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MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

महत्वपूर्ण स्मरणीय बिन्दु

घुमंतू चरवाहे विश्व के प्रत्येक हिस्से में पाए जाते हैं।
औपनिवेशिक शासन की दौरान चरवाहों की जीवन शैली में गहरे परिवर्तन आए।
1871 में औपनिवेशिक सरकार ने अपराधी जनजाति अधिनियम पारित किया व इनको जन्मजात अपराधी घोषित किया।
प्रतिबंधों के बावजूद घुमंतू चरवाहों ने समय के साथ अपने आपको ढाल लिया।
हिन्दुस्तान की तरह अफ्रीकी चरवाहों के जीवन में औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक काल में बड़े परिवर्तन आए हैं।
आज भी अफ्रीका में तकरीबन सवा दो करोड़ लोग रोजी-रोटी हेतु किसी न किसी तरह की चरवाही गतिविधियों पर निर्भर है।
अधिकतर चरवाहे गाय, बैल, ऊँट, बकरी, भेड़ व गधे पालते हैं और मांस, दूध, पशुओं की खाल व ऊँन बेचते हैं। कुछ चरवाही के अलावा खेती भी करते हैं।
औपनिवेशिक शासन से पूर्व मासाईयों के पास जितनी जमीन थी उसका तकरीबन 60 प्रतिशत हिस्सा उनसे छीन लिया गया।
कई चरागाहों को शिकारगाह बना दिया गया। कीनिया में मासाईमारा व साम्बूरू नैशनल पार्क और तंजानिया में सैरेगेटी पार्क इसी प्रकार अस्तित्व में आए।
बदलते हालात के कारण मासाई मक्का, चावल, आलू, गोभी जैसे उन खाद्य पदार्थों पर आश्रित होते जा रहे हैं जो उनके क्षेत्र में पैदा नहीं होते।
मासाईयों का यह मानना है कि फसल उगाने के लिए जमीन पर हल चलाना प्रकृति के अनुकूल नहीं है। इसकी वजह से जमीन चरवाही के लायक नहीं रहती।
औपनिवेशिक काल से पहले मासाई लैंड उत्तरी कीनिया से लेकर तंजानिया के घास के मैदानों (स्टेपीज़) तक फैला हुआ था।
1885 में कीनिया और तांगान्यिका के बीच सीमा खींचकर मासाईलैंड को दो समान टुकड़ों में परिवर्तित कर दिया गया।
1919 में तांगन्यिका ब्रिटेन के कब्जे में आ गया। 1961 में उसे आजादी मिली और 1964 में जंजीबार के मिलने के बाद उसे तंजानिया का नाम दे दिया गया।
चरवाहों को गोरों के क्षेत्र में पड़ने वाले बाजारों में दाखिल होने से भी रोक दिया गया।
औपनिवेशिक सरकार द्वारा चरवाहों पर लगी पाबंदी के कारण इनके जानवरों की संख्या बहुत ही कम हो गई ।
उपनिवेश बनने से पूर्व मासाई समाज दो सामाजिक वर्गों में बँटा हुआ था – वरिष्ठ जन और योद्धा (वॉरियर्स)
क्रियात्मक तथा पाठगत प्रश्न
प्रश्न 1. स्रोत ‘क’ (पाठ्यपुस्तक का पृष्ठ 98) और ‘ख’ (पाठ्यपुस्तक का पृष्ठ 101 ) को पढ़िए । इन स्रोतों के आधार पर संक्षेप में बताइए कि चरवाहा परिवारों के औरत-मर्द क्या-क्या काम करते थे ?
उत्तर- चरवाहे परिवारों के महिला-पुरुष द्वारा किये जाने वाले कामों की प्रकृति निम्नलिखित है
(1) पुरुष मुख्यत: मवेशियों को चराने का कार्य करते हैं तथा इसके लिए वे कई सप्ताहों तक अपने घरों से दूर रहते हैं।
(2) महिलाएँ हर सुबह अपने सिर पर टोकरी रखकर बाजार जाती है। इन टोकरियों में मिट्टी के छोटे-छोटे बर्तनों में दैनिक खान-पान की चीजें जैसे- दूध, मक्खन, घी आदि होता है।
प्रश्न 2. आपकी राय में चरवाहे जंगलों के आसपास ही क्यों रहते हैं?
