PBN 10th Science

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 12 विद्युत

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 12 विद्युत

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

याद ररवने योग्य बातें (Points to Remember)

→ आवेश के प्रवाह की रचना इलेक्ट्रॉन करते हैं।

→ विद्युत् आवेश किसी चालक में से प्रवाहित हो सकता है।

→ विद्युत् आवेश का S.I. मात्रक कूलॉम (C) है।

→ एक कूलॉम लगभग 6 x 108 इलेक्ट्रॉन में समाहित आवेश के बराबर होता है।

→ विद्युत् आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत् धारा कहते हैं।
∴ विद्युत् धारा, I = Q जहाँ Q = आवेश तथा t = समय

→ विद्युत्धारा को एम्पीयर (A) में व्यक्त किया जाता है।

→ विद्युत्धारा के लिए सतत् तथा बंद पथ को विद्युत् परिपथ कहते हैं।

→ परिपथ टूट जाने से विद्युत्धारा का प्रवाह समाप्त हो जाता है।

→ परिपथ में विद्युत्धारा को ऐममीटर से मापा जाता है।

→ परिपथ में ऐममीटर को श्रेणी क्रम में व्यवस्थित करते हैं।

→ किसी विद्युत् परिपथ में विद्युत्धारा का प्रवाह बनाए रखने के लिए सेल अपनी रासायनिक ऊर्जा व्यय करता है।

→ एक इलेक्ट्रॉन पर 1.6 x 1019C आवेश की मात्रा उपस्थित होती है।

→ दो बिंदुओं के बीच विभवांतर (V) = 

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→ विभवांतर का S.I. मात्रक वोल्ट (V) है।

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→ विभवांतर को वोल्टमीटर से मापा जाता है। वोल्टमीटर को समानांतर क्रम में परिपथ के किन्हीं दो बिंदुओं के मध्य में व्यवस्थित किया जाता है।

→ किसी प्रतिरोधक में से प्रवाहित होने वाली विद्युत्धारा उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

→ मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता उनके अवयवी धातुओं की प्रतिरोधकता से अधिक होती है।

→ विद्युत् तापन के लिए मिश्रधातुओं का उपयोग किया जाता है।

→ विद्युत् संचरण के लिए ऐल्यूमीनियम तथा तांबे (कॉपर) की तारों का उपयोग किया जाता है।

→ प्रतिरोधकों को प्रायः दो प्रकार से संयोजित किया जाता है –

  • श्रेणीक्रम संयोजन
  • समानांतर क्रम (पार्श्वक्रम) संयोजन।

→ अनेक प्रतिरोधकों (चालकों) के श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर तुल्य प्रतिरोध RS = R1 + R2 + R3 +…….

→ घरेलू व्यवहार में श्रेणीक्रम संयोजन उचित नहीं है।

→ जूल के तापन नियमानुसार, उत्पन्न हुई ताप ऊर्जा H = I2Rt

→ विद्युत् फ्यूज़ विद्युत् परिपथों तथा साधित्रों की सुरक्षा करता है।

→ कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।

→ विद्युत् शक्ति का S.I. मात्रक वाट है।
1 वाट (W) = 1 वोल्ट (V) x 1 ऐम्पीयर (A)

→ जब 1 वाट शक्ति का उपयोग 1 घंटा तक होता है तो खर्च हुई विद्युत् ऊर्जा एक वाट घंटा होती है।

→विद्युत् ऊर्जा का मात्रक वाट-घंटा (Wh) है। इसका बड़ा व्यापारिक मात्रक किलोवाट-घंटा (Kwh) है।
1 Kwh = 3.6 x 106 J (जूल)

Science Guide for Class 10 PSEB विद्युत InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
विद्युत् परिपथ का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ- विद्युत् स्रोत से विभिन्न घटकों में से होकर विद्युत् धारा बहने के सतत् तथा बंद पथ को विद्युत् परिपथ कहा जाता है। विद्युत्धारा के घटक-विद्युत्धारा के निम्नलिखित प्रमुख घटक हैं-

  • विद्युत् स्रोत (बैटरी अथवा सेल)
  • चालक
  • स्विच (कुंजी)
  • कोई अन्य उपकरण जो परिपथ में जोडा गया हो।

प्रश्न 2.
विद्युत्धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
अथवा
विद्युत्धारा की इकाई का नाम लिखें। इसकी परिभाषा भी लिखें।
उत्तर-
विद्युत्धारा का S.I. मात्रक ‘ऐंपियर’ है जिसे ‘A’ से व्यक्त किया जाता है।
ऐंपियर-जब किसी चालक में 1 सेकंड में 1 कूलॉम आवेश का प्रवाह होता है तो प्रयुक्त विद्युत्धारा की मात्रा को 1 ऐंपियर कहा जाता है।
∴ 1A = 1C/1s

प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रानों की संख्या परिकलित कीजिए।
उत्तर-
हम जानते हैं कि 1 इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19C
माना 1 कूलॉम की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = n
∴ n x 1.6 x 10-19C = 1C

प्रश्न 4.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर-
सेल एक ऐसी युक्ति है जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।

प्रश्न 5.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 17 है?
उत्तर-
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1V से तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश ले जाने में 1 जूल कार्य होता है।

प्रश्न 6.
6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
हल : यहाँ
विभवांतर (V) = 6V
आवेश की मात्रा (Q) = 1 कूलॉम
दी गई ऊर्जा (किया गया कार्य) (W) = ?
हम जानते हैं, विभवांतर = PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 7

V= W/Q
∴ दी गई ऊर्जा W = V × Q
= 6V × 1C
= 6 जूल (J) उत्तर

प्रश्न 7.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
चालक के प्रतिरोध की निर्भरता-किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –
(i) चालक की लंबाई (l)-किसी चालक का प्रतिरोध चालक की लंबाई (l) के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात् R ∝ l
(ii) चालक की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A)-किसी चालक का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट (A) के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अर्थात्
R ∝ 1/A

(iii) चालक के पदार्थ की प्रकृति-किसी चालक का प्रतिरोध उस चालक के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
R ∝ l/A
अथवा R = ρ × l/A
जहाँ ρ अनुपातिकता स्थिराँक है।

प्रश्न 8.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत् धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत् स्रोत से संयोजित किया जाता है ? क्यों?
उत्तर-
हम जानते हैं कि चालक तार का प्रतिरोध तार के अनुप्रस्थ काट (Area of Cross-Section) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् मोटी तार का प्रतिरोध कम और पतली तार का प्रतिरोध अधिक होगा।
अब R ∝ 1/A
इसलिए मोटी तार का प्रतिरोध पतली तार की अपेक्षा कम होने के कारण उसमें से विद्युत्धारा का प्रवाह अधिक तथा सुगमता से होता है।

प्रश्न 9.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत्धारा में क्या परिवर्तन होगा?

 

प्रश्न 10.
विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् टोस्टरों तथा विद्युत् इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रधातु के बनाए जाते हैं। इसके निम्नलिखित कारण हैं:

  • मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता अवयवी धातुओं की अपेक्षा अधिक होती है।
  • मिश्र धातुओं का उच्चताप पर शीघ्र ही दहन (उपचयन) नहीं होता है।
  • मिश्रधातुओं का गलनाँक अधिक होता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पाठ्य-पुस्तक की तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए:
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत् चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है।
उत्तर-
(a) आयरन (Fe) मर्करी (Hg) की अपेक्षा अच्छा चालक है क्योंकि आयरन की प्रतिरोधकता मर्करी की अपेक्षा अधिक होती है।
(b) चाँदी सर्वश्रेष्ठ चालक है क्योंकि इसका प्रतिरोध (1.60 x 10-8Ωm) न्यूनतम है।

प्रश्न 12.
किसी विद्युत् परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 27 के तीन सेलों की बैटरी, एक 5Ω प्रतिरोधक, एक 8Ω प्रतिरोधक, एक 12Ω प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर-
विद्युत् परिपथ व्यवस्था आरेख

प्रश्न 13.
प्रश्न 1 का परिपथ चित्र दोबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत्धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्याँक होंगे?
हल-
यहाँ r1 = 5Ω
r2 = 8Ω
r3 = 12 Ω
परिपथ का कुल प्रतिरोध (R) = ?
हम जानते हैं प्रतिरोधकों को श्रेणी क्रम में संयोजित करने पर परिपथ का कुल प्रतिरोध R = r1 + r2+ r3
R = 5Ω + 8Ω + 120 Ω
R = 25Ω.

