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PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 7 ममता

PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 7 ममता

PSEB 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 ममता

ममता लेखक-परिचय

जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी-साहित्य के प्रतिभावान कवि और लेखक थे। वे छायावाद के प्रवर्तक थे। उन्होंने हिंदी-साहित्य की कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना आदि विभिन्न विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई। उनका जन्म सन् 1889 ई० में काशी के सुंघनी साहू नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था। इनके पिता देवी प्रसाद साहू काव्य-प्रेमी थे। जब उनका देहांत हुआ तब प्रसाद जी की आयु केवल आठ वर्ष की थी। परिवारजनों की मृत्यु, आत्म संकट, पत्नी वियोग आदि कष्टों को झेलते हुए भी ये काव्य साधना में लीन रहे। काव्य साधना करते हुए तपेदिक के कारण उनका देहांत 15 नवंबर, सन् 1937 में हुआ था।

रचनाएँ-जयशंकर प्रसाद ने बड़ी मात्रा में साहित्य की रचना की थी। इन्होंने पद्य एवं गद्य दोनों क्षेत्रों में अनुपम रचनाएँ प्रस्तुत की थीं, जो निम्नलिखित हैं
काव्य-‘चित्राधार’, ‘कानन कुसुम’, ‘झरना’, ‘लहर’, ‘प्रेम पथिक’, ‘आँसू’, ‘कामायनी’।
नाटक-‘चंद्रगुप्त’, ‘स्कंदगुप्त’, ‘अजातशत्रु’, ‘जनमेजय का नागयज्ञ’, ‘ध्रुवस्वामिनी’, ‘करुणालय’, ‘कामना’, ‘कल्याणी’, ‘परिणय’, ‘प्रायश्चित्त’, ‘सज्जन’, ‘राज्यश्री’, ‘विशाख’ और ‘एक चूंट’।
कहानी-‘छाया’, ‘प्रतिध्वनि’, ‘इंद्रजाल’, ‘आकाशदीप’, ‘आंधी’। उपन्यास-कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।

जयशंकर प्रसाद जी ने हिंदी-साहित्य को एक नई दिशा प्रदान की थी और हिंदी की प्रत्येक विधा को समृद्ध किया था। प्रसाद जी का योगदान सचमुच महत्त्वपूर्ण था। प्रसाद जी की भाषा-शैली परिष्कृत, स्वाभाविक, तत्सम शब्दावली प्रधान एवं सरस थी। छोटे-छोटे पदों में गंभीर भाव भर देना और उनमें संगीत लय का विधान करना उनकी शैली की प्रमुख विशेषता थी। वस्तुतः उनके साहित्य में सर्वतोन्मुखी प्रतिभा की झलक दिखाई देती है।

ममता कहानी का सार

‘ममता’ शीर्षक कहानी हिंदी के प्रमुख छायावादी कवि एवं नाटककार श्री जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई है। इस कहानी में ऐतिहासिक आधार पर ममता के काल्पनिक चरित्र द्वारा भारत की नारी के आदर्श, कर्त्तव्य पालन, त्याग, तपस्वी जीवन का भावपूर्ण वर्णन किया है । इस कहानी में प्रसाद जी ने यह भी स्पष्ट करना चाहा है कि बड़े-बड़े सम्राटों को बनाने में जिन लोगों का हाथ रहा है, इतिहास ने उन्हें एकदम भुला दिया है। यह इतिहास का एवं हम सब का उनके प्रति अन्याय है, कृतघ्नता है।

ममता रोहतास दुर्ग के मंत्री चूडामणि की जवान विधवा बेटी थी। बेटी के भविष्य के प्रति चुडामणि सदैव चिंतित रहा करते थे। उन दिनों देश में शेरशाह सूरी का शासन था। चूड़ामणि अपने दुर्ग की सुरक्षा के प्रति सदा चिंतित रहते थे। इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने शेरशाह से मित्रता करने की कोशिश की। शेरशाह का भी अपने स्वार्थ के लिए रोहतास दुर्ग पर अधिकार करना ज़रूरी था। इस कारण शेरशाह ने चूड़ामणि को सोने-चाँदी और हीरे जवाहरात से भरे थाल रिश्वत के रूप में भेंट किये। चूड़ामणि की बेटी ममता यह देख हैरान रह गयी। उसने अपने पिता से वह भेंट लौटा देने का आग्रह किया पर चूड़ामणि ऐसा न कर सके।

इस संधि को हुए अभी एक दिन भी नहीं बीता था कि शेरशाह के सिपाही स्त्री-वेश में रोहतास दुर्ग में प्रवेश कर गए। चूड़ामणि को जब पता चला तो उसने आपत्ति की, किंतु पठान सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी और दुर्ग पर अपना अधिकार कर लिया। रोहतास का खजाना लूट लिया गया। ममता की खोज हुई पर वह अवसर पाकर वहाँ से भाग जाने से सफल हो गई।

रोहतास दुर्ग से भागकर ममता किसी तरह काशी पहुँच गई। वहाँ वह बौद्ध विहार के खंडहरों में झोंपड़ी बना कर उसमें एक तपस्विनी के समान जीवन बिताते हुए रहने लगी। शीघ्र ही अपनी सेवा-भावना से उसने आस-पास के गांवों के लोगों के मन जीत लिए। इस कारण ममता का गुजर-बसर ठीक तरह से होने लगा। एक रात जब ममता पूजा पाठ में मग्न थी उसने अपनी झोंपड़ी के द्वार पर एक भयानक-सी शक्ल वाले व्यक्ति को खड़े देखा। ज्यों ही ममता ने द्वार बंद करना चाहा उस व्यक्ति ने रात भर झोंपड़ी में आश्रय की भीख माँगी। उस व्यक्ति ने बताया कि वह मुग़ल हैं। अत्यधिक थक जाने के कारण चल नहीं सकता। रात बिताने के बाद वह चला जाएगा। मुग़ल का नाम सुनकर ममता की आँखों के सामने अपने पिता की हत्या का दृश्य उभर आया।

