PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 3 आषाढ़ी की फ़सलें
PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 3 आषाढ़ी की फ़सलें
PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 3 आषाढ़ी की फ़सलें
आषाढ़ी की फ़सलें PSEB 10th Class Agriculture
- अक्तूबर-नवम्बर में बोई जाने वाली फसलों को आषाढ़ की फसलें कहते हैं।
- आषाढ़ी की फसलों को मार्च-अप्रैल में काटा जाता है।
- आषाढ़ी की फसलों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है-अनाज, दालें तथा तेल बीज, चारे वाली फसलें।
- अनाज वाली फसलों में गेहूँ तथा जौं मुख्य हैं।
- गेहूँ की पैदावार में चीन दुनिया का अग्रणी देश है।
- भारत में उत्तर प्रदेश गेहूँ की पैदावार में अग्रणी राज्य है।
- पंजाब में गेहूँ लगभग 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोई जाने वाली फसल है।
- गेहूँ की औसत पैदावार 18-20 क्विंटल प्रति एकड़ है।
- गेहूँ की बुआई के लिए ठंडा मौसम ठीक रहता है।
- गेहूँ के लिए मैरा मध्यम भूमि जिसमें पानी न रुकता होता हो सबसे बढ़िया है।
- गेहूँ की उन्नत किस्में हैं -एच०डी०-2967, पी०बी०डब्ल्यू०-343, डी० बी० डब्ल्यू ०-17, वडानक गेहूँ आदि।
- पासता बनाने के लिए वडानक गेहूँ का आटा प्रयोग किया जाता है।
- खेत में गेहूँ की बुआई से पहले यदि खरपतवारों की समस्या हो तो बिना तैयारी के खेत में ग्रामैक्सोन का स्प्रे करें।
- गेहूँ के लिए बीज की मात्रा 40 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेयर है।
- गेहूँ की बिजाई अक्तूबर के अंतिम या नवम्बर के पहले सप्ताह की जाए तो खरपतवार कम हो जाते हैं।
- चौड़े पत्तों वाले नदीन जैसे-मैना, मैनी, बाथ, कंडियाली पालक, सेंजी आदि की रोकथाम के लिए एलग्रिप या ऐम का प्रयोग किया जाता है।
- गुल्ली डंडे की रोकथाम के लिए टापिक, लीडर, स्टोंप आदि में से किसी एक । खरपतवार नाशक का प्रयोग किया जाता है
- गेहूँ को 50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस तथा 12 किलो पोटाश की । प्रति एकड़ के लिए आवश्यकता है।
- जिंक तथा मैंगनीज़ की कमी अक्सर हल्की भूमियों में आती है।
- दीमक, चेपा, सैनिक सूंडी तथा अमरीकन सूंडी गेहूँ के मुख्य कीट हैं।
- गेहूँ के रोग हैं-पीली कुंगी, भूरी कुंगी, कांगियारी, मम्णी तथा टुंड्र आदि।
- भारत में जौं की पैदावार सबसे अधिक राजस्थान में होती है।
- पंजाब में जौं की कृषि 12 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है।
- जौं की औसत पैदावार 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ है।
- जौं की फसल रेतली तथा कॅलर वाली भूमि में भी अच्छी हो जाती है।
- जौं की किस्में हैं-पी०एल० 807, वी०जी०एम० 201, पी०एल० 426।
- जौं के बीज की मात्रा है 35 कि०ग्रा० प्रति एकड़ सिंचाई योग्य (सेंजू या सिंचित) तथा समय पर बीजाई के लिए परन्तु बरानी (असिंचित) तथा पिछेती फसल की बुआई के लिए 45 कि०ग्रा० बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है।
- जौं की बुआई 15 अक्तूबर से 15 नवम्बर तक करनी चाहिए।
- जौं में भिन्न-भिन्न प्रकार के खरपतवार नाशकों के प्रयोग की सिफारिश की जाती है; जैसे-बाथू के लिए 2,4-डी, जौंधर के लिए एवाडैक्स बी०डब्ल्यू० तथा गुल्ली डंडे के लिए पिऊमा पावर आदि।
- जौं के लिए 25 कि०ग्रा० नाइट्रोजन, 12 कि०ग्रा० फॉस्फोरस तथा 6 कि०ग्रा० पोटाश प्रति एकड़ के लिए आवश्यकता है।
- जौं का कीड़ा है चेपा तथा रोग हैं-धारियों का रोग, कांगियारी तथा पीली कुंगी।
- पंजाब में आषाढ़ी के दौरान मसर, चने तथा मटरों की कृषि कम क्षेत्रफल में की जाती है।
- पंजाब में चने की बुआई दो हज़ार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है तथा औसत पैदावार पांच क्विंटल प्रति एकड़ है।
- चने की फसल कम वर्षा वाले इलाकों के लिए ठीक रहती है।
- चने के लिए अच्छे जल निकास वाली रेतली या हल्की भल्ल वाली भूमि अच्छी । रहती है।
- चने की उन्नत किस्में हैं-जी०पी०एफ०-2 तथा पी०बी०जी०-1 सिंचाई योग्य (सेंजू) देसी चने की, पी०डी०जी०-4 तथा पी०डी०जी०-3 बरानी देसी चने की किस्में हैं।
- काबली चने की किस्में हैं-एल०-552 तथा बी०जी०-1053।
- देसी चने के लिए बीज की मात्रा 15-18 कि०ग्रा० प्रति एकड़ तथा काबली चने के लिए 37 कि०ग्रा० प्रति एकड़ है।
- देसी चने की बरानी बुआई का उचित समय 10 से 30 अक्तूबर है।
- चने में खरपतवार की रोकथाम के लिए टरैफलान अथवा सटोंप का प्रयोग किया जा सकता है।
- देसी तथा काबली चने को 6 कि०ग्रा० नाइट्रोजन प्रति एकड़, देसी चने को 8 कि०ग्रा० फॉस्फोरस तथा काबली चने के लिए 16 कि०ग्रा० प्रति एकड़ की
आवश्यकता होती है। - चने को दीमक तथा चने की सूंडी लग जाती है।
- चने को झुलस रोग, उखेड़ा तथा तने का गलना रोग हो जाते हैं।
- मसूर की कृषि 1100 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है।
- मसूर की औसत पैदावार 2-3 क्विंटल प्रति एकड़ के लगभग है।
- मसूर की फसल क्षारीय, कलराठी तथा सेम वाली भूमि को छोड़कर प्रत्येक तरह की भूमि में हो जाती है।
- मसूर की उन्नत किस्में हैं-एल०एल०-931 तथा एल०एल०-699।
- मसूर के लिए 12-15 कि०ग्रा० बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
- मसूर की बोबाई अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े में होती है।
- मसूर के लिए 5 कि०ग्रा० नाइट्रोजन प्रति एकड़, यदि बीज को जीवाणु टीका लगा हो तो 8 कि०ग्रा० फॉस्फोरस तथा यदि टीका न लगा हो तो 16 कि०ग्रा० फॉस्फोरस प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
- मसर में छेद करने वाली सुंडी इसका मुख्य कीट है तथा झुलस रोग तथा कुंगी इसके मुख्य रोग हैं।
