PSEB Solutions for Class 9 Welcome Life Chapter 6 संतुलित भावनात्मक विकास
PSEB 9th Class Welcome Life Solutions 6 संतुलित भावनात्मक विकास
Welcome Life Guide for Class 9 PSEB संतुलित भावनात्मक विकास InText Questions and Answers
उप-खंड :
(क) भावनाओं की पहचान
(ख) भावनात्मक संतुलन
(ग) आत्म-प्रगटाव- डायरी लिखना
(घ) सकारात्मक व्यवहार
(क) भावनाओं की पहचान
पाठ के इस खंड में विद्यार्थियों की भावनाओं की पहचान के बारे में समझाया गया है। उन को बताया गया है कि अपने अंदर झांक कर खुद को एक प्रश्न पूछे कि आप कैसा महसूस करते हो? हमें स्वयं परीक्षा कर अपनी भावनाओं को समझने की कोशिश करनी है। हम अपनी भावनाओं को समझने के काबिल हो जाते हैं तो हम समझदार और सफल विद्यार्थी बन सकते हैं। भावनाओं का संतुलन हमारी जिंदगी को सही दिशा प्रदान करता है। हमारी सोचने की शक्ति, सीखने की क्षमता, याद रखने की शक्ति, फैसला लेने की योग्यता, सामाजिक संबंध और शारीरिक सेहत सब हमारी भावनाओं के संतुलन से जुड़े हुए हैं। भावनाओं के संतुलन का अर्थ है कि हमें इस बात की पूरी समझ होनी चाहिए कि हमें कौन सा भाव कब प्रगट करना है। अपनी भावनाओं के ऊपर काबू रखने का अर्थ है कि हमें कब खुश होना है और कितना, कब हंसना है और कितना, कब रोना है और कितना, कब गुस्सा जाहिर करना है और कितना ।
नीचे विद्यार्थियों को भावनाओं के अलग-अलग दायरे दिए गए हैं। इसकी मदद से विद्यार्थी पड़ताल करें कि वह भावनाओं के किस दायरे में पड़े हुए हैं।
भावनाओं के दायरे : 1. सुनहरी दायरा, 2. पीला दायरा, 3. मंत्री दायरा 4. लाल दायरा
सम्बन्धित प्रश्न
प्रश्न 1. हम अपनी भावनाओं को कैसे समझ सकते हैं?
उत्तर- हम आत्म-पड़ताल करके अपनी भावनाओं को समझने की कोशिश कर सकते हैं ।
प्रश्न 2. अपनी भावनाओं को समझने के योग्य होने का हमें क्या लाभ है?
उत्तर- अपनी भावनाओं को समझने के योग्य होकर हम समझदार और सफल विद्यार्थी बन सकते हैं।
प्रश्न 3. भावनाओं के संतुलन का क्या लाभ है?
उत्तर- भावनाओं का संतुलन हमारी जिंदगी को सही दिशा देता है ।
प्रश्न 4. भावनाओं के संतुलन से क्या भाव है ?
उत्तर- भावनाओं के संतुलन से भाव है कि हमें पूरी समझ होनी चाहिए कि कौन सा भाव कब और कितना प्रगट करना है।
प्रश्न 5. भावनाओं के ऊपर काबू रखने का क्या अर्थ है ?
