Rajasthan Board RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 भ्रमण एवं पर्यटन प्रबन्धन्
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Rajasthan Board RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 भ्रमण एवं पर्यटन प्रबन्धन्
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यटन उद्योग अर्थव्यवस्था के कौन – से क्षेत्र में आता है?
(अ) कृषि क्षेत्र
(ब) निर्माण क्षेत्र
(स) सेवा क्षेत्र
(द) किसी में नहीं
उत्तरमाला:
(स) सेवा क्षेत्र
प्रश्न 2.
जोधपुर, जैसलमेर एवं बीकानेर क्षेत्र के समूह को पर्यटन क्षेत्र में जाना जाता है –
(अ) मरुक्षेत्र
(ब) मरु त्रिकोण
(स) थार मण्डल
(द) पश्चिम राजस्थान
उत्तरमाला:
(ब) मरु त्रिकोण
प्रश्न 3.
पर्यटन क्षेत्र में कार्य के लिए राजस्थान की प्रसिद्ध संस्था है –
(अ) RTDC
(ब) लोक – कला मण्डल
(स) संस्कृति विभाग
(द) आर्थिक नियोजन
उत्तरमाला:
(अ) RTDC
प्रश्न 4.
पर्यटक के लिए उसका किसी स्थान पर न्यूनतम विश्राम आवश्यक है –
(अ) 1 वर्ष
(ब) एक माह
(स) 24 घण्टे
(द) एक सप्ताह
उत्तरमाला:
(स) 24 घण्टे
प्रश्न 5.
पर्यटकों का राजस्थान के प्रति आकर्षण का मुख्य कारण है –
(अ) प्राकृतिक स्थल
(ब) ऐतिहासिक स्थल
(स) संस्कृति
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 6.
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा संचालित रेलगाड़ी हैं –
(अ) फैरी क्वीन
(ब) टॉय ट्रेन
(स) विलेज ऑन ह्वील्स
(द) पैलेस ऑन ह्वील्स
उत्तरमाला:
(द) पैलेस ऑन ह्वील्स
प्रश्न 7.
पैलेस ऑन ह्वील्स गाड़ी की यात्रा प्रारम्भ होती है –
(अ) जयपुर से
(ब) मुम्बई से
(स) दिल्ली से
(द) जैसलमेर से
उत्तरमाला:
(स) दिल्ली से
प्रश्न 8.
RTDC की स्थापना हुई थी –
(अ) 1952
(ब) 1992
(स) 1978
(द) 1979
उत्तरमाला:
(स) 1978
प्रश्न 9.
“स्वर्णिम त्रिभुज” नाम से प्रसिद्ध पर्यटन संगम परियोजना सम्बन्धित है –
(अ) जयपुर – आगरा – दिल्ली
(ब) जैसलमेर – बाड़मेर – बीकानेर
(स) उदयपुर – माउण्ट आबू – रणकपुर
(द) दिल्ली – कोटा – अजमेर
उत्तरमाला:
(अ) जयपुर – आगरा – दिल्ली
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यटन का अर्थ समझाइये।
उत्तर:
रोमांच, आराम, मौजमस्ती, आनन्द के साथ कुछ नया अनुभव करने के लिये घर से बाहर घूमने जाना या यात्रा करना पर्यटन कहलाता है।
प्रश्न 2.
पर्यटन के संघटकों के नाम बताइये।
उत्तर:
परिवहन स्थल का आकर्षण, आवास अथवा होटल, मनोरंजन की विविधता एवं रेस्टोरेन्ट, वित्त व्यवस्था, वीजा, ट्रेवल एजेन्सियाँ आदि।
प्रश्न 3.
पर्यटक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक।
प्रश्न 4.
पर्यटन के क्षेत्र के प्रकार बताइये।
उत्तर:
मनोरंजनात्मक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, पारिस्थितिक, मानवजातीय, धार्मिक, स्वास्थ्य संवर्द्धन, खेल – कूद पर्यटन आदि।
प्रश्न 5.
राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन विभाग के कार्य दो विभागों के नाम बताइये।
उत्तर:
- पर्यटन कला संस्कृति विभाग।
- राजस्थान पर्यटन विकास निगम।
प्रश्न 6.
पर्यटन विकास के लिये राजस्थान सरकार ने किसके साथ अन्तर्राष्ट्रीय समझौता किया है?
उत्तर:
विश्व यात्रा एवं पर्यटन परिषद्।
प्रश्न 7.
पर्यटकों को आकर्षित करने वाले तत्वों (कोई चार तत्त्वों के) का नाम बताइये?
उत्तर:
- “स्वर्णिम त्रिभुज” संगम परियोजना
- “पैलेस ऑन ह्वील्स”
- मेले व उत्सवों का आयोजन
- विन्टेज कार रैली
प्रश्न 8.
पर्यटन क्षेत्र के नियोजित विकास के लिये सरकार द्वारा वर्गीकृत क्षेत्र (सर्किट) के नाम बताइये।
उत्तर:
मरु क्षेत्र (जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर), मेवाड़ क्षेत्र (रणकुपर, कुम्भलगढ़, उदयपुर, नाथद्वारा, चित्तौड़गढ़), हाड़ौती क्षेत्र (कोटा, बूंदी, झालावाड़), मेवाड़ (अजमेर, पुष्कर, मण्डला, नागौर), अलवर, सिरोही, सरिस्का आदि।
प्रश्न 9.
पर्यटन उद्योग में RTDC के चार कार्य बताइये?
उत्तर:
- पर्यटन केन्द्रों पर भोजन की व्यवस्था।
- पर्यटन केन्द्रों पर आवासीय व्यवस्था करना।
- पर्यटकों के आवागमन हेतु यातायात व्यवस्था करना।
- पर्यटन के मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था करना।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
यात्रा के उद्देश्य से प्रयुक्त शब्दावली (तीन शब्द) समझाइये।
उत्तर:
1. पर्यटन – रोमांच, आराम, मौजमस्ती, आनन्द के साथ कुछ नया अनुभव करने के लिये घर से बाहर घूमने जाना या यात्रा करना, पर्यटन कहलाता है।
2. देशाटन – आर्थिक क्रियाओं, व्यापार व रोजगार के लिये घर – गाँव छोड़कर दूसरे देश-प्रदेश में जाना देशाटन कहलाता है। राजस्थान के कई भागों में इसे ‘देशवार’ या विदेश जाना भी कहते हैं।
3. तीर्थाटन – आध्यात्मिक सुख एवं भक्तिभाव से ओत – प्रोत होकर सनातन संस्कृति के तहत प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों की यात्रा को तीर्थ या तीर्थाटन कहते हैं। जैसे – चार घाम की यात्रा।
प्रश्न 2.
यात्रा के कोई पाँच उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
- एक ही स्थान पर लम्बे समय तक रहने या काम करने पर उबाऊपन या उदासीनता को समाप्त कर पुनः स्फूर्ति एवं ताजगी लाने के लिये यात्रा करना।
- ज्ञान एवं अनुभव की प्राप्ति के लिये अन्यत्र भ्रमण करना।
- राजनैतिक विचारों, संघर्षों एवं प्राप्ति के लिये यात्रायें करना।
- व्यापार एवं जीविकोपार्जन के लिये यात्रायें करना।
- विचारों एवं धर्म के प्रचार – प्रसार के लिये यात्रायें करना।
प्रश्न 3.
स्वास्थ्य संवर्द्धन पर्यटन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी उपचार एवं निरीक्षण के लिये अन्यत्र स्थानों पर जाते हैं तो उसे स्वास्थ्य संवर्द्धन पर्यटन कहते हैं। अविकसित राष्ट्रों के कई नागरिक स्वास्थ्य लाभ हेतु विकासशील देशों में जाना पसन्द करते हैं क्योंकि वहाँ विकसित राष्ट्रों की तुलना में खर्चा कम आता है। विशेषकर भारत के योग, ध्यान एवं मालिश के अलावा शल्य चिकित्सा के माध्यम से पर्यटन विकसित हो रहा है।
प्रश्न 4.
पर्यटन के लिये कौन – से संघटक आवश्यक हैं?
उत्तर:
पर्यटन के लिये आवश्यक संघटक निम्नलिखित हैं –
- परिवहन
- स्थल का आकर्षण
- आवास अथवा होटल
- मनोरंजन की विविधता एवं रेस्टोरेंट
- वित्त व्यवस्था
- वीजा
- ट्रेवल एजेन्सियाँ
प्रश्न 5.
राजस्थान में पर्यटन कौन – से उद्देश्य व किस प्रकृत्ति के पर्यटन के अन्तर्गत आते हैं?
उत्तर:
राजस्थान मे पर्यटक मनोरंजनात्मक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, पारिस्थितिक,जीवट (साहसिक), ग्रामीण पृष्ठभूमि, वन्य जीव एवं विवाह पर्यटन आदि कीदृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ पर्यटक आराम व परिवर्तन की इच्छा के साथ नयी जीवन शैली देखने व जानने, मानव निर्मित दिव्य वे भव्य इमारतों, पुरातत्व स्मारकों, ऐतिहासिक, दुर्ग, हवेलियाँ, वन्य जीव तथा विविधता, कार रैली द्वारा भ्रमण, अनजान स्थान की मानव जाति का अध्ययन तथा विवाह या उत्सव को यादगार बनाने हेतु आते हैं।
प्रश्न 6.
“पैलेस ऑन ह्वील्स” के बारे में बताइये।
उत्तर:
“पैलेस ऑन ह्वील्स” भारत की एक विलासदायी रेलगाड़ी है इसको भारतीय रेल द्वारा RTDC के सहयोग से राजस्थान में पर्यटन में बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया गया था। यह ट्रेन पुराने रजवाड़ों के राजसी ठाट – बाट के साथ शाही अन्दाज में सफर करवाने के लिये शुरू की गयी थी। इस रेलगाड़ी का शुभारम्भ सन् 1982 को किया गया था। इसमें 14 सैलून व 104 यात्रा शैयाएँ हैं जिनका नाम राजस्थान की पुरानी रियासतों के अनुसार रखा गया है।
प्रश्न 7.
“स्वर्णिम त्रिभुज” क्या है?
उत्तर:
“स्वर्णिम त्रिभुज” पर्यटन से सम्बन्धित संगम परियोजना है। दिल्ली जयपुर तथा आगरा को पर्यटन का “स्वर्णिम त्रिभुज” कहा जाता है। इन तीनों ऐतिहासिक एवं जीवन्त शहरों के संगम की योजना ने राजस्थान को विश्व पर्यटन के नक्शे पर उच्च शिखर प्रदान किया गया है। “स्वर्णिम त्रिभुज” के अन्तर्गत आने वाले शहरों हेतु भारतीय रेलवे एवं बसों द्वारा पर्यटकों को सुगम व आरामदायक परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं।
प्रश्न 8.
“मरु त्रिकोण” क्या है?
उत्तर:
जोधपुर, जैसलमेर एवं बीकानेर क्षेत्र के समूह को पर्यटन क्षेत्र में “मरु त्रिकोण” के नाम से जाना जाता है। इन क्षेत्रों को स्वर्णिम बालू-रेत के टीव जैसलमेर, बीकानेर की हवेलियाँ पर्यटकों को बहुत लुभाती हैं। यहाँ प्रकृति की विपदा, विभीषिका एवं अभाव में भी खुशी से जीवन जीने का जीवट, पराम्पराओं एवं सुसंस्कारित सभ्यताओं से भरा सामाजिक जीवन का एहसास होता है। यहाँ के मूल्यों में अतिथि को “धर आयो माँ जायो” के बराबर सम्मान दिया जाता है।
प्रश्न 9.
“पेइंग गेस्ट योजना” क्या है?