- विश्व में सबसे अधिक तेल बीज पैदा करने वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका है।
- भारत में सबसे अधिक तेल बीज राजस्थान में पैदा किए जाते हैं।
- आषाढ़ी में बोये जाने वाले तेल बीज हैं-राईया, गोभी सरसों, तोरिया, तारामीरा, अलसी, कसुंभ, सूरजमुखी आदि।
- राईया मध्यम से भारी वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उचित है।
- राईया को हर प्रकार की भूमि में बोया जा सकता है।
- राईया की उन्नत किस्में हैं -आर०एल०सी०-1, पी०बी०आर०-201, पी०बी०आर०-91 ।
- राईया के लिए बीज की मात्रा है 1.5 कि०ग्रा० प्रति एकड़।
- राईया के लिए बोबाई का समय मध्य अक्तूबर से मध्य नवम्बर है।
- राईया के लिए 40 कि० ग्रा० नाइट्रोजन, 12 कि०ग्रा० फॉस्फोरस प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
- राईया के कीट हैं-चितकबरी सूंडी, चेपा, सलेटी सूंडी, पत्ते का सुरंगी कीट।
- राईया के रोग हैं-झुलस रोग, सफेद कुंगी, हरे पत्ते का रोग, पीले धब्बे का रोग।
- गोभी सरसों की एक श्रेणी कनौला सरसों की है। इस तेल में इरुसिक अमल तथा खल में गलुको-सिनोलेटस कम होते हैं।
- गोभी सरसों की किस्में हैं-पी०जी०एस०एच०-51, जी०एस०एल०-2, जी०एस०एल०-1
- कनौला किस्में हैं-जी०एस०सी०-6, जी०एस०सी-5।
- गोभी सरसों के लिए 1.5 कि०ग्रा० प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
- गोभी सरसों के लिए 1.5 कि०ग्रा० बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
- गोभी सरसों के नदीनों की रोकथाम के लिए वासालीन, बुआई से पहले तथा आईसोप्रोटयुरान का बुआई के बाद प्रयोग कर सकते हैं।
- सूर्यमुखी के बीजों में 40-43% तेल होता है जिसमें कोलेस्ट्रोल कम होता है।
- दुनिया में सबसे अधिक सूर्यमुखी यूक्रेन में पैदा होता है।
- पंजाब में सूर्यमुखी की कृषि 20-21 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है। इसकी औसत पैदावार 6.5 क्विंटल प्रति एकड़ है।
- अच्छे जल निकास वाली मध्यम भूमि सूर्यमुखी के लिए ठीक है।
- सूर्यमुखी की उन्नत किस्में हैं-पी० एच० एस०-996, पी०एस०एच०-569, ज्वालामुखी।
- सूर्यमुखी के लिए 2 कि०ग्रा० बीज प्रति एकड़ का प्रयोग किया जाता है।
- सूर्यमुखी की बोबाई जनवरी माह के अन्त तक कर लेनी चाहिए।
- एक बड़े पशु के लिए 40 कि०ग्रा० हरा चारा प्रतिदिन चाहिए होता है।
- आषाढ़ी में चारे वाली फसलें हैं-बरसीम, शफ्तल, लूसण, जवी, राई घास तथा सेंजी।
- बरसीम को चारों का बादशाह कहा जाता है।
- बरसीम की किस्में हैं-बी०एल०-42, बी०एल०-10।
- बरसीम के बीज की 8 से 10 किलो प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
- बरसीम के बीज में से काशनी खरपतवार के बीजों को अलग कर लेना चाहिए।
- सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से अक्तूबर के पहले सप्ताह बरसीम की बुआई करनी | चाहिए।
- बरसीम में बुई खरपतवार की रोकथाम के लिए वासालीन का प्रयोग करें।
- जवी पौष्टिकता के आधार पर बरसीम के बाद दूसरे नंबर की चारे वाली फसल है।
- जवी की किस्में हैं-ओ०एल०-9, कैंट।
- जवी के बीज की 25 कि०ग्रा० प्रति एकड़ की आवश्यकता है।
- जवी की बुआई अक्तूबर के दूसरे सप्ताह से अक्तूबर के अंत तक करें।
- जवी में गुडाई करके खरपतवारों पर नियन्त्रण किया जा सकता है।
- जवी को 15 कि०ग्रा० नाइट्रोजन तथा 8 कि०ग्रा० फॉस्फोरस की प्रति एकड़ के हिसाब से बोबाई के समय आवश्यकता है।
- जवी को रौणी सहित तीन से चार सिंचाइयों की आवश्यकता है।
PSEB 10th Class Agriculture Guide आषाढ़ी की फ़सलें Textbook Questions and Answers
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए –
प्रश्न 1.
आषाढ़ी की तेल बीज फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर-
राईया, अलसी।
प्रश्न 2.
गेहूँ की दो उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
एच०डी०-2967, डी०बी०डब्ल्यू०-17.
प्रश्न 3.
राईया की एक एकड़ फसल के लिए कितना बीज चाहिए?
उत्तर-
1.5 कि०ग्रा० बीज़ प्रति एकड़।
प्रश्न 4.
चनों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों के नाम लिखिए।
उत्तर-
दीमक, चने की संडी।
प्रश्न 5.
गेहूँ की दो बीमारियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
करनाल बंट, कांगियारी।
प्रश्न 6.
गेहूँ के दो खरपतवारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
गुल्ली-डण्डा, सेंजी, मैना, मैनी।
प्रश्न 7.
किस फसल को चारों का बादशाह कहा जाता है ?
उत्तर-
बरसीम को।
प्रश्न 8.
मसूर की बुआई का समय लिखें।
उत्तर-
अक्तूबर का दूसरा पखवाड़ा।
प्रश्न 9.
जौं की दो उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
पी० एल-807, पी० एल०-426.
प्रश्न 10.
सूर्यमुखी के बीजों में कितना (प्रतिशत) तेल होता है ?
उत्तर-
40-43%.
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए –
प्रश्न 1.
गेहूँ को प्रति एकड़ मुख्य खाद्य तत्व की कितनी आवश्यकता है ?
उत्तर-
50 कि०ग्रा० नाइट्रोजन, 25 कि०ग्रा० फॉस्फोरस तथा 12 कि०ग्रा० पोटाश की प्रति एकड़ आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
गेहूँ पर आधारित दो फसली चक्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-
चावल-गेहूँ, कपास-गेहूँ।
प्रश्न 3.
टोटल खरपतवार नाशक किस फसल के कौन-से खरपतवार की रोकथाम के लिए प्रयुक्त होती है ?
उत्तर-
टोटल खरपतवार नाशक का प्रयोग गेहूँ की फसल में गुल्ली-डण्डा की रोकथाम के लिए प्रयोग होता है।
प्रश्न 4.
जवी के चारे के लिए कटाई कब करनी चाहिए ?
उत्तर-
फसल गोभ में बल्ली बनने से लेकर दूध वाले दानों की हालत में कटाई की जाती है।
प्रश्न 5.