उत्तर- चरवाहे जंगलों के आसपास ही निवास करते हैं, क्योंकि-
(1) जंगल के छोर पर छोटे छोटे गाँवों में रहते हुए वे जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों पर कृषि कार्य करते हैं।
(2) वे अपने मवेशियों तथा उनसे प्राप्त उत्पादों को नज़दीक के शहरों में बेच पाते हैं ।
(3) उनके परिवार में लोगों की संख्या कुछ अधिक होती है। प्रत्येक परिवार में सामान्यतः सात से आठ नौजवान लोग होते हैं।
(4) इनमें से दो-तीन लोग अपने मवेशियों को जंगलों में चराते हैं तथा शेष लोग खेतों में कृषि कार्य करते हैं तथा शहरों में अपने उत्पाद तथा पुआल एवं जलावन की लकड़ी आदि बेचते हैं।

अभ्यास प्रश्ननोत्तर

प्रश्न 1. स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है? इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ है?
उत्तर- सूखा पड़ने (अवर्षा) से चारावाही समूहों का जीवन प्राय: प्रभावित होता है। जब वर्षा नहीं होती है, चारागाह सूख जाते हैं तो पशुओं के लिए भूखे मरने की स्थिति आ जाती है। यही कारण है कि घुमंतू जनजातियों को, जो चारावाही से अपनी जीविका प्राप्त करते हैं, एक जगह से दूसरी जगह तक घूमते रहने की आवश्यकता पड़ती है। इस घुमंतू जीवन के कारण उन्हें जीवित रहने तथा संकट से बचने का अवसर प्राप्त होता है।
उनकी सतत गतिशीलता के पर्यावरणीय लाभ निम्नलिखित हैं
(1) उनकी गतिशीलता के कारण प्राकृतिक वनस्पति को फिर से वृद्धि करने का अवसर प्राप्त होता है। फलतः वनस्पति संरक्षण के कारण पर्यावरण संतुलित रहता है ।
(2) उनके मवेशियों को हरा-भरा नया चारा प्राप्त होता है तथा वे खेतों में घूम-घूम कर गोबर देते रहते हैं जिससे कृषि भूमि की उर्वरता बनी रहती है ।
प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? यह भी बताइए कि इन कानूनों से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा? (1) परती भूमि नियमावली, (2) वन अधिनियम, (3) अपराधी जनजाति अधिनियम (4) चराई कर ।
अथवा
भारत में औपनिवेशिक सरकार द्वारा लागू किए गए उन चार कानूनों की व्याख्या कीजिए जिसने चरवाहों के जीवन को परिवर्तित किया ।
उत्तर – औपनिवेशिक सरकार द्वारा लागू किए गए चार कानून जिसने चरवाहों के जीवन को परिवर्तित किया, वे निम्न हैं –
1. परती भूमि नियम इस नियम के तहत सरकार गैरखेतिहर जमीन को अपने कब्जे में लेकर कुछ खास लोगों को सौंपने लगी। इन लोगों को कई तरह की रियायतें दी गई और इस जमीन को खेती लायक बनाने का प्रयास कर खेती करने को बढ़ावा दिया गया। ज्यादातर जमीन चरागाहों की थी जिनका चरवाहे नियमित रूप से इस्तेमाल करते थे। खेती के फैलाव से चरागाह सिमटने लगे और चरवाहों के लिए समस्या पैदा हो गई ।
2. वन अधिनियम इस अधिनियम के द्वारा सरकार ने ऐसे जंगलों को ‘आरक्षित वन घोषित कर दिया जहाँ देवदार या साल जैसी कीमती लकड़ी पैदा होती थी। इन जंगलों में चरवाहों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। कई जंगलों को ‘संरक्षित’ घोषित कर दिया गया। इन जंगलों में चरवाहों को चरवाही के कुछ परंपरागत अधिकार तो दिए गए लेकिन उनकी आवाजाही पर बंदिशें लगी रही।
