MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 संसाधन के रूप में लोग
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 संसाधन के रूप में लोग
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 संसाधन के रूप में लोग
महत्वपूर्ण स्मरणीय बिन्दु
दूसरे संसाधनों की तरह जनसंख्या भी एक संसाधन है। यह एक मानव संसाधन है।
जब उपलब्ध मानव संसाधन को उचित शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा और अधिक विकसित किया जाता है , तब हम इसे मानव पूँजी निर्माण कहते हैं।
मानव पूँजी निर्माण, भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक शक्ति में वृद्धि करता है।
बेहतर शिक्षा, प्रशिक्षण और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा मानव पूँजी में निवेश किया जाता है और यह निवेश भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है।
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांति एक अनुपम उदाहरण है कि किस प्रकार भौतिक मशीनरी और प्लांट की अपेक्षा मानव पूँजी ने उच्च स्थान प्राप्त कर लिया है।
जब किसी देश में शिक्षा, प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश किया जाता है तो उस देश की जनसंख्या मानव पूँजी में बदल जाती है।
मानव पूँजी एक तरह से अन्य संसाधनों जैसे- भूमि और भौतिक पूँजी से श्रेष्ठ है क्योंकि मानव संसाधन, भूमि और पूँजी का उपयोग कर सकता है। भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।
मानव पूँजी में निवेश द्वारा इसे एक उत्पादक परिसंपत्ति में बदला जा सकता है।
जनसंख्या की गुणवत्ता; साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा से निरूपित व्यक्तियों के स्वास्थ्य और देश के लोगों द्वारा प्राप्त कौशल निर्माण पर निर्भर करती है ।
किसी अर्थव्यवस्था के समग्र विकास पर बेरोजगारी का अहितकर प्रभाव पड़ता है क्योंकि बेरोजगारी से जनशक्ति संसाधन की बर्बादी होती है और आर्थिक बोझ में वृद्धि होती है।
प्रच्छन्न बेरोजगारी, कृषि क्षेत्रक में पाई जाती है।
क्रियाकलाप तथा पाठगत प्रश्न
प्रश्न 1. नीचे दिए गए चित्र को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक आदि अर्थव्यवस्था के लिए किस प्रकार परिसंपत्ति है?

उत्तर- जब किसी देश के लोगों को बेहतर शिक्षा, प्रशिक्षण और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं द्वारा और अधिक विकसित किया जाता है तो यही जनसंख्या मानव पूँजी में बदल जाती है। एक डॉक्टर अपने उपचार द्वारा रोगियों को स्वस्थ बनाता है और स्वस्थ व्यक्ति ही कार्यशील होकर श्रम कर सकता है और कुछ उत्पादन कर सकता है। इस प्रकार डॉक्टर अर्थव्यवस्था के लिए उपयोगी और स्वस्थ मानव संसाधन प्रदान करता है।
एक शिक्षक ही अपनी शिक्षा और ज्ञान से देश को भावी डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर आदि प्रदान करता है और उन्हें उनके क्षेत्र का आवश्यक कौशल प्रदान करता है।
अर्थव्यवस्था में उत्पादन के केन्द्र कल-कारखाने होते हैं और इन कल – कारखानों में मशीनों और कल-पुर्जों के निर्माण व मरम्मत का कार्य इंजीनियर अपने कौशल से करते हैं तभी उत्पादन सुचारू ढंग से चल सकता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर आदि अर्थव्यवस्था के लिए एक उपयोगी परिसंपत्ति है।
प्रश्न 2. निम्न आरेख का अध्ययन करें और आरेख के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

स्रोत : एन्विस सेंटर ऑन पापुलेशन, आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18
(1) क्या 1951 से जनसंख्या की साक्षरता दर बढ़ी है? उत्तर – हाँ, 1951 से भारत में जनसंख्या की साक्षरता दर में काफी वृद्धि हुई है।
(2) किस वर्ष भारत में साक्षरता दर सर्वाधिक रही? –
उत्तर भारत में साक्षरता दर वर्ष 2011 में सर्वाधिक रही।
(3) भारत में पुरुषों में साक्षरता दर अधिक क्यों है?