उत्तर. अपनी भावनाओं के ऊपर काबू रखने का अर्थ है कि खुश होना है और कितना, कब हंसना है और कितना, कब रोना है और कितना, कब गुस्सा दिखाना है और कितना ।
(ख) भावुक संतुलन
पाठ के इस भाग में विद्यार्थियों को भावुक संतुलन के बारे में समझाया गया है। विद्यार्थियों को समझाया गया है कि अगर हमारी भावनाएं समुंदरी लहरों की तरह काबू से बाहर हो जाएं तो यह सुनामी का रूप धारण कर लेती हैं। जैसे बेकाबु समुंदरी लहरें तबाही मचा देती हैं और अपने आस-पास की सभी चीज़ों को तबाह कर देती हैं और अपने आस-पास की सब चीज़ों को तबाह कर देती हैं, इसी प्रकार जब गुस्सा, ईर्ष्या या बुरा होता है तो यह भी अपने साथ तबाही लेकर आता है। इससे ना केवल हमारी शारीरिक सेहत बल्कि मानसिक सेहत, पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते भी प्रभावित होते हैं । यह बहुत आवश्यक है कि हम अपनी भावनाओं पर काबू रखना सीखें ताकि हम भावुक होकर कोई बड़ी गलती ना कर बैठें जिस कारण हमें बाद में पछताना पड़े।
आगे विद्यार्थियों को यह समझाया गया है कि जब भी उदासी ईर्ष्या या गुस्सा आता है तो नीचे लिखित उपाय याद रखें।
- हमें अपनी भावनाओं का संतुलन कायम करने के लिए अपने अध्यापक या किसी बड़े से सलाह-मश्वरा करना चाहिए।
- हमें अपनी श्वास-क्रिया पर ध्यान केंद्रित कर स्वयं को शांत रखने की कोशिश करनी चाहिए और ऐसा 2-3 मिनट तक करें ।
- हमें इस मौके पर अपना कोई मनपसंद काम करना चाहिए जिस से हम टिकाव या विश्राम महसूस करें जिससे हम तनाव- मुक्त हो सकें।
सही क्या है ?
स्थिति |
मैं क्या करता हूँ
( खाली स्थान भरने के लिए सही चुनाव करो)
|
मुझे क्या करना चाहिए |
( उदास, गल्तियां, बहस, रोना ) |
जब मुझे कोई डांटता है। |
1. चुपचाप ………… होकर सहन करी जाती हूं।
2. आगे ……………… करे जाती हूँ।
3. मैं आगे …………. करे जाता/जाती हूँ।
4. जान बूझ कर और ………….. करता/करती हूं।
|
गलती की माफी मांग लेना चाहिए ।
दोबारा गलती ना दोहराने का वादा करना चाहिए।
शांतमयी ढंग से अपना पक्ष पेश करना चाहिए।
|
(बिगाड़ना, नुक्सान, गलत ) |
जब मुझे किसी से ईर्ष्या या जलन होती है। |
1. मैं उसको और …………. करने के लिए उकसाता/उकसाती हूँ।
2. मैं उदास होकर ………… करने की कोशिश करता/करती हूँ।
3. मैं उसका अकस …………. करने की कोशिश करता/करती हूँ।
हल : 1. गलत, 2. नुकसान, 3. बिगाड़ना
|
उसकी अच्छी आदतें अपना कर स्वयं में सुधार करने की कोशिश करनी चाहिए।
किसी दूसरे से सलाह/मश्वरा करना चाहिए।
|
जब किसी के बुरे व्यवहार के कारण उस पर गुस्सा आता है। |
1. मैं उससे …………… बंद कर देता / देती हूँ।
2. मैं उससे बोलना ………….. कर देता / देती हूँ।
हल : 1. झगड़ना, 2. बंद
|
विनम्रता सहित उसको सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
उसके बुरे व्यवहार का कारण पता करने की कोशिश करनी चाहिए।
किसी बड़े से सलाह / मश्वरा करना चाहिए ।
|
(झूठे, बहस, सहपाठियों, अनुशासन) |
जब मेरा पढ़ने का मन नहीं होता और मजबूरी कारण पढ़ना पड़ता है। |
1. अपने ……….. को तंग करता/करती हूं।
2. अध्यापक से ………. करता/करती हूँ ।
3. मैं कक्षा के ………… और शांतमयी माहौल को भंग करने की कोशिश करता/करती हूँ ।
4. काम नहीं करता और ……………. बहाने बनाता /बनाती हूँ।
हल : 1. सहपाठियों, 2. बहस, 3. अनुशासन, 4. झूठे।
|
ध्यान पढ़ाई के ऊपर केंद्रित करना चाहिए । झूठे बहाने बनाने की आदत को त्यागना चाहिए।
अपना उद्देश्य तैय कर उसकी प्राप्ति के लिए पूरी मेहनत करनी चाहिए।
|
सम्बन्धित प्रश्न
प्रश्न 1. अगर भावनाएं काबू से बाहर हो जाएं तो क्या होता है?
