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MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती

महत्वपूर्ण स्मरणीय बिन्दु

निर्धनता का अर्थ है भुखमरी और आश्रय का न होना।
निर्धनता एक ऐसी स्थिति है, जब माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय नहीं भेज पाते या कोई बीमार व्यक्ति अपना इलाज नहीं करवा पाता।
निर्धनता का अर्थ स्वच्छ जल और सफाई सुविधाओं का अभाव भी है।
नियमित रोजगार की कमी निर्धनता का एक प्रमुख कारण है।
निर्धन व्यक्ति के पास न्यूनतम शालीनता स्तर का अभाव होता है।
निर्धन व्यक्ति असहायता की भावना के साथ जीता है।
निर्धनता के सामान्यतया प्रयोग किए जाने वाले सूचक आय और उपभोग के स्तर से संबंधित हैं।
वर्तमान में निर्धनता को अनेक सामाजिक सूचकों के माध्यम से भी देखा जाता है। जैसे-निरक्षरता स्तर, कुपोषण, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, सुरक्षित पेयजल की कमी आदि।
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन प्रति पाँच वर्ष पर राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन द्वारा किया जाता है।
भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है।
भूमिहीनता, बेरोजगारी, बड़ा परिवार, निरक्षरता, कुपोषण, खराब स्वास्थ्य आदि निर्धनता के प्रधान कारण हैं।
क्रियाकलाप तथा पाठगत प्रश्न
प्रश्न 1. निर्धनता से संबद्ध निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा करें –
भूमिहीनता, बेरोजगारी, परिवार का आकार, निरक्षरता खराब स्वास्थ्य / कुपोषण, बाल श्रम और असहायता।
उत्तर- 1. भूमिहीनता – भूमिहीनता निर्धनता का प्रमुख कारण है। भूमिहीन श्रमिक प्राय: समाज के पिछड़े वर्ग से संबंधित होते हैं। उन्हें दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद बहुत कम मजदूरी मिलती है जिससे उनका जीवन स्तर निम्न होता है।
2. बेरोजगारी यह वह स्थिति है जब श्रमिक प्रचलित मजदूरी पर काम करना चाहते हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिलता है। जब देश की श्रम शक्ति बेरोजगारी के कारण बेकार रहती है तो आय एवं क्रय-शक्ति का स्तर गिर जाता है जिससे निर्धनता बढ़ती है और कार्यरत जनसंख्या पर बेरोजगारों की निर्भरता बढ़ती है। –
3. परिवार का आकार जब परिवार का आकार बड़ा होता है तो परिवार की आय परिवार के सदस्यों की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने में भी कम पड़ जाती है। अत: वे निर्धन होते हैं।
4. निरक्षरता अशिक्षा और निर्धनता एक-दूसरे पर निर्भर करती है। निर्धनता के कारण माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करने में सक्षम नहीं होते हैं। दूसरी ओर, अशिक्षा निर्धनता का एक प्रमुख कारण है। इस प्रकार गरीबी का दुष्चक्र चलता रहता है।
5. खराब स्वास्थ्य / कुपोषण – निर्धनता के कारण लोगों को खराब स्वास्थ्य और कुपोषण का शिकार होना पड़ता है। उन्हें पौष्टिक भोजन और दवा नहीं मिल पाती है जिससे उनकी है कार्यक्षमता व आय कम हो जाती है।
6. बाल श्रम – माता-पिता की निम्न आय के कारण बाल श्रमिक अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते और गरीबी के दुष्चक्र में उलझ जाते हैं। बच्चों को काम करके अपने परिवार के लिए पूरक आय प्रदान करने हेतु गरीबी बाध्य करती है।
7. असहायता – निर्धनता के कारण लोग असहाय हो जाते हैं। वे थोड़ी-सी आय के लिए कठिन काम करने को बाध्य होते हैं।
प्रश्न 2. विभिन्न देश विभिन्न निर्धनता रेखाओं का प्रयोग क्यों करते हैं?