उत्तर – भारत में माता-पिता, लड़कों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देते हैं इसलिए भारत में पुरुषों की साक्षरता दर अधिक है।
(4) पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ कम शिक्षित क्यों है?
उत्तर- भारत में लड़कियों के लिए स्कूल कॉलेज की शिक्षा से अधिक घरेलू कामों की शिक्षा लड़कियों को देने पर अधिक महत्व दिया जाता है। अतः महिलाएँ कम शिक्षित हैं।
(5) आप भारत में लोगों की साक्षरता दर का परिकलन कैसे करेंगे ?
उत्तर- साक्षरता दर के परिकलन की विधि यह है कि सात वर्ष और उससे अधिक उम्र के वे लोग जो किसी भी भाषा में एक सामान्य पैराग्राफ को समझ, पढ़ और लिख सकते हैं, वे साक्षर प्रतिशत के रूप में की जाती है। माने जाते हैं। साक्षरता दर की गणना कुल जनसंख्या के
( 6 ) 2020 में भारत की साक्षरता दर का आपका पूर्वानुमान क्या है ?
उत्तर- 2020 में भारत की साक्षरता दर लगभग 88% होगी। ऐसा हमारा पूर्वानुमान है।
प्रश्न 3. निम्न सारणी का अध्ययन करें और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सारणी – उच्च शिक्षा के संस्थानों की संख्या, नामांकन तथा संकाय –

(1) क्या विद्यार्थियों की बढ़ती हुई संख्या को प्रवेश देने के लिए कॉलेजों की संख्या में वृद्धि पर्याप्त है ?
(2) क्या आप सोचते हैं कि हमें विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ानी चाहिए?
(3) वर्ष 1950-51 से वर्ष 1998-99 तक शिक्षकों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है?
(4) भावी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के बारे में आपका क्या विचार है ?
उत्तर – (1) नहीं, विद्यार्थियों की बढ़ती हुई संख्या, जो 2016-17 में 2,94,27,158 थी, उसे प्रवेश देने के लिए कॉलेजों की संख्या में केवल 42,338 तक की वृद्धि पर्याप्त नहीं है।
(2) हाँ, भारत में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालयों की संख्या अवश्य बढ़ानी चाहिए और दूरस्थ क्षेत्रों तक विश्वविद्यालयों की पहुँच बनाई जानी चाहिए।
(3) शिक्षकों की संख्या 1950-51 में 24,000 से बढ़कर वर्ष 1998-99 में 3,42,000 हो गई। अतः शिक्षकों की संख्या में 3,18,000 की वृद्धि हुई।
(4) भारत जैसे विशाल देश में कॉलेजों, विशेषकर व्यावसायिक कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाने की अति आवश्यकता है। साथ ही, दूरस्थ शिक्षा का विस्तार किया जाना चाहिए ।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. ‘संसाधन के रूप में लोग’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – जब विद्यमान मानव संसाधन को और अधिक बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य द्वारा और अधिक विकसित किया जाता है, तो हम इसे मानव पूँजी निर्माण कहते हैं। यह भौतिक पूँजी निर्माण की ही भाँति देश की उत्पादक शक्ति में वृद्धि करता है। इसे मानव संसाधन कहते हैं।
प्रश्न 2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है?
उत्तर- मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से इस प्रकार भिन्न है –
( 1 ) मानव संसाधन भूमि और पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का प्रयोग कर सकता है। किन्तु भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते ।
(2) अन्य संसाधनों से अलग मानव संसाधन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि अधिक शिक्षित एवं अधिक स्वस्थ लोगों के लाभ स्वयं उन तक ही सीमित नहीं होते हैं, बल्कि उनका लाभ उन तक भी पहुँचता है जो स्वयं उतने शिक्षित एवं स्वस्थ नहीं है।
(3) अन्य संसाधनों से भिन्न, मानव संसाधन का आर्थिक विकास की दृष्टि से दोहरा महत्व है। लोग विकास के साधन और साध्य दोनों होते हैं। एक ओर तो वे उत्पादन के साधन और दूसरी ओर, वे अंतिम उपयोगकर्ता अर्थात् स्वयं साध्य भी होते हैं।
प्रश्न 3. मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?