उत्तर:
राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन उद्योग विकास के लिये विभिन्न कार्य एवं योजनाएँ चलायी जा रही हैं जिनमें पेईंग गेस्ट योजना के अन्तर्गत पर्यटक संस्कृति को निकटता से देख सकें। तथा बजट अनुरूप आवास व्यवस्था भी हो जाये, इसके लिये शहरों व गाँवों के परिवारों को अपने घर में ही परिवार के साथ पर्यटक को ठहराने का लाइसेन्स दिया जाता है। राजस्थान में इस योजना के अन्तर्गत लगभग 562 परिवारों को लाइसेन्स प्रदान किया गया है।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यटन को समझाते हुए इसके संघटकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यक्ति रोजमर्रा का नियत कार्य एकसमान परिस्थितियों में करते-करते थक जाता है या इसे उबाऊपन महसूस होने लगता है जिससे उसकी कार्य क्षमता प्रभावित होने लगती है। इसीलिये प्रत्येक व्यक्ति कार्य को मन से करते रहने के लिये कुछ अन्तराल पर नियत वातावरण से हटकर अपना मन बहलाना अथवा मनोरंजन करना चाहता है। ताकि वापस तरोताजा होकर स्फूर्ति से अपना कार्य ठीक से कर सके। पर्यटन का सामान्य अर्थ एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमने जाने या यात्रा करने से लगाया जाता है।
यात्रा करने या बाहर जाने की क्रिया भारत की सांस्कृतिक धरोहर में सनातन काल से ही रही है। संस्कृत में तीर्थ शब्द से तात्पर्य कुछ समय के लिये घर छोड़कर बाहर जाने से लगाया जाता है जिसके लिये यात्रा रोमांच, नया अनुभव करने के लिये घर से बाहर जाना, आर्थिक क्रियाओं, व्यापार व रोजगार के लिये दूसरे देश – प्रदेश में जाना था, आध्यात्मिक सुख हेतु धार्मिक स्थलों की यात्रा के उद्देश्य से की। जाती है। अतः आनन्द, अनुभव या आत्मिक सुख के लिये की गयी यात्रा को पर्यटन करते हैं।
पर्यटन के संघटक:
पर्यटन के संघटक निम्न हैं –
1. परिवहन – परिवहन पर्यटन का महत्त्वपूर्ण घटक माना जाता है। इसके बिना यात्रा करना सम्भव नहीं है। परिवहन के साधन एवं उनके द्वारा उपलब्ध सुविधायें जितनी प्रभावी होंगी उतनी ही यात्रा में पर्यटक क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि पर्यटन के लिये सर्वप्रथम सुगम परिवहन व्यवस्था आवश्यक है।
2. स्थल का आकर्षण – पर्यटकों के भ्रमण के लिये ऐतिहासिक इमारतें, उद्यान, अभ्यारण, प्राकृतिक दृश्य, रमणीयता, मानव निर्मित विशेष स्थल, संग्रहालय तथा मेजवानों द्वारा यात्रियों के लिये कोई विशेष लाभ, रियायतें, आदि निर्णय में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पर्यटक उनके अनुरूप ही पर्यटन स्थल का चयन करते हैं।
3. आवास अथवा होटल – पर्यटकों के नियत स्थान पर पहुँचने के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण है आराम विश्राम के लिये आवास सुविधा/जिसमें विभिन्न पर्यटकों की आवश्यकता के अनुरूप उस स्थान पर ठहरने की सुविधा जैसे – सितारा होटल, क्लब हाउस, पेईंग गेस्ट हाउस आदि महत्त्वपूर्ण होती है।
4. मनोरंजन की विविधता एवं रेस्टोरेन्ट – पर्यटक, रोमांच, मौजमस्ती, आनन्द के साथ कुछ नया अनुभव करने के लिये घर से बाहर आता है तथा विविध व्यंजनों का रसास्वादन करने के लिये विविध प्रकार के भोजनालय, रेस्टोरेंन्ट आदि महत्त्वपूर्ण संघटक होते हैं।
5. वित्त व्यवस्था – पर्यटन में वित्त का पर्याप्त होना बहुत जरूरी है। पर्यटन में बहुत धन व्यय होता है जिसे सामान्यतः व्यक्ति अपनी बचत से करता है किन्तु समय के साथ आये वैचारिक व व्यावसायिक बदलाव के कारण अब बचत की, आवश्यकता नहीं है। कई टूर एण्ड ट्रेवल कम्पनियाँ पर्यटन के खर्च को ऋण के रूप में व्यवस्था कर मासिक किश्त के रूप में वसूलती है।
6. बीजा – अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन में मेजवान राष्ट्र की अनुमति आवश्यक होती है। वर्तमान में विश्व के अधिकतर राष्ट्रों में अब उस देश की धरती पर पहुँचते ही कुछ दस्तावेजों के आधार पर तुरन्त बीजा दे दिया जाता है।
7. ट्रेवल एजेन्सियाँ – पर्यटक को घर से बाहर गन्तव्य स्थल तक जाने व पुनः लौटकर आने तक जो भी आवश्यकता है। इसकी जिम्मेदारी ये टूर ऑपरेटर व ट्रेवल एजेन्सी लेती है, जैसे – Make mytrip, SOTC आदि।
प्रश्न 2.
पर्यटक किसे कहते हैं? इसके प्रकार बताते हुए पर्यटकों की यात्रा के उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
पर्यटक:
जो व्यक्ति अपने निवास स्थान को छोड़कर अन्य स्थान, अन्य प्रदेश या अन्य देश की यात्रा करते हैं अर्थात् पर्यटन में सम्बन्धित सभी यात्रियों को दर्शक या प्रेक्षक अथवा पर्यटक कहते हैं।
पर्यटकों के प्रकार:
1. स्थानीय पर्यटक – अपने ही निवास के आस-पास के दर्शनीय एवं मनोरंजन स्थलों का अवलोकन एवं भ्रमण करने वाला स्थानीय पर्यटक कहलाता है।
2. घरेलू अथवा राष्ट्रीय पर्यटक – अपने ही राष्ट्र में निवास स्थान के अतिरिक्त राज्य या देश के भीतर किसी अन्य स्थान पर भ्रमण करने वाला यात्री घरेलू पर्यटक या परदेशी कहलाता है।
3. अन्तर्राष्ट्रीय अथवा विदेशी पर्यटक – किसी एक देश के निवासी द्वारा अन्य देश अथवा देशों की यात्रा या भ्रमण करने वाला विदेशी या अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक कहलाता है। इसमें पासपोर्ट एवं मेजवान राष्ट्र की सरकार की अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।
4. स्वतन्त्र पर्यटक – जब पर्यटक अकेले या जीवन साथी के साथ अकेले युगल के रूप में ही यात्रा,अथवा भ्रमण करना पसन्द करते हैं, उन्हें स्वतन्त्र पर्यटक कहते हैं। ये पर्यटकं यात्रा की समस्त व्यवस्थायें स्वयं ही करते हैं।
5. समूह पर्यटक – जब कुछ लोग समूह में यात्रा करते हैं तथा उनकी सभी व्यवस्थायें सामूहिक रूप से की जाती हैं उन्हें समूह पर्यटक कहा जाता है। जिसके अन्तर्गत विभिन्न स्थानों पर व्यवस्था व्यय में छूट मिलती हैं। तथा सुरक्षा का भाव भी रहता है जैसे मित्र मण्डली, पारिवारिक समूह, विद्यार्थी समूह आदि।
6. व्यावसायिक पर्यटक – जब व्यापारी या उद्योग समूह अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये अन्य राज्य या देश में यात्रा कर प्रदर्शनी या वहाँ के व्यापारियों के साथ बैठकें करते हैं। उन्हें व्यावसायिक पर्यटक कहते हैं।
पर्यटकों की यात्रा के उद्देश्य:
पर्यटकों की यात्रा का उद्देश्य अलग – अलग हो सकता है जिनको निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
- लम्बे समय तक एक ही स्थान पर रहने से हो रही उदासीनता को समाप्त कर पुनः स्फूर्ति हेतु यात्रा करना।
- ज्ञान एवं अनुभव की प्राप्ति के लिये यात्रा करना।
- व्यापार एवं जीविकोपार्जन के लिये यात्रायें करना।
- राजनैतिक विचारों, संघर्षों एवं सत्ता प्राप्ति के लिये यात्रायें करना।
- शिक्षा की प्राप्ति के लिये दूर प्रदेशों में जाने के लिये यात्रा करना।
- विचारों एवं धर्म के प्रचार – प्रसार के लिये यात्रायें करना।
प्रश्न 3.
पर्यटन की अवधारणा बताते हुए पर्यटन के प्रकार बताइये।
उत्तर:
पर्यटन की अवधारणा:
पर्यटन मन बहलाने के लिये की जाने वाली क्रिया है। जिसमें व्यक्ति अपने आराम अथवा फुर्सत के क्षणों को अपने समय एवं बजट के अनुरूप स्वैच्छिक तरीके से व्यतीत करता है जिसमें आनन्द एवं अनुभव की पूर्ति से वह पुनः ताजगी महसूस करता है। पर्यटन की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं –
- पर्यटन लोगों के अपने निवास स्थान से अन्यत्र गन्तव्य स्थान की ओर जाने से प्रारम्भ होता है।
- पर्यटन में दो तत्त्वों का समावेश होता है। प्रथम यात्रा व दूसरा ठहरना/रुकना।
- पर्यटन में यात्री के गन्तव्य स्थल पर न्यूनतम 24 घण्टे व अधिकतम छः माह तक रुकने की अपेक्षा की जाती है।
- पर्यटन स्थल की यात्रा रोजगार प्राप्ति या स्थायी निवास के अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य से की जाती है।
पर्यटन के प्रकार:
1. मनोरंजनात्मक पर्यटन – जब पर्यटक या यात्री आराम व परिवर्तन की इच्छा के साथ ऐसे स्थान पर भ्रमण के लिये जाते हैं जहाँ शुद्ध पर्यावरण व शान्ति हो, एवं मन बहलाने के लिये खेल-कूद व अन्य सुविधाएँ हों जिससे मानसिक एवं शारीरिक थकान दूर हो सके उसे मनोरंजनात्मक पर्यटन कहते हैं।
2. सांस्कृतिक पर्यटन – जब पर्यटक नयी जीवन संस्कृति देखने व जानने के लिये यात्रा करते हैं उसे सांस्कृतिक पर्यटन कहते हैं। जैसे – लोकनृत्य, कला, चित्रकारी, शिल्पकला आदि।
3. ऐतिहासिक पर्यटन – ऐतिहासिक पर्यटन में यात्री या पर्यटक मानव निर्मित दिव्य व भव्य इमारतों, पुरातत्व स्मारकों, ऐतिहासिक दुर्ग, हवेलियों संग्रहालयों के देखने के लिये आते हैं।
4. पारिस्थितिक पर्यटन – पारिस्थितिक पर्यटन में पर्यटक सुदूर प्राकृतिक स्थलों की पारिस्थितिक वन्य जीवन तथा विविधता को देखने व जानने की इच्छा से यात्रा करता है। जैसे – जैसलमेर की यात्रा।
5. धार्मिक पर्यटन – विभिन्न सम्प्रदाय पन्थ एवं धर्मों के पवित्र स्थानों या पूजा स्थलों की यात्रा को धार्मिक पर्यटन कहते हैं, जैसे – चार धाम यात्रा, मक्का मदीना यात्रा।
6. चिकित्सा व स्वास्थ्य संवर्धन पर्यटन – जब कोई व्यक्ति अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी उपचार व निरीक्षण के लिये अन्यत्र स्थानों पर जाते हैं, तो उसे स्वास्थ्य संवर्धन पर्यटन कहते हैं। अविकसित राष्ट्रों के कई नागरिक स्वास्थ्य लाभ हेतु विकासशील देशों में जाना पसन्द करते हैं। क्योंकि वहाँ विकसित राष्ट्रों की तुलना में खर्चा कम आता है। विशेषकर भारत के योग, ध्यान एवं मालिश के अलावा शल्य चिकित्सा के माध्यम से पर्यटन विकसित हो रहा है।
7. खेलकूद पर्यटन – विभिन्न देशों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये खेलों का आयोजन किया जाता है। जिससे कई पर्यटक खेलकूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिये अथवा दर्शक के रूप में उपस्थित रहते हुए उन देशों की यात्रा करते हैं। जहाँ इस प्रकार का आयोजन होता है। जैसे – गुजरात में हुई पतंग प्रतियोगिता, ओलम्पिक, वर्ल्डकप आदि।
8. विवाह पर्यटन – वर्तमान में प्रतिष्ठित व्यक्ति या व्यावसायिक समूह अपने जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का आयोजन समारोह के रूप में लोकप्रिय पर्यटन स्थल पर करने लगे हैं। जिसमें जन्म दिवस, विवाह की वर्षगांठ रजत या स्वर्ण जयन्ती का आयोजन यादगार बनाने के लिये किया जाने लगा है।
9. वन्य जीव पर्यटन – प्रकृति की सुन्दरता व जंगल में रहने वाले जीव-जन्तुओं से प्रेम करने वाले प्रकृति प्रेमी विभिन्न राज्यों या देशों में संरक्षित अभ्यारण्य पार्क या सफारी का भ्रमण करने जाते हैं। जैसे सरिस्का, केवलादेव या रणथम्भौर अभ्यारण्य।
प्रश्न 4.
