NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ
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प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
(ख) “माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) “एक पथ-छाँह भी माँग मत” इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) ‘अग्निपथ’ का अर्थ है-आग से घिरा रास्ता अर्थात् कठिनाइयों से भरा रास्ता। अग्नि पथ को कवि ने संघर्षमय जीवन के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है। कवि का मानना है कि जीवन में कदम-कदम पर संकट है, चुनौतियाँ हैं। अपने जीवन पथ पर संघर्ष के मार्ग में अनेक प्रकाश के कष्टों का सामना करना पड़ता है।
(ख) कविता में कवि द्वारा प्रयोग किए गए इन शब्दों की पुनरावृत्ति मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को संघर्षमय जीवन में स्वयं के लिए सुखों की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सुविधाभोगी मनुष्य की संघर्षशक्ति समाप्त हो जाती है। ‘कर शपथ’ की पुनरावृत्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य को लक्ष्यप्राप्ति के पथ पर आनेवाली कठोर परिस्थितियों से पीछे नहीं हटना चाहिए तथा ‘लथपथ’ की पुनरावृत्ति द्वारा वह यह कहना चाहता है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य को केंद्रित कर जीवन । में आगे बढ़ना चाहिए। बार-बार इन शब्दों का प्रयोग कवि ने अपने लक्ष्य पर बल देने के लिए किया है। इससे अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न हो गया है।
(ग) कवि ने अग्नि पथ पर चलते हुए मनुष्य को छाँह माँगने के लिए मना किया है। वह चाहता है कि संघर्षशील
मनुष्य दृढ़ संकल्पी बने। मार्ग में सुख रूपी छाँह की इच्छा न करके अपनी मंजिल की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ता रहे। कवि के अनुसार मनुष्य यदि दूसरों की सहायता पर आश्रित होगा तो उसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं रहेगी। उसे सुविधा भोगने की आदत लग जाती है। वह संघर्ष की कठिनाइयों से बचने लगता है। इसलिए कवि ने मनुष्य को यह प्रेरणा दी है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर होता रहे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) तू न थमेगा कभी।
तू न मुड़ेगा कभी।
(ख) चल रहा मनुष्य है।
अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
उत्तर
(क) इस पद्यांश का आशय है-मनुष्य कष्ट भरे मार्ग पर चलते हुए कभी रुकेगा नहीं, संघर्षों से घबराएगा नहीं। वह निरंतर अग्नि पथ को चुनौती देता चलेगा।
(ख) कवि ऐसे मनुष्य का जीवन सफल मानता है जो आँखों के आँसू पीता हुआ भी, तन से पसीना बहाता हुआ भी। और खून से लथपथ होता हुआ भी निरंतर आगे बढ़ता रहे। ऐसा संघर्षशील मनुष्य धन्य है।
प्रश्न 3.
इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए-
उत्तर
इस कविता का मूल भाव यह है कि जीवन एक संघर्ष के समान है, जिसे कवि अग्नि पथ मानता है। इस मार्ग पर आत्मविश्वास के साथ मनुष्य को आगे बढ़ना चाहिए। किसी के सहारे की इच्छा नहीं करनी चाहिए। इस मार्ग पर कदम-कदम पर चुनौतियों और कष्टों से सामना होता है। मनुष्य को चाहिए कि वह इन चुनौतियों से न घबराए। कष्टों से विचलित नहीं हो और अपने पुरुषार्थ पर भरोसा करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहे। उसकी क्रिया में गतिशीलता होनी चाहिए जिसमें रुकने, थकने या पीछे मुड़कर देखने का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इस मार्ग पर चलते हुए आँसू, पसीना बहाकर तथा खून से लथपथ होकर भी उसे निरंतर संघर्ष करते रहना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति संघर्ष से पीछे नहीं हटता वहीं जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
योग्यता-विस्तार
• ‘जीवन संघर्ष का नाम है’, इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
परियोजना कार्य
• ‘जीवन संघर्षमय है, इससे घबराकर थमना नहीं चाहिए’ इससे संबंधित अन्य कवियों की कविताओं को एकत्र कर एक एलबम बनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 are helpful to complete your homework.