PBN 9th Welcome Life

PSEB Solutions for Class 9 Welcome Life Chapter 2 तर्कसंगत सोच

PSEB Solutions for Class 9 Welcome Life Chapter 2 तर्कसंगत सोच

PSEB 9th Class Welcome Life Solutions Chapter 2 तर्कसंगत सोच

Welcome Life Guide for Class 9 PSEB तर्कसंगत सोच InText Questions and Answers

उप-खंड :

(क) मेरी पसंद
(ख) समय की तुलना
(ग) सोशल मीडिया का सही उपयोग

(क) मेरी पसंद

पाठ के इस खंड में मेरी पसंद अर्थात हमारी अपनी पसंद के बारे में जानने के लिए विद्यार्थियों को बताया गया है। इस भाग के शुरू में विद्यार्थियों को कुछ प्रश्न दिए गे हैं जिन के उत्तर विद्यार्थी अपनी समझ के अनुसार देंगे।

क्रिया

1. अपने एक शौक या पसंद का नाम लिखो।
उत्तर –  मुझे किताबें पढ़ने का शौक है।
2. अपने इस शौक को पूरा करने के लिए आप क्या-क्या प्रयास करते हो ?
उत्तर –  मैं अपनी जेब खर्च के पैसों में से बचत करता हूँ या फिर जरूरत पड़ने पर अपने पिता जी से मदद मांगता हूं।
3. क्या कभी आपको अपना शौक पूरा करने में समस्या आती है या नहीं?
उत्तर – नहीं मुझे अपना शौक पूरा करने में कभी भी कोई समस्या नहीं आती है।
4. क्या आपका शौक आप पर हावी हो रहा है?
उत्तर – नाहीं मेरा शौक मेरी पढ़ाई पर हावी नहीं होता बल्कि इससे मुझे पढ़ाई में मदद मिलती है।
5. क्या आपने कभी अपने शौक के बारे में अपने अध्यापक से खुल कर ज़िक्र किया है ?
उत्तर – जी हां मैं अपने शौक के बारे अक्सर अपने अध्यापक से विस्तार में ज़िक्र करता हूँ करती हूँ।
6. क्या किसी कारणं आपका शौक अधूरा रह जाता है, उस समय आप क्या महसूस करते हो?
उत्तर – हां कई बार जब मुझे अपनी पसंद की किताब बाज़ार में से नहीं मिलती तो मुझे अपना शौक अधूरा रहने लगता है। इससे मुझे थोड़ी निराशा महसूस होती है ।
7. शौक की पूर्ति होने पर आपको कितनी खुशी मिलती है या स्कूल की प्राप्ति होती है ?
उत्तर – शौक पूरा होने पर मुझे बहुत खुशी होती है। मुझे ऐसे लगता है कि मुझे दुनिया की सब से बहुमूल्य चीज़ प्राप्त हो जाती है। मैं बहुत सुकून महसूस करता हूं।

आगे विद्यार्थियों को यह बताया गया है कि शौक या पसंद आपके मन को सुकून देते हुए धैर्यवान और दृढ़ इरादे का मालिक बना देते हैं। इस दृढ़ता और मन की एकाग्रता से हमें हमारे सपने पूरे करने की राह मिल हो जाती है। बताया गया है कि शौक केवल मन की खुशी ही नहीं देते बल्कि अगर हम इस शौक को कौशल से मिलाते हुए तराशते जाएंगे तो हो सकता है इस प्रतियोगिता से युग में हमारे शौक हमारी रोज़ी-रोटी का भाध्यम बन जाए। शौक या किसी पसंद को अपनाना हमारे व्यक्तित्व को तराशते निखारते हुए धैर्यवान भी बनाता है। इस संबंध में एक उदाहरण से समझाया गया है कि वाल्ट डिज़नी को बचपन में कार्टून बनाने का शौक था। उसने अपने खाली समय में अपने इस शौक को निपुणता से तराशता हुआ संसार का प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट बन गया।

सम्बन्धित प्रश्न

1. बचपन में हम अक्सर क्या करते हैं?
उत्तर – उम्र के इस पड़ाव, अर्थात बचपन में हम सपनों की दुनिया में जीते हुए हवा से बातें करनी शुरू कर देते हैं l
2. हम अपने सपनों को सच करने के लिए क्या करना है?
उत्तर – इसी पड़ाल पर अपनी पड़ताल करते हुए अपने सपनों को सच कर सकते हैं ।
3. शौक या पसंद का हमें क्या लाभ होता है?
उत्तर – शौक या पसंद हमें मन का सुकून देते हुए धैर्यवान और दृढ़ इरादों का मालिक बना देते हैं। यह दृढ़ता और मन की एकाग्रता हमें हमारे सपनों को सच करने के रास्ते पर ले जाती है ।
4. हमारा शौक हमारी रोज़ी-रोटी का माध्यम कैसे बन सकता है ?
उत्तर – अगर हम इस शौक को कौशल से जोड़ते हुए तराशते जाएंगे तो हो सकता है कि मुकाबले के इस दौर में हमारा शौर हमारी रोज़ी-रोटी का माध्यम बन जाए।
5. हमारे शौक या पसंद का हमारे व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – हमारा शौक या पसंद हमारे व्यक्तित्व को तराशते निखारते हुए धैर्यवान और संयमशील भी बनाता है।
6. वाल्ट डिज़नी कौन है ?
उत्तर – वाल्ट डिज़नी एक विश्व प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट है।