बरसीम में इटसिट की रोकथाम बताएँ।
उत्तर-
जिन खेतों में इटसिट की समस्या है उन खेतों में बरसीम में राईया मिलाकर बोना चाहिए तथा इटसिट वाले खेतों में बोबाई अक्तूबर के दूसरे सप्ताह तक पछेती करनी चाहिए।
प्रश्न 6.
सूर्यमुखी की कटाई कब करनी चाहिए ?
उत्तर-
जब शीर्ष का रंग निचली तरफ से पीला-भूरा हो जाए तथा डिस्क सूखने लग जाए तो फसलों की कटाई करें।
प्रश्न 7.
कनौला सरसों किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गोभी सरसों की एक श्रेणी कनौला सरसों है।
प्रश्न 8.
जौं की बुआई का समय तथा विधि लिखिए।
उत्तर-
जौं की बुआई का समय 15 अक्तूबर से 15 नवम्बर है। समय पर बुआई के लिए 22.5 सैं०मी० तथा बरानी तथा पिछेती बुआई के लिए 18 से 20 सैं०मी० की दूरी पर सियाड़ (खाल) होने चाहिए। उसको गेहूँ की तरह बिना जोते ही बोया जा सकता है।
प्रश्न 9.
देसी चनों की बुआई का समय तथा प्रति एकड़ बीज की मात्रा लिखिए।
उत्तर-
देसी चनों की बुआई का समय बरानी बुआई के लिए 10 से 25 अक्तूबर है तथा सिंचाई योग्य अवस्था में 25 अक्तूबर से 10 नवम्बर है।
बीज की मात्रा 15-18 कि०ग्रा० प्रति एकड़ है।
प्रश्न 10.
मसूर की खेती कौन-सी ज़मीनों में नहीं करनी चाहिए ?
उत्तर-
मसूर की खेती क्षारीय, कलराठी तथा सेम वाली भूमि पर नहीं करनी चाहिए।
(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच – छः वाक्यों में उत्तर दीजिए –
प्रश्न 1.
गेहूँ की बुआई का समय तथा विधि लिखिए।
उत्तर-
गेहूँ की बुआई के लिए उचित समय अक्तूबर से चौथे सप्ताह से लेकर नवम्बर से चौथे सप्ताह तक का है। गेहूँ की बुआई समय पर न की जाए तो बुआई में प्रत्येक सप्ताह की पछेत के कारण 150 कि०ग्रा० प्रति एकड़ प्रति सप्ताह पैदावार कम हो जाती है।
गेहूँ की बुआई बीज-खाद ड्रिल से की जाती है। बुआई के लिए फासला 20 से 22 सै०मी० होना चाहिए तथा बोबाई 4-6 सैं०मी० गहराई पर करनी चाहिए । गेहूँ की दोहरी बुआई करनी चाहिए। इसका भाव है कि आधी खाद तथा बीज एक तरफ तथा बाकी आधी दूसरी तरफ। इस प्रकार करने से प्रति एकड़, दो क्विंटल पैदावार बढ़ जाती है। गेहूँ की बुआई चौड़ी मेढ़ों पर बैड प्लांटर द्वारा की जा सकती है। इस विधि द्वारा 30 कि०ग्रा० प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता पड़ती है तथा पानी की बचत भी होती है।
प्रश्न 2.
बरसीम की बुआई की विधि लिखिए।
उत्तर-
बरसीम की बुआई के लिए उचित समय सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्तूबर का पहला सप्ताह है।
बरसीम की बुआई खड़े पानी में छीटा विधि द्वारा की जाती है। यदि हवा चल रही हो तो सूखे खेत में बीज का छीटा दें तथा बाद में छापा फिरा कर पानी लगा देना चाहिए।
प्रश्न 3.
सूर्यमुखी की सिंचाई करने के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
सूर्यमुखी की फसल को पहली सिंचाई बुआई से एक माह बाद करनी चाहिए। इसके बाद अगली सिंचाइयां 2 से 3 सप्ताह के अन्तर पर करनी चाहिए। फसल को फूल लगने तथा दाने बनने के समय सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। कुल 6-9 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 4.
तेल बीज फसलों के लिए सल्फर (गंधक) तत्त्व का महत्त्व लिखिए।
उत्तर-
साधारणतया गंधक की आवश्यकता पौधों को कम मात्रा में होती है। परन्तु तेल बीज वाली फसलों को गंधक तत्त्व की अधिक आवश्यकता होती है। गंधक (सल्फर) की कमी होने से तेल बीज फसलों की पैदावार कम हो जाती है। गंधक का प्रयोग नाइट्रोजन के प्रयोग के लिए भी आवश्यक है। एनजाइमों की गतिविधियों तथा तेल के संश्लेषण के लिए भी सल्फर बहुत आवश्यक है। इसीलिए तेल बीज फसलों में फॉस्फोरस तत्त्व के लिए सुपर फास्फेट खाद को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि इसमें सल्फर (गंधक) तत्त्व भी होता है। यदि यह खाद न मिले तो 50 कि०ग्रा० जिप्सम प्रति एकड़ का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 5.
राइया की किस्में तथा खाद्य तत्त्वों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
राइया की किस्में-आर० एल० सी०-1, पी० बी० आर० -201, पी० बी० आर०-91.
राडया के लिए उर्वरक, पौष्टिक तत्त्व-राईया के लिए 40 कि०ग्रा० नाइट्रोजन तथा 12 कि०ग्रा० फॉस्फोरस प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। पोटाश तत्त्व का प्रयोग भूमि की जांच करके ही करना चाहिए। यह तेल बीज फसल है तथा इसको सल्फर तत्त्व की आवश्यकता भी है। इस लिए फॉस्फोरस तत्त्व के लिए सुपर फास्फेट खाद का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि इसमें सल्फर तत्त्व भी होता है। यदि यह खाद न मिले तो 50 कि०ग्रा० जिप्सम प्रति एकड़ का प्रयोग करना चाहिए।
Agriculture Guide for Class 10 PSEB आषाढ़ी की फ़सलें Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-
प्रश्न 1.
आषाढ़ी की फसलें हैं –
(क) अनाज
(ख) दालें
(ग) तेल बीज और चारा
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।
प्रश्न 2.
गेहूँ की विकसित किस्में हैं
(क) एच० डी० 2976
(ख) पी० बी० डब्ल्यू० 343
(ग) बडानक
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।
प्रश्न 3.
गेहूँ के रोग हैं –
(क) पीली कुंगी
(ख) कांगियारी
(ग) मम्णी तथा टुंडू
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।
प्रश्न 4.
जौं की बिजाई का समय
(क) 15 अक्तूबर से 15 नबम्बर
(ख) जुलाई
(ग) 15 जनवरी से 15 फरवरी
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(क) 15 अक्तूबर से 15 नबम्बर
प्रश्न 5.
काबली चने की किस्म है
(क) पी० बी० जी० 1
(ख) एल० 552
(ग) जी० पी० एफ० 2
(घ) पी० डी० जी० 4.