उत्तर- मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की भूमिका निम्नानुसार हैं –
(1) शिक्षा व्यक्ति के लिए नए क्षितिज खोलती है, नई आकांक्षाएँ उत्पन्न करती है और जीवन के मूल्य विकसित करती है।
(2) शिक्षा मानव पूँजी निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह देश की उत्पादक क्षमता में वृद्धि करती है।
(3) यह समाज की संवृद्धि में योगदान देती है तथा सांस्कृतिक समृद्धि बढ़ाती है।
(4) यह व्यक्तित्व विकास हेतु महत्वपूर्ण आगत प्रदान करती है। शिक्षा एवं कौशल निर्माण किसी देश के प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग में अति सहायक होता है।
(5) यह व्यक्तिगत आय तथा प्रशासन की कुशलता भी बढ़ाती है।
प्रश्न 4. मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?
उत्तर- मानव पूँजी निर्माण में स्वास्थ्य की भूमिका निम्नानुसार है –
(1) स्वस्थ लोगों की आर्थिक उत्पादकता अधिक होती है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता को बढ़ाने और रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।
(2) यह देखा गया है कि एक स्वस्थ कर्मचारी अपने काम में अधिक समय दे पाते हैं। उनका अच्छा स्वास्थ्य उन्हें अधिक कुशलतापूर्वक काम करने में समर्थ बनाता है।
(3) अस्वस्थ लोग वास्तव में किसी संगठन के लिए बोझ बन जाते हैं।
क्षमता (4) एक स्वस्थ व्यक्ति में काम करने की अधिक शक्ति, एवं सामर्थ्य होती है। उसका स्वास्थ्य उसकी क्षमता को प्राप्त करने तथा जीवन में लक्ष्य तक पहुँचने में सहायता प्रदान करता है।
(5) जनसंख्या के स्वास्थ्य में सुधार से मानव पूँजी का निर्माण होता है।
(6) स्वास्थ्य बीमारियों से लड़ने तथा जीवन में कई कठिनाइयों से सामना करने की शक्ति भी देता है। स्वस्थ व्यक्ति किसी भी संगठन के साथ-साथ देश के लिए भी परिसंपत्ति बन जाते हैं।
प्रश्न 5. किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?
उत्तर- किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की भूमिका निम्नानुसार है
(1) किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य उसे अपनी क्षमता व कौशल को बढ़ाने और बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है।
(2) एक स्वस्थ व्यक्ति अपने कौशल और उत्पादकता द्वारा देश के विकास में ही अपना योगदान नहीं देता है बल्कि वह विकास का लाभ अधिक अच्छी तरह उठा पाता है और देश के लिए एक परिसंपत्ति बन जाता है।
(3) अच्छा स्वास्थ्य व्यक्ति की कुशलता और क्षमता बढ़ाता है जिससे उसकी कुल उत्पादकता बढ़ती है। इससे उसे अच्छा वेतन और तरक्की का अवसर प्राप्त होता है।
(4) कठिन और लगातार परिश्रम करने और जीवन का आनन्द उठाने की किसी व्यक्ति की क्षमता काफी हद तक उसके स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करती है। जबकि अस्वस्थ लोग वास्तव में, किसी संगठन के लिए बोझ बन जाते हैं।
प्रश्न 6. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती है?
उत्तर- आर्थिक क्रियाकलापों को तीन भागों में बाँटा जाता है। ये हैं- प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक।
1. प्राथमिक क्षेत्रक इसके अन्तर्गत कृषि, वानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन, खनन और उत्खनन शामिल हैं।
2. द्वितीयक क्षेत्रक- इसमें विनिर्माण कार्य और भवनों, पुलों आदि के निर्माण कार्य शामिल हैं।
3. तृतीयक क्षेत्रक इसमें व्यापार, परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन सेवाएँ इत्यादि शामिल किए जाते हैं।
ये क्रियाकलाप राष्ट्रीय आय में मूल्य-वर्धन करते हैं।
प्रश्न 7. आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में क्या अंतर है?
