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PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 1 भारतीय संविधान की मूल विशेषताएं

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 1 भारतीय संविधान की मूल विशेषताएं

PSEB 10th Class SST Solutions Civics Chapter 1 भारतीय संविधान की मूल विशेषताएं

PSEB 10th Class Social Science Guide भारतीय संविधान की मूल विशेषताएं Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को किस प्रकार रोकता है?
उत्तर-
भारतीय संविधान सरकार के विभिन्न अंगों की शक्तियों का स्पष्ट उल्लेख करके सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को रोकता है।

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान कब पारित हुआ?
उत्तर-
भारतीय संविधान 26 नवम्बर, 1949 को पारित हुआ।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
उत्तर-
यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।

प्रश्न 4.
एक तर्क देकर स्पष्ट कीजिए कि भारत एक लोकतंत्रात्मक राज्य है।
उत्तर-
देश का शासन लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि चलाते हैं।

प्रश्न 5.
भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य कैसे है? एक उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
भारत का कोई राज्य-धर्म नहीं है।

प्रश्न 6.
समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष तथा राष्ट्र की एकता शब्द संविधान के कौन-से संशोधन द्वारा जोड़े गए?
उत्तर-
ये शब्द 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गए।

प्रश्न 7.
समाजवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
ऐसी व्यवस्था जिसमें अमीर-गरीब का भेदभाव न हो और साधनों पर पूरे समाज का अधिकार हो।

प्रश्न 8.
संविधान के अनुसार भारत को कैसा राज्य बनाने की संकल्पना की गई है?
उत्तर-
संविधान के अनुसार भारत को प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने की संकल्पना की गई है।

प्रश्न 9.
देश का वास्तविक प्रधान कौन होता है?
उत्तर-
प्रधानमन्त्री देश का वास्तविक प्रधान होता है।

प्रश्न 10.
केन्द्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों में से कौन अधिक शक्तिशाली है?
उत्तर-
केन्द्रीय सरकार।

प्रश्न 11.
भारतीय संविधान की एक विशेषता बताओ।
उत्तर-
लिखित तथा विस्तृत ।

प्रश्न 12.
भारतीय संविधान ने नागरिकों को जो अधिकार दिए हैं, उन्हें कानूनी भाषा में क्या कहते हैं?
उत्तर-
कानूनी भाषा में नागरिकों के अधिकारों को मौलिक अधिकार कहते हैं।

प्रश्न 13.
संविधान में कितने प्रकार के मौलिक अधिकारों का प्रावधान है?
उत्तर-
संविधान में छः प्रकार के मौलिक अधिकारों का प्रावधान है।

प्रश्न 14.
समानता के अधिकार में निहित किसी एक बात का उल्लेख करो।
उत्तर-
जाति, लिंग, जन्म स्थान, वर्ग आदि के आधार पर राज्य नागरिकों में कोई भेदभाव नहीं करेगा।

प्रश्न 15.
राज्य-नीति के निर्देशक सिद्धान्तों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
निर्देशक सिद्धान्तों से अभिप्राय सरकारों को मिले आदेश से है।

प्रश्न 16.
संविधान में वर्णित बच्चों का शिक्षा संबंधी एक मौलिक अधिकार बताओ।
उत्तर-
14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था।

प्रश्न 17.
मौलिक अधिकारों और राज्य-नीति के निर्देशक तत्त्वों में मुख्य रूप से क्या अन्तर है?
उत्तर-
मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं जबकि नीति निर्देशक तत्त्व न्याय योग्य नहीं हैं।

प्रश्न 18.
भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख क्यों किया गया है?
उत्तर-
कर्त्तव्यों के बिना अधिकार अधूरे होते हैं।

प्रश्न 19.
भारतीय संविधान में अंकित किसी एक मौलिक अधिकार (स्वतन्त्रता के अधिकार) का वर्णन करो।
उत्तर-
धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार के अनुसार भारत के नागरिक अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को अपना सकते हैं।

प्रश्न 20.
विश्व का सबसे बड़ा और विस्तृत आकार वाला संविधान किस देश का है?
उत्तर-
भारत।

प्रश्न 21.
भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद हैं?
उत्तर-
395.