12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर = I x r3
= 0.08 x 12
= 0.96 वोल्ट (V)

∴ ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ्याँक क्रमश: 0.08A तथा 0.96V होंगे।

प्रश्न 14.
जब (a) 12 तथा 106
(b) 1Ω तथा 103Ω तथा 106Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निर्णय करेंगे?

प्रश्न 15.
100Ω का एक विद्युत् लैंप, 50Ω का एक विद्युत् टोस्टर तथा 5002 का एक जल फिल्टर 200V के विद्युत् स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित है। उस विद्युत् इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्त्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत् धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत् इस्तरी से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होती है ?
हल-
100Ω का विद्युत् लैंप, 502 का विद्युत् टोस्टर तथा 500Ω का फिल्टर पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है और R इनका तुल्य प्रतिरोध है तो ओम नियमानुसार

प्रश्न 16.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत् युक्तियों को पार्यक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
वैद्युत् युक्तियों को श्रेणीक्रम की अपेक्षा पार्श्वक्रम में संयोजित करने के लाभ-
1. किसी श्रेणी बद्ध विद्युत् परिपथ में शुरू से अंत तक विद्युत् धारा नियत रहती है जोकि व्यावहारिक नहीं है। यदि हम किसी विद्युत् परिपथ में विद्युत् बल्ब तथा विद्युत् हीटर को श्रेणीक्रम में संयोजित करें तो यह उचित प्रकार से कार्य नहीं कर पायेंगे क्योंकि इन्हें भिन्न मानों की विद्युत् धाराओं की आवश्यकता होगी। इसके विपरीत पार्श्वक्रम परिपथ में विद्युत् धारा विभिन्न वैद्युत् युक्तियों में विभाजित हो जाती है।

2. श्रेणीबद्ध परिपथ की यदि एक विद्युत् युक्ति कार्य करना बंद कर देती है तो परिपथ टूट जाता है तथा अन्य युक्तियाँ कार्य करना बंद कर देती हैं। इसके विपरीत पार्यक्रम परिपथ में विद्युत् धारा विभिन्न विद्युत् युक्तियों में विभाजित होने पर अन्य युक्तियाँ कार्य करती रहती हैं।

3. प्रतिरोधों को पार्श्वक्रम में जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत्धारा स्वतंत्रतापूर्वक प्रवाहित या रोकी जा सकती है जिससे विद्युत् यक्तियों को स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग में लाया जा सकता है।

प्रश्न 17.
2Ω, 3Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध
(a) 4Ω
(b) 1Ω हो?
हल-
(a) कुल प्रतिरोध 4Ω प्राप्त करने के लिए-ऐसा करने के लिए 3Ω तथा 6Ω के प्रतिरोधकों को समानांतर क्रम करके 2Ω के प्रतिरोधक के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है।

प्रश्न 18.
4Ω, 8Ω, 12Ω तथा 24Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से
(a) अधिकतम
(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके ?
हल-
(a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु संयोजन-यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में रखा जाए तो अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
Rs = r1+r2+r3+r4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 480 उत्तर

(b) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु–यदि दिए गए चारों प्रतिरोधों को पार्यक्रम में जोड़ा जाए तो न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।

प्रश्न 19.
किसी विद्युत् हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?
उत्तर-
हम जानते हैं
H = I2Rt
⇒ H ∝ R
तापन अवयव का उच्च प्रतिरोध होता है जिस कारण अधिक विद्युत् ऊर्जा, ताप ऊर्जा में परिवर्तित होती है जिससे तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है। दूसरी तरफ विद्युत् हीटर की डोरी का प्रतिरोध बहुत कम होता है जिससे वह उत्तप्त नहीं होती है।

प्रश्न 20.
एक घंटे में 50V विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए?
हल-
दिया है, स्थानांतरित आवेश Q = 96000 कूलॉम, 1 = 1 घंटा समय = 60 x 60 सेकंड,
विभवांतर V = 50 वोल्ट
⇒ उत्पन्न उष्मा ऊर्जा, H = Q x V
= 96000 x 50
= 48250000
= 4.825 x 10 जूल
∴ H = 4.825 x 103 किलो जूल उत्तर

प्रश्न 21.
20Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत् इस्तरी 5A विद्युत् धारा लेती है। 30s में उत्पन्न उष्मा परिकलित कीजिए।
हल –
दिया है
प्रतिरोध (R) = 20Ω
विद्युत्धारा (I) = 5A
समय (1) = 30s
उत्पन्न उष्मा (H) = ?
हम जानते हैं, उत्पन्न हुई उष्मा ऊर्जा (H) = I2Rt
= (5)2 x 20 x 30 J
= 25 x 20 x 30 J
= 15000 J (जूल)
= 1.5 x 104J उत्तर

प्रश्न 22.
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
विद्युत् धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विद्युत् शक्ति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 23.
कोई विद्युत् मोटर 220V के विद्युत् स्रोत से 5.0A विद्युत् धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
हल–
दिया है, विद्युत् धारा (I) = 5.0A
विद्युत् विभवांतर (V) = 220V
समय (t) = 2 घंटे ज्ञात करना है,
मोटर की शक्ति (P) = ?
1 घंटे में उपभुक्त ऊर्जा (E) = ?
हम जानते हैं, शक्ति (P) = Vx I
= 220×5
= 1100 W (वाट) उत्तर

मोटर द्वारा 2 घंटे में उपभुक्त ऊर्जा (E) = Pxt
= 1100 वाट x 2 घंटे
= 2200 वाट-घंटे (Wh)
= 2.2 किलोवाट-घंटा (KWh) उत्तर

PSEB 10th Class Science Guide विद्युतTextbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा गया है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R’ अनुपात का मान क्या है?
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25.
हल-प्रत्येक कटे हुए भाग का प्रतिरोध R/5 होगा।
∴ R1 = R2 = R3 = R4 = R5 = R/5
∴ पाँच कटे हुए टुकड़ों को पार्यक्रम में संयोजित करने पर
img
∴ R’ = R/25
या R/R = 25
उत्तर : (d) 25

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद, विद्युत् परिपथ में विद्युत् शक्ति को निरूपित नहीं करता है –
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R.

प्रश्न 3.
किसी विद्युत् बल्ब का अनुमतांक 220V; 110W है। जब इसे 110V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है ?
(a) 100W
(b) 75W
(c) 50W
(d) 25W.

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत् परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्यक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1: 2
(b) 2 : 1
(c) 1:4
(d) 4 : 1.
हल–
क्योंकि सभी तार एक ही प्रकार के पदार्थ, लंबाई व व्यास के हैं, इसलिए सभी का प्रतिरोध समान होगा। मान लो यह R है। दोनों को पार्यक्रम में जोड़ने पर प्रतिरोध
Rs = R + R = 2R

प्रश्न 5.
किसी विद्युत् परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है ?
उत्तर-
दो बिंदुओं के बीच का विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को दोनों बिंदुओं के बीच पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है।

प्रश्न 6.
किसी ताँबे की तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.8 x 10-8 2m है। 10Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?

प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत् धाराओं I के संगत मान आगे दिए गए हैं
I(ऐंपियर) : 0.5 1.0 2.0 3.0 4.0
v (वोल्ट) : 1.6 3.4 6.7 10.2 13.2
V और I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल- अभीष्ट ग्राफ के लिए देखिए संलग्न चित्र-
प्रतिरोधक का प्रतिरोध = ग्राफ की ढाल

प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 mA विद्युत् धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।

प्रश्न 9.
9V की किसी बैटरी को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 12Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होगी?
हल-
दिया है R1 = 0. 2Ω, R2 = 0.3Ω, R3 = 0.4Ω, R4 = 0.5Ω, तथा R5 = 12Ω
श्रेणी संयोजन का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3 + R4 + R5
= 0.2 + 0.3 + 0.4 + 0.5 + 12
= 13.4Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित कुल धारा I = V/R
9V/13.4Ω
= 0.67A
श्रेणी संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से 0.67A की धारा प्रवाहित होगी।
श्रेणी क्रम में संयोजित सभी चालकों (प्रतिरोधकों) में से समान विद्युत धारा प्रवाहित होगी, इसलिए 120 के प्रतिरोधक में से प्रवाहित धारा = 0.67A उत्तर

प्रश्न 10.
176Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करें कि 220V के विद्युत् स्रोत से संयोजन से 5A विद्युत् धारा प्रवाहित हो?