उत्तर- आर्थिक और गैर-आर्थिक क्रियाओं में अन्तर निम्नलिखित है –

प्रश्न 8. महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती है ?
उत्तर – ( 1 ) शिक्षा और कौशल बाजार में किसी व्यक्ति की आय को निर्धारित करने वाले प्रमुख कारक होते हैं।
(2) शिक्षा व्यक्ति को उपलब्ध आर्थिक अवसरों के बेहतर उपयोग में सहायता करती है। चूँकि अधिकांश महिलाओं के पास बहुत कम शिक्षा होती है, इसलिए उन्हें पुरुषों की अपेक्षा कम पारिश्रमिक दिया जाता है।
(3) कौशल या व्यावसायिक हुनर भी किसी व्यक्ति की आय का निर्धारक होता है। महिलाएँ प्राय: अकुशल होती है इसलिए उन्हें पुरुषों की अपेक्षा कम वेतन वाले काम करने पड़ते हैं। परन्तु उच्च शिक्षा और उच्च कौशल प्राप्त महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन मिलता है।
प्रश्न 9. ‘बेरोजगारी’ शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?
उत्तर- (1) बेरोजगारी उस समय विद्यमान कही जाती है, जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए इच्छुक लोग रोजगार नहीं पा सकें ।
( 2 ) बेरोजगारी से जनशक्ति संसाधन की बर्बादी होती है। जो लोग अर्थव्यवस्था के लिए परिसंपत्ति होते हैं, बेरोजगारी के कारण बोझ में बदल जाते हैं।
( 3 ) युवा वर्गों में निराशा, हताशा और कुण्ठा की भावना पनपती है।
(4) बेरोजगारी से आर्थिक बोझ में वृद्धि होती है। कार्यरत जनसंख्या पर बेरोजगारों की निर्भरता बढ़ती है।
(5) किसी व्यक्ति और साथ ही साथ समाज के जीवन की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
( 6 ) जब किसी परिवार को मात्र जीवन निर्वाह स्तर पर रहना पड़ता है, तो उसके स्वास्थ्य स्तर में एक आम गिरावट आती है और शिक्षा प्रणाली से अलगाव में वृद्धि होती है।
(7) किसी अर्थव्यवस्था के समग्र विकास पर बेरोजगारी का अहितकर प्रभाव पड़ता है। बेरोजगारी में वृद्धि मंदीग्रस्त अर्थव्यवस्था का सूचक है। यह संसाधनों की बर्बादी भी करता है, जिन्हें उपयोगी ढंग से नियोजित किया जा सकता था।
प्रश्न 10. प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है ?
उत्तर- प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में अन्तर निम्नलिखित है-

प्रश्न 11. शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है ?
उत्तर- शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या निम्नानुसार है –
( 1 ) बेरोजगारी के कारण मानव संसाधन की क्षति होती है।
(2) कई युवा जिनके पास उच्चतर माध्यमिक स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्रियाँ हैं, उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है।
(3) शिक्षित लोग रोजगार द्वारा आय प्राप्त करने के लिए काम करने की इच्छा रखते हैं किंतु काम नहीं मिल पाता है। यह एक महान सामाजिक क्षति की ओर संकेत करता है।
(4) यदि योग्य लोगों का संसाधन के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है तो वे अर्थव्यवस्था के लिए बोझ बन जाते हैं ।
(5) हमारे देश में एक तरफ तो तकनीकी कौशल से युक्त लोगों की कमी नहीं है वहीं दूसरी ओर, आर्थिक विकास के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल का अभाव भी है।
प्रश्न 12. आपके विचार से भारत किस क्षेत्रक में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है ?