राजस्थान में पर्यटन उद्योग पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान में पर्यटन उद्योग:
“आओ पधारो म्हारे देश” से पर्यटकों को आमन्त्रित करता राजस्थान देश के तीन प्रमुख पर्यटन राज्यों में से एक है। गोवा, केरल एवं राजस्थान में सर्वाधिक पर्यटकों का आवागमन होता है। भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में एक – तिहाई पर्यटक राजस्थान आते हैं। घरेलू पर्यटकों की संख्या 1995 में 52 लाख से बढ़कर 2012 में 286 लाख हो गई। राज्यों के पर्यटन विकास विभाग के स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में राजस्थान में घरेलू पर्यटक संख्या 3,30,76,491 हो गयी थी जो भारत के कुल घरेलू यात्री हिस्सेदारी का 2.6% है।
राजस्थान में विदेशी पर्यटकों का आवगमन प्रमुख रूप से जयपुर, जेसलमेर, जोधपुर, एवं उदयपुर जिलों में रहता है। जबकि कुछ पर्यटक इन स्थलों के अलावा पुष्कर, आबू एवं बीकानेर भी आना पसन्द करते हैं। दिल्ली, आगरा एवं जयपुर को मिलाकर पर्यटन प्रोत्साहन के लिये बनी “स्वर्णिम त्रिभुज” संगम परियोजना ने राजस्थान को विश्व पर्यटन के नक्शे पर उच्च शिखर प्रदान किया है। “पैलेस ऑन ह्वील्स” ने पर्यटन क्षेत्र में राजस्थान को चार चाँद लगा दिये हैं।
राजस्थान के प्रति पर्यटकों का आकर्षण सम्भवतः राज्य में सर्वाधिक संख्या में ऐतिहासिक स्थल, परम्परापूर्ण नगरों एवं मरुस्थल का होना है। जितनी समृद्ध राजस्थान की परम्परा रही है उतनी अन्यत्र कहीं सुलभ नहीं है। यह विविधता एवं संस्कृति प्रधानता राजस्थान की विशेषता एवं गौरव है। यही नहीं इतिहास के पुरातात्विक एवं स्थापत्य कला के अवशेषों की राजस्थान में मौजूदगी इसका गौरव बड़ा देता है। यहाँ के काली बंगा एवं लोथल हड़प्पा एवं मोहन जोदड़ों काल के नगर माने जाते हैं।
हजारो वर्ष पूर्व यहाँ विश्व की प्राचीनतम संस्कृति एवं सभ्यता फली – फूली और विकसित हुई जिसका प्रवाह आज भी गतिशील है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की राजस्थान के नायला गाँव की यात्रा ने अमेरिकी पर्यटकों की आवक को प्रोत्साहित किया है वहीं अमिताभ बच्चन द्वारा जैसलमेर में नव वर्ष मनाने एवं देशी – विदेशी फिल्मी कलाकारों व उद्योगपतियों द्वारा अपने व्यक्तिगत उत्सवों को उदयपुर एवं जोधपुर में समारोह के रूप में आयोजित करने से पर्यटन क्षेत्र में मरुप्रदेश का महत्त्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
राजस्थान की संस्कृति एवं प्राकृतिक धरोहर के अतिरिक्त यहाँ की शिल्प कला जैसे – बातिक कला, खरादकला, मरोड़ी कला, थेवा कला तथा चित्रकला (बनी-ठनी) ने भी पर्यटकों को व्यापारिक दृष्टि से आकर्षित किया है। राजस्थान के कुछ उत्पाद सभी पर्यटकों के लिये अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि से अत्यन्त लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध हो गये हैं। जैसे – पुष्कर मेला, जैसलमेर का मरुमेला, जयपुर का हाथी महोत्सव, गणगौर आदि।
राजस्थान में पर्यटन के क्षेत्र में पूँजी निवेश की माँग भी बढ़ती जा रही है। जिसके लिये सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है। तथा उद्यमियों को भी रेस्तराँ होटल व्यावसाय, हेरिटेज होटल, पेईंग गेस्ट वाटर पार्को के द्वारा व्यवसाय के. अवसर प्राप्त हो रहे हैं। राजस्थान में पर्यटन उद्योग के निरन्तर विकास से यहाँ के निवासियों को सेवा कार्य अधिक होने के कारण रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। पर्यटन उद्योग से राजस्थान के सभी जिले जुड़े हुये हैं। जिससे एक लाख प्रत्यक्ष तथा तीन लाख अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
प्रश्न 5.
पर्यटन उद्योग के महत्त्व एवं कमजोरियों की व्याख्या दीजिये?
उत्तर:
पर्यटन उद्योग का महत्त्व:
वर्तमान में पर्यटन उद्योग रोजगारं या विदेशी मुद्रा प्राप्ति का साधन मात्र ही नहीं बल्कि इसके द्वारा होटल, परिवहन, बैंकिंग, संचार प्रणाली, हस्तशिल्प, वस्त्र, जवाहरात एवं चिकित्सा उद्योग को भी विकास होता है। पर्यटन के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है –
1. रोजगार के अवसरों का सृजन – पर्यटन एक ऐसा सेवा क्षेत्र का उद्योग है जिसमें सर्वाधिक व्यापक रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। जिससे गरीबी, बेरोजगारी एवं अल्प विकास की दर जैसी समस्याओं का निदान होता है पर्यटन के अन्तर्गत ही होटल व्यवसाय की गति में वृद्धि हुई है। जिससे बहुत बड़ी मात्रा में व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होता है। होटल के अतिरिक्त टूरिस्ट गाइड, ट्रेवल एजेन्ट तथा दुभाषिये के रूप में रोजगारों की प्राप्ति होती है।
2. विदेशी मुद्रा की प्राप्ति – यात्रा एवं पर्यटन खर्च के लिये अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों द्वारा विदेशी मुद्रा दी जाती है जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। पर्यटन के विकास द्वारा राष्ट्र में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों का आगमन होता है जिससे विदेशी मुद्रा का भण्डार तीव्र गति से बढ़ता है।
3. सांस्कृतिक संरक्षण – तीव्र गति से बढ़ रहे अर्थ जगत में संचार युग में प्राचीन संस्कृतियों परम्पराओं का पालन व निर्वाह कठिन होता जा रहा है। लेकिन पर्यटकों की पसन्द व आकर्षण के कारण परम्परागत मेले, त्यौहार वे उत्सवों को सरकारी एवं निजी प्रोत्साहन एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। यह संस्कृति के संवहन एवं जीवित रखने के लिये लाभप्रद है। पर्यटन का अधिकतर हिस्सा सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक पर्यटन है। इसीलिये पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु सरकार पुराने मन्दिरों, स्तूपों एवं ऐतिहासिक भव्य इमारतों के संरक्षण का प्रयास कर रही है।
4. सामाजिक समरसता में वृद्धि – पर्यटन के द्वारा सामाजिक समरसता में वृद्धि होती है। जिससे विभिन्न पर्यटक स्थलों पर कई सम्प्रदायों के व्यक्तियों में एक व्यापारिक समझे उत्पन्न हो गई और वो सम्प्रदायों में एकता को आधारे बन रही है। मलेशिया इसका जीवन्त उदाहरण है। जहाँ वे आपसी झगड़ों का सार्वजनिक रूप से प्रकटीकरण नहीं करते हैं।
5. ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि – अन्तर्राष्ट्रीय व्यक्तियों द्वारा स्थान विशेष की यात्रा करने पर समाचार-पत्रों, टीवी समाचार में स्थान विशेष को विशिष्ट स्थान मिलता है तथा उस स्थान के विशेष विस्तृत विवरण दिये जाते हैं। जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति की नायला गाँव की यात्रा के कारण नायला गाँव अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना गया। उसी तरह कई फिल्मी हस्तियों द्वारा विभिन्न पर्यटक स्थलों पर आयोजन करने से अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढती है।
6. पर्यावरण जागरुकता – स्वच्छ एवं अनुकूल पर्यावरण पर्यटन को सकारात्मक माना जाता है. इसलिये केन्द्र से लेकर स्थानीय स्तर तक, सभी सरकारें एवं एजेन्सियाँ स्वच्छ एवं हरे – भरे पर्यावरण पर ध्यान दे रहे हैं। विद्यालय में भी विशेष शिक्षण एवं जागरुकता अभियान चल रहा है। जिससे कहीं – न – कहीं इसका लाभ स्थानीय निवासियों को प्राप्त हो रहा है।
पर्यटन की कमजोरियाँ:
पर्यटन से जितने लाभ हैं उसके अनुपात में कुछ कमजोरियाँ भी हैं। जो समाज को प्रभावित करती हैं। उनमें कुछ निम्नवत् हैं –
1. सामाजिक सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय प्रदूषण – पर्यटकों को मनोरंजन सुविधाएँ जुटाने के लिये की जाने वाली व्यवस्थाओं में नशा, अफीम, चरस, गांजा, बार, डांस, क्लब व वेश्यावृत्ति आदि का चलन बढ़ रहा है। इससे सामाजिक व्यवस्थायें प्रदूषित हो रही हैं। सांस्कृतिक प्रदूषण के अन्तर्गत विदेशी पर्यटकों द्वारा अपनी संस्कृति के कपड़ों का पहनावा रहन – सहन, या खान – पान करते हैं तो इसका प्रभाव भारतीय लोगों पर भी पड़ता है और वह भी उनकी संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं। जिससे भारतीय संस्कृति प्रदूषित होती जा रही है। पर्यावरण प्रदूषण के अन्तर्गत पर्यटकों के द्वारा प्लास्टिक की सामग्री का अत्यधिक प्रयोग से भूमि भी प्रदूषित होती है।
2. राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में वृद्धि – पर्यटन उद्योग में पर्यटकों की भीड़ में कुछ पर्यटक विरोधी अथवा शत्रु राष्ट्रों द्वारा गुप्त सूचनायें एकत्रित करने, आतंकवाद फैलाने तथा मादक द्रव्यों की तस्करी करने के लिये भेजे जाते हैं। जिससे देश की महत्त्वपूर्ण सूचनायें, मानचित्र एवं ठिकाने की जानकारी आतंकवादियों को मिल जाती है। जिसका वे दुरुपयोग करते हैं।
3. समाज के कमजोर पक्ष का मजाक उड़ना – भारत में एक – तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। जिसके रहन – सहन एवं खान – पान की फोटो पर्यटकों द्वारा खींची जाती हैं। इसका उपयोग अपने राष्ट्र में जाकर भारत की गलत छवि प्रस्तुत करने के लिये करते हैं। पूर्व में भारत को सपेरों का देश कहा जाता था। देश की यह छवि इन्हीं कारणों से बनी थी।
प्रश्न 6.