प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 6Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध
(i) 9Ω,
(ii) 4Ω हो।
हल-
(i) 9Ω का प्रतिरोध पाने के लिए, पहले दो प्रतिरोधकों को समांतर क्रम में तथा तीसरे प्रतिरोध को श्रेणी क्रम में जोड़ना होगा।

प्रश्न 12.
220 V की विद्युत् लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10w है। यदि 220V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत् धारा 5A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
हल-
माना n बल्बों को पार्यक्रम में जोड़ा है। तब परिपथ में कुल शक्ति P= n x एक बल्ब की शक्ति

प्रश्न 13.
किसी विद्युत् भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 242 है तथा इन्हें पृथक्-पृथक् श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220V विद्युत् स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत् धाराएँ क्या हैं?

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 20 प्रतिरोधक द्वारा उपयुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए :
(i) 6V की बैटरी से संयोजित 12 तथा 22 श्रेणीक्रम संयोजन,
(ii) 4V बैटरी से संयोजित 120 तथा 22 का पार्श्वक्रम संयोजन।

प्रश्न 15.
दो विद्युत् लैंप, जिनमें से एक का अनुमतांक 100W; 220V तथा दूसरे का 60 W; 220V है, विद्युत् मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता 220V है तो मेंस से कितनी धारा ली जाती है?

प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्युत् ऊर्जा उपभुक्त होती है : 250w का टी० वी० सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120W का विद्युत् हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है ?
हल-
T.V. सेट के लिए, P1 = 250w
= 250 Js-1
t1 = 1h = 60 x 60s
∴ T.V. सेट द्वारा उपभुक्त विद्युत् ऊर्जा = P1 × t1,
= 250 Js-1 x (60 x 60s)
= 900000J
= 9x 105 J …………………….(i)

विद्युत् हीटर के लिए,
P2 = 120W
= 120 Js-1 तथा
t2 = 10 min.
= 10 x 60s
∴ विद्युत् हीटर द्वारा उपभुक्त विद्युत् ऊर्जा = P2 x t2
= 120 Js-1 x (10 x 60s)
= 72000J = 7.2 x 104J ………………………(ii)
समीकरण (i) तथा (ii) से स्पष्ट है कि T.V. सेट द्वारा उपभुक्त ऊर्जा अधिक है।

प्रश्न 17.
82 प्रतिरोध का कोई विद्युत् हीटर विद्युत् मेंस से 2 घंटे तक 15A विद्युत् धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
हल-
दिया है, R = 8Ω,
I = 15A विद्युत् हीटर में ऊष्मा उत्पन्न होने की दर अर्थात् विद्युत् हीटर की शक्ति P = I2R
= (15A)2 x 8Ω
= 225×8
= 1800 W

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए-
(a) विद्युत् लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्युत् तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत् इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाए जाते हैं ?
(c) घरेलू विद्युत् परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है।
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत् संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
(a) क्योंकि टंगस्टन की उच्च प्रतिरोधकता (5.2 x 10-8 ओम-मीटर) है तथा टंगस्टन का गलनांक भी अन्य धातुओं की तुलना में बहुत ऊंचा (3400°C) होता है, इसलिए विद्युत् लैंपों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन ही उपयोग किया जाता है।

(b) मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता, शुद्ध धातुओं की तुलना से अधिक होती है तथा ताप वृद्धि के साथ इनकी प्रतिरोधकता से नगण्य परिवर्तन होता है। इसके अतिरिक्त मिश्रधातुओं का ऑक्सीकरण भी कम होता है जिसके फलस्वरूप मिश्रधातुओं में बने चालकों की आयु शुद्ध धात्विक चालकों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए ब्रेड-टोस्टर, विद्युत् इस्तरी आदि के चालक मिश्रधातुओं के बनाए जाते हैं।

(c) श्रेणीक्रम संयोजन में जैसे-जैसे नये प्रतिरोधक जुड़ते जाते हैं, परिपथ का कुल प्रतिरोध बढ़ता जाता है और अलग-अलग प्रतिरोधकों के सिरों के बीच उपलब्ध विभवांतर घटता जाता है। अतः परिपथ में धारा भी कम हो जाती है। यदि घरों में प्रकाश करने के लिए श्रेणीबद्ध व्यवस्था प्रयोग की जाए तो परिपथ में जितने अधिक लैंप जुड़े होंगे, उनका प्रकाश उतना ही कम हो जाएगा। इसके अतिरिक्त श्रेणीबद्ध व्यवस्था प्रयोग करने पर स्विच ऑन करने पर सभी लैम्प एक साथ प्रदीप्त होंगे तथा स्विच ऑफ करने पर सभी लैंप एक साथ बुझ जाएँगे, जबकि पार्श्वक्रम व्यवस्था करने पर इच्छानुसार स्वतंत्र रूप से किसी भी लैंप को प्रकाशित या अप्रकाशित किया जा सकता है।

(d) तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात् मोटी तार का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल अधिक होगा और उसका प्रतिरोध कम होगा। (R 1/A)

(e) विद्युत् के सर्वश्रेष्ठ चालकों में प्रथम स्थान पर चाँदी, दूसरे पर ताँबा तथा तीसरे स्थान पर एल्यूमिनियम है। चाँदी एक कीमती धातु है तथा अपेक्षाकृत कम मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए विद्युत् संचारण व्यवस्था में चाँदी के स्थान पर सस्ती तथा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध धातुएं ताँबा तथा एल्यूमिनियम प्रयोग की जाती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
(क) विद्युत् धारा के ऊष्मन प्रभाव संबंधी नियम लिखें
(ख) विद्युतीय शक्ति की परिभाषा दें। इसकी इकाई की भी परिभाषा दें।
(ग) विद्युतीय ऊर्जा क्या है ? इसकी इकाइयों की परिभाषा लिखें।
उत्तर –
(क) ऊष्मन प्रभाव के नियम-जब भी किसी चालक में से विद्युत् धारा गुज़ारी जाती है, तो यह गर्म हो जाता है। इसे जूल का ऊष्मन नियम (Joule’s Heating Effect) कहा जाता है। इस नियम के अनुसार जब चालक में से धारा प्रवाहित की जाती है तो उत्पन्न ताप

  • धारा के वर्ग के समानुपाती होता है। H ∝ I2 (जब प्रतिरोध, R, समय न हो)
  • चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है H ∝ R (जब धारा I, समय न हो)
  • समय के समानुपाती होता है जितने समय के लिए धारा प्रवाहित की जाती है।

H∝ t (जब प्रतिरोध R तथा धारा I हो)
संयुक्त करने पर H ∝ I2Rt (समानुपाती नियतांक) का मान मात्रक की प्रणाली पर निर्भर करता है। S.I. प्रणाली में इसका मान ‘1’ है। अतः
H = I2Rt (जूल में)

(ख) विद्युत् शक्ति- विद्युतीय कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लें कि चालक के सिरों के मध्य V विभवांतर वाले चालक में धारा I गुज़ारी जाती है। समय t के लिए धारा I प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है-

विद्युत् शक्ति की इकाई P = VI
यदि V वोल्ट तथा I एम्पियर में मापी जाए, तो शक्ति वाट में होगी।
वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति होगी यदि एक एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही हो। जब किसी चालक जिसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट

(ग) विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किए गए कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है। मान लें किसी चालक में से I एम्पियर की धारा समय 1 के लिए प्रवाहित होती है, जबकि इसके सिरों के बीच विभवांतर V होता है। तब प्रयुक्त ऊर्जा या किया गया कार्य इस प्रकार होता है-
W = VIt
विद्युत् ऊर्जा की मानक इकाई जूल या वाट-सेकंड है किंतु यह एक लघु (छोटी) इकाई है। विद्युत् ऊर्जा की वृहत् (बड़ी) इकाई वाट-घंटा है। वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x 1 एम्पियर x 1 घंटा
1 किलोवाट घंटा = 1000 वाट घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की बड़ी इकाई किलोवाट-घंटा है।

प्रश्न 2.
प्रयोग द्वारा मालूम करें कि किसी चालक के लिए प्रतिरोध का मान किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर–
किसी धातु चालक का प्रतिरोध जिन कारकों पर निर्भर करता है उसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दर्शाया जा सकता है –
प्रयोग-एक बैटरी, एमीटर, प्रतिरोधक तार और स्विच की सहायता से विद्युत् परिपथ बनाओ। स्विच को दबा कर इसके परिपथ में से विद्युत् धारा प्रवाहित करें। एमीटर से विद्युत् धारा का मान नोट करें। अब इस तार के स्थान पर समान लंबाई और मोटाई की किसी अन्य धातु की तार द्वारा जोड़े तथा एमीटर द्वारा धारा का मान नोट करें। आप देखते हैं कि विद्युत् धारा का मान बदल जाता है। इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके स्वभाव पर निर्भर करता है। अर्थात् एक ही ताप पर समान लंबाई तथा मोटाई वाले भिन्न-भिन्न धातुओं के चालकों का प्रतिरोध भिन्न-भिन्न होता है।

अब पहले तार के व्यास के बराबर तथा उसी धातु से बनी एक तार लो जिसकी लंबाई पहले तार से दुगनी हो। इस तार को परिपथ में जोड़ें और इसमें से विद्युत् धारा प्रवाहित करो। आप देखेंगे कि यह माप पहले से अमर हो गया है या प्रतिरोध दुगुना हो गया है। इससे सिद्ध होता है कि प्रतिरोध लंबाई के समानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R और तार की लंबाई l हो तो
R α l ……………………..(1)
अब एक ही धातु की बनी दो तारें लीजिए जिनकी लंबाई एक समान हो परंतु अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (Areas of cross-section) अलग-अलग हों। पहले कम अनुप्रस्थ वाले तार को परिपथ में जोड़ो तथा बाद में अधिक अनुप्रस्थ काट वाले तार को परिपथ में जोड़ें। आप देखते हो कि तार में विद्युत् धारा का मान पहले की अपेक्षा अधिक प्रवाहित हो रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि दूसरे तार का प्रतिरोध पहले की अपेक्षा कम है। इससे सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R तथा तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है, तो
R α 1/A ……………………………… (2)
(1) और (2) को जोड़ने पर,
R α l/A
अथवा
R= ρ l/A
जहां पर ρ स्थिरांक है और इसे चालक का प्रतिरोधकता कहते हैं। इसका मान चालक के पदार्थ के स्वभाव पर निर्भर करता है।

प्रश्न 3.
ओम का नियम क्या है? आप प्रयोगशाला में इसकी पुष्टि कैसे करोगे?
अथवा
ओम का नियम लिखो। चित्र बनाकर समझाइए कि इसकी प्रयोगशाला में व्याख्या कैसे की जाती है ?
अथवा
ओम का नियम लिखो। इसे प्रयोगशाला में प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध करने के लिए एक परिपथ चित्र बनाओ।
उत्तर-
ओम का नियम (Ohm’s Law)-ओम के नियम के अनुसार किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा I का अनुपात सदा स्थिर रहता है, यदि चालक की भौतिक परिस्थितियां (ताप और दबाव आदि) न बदलें।
या
V/I = R (स्थिरांक)
इस स्थिरांक को चालक का प्रतिरोध कहा (R) जाता है।
ओम के नियम की पुष्टि-दिए गए चालक PQ को बैटरी (B), एक धारा नियंत्रक (Rh), एक एममीटर (A) और एक कुंजी (K) को दिए गए परिपथ में जोड़ो। चालक PQ के सिरों के बीच में वोल्टमीटर V लगाओ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।

अब कुंजी में प्लग लगाकर चालक PQ में प्रवाहित हो रही धारा I का मान एममीटर के पाठ्यांक और चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V का मान वोल्टमीटर पाठ्यांक से नोट करो।

प्रश्न 4.
श्रेणीक्रम में जोड़े गये प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होता है, इसके लिए एक संबंध व्युत्पन्न करो।
अथवा
श्रेणीक्रम में जोड़े गए प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा ? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
उत्तर-
जब प्रतिरोधकों को श्रेणीबद्ध किया जाता है तो संयोजन का प्रतिरोध पृथक्-पृथक् प्रतिरोधों के जोड़े के बराबर होता है।
श्रेणीबद्ध किये गये प्रतिरोधों को तथा उनका तुल्य प्रतिरोध के मध्य संबंध का व्युत्पन्न-
श्रेणीबद्ध (शृंखला) जुड़े तीन प्रतिरोधों r1,r2 और r3, पर विचार करो जैसे कि चित्र में दर्शाया गया है। मान लो प्रत्येक में से धारा I प्रवाहित होती है। प्रतिरोध के पार विभवांतर इसके प्रतिरोध के समानुपाती है।
मान लो, V1 = r1, के सिरों के मध्य विभवांतर
V2= r2, के सिरों के मध्य विभवांतर
V3 = r3, के सिरों के मध्य विभवांतर

∴ V = V1 + V2 + V3 ……………………..(i)

मान लो Rs पूर्ण श्रृंखला का तुल्य प्रतिरोध है।
ओम-नियम के अनुसार
V = IRs
इसी प्रकार
V1 = IRs
V2 = Ir2
V3 = Ir3

(i) में मान प्रतिस्थापित करके
IRs = Ir1 + Ir2 + Ir3
IRs = I(r1 + r2 +r3)
Rs = r1 + r2 +r3
अतः जब प्रतिरोध शृंखलाबद्ध जोड़े जाते हैं तो इनका कुल प्रतिरोध सभी प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है।

प्रश्न 5.
जब तीन प्रतिरोधकों को समानांतर क्रम में एक बैटरी से जोड़ा जाता है तो इनके तुल्य प्रतिरोध विद्युत् के लिए एक संबंध ज्ञात करो।
अथवा
समानांतर क्रम में जोड़े गए कुछ प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
अथवा
विद्युत् सर्किट में जब दो या अधिक प्रतिरोधों (R1,R2, R3, ………) को समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है तो परिणामी प्रतिरोध (R) प्राप्त करने के लिए पुटैंशल अंतर (V) तथा विद्युत् धारा (I) के लिए संबंध/सूत्र स्थापित करो। अंकित चित्र भी बनाओ।
उत्तर-
समानांतर क्रम में प्रतिरोधक-मान लो कि तीन प्रतिरोधक R1, R2, और R3, बिंदु A और B के मध्य समांतर क्रम में जोड़े गए हैं। अब यदि बिंदु A और B के मध्य विभवांतर लगाने पर मुख्य परिपथ में विद्युत् धारा I प्रवाहित हो रही हो तो बिंदु A पर यह विद्युत् धारा तीन भागों में बँट जाती है। मान लो प्रतिरोध R1, R2, R3, में से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा क्रमशः I1, I2, I3, है तो
I = I1 + I2, + I3
यदि दोनों सिरों के मध्य विभवांतर V है तो ओम के नियमानुसार

प्रश्न 6.
विद्युत्-ऊर्जा और विद्युत्-शक्ति की परिभाषा दो और इनके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् शक्ति की परिभाषा लिखें। इसके मात्रक वाट की भी परिभाषा दें।
अथवा
विद्युत् ऊर्जा क्या है ? इनकी इकाई किलोवाट घंटा की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
विद्युत् शक्ति-विद्युत् द्वारा कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लो अपने सिरों के पार V विभवांतर वाले चालक में से I धारा गुज़ारी जाती है। 1 समय के लिए I धारा प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा-
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है

वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति उस समय होती है, जब एक एम्पियर धारा किसी चालक में से प्रवाहित हो और इसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर स्थापित हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट
विद्युत् ऊर्जा- किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किये गये कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विद्युत् का हमारे दैनिक जीवन में क्या योगदान है?
उत्तर-
विद्युत् का हमारे जीवन में योगदान-विद्युत् का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। इससे जीवन में कई सुविधाएं मिलती हैं जैसे-रात को अंधेरा दूर करने के लिए इसका उपयोग विद्युत् बल्ब तथा ट्यूबलाइट में किया जाता है, गर्मियों में डेजर्ट कूलर, ऐयर कंडीशनर आदि से विद्युत् का उपयोग करके घरों को ठंडा और सर्दियों में हीटर आदि से गर्म किया जाता है। इसके अतिरिक्त विद्युत् का उपयोग करके टेलीविज़न, रेडियो, चलचित्र और संगीत आदि से मनोरंजन होता है। कृषि, परिवहन और उद्योग में मशीनों आदि को चलाने के लिए भी विद्युत् का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
स्थिर वैद्युत् से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
स्थिर वैद्युत् (Static Electricity)- जब दो वस्तुओं को परस्पर एक-दूसरे के साथ रगड़ा जाता है तो उन दोनों में छोटी-छोटी ओर हल्की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है। रगड़ द्वारा उत्पन्न हुई वैद्युत् को घर्षण वैद्युत् या स्थिर वैद्युत् कहते हैं। स्थिर आवेशों के अध्ययन को इलैक्ट्रोस्टैटिक्स कहते हैं। उदाहरण-जब किसी प्लास्टिक के पैन को शुष्क बालों के साथ रगड़ा जाता है तो यह कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। ऐसा रगड़ द्वारा विद्युत् पैदा होने के कारण होता है।

प्रश्न 3.
धन तथा ऋण आवेश क्या होते हैं? यह कैसे पैदा होते हैं?
उत्तर –
धन आवेश (Positive Charge)-रेशम के कपड़े के साथ रगड़ने पर कांच की छड़ पर पैदा हुए आवेश को धन आवेश कहा जाता है। ऋण आवेश (Negative Charge)-बिल्ली की खाल से रगड़ने पर आबनूस की छड़ पर पैदा हुए आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
चालकों और रोधकों के बीच अंतर स्पष्ट करो।
अथवा
चालक और रोधक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
चालक और रोधक में अंतर-
चालक-चालकों में बहुत सारे स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन होते हैं जो विद्युत् धारा के प्रभाव अधीन गति करते हैं। जब चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो ये इलैक्ट्रॉन इसके धन टर्मिनल की ओर आकर्षित होते हैं और ऋण टर्मिनल से प्रतिकर्षित होते हैं। इसलिए चालक में इन इलैक्ट्रॉनों की गति के कारण आवेश का स्थानांतरण होता है। अत: चालक वे पदार्थ हैं जिनमें आसानी से विद्युत्-धारा प्रवाहित होती है। उदाहरण-ताँबा, चाँदी, एल्यूमीनियम आदि।

रोधक-ऐसे पदार्थ जिनमें स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन बहुत कम होते हैं। इन पदार्थों में इलैक्ट्रॉन आसानी से गति नहीं कर सकते हैं अर्थात् जिनमें से विद्युत् धारा का प्रवाह नहीं होता रोधक कहलाते हैं। उदाहरण- रबड़, काँच, प्लास्टिक आदि।

प्रश्न 5.
विद्युत् विभव का क्या अर्थ है ? धन विभव तथा ऋण विभव का अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
विद्युत् विभव-यह चालक की एक विशेष विदयुतीय अवस्था है जो हमें यह बताती है कि किसी दूसरे चालक के संपर्क में आने पर विद्युत् आवेश का प्रवाह किस दिशा में होगा। किसी चालक का विभव पृथ्वी के सापेक्ष मापा जाता है। धन विभव-यदि धन आवेश वस्तु से पृथ्वी की ओर बहे या इलैक्ट्रॉन पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित हो तो उस वस्तु के विभव को धन विभव कहते हैं।

प्रश्न 6.
किसी सेल के विद्युत् वाहक बल का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
सेल का विद्युत् वाहक बल-एकांक आवेश को पूरे परिपथ में प्रवाहित कराने में परिपथ में जुड़े सेल के द्वारा व्यय की जाने वाली ऊर्जा को सेल का विद्युत् वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित किया जाता है। विद्युत् वाहक बल का S.I. मात्रक वोल्ट है।

प्रश्न 7.
स्थिर वैद्युत् से कूलॉम का नियम वर्णित करो और इसकी व्याख्या करो।
अथवा
स्थिर विद्युत् की में कूलॉम का नियम परिभाषित करो और इसकी व्याख्या करो।

प्रश्न 8.
पुटैंशल अंतर (विभवांतर ) किसे कहते हैं ?
अथवा
विभांतर से क्या भाव है ? इसकी इकाई क्या है?
अथवा
विभावंतर क्या है ? इसका मात्रक बताओ।
उत्तर-
पुटैंशल अंतर (विभवांतर)- एक विद्युत् क्षेत्र में दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर उस क्षेत्र के कारण स्थिर विद्युत् बल के विपरीत एक इकाई धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य की मात्रा है। विभवांतर की इकाई वोल्ट है।

प्रश्न 9.
वोल्ट की परिभाषा लिखो। यह किस भौतिक राशि की इकाई है?
उत्तर-
वोल्ट-विद्युत् क्षेत्र के दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर एक वोल्ट होता है जब एक कूलॉम धन आवेश एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में एक जूल कार्य किया गया हो।

वोल्ट भौतिक राशि पुटैंशल अंतर (विभवांतर) इकाई है।

प्रश्न 10.
हम कैसे कह सकते हैं कि विद्युत् धारा आवेश के प्रवाह के कारण होती है ?
उत्तर-
यदि हम एक आवेशित विद्युत्दर्शी को तारों द्वारा अनावेशित विद्युत्दर्शी के साथ जोड़ें तो आवेश आवेशित विद्युत्दर्शी से अनावेशित विद्युत्दर्शी की ओर प्रवाहित करना आरंभ कर देगा। इससे अनावेशित विद्युत्दर्शी के पत्र फैलकर एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे अर्थात् खुल जाएंगे। धारा का यह प्रवाह उतनी देर तक चलता रहेगा जब तक कि इन दोनों विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान नहीं हो जाते। समानता आने पर विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान खुलेंगे। आवेश के इस प्रवाह को ही विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रश्न 11.
विद्युत् धारा से क्या अभिप्राय है?
अथवा
विद्युत् धारा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् धारा (Electric Current)-जब दो बिंदु जो कि भिन्न-भिन्न विभव (पुटैंशल) पर हों, एक तांबे की तार द्वारा जोड़ दिया जाए तो आवेश उच्च विभव (पुटैंशल) से निम्न विभव (पुटैंशल) वाले बिंदु की ओर बहना शुरू कर देता है। यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि दोनों बिंदुओं का विभव (पुटैंशल) बराबर नहीं हो जाता। यदि दोनों बिंदुओं में विभवांतर (पुटैंशल अंतर) कायम रहे तो आवेश का बहना जारी रहता है। इस तरह आवेश के निरंतर प्रवाह को विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रश्न 12.
विद्युत् धारा किस प्रकार ऊष्मा उत्पन्न करती है?
उत्तर-
किसी धात्विक चालक में बहुत बड़ी संख्या में मुक्त इलैक्ट्रॉन यादृच्छिक गति करते हैं। जब चालक को विद्युत् स्रोत से जोड़ा जाता है, तो मुक्त इलैक्ट्रॉन उच्च विभव से निम्न विभव की ओर प्रवाहित होते हैं, जिससे इलैक्ट्रॉन चालक के परमाणुओं से टकराते हैं। इस टक्कर के कारण मुक्त इलैक्ट्रॉनों की गति ऊर्जा चालक के परमाणुओं में स्थानांतरित हो जाती है। परमाणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है और इस कारण चालक के ताप में वृद्धि हो जाती है और ऊष्मा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 13.
किसी चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा से उत्पन्न उष्मा का संबंध (सूत्र ) स्थापित करो।
उत्तर-
विद्युत् के ऊष्मीय प्रभाव का सूत्र-जब किसी चालक में से विद्युत् धारा गुजारी जाती है तो वह गर्म हो जाता है। सबसे पहले जूल नामक वैज्ञानिक ने हमें यह बताया था। इसलिए इसे जूल के ऊष्मीय प्रभाव का नियम कहते हैं।
क्योंकि चालक धारा के प्रवाह का प्रतिरोध करते हैं, इसलिए चालक में से लगातार विद्युत् धारा प्रवाहित करने के लिए कार्य करना पड़ता है। किसी R प्रतिरोध के चालक में 1 समय तक I विद्युत् धारा, V विभवांतर पर प्रवाहित हो रही है और 1 समय में I धारा Q आवेश के कारण हो तो
I = Q/t
या Q = It
और Q आवेश पर V विभवांतर पर किया गया कार्य
W = QV
= (It) V (∴ Q = It)
= (It) v (∴ V= IR)
= I2Rt
यदि यह उत्सर्जित ऊष्मा H द्वारा प्रकट की जाए तो H (जूल में) = I2 Rt