उत्तर- मूल आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए आवश्यक वस्तुएँ विभिन्न कालों एवं विभिन्न देशों में भिन्न है। अत: काल एवं स्थान के अनुसार निर्धनता रेखा भिन्न हो सकती है। प्रत्येक देश निर्धनता रेखा के रूप में एक काल्पनिक रेखा का प्रयोग करता है जिसे विकास एवं उसके स्वीकृत न्यूनतम सामाजिक मानदंडों के वर्तमान स्तर के अनुरूप माना जाता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में उस आदमी को निर्धन माना जाता है, जिसके पास कार नहीं है, जबकि भारत में अब भी कार रखना विलासिता मानी जाती है।
प्रश्न 3. निम्न तालिका का अध्ययन कीजिए और उसके नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
तालिका – भारत में निर्धनता के अनुमान (तेंदुलकर कार्यप्रणाली)
(1) 1993-94 और 2004-05 के मध्य निर्धनता अनुपात में गिरावट आने के बावजूद निर्धनों की संख्या 407 करोड़ के लगभग क्यों बनी रही?
(2) क्या भारत में निर्धनता में कमी की गति ग्रामीण और शहरी भारत में समान है?
उत्तर- (1) 1993-94 और 2004-05 के बीच हमारे देश में जनसंख्या की वृद्धि दर काफी अधिक थी। इसके अलावा आर्थिक विकास का लाभ मुख्यतः धनवान लोगों को हुआ । इसलिए 1993-94 और 2004-05 के बीच निर्धनता अनुपात में गिरावट होने के बावजूद निर्धन लोगों की संख्या 407 करोड़ के आस-पास ही बनी रही ।
(2) नहीं, भारत में निर्धनता में कमी की गति ग्रामीण और शहरी भारत में समान नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी, शहरी क्षेत्रों में गरीबी की अपेक्षा सदैव थोड़ी अधिक रही है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के साधन कम हैं और कृषि क्षेत्र बहुधा मानसून पर आधारित है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित आरेख का अध्ययन कीजिए और उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1. तीन राज्यों की पहचान करें जहाँ निर्धनता  अनुपात सर्वाधिक है।
उत्तर- भारत में सर्वाधिक निर्धनता अनुपात वाले राज्य क्रमशः बिहार, ओडिशा और असम है।
प्रश्न 2. तीन राज्यों की पहचान करें जहाँ निर्धनता अनुपात सबसे कम है।
उत्तर – सबसे कम निर्धनता अनुपात वाले राज्य पंजाब, हिमाचल प्रदेश और केरल हैं।

अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है ?
उत्तर- भारत में निर्धनता रेखा का औकलन निम्नानुसार किया गया है
(1) निर्धनता रेखा का आकलन समय-समय (सामान्यत: प्रति 5 वर्ष पर) प्रतिदर्श सर्वेक्षण के माध्यम से राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन द्वारा किया जाता है।
(2) भारत में गरीबी रेखा का आकलन आय और उपभोग के स्तर के आधार पर किया जाता है।
( 3 ) भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं पर विचार किया जाता है।
(4) इन भौतिक मात्राओं को रुपयों में उनकी कीमतों से गुणा कर दिया जाता है।
(5) निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकता पर आधारित है। जैसे- भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन एवं शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है।
प्रश्न 2. क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है ?