पर्यटन उद्योग के विकास की बाधाओं का वर्णन करते हुए उन्हें दूर करने के सुझाव दीजिए।
उत्तर:
पर्यटन उद्योग के विकास की बाधायें:
पर्यटन उद्योग एक महत्त्वपूर्ण उद्योग है। यह राष्ट्र की विकास योजनाओं के सामाजिक आर्थिक लक्ष्य को हासिल करने में मुख्य भूमिका निभाता है। यह एक महत्त्वपूर्ण सेवा उन्मुखी क्षेत्र है। जो सकल राजस्व एवं विदेशी मुद्रा प्राप्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। लेकिन परिवहन व्यवस्था, संचार व्यवस्था, खान – पान, भ्रमण स्थलों का आकर्षण, सरकारी नीतियाँ आदि पर्यटन उद्योग के विकास में बाधा डालती हैं। इनको निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –
1. परिवहने व्यवस्था – पर्यटक को उसके गन्तव्य स्थल तक पहुँचाने में परिवहन का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है लेकिन विभिन्न पर्यटक स्थलों को देखने के लिये देश में समुचित रूप से सड़कों का विकास नहीं हो पाया है और उसके साधनों का अभाव है। प्रत्येक पर्यटक अपने विभिन्न उद्देश्यों को लेकर यात्रा करता है वो चाहे मनोरंजन या व्यावसायिक कारण में से।लेकिन उसे आरामदायक परिवहन व्यवस्था का होना बहुत जरूरी है। राजस्थान राज्य में ग्रामीण मरुस्थलीय क्षेत्रों में पर्याप्त सड़कों एवं परिवहन के साधनों का विकास होने पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होने की सम्भावना और हो जायेगी।
2. संचार व्यवस्था – संचार पर्यटक के लिये महत्त्वपूर्ण अंग है। पर्यटकों की आधुनिक जीवन शैली में संचार के साधनों को अत्यधिक प्रयोग करना शामिल है। जिससे आजकल पर्यटक यात्रा के समय मोबाइल नेट बैकिंग आदि सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है। संचार के साधनों का विकास जिन क्षेत्रों में कम होता है वहाँ सामान्यतः पर्यटकों की संख्या भी। कम पायी जाती है। आज संचार के साधनों को पर्यटक सुरक्षा का साधन भी मानते हैं। क्योंकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर आसानी से सहायता प्राप्त की जा सकती है।
3. आवास अथवा होटल – किसी देश में पर्यटकों के लिये सुरक्षित आवास एवं खान – पान व्यवस्था उत्तम न होने से पर्यटन उद्योग के विकास में बाधा बनते हैं। पर्यटकों की आवश्यकता के अनुरूप खान – पान या आवास सुविधा नहीं मिलती है तो वह सम्बन्धित क्षेत्र में कम ही आते है। भारत में विभिन्न पर्यटक स्थलों पर विदेशी पर्यटकों के लिये समुचित आवास सुविधाएँ नहीं हैं तथा उनके लिये उनकी इच्छा के अनुरूप खान – पान की व्यवस्था होनी चाहिए।
4. घरेलू पर्यटन पर कम ध्यान – पर्यटन उद्योग के विकास में घरेलू पर्यटन पर कम ध्यान देना भी एक बाधा है। पर्यटन क्षेत्रों के आस – पास की जबरदस्त महंगाई, चोरी, लोगों में अनुशासन की कमी और नियमों की अनदेखी ने भी पर्यटन के चेहरे पर बदनुमा दाग दिया है। नये – नये पर्यटन क्षेत्रों को विकसित करते समय स्थानीय नागरिकों का न तो सहयोग लिया जाता है और न ही जगह। पंच सितारा होटलों को अंजाम देते वक्त कई बार उसकी पुश्तैनी जमीन छीन ली जाती है और बदले में उनको किसी प्रकार का रोजगार नहीं दिया जा रहा है।
5. प्रचार – प्रसार का अभाव – पर्यटन उद्योग के विकास में प्रचार – प्रसार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। विभिन्न परिवहन सुविधा सम्बन्धी योजना, पर्यटकों को दिये जाने वाले पैकेज की जानकारी के अभाव में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पाती है। कभी – कभी बड़ी – बड़ी योजना वातानुकूलित कमरों में बैठकर कागजों पर कर ली जाती है। जो घाटे का सौदा होती है। राजस्थान पर्यटन की शाही रेलगाड़ी प्रचार – प्रसार के अभाव में ही पर्याप्त संख्या जुटाने में असमर्थ रहती है।
6. सरकारी नीतियाँ – कभी – कभी पर्यटन के विकास में सरकार की नीतियाँ ही बाधा बनती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन में वीजा सम्बन्धी कठोर नियम, होटलों पर कर लगाना, राज्य सरकारों एवं पर्यटन के विभिन्न विभागों के समन्वय. का अभाव, राजनैतिक इच्छा की कमी भी पर्यटन उद्योग के विकास को प्रभावित करती है।
पर्यटन प्रबन्धन पर्यटन उद्योग के विकास की बाधाओं को दूर करने के सुझाव:
पर्यटन उद्योग के विकास की बाधाओं को दूर करने हेतु निम्न प्रयास किये जा सकते हैं –
- पर्यटन के लिये सर्वप्रथम सुगम परिवहन व्यवस्था आवश्यक है जिसमें पर्यटकों को समय – समय पर लुभाने हेतु आकर्षक यात्रा पैकेज, उत्तम सड़कें, उत्तम परिवहन साधन की व्यवस्था होनी चाहिए।
- पर्यटन स्थल पर उपलब्ध विशेष सेवा, सुविधा तकनीकी या प्राकृतिक स्थल से पहचान बनती है। जिसका उपयोग करने या देखने के लिये पर्यटक आते है। अत: मानव निर्मित इमारतों, प्रकृति के विशेष आकर्षणों पर ध्यान देना चाहिए।
- पर्यटन स्थल पर पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु होटल, पेईंग गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंन्ट शापिंग मॉल, संग्रहालय, पर्यटन उत्प्रेरक उत्पादों की व्यवस्था होनी चाहिए।
- पर्यटक स्थलों के आस – पास स्वास्थ्य चिकित्सा सेवा, बैंक, मुद्रा विनिमय केन्द्र, टेलीफोन सेवा, पुलिस प्रशासन आदि स्थानीय सुविधाओं की व्यवस्था होनी चाहिए।
- विदेशी पर्यटकों एवं घरेलू पर्यटकों को लुभाने हेतु विशेष रियासत एवं ऑफरों, योजनाओं का व्यापक प्रचार – प्रसार होना चाहिए।
प्रश्न 7.
“पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार की अपार सम्भावनाएँ हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
“पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार की अपार सम्भावनाएँ हैं” पर्यटन आज एक घूमने का माध्यम ही नहीं बल्कि रोजगार का सशक्त माध्यम है। अगर आज युवाओं में योग्यता है तो वह अपने क्षेत्र के विभिन्न पर्यटन स्थलों से रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। पर्यटन क्षेत्र में विभिन्न आयामों ने यह रास्ता खोला है तथा पर्यटन के क्षेत्रों में विभिन्न वर्गों के युवाओं के भी अपनी ओर आकर्षित किया है। आज होटल प्रबन्धन एमबीए व विभिन्न प्रबन्धनों के अलावा टूरिज्म सेक्टर में भी प्रबन्धन की शिक्षा दी जा रही है।
आज टूरिज्म डिपार्टमेन्ट में रिजर्वेशन एण्ड काउन्टर स्टाफ, टूर गाइडेंस रोड मार्केटिंग स्टाफ, टूर प्लानर्स आदि पदों के पर्याप्त रोजगार के अवसर हैं। ये वे जॉब हैं आफिसर्स ग्रेड की नौकरी संघ लोक सेवा आयोग या एसएससी परीक्षा पास करके प्राप्त की जा सकती हैं। पर्यटन उद्योग में रोजगार की सम्भावनाओं को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है –
1. होटल प्रबन्धन – आज होटल प्रबन्धन हेतु पेशेवर और प्रशिक्षित कर्मचारियों की मांग दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान युवा पीढ़ी में यह पेशा प्रतिष्ठित रोजगार के उपयुक्त साधन के रूप में निरन्तर लोकप्रिय होता जा रहा है। त्रि – वर्षीय प्रशिक्षण पूरा करने वाले युवाओं को होटल, रिसोर्टस, रेस्टोरेन्ट, सरकारी और निजी क्षेत्र के अतिथि गृहों, विमान सेवाओं आदि में विभिन्न प्रबन्धकीय स्तर पर रोजगार मिल जाता है।
उच्च प्रबन्धकीय स्तर पर वरिष्ठ प्रबन्धक मध्यम प्रबन्धकीय स्तर पर अधिशाषी अधिकारी और निम्न प्रबन्धकीय स्तर पर एक कर्मचारी के रूप में नियुक्ति मिल जाती है। आजकल अन्य औद्योगिक संस्थानों की भाँति होटल व्यवसाय में प्रशिक्षित व्यक्तियों को मैनेजमेन्ट ट्रेनी अथवा मैनेजमेण्ट एण्ड ऑपरेशन ट्रेनी के रूप में नियुक्ति देने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा होटल में लॉबी मैनेजर गेस्ट रिलेशन एक्जिक्यूटिव फ्लोर सुपरवाइजर, लाइनमैन, रूम सुपरवाइजर, एक्जिक्यूटिव शैफ, किचिन स्टीवववार्डिग मैनेजर की आवश्यकता पड़ती है।
2. टूरिस्ट गाइड – पर्यटकों को पर्यटन स्थल की जानकारी एवं ऐतिहासिक घटनाओं का ब्यौरा प्रदान करने तथा सहायता के लिये जानकार एवं स्थानीय व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, जिन्हें गाइड कहते हैं। इनके आज रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। पर्यटन मौसम में इनकी प्रतिदिन आय एक – दो हजार रुपये हो जाती है। इसके लिये स्थानीय भूगोल, इतिहास की जानकारी के साथ अंग्रेजी एवं फ्रेंच भाषा का ज्ञान होना चाहिये। यह बिना पूँजी का व्यक्तिगत कौशल का स्वतन्त्र रोजगार है।
3. ट्रेवल एजेन्ट – पर्यटक कम समय में अधिक स्थानों का भ्रमण कर अनुभव लाभ प्राप्त करना चाहता है। इसीलिये उसे सुगम परिवहन अर्थात् यातायात सुविधाकी आवश्यकता होती है। विभिन्न स्थानों पर कौन – सां वाहन अधिक सुविधाजनक होगा, उसकी व्यवस्था करना तथा बुकिंग करना आदि कार्य पर्यटक इसक्षेत्र के अनुभवी व प्रतिष्ठित व्यक्ति या संस्था के माध्यम से करवाता है। ताकि उनकी यात्रा तीव्र एवं सुगम हो सके। इस क्षेत्र में एजेन्ट के रूप में और वाहन पर्यटन कार्य के लिये रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
4. दुभाषिये – पर्यटन के क्षेत्र में दुभाषिये के लिये रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। पर्यटकों के अतिरिक्त कई अन्य कार्य व्यापार या कूटनीति के लिये आने वाले विदेशी अतिथियों से वार्ता करने के लिये सरकार या व्यापारी वर्ग दुभाषियें नियुक्ति करते हैं। इन्हें भाषा ज्ञान एवं क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त शब्दावली का ज्ञान होना आवश्यक है।
प्रश्न 8.
पर्यटन विकास हेतु राजस्थान सरकार के प्रयासों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
पर्यटन विकास हेतु राजस्थान सरकार के प्रयास – राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन विकास हेतु किये गये कार्यों को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है –
1. पर्यटन कला संस्कृति विभाग की स्थापना – पर्यटन कला संस्कृति विभाग पर्यटक स्थलों के विकास, नये स्थलों की खोज, प्रचार – प्रसार, पर्यटकों को संगीत एवं यहाँ की लोक – कलाओं व गीतों से परिचित करवाने के लिये मेलों – त्यौहारों का कार्य करता है। पर्यटन स्थलों के बारे में बोर्शर्स, फोल्डर्स, पोस्टर एवं विज्ञापन फिल्म आदि तैयार कर पर्यटन केन्द्र एवं अन्य एजेन्सियों के माध्यम से पर्यटकों को पर्यटन सम्बन्धी साहित्य उपलब्ध कराया जाता है।
2. राजस्थान पर्यटन विकास निगम की स्थापना – पर्यटकों को सुविधायें उपलब्ध कराने हेतु राजस्थान सरकार द्वारा सन् 1978 में इस निगम की स्थापना की गयी। जिसका प्रमुख ध्येय पर्यटन केन्द्रों पर भोजन, आवास, यातायात एवं मनोरंजन की स्तरीय सुविधा उपलब्ध कराना था। जिसके अन्तर्गत प्रत्येक जिले में प्रमुख पर्यटक स्थल पर RTDC का कार्यालय एवं आवास गृह स्थापित किया गया।
3. निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन – राजस्थान सरकार ने पर्यटन विकास हेतु निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहन दिया गया। पर्यटन उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने एवं पर्यटकों को विशेष सुविधा हेतु सन् 1991 एवं 1992 को पर्यटन वर्ष घोषित किया गया तथा इन्हीं पर्यटन वर्षों में राजस्थान का “पधारो म्हारे देश” का ध्येय वाक्य प्रसारित किया गया।
4. पर्यटन नीति की घोषणा करना – सन् 2001 में राजस्थान सरकार ने पर्यटन उद्योग में निवेश बढ़ाने एवं आमन्त्रित करने के लिये नयी पर्यटन नीति की घोषणा की। जिसमें पर्यटन व्यापार करने वाले उद्यमियों को कई छूटें एवं रियायतें दी गई थी। रिसरजेन्ट राजस्थान 2015 के तहत पर्यटन उद्योग के लिये बहुत आकर्षक नीति की घोषणा की गई जिसमें व्यवसायी को विभिन्न स्तरों पर दर व कर छुट तथा प्रतिबन्धों में शिथिलता प्रदान की गई।
5. पर्यटन स्थलों को आकर्षक बनाना – राजस्थान सरकार ने विभिन्न पर्यटन सर्किट क्षेत्रों के पर्यटन स्थलों में आकर्षण उत्पन्न करने के लिये विभिन्न कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं को चलाया जा रहा है। जिसमें जवाई बाँध में क्रोकोडायल पार्क बनाने का कार्य जयपुर के पास आमेर में पर्यटकों को हाथी सवारी करना, विदेशी पर्यटकों को थार रेगिस्तान में रोमांचिक यात्रा हेतु कार रैली का आयोजन करना, घुड़सवारी, विलेज सफारी, नौका बिहार, प्रकाश व ध्वनि शो एवं मेले व उत्सवों का आयोजन आदि सम्मिलित हैं।
6. पैलेस ऑन ह्वील्स का प्रारम्भ – राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटक विकास हेतु भारतीय रेलवे के सहयोग से रियासत कालीन राजा-महाराजाओं के पुराने सैलूनों को मिलाकर बनायी गयी शाही रेलगाड़ी का शुभारम्भ किया गया। इसमें 14 सैलून व 104 यात्रा शैयाएँ हैं जिनका नाम राजस्थान की पुरानी रियासत के अनुसार रखे गये हैं। इस गाड़ी में खान-पान और विलासदायी सुविधाओं पर विशेष ध्यान रखा जाता है।
7. हेरिटेज होटल – राजस्थान सरकार ने सन् 1950 से पूर्व बने हुये महल, दुर्ग, हवेलियों एवं शिकोरगाहों को होटलों में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा है। यह विदेशी पर्यटकों के अत्यधिक रुचिपूर्ण आरामदायक एवं ऐतिहासिक स्मृति वाले स्थान होते हैं। वर्तमान में कुल 125 हेरिटेज होटलों में से 95 राजस्थान में ही हैं।
8. पेईंग गेस्ट योजना – पर्यटन विकास हेतु राजस्थान सरकार ने पर्यटक संस्कृति को निकटता से देख सकें तथा बजट के अनुरूप आवास व्यवस्था भी हो जाये, इसके लिये शहरों वे गाँवों में 562 परिवारों को अपने घर में ही परिवार के साथ पर्यटक को ठहरने का लाइसेन्स दिया गया है।
प्रश्न 9.