प्रश्न 14.
चालक के प्रतिरोध की परिभाषा दो। इसकी मात्रक बताओ।
अथवा
किसी चालक के प्रतिरोध से क्या भाव है ? इसके मात्रक की परिभाषा दें।
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध-किसी चालक के सिरों के बीच के विभवांतर और इसमें से प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा के अनुपात को चालक का प्रतिरोध कहा जाता है। इसे R से प्रदर्शित किया जाता है। यदि चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V हो और इसमें से गुज़र रही धारा की मात्रा l हो तो

प्रतिरोध का मात्रक-S.I. पद्धति में प्रतिरोध का मात्रक ओम है।
ओम-किसी चालक का प्रतिरोध एक ओम होगा यदि उसके सिरों के बीच का विभवांतर एक वोल्ट हो और इसमें से गुजर रही विद्युत् धारा की मात्रा एक एम्पियर हो। अर्थात् यह एक धातु के घन का प्रतिरोध है जिसकी प्रत्येक भुजा 1 मीटर है और धारा इसके आमने-सामने सम्मुख फलकों के लंबवत् प्रवाहित हो रही है।

प्रश्न 15.
प्रतिरोधकता से क्या तात्पर्य है? इसका SI मात्रक लिख कर महत्त्व प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-
प्रतिरोधकता-किसी चालक तार की इकाई लंबाई और इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का प्रतिरोध उसकी प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका SI मात्रक Ω-m है।
महत्त्व-

  1. यह तापमान के साथ परिवर्तित होती है।
  2. जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता अधिक होती है, वे विद्युत् के न्यून/कम चालक होते हैं। उदाहरण-प्लास्टिक, रबड़, आदि।
  3. जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता कम होती है, वे विद्युत् के अच्छे चालक होते हैं। उदाहरण-धातु, मिश्रधातु, आदि।
  4. किसी मिश्रधातु की प्रतिरोधकता इसकी घटक घातुओं से अधिक होती है।

प्रश्न 16.
तापन युक्तियों में धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग किस कारण किया जाता है ?
उत्तर-
उच्च प्रतिरोधकता के गुणों से संपन्न धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग तापन युक्ति में किया जाता है क्योंकि

  1. ये अधिक तापमान पर ऑक्सीकृत नहीं होते।
  2. ये अधिक प्रतिरोध प्रदान करते हैं।
  3. ये उच्च तापमान पर भी जल्दी जलते नहीं हैं।

प्रश्न 17.
विद्युत् परिपथ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ- यह एक बंद पथ होता है जिसमें इलैक्ट्रॉन (आवेश) बहुत तीव्रता से प्रवाहित होते हैं। जब किसी चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो इलैक्ट्रॉन बैटरी के ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं। परंतु धारा (I) की पारंपरिक दिशा इलैक्ट्रॉनों के वहन की दिशा से विपरीत ली जाती है।

प्रश्न 18.
विद्युत् धारा क्या है ? इसके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् करंट क्या है ? इसकी SI प्रणाली में इकाई की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा (Current)-यदि दो आवेशित वस्तुओं को परस्पर एक चालक से जोड़ा जाए तो इलैक्ट्रॉन (आवेश) एक वस्तु से दूसरी वस्तु की ओर प्रवाहित होते हैं। इलैक्ट्रॉनों के प्रवाह की दर को, विदवत धारा (I) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इकाई समय में प्रवाहित हो रहे आवेश को विद्युत् धारा कहा जाता है।

प्रश्न 19.
धारा मापने के लिए किस यंत्र का उपयोग किया जाता है ? परिपथ में इसे कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
परिपथ में प्रवाहित धारा मापने के लिए एममीटर का उपयोग किया जाता है। यह परिपथ में सदा इस विधि से जोड़ा जाता है कि संपूर्ण | धारा इसमें से प्रवाहित हो अर्थात् श्रृंखला क्रम में जोड़ा जाता है। एममीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है।

प्रश्न 20.
विद्युत् ऊर्जा की इकाई की परिभाषा लिखो।
अथवा
एक वाट-घंटा की परिभाषा दें।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा की इकाई जूल/वाट-सेकंड (वाट-घंटा) है।
वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है तथा जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x एम्पियर x 1 घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की वृहत् इकाई को किलोवाट-घंटा कहते हैं।
1 किलोवाट-घंटा = 1000 वाट-घंटा।

प्रश्न 21.
एक किलोवाट घंटे में कितने जूल होते हैं ?
अथवा
एक किलोवाट घंटा को परिभाषित करें।
उत्तर-
किलोवाट घंटा- यदि एक किलोवाट विद्युत् शक्ति को 1 घंटे तक प्रयोग किया जाये तो विद्युत्ऊर्जा एक किलोवाट घंटा (Kwh) होती है।
1 Kwh = 1 Kw x 1 घंटा
= 1000 वाट x 3600 सेकंड

1 किलोवाट घंटा (1 Kwh) = 36 x 105 जूल

प्रश्न 22.
क्या कारण है कि विद्युत् वाहक तारों में बहुत कम ताप उत्पन्न होता है, जबकि विद्युत् बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है?
उत्तर-
विद्युत् बल्ब के तंतु का प्रतिरोध, विद्युत् वाहक तारों के प्रतिरोध की तुलना में बहुत अधिक होता है; अतः समान विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है, परंतु विद्युत् वाहक तारों में नहीं।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए
(i) यदि आप अमीटर को समांतर-क्रम में जोड़ देते हैं तो अमीटर क्यों जल जाता है?
(ii) एक निश्चित ताप से नीचे कुछ पदार्थों की प्रतिरोधकता घटकर एकदम शून्य क्यों हो जाती है?
उत्तर-
(i) अमीटर के जलने का कारण-परिपथ की अन्य युक्तियों की तुलना में अमीटर का प्रतिरोध नगण्य होता है। जब अमीटर को परिपथ के समांतर-क्रम में जोड़ा जाता है तो परिपथ का कुल विभवांतर अमीटर के सिरों के बीच भी कार्य करता है, जिससे अमीटर में उच्च धारा प्रवाहित होती है और उसमें बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और अमीटर जल जाता है।
(ii) जब किसी चालक पदार्थ का ताप क्रांतिक ताप से कम हो जाता है तो पदार्थ अतिचालक में बदल जाता है, जिससे उसका प्रतिरोध घटकर एकदम शून्य हो जाता है।

प्रश्न 24.
विद्युत् उपकरणों के पार्यक्रम जोड़ने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
पार्यक्रम जोड़ने के लाभ