उत्तर-
(ख) एल० 552
प्रश्न 6.
सूरजमुखी के लिए …… बीज प्रति एकड़ का प्रयोग करें।
(क) 5 किलो
(ख) 10 किलो
(ग) 2 किलो
(घ) 25 किलो।
उत्तर-
(ग) 2 किलो
प्रश्न 7.
कौन-सी फसल को चारों का बादशाह कहा जाता है-
(क) मक्की
(ख) बरसीम
(ग) जबी
(घ) लूसर्न।
उत्तर-
(ख) बरसीम
॥. ठीक/गलत बताएँ-
1. गेहूँ की पैदावार में चीन विश्व में अग्रणी देश है।
2. गेहूँ की बुआई के लिए ठण्डा मौसम ठीक रहता है।
3. गुल्ली डंडा की रोकथाम के लिए स्टोप का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
4. जौं का औसत उत्पादन 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ है।
5. शफतल आषाढ़ी की चारे वाली फसल है।
उत्तर-
- ठीक
- ठीक
- गलत
- ठीक
- ठीक।
III. रिक्त स्थान भरें-
1. गेहूँ के लिए बीज की मात्रा ………….. किलो बीज प्रति एकड़ है।
2. ……….. की कमी दूर करने के लिए जिंक सल्फेट का प्रयोग किया जाता
3. जौ की पैदावार में ………. सब से आगे हैं।
4. बाथू ……………… पत्ते वाला खरपतवार है।
5. ओ०एल-9 …………… की किस्म है।
उत्तर-
- 40
- जिंक
- रूस फैडरेशन
- चौड़े
- जीव।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आषाढ़ी की फसलों को कितनी श्रेणियों में बांटा जाता है ?
उत्तर-
तीन श्रेणियों में-अनाज, दालें तथा तेल बीज, चारे की फसलें।
प्रश्न 2.
गेहूँ की पैदावार सबसे अधिक किस देश में है ?
उत्तर-
चीन में।
प्रश्न 3.
भारत में गेहूँ की पैदावार में अग्रणी राज्य कौन-सा है ?
अथवा
भारत का कौन-सा राज्य गेहूँ की सबसे अधिक पैदावार करता है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश।
प्रश्न 4.
पंजाब में गेहूँ की कृषि के लिए कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
35 लाख हेक्टेयर।
प्रश्न 5.
पंजाब में गेहूँ की पैदावार कितनी है ?
उत्तर-
10-20 क्विंटल प्रति एकड़ औसत पैदावार।
प्रश्न 6.
गेहूँ वाला फसली चक्र बताएं।
उत्तर-
मक्की-गेहूँ, मांह-गेहूं, मूंगफली-गेहूं।
प्रश्न 7.
पासता बनाने के लिए गेहूँ की कौन-सी किस्म का प्रयोग होता है ?
उत्तर-
वडानक गेहूँ।
प्रश्न 8.
गेहूँ की बुआई के लिए खरपतवारों की समस्या हो तो जुताई किए बिना कौन-सा खरपतवार नाशक प्रयोग होता है ?
उत्तर-
बुआई से पहले ग्रामैकसोन।
प्रश्न 9.
कटाई किए चावल के खेत में कौन-सी मशीन दवारा गेहूँ की सीधी बुआई की जाती है ?
उत्तर-
हैपी सीडर द्वारा।
प्रश्न 10.
गेहूँ के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
40 किलो ग्राम बीज प्रति एकड़।
प्रश्न 11.
यदि फलीदार फ़सल के बाद गेहूँ की बोवाई की जाए तो कितनी नाइट्रोजन कम डाली जाती है ?
उत्तर-
25% नाइट्रोजन कम डाली जाती है।
प्रश्न 12.
यदि गेहूँ की बुआई एक सप्ताह देर से की जाए तो कितनी पैदावार कम हो जाती है ?
उत्तर-
150 कि० ग्रा० प्रति एकड़ प्रति सप्ताह ।
प्रश्न 13.
गेहूँ की दोहरी बुआई से प्रति एकड़ कितने क्विंटल पैदावार बढ़ जाती है ?
उत्तर-
दो क्विंटल।
प्रश्न 14.
गेहूँ की बुआई चौड़ी मेढ़ों पर किससे की जाती है ?
उत्तर-
बैड प्लांटर से।
प्रश्न 15.
गेहूँ में गुल्ली डण्डा की रोकथाम के लिए कोई दो नदीननाश्क (खरपतवार नाशक) बताएं।
उत्तर-
टोपिक, लीडर, टरैफलान।
प्रश्न 16.
चौड़े पत्ते वाले नदीनों के नाम लिखो।
उत्तर-
बाथु, कंडियाली पालक, मैना, मैनी।
प्रश्न 17.
जिंक की कमी कौन-सी भूमि में आती है ?
उत्तर-
हल्की भूमि में।
प्रश्न 18.
जिंक की कमी को दूर करने के लिए कौन-सी खाद का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
जिंक सल्फेट।
प्रश्न 19.
मैंगनीज़ की कमी दूर करने के लिए कौन-सी खाद का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
मैंगनीज़ सल्फेट।
प्रश्न 20.
गेहूँ को कितनी सिंचाइयों की आवश्यकता है ?
उत्तर-
4-5 सिंचाइयों की।
प्रश्न 21.
जौं की पैदावार में कौन सबसे आगे है ?
उत्तर-
रूस फैडरेशन।
प्रश्न 22.
भारत में जौं की पैदावार सबसे अधिक कहाँ होती है ?
उत्तर-
राजस्थान में।
प्रश्न 23.
पंजाब में जौं की कृषि कितने क्षेत्रफल में होती है ?
उत्तर-
12 हज़ार हेक्टेयर।
प्रश्न 24.
जौं की औसत पैदावार बताओ।
उत्तर-
15-16 क्विंटल प्रति एकड़।
प्रश्न 25.
जौं वाला फसल चक्र बताओ।
उत्तर-
चावल-जौं, कपास-जौं, बाजरा-जौं।
प्रश्न 26.
जौं की उन्नत किस्म बताओ।
उत्तर-
पी० एल० 807, वी० जे० एम० 201, पी० एल० 426
प्रश्न 27.
सेंजु बोबाई के लिए जौं के बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
35 कि० ग्राम।
प्रश्न 28.
जोंधर की रोकथाम के लिए कौन-सी दवाई का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
आईसोप्रोटयुरान या एबाडैक्स बी० डब्ल्यू० ।
प्रश्न 29.
जौं को कितनी सिंचाई की आवश्यकता है ?
उत्तर-
1-2 सिंचाई की।
प्रश्न 30.
आषाढ़ी की दाल वाली दो फसलों के नाम बताएं।
उत्तर-
चने तथा मसूर।
प्रश्न 31.
आषाढ़ी (रबी) की तेल बीज वाली चार फसलों के नाम लिखो ।
उत्तर-
गोभी सरसों, तोरिया, तारामीरा, अलसी तथा सूर्यमुखी।
प्रश्न 32.
दालों की पैदावार कौन-से देश में सबसे अधिक है ?