पर्यटन उद्योग में उद्यमिता के अवसरों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पर्यटन उद्योग में उद्यमिता अवसर:
वर्तमान में वैतनिक रोजगार से हटकर स्वयं का व्यापार लगाकर रोजगार प्राप्ति के अनेक विकल्प मौजूद रहते हैं। जिनमें पर्यटन उद्योग भी एक महत्त्वपूर्ण विकल्प है। पर्यटन उद्योग में उद्यमिता के अवसर निम्नलिखित हैं –
(1) रेस्तराँ होटल व्यवसाय – पर्यटन के आवश्यक अंग होटल, रेस्तराँ की मांग का पर्यटन उद्योग के साथ सकारात्मक सह – सम्बन्ध है। पर्यटन के बढ़ते हुए व्यापार में विभिन्न होटल रेस्तराँ की मांग बढ़ती ही जा रही है। जिनके अग्रलिखित स्वरूप हैं –
- उच्च स्तरीय सितारा होटल – विदेशी एवं घरेलू पर्यटकों की संख्या को देखकर उच्च स्तरीय सितारा होटलों में स्वरोजगार की सम्भावना में भी वृद्धि होती जा रही है। इन होटलों में उच्च स्तरीय आरामदायक आवास खान-पान तथा आधुनिक संचार युक्त सेवाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है।
- हेरिटेज होटल – 1950 से पूर्व की ऐतिहासिक महल, दुर्ग, हवेलियों एवं शिकारगाहों को अधिग्रहित कर उसमें हेरिटेज होटल का व्यावसाय प्रारम्भ किया जा सकता है। यह विदेशी पर्यटकों के अत्यधिक़ रुचिपूर्ण आरामदायक एवं ऐतिहासिक स्मृति वाले स्थान होते हैं।
- पेईंग गेस्ट हाउस – पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति को निकटता से दिखाने के लिये एवं उनके बजट के अनुकूल आवास व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु पेईंग गेस्ट हाउस योजना प्रारम्भ की गई है। जिसके अन्तर्गत अपने स्वयं के निवास स्थान (घर) में उपलब्ध अतिरिक्त स्थान को छोटी होटल के रूप में उपयोग कर स्वरोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
- मिड – वे – होटल – रेस्तराँ – पर्यटन स्थलों के बीच सड़क मार्गों या राष्ट्रीय राजमार्गों पर आजकल विश्राम के लिये रेस्तराँ एवं होटल की प्रथा प्रारम्भ हो गई है। जिनके माध्यम से भी स्वरोजगार के अच्छे अवसर प्राप्त किये जा सकते हैं।
(2) हेल्थ क्लब – कई पर्यटक सेहत में सुधार एवं संवृद्धि के लिये भी अनुकूल पर्यटन स्थलों पर जाते हैं। जो पर्यटन स्थलों पर प्रकृतिक वातावरण के साथ – साथ पर्यटक योग, ध्यान, हर्बल चिकित्सा एवं मालिश के द्वारा भी आनन्द की प्राप्ति करना चाहते हैं। बड़े – बड़े शहरों एवं समुद्र किनारे के पर्यटक स्थलों पर ऐसे क्लबों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। यह भी कम पूँजी का अच्छा व्यवसाय बन सकता है।
(3) मनोरंजन पार्क या वाटर पार्क – पर्यटकों के मन बहलाने एवं बच्चों के खेलकूद के लिये आजकल आधुनिक सयन्त्रों एवं तकनीकी की सहायता से पार्कमें ही समुद्र, नदी, झील झरने एवं जंगल के कृत्रिम दृश्य उत्पन्न तथा पार्क में आधुनिक झूले एवं मोटर कार रेसिंग के उपकरण लगाकर रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। इनका प्रचलन आजकल महानगरों में पर्याप्त होने लगा है।
प्रश्न 10.
आपके निकटतम पर्यटक स्थल की तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाइये।
उत्तर:
छात्र अपने निकटतम पर्यटन स्थलों की पहचान कर उनका ऐतिहासिक वर्णन या उसके विकास की रिपोर्ट स्वयं बनायें।
प्रश्न 11.
आपके गाँव या तहसील स्तर पर पर्यटन विकास की योजना बनाइये।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कुछ व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के लिये तथा विचारों का विस्तार करने के लिये पूरे राष्ट्र या विश्व के अधिकतम राष्ट्रों का भ्रमण करते हैं तो उन्हें कहते हैं –
(अ) परिव्राजक
(ब) प्रवासी
(स) देशावर
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) परिव्राजक
प्रश्न 2.
परिस्थितियों से बचकर अस्तित्व सन्तति को बचाये रखने के लिये की गई यात्रा को कहते हैं –
(अ) तीर्थाटन
(ब) प्रवास
(स) देशाटन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) प्रवास
प्रश्न 3.
पर्यटन/भ्रमण के उद्देश्य हैं –
(अ) ज्ञान व अनुभव की प्राप्ति के लिये
(ब) विचारों एवं धर्म के प्रचार – प्रसार के लिये
(स) रोजगार एवं जीवकोपार्जन के लिये
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4.
पर्यटन का प्रकार हैं –
(अ) मनोरंजनात्मक पर्यटन
(ब) धार्मिक पर्यटन
(स) विवाह पर्यटन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 5.
साइकिल पर विश्व भ्रमण या पर्वतारोहण जैसे साहसिक प्रयास करना कहलाता है –
(अ) जीवट पर्यटन
(ब) पारिस्थितिक पर्यटन
(स) सांस्कृतिक पर्यटन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) जीवट पर्यटन
प्रश्न 6.
पर्यटन से सम्बन्धित सभी यात्रियों को संज्ञा दी जाती है –
(अ) दर्शक की
(ब) प्रेक्षक की
(स) पर्यटक की
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 7.
अपने ही राष्ट्र में निवास स्थान के अतिरिक्त राज्य या देश के भीतर किसी अन्य स्थान पर भ्रमण करने वाला यात्री कहलाता है –
(अ) परदेशी
(ब) स्थानीय पर्यटक
(स) स्वतन्त्र पर्यटक
(द) विदेशी पर्यटक
उत्तरमाला:
(अ) परदेशी
प्रश्न 8.
पर्यटन के संघटक हैं –
(अ) परिवहन
(ब) स्थल का आकर्षण
(स) वित्त व्यवस्था
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 9.
निम्न में से संरक्षित पर्यटन उत्पाद नहीं है –
(अ) पुरातन भवन
(ब) प्राचीन गुफा
(स) फुटकर दुकानें
(द) ऐतिहासिक स्मारक
उत्तरमाला:
(स) फुटकर दुकानें
प्रश्न 10.
विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पूरे विश्व में पर्यटकों की आवाजाही सन् 2020 तक अनुमान है –
(अ) 100 करोड़ का
(ब) 180 करोड़ का
(स) 50 करोड़ की
(द) 75 करोड़ का
उत्तरमाला:
(ब) 180 करोड़ का
प्रश्न 11.
पर्यटन की दृष्टि से विश्व के सर्वोच्च पचास देशों में प्रथम स्थान पर देश है –
(अ) अमेरिका
(ब) भारत
(स) फ्रांस
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) फ्रांस
प्रश्न 12.
पर्यटन की दृष्टि से भारत का विश्व में स्थान है –
(अ) 40वाँ
(ब) 41वाँ
(स) 3वाँ
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) 41वाँ
प्रश्न 13.
विश्व पर्यटन संगठन ने अन्तर्राष्ट्रीय पारिस्थितिक वर्ष घोषित किया था –
(अ) सन् 2002 को
(ब) सन् 2005 को
(स) सन् 2001 को
(द) सन् 2006 को
उत्तरमाला:
(अ) सन् 2002 को
प्रश्न 14.
सन् 1951 में भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या लगभग थी –
(अ) 76.8 लाख
(ब) 17 हजार
(स) 52 लाख
(द) 50 हजार
उत्तरमाला:
(ब) 17 हजार
प्रश्न 15.
भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों में एक तिहाई पर्यटक आते हैं?
(अ) गोवा में
(ब) उत्तर प्रदेश में
(स) राजस्थान में
(द) उत्तराखण्ड में
उत्तरमाला:
(स) राजस्थान में
प्रश्न 16.
राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन निदेशालय की स्थापना की गई।
(अ) सन् 1956 में
(ब) सन् 1978 में
(स) सन् 1982 में
(द) सन् 1950 में
उत्तरमाला:
(अ) सन् 1956 में
प्रश्न 17.
राजस्थान में पर्यटन कला संस्कृति विभाग का कार्य है –
(अ) पर्यटन स्थलों का विकास करना
(ब) नये स्थलों की खोज करना
(स) प्रचार – प्रसार करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 18.
राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) की स्थापना का प्रयोग उद्देश्य है –
(अ) पर्यटन केन्द्रों पर भोजन, आवास की व्यवस्था करना
(ब) पर्यटन केन्द्रों पर यातायात की व्यवस्था करना
(स) मनोरंजन की स्तरीय सुविधा उपलब्ध कराना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 19.
“पधारो म्हारे देश” ध्येय वाक्य राजस्थान सरकार द्वारा इन पर्यटन वर्षों में प्रसारित एवं प्रचलित हुआ –
(अ) सन् 1994 एवं 1995 में
(ब) सन् 1991 एवं 1992 में
(स) सन् 2001 एवं 2002 में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) सन् 1991 एवं 1992 में
प्रश्न 20.
राजस्थान के पर्यटन सर्किट हाड़ौती क्षेत्र में स्थित है –
(अ) अजमेर, पुष्कर, मेड़ता, नागौर
(ब) कोटा, बूंदी, झालावाड़
(स) भरतपुर, डीग, धौलपुर
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) कोटा, बूंदी, झालावाड़
प्रश्न 21.
पैलेस ऑन ह्वील्स गाड़ी (शाही रेलगाड़ी) का शुभारम्भ हुआ था –
(अ) सन् 1982 में
(ब) सन् 1995 में
(स) सन् 1978 में
(द) सन् 1980 में
उत्तरमाला:
(अ) सन् 1982 में
प्रश्न 22.
वर्तमान में देश में कुल हेरिटेज होटलों की संख्या है –
(अ) 95
(ब) 125
(स) 104
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) 125
प्रश्न 23.
वर्ष 2014 में भारत में आये विदेशी पर्यटकों की कुल संख्या थी –
(अ) 47,27,318
(ब) 29,51,781
(स) 76,79,099
(द) 2,39,106
उत्तरमाला:
(स) 76,79,099
प्रश्न 24.
पर्यटन उद्योग का महत्त्व है –
(अ) रोजगार के अवसरों का सृजन
(ब) विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
(स) लोककला को संरक्षण
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 25.
निम्न में पर्यटन का सांस्कृतिक महत्त्व नहीं है –
(अ) विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
(ब) लोककला का संरक्षण
(स) सांस्कृतिक धरोहरों का सरंक्षण
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
प्रश्न 26.
पर्यटन उद्योग द्वारा होने वाला सामाजिक प्रदूषण है –
(अ) वेश्यावृत्ति
(ब) नशा
(स) डांस क्लब
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 27.
पर्यटन उद्योग से होने वाली हानि नहीं है –
(अ) प्रकृति संचयन में वृद्धि
(ब) नैतिक मूल्यों का हनन
(स) राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में वृद्धि
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) प्रकृति संचयन में वृद्धि
प्रश्न 28.
पर्यटन उद्योग में रोजगार की सम्भावनायें हैं –
(अ) होटल प्रबन्धन में
(ब) ट्रेवल एजेन्ट में
(स) दुभाषिये में
(द) उपरोक्त सभी में
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी में
प्रश्न 29.
होटल प्रबन्धन में होटल के किचन के समस्त कार्यों को देखने के लिये जिम्मेदार होता है –
(अ) किचन स्टीववाडिंग
(ब) एक्जिक्यूटिव शैफ
(स) लॉबी मैनेजर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(ब) एक्जिक्यूटिव शैफ
प्रश्न 30.
पर्यटन क्षेत्र में उद्यमिता के अवसर प्राप्त होते हैं –
(अ) रेस्तराँ, होटल व्यवसाय में
(ब) हेरिटेज होटल में
(स) पेईंग गेस्ट हाउस में
(द) उपरोक्त सभी में
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी में
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
देशाटन किसे कहते हैं?
उत्तर:
आर्थिक क्रियाओं, व्यापार एवं रोजगार के लिये दूसरे देश – प्रदेश में जाना देशाटन कहलाता है। राजस्थान के कई भागों में इसे ‘देशवार’ के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 2.
तीर्थाटन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आध्यात्मिक सुख व भक्ति भाव से ओत-प्रोत सनातन संस्कृति के तहत प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों की यात्रा के तीर्थाटन कहते हैं।
प्रश्न 3.
यात्रा के कोई दो उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
- लम्बे समय तक एक ही स्थान पर रहने से हो रही उदासीनता को समाप्त कर पुनः स्फूर्ति लाने के लिये।
- ज्ञान एवं अनुभव की प्राप्ति के लिये।
प्रश्न 4.