उसने चाहा कि वह आगंतुक को आश्रय देने से इन्कार कर दे किंतु अतिथि सेवा को अपना धर्म समझ कर उसने उस मुग़ल को अपनी झोंपड़ी में रात बिताने की आज्ञा दे दी और स्वयं खंडहरों में जाकर रात बिताई। रात बीती, सुबह हुई। ममता ने अपनी झोंपड़ी के आस-पास कई घुड़सवारों को घूमते हुए देखा। ममता उन्हें देख कर डर गई। तभी झोंपड़ी में रात बिताने वाले मुग़ल ने झोंपड़ी से बाहर जाकर पुकारा-‘मिर्ज़ा मैं इधर हूँ।’ ममता सहमी हुई यह सब देख रही थी। वह खंडहरों में ही छिपी रही। कुछ देर बाद ममता ने उस मुग़ल को यह कहते सुना- ‘वह बुढ़िया पता नहीं कहाँ चली गई है। उसे कुछ दे नहीं सका। यह स्थान याद रखना और झोंपड़ी के स्थान पर उसका घर बनवा देना।’ मुग़ल सैनिकों के वहाँ से चले जाने के बाद ममता खंडहरों से बाहर आई।

चौसा के मैदान में मुग़लों और पठानों के बीच हुए युद्ध को काफ़ी दिन बीत गये। ममता अब सत्तर साल की बुढ़िया हो गई थी। वह कुछ बीमार थी। गाँव की कुछ स्त्रियाँ उसके आस-पास बैठी थीं। तभी बीमार ममता ने बाहर से किसी को कहते सुना-जो चित्र मिर्जा ने बनाकर दिया था, वह तो इसी स्थान का होना चाहिए। अब किस से पूछू कि वह बुढ़िया कहाँ गई। ममता ने उस घुड़सवार को पास बुलवा कर कहा-“मुझे मालूम नहीं था कि वह शाहजहाँ हुमायूँ था या कि कौन। पर एक दिन एक मुग़ल इस झोंपड़ी में अवश्य रहा था। वे जाते-जाते मेरा घर बनवा देने की आज्ञा दे गया था। मैं जीवन भर अपनी झोंपडी के खोदे जाने के डर से डरती रही। पर अब मुझे कोई चिंता नहीं। अब मैं झोंपड़ी छोड़ कर जा रही हूँ। तुम इसकी जगह मकान बनाओ या महल, मेरे लिए कोई महत्त्व नहीं।” इतना कहते ममता के प्राण पखेरू उड़ गए।

कुछ दिनों में ही उस स्थान पर एक अष्टकोण मंदिर बन कर तैयार हो गया। उस पर लगाये शिलालेख पर लिखा था’सातों देश के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने यह गगनचुंबी मंदिर बनवाया।’ प्रसाद जी कहानी के अंत में लिखते हैं-‘ पर उस पर ममता का कहीं नाम नहीं था।’

ममता कठिन शब्दों के अर्थ

दुर्ग = किला। प्रकोष्ठ = घर के बीच का आँगन। शोण = एक नदी। तीक्ष्ण प्रवाह = गति। यौवन = जवानी। वेदना = पीड़ा। कंटक-शयन = कांटों की सेज। विकल = बेचैन। दुहिता = पुत्री, दूध दोहने वाली। अभाव = कमी। तुच्छ = नीच, खोटा। निराश्रय = आश्रयहीन। विडंबना = हालात की मार, इच्छा के विरुद्ध हालात होना। बेसुध = होश न होना। व्यथित = दुःखी। दुश्चिता = परेशानी। सेवक = दास, नौकर। अनुचर = दास। उपहार = तोहफा। आवरण = परदा, पर्दा। विकीर्ण = मशहूर, प्रसिद्ध। उत्कोच = रिश्वत, घूसखोरी। पतनोन्मुख = पतन की ओर जाती हुई। समीप = नज़दीक। विपद = मुश्किल। भू-पृष्ठ = धरती, भूमि भाग। फेर देना = वापस लौटा देना। तांता =भीड़। भीतर = अंदर। तोरण = तोरन। कोष = खज़ाना। ग्रीष्म = गर्मी। रजनी = रात। शीतल = ठण्डा। स्तूप = बौद्ध-शिक्षा के स्तम्भ, खंबे। भग्नावेष = खण्डित टुकड़े। दीपालोक = दीपक की लौ, दीपक प्रकाश। हताश = निराश। आकृति = आकार, रूप। मंद प्रकाश = कम रोशनी।

कपाट = दरवाज़ा। आश्रय = सहारा, दया। विपन्न = कठिनाई, मुसीबत। क्रूर = निर्दयी, आततायी। निष्ठुर = दयाहीन। प्रतिबिंब = परछाईं। मुख = मुँह । कुटी = कुटिया। अश्व = घोड़ा। धम से बैठना = एक दम गिरते हुए बैठना। विपत्ति = मुसीबत। जल = पानी। विधर्मी = दूसरे धर्म वाले, धर्म से विपरीत। घृणा = नफ़रत। अतिथि = मेहमान। ब्रह्मांड = तीनों लोक। विरक्त = दुःखी होकर, उदासीन हो जाना। टेक कर = सहारा लेकर। छल ममता = धोखा। वंशधर = वंशज। भयभीत = डरा हुआ। पथिक = राहगीर, राही। विश्राम = आराम। प्रभात = सवेरा। खंडहर = टूटा-फूटा मकान या किला आदि। अश्वारोही = घुड़सवार। सचेष्ट = सजग। वृद्धा = बुढ़िया। शीतकाल = सर्दी। जीर्ण कंकाल = कमज़ोर ढाँचा। आजीवन = सारा जीवन। अवाक् = आश्चर्य से भरकर चुप हो जाना। विकीर्ण = फैलना। सहभागिनी = साथी। अष्टकोण = आठ कोणों वाला। स्मृति = याद। गगनचुंबी = आकाश को छू लेने वाली।

