पेट्रोलियम उद्योग | Petroleum Industry
पेट्रोलियम उद्योग | Petroleum Industry
क्र. सं. | पेट्रोलियम प्रभाजों के नाम | ताप-परिसर | कार्बन-अणुओं की संख्या | उपयोग |
1. | प्राकृतिक गैस (Natural Gas) | 30°C से नीचे | C1 से C4 तक | रसोई गैस के रूप में |
2. | पेट्रोल या गैसोलीन (Petrol or Gasoline) | 20°C से 100°C | C5 से C10 तक |
ईंधन (मोटर) एवं स्पिरिट के रूप में
|
3. | नेफ्था (Neptha) | 100°C से 180° | C7 से C12 तक |
संश्लिष्ट रेशे के उत्पादन
के रूप में
|
4. |
किरोसीन तेल
(Kerosene Oil)
|
175°C से 250°C | C10 से C15 तक | लैम्प एवं स्टोव जलाने के लिए ईंधन के रूप में |
5. | डीजल (Diesel) | 250° से 250°C | C16 से C20 तक | डीजल इंजन में ईधन के रूप में |
6. | स्नेहक तेल (Lubricant Oil) | 250°C से 450° | C20 से C30 तक | स्नेहक के रूप में & दवा बनाने में |
7. | पेट्रोलियम जेली (Petroleum Jelly) | 450°C से 500°C | C30 से C35 तक |
स्नेहक एवं दवा बनाने
में
|
8. | पाराफीन मोम (Paraffin Wax) | 500°C से ऊपर | C35 से C40 तक | मोमबत्ती एवं जलरोधी बनाने में |
9. | कोलतार (Coaltar) | अवशिष्ट | अवशिष्ट | सड़क बनाने में |
पेट्रोलियम
पेट्रोलियम एक प्राकृतिक ईंधन है। यह भू-पर्पटी (Earth’s Crust) के बहुत नीचे अवसादी परतों के बीच पाया जाने वाला संतृप्त हाइड्रोकार्बनों का काले भूर रंग का गाढ़ा तैलीय द्रव है। इसे कच्चा तेल (Crude Oil) या धात्विक तेल (Mineral Oil) के नाम से भी जाना जाता है। पेट्रोलियम (Petroleum) दो शब्दों के मिलने से बना है- पेट्रा (Petra) तथा ऑलियम (Oleum)। पेट्रा (Petra) का शाब्दिक अर्थ होता है- चट्टान जबकि ओलियम (Oleum) का शाब्दिक अर्थ तेल (Oil) होता है। इस कारण पेट्रोलियम को रॉक ऑयल भी कहते हैं। आधुनिक समय में इसकी अत्यधिक महत्ता के कारण ही इसे काला सोना (Black Gold) द्रव सोना (Liquid Gold) आदि की संज्ञा दी गई है। पेट्रोलियम से पेट्रोल, मिट्टी का तेल, विभिन्न हाइड्रोकार्बन, ईथर, प्राकृतिक गैस आदि प्राप्त किये जाते हैं। विश्व का सबसे पहला पेट्रोलियम कुआँ कर्नल ड्रेक द्वारा 1859 ई० में संयुक्त राज्य अमेरिका के पेन्सलवेनिया राज्य के टाइटसविले नामक स्थान पर खोदा गया था। पेट्रोलियम एक गाढ़ा गहरे रंग का चिपचिपा व दुर्गन्धयुक्त पदार्थ है।
पेट्रोलियम से इसके विभिन्न अवयवों को प्रभाजी आसवन विधि (Fractional Distillation Method) द्वारा अलग-अलग किया जाता है। इसे पेट्रोलियम का शोधन (Petroleum Refining) कहते हैं। आधुनिक विचारधारा के अनुसार पेट्रोलियम की उत्पत्ति जीव जन्तुओं एवं वनस्पतियों से हुई है।
ANS. हाँ, पेट्रोल को उबाला जा सकता है , लकिन इसके कुछ शर्त है –
1- पेट्रोल आग के संपर्क में नहीं जाना चाहिये, आग के संपर्क में आने से पेट्रोल में विस्फोट हो जायेगा।
2- आज को गर्म इलेक्ट्रिक प्लेट पर ही उबाला जा सकता है।
पेट्रोल को गर्म करने से वह भाप बन जाता है।