उत्तर – हमारे विचार से भारत सूचना प्रौद्योगिकी (I.T.) के क्षेत्र में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है, भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असीम प्रतिभाएँ विद्यमान हैं जो इस क्षेत्र के आवश्यक कौशल से परिपूर्ण हैं। यही कारण है कि आज अमेरिका, फ्रांस, कनाड़ा, ब्रिटेन, जर्मनी और दुनिया के देशों में लाखों भारतीय युवा साफ्टवेयर इंजीनियर और सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ के रूप में कार्य कर रहे हैं। आउटसोर्सिंग जैसे माध्यमों से भारतीय युवाओं को भारी मात्रा में रोजगार मिल रहा है। ऐसी स्थिति में हमें सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र को और विकसित कर तथा युवाओं को इस कार्य में प्रशिक्षित करके रोजगार के अवसर सृजित कर सकते हैं। कृषि जैसे प्राथमिक क्षेत्रकों में प्रच्छन्न बेरोजगारी पाई जाती है और युवाओं को वर्ष भर रोजगार नहीं मिलता।
विनिर्माण के क्षेत्र में भी पहले से ही आवश्यक श्रम बल मौजूद है। अत: हमें रोजगार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों को विकसित करना चाहिए।
प्रश्न 13. क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं?
उत्तर- (1) उद्यमिता विकास, रोजगार के नए अवसर प्रदान करते हैं। इसमें नए उद्योगों की शुरुआत भी शामिल है। पूँजी के साथ-साथ नए उद्योगों में निपुण और कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इन्हें उपयुक्त प्रशिक्षण द्वारा निपुण बनाया जाता है। शिक्षित बेरोजगारों को इस प्रकार के अवसरों का सदुपयोग करना चाहिए।
(2) व्यावसायिक शिक्षा को अब स्कूली शिक्षा प्रणाली का ही एक भाग बना दिया जाए।
(3) एक ओर तकनीकी अर्हता प्राप्त लोगों के बीच बेरोजगारी है, तो दूसरी ओर आर्थिक उन्नति के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल की कमी भी है। इससे अभिप्राय है कि तकनीकी रूप से शिक्षित लोग भी विशिष्ट तकनीकी कौशलों का प्रयोग करने में अक्षम होते हैं। इस प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए कुछ मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है।
(4) औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) की शुरूआत इस दिशा में उठाया गया एक सही कदम है। परन्तु अभी भी रोजगार केन्द्रित व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण की अत्यधिक आवश्यकता है।
( 5 ) उपयुक्त प्रशिक्षण और कौशल विकास के माध्यम से श्रमिकों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। कौशल विकास से कार्य में नई तकनीकों को अपनाना संभव होता है। इस हेतु सरकार को कुछ उपयोगी कदम उठाने चाहिए।
प्रश्न 14. क्या आप कुछ ऐसे गाँवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोजगार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया?
उत्तर- ( 1 ) (i) मेरे गाँव के आस-पास कुछ आर्थिक रूप से पिछड़े गाँव हैं। इन गाँवों के अधिकांश लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जातियों से संबंधित हैं।
(ii) उनका मुख्य व्यवसाय कृषि और पशुपालन था। इन गाँवों में परिवार के लगभग सभी सदस्य अपने खेतों में काम करते थे। | परन्तु वास्तव में, प्रत्येक सदस्य को उन्हीं खेतों में काम करने की आवश्यकता नहीं थी। इस प्रकार प्रच्छन्न बेरोजगारी थी।
(iii) ये सभी गाँव आर्थिक रूप से पिछड़े थे और यहाँ रोजगार का कोई अवसर व साधन नहीं था।