उत्तर- अगर भावनाएं समुंदरी लहरों की तरह काबू से बाहर हो जाएं तो सुनामी का रूप धार लेती हैं।
प्रश्न 2. जब हमें गुस्सा, ईर्ष्या या बुरा होता है तो क्या होता है ?
उत्तर- जब हमें गुस्सा, ईर्ष्या या बुरा होता है तो यह अपने साथ तबाही लेकर आता है।
प्रश्न 3. गुस्से, ईर्ष्या और बुरे के हमारे ऊपर क्या प्रभाव होते हैं ?
उत्तर- गुस्से, ईर्ष्या और बुरे की भावना से हमारी शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक सेहत पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते भी प्रभावित होते हैं ।
प्रश्न 4. हमें अपनी भावनाओं को काबू रखना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- हमें अपनी भावनाओं को काबू में रखना सीखना चाहिए ताकि हम भावुक होकर कोई बड़ी गलती ना कर बैठें जिस कारण बाद में पछताना पड़े।
प्रश्न 5. जब भी उदासी, ईर्ष्या या गुस्सा आता है तो उसको दूर करने के कोई दो उपाय लिखो |
उत्तर- 1. भावनाओं का संतुलन कायम करने के लिए अपने अध्यापक या किसी बड़े से सलाह-मश्वरा कर सकते हैं।
2. – अपनी श्वास – क्रिया पर ध्यान केंद्रित करके स्वयं को शांत रखने की कोशिश करें। कोशिश करो लम्बे श्वास लें और ऐसा 2-3 मिनट तक करें ।
(ग) डायरी लिखना
पाठ के इस खंड में विद्यार्थियों को जीवन में डायरी लिखने के महत्त्व के बारे में समझाया गया है। विद्ययार्थियों को बताया गया है कि अपने आत्म-प्रगटाव के लिए रोज़ाना डायरी लिखना एक बहुत अच्छी आदत है। डायरी हमारे सुख-दुख की एक अच्छी साथी बन सकती है। यह एक भरोसेमंद मित्र की तरह हमारे जीवन के सारे राज्य संभाल कर रखने का कार्य कर सकती है। जो बातें या घटनाएं हम किसी और से सांझा करने से संकोच करते हैं, वह हम अपनी डायरी में लिख कर अपना मन हल्का कर सकते हैं।
विद्यार्थियों को रोज़ाना अपनी व्यक्तिगत डायरी लिखने के फायदे भी बताए गए हैं, जैसे: आत्म-प्रगटाव, आत्मविश्वास में बढ़ोतरी, शब्द – जोड़ में सुधार, खट्टी-मीठी अनमोल यादें, लिखावट में सुधार, सच्चा साथी, उदेश्यों की स्पष्टता, खूबियों और कमियों की पहचान, आत्म-पड़ताल, सकारात्मक सोच, शिक्षाएं आदि ।
प्यारे विद्यार्थियो आपने देखा कि केवल एक व्यक्तिगत डायरी लिखने के इतने सारे फायदे हैं। आप सब भी व्यक्तिगत डायरी लिखने की आदत को अपने जीवन में विकसित करो। यह सही मायने में आपका सच्चा साथी साबित होगा।
आज आपके साथ एक दिलचस्प घटना घटी, उसके बारे में अपनी डायरी में लिखें।
हल (संकेतक)
प्रोग्राम
तिथि – 28-2-2021 दिन- रविवार
समय रात 10-00
प्यारी डायरी
आज रविवार होने के कारण छुट्टी थी। मैंने अपने कुछ दोस्तों के साथ नज़दीक ही खेला जा रहा क्रिकेट मैच देखने का प्रोग्राम बनाया । हम सुबह ठीक 10.30 बजे स्टेडियम पहुंच गए। लोकल मैच होने के कारण भीड़ कुछ अधिक नहीं थी। हम सभी पैवेलियन के पास ही स्थान ढूँढ कर बैठ गए। यह जालन्धर और पटियाला की अंडर-16 टीमों के बीच मैच था। हमें मैच देखकर बहुत मज़ा आ रहा था। एक टीम की पारी पूरी हो गई थी। दूसरी पारी शुरू