  • प्रतिरोधों को पार्यक्रम जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत् धारा स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है।
  • ऐसा करने से सभी समानांतर शाखाओं के सिरों के बीच का विभवांतर बराबर होता है। इसलिए लैंप, बिजली की रेफ्रीजरेटर, रेडियो तथा टेलीविज़न आदि को एक ही विभव पर प्रचलन के योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न 25.
प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ता है, यदि (i) तार की लंबाई बढ़ा दी जाए। (ii) काट का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए।
उत्तर-
(i) प्रतिरोध तार की लंबाई के सीधा समानुपाती होता है। इसलिए तार की लंबाई बढ़ाने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है।
(ii) मोटे तार का प्रतिरोध बारीक तार की अपेक्षा कम होता है। इसलिए यदि तार का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए अर्थात् तार मोटी ली जाए तो प्रतिरोध कम हो जाता है।

प्रश्न 26.
संयोजक तारें ताँबे की क्यों बनाई जाती हैं? वे तारें मोटी क्यों होती हैं?
उत्तर-
तांबा विद्युत् का चाँदी के बाद अधिकतम सुचालक है। इसका प्रतिरोध कम होने के कारण इसमें से विद्युत् धारा सुगमता से प्रवाह कर सकती है। तारें मोटी रखी जाती हैं क्योंकि किसी तार का प्रतिरोध उसका मोटाई के विलोमानुपाती होता है। जो तार जितनी अधिक मोटी होगी उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा। इसके परिणामस्वरूप विद्युत् धारा अधिक क्षमता से प्रवाहित हो सकेगी।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)

प्रश्न 1.
दो छोटे आवेशित गोलों पर 2 x 10-7 कूलॉम और 3 x 10-7 कूलॉम के आवेश हैं और यह वायु में 30 cm. की दूरी पर रखे गये हैं। इनके मध्य बल पता करो।
हल : यहाँ पहले गोले पर आवेशq1 = 2 x 10-7 कूलॉम
दूसरे गोले पर आवेश q2 = 3 x 10-7 कूलॉम
गोलों के बीच की दूरी d = 30 सेमी०
30/100
= 0.30 m
माध्यम वायु के लिए K = 9 x 109

प्रश्न 2.
एक चालक की लंबाई 3.0 m, परिक्षेत्रफल 0-02 mm2 और प्रतिरोध 2 ओम है। इसकी प्रतिरोधकता ज्ञात करो।

प्रश्न 3.
30Ω, 50Ω और 80Ω के श्रेणीक्रम में जोड़े गए तीन प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध पता करो।
हल : यहाँ,
r1 = 30Ω
r2 = 50Ω
r3 = 80 Ω
अब क्योंकि तीनों प्रतिरोधों, r1, r2 तथा r3 को श्रेणीबद्ध किया गया है इसलिए उनका तुल्य प्रतिरोध (R) तीनों के जोड़ के बराबर है।
∴ R = r1+r2 +r3
= 30Ω + 50Ω + 80Ω
R = 160Ω उत्तर

प्रश्न 4.
40Ω, 60Ω और 90Ω के तीन प्रतिरोधों को समानांतर श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध कितना है?
हल : यहाँ,
r1 = 40Ω
r2 = 60Ω
r3 = 90Ω
मान लो तीनों का तुल्य प्रतिरोध R है। क्योंकि तीनों प्रतिरोध समानांतर में संयोजित किये गए हैं,

प्रश्न 5.
6Ω, 8Ω, और 10Ω के तीन प्रतिरोध श्रृंखलाबद्ध क्रम में जोड़े गए हैं। परिपथ का कुल प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल-
दिया है, R1 = 6Ω , R2 = 8Ω , R3 = 10Ω मान लो परिपथ का कुल प्रतिरोध R है, तो शृंखलाबद्ध क्रम संयोजन का कुल प्रतिरोध, R=R1+ R2 + R3
= 6Ω + 8Ω + 10Ω
= 24Ω उत्तर

प्रश्न 6.
5Ω, 8Ω और 12Ω के तीन प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़े गए हों तो विद्युत परिपथ का परिणामी प्रतिरोध पता करो।
हल-
दिया है, R1 = 5Ω ,R2 = 8Ω , R3= 12Ω मान लो परिपथ का परिणामी प्रतिरोध R है, तो शृंखलाक्रम संयोजित परिपथ का परिणामी प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3
= 5Ω + 8Ω + 12Ω
= 25Ω उत्तर

प्रश्न 7.
4Ω, 8Ω, 12Ω और 24Ω के प्रतिरोधों को किस क्रम में जोड़ा जाए कि अधिक से अधिक प्रतिरोध प्राप्त हो ? परिपथ का परिणामी प्रतिरोध भी ज्ञात करो।
उत्तर-
दिया है, R1 = 4Ω R2= 8Ω , R3 = 12Ω , R4 = 24Ω मान लो परिणामी प्रतिरोध R है।

यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीबद्ध क्रम में संयोजित किया जाए तो अधिकतम परिणामी प्रतिरोध प्राप्त होगा। .:. परिणामी प्रतिरोध,
R = R1 + R2 + R3 + R4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 48Ω उत्तर

प्रश्न 8.
बिजली के पाँच बल्बों को, जिनमें से प्रत्येक का प्रतिरोध 400 ओम है, 220 V की आपूर्ति से जोड़ा जाता है।
(क) प्रत्येक लैंप की वोल्टेज
(ख) यदि बल्बों को प्रतिदिन 5 घंटे के लिए 30 दिनों तक जलाया जाये तो बिजली का बिल ज्ञात करो, यदि ऊर्जा की दर 3₹ प्रति यूनिट हो।
हल:
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध 1 = 440 ओम
5 बल्ब समानांतर संयोजित किए गये हैं और उनका कुल प्रतिरोध (R) है।

प्रश्न 9.
दो तारों को समानांतर जोड़ने पर इनका प्रतिरोध 12 Ω और श्रेणी में जोड़ने पर प्रतिरोध 50Ω है। प्रत्येक प्रतिरोध का मूल्य पता करो।
हल : मान लो कि ये दो प्रतिरोध R1 और R2 हैं। जब इन्हें श्रेणीबद्ध किया जाता है तो कुल प्रतिरोध Rs = R1+ R2 = 50Ω ……………………………. (i)
समानांतर में श्रेणीबद्ध करने पर इनका समूचा प्रतिरोध RP = 12 Ω है।

प्रश्न 10.
एक परिपथ A आकार का है जिसमें 1 ओम प्रति सैंटीमीटर के पाँच प्रतिरोध लगे हुए हैं। इसकी दो भुजाएं 20 सेमी० हैं और बीच में लंबाई 10 सेंमी० है जबकि शीर्ष कोण 60° है इसके प्रतिरोध को ज्ञात कीजिए।

हल : प्रश्न में दिया गया रेखांकन वास्तव में ऐसा है

प्रश्न 11.
एक बल्ब 200 V तथा 100 W का है। इसका प्रतिरोध क्या होगा? यह बल्ब 4 घंटे जलता है। इसने कितनी विद्युत् ऊर्जा का प्रयोग किया? इसका ₹ 2.50 प्रति यूनिट की दर से खर्च बताओ।

प्रश्न 12.
200 V के स्रोत को चार 40 w, 220 V के बल्बों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर प्रत्येक से प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए। यदि एक बल्ब फ्यूज हो जाए तो 220 V स्रोत से प्रवाहित हो रही धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हल :

प्रश्न 13.
12 v विभवांतर के दो बिंदुओं के बीच 2 C आवेश को ले जाने में कितना कार्य किया जाता है?
हल : विभवांतर V(= 12 वोल्ट) के दो बिंदुओं के बीच प्रवाहित आवेश का परिणाम Q (= 2 कूलॉम) है। इसलिए आवेश को स्थानांतरित करने में किया गया कार्य है
W = V x Q
= 12 V x 2c
= 24 J. उत्तर

प्रश्न 14.
एक विद्युत् लैंप, जिसका प्रतिरोध 20Ω है तथा एक 4Ω प्रतिरोध का चालक एक 6 V की बैटरी से चित्र के अनुसार जुड़े हैं। परिकलित कीजिए-(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध, (b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल : दिया है : लैंप का प्रतिरोध R1 = 20Ω
तथा चालक का प्रतिरोध R1 = 4Ω
बैटरी का विभवांतर V = 6 V
(a) ∵ दोनों प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं,
∴ परिपथ का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2
= 20 Ω + 4Ω
= 24Ω

