B.ED | नागरिकशास्त्र शिक्षण | Pedagogy of Civics Notes
B.ED | नागरिकशास्त्र शिक्षण | Pedagogy of Civics Notes
Q.1. नागरिकशास्त्र की परिभाषा दीजिए। इसके महत्व, क्षेत्र एवं प्रकृति की विवेचना कीजिए।
(Define Civics ? Explain its importance, scope and nature.)
Ans. नागरिकशास्त्र-नागरिकशास्त्र नागरिक तथा नगर राज्य का अध्ययन करवाने का एक विषय है। यह Civics शब्द दो शब्दों के मेल से बना है।
अर्थात् नागरिक द्वारा नगर राज्य का अध्ययन नागरिक शास्त्र है। यह सामाजिक अध्ययन का एक भाग है। जैसे इतिहास तथा भूगोल । इससे हम समाज परिवार, राज्य का अध्ययन करते हैं।
नागरिकशास्त्र की परिभाषा-
1. विश्व शब्दकोश के अनुसार-“Civics is the science of rights and duties of Civics.”
2. प्रेट्रिक गेड्स के अनुसार-“नागरिकशास्त्र नागरिकता का विज्ञान एवं दर्शन है।”
नागरिकशास्त्र का महत्व-नागरिकशास्त्र के माध्यम से हम बहुत सारी बातों का अध्ययन करते हैं जिससे हमें सामाजिक प्राणी बनने में मदद मिलती है। नागरिकशास्त्र का महत्त्व अत्यंत व्यापक है। क्योंकि व्यक्ति के सामाजिकता के निर्माण में यह भूमिका निभाते हैं।
नागरिकशास्त्र का महत्त्व-
1. सामाजिक चेतना के विकास में
2. विद्यार्थियों की मानसिक शक्तियों के विकास में
3. राष्ट्रीय एकता के विकास में
4. आदर्श नागरिकता के विकास में
5. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में
6. जीविकोपार्जन में
7. राजनैतिक जागरूकता के विकास में
8. लोकतांत्रिक मूल्यों के विकास में।
(i) सामाजिक चेतना के विकास में नागरिकशास्त्र अध्ययन से सामाजिक चेतना का विकास होता है। समाज की सभी समस्याओं के मूलभूत अधिकारों के प्रति चेतना पैदा होती है।
(ii) विद्यार्थियों की मानसिक शक्तियों का विकास इसके द्वारा विद्यार्थियों की मानसिक शक्तियों का विकास होता है वे समाज तथा व्यक्ति के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं।
(iii) राष्ट्रीय एकता का विकास-इसके द्वारा राष्ट्रीय एकता यानी राष्ट्र में सभी को एक साथ मिल-जुलकर रहने की भावना का विकास होता है। सेवा, सद्भवना, प्रेम, भाईचारे की भावना राष्ट्रीयता को दर्शाता है।
(iv) आदर्श नागरिकता का विकास-इसके द्वारा व्यक्तियों को आदर्श नागरिक बनने की भावना पैदा होती है।
(v) वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास–इसके द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण अर्थात् व्यापक तथा सैद्धांतिक सोच का विकास होता है।
(vi) राजनीतिक जागरूकता का विकास-राजनीतिक में हो रहे उथल-पुथल के प्रति प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के कर्तव्यों का अध्ययन।
(vii) लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास–नागरिकशास्त्र के माध्यम से लोकतांत्रिक तथा प्रजातांत्रिक मूल्य जो समाज में निहित है उसका विकास होता है।
(viii) विश्व भाईचारे की भावना का विकास इसके माध्यम से सभी में एक साथ मिल-जुलकर रहने की भावना का विकास होता है। आज संपूर्ण विश्व एक है । अतः नागरिकशास्त्र का अध्ययन अति आवश्यक है।
नागरिकशास्त्र का क्षेत्र-
(i) नागरिक तथा पड़ोसियों का अध्ययन-इसके द्वारा नागरिक तथा पड़ोसियों के अध्ययन से तात्पर्य उसके आस-पास के समाज से है। उनके पड़ोसियों से है। नागरिकशास्त्र के द्वारा विभिन्न प्रदेशों राज्यों एवं पड़ोसी देशों के लोगों के रहन-सहन के बारे में जान पाते हैं । अतः इसका क्षेत्र विस्तृत है।
नागरिकशास्त्र का क्षेत्र-
1. नागरिक एवं पड़ोसियों का अध्ययन
2. राज्य एवं सरकार का अध्ययन
3. अधिकार एवं कर्तव्यों का अध्ययन
4. स्थानीय राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का अध्ययन।
(ii) राज्य तथा सरकार का अध्ययन इसमें राज्य तथा सरकार का अध्ययन किया जाता है। राज्य की व्यवस्था तथा सरकार के कर्तव्य आदि। सरकार किस प्रकार (प्रजातांत्रिक/राजतंत्र) शाखा है इसका भी पता चलता है।
(iii) अधिकार एवं कर्तव्यों का अध्ययन-वह अधिकार व कर्त्तव्य जो व्यक्ति को दिये गये हैं, समाज तथा राज्य में रहने के लिए नागरिक शास्त्र के क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
(iv) स्थानीय राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्या का अध्ययन–इसके द्वारा सभी प्रकार की स्थानीय राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का अध्ययन करवाया जाता है जिसके व्यापक दृष्टिकोण हैं। आज एक नागरिक विश्व नागरिक है अतः इसका क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक विस्तृत है।
नागरिकशास्त्र की प्रकृति :
(i) नागरिकशास्त्र कला है-नागरिकशास्त्र कला है क्योंकि इसमें विषय का सापेक्ष अध्ययन किया जाता है।
(ii) नागरिकशास्त्र विज्ञान है-नागरिक शास्त्र के माध्यम से विषय-वस्तु को सैद्धांतिक रूप से प्रमाणित किया जाता है।
(ii) नागरिकशास्त्र कला व विज्ञान दोनों है-सत्य को साबित नहीं किया जा सकता, परन्तु नीतिशास्त्र विज्ञान के अंतर्गत आते हैं तथा विज्ञान हमारे समस्या का कारण ढूँढती है अतः यह कला व विज्ञान दोनों है।
निष्कर्ष – निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि नागरिकशास्त्र नगर तथा नगर राज्यों में रहने वाले लोगों का अध्ययन है। इसका क्षेत्र व्यापक एवं विस्तृत है। यह कला एवं विज्ञान का मिश्रित विषय है। इसके महत्व को आज नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि नागरिकशास्त्र के अध्ययन के बिना हम एक सभ्य (Civic) नागरिक नहीं बन सकते हैं।