होने से पहले के ब्रेक में जब खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे थे तो मुझे एक खिलाड़ी की शक्ल जानी पहचानी लगी। मैंने अपने दिमाग पर ज़ोर डाला तो मुझे लगा कि यह मेरा दोस्त विकास है जो आठवीं कक्षा तक मेरे साथ पढ़ता था। उसके पिता जी का तबादला पटियाला होने के कारण वह पिछले साल वहां चला गया था। मैंने हिम्मत करके उसका नाम लेकर उसको आवाज़ लगाई। उसने एकदम पलट कर हमारी तरफ देखा तो धीरे-धीरे हमारे पास आ गया। उसने भी मुझे पहली नज़र में ही पहचान लिया। हम दोनों एक दूसरे को मिल कर बहुत खुश हुए। मैंने अपने दोस्तों से विकास को मिलवाया । फिर उसका मैच शुरू हो गया। मैच खत्म होने के बाद वह दोबारा हमें मिलने आया। मैंने उसको घर आने के लिए कहा तो उसने बताया कि उन्होंने आज ही वापस चले जाना है। मुझे थोड़ा दुख हुआ। लेकिन उसके अगली बार घर आने का वादा करने से मुझे बहुत खुशी हुई । मुझे अपने प्यारे दोस्त से एक साल बाद मुलाकात करके बहुत ही अच्छा लगा और मैं इस दिन को कभी नहीं भूल सकता।
सम्बन्धित प्रश्न
प्रश्न 1. डायरी लिखना कैसी आदत है ?
उत्तर- आत्म-प्रगटाव के लिए रोज़ाना डायरी लिखना एक बहुत अच्छी आदत है ।
प्रश्न 2. डायरी लिखने के हमें क्या लाभ हैं?
उत्तर- डायरी लिखना सुख-दुख का साथी बन सकती है और एक भरोसेमंद मित्र की तरह हमारे राज़ संभाल कर रखने का कार्य कर सकती है ।
प्रश्न 3. डायरी लिख कर हम अपना मन कैसे हल्का कर सकते हैं?
उत्तर- जो बातें हम किसी और से करने से संकोच महसूस करते हैं, वह अपनी डायरी में लिख कर अपना मन हल्का कर सकते हैं।
प्रश्न 4. रोजाना अपनी व्यक्तिगत डायरी लिखने के कुछ फायदे लिखो।
उत्तर- लिखाई में सुधार, आत्म-विश्वास में बढ़ोतरी, आत्म-प्रगटाव, खट्टी-मीठी अनमोल यादें, सच्चा साथी, सकारात्मक सोच, आत्म-पड़ताल आदि व्यक्तिगत डायरी लिखने के फायदे हैं।
(घ) सकारात्मक रवैया
पाठ के इस खंड में विद्यार्थियों को जीवन में सकारात्मक रवैया विकसित करने के बारे में समझाया गया है। उनको बताया गया है कि हमें अपनी सोच को सकारात्मक बनाना चाहिए। हमेशा आगे बढ़ने से विचारों को अपनाना चाहिए। स्वयं पर भरोसा रखना एक बहुत अच्छा गुण है परंतु साथ ही हमें अपनी आलोचना सुनने की हिम्मत भी रखनी चाहिए और दूसरों के विचारों को भी अहमियत दें। हमेशा अपने विचारों में पारदर्शिता रख कर विनम्रता से अपना पक्ष पेश करना चाहिए परंतु दूसरों की धारना की ओर भी ध्यान देना चाहिए।
नीचे विद्यार्थियों से इस विषय सम्बन्धित कुछ प्रश्न पूछे गए हैं जिन के उत्तर उनके हर प्रश्न के आगे दिए विकल्पों में सही निशान लगा कर स्वयं देने हैं।
क्रम |
कथन |
हमेशा |
कभी-कभी |
कभी नहीं |
1. |
मैं अपनी बात साफ और स्पष्ट रूप में रखती हूँ। |
|
✓ |
|
2. |
मैं स्वयं पर भरोसा रखता / रखती हूँ। |
✓ |
|
|
3. |
मैं अपना पक्ष रखते समय विनम्रता और सभ्यता से बोलता/बोलती हूँ। |
|
✓ |
|
4. |
मैं अपनी भावनाओं को काबू में रखता/रखती हूँ। |
|
✓ |
|
5. |
मैं दूसरों के प्रस्ताव पर गौर करता/करती हूं। |