Hindi Guide for Class 10 PSEB ममता Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
ममता कौन थी?
उत्तर:
ममता रोहतास दुर्ग के मंत्री चूड़ामणि की पुत्री थी।

प्रश्न 2.
मंत्री चूड़ामणि को किसकी चिंता थी?
उत्तर:
मंत्री चूड़ामणि को अपनी जवान विधवा बेटी के भविष्य तथा अपने दुर्ग के प्रति चिंता थी।

प्रश्न 3.
मंत्री चूड़ामणि ने अपनी विधवा पुत्री ममता को उपहार में क्या देना चाहा?
उत्तर:
मंत्री चूड़ामणि ने अपनी पुत्री ममता को सोने-चांदी के आभूषण उपहार में देने चाहे।

प्रश्न 4.
डोलियों में छिपकर दुर्ग के अंदर कौन आये?
उत्तर:
डोलियों में स्त्री-वेश में शेरशाह के सिपाही छिपकर दुर्ग के अंदर आए।

प्रश्न 5.
ममता रोहतास दुर्ग छोड़कर कहाँ रहने लगी?
उत्तर:
पिता चूडामणि की मृत्यु के बाद ममता राज्य को छोड़कर काशी के निकट बौद्ध विहार के खंडहरों में झोंपडी बनाकर तपस्विनी के समान रहने लगी।

प्रश्न 6.
ममता से झोंपड़ी में किसने आश्रय माँगा?
उत्तर:
ममता से झोंपड़ी में सात देशों के नरेश हुमायूँ ने आश्रय माँगा था जब वह चौसा युद्ध से जान बचाकर भाग आया था।

प्रश्न 7.
ममता पथिक को झोंपड़ी में स्थान देकर स्वयं कहाँ चली गई?
उत्तर:
ममता ने पथिक को झोंपड़ी में स्थान देकर स्वयं खंडहरों में जाकर रात बिताई।

प्रश्न 8.
चौसा-युद्ध किन-किन के मध्य हुआ?
उत्तर:
चौसा-युद्ध हुमायूँ और शेरशाह सूरी के मध्य कर्मनासा नदी के पास चौसा नामक स्थान पर 26 जून, सन् 1539 में हुआ था जिसमें युद्ध में हुमायूँ परास्त हो गया था।

प्रश्न 9.
विश्राम के बाद जाते हुए पथिक ने मिरजा को क्या आदेश दिया?
उत्तर:
विश्राम के बाद जाते हुए पथिक ने मिरजा को आदेश दिया कि-“मिरजा! उस स्त्री को मैं कुछ भी न दे सका। उसका घर बनवा देना, क्योंकि विपत्ति में मैंने यहाँ आश्रय पाया था। यह स्थान भूलना मत।”

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
ब्राह्मण चूड़ामणि कैसे मारा गया?
उत्तर:
ब्राह्मण चूडामणि रोहतास-दुर्ग का मंत्री था। ममता रोहतास दुर्ग के मंत्री चूड़ामणि की बेटी थी। बेटी के भविष्य के प्रति चूड़ामणि सदैव चिंतित रहा करते थे। उन दिनों शेरशाह सूरी का शासन था। चूड़ामणि अपने दुर्ग की सुरक्षा के प्रति सदा चिंतित रहते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने शेरशाह सूरी से मित्रता की। संधि हुए अभी एक दिन भी नहीं बीता था कि शेरशाह सूरी के सिपाही स्त्री-वेश में रोहतास-दुर्ग में प्रवेश कर गए। चूडामणि को जब पता चला तो उसने आपत्ति की, किंतु पठान सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी।

प्रश्न 2.
ममता की जीर्ण-कंकाल अवस्था में उसकी सेवा कौन कर रही थीं?
उत्तर:
ममता की आयु अब सत्तर वर्ष की हो चुकी थी। उसका जीर्ण-कंकाल शरीर कमज़ोर हो पड़ा था। उसका जीर्ण कंकाल खाँसी से गूंज रहा था। ममता की उस अवस्था में सेवा के लिए गाँव की स्त्रियाँ उसे घेर कर बैठी थीं। ममता आजीवन सबके दुःख-सुख ही सहभागिनी रही थी, इसलिए आज गाँव की स्त्रियाँ ममता की सेवा कर रही थी।

प्रश्न 3.
ममता ने झोंपड़ी में आए व्यक्ति की सहायता किस प्रकार की?
उत्तर:
एक रात जब ममता पूजा-पाठ में मग्न थी, उसने अपनी झोंपड़ी के द्वार पर एक भयानक-सी शक्ल वाले व्यक्ति को खड़े देखा। वह व्यक्ति ममता से आश्रय की भीख माँग रहा था। पहले तो ममता उस मुग़ल की मदद नहीं करना चाहती थी किंतु ‘अतिथि देवो भवः’ की भावना उसके अंदर कूट-कूट कर भरी थी। इसीलिए अतिथि सेवा को अपना धर्म समझकर ममता ने उस थके मुग़ल को अपनी झोपड़ी में रात बिताने की आज्ञा दे दी और स्वयं खंडहरों में जाकर रात बिताई।’