(ख) आत्म-तुलना

पाठ के इस खंड में विद्यार्थियों को आत्म-तुलना के बारे में समझाया गया है। विद्यार्थियों को यह बताया गया है कि तुलना अगर सकारात्मक हो तो हम ऊंचे से ऊंचा मुकाम हासिल कर सकते हैं परंतु अगर यही तुलना ईर्ष्या की भावना से करते हैं तो हमारे आत्म को ठेस पहुंचती है। हम खुद को एक ऐसे चक्कर में लपेटते जाते हैं जो कि हमें निराशा की राह पर ले जाता है। विद्यार्थीयो याद रखो हमें खुद को निराशावादी और नकारात्मक राह पर कभी भी नहीं चलने देना ।

आगे आत्म-तुलना से सम्बन्धित दो पहलू दिए गए हैं जिस से हमें अपने व्यक्तित्व के बारे सही जानकारी मिल सकती है । यह पहलू हैं सकारात्मक तुलना और नकारात्मक तुलना । इन दोनों के लक्ष्ण निम्नलिखित अनुसार हैं :

सकारात्मक तुलना नकारात्मक तुलना
(क) सही (क) नकारात्मक सोच
(ख) आगे की सोच (ख) काम/ज़िम्मेदारी से भागना
(ग) मेहनत करने का जज्बा (ग) आत्म को चोट
(घ) किसी के काम में सहयोग देने का जज़्बा (घ) डर
(ङ) व्यापक व्यक्तित्व का विकास (ङ) फेल होने से डरना
(च) समस्या का डट कर सामना करना ।

आगे विद्यार्थियों को एक कहानी के माध्यम से, कां और मोर की कहानी द्वारा यह समझाने की कोशिश की गई है कि हमें अपनी तुलना अर्थात आत्म-तुलना किसी के साथ नहीं करनी चाहिए। क्योंकि प्रकृति ने हर एक जीवन को उसके अनुसार ही गुण प्रदान किए हैं। कोई भी यह नहीं सोचता कि वह सब से उत्तम है। सामने वाले को देख कर उससे प्रभावित हो जाता है।

कहानी

यही सोच हमारी है जो कुछ हमारे पास है या ये कह सके कि जो कुदरत ने हमें दिया है हम खुद को उससे संतुष्ट ना करते हुए, सकारात्मक सोच नहीं अपनाते व्यापक विकास करने से खुद ही मुंह फेर लेते हैं जबकि आवश्यकता इस चीज़ की है कि हम खुद को अपने परिवेश को, अपने परिवार को अपनाते हुए तुलना के नकारात्मक रवैये को त्यागते हुए एक दूसरे से अच्छा सीखें और एक दूसरे को अच्छा रचनात्मक सिखाएं।

गतीविधियां

1. अपनी कक्षा के उस विद्यार्थी के बारे में तीन पंक्तियां लिखें जो सब अध्यापकों का प्रिय है।
उत्तर – संदीप मेरी कक्षा का सब से होशियार विद्यार्थी है इसी लिए वह सब अध्यापकों का प्रिय है। क्योंकि
(क) वह अपना पूरा काम समय पर करता है।
(ख) वह अध्यापकों और अपने से बड़ों का पूरा सम्मान करता है।
(ग) वह अपनी पढ़ाई के मामले में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं करता और हमेशा ही कक्षा में पहले नंबर पर आता है।
2. अपनी तुलना उस विद्यार्थी से करते हुए, अपने बारे में लिखों कि आपको अपने व्यक्तित्व में उस विद्यार्थी से कौनकौन से गुण ग्रहण करने चाहिए?
उत्तर – मुझे लगता है कि मैं संदीप की तुलना में थोड़ा लापरवाह हूँ और समय की कद्र नहीं करता और पढ़ाई के मामले में कभी-कभी मैं भूल कर बैठता हूँ । इस लिए मैं कोशिश करूंगा कि मैं भी संदीप की तरह अपने काम समय पर करूं ताकि मुझ से कोई गलती ना हो। इस के साथ ही मैं भी उसकी तरह पढ़ाई के प्रति पूरी सावधानी बरतूं ताकि मैं भी कक्षा में अच्छे स्थान पर आने के काबिल बनूं।