उत्तर-
भारत में।
प्रश्न 33.
भारत में सबसे अधिक दालें कहाँ पैदा होती हैं ?
अथवा
भारत का कौन-सा राज्य दालों की सबसे अधिक पैदावार करता है ?
उत्तर-
राजस्थान में।
प्रश्न 34.
पंजाब में चने की कृषि के नीचे कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
दो हज़ार हेक्टेयर।
प्रश्न 35.
पंजाब में चने की औसत पैदावार बताओ।
उत्तर-
पांच क्विंटल प्रति एकड़।
प्रश्न 36.
चना आधारित फसल चक्रों के नाम लिखें।
उत्तर-
बाजरा-चने, चावल-मक्की -चने।
प्रश्न 37.
सेंजू या सिंचाई योग्य चने की किस्म बताओ।
उत्तर-
जी० पी० एफ-2, पी० बी० जी०-1.
प्रश्न 38.
बरानी देसी चने की किस्म बताओ।
उत्तर-
पी० डी० जी०-4 तथा पी० डी० जी०-3.
प्रश्न 39.
काबली चने की किस्म बताओ।
उत्तर-
एल-552, बी० जी० 1053.
प्रश्न 40.
देसी चने के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
15-18 कि० ग्राम प्रति एकड़।
प्रश्न 41.
काबली चने के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
37 कि० ग्रा० प्रति एकड़।
प्रश्न 42.
देसी चने के लिए बरानी बुआई का उचित समय बताओ।
उत्तर-
10 से 25 अक्तूबर।
प्रश्न 43.
काबली चने के लिए बुआई का उचित समय बताओ।
उत्तर-
25 अक्तूबर से 10 नवम्बर।
प्रश्न 44.
चने के लिए सिंचाई से सियाड़ का फासला (अंतर) बताओ।
उत्तर-
30 सैं० मी०।
प्रश्न 45.
चने को कितनी सिंचाइयों की आवश्यकता है ?
उत्तर-
एक पानी की।
प्रश्न 46.
मसूर की कृषि के नीचे कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
1100 हेक्टेयर।
प्रश्न 47.
मसूर की औसत पैदावार बताओ।
उत्तर-
2-3 क्विंटल प्रति एकड़।
प्रश्न 48.
मसूर वाला फसल चक्र बताओ।
उत्तर-
चावल-मसर, कपास-मसर, मूंगफली-मसर।
प्रश्न 49.
मसूर के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
12-15 कि० ग्रा० प्रति एकड़।
प्रश्न 50.
मसूर के लिए सियाड़ों में फासला (अंतर) बताएं।
उत्तर-
22.5 सैं० मी०।
प्रश्न 51.
मसूर को कितने पानी की आवश्यकता है ?
उत्तर-
1-2 सिंचाइयों की।
प्रश्न 52.
मसूर को कौन-सा कीड़ा लगता है ?
उत्तर-
छेद करने वाली सुंडी।
प्रश्न 53.
राईया को व्यापारिक आधार पर कौन-सी श्रेणी में रखा जाता है ?
उत्तर-
मस्टर्ड श्रेणी में।
प्रश्न 54.
राईया वाला फसल चक्र बताओ।
उत्तर-
मक्की-बाजरा-राईया-गर्म ऋतु की मूंगी, कपास-राईया।
प्रश्न 55.
राईया की उन्नत किस्में बताओ।
उत्तर-
आर० एल० सी०-1, पी० बी० आर०-210, पी० बी० आर०-91.
प्रश्न 56.
राईया के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
1.5 कि० ग्रा० बीज प्रति एकड़।
प्रश्न 57.
राईया की बुआई के लिए पंक्तियों (लाइनों) में दूरी बताओ।
उत्तर-
30 सैं० मी०।
प्रश्न 58.
यदि सुपरफास्फेट उपलब्ध न हो तो राईया में कौन-सी खाद डालनी चाहिए ?
उत्तर-
जिप्सम।
प्रश्न 59.
गोभी सरसों को व्यापारिक स्तर पर कौन-सी श्रेणी में गिना जाता है ?
उत्तर-
रेप सीड श्रेणी में।
प्रश्न 60.
गोभी सरसों वाले फसल चक्र बताओ।
उत्तर-
चावल-गोभी सरसों-गर्म मौसम की मुंगी, कपास-गोभी सरसों, मक्की-गोभी सरसों-गर्म ऋतु की मूंग।
प्रश्न 61.
गोभी सरसों की किस्मों के बारे में बताएं।
उत्तर-
पी० जी० एस० एच०-51, जी०एस०एल०-2.
प्रश्न 62.
कनौला की किस्में बताओ।
उत्तर-
जी० एस० सी०-6, जी० एस० सी०-5.
प्रश्न 63.
गोभी सरसों के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
1.5 किलो बीज प्रति एकड़।
प्रश्न 64.
गोभी सरसों के लिए बुआई के समय पंक्तियों में दूरी बताओ।
उत्तर-
45 सैं० मी०।
प्रश्न 65.
दुनिया में सूर्यमुखी की पैदावार सबसे अधिक कहां होती है ?
उत्तर-
यूक्रेन में।
प्रश्न 66.
पंजाब में सूर्यमुखी की कृषि के नीचे कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
20-21 हजार हेक्टेयर।
प्रश्न 67.
सूर्यमुखी की औसत पैदावार बताओ।
उत्तर-
6.5 क्विंटल प्रति एकड़।
प्रश्न 68.
कौन-सी भूमि सूर्यमुखी के लिए ठीक नहीं है ?
उत्तर-
कलराठी भूमि।
प्रश्न 69.
सूर्यमुखी आधारित फसल चक्करों के नाम लिखें।
उत्तर-
चावल मक्की-आलू-सूर्यमुखी, चावल-तोरिया-सूर्यमुखी, नरमा-सूर्यमुखी, बासमती-सूरजमुखी।
प्रश्न 70.
सूर्यमुखी की उन्नत किस्में बताओ।
उत्तर-
पी० एस० एच०-996, पी० एस० एच०-569, ज्वालामुखी।
प्रश्न 71.
सूर्यमुखी के लिए पंक्तियों में फासला बताएं।
उत्तर-
60 सैं० मी०।
प्रश्न 72.
सूर्यमुखी को मेड़ के शीर्ष पर कितना नीचे बोना चाहिए ?
उत्तर-
6-8 सैं० मी०।
प्रश्न 73.
सूर्यमुखी के लिए खरपतवारों की रोकथाम के लिए क्या प्रयोग होता है ?
उत्तर-
सटोंप।
प्रश्न 74.
सूर्यमुखी को कितनी सिंचाई की आवश्यकता है ?
उत्तर-
6-9 सिंचाइयों की।
प्रश्न 75.
एक बड़े पशु को लगभग कितना चारा चाहिए ?
उत्तर-
40 किलोग्राम प्रतिदिन।
प्रश्न 76.
आषाढ़ी (रबी) की दो चारे वाली चार फसलों के नाम लिखो ।
उत्तर-
बरसीम, शफतल, लूसन, जवी, राई घास, सेंजी।
प्रश्न 77.