प्रश्न 4.
ममता ने अपनी झोंपड़ी के द्वार पर आए अश्वारोही को बुलाकर क्या कहा?
उत्तर:
ममता ने अपनी झोंपड़ी के द्वार पर आए अश्वारोही को पास बुलाकर कहा-मुझे मालूम नहीं था कि वह शाहजहाँ हुमायूँ था या कि कौन। पर एक दिन एक मुग़ल इस झोंपड़ी में अवश्य रहा था। वे जाते-जाते मेरा घर बनवा देने की आज्ञा दे गया था। मैं जीवन भर अपनी झोंपड़ी के खोदे जाने के डर से डरती रही। पर अब मुझे कोई चिंता नहीं। अब मैं झोंपड़ी छोड़ कर जा रही हूँ। तुम इसकी जगह मकान बनाओ या महल, मेरे लिए कोई महत्त्व नहीं।

प्रश्न 5.
हुमायूँ द्वारा दिए गए आदेश का पालन कितने वर्षों बाद तथा किस रूप में हुआ?
उत्तर:
हुमायूँ द्वारा दिए गए आदेश का पालन 47 वर्षों के बाद इतिहास के अनुसार महल का निर्माण सन् 1588 के करीब मिलता है। जहाँ कभी हुमायूँ ने चौसा के युद्ध से भाग कर विश्राम किया था। इस स्थान पर रहने वाली एक स्त्री ने सकी प्राण-रक्षा की थी। इसलिए वह इस स्थान पर भवन बनाना चाहता था। उसकी मृत्यु के पश्चात् वहाँ आठ कोणों वाला एक मंदिर बना। उस पर हुमायूँ की प्रशस्ति में एक शिलालेख लगाया गया जिस पर लिखा था कि सातों देश के शासक हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उसके पुत्र अकबर ने उसकी याद में आकाश को छूने वाला यह मंदिर बनवाया लकिन हुमायूँ को आश्रय देने वाली ममता का कहीं नाम न था।

प्रश्न 6.
मंदिर में लगाए शिलालेख पर क्या लिखा गया?
उत्तर:
अकबर द्वारा कुछ दिनों के बाद ही उस स्थान पर एक अष्ट कोण मंदिर तैयार करवाया गया। उस मंदिर में लगाए शिलालेख पर लिखा था-“सात देशों के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र ने उसकी स्मृति में यह गगनचुंबी मंदिर बनवाया।” शिलालेख पर इतना सब कुछ लिखा गया किंतु हुमायूँ को आश्रय देने वाली ममता का कहीं नाम नहीं था।

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
ममता का चरित्र-चित्रण कीजिए।
अथवा
‘ममता’ कहानी के आधार पर ममता का चरित्र चित्रण कीजिए।
उत्तर:
ममता एक अनिंद्य सौंदर्यमयी विधवा युवती है। ब्राह्मण होने के कारण उसके मन में धन के प्रति मोह लेशमात्र भी नहीं है। वह स्वाभिमानी भी है, त्याग करना और कष्ट सहना वह जानती है। उसमें भारतीय नारी के सभी गुण मौजूद हैं। ममता देश भक्त भी है। राष्ट्र प्रेम उसकी नसों में कूट-कूट कर भरा है। अपने पिता द्वारा प्राप्त यवनों द्वारा दी गई रिश्वत की राशि को वह लौटा देने का आग्रह करती है। ममता यह जानते हुए भी कि उसके पिता की हत्या इन यवनों के हाथों हुई है, वह एक यवन आगंतुक को इसलिए शरण देती है कि हिंदू धर्म में अतिथि देवो भव’ कहा गया है। उसकी दूरदर्शिता उसकी बातों से स्पष्ट रूप में दृष्टिगोचर होती है। लोगों के प्रति प्रेम, सेवा भावना तथा दूसरों के सुख-दुःख समझने की भावना के कारण ही लोग उसका सम्मान करते थे। वह आजीवन सबके सुख-दुःख की सहभागिनी रही। उसकी इसी सेवा भावना के कारण उसके अंत समय में गाँव की स्त्रियाँ ममता की सेवा के लिए घेर कर बैठी थीं।

प्रश्न 2.
‘ममता’ कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
‘ममता’ कहानी एक ऐतिहासिक कहानी है। इस कहानी के द्वारा लेखक ने नारी के आदर्श, कर्तव्य पालन, त्याग, तपस्वी जीवन जीने जैसे गुणों को अपनाने की शिक्षा दी है। उनके अनुसार इतिहास बनाने में केवल राजाओं का हाथ नहीं होता बल्कि एक आम आदमी का भी हाथ होता है। अतः हमें कभी अपने कर्त्तव्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। अतिथि देवो भवः’ की भावना सदैव अपने मन में रखनी चाहिए। कहानी में ममता के संवादों से लेखक ने रिश्वत लेने तथा देश से गद्दारी को सर्वथा अनुचित बताया है। अतः कहानी हमें एक आदर्श व्यक्ति, देशभक्त, आश्रयदाता, समाज सेवक, मृदुभाषी आदि बनने की शिक्षा देती है। व्यक्ति की ममत्व की भावना तथा उसमें निहित उपकार भावना के भी दर्शन होते हैं।

(ख) भाषा-बोध

I. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए

विधवा = ————
स्वस्थ = ————
सुख = ————
स्वीकार = ————
प्राचीन = ————
पमान। = ————
उत्तर:
शब्द = विपरीत शब्द
विधवा = सधवा
स्वस्थ = अस्वस्थ
सुख = दुःख
स्वीकार = अस्वीकार
प्राचीन = नवीन
अपमान = मान।

II. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए

बरसात = ————
चंद्रमा = ————
माता = ————
पक्षी = ————
रात। = ————
उत्तर:
शब्द = पर्यायवाची शब्द
बरसात = वर्षा, बरखा
चंद्रमा = चाँद, शशि
माता = माँ, जननी
पक्षी = खग, पंछी
रात = रजनी, रात्रि।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
अतिथि देवो भव पर कोई कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं लिखने का प्रयास करें।