आगे विद्यार्थियों को यह समझाया गया है कि कोई भी दो इंसान एक समान नहीं हो सकते। किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई विभिन्नता हर एक में अवश्य होती है परंतु हमें उस विभिन्नता से ही तो सीखना है और जीवन में आगे बढ़ना है। इसलिए कुछ उपाय दिए गए हैं :

  1. अपने मन में हिम्मत जुटाओ, अपनी गलती स्वीकार करने करो ।
  2. अपने मन में दृढ़ इरादा करो कि गलती नहीं दोहराओगे ।
  3. स्वयं में काबलियत पैदा करो, सहयोग की और सहयोग लेने की ।

सम्बन्धित प्रश्न :

1. हमारे आत्म को ठेस कैसे पहुंचती है?
उत्तर – अगर हम अपनी तुलना ईर्ष्या ग्रस्त हो कर करते हैं तो हमारे आत्म को ठेस पहुंचती है।
2. इस भाग में दी गई कहानी में कौआ हंस को देख कर क्या सोचता है?
उत्तर – कौआ सोचता है कि हंस कितना गोरा है जबकि मैं कितना काला हूं और मुझे कोई पसंद भी नहीं करता।
3. कहानी में तोते ने कौऐ की बात का क्या जवाब दिया ?
उत्तर – तोते ने कहा कि पहले मैं इसी तरह से सोचता था लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है मुझे अपना आप अच्छा नहीं लगता।
4. मोर ने उदास हो कर कौऐ को क्या जवाब दिया?
उत्तर – मोर ने उदास होकर कहा, “यार खुश मैं भी नहीं क्योंकि पहले तो मैं स्वयं और अपनी सुंदरता पर गर्व करता था लेकिन अब मेरी सुंदरता ही मेरी आज़ादी में रुकावट बन गई है और मैं चिड़िया घर में कैद होकर रह गया हूँ।”
5. हमारी सोच कैसी है?
उत्तर – हमारी सोच ऐसी ही है कि जो कुछ हमारे पास है हम खुद को उस में संतुष्ट ना करते हुए, सकारात्मक सोच नहीं अपनाते बल्कि जो दूसरों के पास है उसकी कमी महसूस करते हुए अपना व्यापक विकास करने से खुद ही मुंह मोड़ लेते हैं ।

(ग) मीडिया का उचित उपयोग

पाठ के इस खंड में विद्यार्थियों को यह समझाने की कोशिश की गई है कि हमें मीडिया का उपयोग उचित ढंग से ही करना चाहिए। विद्यार्थियों को यह बताया गया है कि तकनीक के इस आधुनिक युग में पूरा संसार एक गांव के रूप में घूमने लग गया है। मीडिया के आधुनिकीकरन से हमें पूरा विश्व अपना ही घर लगता है। लेकिन विद्यार्थी, मीडिया का उपयोग कहां तक, कितने समय के लिए और कैसे करना चाहिए इन प्रश्नों की भी हमें अपने मन में पड़ताल करनी चाहिए। हमें अपनी सोच तर्कसंगत बनानी पड़ेगी और इन प्रश्नों के उत्तर खोजने पड़ेंगे तो हम आज के इस बदलाव के युग में खुशहाल, तंदरुस्त में और तनाव – मुक्त जीवन जीने के योग्य हो सकते हैं। एक तंदरुस्त और खुशहाल समाज की रचना कर सकते हैं या ऐसे भी कह सकते हैं कि कांटों में रह कर फूलों से दोस्ती करने का कौशल सीख सकेंगे ।
मीडिया का उपयोग कितना और कैसे करना चाहिए इस बारे विद्यार्थियों को एक कहानी के माध्यम से समझाया गया है।

कहानी

विद्यार्थियों को इस कहानी से संबंध में बताया गया है कि इस कहानी में फसल है पढ़ाई, औज़ार है इंटरनेट और मीडिया, बीज है- तर्कशील सोच कि मीडिया का उपयोग कितना और कैसे करें । सो विद्यार्थियो हमें इस कहानी से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि मेहनत रूपी तर्कपूर्ण तथ्यों पर आधारित बीज का इस्तेमाल करते हुए हमें मीडिया और इंटरनेट से अच्छे रचनात्मक फल प्राप्त करते हुए आसमान की बुलंदियों को छूना है।
प्यारे विद्यार्थियो माना कि आज के इस आधुनिक और तेज़ भाग-दौड़ वाले समय में अपना मनोरंजन करने के लिए कुछ ना कुछ चाहिए परंतु उस तरफ भी हम ध्यान दें कि मनोरंजन के लिए किताबों का साथ छोड़ कर हम सोशल मीडिया के साथ में तो मस्त नहीं हो गए। किताबों, अखबारों का हमारे जीवन में अपना अलग ही महत्व है।

