NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 6 Peasants and Farmers (Hindi Medium)
NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 6 Peasants and Farmers (Hindi Medium)
NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 6 Peasants and Farmers (Hindi Medium)
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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
प्रश्न 1. अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी। संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को
- एक संपन्न किसान
- एक मजदूर
- एक खेतिहर स्त्री की दृष्टि से देखने का प्रयास करें।
उत्तरः
- (क) एक संपन्न किसानः जब सोलहवीं शताब्दी में ऊन की कीमतें बढ़ीं तो संपन्न किसानों ने साझा भूमि की सबसे अच्छी चरागाहों की निजी पशुओं के लिए बाड़बंदी प्रारंभ कर दी। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि उनकी भेड़ों को अच्छा चारा मिले। उन्होंने गरीब लोगों को भी बाहर खदेड़ना शुरू कर दिया और उन्हें साझा भूमि पर उनके पशु चराने से भी मना कर दिया। बाद में, अठाहवीं शताब्दी के मध्य में इस बाड़बंदी को कानूनी मान्यता देने के लिए ब्रिटिश संसद ने 4000 से अधिक अधिनियम पारित किए।
- (ख) एक मजदूरः गरीब मजदूरों के जीवित बने रहने के लिए साझा भूमि बहुत आवश्यक थी। यहाँ वे अपनी गायें, भेड़े आदि चराते थे और आग जलाने के लिए जलावन तथा खाने के लिए कंद-मूल एवं फल इकट्ठा करते थे। वे नदियों तथा तालाबों में मछलियाँ पकड़ते थे, और साझा वनों में खरगोश का शिकार करते थे।
- (ग) एक खेतिहर स्त्रीः खेतिहर स्त्रियों के लिए खुली खेत प्रणाली सामुदायिक जीवन का एक अच्छा तरीका था जिसमें सब कुछ गरीब व अमीर के बीच साझा थी। वे अपने पशुओं को चराने, फल और जलावन एकत्र करने के लिए साझा भूमि का प्रयोग करते थे। यद्यपि खुले खेतों के गायब हो जाने से इन सभी क्रियाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। जब खुली खेत प्रणाली समाप्त होना। प्रारंभ हुई, वनों से जलाने के लिए जलावन एकत्र करना या साझा भूमि पर पशु चराना और संभव नहीं था। वे कंद-मूल एवं फल इकट्ठा नहीं कर सकते थे या मांस के लिए छोटे जानवरों का शिकार नहीं कर सकती थे।
प्रश्न 2. इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तरः इंग्लैण्ड में बाड़ाबंदी आंदोलन को प्रोत्साहित करने वाले सभी कारक अंततः लाभ कमाने के उद्देश्य से प्रेरित थे। इनमें से कुछ कारक इस प्रकार थेः
- (क) सोलहवीं सदी में विश्व बाजार में ऊन की कीमतों में वृद्धि-सोलहवीं सदी में जब विश्व बाजार में ऊन की कीमतें बढ़ गईं तो अमीर किसानों ने साझी भूमि को काट-छाँट कर अपने पशुओं के लिए घेरना और उसकी बाड़ेबंदी करना शुरू कर दिया गया। बाद में, अठाहवीं शताब्दी के मध्य में बाड़बंदी को कानूनी मान्यता देने के लिए ब्रिटिश संसद ने 4000 से अधिक अधिनियम पारित किए।
- (ख) जनसंख्या में वृद्धि-अठारहवीं शताब्दी के मध्य से अंग्रेज जनसंख्या तेजी से बढ़ी। इस विशाल जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए खाद्यान्न की माँग पूरी करने के लिए अधिक से अधिक जमीन की बाड़ेबंदी की गई।
- (ग) मशीनों का प्रयोग करके किफायती रूप से जुताई करने हेतु जमीन के बड़े टुकड़ों की आवश्यकता थी।
- (घ) औद्योगीकरण एवं युद्ध की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खाद्यानों के भाव बहुत बढ़ गए जिससे अनाज का उत्पादन बढ़ाना अनिवार्य हो गया।
प्रश्न 3. इंग्लैंड के गरीब किसान श्रेशिंग मशीनों का विरोध क्यों कर रहे थे?
उत्तरः इंग्लैंड के गरीब किसान श्रेशिंग मशीनों का विरोध कर रहे थे क्योंकि :
- (क) इसने फसल की कटाई के समय कामगारों के लिए रोजगार के अवसर कम कर दिए। इससे पहले मजदूर खेतों में विभिन्न काम करते हुए जमींदार के साथ बने रहते थे। बाद में, उन्हें केवल फसल कटाई के समय ही काम पर रखा जाने लगा।
- (ख) अधिकतर मजदूर आजीविका के साधन गवाँ कर बेरोजगार हो गए। इसलिए वे औद्योगिक मशीनों का विरोध कर रहे थे।
प्रश्न 4. कैप्टन स्विंग कौन था? यह नाम किस बात का प्रतीक था और वह किन वर्गों का प्रतिनिधित्व करता था?