प्रश्न 22.
भारतीय संविधान में कितनी अनुसूचियां हैं?
उत्तर-
9.

प्रश्न 23.
भारत ने किस प्रकार की नागरिकता को अपनाया है?
उत्तर-
भारत ने इकहरी नागरिकता को अपनाया है।

प्रश्न 24.
राज्यपालों की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-
राष्ट्रपति।

प्रश्न 25.
भारतीय नागरिकों के 10 मौलिक कर्त्तव्य भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में अंकित किए गए हैं?
उत्तर-
51 A.

प्रश्न 26.
भारत की शासन प्रणाली के बुनियादी उद्देश्यों को संविधान में कहां निर्धारित किया गया है?
उत्तर-
प्रस्तावना में।

प्रश्न 27.
संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार भारतीय नागरिकों को कई तरह की स्वतन्त्रताएं प्राप्त हैं?
उत्तर-
19वें।

प्रश्न 28.
शोषण के विरुद्ध अधिकार किसकी रक्षा करता है?
उत्तर-
ग़रीब लोगों, स्त्रियों, बच्चों इत्यादि की।

प्रश्न 29.
1975 में राष्ट्रीय आपात्कालीन घोषणा के समय किस अधिकार को निलम्बित कर दिया गया था?
उत्तर-
संविधानिक उपचारों के अधिकार को।

प्रश्न 30.
राज्य की नीति के निर्देशक सिद्धान्त किसकी स्थापना नहीं करते?
उत्तर-
राजनीतिक लोकतन्त्र की।

प्रश्न 31.
संविधान में दिए गए कौन-से तत्त्व कल्याणकारी राज्य की स्थापना के प्रकाश बन सकते हैं?
उत्तर-
नीति निर्देशक सिद्धान्त।

प्रश्न 32.
नीति निर्देशक सिद्धांतों का मूल आधार क्या है?
उत्तर-
नैतिक शक्ति।

प्रश्न 33.
भारतीय संविधान में वर्णित राज्य नीति के निर्देशक सिद्धान्त किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
उत्तर-
आयरलैंड।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. भारतीय संविधान …………… को लागू हुआ।
  2. भारत देश का वास्तविक प्रधान …………. होता है।
  3. भारतीय संविधान में …………… प्रकार के मौलिक अधिकारों का प्रावधान है।
  4. भारत में ………….. वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की गई है।
  5. नीति निर्देशक तत्व (भारतीय संविधान) ………….. के संविधान से प्रेरित हैं।
  6. राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति …………… करता है।
  7. भारतीय संविधान में ……………. अनुसूचियां हैं।
  8. भारतीय संविधान में ………….. अनुच्छेद हैं।
  9. विश्व का सबसे बड़ा तथा विस्तृत संविधान ………….. देश का है।
  10. भारतीय संविधान के मूल (बुनियादी) उद्देश्यों को संविधान की ………. में निर्धारित किया गया है।

उत्तर-

  1. 26 जनवरी, 1950,
  2. प्रधानमंत्री,
  3. छ:,
  4. 14,
  5. आयरलैंड,
  6. राष्ट्रपति,
  7. नौ,
  8. 395,
  9. भारत,
  10. प्रस्तावना।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार भारतीय नागरिकों को कई तरह की स्वतंत्रताएं प्राप्त हैं?
(A) 9वें
(B) 19वें
(C) 29वें
(D) 39वें।
उत्तर-
(B) 19वें

प्रश्न 2.
मौलिक अधिकारों के पीछे निम्न शक्ति काम करती है
(A) कानूनी
(B) नैतिक
(C) गैर-कानूनी
(D) सैनिक।
उत्तर-
(A) कानूनी

प्रश्न 3.
नीति निर्देशक सिद्धांतों का मूल आधार क्या है?
(A) कानूनी शक्ति
(B) सीमित शक्ति
(C) नैतिक शक्ति
(D) दमनकारी शक्ति।
उत्तर-
(C) नैतिक शक्ति

प्रश्न 4.
भारतीय नागरिकों को कौन-सा मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं है?
(A) स्वतंत्रता का अधिकार
(B) समानता का अधिकार
(C) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(D) सम्पत्ति का अधिकार।
उत्तर-
(D) सम्पत्ति का अधिकार।

प्रश्न 5.
निम्न में कौन-सा भारतीय नागरिकों का मौलिक (संवैधानिक) कर्तव्य है?
(A) संविधान का पालन करना
(B) राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना
(C) राष्ट्रीय गीत का सम्मान करना
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
संविधान क्या होता है? लोकतन्त्रात्मक सरकार में संविधान अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों होता है?
उत्तर-
अर्थ-संविधान वह मौलिक कानूनी दस्तावेज़ होता है जिसके अनुसार किसी देश की सरकार कार्य करती है। यह मौलिक कानून सरकार के मुख्य अंगों, उनके अधिकार क्षेत्रों तथा नागरिकों के मूल अधिकारों की व्याख्या करता है। इसे सरकार की शक्ति तथा सत्ता का स्रोत माना जाता है।
महत्त्व-संविधान के दो मुख्य उद्देश्य होते हैं —

  1. सरकार के विभिन्न अंगों के आपसी सम्बन्धों की व्याख्या करना तथा
  2. सरकार और नागरिकों के सम्बन्धों का वर्णन करना। इसका सबसे बड़ा उपयोग यह है कि यह सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को रोकता है। इसी कारण लोकतन्त्रात्मक सरकार में संविधान को सबसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है।

प्रश्न 2.
प्रस्तावना को कानूनी तौर पर संविधान का भाग नहीं माना जाता फिर भी यह महत्त्वपूर्ण है। कैसे?
उत्तर-
संविधान की भूमिका को संविधान की प्रस्तावना कहा जाता है। संविधान का आरम्भिक अंग होते हए भी कानूनी तौर पर इसे संविधान का भाग नहीं माना जाता। इसका कारण यह है कि इसके पीछे अदालती मान्यता नहीं होती है। यदि सरकार प्रस्तावना को लागू नहीं करती तो हम उसके विरुद्ध न्यायालय में नहीं जा सकते। फिर भी यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है।
प्रस्तावना का महत्त्व-भारत के संविधान में भी प्रस्तावना दी गई है। इसका महत्त्व निम्नलिखित बातों में निहित है —

  1. इससे हमें पता चलता है कि संविधान के उद्देश्य क्या हैं।
  2. इससे हमें पता चलता है कि संविधान निर्माताओं ने देश में एक आदर्श समाज की कल्पना की थी। यह समाज स्वतन्त्रता, समानता तथा समाजवाद पर आधारित होगा।
  3. प्रस्तावना से यह भी पता चलता है कि संविधान देश में किस प्रकार की शासन व्यवस्था स्थापित करना चाहता है।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर-
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं

  1. यह विस्तृत तथा लिखित संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद तथा १ अनुसूचियां हैं।
  2. यह लचीला तथा कठोर संविधान है।
  3. संविधान भारत में सम्पूर्ण प्रभुसत्ता-सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, जनतन्त्रीय गणतन्त्र की स्थापना करता है।
  4. यह भारत को एक ऐसा संघात्मक राज्य घोषित करता है जिसका आधार एकात्मक है।
  5. संविधान द्वारा भारत की संघीय संसद् के दो सदनों की व्यवस्था की गई है। ये सदन हैं-लोकसभा और राज्यसभा।
  6. संविधान द्वारा संसदीय कार्यपालिका की व्यवस्था की गई है। भारत का राष्ट्रपति इसका नाममात्र का राज्याध्यक्ष है।
  7. संविधान में जिस न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है वह स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष है।
  8. हमारे संविधान में 6 मौलिक अधिकारों तथा 10 मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया है।
  9. संविधान के चौथे अध्याय में राज्य के राज्य-नीति के निर्देशक सिद्धान्त दिए गए हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखिए
(क) भारत की संसदीय सरकार
(ख) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
(ग) स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका।
उत्तर-
(क) भारत की संसदीय सरकार-संविधान के अनुसार भारत में संसदीय प्रणाली की सरकार है। इसमें संसद् सर्वोच्च है और वह जनता का प्रतिनिधित्व करती है। सरकार यूं तो केन्द्र में राष्ट्रपति के नाम पर तथा राज्यों में राज्यपाल के नाम पर चलाई जाती है, परन्तु वास्तव में सरकार को मन्त्रिपरिषद् ही चलाती है। मन्त्रिपरिषद् अपनी नीतियों के लिए संसद् (केन्द्र में) के प्रति उत्तरदायी है। राज्यों में भी यह विधायिका (जनता की प्रतिनिधि सभा) के प्रति उत्तरदायी है।
(ख) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार-भारतीय संविधान में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार 18 वर्ष या इससे अधिक आयु के प्रत्येक भारतीय नागरिक को मत देने का अधिकार दिया गया है। इस प्रकार प्रत्येक नागरिक केन्द्र तथा राज्य सरकारों के निर्वाचन में भाग ले सकता है।
(ग) स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका-भारतीय संविधान के अनुसार देश में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की गई है। इसका अर्थ यह है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के प्रभाव से मुक्त रखा गया है। इस प्रकार न्यायपालिका केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच उत्पन्न विवादों का निपटारा निष्पक्ष रूप से करती है। ऐसी व्यवस्था संघीय प्रणाली में बहुत अधिक महत्त्व रखती है। इसके अतिरिक्त न्यायपालिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा भी करती है।

प्रश्न 5.
भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों को सूचीबद्ध करो।
अथवा
भारतीय नागरिकों के कोई दो अधिकार बताओ।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों की सूची इस प्रकार है —

  1. समानता का अधिकार
  2. स्वतन्त्रता का अधिकार
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार
  5. संस्कृति तथा शिक्षा-सम्बन्धी अधिकार
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

प्रश्न 6.
धार्मिक स्वतन्त्रता के कोई तीन अधिकार बताइए।
उत्तर-
धार्मिक स्वतन्त्रता के अधिकार में निम्नलिखित बातें सम्मिलित हैं —

  1. प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को मानने, उस पर आचरण करने और उसका प्रचार करने का समान अधिकार है।
  2. लोग अपनी इच्छा से धार्मिक तथा परोपकारी संस्थाओं की स्थापना कर सकते हैं तथा उनका प्रबन्ध चला सकते हैं।
  3. किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा जिनका प्रयोजन किसी धर्म विशेष का प्रचार करना है। इसके अतिरिक्त शिक्षा-संस्थाओं में किसी विद्यार्थी को कोई धर्म विशेष की शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 7.
संस्कृति और शिक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
नागरिकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार है। भाषा या नस्ल के आधार पर किसी भी नागरिक को ऐसी शिक्षा-संस्थाओं में प्रवेश पाने से नहीं रोका जाएगा जो सरकार अथवा सरकारी सहायता द्वारा चलाई जा रही हैं। प्रत्येक अल्पसंख्यक वर्ग को चाहे वह धर्म पर आधारित है चाहे भाषा पर, अपनी इच्छानुसार शिक्षा संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार है। आर्थिक सहायता देते समय राज्य इनके साथ कोई भेदभाव नहीं करेगा।

प्रश्न 8.
भारतीय नागरिक को प्राप्त किन्हीं चार मौलिक अधिकारों का वर्णन करो।
उत्तर-

  1. स्वतन्त्रता का अधिकार-भारतीय नागरिकों को भ्रमण करने, विचार प्रकट करने तथा व्यवसाय सम्बन्धी स्वतन्त्रता दी गई है।
  2. धार्मिक स्वतन्त्रता- भारत के लोगों को किसी भी धर्म को मानने अथवा छोड़ने की स्वतन्त्रता दी गई है। वे धार्मिक संस्थाओं का निर्माण कर सकते हैं या उन्हें चला सकते हैं।
  3. शिक्षा का अधिकार-भारतवासियों को किसी भी भाषा को पढ़ने तथा अपनी संस्कृति और लिपि की रक्षा का अधिकार भी प्रदान किया गया है।
  4. समता का अधिकार-प्रत्येक नागरिक को समता का अधिकार प्रदान किया गया है और हर प्रकार के भेदभाव को मिटा दिया गया है। कोई भी व्यक्ति अपनी योग्यता के बल पर उच्च से उच्च पद प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 9.
राज्य-नीति के निर्देशक सिद्धान्तों से आप क्या समझते हैं? चार मुख्य नीति-निर्देशक सिद्धान्त बताओ।
उत्तर-
भारत के संविधान में नीति-निर्देशक सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है। ये सिद्धान्त भारत सरकार के लिए उद्देश्यों के रूप में हैं। संघ तथा राज्य सरकारें नीति निर्माण करते समय इन तत्त्वों को ध्यान में रखती हैं।
मुख्य नीति-निर्देशक सिद्धान्त-मुख्य नीति-निर्देशक सिद्धान्त निम्नलिखित हैं —

  1. जीवन के लिए उचित साधनों की प्राप्ति।
  2. बराबर काम के लिए बराबर वेतन।
  3. धन का बराबर वितरण।
  4. बेकारी, बुढ़ापा, अंगहीनता आदि की दशा में सहायता।

SST Guide for Class 10 PSEB भारतीय संविधान की मूल विशेषताएं Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दें —

प्रश्न 1.
संविधान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
संविधान एक मौलिक कानूनी दस्तावेज़ या लेख होता है जिसके अनुसार देश की सरकार अपना कार्य करती है।

प्रश्न 2.
प्रस्तावना के प्रारम्भिक शब्द क्या हैं?
उत्तर-
प्रस्तावना के प्रारम्भिक शब्द हैं, “हम, भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष और लोकतन्त्रात्मक गणराज्य घोषित करते हैं।”

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान की एक मुख्य विशेषता बताएं।
उत्तर-
भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़े आकार वाला तथा विस्तृत संविधान है।

प्रश्न 4.
संघात्मक संविधान की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
संधात्मक संविधान में केन्द्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है।
अथवा
संघात्मक संविधान देश में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना करता है।

प्रश्न 5.
भारतीय नागरिकों के किसी एक अधिकार की सूची बनाएं।
उत्तर-
समानता का अधिकार अथवा स्वतन्त्रता का अधिकार अथवा धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार।

प्रश्न 6.
भारतीय नागरिकों का एक संवैधानिक कर्तव्य बताएं।
उत्तर-
संविधान तथा इसके आदर्शों का पालन करना और राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय गीत का सम्मान करना।
अथवा
भारत की प्रभुसत्ता, एकता अथवा अखण्डता की रक्षा करना।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत एक धर्म-निरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य है।
उत्तर-
संविधान द्वारा भारत में एक धर्म-निरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य की स्थापना की गई है। धर्म-निरपेक्ष राज्य से अभिप्राय सभी धर्मों की समानता और स्वतन्त्रता से है। ऐसे राज्य में राज्य का अपना कोई विशेष धर्म नहीं होता। धर्म के आधार पर नागरिकों से कोई भेदभाव नहीं किया जाता। सभी नागरिक स्वेच्छा से कोई धर्म अपनाने और उपासना करने में स्वतन्त्र होते हैं।

लोकतान्त्रिक राज्य से भाव है कि सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं और नागरिकों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि देश का शासन चलाते हैं।
गणराज्य से भाव है कि राज्य का अध्यक्ष कोई बादशाह नहीं होगा। वह चुनाव द्वारा निश्चित समय के लिए अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति होगा।

प्रश्न 2.
प्रस्तावना में वर्णित उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
संविधान की प्रस्तावना में भारतीय शासन प्रणाली के स्वरूप तथा इसके बुनियादी उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है। ये उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. भारत एक प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य होगा।
  2. सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिले।
  3. नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्राप्त होगी।
  4. कानून के सामने सभी नागरिक समान समझे जाएंगे।
  5. लोगों में बन्धुत्व की भावना को बढ़ाया जाए ताकि व्यक्ति की गरिमा बढ़े और राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता को बल मिले।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किसी एक अधिकार की संक्षिप्त व्याख्या करें
(क) समानता का अधिकार
(ख) स्वतन्त्रता का अधिकार
(ग) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(घ) संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
उत्तर-
(क) समानता का अधिकार-भारतीय समाज शताब्दियों से विभिन्न असमानताओं से भरपूर रहा है। इसीलिए संविधान निर्माताओं ने समानता के अधिकार को प्राथमिकता दी है। भारतीय नागरिकों को इस अधिकार द्वारा निम्नलिखित बातों में समानता प्राप्त है —

  1. कानून के सामने समानता-कानून की दृष्टि से सभी नागरिक समान हैं। धर्म, नस्ल, जाति अथवा लिंग के आधार पर उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। रोज़गार या सरकारी पद देते समय सभी को समान अवसर दिये जाते हैं।
  2. भेदभाव पर रोक-सरकार जन्म स्थान, धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करेगी। सरकारी सहायता से बनाए गए कुओं, तालाबों, स्नानघरों अथवा पर्यटन स्थलों पर बिना किसी भेदभाव के नागरिकों को आने-जाने की स्वतन्त्रता होगी।
  3. अवसर की समानता-राज्य के अधीन रोज़गार या पदों पर नियुक्ति के लिए सभी नागरिकों को समान अवसर दिए जाएंगे।
  4. छुआछूत पर रोक-सदियों से चली आ रही छुआछूत की कुप्रथा को समाप्त कर दिया गया है।
  5. उपाधियों तथा खिताबों की समाप्ति-सैनिक तथा शैक्षणिक उपाधियों के अतिरिक्त राज्य कोई अन्य उपाधि नहीं देगा।

(ख) स्वतन्त्रता का अधिकार-स्वतन्त्रता का अधिकार लोकतन्त्र का स्तम्भ है। संविधान में स्वतन्त्रता के अधिकार को दो भागों में बांटा गया है-साधारण और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता।
साधारण स्वतन्त्रता-इसके अनुसार भारतीय नागरिक को निम्नलिखित स्वतन्त्रताएं प्राप्त हैं —

  1. भाषण तथा विचार प्रकट करने की स्वतन्त्रता।
  2. शान्तिपूर्वक एकत्र होने की स्वतन्त्रता।
  3. संघ स्थापित करने की स्वतन्त्रता।
  4. भारत के किसी भाग में आने-जाने की स्वतन्त्रता।
  5. भारत के किसी भी भाग में बस जाने की स्वतन्त्रता।
  6. कोई भी रोज़गार अपनाने अथवा व्यापार करने की स्वतन्त्रता।

व्यक्तिगत स्वतन्त्रता —

  1. व्यक्ति को ऐसे कानून की अवहेलना करने के लिए दंडित नहीं किया जा सकता जो कानून अपराध करते समय लागू न था।
  2. किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दण्ड नहीं दिया जा सकता।
  3. किसी अपराधी को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
  4. किसी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित विधि के अतिरिक्त उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतन्त्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।

(ग) शोषण के विरुद्ध अधिकार —

  1. हमारे समाज में चिरकाल से निर्धन व्यक्तियों, स्त्रियों तथा बच्चों का शोषण होता चला आ रहा है। इसे समाप्त करने के लिए संविधान में शोषण के विरुद्ध अधिकार की व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार
  2. मनुष्यों के व्यापार और बिना वेतन दिए ज़बरदस्ती श्रम करवाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इसका उल्लंघन करने वाले को कानून के अनुसार दण्ड दिया जा सकता है, परन्तु सार्वजनिक सेवाओं के लिए राज्य अनिवार्य सेवा योजना लागू कर सकता है। यह सेवा अधिकार के विरुद्ध नहीं होगी।
  3. 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों, खानों या जोखिम भरी नौकरी पर नहीं लगाया जा सकता। वास्तव में उनसे कोई ऐसा कार्य नहीं लिया जा सकता जो उनके विकास में बाधा डाले।

(घ) संवैधानिक उपचारों का अधिकार-संविधान द्वारा नागरिकों को अधिकार प्रदान कर देना ही पर्याप्त नहीं है। इन अधिकारों का सम्मान करना तथा रक्षा करना अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य से भारतीय संविधान में – संवैधानिक उपचारों के अधिकार की व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार यदि कोई राजकीय कार्य नागरिकों के अधिकारों के विरुद्ध हो तो नागरिक उसे अदालत में चुनौती दे सकते हैं। ऐसे कार्यों को न्यायालय असंवैधानिक या रद्द घोषित कर सकते हैं, परन्तु आपात्कालीन घोषणा के दौरान ही इस अधिकार को निलम्बित किया जा सकता है। संविधान का यह प्रावधान खतरनाक और अलोकतान्त्रिक है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित राज्य की नीति के निर्देशक सिद्धान्तों में से किसी एक के चार सिद्धान्त लिखो
(क) समाजवादी
(ख) गांधीवादी
(ग) उदारवादी।
उत्तर-
(क) समाजवादी सिद्धान्त-

  1. राज्य से अपेक्षा की गई है कि वह ऐसे समाज की स्थापना करे जिसका उद्देश्य सार्वजनिक कल्याण हो।
  2. प्रत्येक नागरिक को आजीविका कमाने का अधिकार हो।
  3. देश के भौतिक साधनों की बांट इस प्रकार हो जिससे अधिक-से-अधिक जनहित हो।
  4. आर्थिक संगठन इस प्रकार हो कि धन और उत्पादन के साधन सीमित व्यक्तियों के हाथों में केन्द्रित न हों।

(ख) गांधीवादी सिद्धान्त-गांधी जी ने जिस नए समाज की स्थापना का स्वप्न देखा था, उसकी एक झलक हमें निम्नलिखित (गांधीवादी) सिद्धान्तों से मिलती है

  1. राज्य गांवों में ग्राम पंचायतों की स्थापना करे। वह उन्हें ऐसी शक्तियां प्रदान करे जिससे वे स्वराज्य की एक इकाई के रूप में कार्य कर सकें।
  2. राज्य गांवों में निजी और सहकारी कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करे।
  3. राज्य कमज़ोर वर्गों विशेषकर पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़ी श्रेणियों और कबीलों को शैक्षणिक सुविधाएं प्रदान करे।
  4. राज्य अनुसूचित जातियों, पिछड़ी श्रेणियों और कबीलों को हर प्रकार के शोषण से बचाए।

(ग) उदारवादी सिद्धान्त-साधारण या उदारवादी सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

  1. राज्य समूचे देश में समान कानून संहिता लागू करे।
  2. वह न्यायपालिका और कार्यपालिका को पृथक करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करे।
  3. वह कृषि को आधुनिक वैज्ञानिक आधार पर गठित करे।
  4. वह पशुपालन में सुधार तथा पशुओं की नस्ल सुधारने का प्रयास करे।

प्रश्न 5.
मौलिक अधिकारों और राज्य की नीति के निर्देशक सिद्धान्तों में मूल अन्तर बताएं।
उत्तर-
मौलिक अधिकारों तथा राज्य नीति के निर्देशक सिद्धान्तों में निम्नलिखित मूल अन्तर हैं

मौलिक अधिकार न्याय योग्य हैं, परन्तु निर्देशक सिद्धान्त न्याय योग्य नहीं हैं। इससे भाव यह है कि यदि सरकार नागरिक के किसी मूल अधिकार का उल्लंघन करती है तो नागरिक न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है, परन्तु निर्देशक सिद्धान्त की उल्लंघना होने की स्थिति में सरकार पर दबाव नहीं डाला जा सकता।

  1. मौलिक अधिकार नकारात्मक हैं, परन्तु निर्देशक सिद्धान्त सकारात्मक हैं। नकारात्मक से भाव राज्य की शक्तियों पर प्रतिबन्ध लगाने से है।
  2. कुछ निर्देशक सिद्धान्त मौलिक अधिकारों से श्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे व्यक्ति की अपेक्षा समूचे समाज के कल्याण के लिए हैं।
  3. मौलिक अधिकारों का उद्देश्य भारत में राजनीतिक लोकतन्त्र की स्थापना करना है, परन्तु निर्देशक सिद्धान्त सामाजिक और आर्थिक लोकतन्त्र की स्थापना करते हैं। इस प्रकार वे सही अर्थों में लोकतन्त्र को लोकतन्त्र बनाते हैं।

प्रश्न 6.
भारतीय नागरिकों के कर्त्तव्य बतायें और इन्हें कब संविधान में सम्मिलित किया गया?
उत्तर-
भारतीय नागरिकों के कर्तव्य निम्नलिखित हैं

  1. संविधान का पालन करना तथा इसके आदर्शों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गीत का सम्मान करना।
  2. भारत के स्वतन्त्रता संघर्ष को प्रोत्साहित करने वाले आदर्शों का सम्मान तथा पालन करना।
  3. भारत की प्रभुसत्ता, एकता एवं अखण्डता की रक्षा करना।
  4. भारत की रक्षा के आह्वान पर राष्ट्र की सेवा करना।
  5. धार्मिक, भाषायी, क्षेत्रीय अथवा वर्गीय विभिन्नताओं से ऊपर उठ कर भारत के सभी लोगों में परस्पर मेलजोल और बन्धुत्व की भावना का विकास करना।
  6. सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना और इसे बनाए रखना।
  7. वनों, झीलों, नदियों, वन्य जीवन तथा प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करना।
  8. वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद, अन्वेषण और सुधार की भावना का विकास करना।
  9. सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना और हिंसा का मार्ग न अपनाना।
  10. राष्ट्र की प्रगति के लिए प्रत्येक क्षेत्र में उत्तमता प्राप्त करने का प्रयत्न करना।
    मूल संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों की व्यवस्था नहीं की गई थी। इन्हें 1976 में (संविधान के 42वें संशोधन द्वारा) संविधान में सम्मिलित किया गया।

प्रश्न 7.
भारतीय संविधान की विशालता के किन्हीं दो कारणों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़े आकार वाला तथा विस्तृत संविधान है। इसकी विशालता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  1. इस संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 9 अनुसूचियां दी गई हैं।
  2. इसमें राज्य के स्वरूप, सरकार के अंगों के संगठन तथा उनके आपसी सम्बन्धों का विस्तृत वर्णन है। इसमें राज्य तथा नागरिक के सम्बन्धों को भी विस्तार से स्पष्ट किया गया है।
  3. इसमें नागरिकों के छः मूल अधिकारों का विस्तृत उल्लेख किया गया है। संविधान के 42वें संशोधन के अनुसार इसमें नागरिकों के लिए 10 मूल कर्त्तव्यों का समावेश भी किया गया है।
  4. संघात्मक संविधान होने के कारण इसमें केन्द्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। शक्ति विभाजन सम्बन्धी सूचियों ने भी भारतीय संविधान को विशालता प्रदान की है। (कोई दो लिखें)

प्रश्न 8.
राज्य नीति के निर्देशक सिद्धान्तों का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
राज्य के निर्देशक सिद्धान्तों का बड़ा महत्त्व है-

  1. हमारे देश में स्त्रियों और पुरुषों को समान अधिकार दिए गए हैं। वेतन की दृष्टि से दोनों में भेदभाव समाप्त कर दिया गया है। समान पदों के लिए समान वेतन की व्यवस्था की गई है।
  2. पिछड़ी जातियों के लिए नौकरियों की व्यवस्था की गई है। उनके बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। उनको विधानसभा तथा संसद् में विशेष रूप से प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
  3. लगभग समस्त देश में प्रारम्भिक शिक्षा निःशुल्क कर दी गई है।
  4. देश में ऐसे कानून पास हो चुके हैं जिनके द्वारा श्रमिकों तथा छोटी आयु के बच्चों के हितों की रक्षा की गई है।
    ये सभी कार्य राज्य-नीति के निर्देशक सिद्धान्तों की प्रेरणा से ही किए गए हैं।

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