गतीविधियां

नीचे कुछ प्रश्न दिए गए हैं। विद्यार्थी इन प्रश्नों के उत्तर अपनी समझ के अनुसार देने की कोशिश करें और इन को अपनी कॉपी में दर्ज करें।
आगे एक और गतिविधि दी गई है जिस में विद्यार्थियों को कहा गया है कि सोशल मीडिया के अच्छे और सही उपाय लिख कर अपने अध्यापक को दिखाओ। सोशल मीडिया के बुरे प्रभावों पर रोशनी डालो । कक्षा में दो ग्रुप बना कर सोशल मीडिया का उपयोग कितना अधिक है, विषय पर चर्चा करो ।
नोट : विद्यार्थी इस गतिविधि को दिए गए निर्देशों के अनुसार अपनी कक्षा में करें और अपनी कॉपी पर दर्ज करें।

सम्बन्धित प्रश्न

1. मीडिया के आधुनिकीकरण का क्या प्रभाव हुआ है?
उत्तर – मीडिया के आधुनिकीकरण से हमें पूरा विश्व अपना घर लगता है।
2. ‘मीडिया का उपयोग कहां तक, कितने समय के लिए और कैसे करना चाहिए’। इन प्रश्नों के उत्तर हम कैसे ढूँढ सकते हैं?
उत्तर – हमें अपनी सोच तर्कसंगत बनातेहुये इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढने पड़ेंगे ताकि हम आज के इस परिवर्तन के युग में तंदरुस्त, खुशहाल और तनाव मुक्त जीवन जी सकें ।
3. कहानी में बजुर्ग का किसान से उसकी उदासी का कारण पूछने पर किसान ने क्या जवाब दिया?
उत्तर – बजुर्ग ने जवाब दिया कि दो-तीन महीने हो गए, अभी तक खेत में फसल नहीं उगी।
4. कहानी में फसल, औज़ार और बीज की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर – कहानी में फसल है- पढ़ाई, औज़ार है- इंटरनेट और मीडिया, बीज है- तर्कशील सोच कि मीडिया का उपयोग कितना और कैसे करें ।
5. हमें इस कहानी से क्या शिक्षा लेनी चाहिए?
उत्तर – हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि मेहनत रूपी तर्कपूर्ण तथ्यों पर आधारित बीजों का उपयोग करते हुए हम मीडिया और इंटरनेट से अच्छे रचनात्मक फल प्राप्त करते हुए, आसमान की बुलंदियों को छूना है।

PSEB 9th Class Welcome Life Guide तर्कसंगत सोच Important Questions and Answers

(क) बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. शौक या पसंद हमारे मन को क्या प्रदान करता है?
(क) इनाम
(ख) थकावट
(ग) सुकून
(घ) स्फूर्ति
उत्तर – (ग) सुकून
2. शौक को अपनाना हमारे व्यक्तित्व को तराशते निखारते हुये क्या बनाते हैं?
(क) सिदकी और मौसमी
(ख) कायर और डरपोक
(ग) चुस्त और चालाक
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क) सिदकी और मौसमी
3. मोर सुंदर होते हुए भी उदास क्यों था?
(क) क्योंकि उसका घर टूट गया था
(ख) क्योंकि उसकी आज़ादी खत्म हो गई थी
(ग) क्योंकि उसके बच्चे खो गए थे
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – (ख) क्योंकि उसकी आज़ादी खत्म हो गई थी
4. आज के आधुनिक युग में स्मस्त विश्व एक …………….. के रूप में घूमने लग पड़ा है।
(क) शहर
(ख) बाज़ार
(ग) गली
(घ) गाँव
उत्तर – (घ) गाँव
5. …………….. , ……………… का हमारे जीवन में अपना ही महत्त्व है।
(क) रोटी, पानी
(ख) किताबें, अख्बारें
(ग) फल, सब्जियां
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ख) किताबें, अख्बारें

(ख) खाली स्थान भरो

1. यहीं इस ………………. पर अपनी …………….. करते हुए अपने सपनों को सच करने की जंग जीतनी है ।
उत्तर – पड़ाव, पड़ताल
2. शौक या पसन्द आपके मन को सुकून देते हुए …………….. , …………………. और दृढ़  ………………….. का मालिक बना देते हैं।
उत्तर – सिदक, दृढ़, इरादे
3. तुलना अगर …………………. हो तो हम ऊंचे से ऊंचा मुकाम हासिल कर सकते हैं ।
उत्तर – सकारात्मक
4. जो दूसरो के पास है उसकी कमी महसूस करते हुए अपना ………………… विकास करने से स्वयं ही मुख मोड़ लेते हैं ।
उत्तर – व्यापक
5. हमें अपनी सोच ………………….. बनाते हुए इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढने पड़ेंगे।
उत्तर – तर्कसंगत

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