प्रश्न 2.
‘असाधारण मनुष्य महलों में रहें या कुटिया में रहें, वे सदा ही असाधारण रहते हैं। ‘ममता’ महल में रहकर लालच से कोसों दूर थी और छोटी-सी कुटिया में भी सुरक्षा की परवाह न करते हुए अतिथि सेवा कर्म से विमुख नहीं हुई।’ इस विषय पर अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति के लिए रहने के लिए आवास की आवश्यकता होती है ताकि उसमें रहकर गर्मी-सर्दी-वर्षा तथा अन्य समस्याओं से बचा जा सके लेकिन असाधारण मनुष्य कभी भी दिखावा पसंद नहीं होते। वे चाहे झोंपड़ी में रहें या महल में उनकी क्षमता और असाधारणता बनी ही रहती है। ममता रोहतास दुर्ग में रही या जंगल में बनी झोंपड़ी में वह महान् थी और महान् बनी ही रही थी उसकी आत्मिक शक्ति ने उसके सिर को सदा ऊँचा ही रखा था। इतिहास में महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, सम्राट अशोक, चाणक्य आदि सैंकड़ों विभूतियों इसी बात को सिद्ध करते हैं। असाधारण व्यक्ति भीतरी शक्ति से संपन्न होते हैं न कि बाहर की चमक-दमक और दिखावे से। न तो महल किसी को महान् बनाते हैं और न ही झोंपड़ियाँ किसी को नीचे गिराती हैं। व्यक्ति अपनी मानसिक शक्ति और सोच-समझ से महान् बनता है।

(घ) पाठ्येतर सक्रियता

प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद की अन्य ऐतिहासिक कहानियाँ/नाटक भी पढ़िए।
उत्तर:
विद्यार्थी पुस्तकालय एवं अध्यापक की सहायता लेकर जयशंकर प्रसाद की ऐतिहासिक कहानियाँ पढ़ने का प्रयास करें।

प्रश्न 2.
ईमानदारी, सत्य, निष्ठा, उदारता, अतिथि सेवा आदि जीवन मूल्यों पर समय-समय पर विद्यालय की प्रार्थना सभा में विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 3.
‘ममता’ कहानी को एकांकी के रूप में मंचित करने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

प्रश्न 4.
भावना और कर्त्तव्य में से किस का पालन करना चाहिए? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

‘ममता’ कहानी में जिस रोहतास दुर्ग का नाम आया है वह बिहार के रोहतास जिले में है। उसे अफगान शासक शेरशाह सूरी ने बनवाया था। इस किले में 84 गलियारे तथा 24 मुख्य द्वार हैं। यहाँ शाहजहाँ, मानसिंह तथा मीरकासिम और उसका परिवार रहता था। इसी कहानी में वर्णित सोन नदी बिहार की प्रमुख नदी है, जो मध्यप्रदेश से निकल कर सोनपर में गंगा से जा मिलती है। इस नदी की रेत सोने के पीले रंग जैसी होती है, इसलिए इसे सोन नदी कहा जाता है।

हुमायूँ और शेरशाह के बीच गंगा के उत्तरी तट पर स्थित चौसा नामक स्थान पर 25 जून, सन् 1539 को युद्ध हुआ था, जिसमें हुमायूँ को पराजय का मुख देखना पड़ा था। शेरशाह पहले बाबर का सैनिक था, जिसे उसने बिहार का राज्यपाल बनाया था, परन्तु शेरशाह ने बंगाल पर भी अपना अधिकार कर लिया तथा हुमायूँ को पराजित कर भारत छोड़ने पर ही विवश कर दिया था और संपूर्ण उत्तर भारत पर अपना अधिकार कर लिया था। इसी ने सर्वप्रथम रुपए का चलन शुरू किया था। जी० टी० रोड को शेरशाह सूरी मार्ग भी इसी के द्वारा इस मार्ग का निर्माण कराए जाने के कारण कहते हैं।

हुमायूँ बाबर का पुत्र था, जिसकी मृत्यु के बाद सन् 1530 ई० में इसी ने मुग़ल साम्राज्य का शासन संभाला था, पर शेरशाह सूरी से हार कर दस वर्ष बाद ही ईरान के शाह की सहायता से वह पुनः अपना राज्य प्राप्त कर सका। अकबर इसी का पुत्र था, जो हुमायूँ की मृत्यु के बाद मुगल सम्राट् बना था। इसने लगभग पूरे भारत-उपमहाद्वीप पर शासन किया था तथा हिंदू-मुस्लिम एकता स्थापित करने के लिए दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना की थी।

PSEB 10th Class Hindi Guide ममता Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
शेरशाह दुर्ग पर अधिकार क्यों करना चाहता था? इसके लिए उसने क्या किया?
उत्तर:
शेरशाह अपने स्वार्थ के लिए रोहतास दुर्ग पर अपना अधिकार जमाना चाहता था। इसलिए उसने मंत्री चूड़ामणि से संधि की थी।

प्रश्न 2.
ममता ने किसे और क्या लौटाने को कहा ? उत्तर- ममता ने अपने पिता को शेरशाह द्वारा दिए गए उपहारों को लौटा देने का आग्रह किया। प्रश्न 3. रोहतास दुर्ग पर कब्जा करने के बाद पठानों ने क्या किया?
उत्तर:
रोहतास दुर्ग पर कब्जा करने के बाद पठान सैनिकों ने मंत्री चूड़ामणि की हत्या कर दी और सारा खज़ाना लूट लिया।