उत्तर- हाँ, मेरे विचार में निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका निश्चय ही सही है, क्योंकि –
(1) हमारा देश अल्पविकसित देश है, इसलिए न्यूनतम आवश्यकताओं में सबसे पहले मनुष्य की दिन-प्रतिदिन की आवश्यक जरूरतों को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।
(2) आज भी हमारे देश की जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण भाग ( 22% ) दो वक्त का भोजन जुटाने में सक्षम नहीं है। मनुष्य भोजन के बिना जीवित नहीं रह सकता है। इसलिए निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता का वर्तमान सूत्र सर्वाधिक उपयुक्त है जो वांछित कैलोरी आवश्यकता पर आधारित है। इसके अनुसार ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के लिए न्यूनतम आवश्यक कैलोरी खपत का निर्धारण किया जाता है।
( 3 ) चूँकि ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोग अधिक शारीरिक परिश्रम करते हैं, इसलिए इन क्षेत्रों में कैलोरी आवश्यकता शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक मानी जाती है।
(4) भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन एवं शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन निर्धारित है।
प्रश्न 3. भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर – ( 1 ) भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1973 में लगभग 55 प्रतिशत से वर्ष 1993-94 में 45 प्रतिशत तक महत्वपूर्ण गिरावट आई है।
(2) वर्ष 2004-05 में निर्धनता अनुपात में 37.2% तक की महत्वपूर्ण गिरावट आई है।
( 3 ) वर्ष 2011-12 में निर्धनता रेखा के नीचे के निर्धनों का अनुपात और भी गिरकर 22% पर आ गया।
(4) यदि यही प्रवृत्ति रही तो अगले कुछ वर्षों में निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों की संख्या 20% से भी नीचे आ जाएगी।
(5) साथ ही निर्धन लोगों की संख्या वर्ष 2004-05 में 407 मिलियन से गिरकर वर्ष 2011-12 में 270 हो गई है। इस अवधि में यह गिरावट औसतन 2.2% की दर से हुई है।
प्रश्न 4. भारत में निर्धनता में अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर- (1) भारत में प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात – एक समान नहीं है। यद्यपि 1970 के दशक के प्रारंभ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक कमी हुई है, निर्धनता कम करने में सफलता की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है।
( 2 ) 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में निर्धनता अनुपात 21.9% है। कुछ राज्य जैसे- मध्यप्रदेश, असम, उत्तरप्रदेश, बिहार एवं ओडिशा में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय अनुपात से ज्यादा है।
(3) ओडिशा, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश में ग्रामीण निर्धनता के साथ नगरीय निर्धनता भी अधिक है।
(4) इसकी तुलना में केरल, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल में निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
(5) पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता कम करने में पारंपरिक रूप से सफल रहे हैं।
प्रश्न 5. उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं ।
उत्तर- निम्नलिखित सामाजिक और आर्थिक समूह भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय या असुरक्षित हैं
1. आर्थिक समूह – (i) ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार एवं भूमिहीन परिवार तथा नगरीय अनियत असंगठित मजदूर परिवार, दिहाड़ी श्रमिक।
(ii) पिछड़े वर्ग के लोग, अधिक उम्र के पुरुष एवं महिलाएँ, बच्चे, शारीरिक एवं मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग।
2. सामाजिक समूह –
(i) अनुसूचित जाति के परिवार, (ii) अनुसूचित जनजातियों के परिवार ।
प्रश्न 6. भारत में अन्तर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तर- (1) निर्धनता कम करने में सफलता की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग हैं। निर्धनता अब भी कुछ राज्यों जैसे बिहार, ओडिशा, असम, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि में एक गंभीर समस्या है। ओडिशा, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश में ग्रामीण निर्धनता के साथ नगरीय निर्धनता भी अधिक है।
(2) पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से से निर्धनता कम करने में पारंपरिक रूप से सफल रहे हैं।