प्रश्न 15.
एक 4Ω के प्रतिरोधक में 100 J ऊष्मा प्रति सेकंड की दर से उत्पन्न हो रही है। प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर ज्ञात कीजिए।

प्रश्न 16.
संलग्न चित्र में R1 = 10 Ω, R2 = 40 Ω, R3 = 30Ω, R4 = 20 Ω तथा R5 = 60 Ω हैं तथा 12 v की एक बैटरी इस संयोजन से जुड़ी है। परिकलित कीजिए-
(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध तथा
(b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल:
(a) माना कि प्रतिरोधकों R1 व R2 के समानांतर संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R है, तब

अब R3, R4 तथा R5 समानांतर क्रम में हैं यदि R’ इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध है तो


स्पष्ट है R’ तथा R” दोनों श्रेणी क्रम में संयोजित हैं जिसका कुल प्रतिरोध R है तो
R = R’ + R”
= 8Ω + 10Ω
= 18Ω

प्रश्न 17.
जब एक विद्युत् हीटर किसी स्रोत से 4A की धारा लेता है तो इसके सिरों के बीच 60 V का
हल : प्रथम दशा में,
दिया है : विद्युत् हीटर द्वारा ली गई धारा I1 = 4 A

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी बिंदु पर विद्युत् विभव क्या होता है?
उत्तर-
इकाई आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विद्युत् विभव कहते हैं।
W = QV
∴         

विभव को वोल्ट में मापते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर-
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन विद्युत् धारा की दिशा बदल कर किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
कौन-से आवेश परस्पर आकर्षण करते हैं तथा कौन-से प्रतिकर्षण?
उत्तर-
समान आवेश परस्पर प्रतिकर्षण करते हैं तथा विजातीय (असमान) आवेश परस्पर आकर्षित करते हैं।

प्रश्न 4.
किसी चालक का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है

  • लंबाई के समानुपाती।
  • क्षेत्रफल के विलोमानुपाती।

प्रश्न 5.
किसका प्रतिरोध कम है : 100 W के बल्ब का या 60 W बल्ब का?

प्रश्न 6.
यदि तार की लंबाई दुगुनी तथा क्षेत्रफल आधा कर दिया जाए तो प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

प्रश्न 7.
विद्युत् विभव की इकाई क्या है ?
उत्तर-
वोल्ट।

प्रश्न 8.
प्रतिरोध का मात्रक क्या है?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 9.
विद्युत् शक्ति की इकाई क्या है?
उत्तर-
वाट।

प्रश्न 10.
आपको 40 W और 100 W के दो बल्ब A और B दिए गए हैं। किस बल्ब के तंतु का प्रतिरोध अधिक होगा?
उत्तर-
100 W बल्ब का।

प्रश्न 11.
एक किलोवाट घंटा में कितने जूल होते हैं?
उत्तर-
1 किलोवाट घंटा (kwh) = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 12.
हमारे घरों में विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता कितनी है?
उत्तर-
220 V – 230 VI

प्रश्न 13.
ओम का नियम लिखिए तथा इसे गणितीय रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर-
ओम का नियम-किसी चालक से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा (I) उसके सिरों के विभवांतर (V) के समानुपाती होती है।
गणितीय रूप में, V ∝ I अथवा V/I = R (चालक के लिए नियतांक)

प्रश्न 14. चाँदी की प्रतिरोधकता 1.6 x 10-82m है। इस कथन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
इस कथन का यह अर्थ है कि चाँदी 1m लंबे तथा 1m2 अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध 1.6 x 10-8Ω होगा।

प्रश्न 15.
अमीटर को किसी परिपथ में कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
जिस विद्युत् परिपथ के अवयव से प्रवाहित होने वाली धारा का मापन होता है, अमीटर को उस अवयव के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

प्रश्न 16.
किसी का प्रतिरोध अधिक होगा-50 W के लैंप का अथवा 25 W के लैंप का और कितने गुना होगा?

प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में कुंजी या स्विच (Plug) के चिह्न बताओ जब परिपथ (i) खुला हो (ii) बंद हो।
उत्तर-

  • खुले परिपथ में कुंजी या स्विच-()
  • बंद परिपथ में कुंजी या स्विच -( . )

प्रश्न 18.
दो विद्युत् सुचालकों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. कॉपर
  2. एल्यूमिनियम।

प्रश्न 19.
विद्युत् ऊर्जा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा किए गए कार्य को विद्युत् ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 20.
विद्युत् सर्कट में वोल्ट मीटर को कैसे जोड़ा जाता है?
उत्तर-
समानांतर क्रम में।

प्रश्न 21.
धारा की इकाई बतायें।
उत्तर-
एम्पीयर।

प्रश्न 22.
विद्युत् शक्ति का बड़ा मात्रक क्या है?
उत्तर–
किलोवाट (Kw)।

प्रश्न 23.
धातुओं में विद्युत् धारा का प्रवाह किस परमाणु कण के कारण होता है ?
उत्तर-
इलैक्ट्रॉन।

प्रश्न 24.
एक इलैक्ट्रॉन पर कितने कूलॉम का आवेश होता है?
उत्तर-
1.6 x 10-19 C

प्रश्न 25.
एक कूलॉम आवेश कितने इलैक्ट्रानों के आवेश के तुल्य है?
उत्तर-
6.25 x 10-18 इलैक्ट्रॉनों के आवेश के तुल्य।

प्रश्न 26.
विद्युत् के सर्वश्रेष्ठ चालक का नाम बताइए।
उत्तर-
चाँदी।

प्रश्न 27.
ताँबे तथा लोहे में कौन-सी धातु विद्युत् की अच्छी चालक है?
उत्तर-
ताँबा।

प्रश्न 28.
विद्युत् बल्ब के तंतु किस धातु के बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
टंगस्टन धातु के।

प्रश्न 29.
विद्युत् इस्तरी तथा टोस्टर के तंतु किस पदार्थ के बने होते हैं?
उत्तर-
नाइक्रोम मिश्रधातु के।

प्रश्न 30.
विद्युत् धारा का S.I. मात्रक बताइए।
उत्तर-
ऐम्पियर।

प्रश्न 31.
विद्युत् प्रतिरोध S.I. मात्रक क्या है ?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 32.
किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
ओम-मीटर (Ω-m)

प्रश्न 33.
विद्युत् आवेश के S.I. मात्रक का नाम लिखिए।
उत्तर-
कूलॉम।

प्रश्न 34.
प्रतिरोध के श्रेणी संयोजन तथा समांतर संयोजन में किसका प्रतिरोध अधिकतम होता है तथा किसका न्यूनतम?
उत्तर-
श्रेणी संयोजन का अधिकतम तथा समांतर संयोजन का न्यूनतम प्रतिरोध होता है।

प्रश्न 35.
विद्युत् ऊर्जा की व्यापारिक इकाई क्या है?
उत्तर-
किलो वाट घंटा (kWh)।

प्रश्न 36.
1 kWh कितने जूल के बराबर होता है ?
उत्तर-
lkWh = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 37.
घरों में विद्युत् उपकरण किस व्यवस्था में जुड़े होते हैं?
उत्तर-
समांतर संयोजन व्यवस्था में।

प्रश्न 38.
दिष्ट धारा के एक स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् सेल अथवा बैटरी।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
V∝ I का नियम प्रतिपादित किया है
(a) फैराडे ने
(b) वाट ने
(c) ओम ने।
(d) कूलॉम ने।
उत्तर-
(c) ओम ने।

प्रश्न 2.
विभव का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट।
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(b) वोल्ट।

प्रश्न 3.
विद्युत शक्ति का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(d) वाट।

प्रश्न 4.
फ्यूज को युक्ति के साथ कौन-से क्रम में जोड़ा जाता है ?
(a) समांतर
(b) श्रेणी
(c) समांतर तथा श्रेणी दोनों में जोड़ा जा सकता है
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) श्रेणी।

प्रश्न 5.
विद्युत् आवेश का SI मात्रक है
(a) वाट
(b) किलोवाट
(c) कूलॉम
(d) ऐम्पीयर।
उत्तर-
(c) कूलॉम।

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