ANS. पेट्रोलियम एक बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है; सबसे अधिक पाए जाने वाले अणु अल्केन (पैराफिन), साइक्लोक्लेन्स (नैप्थेन्स), सुगंधित हाइड्रोकार्बन, या एस्फाल्टिन जैसे अधिक जटिल रसायनों हैं। प्रत्येक पेट्रोलियम किस्म में अणुओं का एक अनूठा मिश्रण होता है, जो रंग और चिपचिपाहट जैसे भौतिक और रासायनिक गुणों को परिभाषित करता है।
एल्केन, जिन्हें पैराफिन भी कहा जाता है, सीधे या ब्रांडेड चेन वाले संतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं जिनमें केवल कार्बनैंड हाइड्रोजन होता है और सामान्य फॉर्मूला CnH2n+2 होता है। वे आम तौर पर प्रति अणु 5 से 40 कार्बन परमाणु होते हैं, हालांकि मिश्रण में छोटे या लंबे अणुओं की ट्रेस मात्रा मौजूद हो सकती है।
ANS. शायद मैं आपको समझा पाऊँ की पेट्रोल और डीजल में क्या अंतर है. जबकि ये दोनों ही प्रोडक्ट एनर्जी प्रोडूस करते हैं और लगभग एक सामान ही इस्तेमाल में भी आते हैं.
पेट्रोल और डीजल दोनों ही द्रव ईंधन हैं और पेट्रोलियम से निकलने वाले उत्पाद हैं. फिर भी ईंधन क्षमता और गुणवत्ता के साथ साथ कीमत के लिहाज से भी ये थोड़े अलग होते हैं.
दरअसल पेट्रोल हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है. यह डीजल से अधिक शुद्ध रूप है और इसे 35 डिग्री से 200 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच उबालकर तैयार किया जाता है जबकि डीजल 250 से 350 डिग्री के बीच उबलता है. हां, इनके उबलने की क्षमता उनकी शुद्धता पर निर्भर करती है.
पेट्रोल बनने की पहली अवस्था में ‘बेंजाइन’ है. दूसरी अवस्था में तरल पदार्थ ‘गैसोलिन’ मिलता है. अगर पेट्रोल शुद्ध हो तो खुली हवा में उसका लगभग दसवां हिस्सा 10 प्रतिशत जल्द ही उड़ जाता है. शुद्ध पेट्रोल में सीसा नहीं मिला होता और हमारे यहां सीसारहित पेट्रोल की बिक्री काफी पहले शुरू हो गई थी.
डीजल एक कठोर ईंधन तेल है. हमारे यहां यह पेट्रोल से सस्ता होता है. इसे अपेक्षाकृत अधिक प्रदूषणकारी माना जाता है भले ही इसकी फ्यूल एफिसियंसी या ईंधन क्षमता पेट्रोल से अधिक हो. हां, वाहनों में डीजल का इस्तेमाल सिर्फ डीजल इंजन में होता है. यानी दोनों के लिए ईंजन अलग अलग होते हैं.
ANS. डीजल इंजन:
- इंजन के सिलिंडर में सिर्फ हवा अंदर जाती है
- कम्प्रेशन रेश्यो लगभग 14 होती है।
- ईंधन को जलाने के लिए स्पार्क प्लग नही चाहिए। ज्यादा कम्प्रेशन के कारण सिलिंडर में इतना तापमान हो जाता है की डीजल का स्प्रे जब सिलिंडर में डाला जाता है तो वोह अपने आप जल जाता है।
- ज्यादा कम्प्रेशन के कारण इंजिन ज्यादा भारी होता है
- एफिशिएंसी ज्यादा होती है।
पैट्रोल इंजन:
- इंजन के सिलिंडर में हवा और पेट्रोल के कण अंदर जाते है।
- कम्प्रेशन रेश्यो लगभग 7 से 8 होती है
- ईंधन को जलाने के लिए स्पार्क प्लग चाहिए। बैटरी या मैग्नेटो चाहिए पेट्रोल को जलाने के लिए
- कम कम्प्रेशन के कारण इंजिन कम भारी होता है
- एफिशिएंसी कम होती है।
ANS. पेट्रोल को हिंदी में ‘शिलातैल’ या ‘ध्रुव स्वर्ण’ के नाम से जाना जाता है