उत्तरः कैप्टन स्विंग एक मिथकीय नाम था जिसका प्रयोग धमकी भरे खतों में श्रेशिंग मशीनों और जमींदारों द्वारा मजदूरों को काम देने में आनाकानी के ग्रामीण अंग्रेज विरोध के दौरान किया जाता था। कैप्टन स्विंग के नाम ने जमींदारों को चौकन्ना कर दिया। उन्हें यह खतरा सताने लगा कि कहीं हथियारबंद गिरोह रात में उन पर भी हमला न बोल दें और इस कारण बहुत सारे जमींदारों ने अपनी मशीनें खुद ही तोड़ डालीं।
प्रश्न 5. अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरः अठारहवीं सदी के प्रथम दशक तक श्वेत प्रवासी पश्चिम की ओर पठारों से होते हुए अपलेशियन पठार पर बस चुके थे। 1820 से 1895 के मध्य वे मिसीसिपी घाटी में चले गए। उन्होंने जंगलों को काट, जलाकर, पूँठ उखाड़कर, जमीन को खेती के लिए साफ और जंगल में साफ की गई जगह पर लकड़ी के घर बना लिए। फिर उन्होंने बड़े क्षेत्र में जंगलों को साफ करके खेतों के चारों ओर बाड़े लगा दीं। उन्होंने इस जमीन की जुताई की और इस जमीन पर वह मक्का और गेहूँ बो दिया। 1860 के बाद प्रवासी मिसीसिपी नदी के पार स्थित मैदानों में जा पहुँचे। बाद के दशकों में यह क्षेत्र अमेरिका का सबसे प्रमुख गेहूँ उत्पादक क्षेत्र बन गया।
प्रश्न 6. अमेरिका में फसल काटने वाली मशीनों के फायदे-नुकसान क्या-क्या थे?
उत्तरः फसल काटने वाली मशीनों के फायदेः फसल काटने वाली मशीनें निम्नलिखित के लिए सहायक थीं
- (क) जमीन के विशाल टुकड़ों की सफाई में
- (ख) जमीन तोड़ने में
- (ग) घास हटाने में
- (घ) कम मानव परिश्रम के साथ थोड़े से समय में भूमि को जुताई के लिए तैयार करने में
- (ङ) विद्युत से चलने वाली मशीनों की सहायता से सिर्फ चार व्यक्ति मिलकर एक मौसम में 2000 से 4000 एकड़ भूमि पर फसल पैदा कर सकते थे।
फसल काटने वाली मशीनों के नुकसानः फसल काटने वाली मशीनें गरीबों के लिए निम्नलिखित कारणों से अभिशाप सिद्ध हुईः
- (क) इसने मजदूरों की माँग में कमी ला दी।
- (ख) बहुत से लोग बेरोजगार हो गए।
- (ग) 1930 के दशक का रेतीला तूफान भी इन आधुनिक मशीनों की सहायता से विशाल स्तर पर की गई भूमि की जुताई का प्रतिफल था।
प्रश्न 7. अमेरिका में गेहूं की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम क्या सबक ले सकते हैं?
उत्तरः अमेरिका के ग्रामीण क्षेत्र के रोटी की टोकरी से धूल के कटोरे में तबदील हो जाने से हम कई महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकीय सबक सीख सकते हैं। 1930 के दशक के बाद उन्होंने अनुभव किया कि उन्हें पारिस्थितिकीय हालात का सम्मान करना चाहिए।
इसने उन्हें पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग का पाठ पढ़ाया। इसने केवल वाणिज्यिक प्रयोग के लिए भूमि के दोहन के विरुद्ध चेतावनी के सूचक का भी काम किया। कितनी भूमि का प्रयोग खेती के लिए किया जाए इस पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए।
प्रश्न 8. अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर क्यों दबाव डाल रहे थे?
उत्तरः अंग्रेज निम्नलिखित कारणों से अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाल रहे थे :
(क) चीन के साथ बेरोकटोक चाय व्यापार जारी रखने के लिए।
(ख) इंग्लैण्ड में चाय अत्यधिक लोकप्रिय हो गई। किन्तु इंग्लैण्ड के पास धन देने के अतिरिक्त ऐसी कोई वस्तु नहीं थी जो वे चाय के बदले में चीन में बेच सकें। किन्तु ऐसा करने से इंग्लैण्ड के खजाने को हानि पहुँचा रहा था। यह देश के खजाने को हानि पहुँचा कर इसकी संपत्ति को कम कर रहा था। इसलिए व्यापारियों ने इस घाटे को रोकने के तरीके सोचे। उन्होंने एक ऐसी वस्तु खोज निकाली जिसे वे चीन में बेच सकते थे और चीनियों को उसे खरीदने के लिए मना सकते थे।
(ग) अफीम ऐसी वस्तु थी। इसलिए अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाले रहे थे।
प्रश्न 9. भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति क्यों उदासीन थे?
उत्तरः ऐसे बहुत से कारण थे जिनके कारण भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति उदासीन थे।
(क) वे अपने खेतों में पोस्ते की खेती नहीं करना चाहते थे।
(ख) इसकी फसल सबसे अच्छी जमीन पर उगानी पड़ती थी। इस जमीन पर किसान प्रायः दालें उगाते थे। यदि वे इन खेतों में अफीम पैदा करते तो वे दालें नहीं उगा सकते थे या फिर उन्हें दालें घटिया जमीन पर उगानी पड़ती जिस पर फसल कम एवं अनिश्चित होती थी।
(ग) बहुत से किसानों के पास जमीन नहीं थी। खेती करने के लिए उन्हें जमींदार से जमीन लगान या पट्टे पर लेनी पड़ती थी और जमीन के लगान की दर बहुत ऊँची रहती थी।
(घ) अफीम की खेती करना बहुत मुश्किल काम था। अफीम की खेती के लिए बहुत अधिक उपजाऊ जमीन की आवश्यकता थी और इसमें मेहनत भी बहुत लगती थी।
(ङ) अफीम के नाजुक पौधे को जिंदा रखना बहुत मेहनत का काम था और किसानों को इसकी देखभाल में घंटों लगाने पड़ते थे। इसका अर्थ यह होता कि उनके पास अन्य फसलों का ध्यान रखने के लिए समय ही नहीं बचता।
(च) अफीम उगाना किसानों के लिए कोई फायदे का सौदा नहीं था। उन्हें अफीम का सही मूल्य नहीं दिया जाता था।
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