(3) पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार उपायों से निर्धनता कम करने में सहायता मिली है।
(4) आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में अनाज का सार्वजनिक वितरण इसमें सुधार का कारण हो सकता है।
(5) केरल ने मानव संसाधन विकास पर अधिक ध्यान दिया है।
प्रश्न 7. वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
उत्तर – वैश्विक निर्धनता के आँकड़ों से निम्नांकित प्रवृत्तियाँ दृष्टिगोचर हो रही हैं –
( 1 ) विभिन्न देशों में अत्यंत आर्थिक निर्धनता (1.9 डालर प्रतिदिन से कम आय पर जीवन निर्वाह) में रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 36 प्रतिशत से गिरकर 2015 में 10 प्रतिशत हो गया।
(2) वैश्विक निर्धनता में महत्वपूर्ण कमी के बावजूद व्यापक क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं। चीन और दक्षिण एशियाई देशों में तीव्र आर्थिक विकास और मानव संसाधन विकास में पर्याप्त निवेशों के परिणामस्वरूप निर्धनता में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। चीन में निर्धन लोगों की संख्या 1981 के 88.3% से कम होकर 2008 में 14.7% और वर्ष 2015 में 0.7% रह गई है।
( 3 ) भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान जैसे दक्षिण एशियाई देशों में भी निर्धनों की संख्या में गिरावट तीव्र रही है जो 2005 में 34% से गिरकर 2013 में 16.2% हो गई है।
(4) सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता 2005 में 51% से घटकर 2015 में 41% हो गई है।
(5) रूस जैसे पूर्व समाजवादी देशों में भी निर्धनता पुनः व्याप्त हो गई है।
(6) लैटिन अमेरिका में निर्धनता का अनुपात वही रहा है यहाँ पर निर्धनता रेखा 2005 में 10 प्रतिशत से गिर कर 2015 में 4 प्रतिशत रह गई है।
प्रश्न 8. निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें ।
उत्तर – सरकार की वर्तमान निर्धनता उन्मूलन की रणनीति मुख्य तौर पर निम्न दो कारकों पर निर्भर है-
(1) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन,
(2) लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रम ।
निर्धनता-निरोधी रणनीति की सफलता के लिए सरकार ने निम्नांकित निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम चलाए हैं –
1. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA)
(i) इस अधिनियम को सितंबर 2005 में पारित किया गया।
(ii) यह अधिनियम प्रत्येक वर्ष देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार का प्रावधान करता है। बाद में इस योजना का विस्तार 600 जिलों में कर दिया जाएगा।
(iii) प्रस्तावित रोजगारों का एक-तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित है।
(iv) केन्द्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष (NEGF) भी स्थापित करेगी। इसी तरह राज्य सरकारें भी योजना के कार्यान्वयन के लिए रोजगार गारंटी कोष (SEGF) स्थापित करेंगी।
(v) इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोजगारी भत्ते का हकदार होगा।
(vi) इस योजना के अंतर्गत 4.78 करोड़ परिवार को 220 करोड़ प्रतिव्यक्ति रोजगार प्रदान किया गया है।
(vii) इसके अंतर्गत औसत मजदूरी जो 2006-07 में रु. 65 थी वह बढ़कर 2013-14 में रु. 132 हो गई है। हाल ही में मार्च 2018 में विभिन्न राज्यों में अकुशल मैनुअल श्रमिकों के लिए में मजदूरी दर संशोधित कर दी गई है जो रु. 281 / प्रतिदिन (हरियाणा) से लेकर रु. 168 / प्रतिदिन (बिहार और झारखंड ) के बीच है।
2. राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम (NFWP)
(i) इस कार्यक्रम को 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 जिलों में लागू किया गया था।
(ii) यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए हैं, जिन्हें मजदूरी के लिए रोजगार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुकं हैं।
(iii) इसका कार्यान्वयन शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम के रूप में किया जाता है।
(iv) इस योजना के अंतर्गत राज्यों को निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
(v) बाद में इस कार्यक्रम को मनरेगा के साथ मिला दिया गया है।
3. प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY) –
(i) इस कार्यक्रम को 1993 में आरंभ किया गया।
(ii) इसका उद्देश्य ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