(2) (i) एक बार खण्ड विकास अधिकारी (बी.डी.ओ.) ने इन गाँवों के लोगों और अपने क्षेत्र के पंच / सरपंच की बैठकें बुलाई।
(ii) उसने शिक्षा के महत्व को बताया और माता-पिता को स्कूल में अपने बच्चे का नामांकन करवाने के लिए प्रोत्साहित किया। कुछ लोग जिला नवोदय विद्यालय और जिला शा उत्कृष्ट विद्यालयों में अपने बच्चे का नामांकन करवाने के लिए सहमत हो गए।
(iii) कुछ समय बाद छात्र शिक्षित होकर अपने-अपने गाँव लौटे। उनमें से कुछ लोगों ने अपने गाँव के बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ कर दिया। कोचिंग संस्थान खोले । कुछ व्यक्तियों ने सरकार से ऋण लेकर अपनी लघु स्तरीय व्यावसायिक इकाइयाँ व कुटीर उद्योग चलाना प्रारंभ कर दिया। कुछ लड़कियों ने सिलाई-कढ़ाई-बुनाई का प्रशिक्षण लिया और गाँव के सभी लोगों के लिए कपड़े सीने लगी।
(iv) इस सफलता से प्रेरित होकर इन गाँवों के सभी परिवारों ने अपने बच्चों को शिक्षा देना प्रारंभ कर दिया। कुछ छात्र मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के लिए चुन लिए गए। वे पढ़ाई के बाद नजदीकी गाँवों के बीमार लोगों का इलाज करने लगे । इस तरह इन गाँवों में शिक्षकों, दर्जियों, डॉक्टरों एवं अन्य कई तरह के रोजगार सृजित कर लिए गए जिससे गाँव के लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठा।
प्रश्न 15. किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैंभूमि, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी? क्यों?
उत्तर- निस्संदेह, मानव पूँजी को हम सबसे अच्छी पूँजी मानते हैं। मानव पूँजी: भूमि, श्रम और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कई दृष्टि से अच्छी है।
(1) मानव संसाधन भूमि और पूँजी जैसे अन्य संसाधनों का प्रयोग कर सकता है किन्तु भूमि और पूँजी अपने आप उपयोगी नहीं हो सकते।
(2) मानव संसाधन अन्य संसाधनों से इसलिए अच्छा है क्योंकि इसका आर्थिक विकास की दृष्टि से दोहरा महत्व है। लोग विकास के साधन और साध्य दोनों होते हैं। एक ओर वे उत्पादन के साधन और दूसरी ओर, वे अन्तिम उपयोगकर्ता एवं स्वयं साध्य भी होते हैं। इसका कारण यह है कि विकास का अंतिम उद्देश्य लोगों को बेहतर और अधिक सुरक्षित जीवन प्रदान करना है।
(3) मानव पूँजी की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि अधिक शिक्षित एवं अधिक स्वस्थ लोगों के लाभ स्वयं उन तक ही सीमित नहीं होते हैं, बल्कि उनका लाभ उन तक भी पहुँचता है जो स्वयं उतने शिक्षित एवं स्वस्थ नहीं है। जबकि भूमि, श्रम और भौतिक पूँजी के संदर्भ में ऐसा नहीं होता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प का चयन कीजिए –
( 1 ) निम्नांकित में से कौन-सा पूँजी निर्माण का कारक नहीं है ?
(a) बेहतर शिक्षा व्यवस्था
(b) बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ
(c) श्रम बल हेतु आवश्यक प्रशिक्षण
(d) श्रमिकों के वेतन में वृद्धि
(2) निम्नांकित में से किसमें निवेश द्वारा, बोझ समझी जाने वाली विशाल जनसंख्या को उत्पादक परिसंपत्ति में परिवर्तित किया जा सकता है ?
(a) बिजली
(b) सिंचाई
(c) मानव पूँजी
(d) भूमि
(3) निम्नांकित में से कौन-सी गतिविधि अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र में सम्मिलित नहीं है?
(a) कृषि व पशुपालन
(b) विनिर्माण
(c) खनन व उत्खनन
(d) वानिकी, मुर्गीपालन
(4) निम्नांकित में से कौन-सी क्रिया गैर- आर्थिक क्रिया है ?