बरसीम की दो उन्नत किस्मों के नाम लिखें।
उत्तर-
बी एल 42, वी एल-10.
प्रश्न 78.
बरसीम के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
8-10 कि० ग्रा० प्रति एकड़।
प्रश्न 79.
बरसीम की बुआई के लिए उचित समय बताओ।
उत्तर-
सितम्बर का अंतिम सप्ताह से अक्तूबर का पहला सप्ताह।
प्रश्न 80.
बरसीम में बुईं खरपतवार की रोकथाम के लिए क्या प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
वासालीन।
प्रश्न 81.
बरसीम के लिए इटसीट की समस्या हो तो क्या मिला कर बोना चाहिए ?
उत्तर-
राईया।
प्रश्न 82.
बरसीम का पहली कटाई कितने दिनों में तैयार हो जाती है ?
उत्तर-
बोबाई से लगभग 50 दिन बाद।
प्रश्न 83.
जवी की किस्में बताओ।
उत्तर-
ओ० एल०-9, कैंट।
प्रश्न 84.
जवी के लिए बीज की मात्रा बताओ।
उत्तर-
25 किलो प्रति एकड़।
प्रश्न 85.
जवी के लिए बुआई का समय बताओ।
उत्तर-
अक्तूबर के दूसरे सप्ताह से अक्तूबर के अंत तक।
प्रश्न 86.
जवी के लिए सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
रौणी सहित 3-4 (सिंचाइयों की आवश्यकता है।)
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गेहूँ की बुआई के समय ठंड की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
अधिक गर्मी होने से इस फसल के पौधों की वृद्धि कम होती है तथा रोग भी अधिक लग जाते हैं।
प्रश्न 2.
गेहूँ के लिए कैसी भूमि ठीक रहती है ?
उत्तर-
गेहूँ के लिए कल्लर तथा सेम वाली भूमियों के अलावा सभी प्रकार की भूमि ठीक है। मध्यम मैरा भूमि, जिसमें पानी न रुकता हो, सबसे अच्छी है। गेहूँ की वडानक किस्मों के लिए मध्यम से भारी भूमि अच्छी रहती है।
प्रश्न 3.
गेहूँ के खेत में गुल्ली डण्डा की समस्या कैसे कम की जा सकती है ?
उत्तर-
जिन खेतों में गुल्ली डण्डा की समस्या हो वहां गेहूँ वाले खेत में बरसीम, आलू, राईया आदि को बदल-बदल कर बोने से गुल्ली डण्डा की समस्या कम की जा सकती है।
प्रश्न 4.
गेहूँ में जिंक की कमी हो जाए तो क्या चिन्ह दिखाई देते हैं ?
उत्तर-
जिंक की कमी साधारणतया हल्की भूमि में होती है। जिंक की कमी से पौधों की बढ़ोत्तरी रुक जाती है। पौधे झाड़ी जैसे हो जाते हैं। पत्ते मध्य से पीले पड़ जाते हैं तथा लटक जाते हैं।
प्रश्न 5.
गेहूँ में मैंगनीज़ की कमी के चिन्ह बताओ।
उत्तर-
मैंगनीज़ की कमी हल्की भूमि में होती है। इसकी कमी से पौधों के बीच वाले पत्तों, नीचे वाले भाग तथा नाड़ी के बीच धब्बे पड़ जाते हैं जो बाद मे धारियां बन जाते हैं। परन्तु पत्ते की नाड़ियां हरी ही रहती हैं।
प्रश्न 6.
जौं के लिए भूमि की किस्म के बारे में लिखो।
उत्तर-
जौं की फसल रेतली तथा कल्लर वाली भूमि में अच्छी हो सकती है। कलराठी भूमि में सुधार के आरंभिक समय में इन भूमियों में जौं की बोबाई की जा सकती है।
प्रश्न 7.
फलीदार फ़सलों के बाद गेहूँ को नाइट्रोजन कम क्यों डाली जाती है ?
उत्तर-
फलीदार फ़सलें हवा में से नाइट्रोजन को भूमि में जमा करती हैं इसलिए 25% नाइट्रोजन कम डाली जाती है।
प्रश्न 8.
जौं के लिए बीज की मात्रा तथा शोध के बारे में बताओ।
उत्तर-
सेंजु तथा समय पर बुआई के लिए 35 कि० ग्रा० बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। बरानी तथा पिछेती बुआई के लिए 45 कि० ग्रा० बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता है। बीज की सुधाई के लिए फफूंदीनाशक दवाई का प्रयोग कर लेना चाहिए।
प्रश्न 9.
जौं की फसल के लिए खादों के बारे में बताओ।
उत्तर-
जौं के लिए 25 कि० ग्रा० नाइट्रोजन, 12 कि० ग्रा० फास्फोरस तथा 6 कि० ग्रा० पोटाश प्रति एकड़ के अनुसार आवश्यकता होती है। पोटाश का प्रयोग मिट्टी की जांच के बाद ही करना चाहिए। सभी खादों को बुआई के समय ही ड्रिल कर देना चाहिए।
प्रश्न 10.
जौं में खरपतवार की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
चौड़े पत्ते वाले खरपतवार जैसे बाथू की रोकथाम के लिए 2, 4 डी या एलग्रिप, जोंधर (जंगली जवी) के लिए आइसोप्रोटयुरान या एवाडैक्स बी० डब्ल्यू० तथा गुल्ली डण्डे के लिए पिऊमा पावर या टौपिक दवाई का प्रयोग करने की सिफारिश की जाती है।
प्रश्न 11.
जौं में कीट तथा रोगों के बारे में बताओ।
उत्तर-
जौं के मुख्य कीट हैं-चेपा। जौं के रोग हैं-धारियों का रोग, कांगियारी तथा पीली कुंगी।
प्रश्न 12.
दालों का आयात क्यों करना पड़ता है ?
उत्तर-
भारत दालों की पैदावार में अग्रणी देश है परन्तु हमारे देश में दालों का प्रयोग भी बहुत अधिक होता है। इसलिए हमें दालों का आयात करना पड़ता है।
प्रश्न 13.
चने के लिए जलवायु के बारे में बताएं।
उत्तर-
चने के लिए अधिक ठंड तथा कोरा हानिकारक हैं परन्तु अगेती गर्मी से भी फसल जल्दी पक जाती है तथा पैदावार कम हो जाती है। यह फसल कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए अधिक अच्छी है।
प्रश्न 14.
चने के लिए कैसी भूमि ठीक रहती है ?
उत्तर-
चने की फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली रेतली या हल्की भल्ल वाली भूमि बहुत अच्छी रहती है। यह फसल हल्की भूमि, जहां अन्य फसल नहीं होती, में भी होती है। इस फसल के लिए क्षारीय, कलराठी तथा सेम वाली भूमियां बिल्कुल ठीक नहीं रहतीं।
प्रश्न 15.
चने के लिए भूमि की तैयारी के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
चने की फसल की बुआई के लिए खेत को बहुत तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती। परन्तु यदि गहरी जुताई की जाए तो चने को उखेड़ा रोग कम लगता है तथा फसल की पैदावार भी बढ़ जाती है।
प्रश्न 16.