पर्यटन की कोई दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
- पर्यटन लोगों के अपने निवास स्थान से अन्यत्र गन्तव्य स्थान की ओर जाने से प्रारम्भ होता है।
- पर्यटन में दो तत्त्वों का समावेश होता है, प्रथम यात्रा व द्वितीय ठहरना/रुकना होता है।
प्रश्न 5.
सांस्कृतिक पर्यटन किसे कहते हैं?
उत्तरं:
जब पर्यटक अथवा यात्री नई जीवन संस्कृति देखने में जानने के लिये यात्रा करता है तो उसे सांस्कृतिक पर्यटन कहते हैं। जैसे – लोकनृत्य, कला, चित्रकला, शिल्प कला आदि।
प्रश्न 6.
मानव जातीय पर्यटन में किस प्रकार की यात्रा को सम्मिलित किया जाता है?
उत्तरे:
मानव जातीय पर्यटन के अन्तर्गत किसी अनजान की मानव जाति का अध्ययन करने के लिये या अपने पूर्वजों के पैतृक स्थान को जानने व देखने के लिये की गयी यात्रा को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 7.
वन्य जीव पर्यटन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब पर्यटक प्रकृति की सुन्दरता व जंगल में रहने वाले जीव – जन्तुओं को देखने हेतु विभिन्न राज्यों एवं देशों में संरक्षित अभ्यारण पार्क या सफारी का भ्रमण करने जाते हैं तो उसे वन्यजीव पर्यटन कहते हैं।
प्रश्न 8.
पर्यटक से आपका क्या अभिप्राय है।
उत्तर:
पर्यटक से आशय उस व्यक्ति से है जो अपने निवास स्थान को छोड़कर अन्य स्थान, अन्य प्रदेश या अन्य देश की यात्रा करता है।
प्रश्न 9.
घरेलू या राष्ट्रीय पर्यटक किसे कहते हैं?
उत्तर:
अपने राष्ट्र में निवास स्थान के अतिरिक्त राज्य या प्रदेश के भीतर किसी अन्य स्थान पर भ्रमण करने वाला यात्री घरेलू पर्यटक या परदेशी कहलाता है।
प्रश्न 10.
पर्यटन उत्पाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ऐसे उत्पाद जो घर से बाहर फुर्सत के क्षणों में यात्री की सुख सुविधा, भोग – विलास, धार्मिक व व्यावसायिक इच्छा व आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं उन्हें पर्यटन उत्पाद कहते हैं।
प्रश्न 11.
पर्यटन संघटक किसे कहते हैं?
उत्तर:
पर्यटन उत्पाद के सृजन को प्रभावित करने वाले आवश्यक तत्त्व संघटक कहलाते हैं।
प्रश्न 12.
पर्यटन उत्पाद के सृजन को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो संघटक को बताइये।
उत्तर:
- परिवहन।
- आवास अथवा होटल।
प्रश्न 13.
संरक्षित पर्यटन उत्पादों की प्रमुख विशेषता क्या होती हैं?
उत्तर:
संरक्षित पर्यटन उत्पाद पर्यटन स्थल की भौगोलिक ऐतिहासिक व धार्मिक प्रकृति से सम्बन्धित होते हैं।
प्रश्न 14.
पर्यटन में किन्हीं दो स्थानीय सुविधा उत्पादों के नाम बताइये?
उत्तर:
- स्वास्थ्य चिकित्सा सेवा।
- बैंक व विदेशी मुद्रा विनिमय केन्द्र।
प्रश्न 15.
भारत में अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक सर्वाधिक किन देशों से आते हैं?
उत्तर:
अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी एवं ऑस्ट्रेलिया से आते हैं।
प्रश्न 16.
पर्यटन क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में कौन – सा स्थान है?
उत्तर:
पर्यटन क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में हीरे – जवाहरात तथा वस्त्र उद्योग के बाद तीसरा स्थान है।
प्रश्न 17.
भारत में पर्यटन के क्षेत्र में लगभग कितने व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हो रहा है?
उत्तर:
3.67 करोड़ (लगभग)।
प्रश्न 18.
भारत में किन तीन प्रमुख राज्यों में सर्वाधिक पर्यटक आते हैं?
उत्तर:
गोवा, केरल एवं राजस्थान।
प्रश्न 19.
“स्वर्णिम त्रिभुज” में कौन – कौन – से शहर सम्मिलित हैं?
उत्तर:
दिल्ली, आगरा एवं जयपुर।
प्रश्न 20.
राजस्थान के नायला गाँव में अमेरिका के किस पूर्व राष्ट्रपति ने यात्रा की थी?
उत्तर:
बिल क्लिंटन।
प्रश्न 21.
राजस्थान में विदेशी पर्यटकों का सर्वाधिक आगमन किन जिलों में होता है?
उत्तर:
जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर एवं उदयपुर।
प्रश्न 22.
राजस्थान पर्यटन विकास निगम की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर:
सन् 1978 में।
प्रश्न 23.
राजस्थान सरकार ने किस वर्ष ऐतिहासिक दुर्ग एवं महलों को हेरिटेज होटलों में परिवर्तित करने का निर्णय लिया था?
उत्तर:
सन् 1982 में।
प्रश्न 24.
राजस्थान सरकार ने पर्यटन क्षेत्र की क्रियाओं को उद्योग का दर्जा कब प्रदान किया था?
उत्तर:
सन् 1989 में।
प्रश्न 25.
राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 1991 व 1992 को पर्यटन वर्ष क्यों घोषित किया गया?
उत्तर:
पर्यटन उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने एवं पर्यटकों को विशेष सुविधा देने हेतु वर्ष 1991 व 1992 को पर्यटन वर्ष घोषित किया था।
प्रश्म 26.
राजस्थान कालिंग क्या है?
उत्तर:
पर्यटकों में राजस्थान के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने हेतु अन्य राज्यों में प्रदर्शनी लगाने की योजना है।
प्रश्न 27.
सांस्कृतिक धरोहर सेवा वाहिनी योजना क्या है?
उत्तर:
राज्य सरकार द्वारा विद्यालय स्तर पर विद्यार्थियों में प्राचीन धरोहर की रक्षा हेतु प्रेरित करने के लिये चलाई जाने वाली योजना है।
प्रश्न 28.
फिल्म सिटी, हाथी गाँव आदि बनाने हेतु राजस्थान सरकार द्वारा चलायी जाने वाली योजना कौन – सी है?
उत्तर:
टाउनशिप विकास योजना।
प्रश्न 29.
राजस्थान सरकार ने किस वर्ष से पूर्व के बने महल, दुर्ग, हवेलियों एवं शिकारगाहों को हैरिटेज होटल में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा है?
उत्तर:
सन् 1950 से पूर्व।
प्रश्न 30.
सन् 2014 में फ्रांस से आये पर्यटकों की संख्या कितनी थी?
उत्तर:
2,46,101
प्रश्न 31.
पर्यटन उद्योग के दो आर्थिक महत्त्व बताइये?
उत्तर:
- रोजगार अवसरों का सृजन करना।
- विदेशी मुद्रा की प्राप्ति में सहायक।
प्रश्न 32.
पर्यटन उद्योग के दो सामाजिक महत्त्व बताइये।
उत्तर:
- जीवन स्तर में सुधार।
- सामाजिक समरसता में वृद्धि।
प्रश्न 33.
पर्यटन उद्योग से होने वाली दो हानियों का उल्लेख कीजिये?
उत्तर:
- राष्ट्र विरोधी गतिविधिओं में वृद्धि।
- भारतीय नैतिक मूल्यों का पतन।
प्रश्न 34.
पर्यटन उद्योग में रोजगार की किन्हीं दो अवसरों को बताइये?
उत्तर:
- टूरिस्ट गाइड।
- दुभाषिये।
प्रश्न 35.
पर्यटन क्षेत्र में उद्यमिता के किन्हीं दो अवसरों को बताइये।
उत्तर:
- रेस्तराँ, होटल व्यवस्था
- हेल्थ क्लब।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)
प्रश्न 1.
धार्मिक पर्यटन किसे कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न सम्प्रदाय, पन्थ एवं धर्मों के पवित्र स्थानों या पूजा स्थलों की यात्रा को धार्मिक पर्यटन कहते हैं। जैसे – हिन्दुओं का चार धाम यात्रा, अमरनाथ यात्रा व कैलाश पर्वत यात्रा, ईसाइयों का वेटिकन सिटी जाना, एवं मुस्लिमों का मक्का मदीना की यात्रा पर जाना आदि।
प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय अथवा विदेशी पर्यटक किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी एक देश के निवासी द्वारा अन्य देश अथवा देशों की यात्रा या भ्रमण करने वाला विदेशी या अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटक कहलाता है। इसमें पासपोर्ट व उस राष्ट्र (मेजवान राष्ट्र) की सरकार की अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।
प्रश्न 3.
“पर्यटन के लिये सर्वप्रथम सुगम परिवहन व्यवस्था आवश्यक है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन सुविधा पर्यटन के लिये एक महत्त्वपूर्ण घटक माना जाता है। इसके बिना कोई भी यात्री गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुँच सकता है। अत: पर्यटन के लिये सर्वप्रथम सुगम परिवहन व्यवस्था आवश्यक है।
प्रश्न 4.
विशेष पहचान के किन्हीं पाँच पर्यटन उत्पादों को बताइये।
उत्तर:
विशेष पहचान के पाँच पर्यटन उत्पाद निम्न हैं जिसका उपभोग करने या देखने के लिये पर्यटक आते हैं –
- मानव निर्मित विशेष इमारत, बुर्ज खलीफा।
- विशेष समारोह – कार्निवल।
- विशेष प्रकार के पार्क या खेलकूद सुविधा।
- प्रकृति के विशेष आकर्षण स्थल – झरने, नदियाँ
- समुद्रतट, गोवा, केरल।
प्रश्न 5.
वैश्विक दृष्टि से पर्यटन उद्योग की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
परिवहन, संचार सुविधायें, टूर एवं ट्रेवल कम्पनियों के व्यापार विस्तार के पश्चात् यात्रायें विशेषकर अन्तर्राष्ट्रीय यात्रायें जन सामान्य तक पहुँच गयी हैं। विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पूरे विश्व में पर्यटकों की आवाजाही सन् 2014 में 113.5 करोड़ हुई थी। एवं 2020 तक 180 करोड़ होने का अनुमान है। पर्यटन विश्व में तेल एवं मोटरकार के व्यापार एवं उद्योग के पश्चात् तीसरे स्थान का वृहत् उद्योग बन गया है। इस उद्योग से विश्व भर में 21.20 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
प्रश्न 6.
राजस्थान में पर्यटन कला संस्कृति विभाग की भूमिका को समझाइये।
उत्तर:
पर्यटन कला संस्कृति विभाग पर्यटन स्थलों के विकास, नये स्थलों की खोज, प्रचार – प्रसार पर्यटकों की संगीत एवं यहाँ की लोक – कलाओं व गीतों से परिचित करवाने के लिये मेला – त्यौहारों का कार्य करता है। तथा पर्यटन स्थलों के बारे में ब्रोशर्स, फोल्डर्स, पोस्टर एवं विज्ञापन फिल्म आदि तैयार कर पर्यटन केन्द्रों एवं अन्य एजेन्सियों के माध्यम से पर्यटकों को पर्यटन सम्बन्धी साहित्य उपलब्ध कराया जाता है।
प्रश्न 7.
भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग की उपयोगिता को समझाइये।
अथवा
पर्यटन उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है। यहाँ गरीबी, बेरोजगारी जैसी विभिन्न समस्याएँ पायी जाती हैं लेकिन पर्यटन ऐसा सेवा क्षेत्र का उद्योग है जिसमें सर्वाधिक रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। जिससे गरीबी, बेरोजगारी एवं अल्प विकास की दर जैसी
समस्याओं का निदान होता है। पर्यटन उद्योग से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होती है तथा इससे होटल, परिवहन, बैंकिंग, संचार प्रणाली आदि का विकास होता है।
प्रश्न 8.
पर्यटन उद्योग द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
विशेष अन्तर्राष्ट्रीय व्यक्तियों द्वारा स्थान विशेष की यात्रा करने पर समाचार-पत्रों, टीवी समाचारों, में स्थान विशेष को विशिष्ट स्थान मिलता है और उस स्थान विशेष के विस्तृत विवरण दिये जाते हैं। जिससे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति की नायला गाँव की यात्रा के कारण नायला गाँव अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना गया। उसी तरह कई फिल्मी हस्तियों द्वारा विभिन्न पर्यटक स्थलों पर आयोजन करने से अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ती है।
प्रश्न 9.
टूरिस्ट गाइड किसे कहते हैं?