(a) किसी कोचिंग संस्थान में पढ़ाना
(b) निजी फर्म में काम करना
(c) परिवार के लिए भोजन पकाना
(d) बाजार में मछली बेचना
(5) अर्थव्यवस्था के किस क्षेत्रक में प्रच्छन्न बेरोजगारी पाई जाती है –
(a) विनिर्माण
(b) कृषि
(c) परिवहन
(d) बैंकिंग
उत्तर- (1) (d), (2) (c), (3) (b), (4) (c) (5) (b)
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(1) शिशु मृत्युदर का संबंध …….. वर्ष से कम आयु के बच्चे की मृत्यु से है।
(2) प्रच्छन्न बेरोजगारी …….. क्षेत्रों में पाई जाती है।
(3) शिक्षित बेरोजगारी ……… क्षेत्रों में पाई जाती है।
(4) जनसंख्या एक …….. संसाधन है।
(5) ……… से जनशक्ति संसाधन की बर्बादी होती है।
उत्तर- (1) 1 वर्ष, ( 2 ) ग्रामीण, ( 3 ) नगरीय, ( 4 ) मानव, (5) बेरोजगारी ।
प्रश्न 3. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए
(1) भारत में कुल कितने मेडिकल कॉलेज हैं?
उत्तर- भारत में कुल 381 मेडिकल कॉलेज हैं।
(2) भारत में कुल कितने डेन्टल कॉलेज हैं?
उत्तर – भारत में कुल 301 डेन्टल कॉलेज हैं।
(3) स्वास्थ्य सेवाओं और मेडिकल कॉलेजों की संख्या की दृष्टि से भारत के अग्रणी राज्य कौन-से हैं?
उत्तर- आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु ।
(4) बेरोजगारी में वृद्धि किस स्थिति का सूचक है ?
उत्तर – बेरोजगारी में वृद्धि मंदीग्रस्त अर्थव्यवस्था का सूचक है।
(5) किसी निजी फर्म का क्या उद्देश्य होता है ?
उत्तर- लाभ को अधिकतम करना ।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
■ लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. मानव पूँजी में निवेश से क्या आशय है ?
उत्तर- मानव पूँजी में निवेश से आशय है, लोगों की बेहतर शिक्षा, प्रशिक्षण और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास के कार्यों में धन लगाना ।
प्रश्न 2. मानव पूँजी में निवेश से क्या लाभ प्राप्त होता है?
उत्तर- मानव पूँजी में निवेश, भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करता है और देश की उत्पादक शक्ति में वृद्धि करता है।
प्रश्न 3. किसी देश की जनसंख्या, मानव पूँजी में कब बदल जाती है?
उत्तर – जब शिक्षा, प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश किया जाता है तो किसी देश की जनसंख्या मानव पूँजी में बदल जाती है।
■ दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 4. आर्थिक क्रियाओं से क्या आशय है? बाजार क्रियाओं और गैर बाजार क्रियाओं परिभाषित कीजिए?
उत्तर – ऐसी क्रियाएँ जिनके फलस्वरूप वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है और जो क्रियाएँ राष्ट्रीय आय में मूल्यवर्धन करती है उन्हें आर्थिक क्रियाएँ कहते हैं। इन आर्थिक क्रियाओं के दो भाग होते हैं- बाजार क्रियाएँ और गैर बाजार क्रियाएँ। बाजार क्रियाओं में वेतन या लाभ के उद्देश्य से की गई क्रियाओं के लिए पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है। इनमें सरकारी सेवा सहित वस्तु या सेवाओं का उत्पादन शामिल है। गैर बाजार क्रियाओं से अभिप्राय स्व-उपभोग के लिए उत्पादन है। इनमें प्राथमिक उत्पादों का उपभोग और प्रसंस्करण तथा अचल संपत्तियों का स्वलेखा उत्पादन आता है।
प्रश्न 5. जनसंख्या की गुणवत्ता किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर- जनसंख्या की गुणवत्ता; साक्षरता दर, जीवन – प्रत्याशा से निरूपित व्यक्तियों के स्वास्थ्य और देश के लोगों द्वारा प्राप्त कौशल निर्माण पर निर्भर करती है। जनसंख्या की गुणवत्ता अंतत: देश की संवृद्धि दर निर्धारित करती है।