चने के लिए सिंचाई के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
चने की फसल को साधारणतया एक बार पानी देने की आवश्यकता होती है। पर पानी दिसम्बर के मध्य से जनवरी के अंतिम समय तक देना चाहिए। परन्तु बुआई से पहले पानी कभी नहीं देना चाहिए।
प्रश्न 17.
चने की कटाई के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
जब ढोढ (कली) पक जाएं तथा पौधा सूख जाए तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए।
प्रश्न 18.
मसूर के लिए कैसी जलवायु तथा भूमि ठीक रहती है ?
उत्तर-
मसूर की फसल के लिए ठंड का मौसम बहुत अच्छा रहता है। यह कोहरा तथा बहुत ही ठंड को भी सहन कर लेती है।
प्रश्न 19.
मसूर के लिए भूमि की तैयारी कैसे की जाती है ?
उत्तर-
मसूर की फसल के लिए भूमि को दो-तीन बार जोत कर तथा जोतने के बाद सुहागा फेरना चाहिए। ऐसे भूमि की तैयारी हो जाती है।
प्रश्न 20.
मसूर के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
मसूर को 5 कि० ग्रा० नाइट्रोजन प्रति एकड़ की आवश्यकता है। यदि बीज को जीवाणु का टीका लगाकर सोधा गया हो तो 8 कि० ग्रा० फास्फोरस तथा टीका न लगा हो तो 16 कि ग्रा० फास्फोरस की आवश्यकता होती है। उन दोनों खादों को बुआई के समय ही डाल देना चाहिए।
प्रश्न 21.
मसूर के लिए सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
मसूर की फसल को सिंचाई के लिए 1-2 बार पानी देने की आवश्यकता पड़ती है। यदि एक पानी देना हो तो बुआई के छः सप्ताह बाद पानी देना चाहिए। परन्तु जब दो पानी देने हों तो पहला पानी 4 सप्ताह के बाद तथा दूसरा फूल लगने के समय या फलियों के लगने समयं देना चाहिए।
प्रश्न 22.
मसूर की फसल की कटाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब पत्ते सूख जाएं तथा फलियां पक जाएं तो फसल काट लेनी चाहिए।
प्रश्न 23.
राईया के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
राईया की फसल मध्यम से भारी वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उचित है। इसकी बुआई ऐसे ही कर सकते हैं।
प्रश्न 24.
राईया के लिए बुआई का ढंग बताओ।
उत्तर-
राईया की बुआई 30 सैं० मी० के अन्तर वाली लाइनों में करनी चाहिए तथा बुआई से तीन सप्ताह बाद फसल को 10-15 सैं० मी० का अन्तर रखकर खुला करना चाहिए।
प्रश्न 25.
राईया के लिए खेत की तैयारी पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
राईया के लिए खेत की तैयारी के लिए भूमि को 2 से 4 बार जोतना चाहिए तथा प्रत्येक बार जोतने के बाद सुहागा फेरना चाहिए। राईया को जीरो टिल ड्रिल द्वारा बिना जुताई के बोया जा सकता है।
प्रश्न 26.
राईया के लिए कटाई तथा गहाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब फली पीली पड़ जाती है तो फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है। इस की कटाई के सप्ताह बाद गहाई कर लेनी चाहिए।
प्रश्न 27.
गोभी सरसों के लिए जलवायु तथा भूमि के बारे में बताओ।
उत्तर-
गोभी सरसों की फसल मध्यम से भारी वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उचित है। इसके लिए हर तरह की भूमि ठीक रहती है।
प्रश्न 28.
गोभी सरसों के लिए बीज की मात्रा तथा खेत की तैयारी के बारे लिखो।
उत्तर-
गोभी सरसों के लिए 1.5 कि० ग्रा० बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती
प्रश्न 29.
सूर्यमुखी से प्राप्त तेल के बारे में जानकारी दी।
उत्तर-
सर्यमुखी के तेल में कोलेस्ट्रोल की मात्रा कम होती है। इसलिए इस से खाने के लिए शुद्ध किया हुआ तेल बनाया जाता है। इसका तेल साबुन आदि बनाने के लिए भी प्रयोग होता है।
प्रश्न 30.
सूर्यमुखी के लिए कैसी भूमि ठीक है ?
उत्तर-
सूर्यमुखी के लिए अच्छे जल निकास वाली मध्यम भूमि सबसे अच्छी रहती है। इसकी कृषि के लिए कलराठी भूमि ठीक नहीं रहती है।
प्रश्न 31.
सूर्यमुखी के लिए भूमि की तैयारी तथा बीज की मात्रा तथा सोध के बारे में बताओ।
उत्तर-
सूर्यमुखी के लिए फफूंदीनाशक दवाई से सोधा हुआ 2 कि० ग्रा० बीज प्रति एकड़ ठीक रहता है। भूमि की तैयारी के लिए खेत को 2-3 बार जोत कर तथा हर बार जुताई के बाद सुहागा फेरा जाता है।
प्रश्न 32.
सूर्यमुखी में गुडाई तथा नदीन की रोकथाम के बारे में बताओ।
उत्तर-
सूर्यमुखी में पहली गुडाई नदीन उगने के 2-3 सप्ताह बाद तथा उसके बाद 3 सप्ताह बाद करें। नदीन की रोकथाम के लिए स्टोंप का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 33.
सूर्यमुखी की कटाई तथा गहाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब किनारों का रंग नीचे से पीला भूरा हो जाए तथा डिस्क सूखनी शुरू हो जाए तो फसल काटने के लिए तैयार होती है। कटाई किए किनारों की उसी समय थरैशर से गहाई कर लेनी चाहिए।
प्रश्न 34.
बरसीम से कितनी कटाइयां ली जा सकती हैं ?
उत्तर-
बरसीम के चारे की नवम्बर से जून के मध्य तक बहुत ही पौष्टिक तथा सुस्वादी कई बार कटाई की जा सकती है।
प्रश्न 35.
बरसीम के बीज को काशनी के बीज से कैसे अलग किया जाता है ?
उत्तर-
बरसीम के बीज को पानी में डुबो कर रखा जाता है तथा काशनी का बीज तैरने लगता है तथा ऊपर आ जाता है। इसको छलनी से अलग कर लिया जाता है।
प्रश्न 36.
बरसीम के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
बरसीम के लिए बुआई के समय 6 टन गले सड़े गोबर की खाद तथा 20 किलो फॉस्फोरस प्रति एकड़ की आवश्यकता है। यदि गले सड़े गोबर (रुड़ी खाद) उपलब्ध न हो सके तो 10 कि० ग्रा० नाइट्रोजन तथा 30 कि० ग्रा० फॉस्फोरस प्रति एकड़ का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 37.
बरसीम के लिए सिंचाई के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर-
बरसीम के लिए पहली सिंचाई 6-8 दिनों बाद करनी आवश्यक है। इसके बाद गर्मियों में 8-10 दिनों के बाद तथा सर्दियों में 10-15 दिनों बाद पानी देते रहना चाहिए।
प्रश्न 38.