उत्तर:
पर्यटकों को पर्यटन स्थल की जानकारी एवं ऐतिहासिक घटनाओं का ब्यौरा प्रदान करने तथा सहायता के लिये जानकार एवं स्थानीय व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, जिन्हें टूरिस्ट गाइड कहते हैं। टूरिस्ट गाइड बनने के लिये स्थानीय भूगोल, इतिहास की जानकारी के साथ अंग्रेजी एवं फ्रेंच भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। यह बिना पूँजी का व्यक्तिगत कौशल का स्वतन्त्र रोजगार है।
प्रश्न 10.
पर्यटन क्षेत्र में हेल्थ क्लब के माध्यम से स्वरोजगार की सम्भावना समझाइये।
उत्तर:
पर्यटन क्षेत्र में हेल्थ क्लब कम पूँजी का अच्छा व्यवसाय ब्रन सकता है। क्योंकि आजकल पर्यटक स्थलों की प्रकृतिगत वातावरण के साथ – साथ, योग, ध्यान, हर्बल चिकित्सा एवं मालिश के द्वारा भी आनन्द प्राप्ति करना चाहते हैं। बड़े-बड़े शहरों एवं समुद्र किनारे के पर्यटन स्थलों पर ऐसे क्लबों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)
प्रश्न 1.
द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व यात्राओं की समीक्षात्मक वर्णन कीजिये।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व सभी प्रकार की यात्रायें बहुत कम स्वप्रेरणा से होती थी। क्योंकि यात्रा करने के साधनों का अभाव था। सम्भवतः यात्रायें पैदल या पशुओं की सहायता से की जाती थी, रास्ते में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था तथा लम्बी अवधि तक यात्रा करने पर गन्तव्य स्थान प्राप्त होता था। असुरक्षा एवं जोखिम भी ज्यादा थी जिसमें यात्रा करना बहुत कठिन व कठोर कार्य होता था। इसी कठोरता के कारण फ्रेंच शब्द Travail जिसका अर्थ कठोर होता है, से ही Travel शब्द यात्रा की व्युत्पत्ति हुई। वर्तमान में परिवहन के आधुनिक साधनों, सेवा व्यापार एवं संचार तन्त्र से यात्राएँ आसान, सुरक्षित एवं अधिक सुविधाजनक हो गयी हैं। यात्रा एवं पर्यटन शब्द में अन्तर होते हुए भी व्यवहार में संयुक्त रूप से प्रयुक्त होते हैं।
प्रश्न 2.
विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पर्यटन की सर्वमान्य परिभाषा दीजिए तथा परिभाषा का विश्लेषण करते हुए विभिन्न लक्षणों को बताइये।
उत्तर:
विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पर्यटन की सर्वमान्य परिभाषा निम्न है –
“पर्यटन के अन्तर्गत व्यक्तियों की वे गतिविधियाँ सम्मिलित हैं जो उनके दैनिक वातावरण अथवा परिवेश से बाहर जाकर यात्रा एवं विश्राम करते हुए सम्पन्न की जाती है। ये यात्राएँ आराम के क्षण मनोरंजन, वाणिज्य, व्यापार तथा अन्य प्रयोजनों की सिद्धि के लिये एक वर्ष के भीतर निरन्तर गति से होनी चाहिए।”
उपरोक्त परिभाषा का विश्लेषण करने पर पर्यटन के निम्न लक्षण प्रकट होते हैं –
- पर्यटन लोगों के अपने निवास स्थान से अन्यत्र गन्तव्य स्थान की ओर जाने से प्रारम्भ होता है।
- पर्यटन में दो तत्त्वों का समावेश होता है। प्रथम, यात्रा व द्वितीय ठहरना/रुकना।
- गन्तव्य स्थल पर यात्री को न्यूनतम 24 घण्टे व अधिकतम छः माह तक रुकने की अपेक्षा की जाती है।
- गन्तव्य स्थल (पर्यटन स्थल)की यात्रा रोजगार प्राप्ति या स्थायी निवास के अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य से की जाती है।
प्रश्न 3.
समूह पर्यटक से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न स्वरूपों को बताइये।
उत्तर:
जब कई व्यक्ति आपसी सहमति से सामूहिक रूप से यात्रा करना पसन्द करते हैं, तो वे समूह पर्यटक कहलाते हैं। इसमें यात्रा की सम्पूर्ण व्यवस्थायें उनके लिये सामूहिक रूप से की जाती हैं। जिसमें उनको विभिन्न स्थानों पर व्यवस्था व्यय में छूट मिलती है तथा सुरक्षा का भाव भी रहता है। जापान एवं भारत के लोग सामान्यतः समूह में यात्रा या भ्रमण करना पसन्द करते हैं, जिन्हें बोलचाल की भाषा में पैकेज टूर कहा जाता है। पर्यटकों के औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह के स्वरूप निम्न हो सकते हैं –
- मित्र मण्डली अथवा समूह
- पारिवारिक समूह
- विद्यार्थी समूह
- युगल समूह
- राजनैतिक समूह
- अध्ययन समूह
प्रश्न 4.
राजस्थान में पर्यटन त्रिकोण एवं महत्त्वपूर्ण पर्यटन सर्किटों को बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में पर्यटन त्रिकोण:
- स्वर्णिम त्रिकोण – दिल्ली, आगरा, जयपुर।
- मरु त्रिकोण – जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर।
राजस्थान में पर्यटन सर्किट:
- जयपुर – आमेर।
- अलवर, सिरोही, सरिस्का।
- भरतपुर, डीग, धौलपुर।
- रणथम्भौर, टोंक।
- हाड़ौती क्षेत्र (कोटा, बूंदी, झालावाड)।
- मेवाड़ (अजमेर, पुष्कर, मेड़ता, नागौर)।
- शेखावटी क्षेत्र (सीकर, झुंझनू)।
- माउण्ट आबू, रणकपुर।
- मेवाड़ क्षेत्र (रणकपुर, कुम्भलगढ़, उदयपुर, नाथद्वारा, चित्तौड़गढ़)।
- मरु क्षेत्र (जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर)।
प्रश्न 5.
पर्यटन के सांस्कृतिक महत्त्व को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर:
पर्यटन के सांस्कृतिक महत्त्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. संस्कृति के संवहन एवं जीवित रखने में सहायक – वर्तमान में तीव्र गति से बढ़ रहे अर्थ जगत् एवं संचार युग में प्राचीन संस्कृतियों, परम्पराओं का पालन व निर्वाह कठिन हो जा रहा है। लेकिन पर्यटकों की पसन्द व आकर्षण के कारण परम्परागत मेले, त्यौहार व उत्सवों को सरकारी एवं निजी प्रोत्साहन एवं संरक्षण किया जा रहा है। जो संस्कृति के संवहन एवं जीवित रखने के लिये लाभप्रद है।
2. लोक कला का संरक्षण – भारत में सम्पूर्ण भू-भाग विविध लोक कलाओं से भरा हुआ है। लोक कला मनोरंजन एवं संस्कृति संवहन एवं भावाभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम माना जाता है। विविध क्षेत्रों की भाषा, बोली, परिवेश, परम्पराओं व कथाओं पर आधारित ये कलायें पर्यटन आकर्षण का महत्त्वपूर्ण साधन है। इनके प्रदर्शन एवं विकास के लिये निजी एवं सरकारी स्तर पर प्रयास किये जाते हैं।
3. स्थानीय भाषा, संगीत एवं साहित्य का प्रसार – सांस्कृतिक पर्यटक संस्कृति को जानना एवं पहचानना चाहते हैं। तथा यही उनका आकर्षण है जिसके लिये वो भारत आते हैं। संस्कृति भाषा, संगीत एवं परम्पराओं का मिश्रण है। इसलिये सरकार एवं अन्य एजेसियाँ इनके संरक्षण एवं प्रोत्साहन के प्रयास कर रही है।
प्रश्न 6.
पर्यटन उद्योग से होने वाली हानियों को बताइये।
या
पर्यटन उद्योग की कमजोरियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पर्यटन से जितने लाभ होते हैं उसके अनुपात में कुछ कमजोरियाँ भी हैं जो समाज को प्रभावित करती है उनमें से कुछ निम्नवत् हैं –
1. सामाजिक सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय प्रदूषण – पर्यटकों को मनोरंजन सुविधाएँ जुटाने के लिये की जाने वाली व्यवस्थाओं में नशा – अफीम, गांजा, चरस, बार डांस क्लब व वेश्यावृत्ति आदि का चलन बढ़ रहा है। इससे सामाजिक व्यवस्था प्रदूषित हो रही है। सांस्कृतिक प्रदूषण के अन्तर्गत विदेशी पर्यटकों द्वारा अपनी संस्कृति के कपड़ों का पहनावा, रहन – सहन या खान – पान करते हैं। तो इसका प्रभाव भारतीय लोगों पर भी पड़ता है और वह भी उनकी संस्कृति को अपनाते जा रहे हैं जिससे भारतीय संस्कृति प्रदूषित होती जा रही है। पर्यावरणीय प्रदूषण के अन्तर्गत पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक की सामग्री का अत्यधिक प्रयोग से भूमि प्रदूषित हो रही है।
2. राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में वृद्धि – पर्यटन उद्योग में पर्यटकों की भीड़ में कुछ पर्यटक विरोधी अथवा शत्रु राष्ट्रों द्वारा गुप्त सूचनाएँ एकत्रित करने आतंकवाद फैलाने तथा मादक द्रव्यों की तस्करी करने के लिये भेजे जाते हैं। जिससे देश की महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ, मानचित्र एवं ठिकाने की जानकारी आतंकवादियों को मिल जाती हैं। जिसका वे दुरुपयोग करते हैं।
3. समाज के कमजोर पक्ष का मजाक उड़ाना – भारत में एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। जिनके रहन – सहन एवं खान – पान की फोटो पर्यटकों द्वारा खींची जाती है। इसका उपयोग अपने राष्ट्र में जाकर भारत की गलत छवि प्रस्तुत करने के लिये करते हैं। पूर्व में भारत को सपेरों का देश कहा जाता है। देश की यह छवि इन्हीं कारणों से बनी थी।
RBSE Class 11 Business Studies Chapter 11 दीर्घउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पर्यटन विषय के विद्वानों द्वारा किये गये पर्यटन उत्पादों का वर्गीकरण समझाइये।
उत्तर:
पर्यटन विषय के विद्वानों द्वारा पर्यटन उत्पाद का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया गया है –
(1) संरक्षित पर्यटन उत्पाद – संरक्षित पर्यटन उत्पादों में पर्यटन स्थल की भौगोलिक, ऐतिहासिक व धार्मिक विशेषता प्रमुख होती है –
- ऐतिहासिक स्मारक/स्थल।
- पुरातन भवन/संरक्षित प्राचीन धरोहर।
- धार्मिक स्थल।
- प्राचीन गुफायें एवं चट्टानें।
- पुरातत्व स्थल।
(2) विशेष पहचान के पर्यटक उत्पाद – इसमें पर्यटन स्थल पर उपलब्ध विशेष सेवा, सुविधा, तकनीकी, या प्राकृतिक स्थल से पहचान बनती है। जिसका उपयोग करने या देखने के लिये पर्यटक आते हैं –
- मानव निर्मित विशेष इमारत – बुर्ज खलीफा।
- विशेष समारोह कार्निबल।
- विशेष प्रकार के पार्क या खेलकूद सुविधा।
- प्रकृति के विशेष आकर्षण स्थल – झरने, नदियाँ।
- समुद्र तट – गोवा, केरल।
(3) पर्यटन उत्प्रेरक उत्पाद – पर्यटन उत्प्रेरक में पर्यटन स्थल पर पर्यटकों की आकर्षित करने के लिये अनेक प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं –
- होटल, पेईंग गेस्ट हाउस, रेस्टोरेन्ट।
- पर्यटक परिवहन।
- टूर ऑपरेटर या ट्रेवल एजेन्ट।
- पर्यटक सूचना या सहायता केन्द्र।
- शापिंग मॉल।
- स्मृति चित्र विक्रय केन्द्र।
- संग्रहालय।
- बाग – बगीचे, खेल मैदान।
- मन्दिर।
- क्लब।
(4) स्थानीय सुविधा उत्पाद – जिस स्थान पर पर्यटक जाता है वहाँ की स्थानीय सुविधाएँ भी पर्यटक उत्पाद के रूप में विशेष महत्त्व रखती हैं –
- स्वास्थ्य चिकित्सा सेवा।
- फुटकर दुकानें।
- बैंक व विदेशी मुद्रा विनिमय केन्द्र।
- स्थानीय परिवहन सेवायें।
- डाक – तार व टेलीफोन सेवा।
- पेट्रोल पम्प।
- पुलिस प्रशासन।
- सिनेमा हॉल।
प्रश्न 2.
राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन स्थलों में आकर्षण उत्पन्न करने हेतु कौन – कौन – से कार्यक्रम एवं परियोजना चलायी गई हैं?