✓ |
|
|
6. |
मैं अपने उद्देश्य में सफल होने के लिए सकारात्मक व्यवहार रखता/रखती हूं। |
✓ |
|
|
7. |
मैं दूसरों की भावनाओं की कद्र करता/करती हूँ। |
✓ |
|
|
8. |
मैं आवश्यकता अनुसार इन्कार करने की हिम्मत रखता/रखती हूँ। |
|
✓ |
|
9. |
मैं दूसरों में कमियां खोजने में विश्वास नहीं रखता/रखती हूँ । |
|
✓ |
|
10. |
मैं दूसरों के विचार विनम्रता से सुनता / सुनती हूँ। |
✓ |
|
|
प्रश्न 1. अपने व्यवहार को हमलावर की जगह सकारात्मक बनाने के लिए आप कौन से प्रयत्न करोगे, लिखो ।
उत्तर- अपने व्यवहार को सकारात्मक बनाने के लिए मैं अपनी बात साफ और स्पष्ट रूप में कहूँगा। मैं अपना पक्ष रखते समय विनम्रता और समझदारी से बोलूंगा। मैं दूसरों की तस्वीरों पर गौर करूंगा। मैं दूसरों की भावनाओं की कद्र करूंगा। मैं दूसरों के साथ विचार शांति से सुनूंगा।
PSEB 9th Class Welcome Life Guide संतुलित भावनात्मक विकास Important Questions and Answers
(क) बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. हमें ……………. करके अपनी भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
(क) आत्म-पड़ताल
(ख) आत्म-विश्वास
(ग) आत्म-रक्षा
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (क) आत्म-पड़ताल
2. इन में से कौन सी भावनाओं से संतुलन जुड़ा हुआ है?
(क) सोचने की शक्ति
(ख) सीखने की क्षमता
(ग) याद रखने की शक्ति
(घ) सारे ही
उत्तर – (घ) सारे ही
3. अगर भावनाएं काबू से बाहर हो जाएं तो यह रूप धारण कर लेती हैं।
(क) दरिया का
(ख) सुनामी का
(ग) बादल का
(घ) वर्षा का
उत्तर – (ख) सुनामी का
4. भावनाओं के बेकाबू होने से ही प्रभावित होता है।
(क) मानसिक सेहत
(ख) शारीरिक सेहत
(ग) पारिवारिक रिश्ते
(घ) उपरोक्त सारे
उत्तर – (घ) उपरोक्त सारे
5. डायरी लिखना इस लिए एक अच्छी आदत है ?
(क) मज़ाक उडाने के लिए
(ख) दिखावे के लिए
(ग) आत्म-प्रगटावे के लिए
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (ग) आत्म-प्रगटावे के लिए
6. रोज़ाना अपनी डायरी लिखने का क्या लाभ है?
(क) आत्म-प्रगटाव
(ख) लिखाई में सुधार
(ग) सकारात्मक सोच
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर – (घ) उपरोक्त सभी
7. हमें अपनी सोच को बनाना चाहिए –
(क) सकारात्मक
(ख) नकारात्मक
(ग) घमंडी
(घ) झगड़ालू
उत्तर – (क) सकारात्मक
8. हमें अपनी …………………. सुनने की हिम्मत भी रखनी चाहिए।
(क) प्रशंसा
(ख) आलोचना
(ग) क और ख
(घ) कोई नहीं
उत्तर – (ख) आलोचना
(ख) खाली स्थान भरो
1. अपनी भावनाओं को समझने के योग्य होकर हम ……………….. और ………………. विद्यार्थियों बन सकते हैं।
उत्तर – समझदार, सफल
2. भावनाओं का संतुलन हमारी जिंदगी को ………………. दे सकता है।
उत्तर – सही दिशा
3. हम ………………… होकर कोई बड़ी गल्ती ना कर बैठें।
उत्तर – भावुक
4. हमारी डायरी एक …………… की तरह हमारे सारे राज़ संभाल कर रखने का कार्य करती है ।
उत्तर – भरोसेयोग मित्र
5. हमेशा …………………….. विचारों के धारक बनना चाहते हैं ।
उत्तर – प्रगतिशील