प्रश्न 4.
एक रात ममता ने अपनी झोंपड़ी के सामने किसे देखा?
उत्तर:
एक रात ममता ने अपनी झोंपड़ी के सामने एक भयानक-सी शक्ल वाले व्यक्ति को खड़े देखा।

प्रश्न 5.
भयानक शक्ल वाले व्यक्ति ने अपना क्या परिचय दिया?
उत्तर:
भयानक शक्ल वाले व्यक्ति ने कहा कि वह एक मुग़ल है।

प्रश्न 6.
मुग़ल नाम सुनकर ममता की क्या दशा हुई?
उत्तर:
मुग़ल नाम सुनकर ममता की आँखों के सामने अपने पिता की हत्या का दृश्य उभर आया।

प्रश्न 7.
सुबह-सवेरे ममता ने अपनी झोंपड़ी के सामने किन्हें देखा था?
उत्तर:
सुबह-सवेरे ममता ने अपनी झोंपड़ी के सामने कुछ घुड़सवार सैनिकों को देखा था।

प्रश्न 8.
ममता की आयु कितनी थी?
उत्तर:
ममता की आयु सत्तर वर्ष हो चुकी थी।

प्रश्न 9.
‘ममता’ कहानी किस आधार पर लिखी गई कहानी है?
उत्तर:
‘ममता’ शीर्षक कहानी मुग़लकालीन भारतीय पृष्ठभूमि पर आधारित इतिहास और कल्पना के ताने-बाने से बुनी कहानी है।

प्रश्न 10.
रोहतास दुर्ग से भागकर ममता कहाँ रहने लगी थी?
उत्तर:
रोहतास दुर्ग से भागकर ममता बौद्ध बिहार के खंडहरों में झोंपड़ी बनाकर रहने लगी थी।

प्रश्न 11.
‘ममता’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ममता कहानी में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को आधार बनाकर हिंदू धर्म में प्रचलित ‘अतिथि देवो भव’ नीति का चित्रण किया गया है। ममता यह जानते हुए भी कि इन्हीं यवनों ने उसके पिता की हत्या की है एक यवन को इसी कारण आश्रय देती है कि वह अपनी सभ्यता और संस्कृति त्यागना नहीं चाहती।

प्रश्न 12.
‘ममता’ कहानी में इतिहास पर क्या व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
लेखक ने ममता कहानी द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि बड़े-बड़े सम्राटों को बनाने में जिन लोगों का हाथ रहा है। इतिहासकारों ने इतिहास में उन्हें जगह नहीं दी। परोक्ष रूप में यह इतिहास पर व्यंग्य ही तो है। लेखक के अनुसार इतिहास में ऐसे लोगों का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए।

प्रश्न 13.
‘ममता’ कहानी में कौन-से ऐतिहासिक पात्र और घटनाओं को कथावस्तु का आधार बनाया गया है?
उत्तर:
‘ममता’ कहानी में हुमायूँ, शेरशाह सूरी और रोहतास दुर्ग के मंत्री चूड़ामणि ऐतिहासिक पात्र हैं। शेरशाह सूरी द्वारा चूड़ामणि से मित्रता कर फिर उससे विश्वासघात कर उसकी हत्या करने की घटना ऐतिहासिक है। सन् 1588 में अकबर द्वारा अष्टकोण महल बनाए जाने की घटना का उल्लेख भी इतिहास में मिलता है।

प्रश्न 14.
ममता ने अपने पिता को रिश्वत लेने पर क्या कहा?
उत्तर:
ममता ने अपने पिता से कहा, ‘विपद के लिए इतना आयोजन ? परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस? पिता जी क्या भीख न मिलेगी? क्या कोई हिंदू भू-पृष्ठ पर न बचा रह जाएगा जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके? यह असंभव है। फेर दीजिए पिता जी।’

प्रश्न 15.
यवन को ममता ने आश्रय क्या सोचकर दिया?
उत्तर:
ममता ने सोचा, वह ब्राह्मणी है, अतिथि देव की उपासना के अपने धर्म का उसे पालन करना चाहिए। परंतु सब विधर्मी दया के पात्र नहीं, पर यह दया तो नहीं-कर्त्तव्य करना है।

प्रश्न 16.
अकबर ने अष्टकोण मंदिर पर कौन-सा शिलालेख लगवाया?
उत्तर:
ममता की झोंपड़ी के स्थान पर एक अष्टकोण मंदिर बना और उस पर शिलालेख लगवाया गया—’सातों देश के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उसके पुत्र अकबर ने उसकी स्मृति में यह गगनचुंबी मंदिर बनवाया।’ पर उसमें ममता का नाम कहीं भी नहीं था।

प्रश्न 17.
ममता ने आगंतुक की सहायता क्यों की? लेखक इसके माध्यम से क्या बताना चाहता है?
उत्तर:
ममता यह जानते हुए भी कि उसके पिता की हत्या इन यवनों के हाथों हुई है, एक यवन आगंतुक को अपनी झोंपड़ी में आश्रय इसलिए देती है कि हिंदू धर्म में ‘अतिथि देवो भव’ कहा गया है। इस तरह ममता ने उस यवन को आश्रय देकर अपने धर्म का पालन किया। ममता कहती है- ‘मैं ब्राह्मणी हूँ। मुझे तो अपने धर्म, अतिथि देव की उपासना का पालन करना होगा।’ प्रसाद जी यहाँ सिद्ध करना चाहते हैं कि विदेशियों ने अपनी मान मर्यादा को त्याग दिया है तो क्या हम भारतीय भी उसे त्याग दें? ममता के चरित्र द्वारा भारतीय नारी की कर्त्तव्य निष्ठा एवं धर्मपरायणता को भी पाठकों को याद दिलाना चाहते हैं।