उत्तर:
राजस्थान सरकार द्वारा पर्यटन में आकर्षण उत्पन्न करने हेतु निम्न कार्यक्रम एवं योजनाएँ चलायी गई हैं –
1. विलेज सफारी – राजस्थान में प्रकृति संरक्षण गाँवों का भ्रमण कराया जाता है। ओसिया के पास मरुस्थल (धोरा) में झोपड़ियां बनाकर पर्यटकों के लिये अस्थाई आवास व्यवस्था की गई है। प्रदेश के प्रकृति संरक्षण और प्रकृति संचयन के आदर्श प्रतीक जैसे – खेजड़ली (अमृता देवी राष्ट्रीय उद्यान) गाँवों के “आरण, गोचर भूमि तथा विश्नोई बाहुल्य इलाकों हरिण” की रक्षार्थ वचन बद्धता तथा पशु प्रेम अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों को अधिक भाव – विभोर करता है।
2. नौका बिहार – राजस्थान में पर्यटकों को झीलों के किनारे अच्छे रेस्तराँ के साथ ही वोटिंग की भी सुविधा है। उदयपुर, जोधपुर, जयपुर के अलावा सरकार अब राजस्थान केनाल में नौकायन का विचार कर रहा है।
3. प्रकाश व ध्वनि शो – पर्यटकों के मनोरंजन के साथ सांस्कृतिक व ऐतिहासिक जानकारी देने के लिये पर्यटन विभाग ने महत्त्वपूर्ण स्थलों पर शाम को प्रकाश व ध्वनि शो प्रारम्भ किये हैं।
4. रोपवे – राजस्थान सरकार ने देशी व घरेलू पर्यटकों को ऊँची पर्वतमालाओं व जंगल का प्राकृतिक दृश्य दिखाने के लिये कुछ स्थानों पर रोपवे (उड़ने खटोला) प्रारम्भ किये गये हैं। जैसे – सुधा माता का मन्दिर, पुष्कर।
5. मेले व उत्सवों का आयोजन – राजस्थान में पर्यटक स्थलों का आकर्षण बढ़ाने हेतु विभिन्न जिलों में अलग – अलग समय पर परम्परागत लोकप्रिय तीज – त्यौहारों का वृहत् स्तर पर आयोजन किया जाता है। जिससे पर्यटकों का आकर्षण भी बढ़ा है। जैसे – जैसलमेर, मरु मेला, पुष्कर मेला, जयपुर गणगौर, झालावाड़, चन्द्रभागा मेला, आबू पर्वत ग्रीष्म मेला आदि।
6. परिवहन सुविधा अथवा पैकेज टूर – पर्यटकों को सुगम व आरामदायक परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु जयपुर, जोधपुर, सरिस्का, उदयपुर व सवाई माधोपुर में (साईट – सीन) दृश्यों को देखने के लिये व्यवस्था की जाती है। इसके लिये एक दिवसीय व अन्य कई दिवसों के लिये पैकेज टूर आयोजित करते हैं। हवा महल टूर, मेवाड़ पैकेज, ‘वाइल्ड लाइफ टूर, राजस्थान भ्रमण, गोल्डन ट्राई एंगल, डेजर्ट ट्राई एंगल टूर’ इत्यादि। यह सभी पैकेज टूर दिल्ली से संचालित होते हैं।
7. अन्य –
- जवाई बाँध में ‘क्रोकोडायल पार्क’ बनाने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।
- जयपुर के पास आमेर में पर्यटकों को हाथी की सवारी करायी जाती है।
- जयपुर में पर्यटकों के बीच एवं विदेशी पर्यटकों का स्थानीय खिलाड़ियों के बीच पोलो मैच का आयोजन किया जाता है।
- विदेशी पर्यटकों को धार रेगिस्तान की रोमांचक यात्रा हेतु आकर्षित करने के लिये कार रैली का आयोजन किया जाता है।
- मरु प्रदेश जैसलमेर में पर्यटकों को ऊँट पर सवारी करते हुए मरुस्थलीय गाँवों का भ्रमण कराया जाता है।
- पुष्कर पशु मेले में साहसिक घुड़सवारी करायी जाती है।
प्रश्न 3.
पर्यटन से आप क्या समझते हैं? पर्यटन का सामाजिक महत्त्व समझाइये।
उत्तर:
पर्यटन:
जब व्यक्ति परिवार या समूह दैनिक जीवन के कार्य दबाव या उबाऊपन को दूर करने के लिये कुछ समय के लिये परिवर्तन चाहता है तो इसके लिये वह अपने नियत स्थान से हटकर कहीं आसपास या दूरस्थ स्थान पर घूमने जाता है इसे भ्रमण या पर्यटन कहते हैं।
पर्यटन का सामाजिक महत्त्व:
पर्यटन के सामाजिक महत्त्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
1. सामाजिक समरसता में वृद्धि – पर्यटन के द्वारा सामाजिक समरसता में वृद्धि होती है। जिसमें विभिन्न पर्यटक स्थलों पर कई सम्प्रदायों के व्यक्तियों में एक व्यापारिक समझे उत्पन्न हो गई है और यह सम्प्रदाओं में एकता को आधार बन रहा है। मलेशिया इसका जीवन्त उदाहरण है जहाँ वे आपसी झगड़ों का सार्वजनिक रूप से प्रकटीकरण नहीं करते हैं।
2. ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि – अन्तर्राष्ट्रीय व्यक्तियों द्वारा स्थान विशेष की यात्रा करने पर समाचार – पत्रों टीवी समाचारों में स्थान विशेष को विशिष्ट स्थान मिलता है। तथा उस स्थान के विशेष विस्तृत विवरण दिये जाते हैं। जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति की नायला गाँव की यात्रा के कारण नायला गाँव अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना गया। उसी तरह कई फिल्मी हस्तियों द्वारा विभिन्न पर्यटक स्थलों पर आयोजन करने से अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बढ़ती है।
3. अन्तर्राष्ट्रीय सहायता प्राप्ति – विदेशी अथवा देशी पर्यटक अपनी यात्रा के दौरान कुछ व्यक्तियों अथवा संस्थाओं के कार्यों से प्रभावित होकर या स्थान के आकर्षण से मोहित उसके साथ भावनात्मक सम्बन्ध बना लेते हैं। तथा उन्हें विकास हेतु धन एवं तकनीकी सहायता करते हैं। जैसे – पश्चिमी राजस्थान की वीरनी योजना जिसमें कुछ विदेशियों द्वारा मोबाईल चिकित्सा सेवा संचालित होती है।
4. विविध सुविधाओं का विकास – पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को आकर्षित करने एवं उन्हें सुविधाएँ पहुँचाने के लिये सरकार एवं अन्य एजेन्सियाँ सभी तरह की सुविधाएँ जुटाने का प्रयास करती है। जैसे – अच्छी सड़कें, रेल, बैंक, होटल, अस्पताल, रेस्तराँ, सुरक्षा एवं पानी, बिजली इत्यादि। इन सुविधाओं का लाभ स्थानीय व्यक्तियों को भी मिलता है अत: उनकी सामान्य सुविधा स्तर में वृद्धि एवं सुगमता बढ़ती है।
5. साक्षरता व शैक्षिणक विकास – पर्यटन क्षेत्र में रोजगार प्राप्ति के लिये पर्यटन स्थलों के व्यक्तियों में शिक्षा की तरफ झुकावे प्रारम्भ हुआ है। यही नहीं पर्यटकों को अच्छी सेवायें देने के लिये लोग (गाइड) अब अध्ययन की तरफ प्रवृत्त हो रहे हैं। इससे आम जनता में साक्षरता एवं शिक्षा का विकास हो रहा है।
6. सामाजिक जीवन स्तर में सुधार – पर्यटन के द्वारा लाखों व्यक्तियों को पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। तथा उद्यमिता के क्षेत्र में भी काफी विकास हुआ है। जिससे व्यक्तियों की क्रय शक्ति बढ़ाने में सहायता मिलती है। अन्ततः समाज के विभिन्न स्तरों पर लोगों के जीवन स्तर में सुधार आता है।
7. विविध जानकारियाँ एवं ज्ञान में वृद्धि – पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के आवागमन से पर्यटन क्षेत्र से जुड़े सभी व्यक्तियों, संस्थाओं की जानकारी एवं ज्ञान में अभिवृद्धि होती है तथा विपणन एवं शोध से जुड़े लोगों के लिये अनुभव प्राप्त होता है।
प्रश्न 4.
पर्यटन उद्योग के अन्तर्गत होटल प्रबन्धन में रोजगार की सम्भावनाएँ बताइये।
उत्तर:
वर्तमान में होटल प्रबन्धन हेतु पेशेवर और प्रशिक्षित कर्मचारियों की माँग दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान युवा पीढ़ी में यह पेशा प्रतिष्ठित रोजगार के उपयुक्त साधन के रूप में निरन्तर लोकप्रिय होता जा रहा है। त्रि – वर्षीय प्रशिक्षण पूरा करने वाले युवाओं का सरकारी और निजी क्षेत्र के होटलों में पर्याप्त रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। होटल प्रबन्धन हेतु निम्न पदों का सृजन किया जाता है जो निम्नवत् हैं –
1. फ्रंट ऑफिस असिस्टेन्ट – होटलों में स्वागत कक्ष पर आगन्तुकों से वार्ता करने उन्हें सुविधाओं का ब्यौरा देने तथा कमरा देने एवं होटल छोड़कर जाने पर हिसाब – रवानगी करने का कार्य फ्रन्ट ऑफिस असिस्टेन्ट द्व आरा किया जाता है। प्रत्येक होटल में न्यूनतम तीन ऑफिस असिस्टेन्ट की आवश्यकता होती है।
2. लॉबी मैनेजर – जब होटल के महाप्रबन्धक एवं दूसरे विभागों के प्रमुख अपने कार्यालय में मौजूद नहीं होते, तब होटल की हर प्रकार की स्थिति से निपटने हेतु लॉबी मैनेजर की आवश्यकता पड़ती है। लॉबी मैनेजर ग्राहकों के सामने अपने होटल का प्रतिनिधि होता है। इसकी जिम्मेदारियाँ रात्रि में अधिक होती है।
3. एक्जिक्यूटिव शैफ – एक्जिक्यूटिव शैफ होटल के किचन के समस्त कार्यों को देखने के लिये जिम्मेदार होता है। वह किचन कार्यों का शैफ, शैफ डी पार्टी तथा अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर अन्जाम देता है। वह एफ. एण्ड बी. मैनेजर के परामर्श से मीनू भी तैयार करता है। एक्जिक्यूटिव शैफ केवल खान – पान के लिये ही जिम्मेदार नहीं होता, बल्कि उसे किचिन स्टॉफ की नियुक्ति खरीददारी, मानव संसाधन विकास इत्यादि जैसा प्रशासनिक कार्य भी करना होता है। इसका कार्य चुनौती भरा होता है।
4. गेस्ट रिलेशन एक्जिक्यूटिव – ग्राहकों को आने वाली समस्याओं का मित्रतापूर्वक समाध शान निकालना तथा होटल में उनके रहने के लिये खुशनुमा माहौल तैयार करना एक अच्छे गेस्ट रिलेशन एक्जिक्यूटिव का कार्य है। कमरों, लॉबी, रेस्टोरेन्ट एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों की सफाई, फिनीशिंग एवं सज्जा इत्यादि कार्य हाउस कीपिंग डिपार्टमेन्ट के अन्तर्गत आता है। जो एक्जिक्यूटिव हाउस कीपर की देखरेख में सम्पन्न होता है।
5. फ्लोर सुपरवाईजर – होटल के प्रत्येक फ्लोर के लिये एक सुपरवाईजर होता है, जो अपनी टीम के सदस्यों के कार्य की निगरानी करता है तथा ग्राहक के होटल छोड़ने के पश्चात् उस कमरे को तैयार कर फ्रंट ऑफिस डिपार्टमेन्ट को सूचित करना होता है।
6. किचन स्टीववार्डिंग मैनेजर – इन्जीनियरिंग एवं मैटेनेन्स विभाग के समन्वय से किचन के सभी संयन्त्रों, ओबेन्स, रेफ्रिजरेटरों, बर्तनों इत्यादि का अनुरक्षण एवं देखभाल के कार्य का दायित्व किचन स्टीववार्डिग मैनेजर पर होता है। यह होटल जगत् में ग्लैमर एवं चुनौतियों से भरा कैरियर है।
राजस्थान के महत्त्वपूर्ण पर्यटन सर्किट
चार्ट पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1.
मरु सर्किट में कौन – कौन – से जिले आते हैं?
उत्तर:
जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर।
प्रश्न 2.
स्वर्णिम त्रिकोण में कौन – कौन से शहर आते हैं?
उत्तर:
दिल्ली, आगरा एवं जयपुर।
प्रश्न 3.
कोटा, बूंदी, झालावाड़ किस सर्किट में आते हैं?
उत्तर:
हाड़ौती सर्किट में।
प्रश्न 4.
मरु त्रिकोण में कौन – कौन – से शहर आते हैं?
उत्तर:
जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर।
प्रश्न 5.
पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान को कितने सर्किटों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान को 9 सर्किट तथा 1 परिपथ में बाँटा गया है।