3. अपराधी जनजाति अधिनियम इस कानून के तहत दस्तकारों, व्यापारियों और चरवाहों के बहुत सारे समुदायों को अपराधियों की सूची में रख दिया गया। उन पर बिना परमिट आवाजाही पर रोक लगा दी गई। ग्राम्य पुलिस उन पर सदा नजर रखने लगी।
4. चरवाही टैक्स उन्नीसवीं सदी के मध्य से ही देश के ज्यादातर चरवाही इलाकों में चरवाही टैक्स लागू कर दिया गया था। हरेक चरवाहे को एक पास दिया गया। चरागाह में दाखिल होने के लिए चरवाहों को पास दिखाकर पहले टैक्स अदा करना होता था।
प्रश्न 3. मासाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताएँ।
उत्तर- (1) सूखा सभी जगह के चरवाहों की जिंदगी पर असर डालता है। जब बारिश नहीं होती है और चरागाह सूख जाते हैं, मवेशियों को हरे-भरे इलाकों में न ले जाया जाए तो उनके सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो जाती है।
(2) औपनिवेशिक शासन की स्थापना के बाद मासाइयों को एक निश्चित इलाके में कैद कर दिया गया था। उनके लिए एक इलाका आरक्षित कर दिया गया और चरागाहों की खोज में यहाँ-वहाँ भटकने पर रोक लगा दी गई।
(3) उन्हें बेहतरीन चरागाहें से बेदखल कर दिया गया और एक ऐसी अर्ध-शुष्क पट्टी में रहने के लिए मज़बूर कर दिया गया, जहाँ हमेशा सूखे की आशंका बनी रहती थी।
(4) ये लोग अपने जानवरों को लेकर ऐसी जगह नहीं जा सकते थे, जहाँ उन्हें अच्छे चरागाह मिल सकते थे। इसलिए मासाइयों बहुत सारे मवेशी भूख और बीमारियों की वजह से मर के जाते थे।
(5) चरागाहों के सिकुड़ने के कारण तथा 1933 और 1934 में पड़े केवल दो साल के सूखे के बाद इनके आधे-से-ज्यादा जानवर मर चुके थे।
प्रश्न 4. आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मासाई गड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।
उत्तर- वे परिवर्तन जो भारतीय चरवाहा समुदायों तथा मासाई पशुपालकों के लिये समान थे, वे हैं –
(1) भारतीय चरवाहा समुदायों तथा मासाई पशुपालकों दोनों को अपने-अपने चारागाहों से बेदखल कर दिया गया जिसका मतलब था दोनों के लिये चारे की कमी तथा जीवन-यापन की समस्या का उत्पन्न होना ।
(2) भारतीय चरवाहा समुदाय तथा मासाई पशुपालक दोनों को ही समस्याओं का समान रूप से सामना करना पड़ा जब वनों को ‘आरक्षित’ घोषित कर दिया गया तथा उन्हें इनमें प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया गया।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही विकल्प का चयन कीजिए
1. गद्दी चरवाहा समुदाय समुदाय किस राज्य में रहता है?
(a) बिहार
(b) राजस्थान
(c) हिमाचल
(d) जम्मू कश्मीर
2. बुग्याल क्या है ?
(a) खाली मैदान
(b) पर्वत पदीय भाग में चारागाह
(c) 12000 फुट से ऊँचे पर्वतों पर चारागाह
(d) रेगिस्तान
3. निम्नलिखित में कौन-सा कथन बुग्याल से संबंधित है?
(a) अरावली का पहाड़ी क्षेत्र
(b) तटीय क्षेत्र
(c) ऊँचे पहाड़ों में स्थित घास के मैदान
(d) मैदान का विशाल कृषि क्षेत्र
4. किस अधिनियम (एक्ट) के अन्तर्गत कई चरवाहा समुदायों को अपराधी घोषित किया गया था?