प्रश्न 18.
कहानी में वर्णित ‘ममता’ पात्र ऐतिहासिक था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रसाद जी ने इन दो ऐतिहासिक तथ्यों को अपनी कल्पना का पुट देकर ‘ममता’ के काल्पनिक पात्र का निर्माण कर भारतीय हिंदू विधवा की विडंबना एवं मानवीय त्रासदी, हिंदू धर्म की गौरवगाथा का मार्मिक चित्रण किया है। कहानी पढ़कर हमें ममता का पात्र पूर्णतया ऐतिहासिक ही जान पड़ता है बल्कि यदि यूँ कहा जाए कि पूरी की पूरी कहानी ही ऐतिहासिक प्रतीत होती है। पाठक का ध्यान एक पल के लिए भी इस ओर नहीं जाता कि वह पचास वर्षों तक फैली कहानी पढ़ रहा है। प्रसाद जी ने ऐतिहासिक वातावरण की सृष्टि में कल्पना का योग अत्यंत कुशलता से किया है।

प्रश्न 19.
कहानी के तत्वों के आधार पर ममता कहानी की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
श्री जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित ममता शीर्षक कहानी को हम ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में लिखी गई कहानी मानते हैं। प्रसाद जी ने इस कहानी में इतिहास और कल्पना का अद्भुत मिश्रण करते हुए एक ओर भारतीय हिंदू विधवा के त्याग, कर्त्तव्यपालन एवं ममत्व का चित्रण किया है तो दूसरी ओर इतिहास द्वारा उपेक्षित महान् व्यक्तियों को भी इतिहास में स्थान दिये जाने की मांग प्रस्तुत की है।

प्रश्न 20.
‘ममता’ कहानी में लेखक ने मुगलकालीन किन घटनाओं का वर्णन किया है?
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में मुग़लकालीन घटनाओं को कथावस्तु का आधार बनाया गया है। हुमायूँ, शेरशाह सूरी और चूड़ामणि ऐतिहासिक पात्र हैं। इतिहास के अनुसार शेरशाह सूरी अपने परिवार और खज़ाने को सुरक्षित रखने के लिए रोहतास गढ (बिहार प्रांत) में जाना चाहता था। वहाँ के मंत्री चुडामणि से मित्रता स्थापित कर शेरशाह ने स्त्री वेश में अपने पठान सैनिकों को दुर्ग में भेजकर उस पर अधिकार कर लिया था। यह अप्रैल, सन् 1538 ई० की घटना है। तदुपरांत शेरशाह ने बंगाल से भागे हुमायूँ को कर्मनासा नदी के पास चौसा नामक स्थान पर 26 जून, सन् 1539 में परास्त कर दिया था।

प्रश्न 21.
प्रसाद जी की कहानी ‘ममता’ में इतिहास और कल्पना का अद्भुत मिश्रण हुआ है-इस कथन की समीक्षा करें।
उत्तर:
प्रसाद जी ने अपनी अनेक कहानियों में कथानक इतिहास से चुने हैं, जिन्हें कल्पना पर पुट देकर ऐतिहासिक घटनाओं को अत्यंत मार्मिक बना दिया है। ममता’ भी उनकी ऐतिहासिक कहानियों में से एक है। ‘ममता’ शीर्षक कहानी में रोहतास दुर्ग के ब्राह्मण मंत्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री ‘ममता’ के त्याग, कर्तव्य पालन और ममत्व का चित्रण किया गया है। यह विधवा होने पर रिश्वत के रूप में दी जाने वाली राशि को ठुकरा देती है जिसे उसका पिता यवनों से प्राप्त कर अपने दुर्ग को उन्हें सौंपने को तैयार हो जाता है। पिता की हत्या हो जाने पर तथा दुर्ग पर शेरशाह सूरी का अधिकार हो जाने के कारण ममता चुपचाप काशी के उत्तर में स्थित धर्मचक्र विहार के खंडहरों में एक झोंपड़ी बनाकर रहने लगती है। कालांतर में मुग़ल सम्राट् हुमायूँ वहाँ एक रात के लिए शरण के लिए आता है।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित अवतरणों को पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) “चुप रहो ममता ! यह तुम्हारे लिए है।”
(1) वक्त का परिचय दें।
(2) वक्ता का श्रोता से क्या संबंध है?
(3) वक्ता श्रोता के लिए क्या और कहाँ से लाया है?
(4) श्रोता पर वक्ता द्वारा लाई वस्तु का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
(1) उक्त वाक्य ममता के पिता चूड़ामणि का है। वह रोहतास-दुर्ग का मंत्री है।
(2) वक्ता का श्रोता से पिता-पुत्री का संबंध है।
(3) वक्ता चूडामणि श्रोता ममता के लिए दस चाँदी के थालों में स्वर्ण लेकर आया था या सारा स्वर्ण वह शेरशाह सूरी से संधि करके लाया था।
(4) श्रोता ममता वक्ता चूडामणि के द्वारा लाई गई उपहार राशि को देखकर कहती है कि वह यवनों से प्राप्त धन लौटा दें। उसे धन से तनिक भी मोह नहीं।

(ख) “माता ! मुझे आश्रय चाहिए।”
(1) आश्रय माँगने वाले का परिचय दें।
(2) ‘माता’ संबोधन किसके लिए किया गया है?
(3) आश्रय माँगने वाले की स्थिति कैसी थी?
(4) आश्रय देने से पूर्व आश्रयदात्री ने क्या कहा और क्यों?
उत्तर:
(1) आश्रय माँगने वाला मुग़ल बादशाह हुमायूँ था। वह शेरशाह सूरी से चौसा युद्ध में हार जाने के बाद अपनी जान बचाकर भाग आया था।
(2) ‘माता’ संबोधन कुटिया के अंदर व्याप्त वृद्धा ममता के लिए किया गया है।
(3) आश्रय माँगने वाला मुग़ल बादशाह हुमायूं अत्यंत थका हुआ था। उसका गला सूखा था। उससे चला नहीं जा रहा था। वह चौसा युद्ध से अपनी जान बचा कर आया था।
(4) आश्रय देने से पूर्व आश्रय दात्री ने कहा कि वह भी शेरशाह सूरी की भांति क्रूर है। उसके मुख पर भी रक्त की प्यास और निष्ठुर प्रतिबिंब झलक रहा था। उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यही सब उसने शेरशाह सूरी के चेहरे पर भी देखा था।