(iii) इस कार्यक्रम के अंतर्गत बैंक द्वारा, लघु व्यवसाय और उद्योग स्थापित करने के लिए नियत समय पर कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
4. अंत्योदय अन्न योजना (AAY ) –
(i) इस योजना को दिसंबर 2000 में लागू किया गया।
(ii) इस योजना के अंतर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आने वाले निर्धनता रेखा से नीचे वाले एक करोड़ गरीब परिवारों को रखा गया है।
(iii) प्रत्येक उपयुक्त परिवार को 25 किलो अनाज उच्च सरकारी सहायिकी दर (रु. 2 प्रति किलो गेहूँ तथा रु. 3 प्रति किलो चावल) पर उपलब्ध कराया जाता है।
(iv) अप्रैल 2002 से अनाज की मात्रा को 25 किलोग्राम से बढ़ाकर 35 किलोग्राम कर दिया गया है।
(v) अभी इस योजना के अंतर्गत लगभग 2 करोड़ नए परिवार आते हैं।
5. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (PMGY) –
(i) इस कार्यक्रम को सन् 2000 में आरंभ किया गया।
(ii) इस योजना के अंतर्गत गाँवों में मूलभूत सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
(iii) इस योजना के अंतर्गत प्रमुख मूलभूत सुविधाएँ जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण आदि आते हैं।
6. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY)-
(i) यह योजना 1999 में आरंभ की गई।
(ii) इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को निर्धनता रेखा से ऊपर लाना है।
(iii) इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं सहायता समूहों को संगठित कर उन्हें बैंक ऋण और सरकारी अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।
7. ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (REGP) –
(i) इस कार्यक्रम को 1995 में प्रारंभ किया गया।
(ii) इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
(ii) दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत 25 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया।
प्रश्न 9. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दें.
(क) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
(ख) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन है?
(ग) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या है?
उत्तर- (क) किसी व्यक्ति को निर्धन तब माना जाता है, यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी ऐसे ‘न्यूनतम स्तर’ से नीचे गिर जाए जो मूल आवश्यकताओं के एक दिए हुए समूह को पूर्ण करने के लिए आवश्यक है। यह स्थिति निम्नलिखित में से कोई हो सकती है –
( 1 ) व्यक्ति दो वक्त का भोजन कठिनाई से जुटा पाता हो।
(2) उसका कोई भी बच्चा स्कूल नहीं जाता हो।
(3) केवल दो जोड़े फटे-पुराने कपड़े हो ।
(4) सभी बच्चे अल्प-पोषित हो और कुपोषण का शिकार हो।
(5) व्यक्ति थोड़ी-सी आमदनी के साथ किराये पर एक कमरे के मकान में रहता है।
(ख) महिलाएँ, शिशु – विशेषकर बच्चियाँ और वृद्ध निर्धनों में भी निर्धन होते हैं।
(ग) (i) इस अधिनियम को सितंबर 2005 में पारित किया गया।
(ii) इस अधिनियम का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) कर दिया गया है।
(iii) इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षित करने के लिए हर घर के लिए मजदूरी रोजगार कम-से-कम 100 दिनों के लिए उपलब्ध कराना है।
(iv) प्रस्तावित रोजगारों का एक-तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित है।
(v) केन्द्र सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष (NEGF) भी स्थापित करेगी। इसी तरह राज्य सरकारें भी योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य रोजगार गारंटी कोष (SEGF) स्थापित करेगी।
(vi) इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह (स्त्री / पुरुष ) दैनिक बेरोजगारी भत्ते का हकदार होगा।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प का चयन कीजिए –
(1) आय स्तर की तुलना का आधार निर्धारण होता है-
(a) निरपेक्ष गरीबी से
(b) सापेक्ष गरीबी से
(c) पूर्ण गरीबी से
(d) इनमें से कोई नहीं
(2) भारत में सर्वाधिक गरीब जनसंख्या वाला राज्य है
(a) मेघालय
(b) असम
(c) बिहार
(d) मध्यप्रदेश
(3) रोजगार गारन्टी कानून (2005) में कम से कम कितने दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है?
(a) 25 दिन
(b) 50 दिन
(c) 75 दिन
(d) 100 दिन
(4) “भारत सच्चे अर्थ में केवल तभी स्वतंत्र होगा जब इसके निर्धनतम लोग मानवीय कष्टों से मुक्त होंगे।” यह कथन किसका है?