(a) वन अधिनियम 1885
(b) रॉलेट एक्ट
(c) जनजाति अधिनियम
(d) अपराधी जनजाति अधिनियम
5. इनमें से किस वर्ष में औपनिवेशिक सरकार ने भारत में अपराधी जनजाति अधिनियम पारित किया ?
(a) 1871
(b) 1869
(c) 1873
(d) 1861
6. अपराधी जनजाति अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित में से किसे अपराधी जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था?
(a) पशुपालक, व्यापारी एवं मछली पकड़ने वाले
(b) दस्तकार, व्यापारी एवं चरवाहे
(c) दस्तकार, चरवाहे एवं तकनीशियन
(d) दस्तकार, चरवाहे एवं सरकारी नौकर
7. निम्नलिखित में से कौन अफ्रीका का एक चरवाहा समुदाय नहीं है?
(a) बेदुइन
(b) सोमाली
(c) बोरान
(d) कुरुमा
8. निम्नलिखित में से कौन अफ्रीका का एक चरवाहा समुदाय है?
(a) गोल्ला
(b) कुरुमा
(c) राईका
(d) मासाई
9. मासाई पशुपालक मूल रूप से कहाँ के निवासी हैं?
(a) दक्षिण अफ्रीका
(b) पश्चिमी अफ्रीका
(c) पूर्वी अफ्रीका
(d) उत्तरी अफ्रीका
10. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन खानाबदोशी चरवाहे के लिए उपयुक्त है?
(a) एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमने वाले ग्रामीण
(b) वैसे लोग जिनके पास रहने के लिए स्थायी जगह नहीं है।
(c) विभिन्न स्थान पर आनन्द प्राप्त करने के लिए घूमने वाले लोग
(d) कोई नहीं
उत्तर- (1) (c) हिमाचल, (2) (c) 12000 फुट से ऊँचे पर्वतों पर चारागाह, (3) (c) ऊँचे पहाड़ों में स्थित घास के मैदान, ( 4 ) (d) अपराधी जनजाति अधिनियम, ( 5 ) (a) 1871, (6) (b) दस्तकार, व्यापारी एवं चरवाहे, (7) (d) कुरुमा, (8) (d) मासाई, (9) (c) पूर्वी अफ्रीका, (10) (c) विभिन्न स्थान पर आनन्द प्राप्त करने के लिए घूमने वाले लोग ।
प्रश्न 2. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए
(1) घुमंतू चरवाहा को परिभाषित कीजिए।
( 2 ) बंजारा समुदाय के लोगों द्वारा रोजी-रोटी के लिए किए जाने वाले कार्यों का उल्लेख कीजिए ।
(3) गद्दी समुदाय के लोगों द्वारा उत्पादित किए जाने वाले किन्हीं दो उत्पादों के नाम बताइए।
(4) राइका समुदाय के लोग कहाँ रहते हैं?
(5) गुज्जर बकरवाल किन दो क्षेत्रों के मध्य घूमते रहते हैं?
(6) भाबर क्या है ?
(7) औपनिवेशिक सरकार ने घुमंतूओं को अपराधी जनजातियों के रूप में क्यों वर्गीकृत किया?
(8) औपनिवेशिक सरकार द्वारा घुमंतू लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने हेतु 19 वीं शताब्दी में पारित किन्हीं दो अधिनियमों के नाम बताइए।
(9) मासाई समुदाय के लोगों को श्वेत क्षेत्र के बाजारों में प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं थी।
उत्तर- (1) घुमंतू चरवाहे वे लोग हैं जो अपनी भेड़ों और बकरियों के झुंड के साथ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में घूमते रहते हैं। ( 2 ) बंजारा समुदाय मवेशी, हल एवं अन्य वस्तुएं बेचकर अपनी जीविका प्राप्त करते थे । (3) ऊन तथा दुग्ध उत्पाद । (4) राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर तथा बीकानेर में। (5) शिवालिक श्रेणी से कश्मीर तक । ( 6 ) गढ़वाल और कुमाऊँ के इलाके में पहाड़ियों के निचले हिस्से के आस-पास पाया जाने वाला सूखे जंगल का इलाका भाबर कहलाता है। (7) औपनिवेशिक सरकार घुमंतू लोगों को संदेह की दृष्टि देखती थी, क्योंकि उन पर नियंत्रण रख पाना कठिन था। (8) (क) अपराधी जनजाति अधिनियम (ख) वन अधिनियम (9) क्योंकि यूरोपीय औपनिवेशिक ताकत उन्हें बर्बर और खतरनाक मानती थी।
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) ऊँचे पहाड़ों पर स्थित घास के मैदान को …… नाम से जाना जाता है?
(2) रबी की फसल ……… ऋतु में बोई जाती है?
(3) वह कृषि जिसमें फसलों को वर्षा ऋतु के आरंभ में बोया और शीत ऋतु के आरंभ में काटा जाता है उसका नाम …….. है।
(4) पश्चिम राजस्थान ……… में ऊँट मेला लगता है।
उत्तर- (1) बुग्याल, (2) शीत ऋतु, (3) खरीफ, (4) पुष्कर।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
■ लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. अफ्रीका के किन्हीं तीन चरवाहा समुदाय के नाम बताइए तथा इनके व्यवसायों को लिखिए।
उत्तर- (1) तीन घुमंतू समूह थे-बेदुईन्स, बरबेर्स तथा मासाई।
( 2 ) उनका मुख्य पेशा ऊँट, बकरियाँ, भेड़ तथा गधे जैसे मवेशियों को पालना था।
(3) वे दूध, माँस, जानवरों की खाल तथा ऊन बेचा करते थे।
(4) उनके अन्य पेशों में व्यापार तथा परिवहन शामिल थे।
(5) कृषि आमदनी का दूसरा अन्य स्रोत था।
(6) इसके अतिरिक्त, वे अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए दूसरे अन्य काम भी करते थे।
प्रश्न 2. औपनिवेशिक सरकार द्वारा नियुक्त किए गए मासाइयों के मुखिया कैसे लाभान्वित हुए?
उत्तर- (1) अंग्रेजी सरकार ने कई मासाई उपसमूहों के मुखिया तय कर दिए और अपने-अपने कबीले के सारे मामलों की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी।
(2) मुखिया ने हमलों और लड़ाइयों पर पाबंदी लगा दी।
(3) जैसे-जैसे समय बीता मुखिया अनुचित तरीके से धन करने लगे। इकट्ठा
(4) अब उनके पास नियमित आमदनी थी, जिससे वे साजों-सामान और जमीन खरीद सकते थे। जानवर,
(5) वे अपने गरीब पड़ोसियों को लगान चुकाने के लिए कर्ज के रूप में पैसा देते थे।
(6) मुखिया को चरवाही और गैर-चरावाही, दोनों तरह की आमदनी होती थी। अगर उनके पास किसी तरह से जानवर घट जाएँ तो वे और जानवर खरीद सकते थे।
प्रश्न 3. चरवाहों को हाल तक इतिहास की पुस्तकों से बाहर क्यों रखा जाता था? उन्होंने किस प्रकार अर्थव्यवस्था एवं समाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है ?