(ग) अब तुम इसका मकान बनाओ या महल, मैं अपने चिर विश्राम-गृह में जाती हूँ।”
(1) वक्ता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
(2) किसके लिए क्या बनाने की चर्चा हो रही थी?
(3) बनवाने वाले कौन थे? उन्हें किसने भेजा था?
(4) स्मारक के रूप में क्या बनाया गया और उस पर क्या लिखा गया?
उत्तर:
(1) वक्ता का नाम ममता था। वह रोहतास दुर्ग के मंत्री चूड़ामणि की पुत्री थी जो पिता की मृत्यु के बाद काशी में आकर एक कुटिया में अपना जीवन-यापन कर रही थी।
(2) वृद्धा ममता की झोंपड़ी को हटाकर उसके स्थान पर महल बनाने की बात हो रही थी।
(3) बनवाने वाले मुग़ल सैनिक थे। उन्हें बादशाह अकबर ने भेजा था।
(4) स्मारक के रूप में अष्टकोण मंदिर बनवाया गया। उस पर लगाये शिलालेख पर लिखा था-‘सात देशों के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने यह गगनचुंबी मंदिर बनवाया।’

प्रश्न 23.
ममता के अभावग्रस्त जीवन के प्रसंग में उसके पिता ने उसे क्या भेंट करना चाहा था और ममता ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
ममता के अभावग्रस्त जीवन के प्रसंग में उसके पिता मंत्री चूड़ामणि ने शेरशाह से मित्रता की। चूडामणि को शेरशाह ने सोने-चाँदी और हीरे जवाहरात से भरे थाल रिश्वत के रूप में भेंट किये। रिश्वत की यह सारी धन-राशि चूड़ामणि ने अपनी पुत्री ममता को देना चाहा तो उसकी पुत्री हैरान रह गई । उसने पिता से वह सारी भेंट लौटा देने का आग्रह किया। उसने कहा-“इसकी चमक आँखों को अंधा बना रही है।”

प्रश्न 24.
‘ममता’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्री जयशंकर प्रसाद जी द्वारा लिखित ‘ममता’ शीर्षक कहानी मुग़लकालीन भारतीय पृष्ठभूमि पर आधारित इतिहास और कल्पना के ताने-बाने से बुनी गई है। प्रसाद जी ने प्रस्तुत कहानी में एक विधवा हिंदू युवती की निराशा एवं विवशता तथा संत्रस्त मनःस्थिति का चित्रण करते हुए उसके उदार हृदय में विद्यमान अतिथि सेवा का धर्म एवं असीम करुणा का सजीव एवं मार्मिक रूप प्रस्तुत किया है।

ममता एक अनिंद्य सौंदर्यमयी विधवा युवती है। ब्राह्मण होने के कारण उसमें धन के प्रति मोह लेशमात्र भी नहीं है। वह स्वाभिमानी भी है, त्याग करना और कष्ट सहना भी जानती है। भारतीय नारी के उन्हीं गुणों से पाठकों को परिचित करवाना प्रसाद जी का मुख्य उद्देश्य है।

प्रश्न 25.
हुमायूँ कौन था? उसका युद्ध किससे हुआ?
उत्तर:
हुमायूँ बाबर का पुत्र था। उसके अधीन सात देश थे। उसे सात देशों का नरेश भी कहा जाता था। चौसा के स्थान पर हुमायूँ का युद्ध शेरशाह सूरी से हुआ था। इस युद्ध में हुमायूँ पराजित हुआ था। वह किसी तरह अपनी जान बचाकर वहाँ से भाग निकला था। इतिहास में यह युद्ध 26 जून, सन् 1539 को हुआ माना जाता है।

प्रश्न 26.
‘ममता’ कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
प्रसाद जी अपने युग की परिस्थितियों, विशेषकर स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित हुए बिना न रह सके किंतु उन्होंने अंग्रेज़ों से सीधे विवाद को मोल नहीं लिया। हाँ अपने पात्रों एवं कथानकों द्वारा भारत के पूर्व गौरव को भारतीयों के सम्मुख रखकर उनमें राष्ट्रीय चेतना उजागर करने का प्रयास किया। ‘ममता’ कहानी भी इसी दिशा में एक कदम था। प्रसाद जी ने ममता को देशभक्त और राष्ट्रप्रेम से परिपूर्ण पात्र के रूप में चित्रित किया है। इसका प्रभाव हमें उस समय मिलता है जब वह यवनों द्वारा दी जाने वाली रिश्वत को लौटा देने का आग्रह करती हुई अपने पिता से कहती है-‘हम ब्राह्मण हैं, इतना सोना लेकर क्या करेंगे? ………….विपद के लिए इतना आयोजन ? परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस? पिता जी क्या भीख भी न मिलेगी? क्या कोई हिंदू भू-पृष्ठ पर बचा न रह सकेगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके?’ ममता के इन शब्दों के द्वारा प्रसाद जी देश के उन गद्दारों को सचेत करना चाहते हैं जो अपने स्वार्थ के लिए देशहित को भी बेचने से बाज़ नहीं आते। इसके साथ-साथ देशवासियों में देश के प्रति कुछ करने की भावना जगाना चाहते हैं।

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