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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 गिल्लू.

बोध-प्रश्न

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न
1. सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन कौन से विचार उमड़ने लगे?
2. पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
3. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
4. लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
5. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
6. गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
7. गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?
8. ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’-का आशय स्पष्ट कीजिए।
9. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर
1. सोनजुही की पीली कली मनमोहक होती है। उसे देखकर लेखिका के मन में विचार आया कि वह छोटा जीव (गिल्लू) इसी कली की सघन छाया में छिपकर बैठ जाता था। वह लेखिका के निकट पहुँचते ही कंधे पर कूद जाता था और उन्हें चौंका देता था। उस समय लेखिका को केवल कली की खोज रहती थी, पर अब वे उस लघुगात, प्राणी को ढूँढ़ रही थीं। इस कली को पुनः खिले हुए देखकर लेखिका अपने उसी पारिवारिक सदस्य की यादों में डूब जाती हैं, जिसका नामकरण संस्कार भी उन्होंने स्वयं ही किया था।

2. कौए को समादरित इसलिए कहा गया है क्योंकि पितर पक्ष में उसकी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि उसे खिलाने से हमारे पूर्वजों का पेट भरता है। दूसरे, जब ये कौए बोलते हैं तो हमें अपने किसी प्रियजन के आने की सूचना मिलती है।
कौए को अनादरित अर्थात् अपमानित इसलिए कहा गया है क्योंकि उसकी काँव-काँव को कर्कश माना गया है। उसकी कठोर आवाज़ को कोई पसंद नहीं करता।

3. लेखिका ने दो कौओं की चोंच से घायल, गिलहरी के बच्चे को उठा लिया। वह कौओं द्वारा चोंच मारे जाने से बिलकुल निश्चेष्ट-सा गमले से चिपटा पड़ा था। लेखिका उसे उठाकर अपने कमरे में ले आईं और रुई से उसका खून पोंछकर उसके घावों पर मरहम लगाया। लेखिका ने रुई की पतली बत्ती दूध से भिगोकर बार-बार उसके नन्हे मुँह पर लगाई किंतु उसका मुँह पूरी तरह खुल नहीं पाता था, इसलिए वह पी न सका। काफी देर तक लेखिका उसका उपचार करती रही, तब जाके उसके मुँह में पानी की बूंद टपकाने में सफल हो सकीं। लेखिका के इस प्रकार के उपचार के तीन दिन बाद ही गिलहरी का बच्चा पूरी तरह अच्छा और स्वस्थ हो गया।

4. गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए सर्र से परदे के ऊपर चढ़ जाता और तेजी से नीचे उतर आता था। वह तब तक लगातार ऐसा करता ही रहता था, जब तक कि महादेवी उठकर उसे लिफाफे में बंद न कर दें।

5. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि वह उसका पहला बसंत था। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके कुछ-कुछ कहने लगीं। गिल्लू जाली के पास बैठकर उन्हें निहारता था। उन्हें मजे से खेलते देख वह उदास था। उसे मुक्त करने का कारण यह भी था कि उस जैसे छोटे जानवर का कुत्ता और बिल्ली आदि से रक्षा करना भी मुश्किल था। लेखिका ने उसे मुक्त करने के लिए जाली का कोना खोल दिया ताकि इस मार्ग से गिल्लू बाहर आ-जा सके। बाहर जाकर गिल्लू ने सचमुच मुक्ति की साँस ली।

6. जिन दिनों महादेवी वर्मा अस्वस्थ होकर घर में लेटी हुई थी, तब गिल्लू उनके सिरहाने बैठा रहता था। वह बड़ी कोमलता से अपने नन्हे-नन्हे पंजों से उसके सिर और बालों को सहलाया करता था। इस तरह वह एक अच्छी सेविका की । भूमिका निभा रहा था।

7. गिलहरी के जीवन की अवधि लगभग दो वर्ष होती है। जब गिल्लू का अंत समय आया तो उसने दिन-रात कुछ नहीं खाया। वह घर से बाहर भी नहीं गया। वह अपने अंतिम समय में अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर निश्चेष्ट लेट गया, उसके पंजे पूरी तरह ठंडे पड़ चुके थे। वह अपने ठंडे पंजों से लेखिका की उँगली पकड़कर उसके हाथ से चिपक गया। लेखिका ने हीटर जलाकर उसे गर्मी देने का प्रयास किया, किंतु कोई लाभ न हुआ। प्रातः काल होने तक गिल्लू की मृत्यु हो चुकी थी।

8. जैसे ही सवेरा हुआ, गिल्लू इस जीवन को छोड़कर अगले किसी जीवन में जन्म लेने के लिए चला गया। आशय यह है कि सुबह होते ही उसकी मृत्यु हो गई।

9. सोनजुही की पीली कली की लता पुनः खिली थी अर्थात मृत्यु के बाद पुनर्जन्म की कामना मन को संतुष्ट कर रही थी। गिल्लू को सोनजुही से लगाव था। वह उसकी सघन छाया में छिपकर बैठ जाता था। उसकी हरियाली उसके मन को भाँति थी। सोनजुही का खिलना उस लघुगात के पुनः लौटने की आशा को जाग्रत करता है। इसी कारण शायद उसकी समाधि सोनजुही की गोद में बनाई गई है। पौधों के पुनर्प्रस्फुटन की प्रथा तो देखी गई है परंतु जीव को लौटना असंभव है फिर भी एक अपूर्ण-सी कामना की झलक मन को आशा से परिपूर्ण करती है। महादेवी जी भी इसी मनोकामना से आश्वस्त दिखाई देती हैं।

Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 1 are helpful to complete your homework.

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