(a) अमर्त्य सेन
(b) महात्मा गाँधी
(c) जवाहरलाल नेहरू
(d) वल्लभ भाई पटेल
(5) निर्धनता रेखा के मापन हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में कितनी औसत कैलोरी की आवश्यकता है?
(a) 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन
(b) 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन
(c) 2600 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन
(d) 2800 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन
उत्तर – (1) (b), (2) (c), (3) (d), (4) (b), (5) (b)।
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) भारत में निर्धनता रेखा का आकलन ………… द्वारा किया जाता है।
(2) भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता नगरीय क्षेत्रों में ………. कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है।
(3) भारत में वर्ष 2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ………….रु. प्रतिमाह किया गया है ।
( 4 ) भारत में वर्ष 2011-12 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण शहरी क्षेत्रों में ……..रु. प्रतिमाह किया गया है।
(5) भारत में नगरीय क्षेत्रों में …….. प्रतिशत अनियत मजदूर निर्धनता रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं।
उत्तर- (1) राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन, (2) 2100, ( 3 ) 816, (4) 1000, (5) 34.
प्रश्न 3. सही जोड़ी मिलाइए – 
सूची-I                                          सूची-II
(1) स्वर्ण जयंती ग्राम          (a) 25 दिसम्बर, 2001
स्वरोजगार योजना
(2) स्वर्ण जयंती शहरी        (b) 2 अक्टूबर, 1993
रोजगार योजना
(3) प्रधानमंत्री रोजगार        (c) मार्च, 1999
योजना
(4) अन्नपूर्णा योजना           (d) 1 अप्रैल, 2000
( 5 ) ग्राम समृद्धि योजना     (e) 1 अप्रैल, 1999
(6) अन्त्योदय अन्न योजना  (f) 11 दिसम्बर, 1997
उत्तर- (1) (e), (2) (f), (3) (b), (4) (d), (5) (c), (6) (a) ।
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से सत्य / असत्य बताइये –
(1) भारत में प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है।
( 2 ) भारत में 1970 के दशक के प्रारंभ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक वृद्धि हुई है।
( 3 ) बिहार और ओडिशा भारत के दो सर्वाधिक निर्धन राज्य हैं।
(4) पंजाब, हिमाचल प्रदेश और केरल में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय अनुपात से ज्यादा है।
उत्तर- (1) सत्य, (2) असत्य, (3) सत्य, (4) असत्य।
प्रश्न 5. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –
(1) वर्ष 2011-12 में भारत में निर्धनता अनुपात कितना है।
( 2 ) भारत के किन राज्यों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय अनुपात से ज्यादा है।
(3) किस राज्य ने मानव संसाधन विकास पर अधिक ध्यान दिया है।
(4) संयुक्त राष्ट्र के नए सतत विकास के लक्ष्य के अनुसार किस वर्ष तक सभी प्रकार की गरीबी खत्म करने का प्रस्ताव है।
उत्तर- (1) 22%, (2) बिहार, ओडिशा, असम, मध्यप्रदेश – उत्तरप्रदेश (3) केरल (4) वर्ष 2030 ।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
■ अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य निर्धनता कम करने में किस प्रकार सफल रहे ?
उत्तर- ये राज्य उच्च कृषि वृद्धि दर से ऐसा करने में पारंपरिक रूप से सफल रहे।
प्रश्न 2. पश्चिम बंगाल को किन उपायों से निर्धनता कम करने में सहायता मिली है ?
उत्तर- इस राज्य को भूमि सुधार उपायों से निर्धनता कम करने में सहायता मिली है।
प्रश्न 3. आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में निर्धनता की स्थिति में सुधार का प्रमुख कारण क्या है ?
उत्तर – इन राज्यों में अनाज के सार्वजनिक वितरण कार्यक्रम द्वारा निर्धनता की स्थिति में सुधार हुआ है।
प्रश्न 4. किन कारणों से चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में विगत वर्षों में निर्धनता में विशेष कमी आई है?
उत्तर – तीव्र आर्थिक प्रगति और मानव संसाधन विकास में वृहत निवेश के कारण चीन व दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में निर्धनता में विशेष कमी आई है।
■ लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. भारत सरकार की वर्तमान निर्धनता-निरोधी रणनीति किन कारकों पर निर्भर है ?
उत्तर- भारत सरकार की वर्तमान निर्धनता – निरोधी रणनीति निम्न दो कारकों पर निर्भर है –
(अ) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन,
(ब) लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रम ।
प्रश्न 2. अंतर्राष्ट्रीय निर्धनता रेखा द्वारा निर्धनता के निवारण के लिए कौन-सा मापदण्ड निर्धारित किया गया है?
उत्तर – अंतर्राष्ट्रीय निर्धनता रेखा के अनुसार 1.9 डालर प्रतिदिन से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग निर्धनता रेखा से नीचे माने जाते हैं। –
प्रश्न 3. भारत में व्याप्त निर्धनता के ऐतिहासिक कारण की समीक्षा कीजिए।
उत्तर- भारत में व्यापत निर्धनता के अनेक कारण हैं। एक ऐतिहासिक कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर है। औपनिवेशिक सरकार की नीतियों ने पारंपरिक हस्तशिल्पकारी को नष्ट कर दिया और वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित किया। विकास की धीमी दर 1980 के दशक तक जारी रही। इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर घटे और आय की वृद्धि दर गिरी। इसके साथ-साथ जनसंख्या में उच्च दर से वृद्धि हुई । इन दोनों ने प्रतिव्यक्ति आय की संवृद्धि दर को बहुत कम कर दिया। आर्थिक प्रगति को बढ़ावा और जनसंख्या नियंत्रण, दोनों मोर्चों पर असफलता के कारण निर्धनता का चक्र बना रहा।
प्रश्न 4. विगत वर्षों में भारत में गरीबी की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है ? लिखिए।
उत्तर – विगत वर्षों में भारत में गरीबी की स्थिति में व्यापक परिवर्तन देखने को मिले हैं। गरीबी का प्रतिशत गत वर्षों में निरन्तर घटता जा रहा है। जीवन स्तर में वृद्धि हो रही है । सरकार के प्रयत्नों व निजी क्षेत्रों के विकास से गरीबी की स्थिति में सुधार आया है। राज्य सरकारें एवं केन्द्र सरकार मिलकर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीबी की स्थिति सुधारने में प्रयासरत है।
प्रश्न 5. भारत में उच्च निर्धनता दर के क्या कारण रहे हैं?
उत्तर भारत में उच्च निर्धनता दर की एक विशेषता आय असमानता रही है। इसका एक प्रमुख कारण भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण है। अनेक नीतियों के बावजूद, हम किसी सार्थक ढंग से इस मुद्दे से नहीं निपट सके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में परिसंपत्तियों के पुनर्वितरण पर लक्षित भूमि सुधार जैसी प्रमुख नीति – पहल को ज्यादातर राज्य सरकारों ने प्रभावी ढंग से कार्यान्वित नहीं किया। चूँकि भारत में भूमि-संसाधनों की कमी निर्धनता का एक प्रमुख कारण रही है, इस नीति का उचित कार्यान्वयन करोड़ों ग्रामीण निर्धनों का जीवन सुधार सकता था। अनेक अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक कारक भी निर्धनता के लिए उत्तरदायी है। अतिनिर्धनों सहित भारत में लोग सामाजिक दायित्वों और धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन में बहुत पैसा खर्च करते हैं। छोटे किसानों को बीज, उर्वरक, कीटनाशकों जैसे कृषि आगतों की खरीदारी के लिए धनराशि की जरूरत होती है। चूँकि निर्धन कठिनाई से ही कोई बचत कर पाते हैं, अतः वे इनके लिए कर्ज़ लेते हैं। निर्धनता के चलते पुन: भुगतान करने में असमर्थता के कारण वे ऋणग्रस्त हो जाते हैं। अतः अत्यधिक ऋणग्रस्तता निर्धनता का कारण और परिणाम दोनों हैं ।

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