बरसीम की कटाई पर प्रकाश डालो।
उत्तर-
बुआई के लगभग 50 दिनों के बाद पहली कटाई तैयार हो जाती है। इसके बाद 40 दिनों बाद सर्दी में तथा फिर 30 दिन बाद कटाई की जा सकती हैं।
प्रश्न 39.
जवी के लिए कैसी भूमि की आवश्यकता है ?
उत्तर-
जवी को सेम तथा कल्लर वाली भूमि के अलावा हर तरह की भूमि में उगाया जा सकता है।
प्रश्न 40.
जवी की बुआई का समय तथा ढंग बताओ।
उत्तर-
जवी की बुआई का समय अक्तूबर के दूसरे सप्ताह से अक्तूबर के अंत तक है।
इसकी बुआई 20 सें. मी. दूरी के खालियों में की जाती है। बिना जोते जीरो टिल ड्रिल से भी बुआई की जा सकती है।
प्रश्न 41.
जवी के लिए गुडई तथा सिंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
साधारणतया इसको गुडाई की आवश्यकता नहीं होती। परन्तु खरपतवार होने पर गुडाई कर देनी चाहिए। रौणी सहित तीन-चार सिंचाइयां काफ़ी हैं।
प्रश्न 42.
जवी के लिए खादों का विवरण दें।
उत्तर-
8 कि० ग्रा० फॉस्फोरस, 18 कि० ग्रा० नाइट्रोजन प्रति एकड़ बुआई के समय डालें, बुआई से 30-40 दिनों बाद 15 कि० ग्रा० नाइट्रोजन प्रति एकड़ की अतिरिक्त आवश्यकता होती है।
दीर्य उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1.
गेहूँ की कृषि का विवरण निम्नलिखित अनुसार दें –
(i) उन्नत किस्में (ii) चावल के बाद खेत की तैयारी (iii) सिंचाई (iv) कीड़े तथा रोग।
उत्तर-
(i) उन्नत किस्में-पी० बी० डब्ल्यू०-621, डी० बी० डब्ल्यू०-17, पी० बी० डब्ल्यू०-343, पी० डी० डब्ल्यू०-291 आदि।
(ii) चावल की कटाई के बाद खेत की तैयारी-चावल के बाद गेहूँ की बुआई करनी हो तो खेत में पहले ही काफ़ी नमी होती है यदि न हो तो रौणी कर लेनी चाहिए। भूमि को उचित नमी युक्त (वत्तर) स्थिति में तवियों से जोत दें तथा कंबाइन से कटे चावल की पुआल को भूमि में ही जोतना हो तो तवियों से कम-से-कम दो बार जोतना चाहिए तथा बाद में सुहागा चला देना चाहिए। इसके बाद कल्टीबेटर से एक बार तथा भूमि भारी हो तो दो बार जुताई के बाद सुहागा चलाना चाहिए। कंबाइन से कटाई किए चावल के खेत में हैपी सीडर मशीन से सीधी बुआई की जा सकती है।
(iii) सिंचाई-यदि गेहूँ की बोबाई अक्तूबर में की हो तो पहला पानी बुआई के तीन सप्ताह बाद तथा बाद में बोई गई गेहूँ की फसल को चार सप्ताह के बाद पानी देना चाहिए। इस समय गेहूँ में विशेष प्रकार की जड़ें, जिन्हें क्राऊन जड़ें कहते हैं बनती हैं। गेहूँ को 4-5 पानी देने की आवश्यकता है।
(iv) कीड़े तथा रोग-सैनिक सूंडी, चेपा, दीमक तथा अमरीकन सूंडी गेहूँ को लगने वाले कीड़े हैं। गेहूँ को पीली कुंगी, भूरी कुंगी, कांगियारी, ममनी तथा टुंडु तथा करनाल बंट रोग लगते हैं।
प्रश्न 2.
जौं की कृषि का विवरण निम्न लिखे अनुसार दें
(i) उन्नत किस्म (ii) जलवायु (i) बुआई का समय (iv) खालियों का अन्तर (v) सिंचाई।
उत्तर-
(i) उन्नत किस्म-वी०जी०एम०-201, पी०एल०-426, पी०एल०-807।
(ii) जलवायु-जौं के लिए आरम्भ में ठण्ड तथा पकने के समय गर्म तथा शुष्क मौसम की आवश्यकता है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में यह अच्छी हो सकती है।
(iii) बुआई का समय-15 अक्तूबर से 15 नवम्बर तक।
(iv) खालियों का अन्तर-समय पर बुआई की हो तो 22.5 सैं०मी० तथा पिछेती बुआई के लिए 18 से 29 सैं०मी० ।
(v) सिंचाई-1-2 सिंचाइयों की आवश्यकता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनुसार चने की कृषि का विवरण दें
(i) जलवायु (ii) भूमि (iii) फसल चक्र (iv) उन्नत किस्म (v) बीज की मात्रा (vi) खरपतवारों की रोकथाम (vii) कटाई (vii) कीड़े तथा रोग।
उत्तर-
देखो उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 3.
मसर की कृषि का विवरण दें(i) जलवायु तथा भूमि (ii) उन्नत किस्में (ii) फसल चक्र (iv) बीज की मात्रा तथा सुधाई (v) बुआई का समय तथा ढंग (vi) खादें (vii) सिंचाई (vii) कटाई।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।।
प्रश्न 4.
राईया की कृषि का विवरण दें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 5.
गेहूँ, जौ, चने तथा मसूर के लिए खाद का विवरण दें।
उत्तर-
प्रति एकड़ के अनुसार खाद का विवरण इस प्रकार है-
प्रश्न 6.
गेहूँ की बीजाई करने के लिए खेत की तैयारी करने सम्बन्धी जानकारी दो।
उत्तर-स्वयं करें।
प्रश्न 7.
सूरजमुखी की बुआई का समय और विधि के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-स्वयं करें।
प्रश्न 8.
काबुली चने की खेती का विवरण निम्नलिखित अनुसार दीजिए :
(क) ज़मीन (ख) दो उन्नत किस्में (ग) बीज की मात्रा प्रति एकड़ (घ) बुआई का समय (ङ) सिंचाई (च) कटाई।
उत्तर-
(क) ज़मीन-चने की फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली रेतली या हल्की भल्ल वाली ज़मीन बहुत अच्छी रहती है। यह फसल हल्की ज़मीन, जहां अन्य फसल नहीं होती, में भी होती है। इस फसल के लिए क्षारीय, कलराठी तथा सेम वाली ज़मीन बिल्कुल ठीक नहीं रहती।
(ख) दो उन्नत किस्में-एल-552, बी० जी० 1053 ।
(ग) बीज की मात्रा-37 कि०ग्रा० प्रति एकड़
(घ) बुआई का समय-25 अक्तूबर से 10 नवम्बर।
(ङ) सिंचाई-एक सिंचाई की आवश्यकता है।
(च) कटाई-जब ढोढ (कली) पक जाएं तथा पौधा सूख जाए तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए।