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PSEB Solutions for Class 9 Welcome Life Chapter 1 आत्म-जागरूकता और आत्म-अनुशासन

PSEB Solutions for Class 9 Welcome Life Chapter 1 आत्म-जागरूकता और आत्म-अनुशासन

PSEB 9th Class Welcome Life Solutions 1 आत्म-जागरूकता और आत्म-अनुशासन

Welcome Life Guide for Class 9 PSEB आत्म-जागरूकता और आत्म-अनुशासन InText Questions and Answers

उप-खंड :

(क) मैं कौन हूँ?
(ख) अपनी पहचान बनाना
(ग) समय की पाबन्दी
(घ) ज़िम्मेदारी की भावना

पाठ का उद्देश्य : इस पाठ का उद्देश्य विद्यार्थियों को आत्म-जागरूकता और आत्म-अनुशासन के महत्त्व के बारे में बताना है। विद्यार्थियों को यह समझाया गया है कि इन्सान एक सामाजिक प्राणी है। वह समज में सब से मिल-जुल कर रहना चाहता है लेकिन दूसरों से उचित समन्वय से पहले खुद को समझना आवश्यक है। आत्म-जागरुकता से यही मतलब है कि हम खुद की पहचान करें और फिर अपना विश्लेषण कर अपने अंदर की कमियों को दूर करे, समाज में अपनी पहचान बनाएं। आत्म-जागरुकता का सही उद्देश्य खुद को सही पहचानना ही होता है।

(क) मैं कौन हूँ?

पाठ के इस खंड में विद्यार्थियों को अपने बारे में जानने के लिए कहा गया है। उनको बताया गया है कि हर एक जीव को कुछ गुण एवं कुछ कमियां प्राप्त हैं। कई बार कुछ ऐसे गुण होते हैं जिनके बारे में हमें खुद को पता नहीं होता। बस ज़रूरत है खुद को ढुढने की और उन गुणों को तराश कर अपने रोजाना के जीवन में उन का उचित एवं सर्वोत्तम तरीके से इस्तेमाल करने की ।
यहां बच्चों को कुछ प्रश्न पूछे गए हैं जिन का स्पष्ट उत्तर यही है कि कोई भी अगर कोई स्थान प्राप्त करता है या कोई विशेषता हासिल करता है तो यह उसके कुदरती गुणों के कारण ही होता है। यह प्रश्न कुछ ऐसे हैं :
  1. मछली हवा में उड़ क्यों नहीं सकती?
  2. सभी जीव-जंतू वृक्षों पर क्यों नहीं चढ़ सकते ।
  3. सचिन तेंदुलकर क्रिकेट खिलाड़ी ना होकर एक चित्रकार के रूप में मशहूर क्यों नहीं हुआ?
  4. लता मंगेशकर गायका ना होकर एक लेखिका क्यों नहीं बनी ?

अब बताओ

अगर आपने अपने बारे में बताना हो तो क्या करोगे?

प्रश्न 1. मैं .……..……… हूँ ?
उत्तर- 9वीं कक्षा में ।
प्रश्न 2. मेरे घर के सभी मुझ से …………… रहते हैं ।
उत्तर- खुश ।
प्रश्न 3. मुझे सब से अधिक खुशी होती है जब मैं ………………. l
उत्तर- अपने रोज़ाना कामों को सफलतापूर्वक करता हूँ।
प्रश्न 4. जिस बात का डर मुझे हमेशा रहता है, वह है………..l
उत्तर- परीक्षाओं में अच्छा ।
प्रश्न 5. क्या सभी लोग आप से हमेशा खुश होते हैं? क्यों?
उत्तर- मैं हर किसी को खुश नहीं कर सकता लेकिन सब की मदद करता हूं, जिससे लोग हमेशा खुश रहें ।

इन सारे प्रश्नों के उत्तर विद्याथी खुद दें और अपने बारे में सोचें।

इसके बाद आप जो सोच कर बहुत खुश होते हैं और आप चाहते हैं कि दूसरे लोगों को भी इस बारे में पता हो, उस बारे में कुछ वाक्य लिखें।

सम्बन्धित प्रश्न

प्रश्न 1. दूसरों से उचित समन्वय बैठाने से पहले क्या करना आवश्यक है ?
उत्तर- दूसरों से उचित समन्वय बैठाने से पहले हमें खुद को समझना आवश्क है ।
प्रश्न 2. आत्म-जागरुकता का उचित उद्देश्य क्या है?
उत्तर- आत्म-जागरुकता का उचित उद्देश्य खुद को ठीक तरह से पहचानना ही होता है ।
प्रश्न 3. हमे आपने अंदर छुपे गुणो का क्या करना चाहिए ।
उत्तर- हमें अपने अंदर छिपे गुणों को तलाश कर, नक्काशी कर अपने रोज़ के जीवन में उनका सर्वोत्तम ढंग से इस्तेमाल करना चाहिए ।
प्रश्न 4. हमारे व्यक्तित्व का प्रपत्र क्या होता है ?
उत्तर- हमारे व्यक्तित्व का जो हिस्सा नज़र आता है, उससे कही अधिक बेसुध दिमाग में छिपा होता है।

(ख) अपनी पहचान बनाना

इस खंड का उद्देश्य विद्यार्थियों को समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करना है। अपनी पहचान बनाना भी आत्म-जागरुकता का एक हिस्सा है। बच्चों को समझाया गया है कि इन्सान के व्यक्तित्व में जहां गुण शामिल होते हैं, उसके साथ ही कुछ कमियां भी होती हैं। किसी भी व्यक्ति की समाज में सही पहचान उस समय ही बनती है, जब हम अपनी कमियों को अपने ऊपर हावी ना होने दें। दूसरों के लिए ईर्ष्या की भावना के बदले सहयोग की भावना रखें और सीखने के लिए हमेशा तैयार रहें। इस लिए हमारे अंदर आत्म-अनुशासन का होना अति आवश्यक है।

क्रिया इस क्रिया में विद्यार्थियों को एक सारणी दी गई है जिस में कुछ प्रश्न दिए गए हैं। इन प्रश्नों से सामने तीन संभव उत्तर हैं। विद्यार्थी उसी उत्तर पर ठीक का निशान लगाएंगे, जो उन पर उपयुक्त हैं।

सुझाए गए सवाल :

प्रश्न हमेशा कभी-कभी कभी नहीं
1. मेरी सोच सकारात्मक है। ✓
2. मैं परिवर्तन बहुत जल्दी स्वीकार करता/करती हूँ ।
3. मुझे अपनी योग्यता पर विश्वास है ।
4. मैं जो भी करना चाहूं आसानी से कर लेता/लेती हूँ ।
5. मेरा दूसरों पर बहुत जल्दी प्रभाव पड़ता है।
6. मैं अपना काम पूरी ज़िम्मेदारी और लगन से करता/करती हूँ ।
7. मैं अपनी गल्तियों को खुशी से स्वीकार करता/करती हूँ ।
8. मैं दूसरों के काम में मदद करता/करती हूँ ।
9. मुझे नया काम सीखने का शौक है। ✓
10. मैं अपनी कमियों को दूर करने की कोशिश करता/करती हूँ ।

विद्यार्थी इन प्रश्नों के उत्तर पूरी ईमानदारी से दें, इस से आपको अपने व्यक्तित्व बारे सटीक विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। आपको यह देखना है कि वह कौन से काम हैं जो आप कभी नहीं करते। उसके बाद उन में सुधार करके आप अपना आत्म और ऊजागर कर सकते हो ।

Welcome Life Guide for Class 9 PSEB आत्म-जागरूकता और आत्म-अनुशासन Questions and Answers

पाठ- पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1. दूसरों से उचित समन्वय बैठाने से पहले क्या करना आवश्यक है ?
उत्तर- मुझे कुछ बुरा अवश्य लगता है लेकिन मैं पता करने की कोशिश करता हूँ कि मेरी किस कमी के कारण उसने मेरी आलोचना की है। मैं अपनी उस कमी को सुधार कर भविष्य में उसको दोहराने से बचूंगा ।
प्रश्न 2. कक्षा में दूसरे विद्यार्थियों का अच्छा प्रदर्शन देख कर …………..
उत्तर- मुझे कभी भी ईर्ष्या नहीं होती। मैं केवल उसके गुणों की तरफ ही ध्यान देता हूँ और कोशिश करूंगा कि मैं भी उसके उन गुणों को अपने जीवन में शामिल करने की कोशिश करूंगा/करूंगी l
प्रश्न 3. जो चीज़ों मैं बदल नहीं सकता / सकती हूँ ………………
उत्तर- मैं अपनी पूरी कोशिश अवश्य करूंगा परंतु वह सच ही अगर उस चीज़ को बदला नहीं जा सकता तो मैं उसका बदलाव ढूँढने की कोशिश करूंगा/करूंगी।
प्रश्न 4. मैंने अपने जीवन की मंजिल सोची हुई है और उसको प्राप्त करने के लिए मैं ………………
उत्तर- मैं पूरी निष्ठा से काम करूँगा और पूरी ज़िम्मेदारी और मेहनत से अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने की पूरी कोशिश करूँगा / करूंगी।
प्रश्न 5. जब मेरा कोई काम गलत हो जाए …………………
उत्तर- मैं खुशी से अपनी गल्तियों को स्वीकार करता/करती हूँ। मैं अपनी गल्ती को सुधारने की कोशिश करता हूँ। करती है ।

(नोट : उपरोक्त उत्तर संकेतक हैं, विद्यार्थी स्वयं उत्तर दें । )

सम्बन्धित प्रश्न

प्रश्न 1. हमारा अपने काम के प्रति क्या रवैया है?
उत्तर- हमें अपना काम पूरी ज़िम्मेदारी एवं निष्ठा से करना चाहिए ।
प्रश्न 2. क्या हमें अपनी गल्ती स्वीकार कर लेनी चाहिए?
उत्तर- हां, हमें अपनी गलती खुशी से स्वीकार करनी चाहिए।
प्रश्न 3. हमें अपनी कमियों के बारे में क्या करना चाहिए?
उत्तर- हमें अपनी कमियों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए और हमें कभी भी अपनी कमियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए ।
प्रश्न 4. इन्सानियत का व्यक्तित्व किस तरह का होता है ?
उत्तर- इसान के व्यक्तित्व में जहां गुण शामिल होते हैं वहीं साथ ही कमियां भी होती हैं।
प्रश्न 5. हमारा दूसरों के प्रति क्या व्यवहार होना चाहिए?
उत्तर- हमें दूसरों के प्रति ईर्ष्या भावना के बदले सहयोग की भावना रखनी चाहिए।
प्रश्न 6. हमें जीवन में कुछ सीखने के लिए क्या आवश्यक होता है ?
उत्तर- जीवन में कुछ सीखने के लिए हमारे अंदर आत्म-अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है।

(ग) समय की पाबन्दी

इस खंड में विद्यार्थियों को समय की पाबन्दी के बारे में जानकारी दी गई है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। कुदरत की हरेक गतिविधि एक निश्चित समय चक्कर में चलती है जैसे कि एक निश्चित अंतराल पर सूर्य का उदय और छिपना, ऋतुओं में परिवर्तन आदि। इस से यह पता चलता है कि कुदरत भी अनुशासित ढंग से चलती है। इस खंड का उद्देश्य विद्यार्थियों को यही समझाना है कि अनुशासन हमारे लिए भी कितना आवश्यक है।
आगे विद्यार्थियों को बताया गया है कि हमारे जीवन में समय का क्या महत्त्व है। अगर एक बार समय चला गया तो व्यक्ति जितनी मर्ज़ी कोशिश कर ले वह दोबारा वापस नहीं आता। कई बार कुछ लोग व्यर्थ कामों में अपना समय गंवा लेते हैं और बाद में पछताते हैं ।
क्रिया इस क्रिया में विद्यार्थियों को कहानी दी गई है। विद्यार्थियों को इस कहानी को पढ़ने के बाद इसके दो वर्णों के बारे में बताना है कि वह क्या करते हैं और क्या नहीं करते हैं ।

कहानी

चरित्र

राजन : क्या करता है
हल : वह अक्सर स्कूल से लेट हो जाता है । वह किसी के समझाने पर हमेशा हंस कर टाल जाता है।
राजन :  क्या नहीं करता है
हल : वह कोई काम समय पर नहीं करता है। किसी की बात नहीं समझता है। समय पर अपनी तैयारी नहीं करता है l
मनिंदर : क्या करता है
हल : हर काम समय पर पूरा करता है । वह अपने मित्र को समय के महत्त्व के बारे में समझाता है।
मनिंदर : क्या नहीं करता है
हल : वह समय व्यर्थ नहीं करता है ।

(नोट : उपरोक्त उत्तर संकेतक हैं, विद्यार्थी स्वयं उत्तर दें । )

विद्यार्थियों को समय के प्रबंधन के बारे में बताया गया है। इसके लिए कुछ पहलू दिए गए हैं। इन पहलूओं की मदद से अपने कामों को करने के लिए समय वितरण कर सकते हो ।
समय का उचित ढंग से प्रबंधन करने के लिए ऊपर दिये गये को सही क्रम दें।
नोट : विद्यार्थी इसका हल अपनी समझ से अपनी डायरी में लिखें।

समबन्धित प्रश्न

प्रश्न 1. कुदरत की हरेक गतिविधि कैसे चलती है?
उत्तर- कुदरत की हरेक गतिविधि एक निश्चित समय में चक्कर चलती है ।
प्रश्न 2. कुदरत की किसी एक गतीविधि के बारे में बताओ।
उत्तर- एक निश्चित अंतराल पर सूर्य का उदय होना और छिपना।
प्रश्न 3. मनिंदर और रमन कौन थे?
उत्तर- मनिंदर और रमन दो बहुत ही अच्छे मित्र हैं।
प्रश्न 4. मनिंदर की कोई एक योग्यता लिखो।
उत्तर- क्योंकि उसका किसी भी काम को करने का कोई पक्का समय नहीं है इसलिए वह अक्सर स्कूल से लेट हो जाता है।
प्रश्न 5. रमन अक्सर स्कूल के लिए लेट क्यों हो जाता है?
उत्तर- मनिंदर हर एक काम समय पर पूरा करता है।
प्रश्न 6. रमन स्कूल टूर पर जाने से वंचित क्यों रह गया था?
उत्तर- अपनी आदत के कारण वह समय पर अपनी तैयारी नहीं कर पाया इसलिए वह स्कूल टूर के लिए जाने से वंचित रह गया।
प्रश्न 7. हमें समय व्यर्थ क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर- हमें समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए क्योंकि एक बार समय निकल जाए तो लाख कोशिश करने पर भी हाथ नहीं आता।
प्रश्न 8. समय के प्रबंधन के पहलू लिखो।
उत्तर- कामों समय के प्रबंधन के पहलू हैं: ध्यान केंद्रित करना, योजना बनाना, सभी साधन उपलब्ध करवाना, को पहल के आधार पर वितरित करना, समय सारणी बनाना।
प्रश्न 9. समय के प्रबंधन के लिए सब से आवश्यक क्या होता है?
उत्तर- समय के प्रबंधन लिए सब से अधिक आवश्यक ध्यान केंद्रित करना होता है।
प्रश्न 10. अगर हम अपने काम में ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं तो क्या होता है?
उत्तर- जितनी देर हम अपने कामों में ध्यान केंद्रित नहीं करते हम अपना कीमती समय फालतू कामों में गंवा देते

(घ) ज़िम्मेदारी की भावना

इस भाग में विद्यार्थियों को ज़िम्मेदारी की भावना के बारे में बताया गया हैं। जैसे हम सभी जानते ही हैं कि हम समाज रूपी माला दे सकते हैं। अगर एक भी मोती बिखर जाए तो पूरी माला का रूप ही बदल जाएगा। समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का हर व्यक्ति का अपना तरीका होता है। बचपन से ही हमारे अंदर ज़िम्मेदारी की भावना का विकास होना शुरू हो जाता है क्योंकि बचपन को सब गुणों की नींव निर्माण का समय कहा जाता है। हमें पता है कि दूसरों के प्रति हमारी कई ज़िम्मेदारियां हैं और इन को निभाने के लिए यह आवश्यक है कि हमारे व्यक्तित्व के सब पहलुओं का उचित विकास हो। हमें अपने प्रति भी बहुत सारे कर्तव्य पूरे करने हैं, जिससे हमारा शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास हो सके।

आप सही शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास से क्या समझते हो?

हल :
विकास के हर एक मंच पर एक बच्चा एक ही समय में कई क्षेत्रों में सीखता है। एक छोटा बच्चा चलना सीखता है ( शारीरिक), वह अनजानों में असहज होता है (सामाजिक), आज़ादी की भावना को प्रगटाता है (भावनात्मक) । असल में शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास मनुष्यी विकास के क्षेत्र हैं।
शारीरिक विकास : शरीर के माप, बनावट और शारीरिक परिपक्वता में परिवर्तन जिस में शारीरिक योग्यताएं एवं समन्वय शामिल है।
भावनात्मक विकास : घटनाओं प्रति भावनाओं और भावनात्मक प्रतिक्रिया, किसी का अपनी भावनाओं को समझने में बदलाव और उनको प्रक्ट करने का उचित रूप ।
सामाजिक विकास : दूसरों से सफलतापूर्वक बातचीत करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल को प्राप्त करने की प्रक्रिया l

सही शारीरिक विकास का अर्थ है कि हम अपने शरीर का पूरा ज्ञान रखें। इसको तंदरुस्त रखने के लिए व्यायाम, अच्छा आहार आदि की मदद लें। बुरे कामों अर्थात नशों से दूरी बना कर रखें। अगर हमारा शारीरिक विकास सही नहीं होगा तो हमारे अंदर किसी भी काम को करने की योग्यता में कमी होगी। सही भावनात्मक विकास का अर्थ है कि हमारे अंदर दूसरों की भावनाओं को समझने की और अपनी भावनाओं की कद्र करें तो हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हम भी उसकी भावनाओं की कद्र करें। सही सामाजिक विकास से यह अर्थ है कि हमें समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का पूरा एहसास होना चाहिए। हमें हर समाज में हर एक से मिल-जुल कर रहना चाहिए। हर एक की मदद करनी चाहिए। कुल मिला कर यह कहना गलत नहीं होगा कि सही शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास असल में एक व्यक्ति का व्यापक विकास होता है। एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए व्यापक विकास का होना बहुत आवश्यक है।

क्रिया :

अपने प्रति ज़िम्मेदारी

इस क्रिया में विद्यार्थियों को अपने स्वयं प्रति जिम्मेदारी के बारे में बताना है। यह क्रिया विद्यार्थी अपनी समझ के अनुसार और अनुभव के अनुसार अपनी कॉपी पर स्वयं करें।

1. ठीक शारीरिक विकास के लिए आप क्या करोगे?
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2. ठीक भावनात्मक विकास के लिए आप क्या करोगे?
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3. सामाजिक विकास के लिए आप क्या करोगे?
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परिवार के एक व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। व्यक्ति सब से पहले अपने परिवार के संपर्क में ही आता है। परिवार एक ऐसी संस्था है जो हर हरेक सुख-दुख के समय हमारे साथ होता है। परिवार में रहते हुए हमारी बहुत सारी ज़िम्मेदारियां हो जाती हैं ।

आओ देखें आप अपने परिवार के प्रति किस प्रकार की सोच रखते हो और परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को कैसे निभाते हैं?
1. परिवार के प्रति ज़िम्मेदारी क्या है ?
हल : परिवार के प्रति ज़िम्मेदारी का अर्थ है कि आत्म निर्भर व्यक्ति या व्यक्तियों भले ही वह कितने भी हों की मदद के लिए योगदान देना या योगदान देने की क्षमता रखना।
2. हम उस परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां कैसे निभाते हैं?
हल : अपने परिवार के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए परिवार में आपसी सहयोग का होना बहुत आवश्यक है। घर के हर एक काम में सहयोग दे कर, सुख-दुख में एक दूसरे के साथ खड़े हो कर, हर छोटे-बड़े काम में एकदूसरे की मदद कर, आर्थिक पक्ष से, भावनात्मक पक्ष की मदद से हम परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं l

स्कूल के प्रति जिम्मेदारी

स्कूल हमारा विद्या मंदिर है। विद्यार्थी का भविष्य संवारने में सब से बड़ा योगदान उसके स्कूल का होता है। स्कूल में पढ़ते हमें जीवन की सही दिशा प्राप्त होती है ।

1. क्या आप जानते हो कि स्कूल के प्रति आपकी क्या ज़िम्मेदारी है ?
हल : स्कूल के प्रति हमारी मुख्य ज़िम्मेदारी है स्कूल में अनुशासन कायम करना। स्कूल की इमारत और उपकरण की संभाल करना। स्कूल में गंदगी ना फैलने देना। आपस में समुदाय कायम रखना और एक-दूसरे का सहयोग करना ।
2. अब बताओ आप अपने स्कूल के प्रति ज़िम्मेदारी कैसे निभाओगे?
हल : मैं अपने स्कूल के प्रति ज़िम्मेदारी निभाने के लिए सब से पहले तो इस बात पर ध्यान दूंगा कि कुछ गलत तो नहीं हो रहा। अगर मुझे कुछ गलत लगा तो मैं तुरंत इसकी सूचना अपने अध्यापक या मुख्य अध्यापक को दूंगा। मैं कोशिश करूंगा कि कोई भी स्कूल का विद्यार्थी या बाहर वाला स्कूल की इमारत या उपकरण को नुक्सान ना पहुंचा सके। स्कूल का अनुशासन कायम रखने के लिए भी मैं हर संभव कोशिश करूंगा/ करूंगी।

समाज और देश के प्रति ज़िम्मेदारी

1. आप बताओ कि समाज और देश के प्रति हमारी क्या ज़िम्मेदारी है ?
हल : मनुष्य होते हुए हमारी अपने समाज के प्रति कुछ आवश्यक ज़िम्मेदारियां हैं। हमें एक इमानदार, मददगार और वफादार नागरिक होना चाहिए और अगर किसी को मदद की आवश्यकता हो तो इसकी अवश्य ही मदद करनी चाहिए, इस के अलावा हमें अपने आस-पास से ज्ञान प्राप्त कर अपने समाज में फैलाना चाहिए। इससे हमारा समाज शिक्षित होगा। यह अच्छी तरह शिक्षित समाज अपनी सामाजिक बुराइयों से छुटकारा पा सकता है और आसानी से विकास कर सकता हैं। एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते में हमें अपने समाज के विकास के लिए हर एक ज़िम्मेदारी का निर्वाह पूरी इमानदारी और लगन से करना चाहिए।
एक नागरिक की अपने देश के प्रति भी कई ज़िम्मेदारियां होती हैं। हमें दूसरों की भावनाओं को चोट नहीं पहुँचानी चाहिए और कमज़ोर की रक्षा करनी चाहिए। हर तरह के हालातों में हमें अपने देश के प्रति वफादार रहना चाहिए। हमें अपने देश पर कुर्बान होने के लिये हमेशा तैयार रहना चाहिए। हमें अपने देश पर पुरा विश्वास होना चाहिए। हमें अपने देश के कानूनों की पालना करनी चाहिए। हमें अपने देश के सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना चाहिए। हमें जाति या धर्म से ऊपर उठ कर सब से मिल-जुल कर रहना चाहिए। सब से आवश्यक है कि हमें हमारे संविधान में नागरिकों के लिए दिए कर्तव्यों का निर्बाह पूरी इमानदारी से करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को निभा सकते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें: ( हां या नां )

1. जब घर का कोई सदस्य बीमार हो, तो मैं ध्यान रखता/रखती हूँ।
उत्तर – हां
2. मैं घर में अपनी मम्मी के कामों में मदद करता/करती हूँ ।
उत्तर – हां
3. स्कूल में अध्यापक जी के ना आने पर भी मैं अनुशासन कायम रखता/रखती हूँ।
उत्तर – हां
4. आस-पड़ोस का ध्यान रखते हुए संगीत सुनते समय स्पीकर धीमा रखता/रखती हूँ ।
उत्तर – हां
5. मैं अपने छोटे भाई बहन की स्कूल के काम में मदद करता/करती हूँ ।
उत्तर – हां

सम्बन्धित प्रश्न

प्रश्न 1. हम हमारे समाज रूपी माला के क्या हैं?
उत्तर – हम सभी समाज रूपी माला के मोती हैं ।
प्रश्न 2. अगर एक भी मोती सही ना हो तो क्या होगा?
उत्तर – अगर एक भी मोती सही ना हो तो माला का रूप ही बदल जाएगा।
प्रश्न 3. ज़िम्मेदारी की भावना की समझ का विकास कब होता है?
उत्तर – ज़िम्मेदारी की भावना की समझ का विकास बचपन से ही शुरू हो जाता है।
प्रश्न 4. हमें दूसरों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां निभाने के लिए किस चीज़ की आवश्यकता है?
उत्तर – दूसरों के प्रति ज़िम्मेदारियां निभाने के लिए अपने व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का सही विकास करना चाहिए।
5. अपने प्रति कर्तव्य पूरे करने के लिए हमें किस चीज की आवश्यकता है? 
उत्तर – अपने प्रति कर्तव्य पूरे करने के लिए हमारा शारीरिक, भावनात्मक और समाजिक विकास उचित होना चाहिए।
प्रश्न 6. शारीरिक विकास से क्या मतलब है?
उत्तर – शारीरिक विकास से मतलब है शरीर के माप, बनावट और शारीरिक परिपक्वता में परिवर्तन जिस में शारीरिक योग्यताएं और समन्वय शामिल हैं।
प्रश्न 7. परिवार प्रति कोई एक ज़िम्मेदारी लिखो।
उत्तर – हमें सुख-दुख के समय एक-दूसरे के साथ खड़े रहना चाहिए ।
प्रश्न 8. स्कूल के प्रति कोई एक जिम्मेदारी लिखो।
उत्तर – स्कूल में अनुशासन कायम रखना हमारी ज़िम्मेदारी है।
प्रश्न 9. समाज के प्रति कोई एक ज़िम्मेदारी लिखो।
उत्तर – समाज में शिक्षा का विस्तार करना हमारी ज़िम्मेदारी है।
प्रश्न 10. देश के प्रति कोई एक ज़िम्मेदारी लिखो।
उत्तर –  संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों की पालना करना हमारी ज़िम्मेदारी है।

PSEB 9th Class Welcome Life Guide आत्म-जागरूकता और आत्म-अनुशासन Important Questions and Answers

(क) बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. इन्सान एक ………….. प्राणी है l
(क) जंगली
(ख) राजनीतिक
(ग) सामाजिक
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ग) सामाजिक
2. खुद को सही पहचानना होता है ……………..
(क) आत्म-जागरूकता
(ख) आत्म विश्वास
(ग) आत्म अनुशासन
(घ) आत्म नियंत्रण
उत्तर – (क) आत्म-जागरूकता
3. मुझे अपनी काबलियत पर …………….. है।
(क) गर्व
(ख) विश्वास
(ग) गुस्सा
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ख) विश्वास
4. मुझे ………………. सीखने का शौक है
(क) बुरा काम
(ख) अच्छा काम
(ग) बेअसर
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (घ) कोई नहीं
5. हमें अपनी कमियों को अपने ऊपर ………………… नहीं होने देना चाहिए।
(क) चढ़ने
(ख) हावी
(ग) बेअसर
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ख) हावी
6. कुदरत की हर एक गतिविधि एक ……………… समय चक्कर में चलती है ।
(क) निश्चित
(ख) दुर्लभ
(ग) पिछले
(घ) अगलते
उत्तर – (क) निश्चित
7. …………………….. हमारे लिए भी कितना आवश्यक है।
(क) झगड़ा
(ख) प्यार
(ग) अनुशासन
(घ) दोस्ती
उत्तर – (ग) अनुशासन
8. हम सभी समाज रूपी माला के ………………. हैं ।
(क) फूल
(ख) मोती
(ग) पत्थर
(घ) पत्ते
उत्तर – (ख) मोती
9. …………………… समय सभी गुणों की नींव का निर्माण होता है।
(क) बचपन का समय
(ख) खेलने का समय
(ग) जवानी का समय
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क) बचपन का समय
10. स्कूल में अध्यापक के ना आने पर भी मैं, कायम रखता / रखती हूँ ।
(क) झगड़ा
(ख) शोर
(ग) भांगड़ा
(घ) अनुशासन
उत्तर – (घ) अनुशासन

(ख) खाली स्थान भरो

1. आत्म-जागरुकता का सही उद्देश्य खुद को सही ……………… होता है।
उत्तर – पहचानना
2. हर कोई अपने …………………… गुण और प्रकृति से पैदा हुआ है।
उत्तर – कुदरती
3. इन्सान के व्यक्तित्व में जहां …………………. शामिल होते हैं, उसके साथ …………… भी होती हैं ।
उत्तर – गुण, कमियां
4. मैं अपनी गल्तियों को …………………… स्वीकार करता/करती हूँ।
उत्तर – खुशी से
5. ऐसा लगता है जैसे प्रकृति भी ……………… तरीके से चल रही हो ।
उत्तर – अनुशासि
6. कई बार हम …………………. के कामों में अपना ……………….. समय गंवा लेते हैं ।
उत्तर – फालतु, कीमती
7. हर व्यक्ति अपने ढंग से समाज के प्रति अपनी ………………. निभाता है।
उत्तर – ज़िम्मेदारी
8. व्यक्ति सब से पहले अपने परिवार के   ……………….  में आता है। 
उत्तर – संपर्क

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