उत्तर (1) (i) चरवाहों को इतिहास की पुस्तकों से बाहर इसलिए रखा जाता था, क्योंकि उन्हें आधुनिक युग में महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता है। में
(ii) उन्हें अतीत की वस्तु मानकर नकार दिया गया है।
(2) (i) लेकिन चरवाहे आधुनिक युग में भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने की अतीत में थे।
(ii) वे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
(iii) वे भेड़, बकरी, गाय-भैंस और ऊँट आदि का पालन करते हैं।
(iv) इन सब पशुओं के दूध और अन्य वस्तुओं का हमारे जीवन में अत्यंत महत्व है।
(v) पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक जीवन में इनका स्थान महत्वपूर्ण है।
(vi) शुष्क एवं पहाड़ी जीवन चरवाहों के लिए उत्तम है।
प्रश्न 4. घुमंतू चरवाहे कौन हैं? राजस्थान के रेगिस्तान में रहने वाले घुमंतू चरवाहों की जीवनशैली तथा पेशे संबंधी गतिविधियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
“चरवाहे अपनी आजीविका के लिए कई तरह की गतिविधियों में संलग्न होते हैं।” राइका के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर- (1) (i) घुमंतू चरवाहे ऐसे लोग हैं जो किसी एक जगह टिककर नहीं रहते बल्कि अपनी आजीविका प्राप्त करने के लिए एक जगह से दूसरी जगह तक घूमते रहते हैं।
(ii) वे अपनी बकरियाँ, भेड़ों या ऊँट एवं मवेशियों के झुंड के साथ आवाजाही करते हैं।
( 2 ) (i) राजस्थान के रेगिस्तान में राइका लोग रहते थे।
(ii) अल्प एवं अनिश्चित वर्षा तथा फसलों की घटती-बढ़ती उपज के कारण वे कृषि के साथ-साथ चरावाही भी करते थे।
(iii) मानसून के समय वे ऐसी जगह ठहरते थे जहाँ प्रचुर मात्रा में चारा उपलब्ध होता था।
(iv) अक्टूबर आते-आते चरागाह सूख जाते थे या चारा खत्म हो जाता था तथा वे नए चरागाह और पानी की खोज में आगे बढ़ जाते तथा पुन: मानसून के समय वहाँ वापस लौटते थे।
(v) वे खेती भी करते थे तथा भेड़, बकरी तथा ऊँट के उत्पादों के छोटे-मोटे व्यापार भी किया करते थे।
प्रश्न 5. जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पशुपालक समुदाय के नाम बताइए। इनमें से किसी एक पशुपालक समुदाय की मौसमी आवाजाही चक्र का वर्णन कीजिए।
अथवा
हिमालय के पर्वतों में, सदी – गर्मी के हिसाब से हर साल चरागाह बदलते रहने वाले किन्हीं दो चरवाहा समुदायों के नाम लिखिए। ये मौसमी बदलावों के हिसाब से खुद को कैसे ढालते थे?
उत्तर- (1) जम्मू-काश्मीर व हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पशुपालक समुदायों में गुज्जर बकरवाल, गद्दी, भोटिया, शेरपा और किन्नौरी हैं।
(2) जम्मू और कश्मीर के गुज्जर बकरवाल उन प्रवासी लोगों में से हैं जो भेड़-बकरियाँ पालते हैं तथा उनके लिए चरागाहों की तलाश में पहाड़ी भागों में ऊपर-नीचे घूमते रहते हैं।
(3) गर्मियों के शुरू में (अप्रैल के महीने में) पहाड़ों की बर्फ में पिघलती है तो वे ऊँचाई पर चले जाते है, क्योंकि तब पहाड़ हरे-भरे हो जाते हैं और वहाँ पशुओं के लिये खूब चारा मिल जाता है।
(4) जैसे ही सितंबर के महीने में पहाड़ों पर बर्फ पड़ने लगती है, वे अपने पशुओं के झुण्डों सहित नीचे उतरना शुरू कर देते हैं।
(5) सर्दियों के समय (सितंबर से मार्च तक) वे हिमालय की निचली श्रेणियों, अर्थात् शिवालिक की पहाड़ियों में समय गुज़ारते हैं, क्योंकि ऊँचे पर्वत तब बर्फ से ढके होते हैं।
(6) गर्मियाँ शुरू होते ही, जब ऊँचे पर्वतों की बर्फ पिघलने लगती है तो वे (अप्रैल के महीने में) फिर ऊँचे पर्वतों की ओर आगे बढ़ना शुरू कर देते हैं। उनका यह ऋतु – प्रवास निरंतर चलता रहता है, सर्दियों में नीचे की ओर तथा गर्मियों में ऊपर की ओर। यही है, उनका जीवन-चक्र ।

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