितीय (II) ने प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेकर रूस की जनता को और अधिक आर्थिक समस्याओं में उलझा दिया। अप्रशिक्षित थी, अतः जान-माल का भयंकर नुकसान हुआ।
(4) दूसरी ओर, कार्ल मार्क्स का ‘साइंटिफिक सोशलिज्म’ लोकप्रिय हो रहा था। जिसके अनुसार ज़मीनों पर किसानों का हक होना चाहिए।
(5) पूरे विश्व में समाजवादी विचारधारा फैल रही थी। मजदूरों और किसानों ने राजवंश के क्रूर और अमानवीय तंत्र से बचने के लिए अनेक संगठन बना लिए थे लेकिन 1914 से पहले रूस के सभी राजनीतिक दल गैरकानूनी थे।
(6) ज़ार ने दो ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया था। उन्होंने राजनीतिक दलों और उनकी कार्यविधियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी।
मानचित्र पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1. विश्व के दिए हुए रेखा- मानचित्र पर संख्याओं द्वारा लक्षण चिन्हित किए गए हैं। नीचे दी गई जानकारी आधार पर इन लक्षणों की पहचान कीजिए तथा मानचित्र में चिह्नित रेखाओं पर उनके सही नाम लिखिए
(1) एक प्रमुख देश जो प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल था जिसने जर्मनी की तरफ से लड़ाई लड़ी।
(2) एक प्रमुख देश जो प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल था जिसने जर्मनी के विरुद्ध लड़ाई लड़ी।
( 3 ) मित्र शक्तियों से संबंधित एक प्रमुख देश ।
(4) ज़ार निकोलस द्वितीय से संबंधित देश |
(5) केंद्रीय शक्तियों से संबंधित देश।
(6) एक तटस्थ राज्य जो बाद में केंद्रीय शक्तियों से जा मिला।
(7) एक तटस्थ राज्य जो बाद में मित्र शक्तियों से जा मिला।
(8) स्पेन का पश्चिमी पड़ोसी देश जो बाद में मित्र शक्तियों से जा मिला।
(9) जर्मनी का पूर्वी पड़ोसी देश जो मित्र शक्तियों के खिलाफ़ लड़ा।
(10) प्रथम विश्वयुद्ध का एक प्रमुख देश जिसने केंद्रीय शक्तियों के विरुद्ध युद्ध किया।
( 11 ) उत्तरी अमेरिका का एक प्रमुख देश जो सन् 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हुआ।
(12) एक साम्राज्य जो बाद में केंद्रीय शक्तियों में शामिल हुआ।
(13) स्पेन का पड़ोसी देश जिसने केन्द्रीय शक्तियों के विरुद्ध युद्ध किया।

उत्तर- (1) तुर्की (ऑटोमन साम्राज्य), (2) इंग्लैण्ड, (3), (4) रूस, (5) जर्मनी, (6) बुल्गारिया, (7) रूमानिया, (8) पुर्तगाल, (9) ऑस्ट्रिया-हंगरी, (10) बेल्जियम, ( 11 ) यू. एस. ए., (12) ऑटोमन साम्राज्य, (13) फ्रांस।
