RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 हे मातृभूमि! हमको वर दो
RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 हे मातृभूमि! हमको वर दो
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 1 हे मातृभूमि! हमको वर दो
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठ से
उच्चारण के लिए
मातृभूमि, विघ्नों, आशीष, सत्पथ
नोट—छात्र स्वयं उच्चारण करें।
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
‘लकीर का फकीर’ बनने से क्या आशय है?
उत्तर:
‘लकीर का फकीर’ बनने से आशय है-पुरानी विचारधारा, परंपरा और रूढ़िवादी रीति-रिवाजों पर ही चलने वाला।
प्रश्न 2.
हुम वीरानों को चमन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
वीरानों से यहाँ आशय उजाड़ भूमि या ऐसे क्षेत्र से है। जहाँ खुशहाली नहीं है। ऐसे स्थान पर जाकर हम अपने गुणों से, परिश्रम से खुशहाली ला देंगे।
प्रश्न 3.
दूसरों के दुःख को दूर करने के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
दूसरों के दु:ख को दूर करने के लिए तन, मन और धन से हम उनका सहयोग सहायता कर सकते हैं। हम ईश्वर से दूसरों के दु:ख को दूर करने के लिए प्रार्थना भी कर सकते हैं। [
लिखें
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि वर माँग रहा है
(क) भगवान से
(ख) संन्यासी से
(ग) मातृभूमि से
(घ) आकाश से
प्रश्न 2.
कवि जगरूपी बगिया से चुनना चाहता है
(क) कंकड़-पत्थर
(ख) सार-सुमन
(ग) सोना चाँदी।
(घ) हीरे-मोती।
उत्तर:
1. (ग)
2. (ख)
निम्नलिखित शब्दों में से उचित शब्द छाँटकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- सपन, सत्पथ, शिखरों
- विनों से कभी न घबराएँ.’को कभी न छोड़े हम।
- हम रुके नहीं, हम झुकें नहीं, गिरि। पर चढ़ते जाएँ।
- क्यों बने फकीर लकीरों के, नित नए “बुनना सीखें।
उत्तर:
- सत्पथ
- शिखरों
- सपन।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जीवन में विघ्न आने पर क्या करना चाहिए?
उत्तर:
जीवन में विघ्न आने पर सत्पथ को नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि हिम्मत से हमें बाधाओं का सामना करना चाहिए। यदि बाधाओं पर बाधाएँ आती ही जायें तो हमें अपनी आत्मशक्ति से बाधाओं का मुँह मोड़ देना चाहिए।
प्रश्न 2.
कवि मातृभूमि से क्या वरदान माँगता है?
उत्तर:
कवि मातृभूमि से वरदान माँगता है कि हम पढ़-लिखकर समझना सीखें और न बुरा बोलना, न बुरा देखना तथा न बुरा सुनना सीखें। | हम पुरानी परंपराओं पर नचलकर, नये-नये सपने सजाना सीखें। अच्छे विचारों को अपने आचरण में उतारने की कला सीखें।
प्रश्न 3.
‘गैंगों को स्वर देने’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
‘गैंगों को स्वर देने’ से कवि का आशय है- जिनके पास अन्याय और अत्याचार के खिलाफ बोलने की ताकत नहीं है, उन्हें जागरूक बनाना; जिनके पाठ ज्ञान शक्ति, विचार शक्ति नहीं है उन्हें ज्ञानवान और विचारवान बनाकर उन्हें बोलने वाला बनाएँगे जिससे वे अपने अधिकारों की माँग कर सके।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बाधाओं का रुख़ हम कैसे मोड़ सकते हैं? लिखिए।
उत्तर:
हम अपनी हिम्मत से मुश्किलों का सामना करेंगे क्योंकि विजय हमेशा सत्य की होती है। जब हम जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाओं से घबराएँगे नहीं और घबराकर सत्य का रास्ता नहीं छोड़ेंगे। रामायण, महाभारत जैसे महान ग्रन्थों में ‘सत्य की जीत’ पर ही सभी कहानियाँ लिखी गई हैं। भारत की सबसे बड़ी शक्ति न्यायपालिका का भी यह कहना है-‘सत्यमेव जयते’। फिर इस धरती पर मनुष्य ही वह शक्ति है जो अपने परिश्रम से अपने भाग्य को भी बदल सकती है। साहसी और धैर्यशील लोगों का बाधाएँ कभी कुछ नहीं बिगाड़ पार्ती। अत: निश्चित रूप से हम अपने साहस के द्वारा बाधाओं का रुख मोड़ सकते हैं।
प्रश्न 2.
मन से विद्वेष मिटाने के लिए हमें क्या प्रयास करने चाहिए?
उत्तर:
मन से विद्वेष मिटाने के लिए हमें मन से अपने पराये के भाव को मिटा देना चाहिए। सभी व्यक्तियों में जब हम अपनापन देखेंगे, उनके प्रति अपने सगे-संबंधी, भाई-बहिन जैसा भाव आयेंगे तो विद्वेष का भाव स्वयं समाप्त हो जायेगा। भारत के लोग तो हमेशा से पूरे संसार में इसी भावना का प्रचार करते आये हैं। जब यह भाव हमारे अंदर आ जायेगा तब हम सबके सुख को अपना सुख मानने लगेंगे और सभी के दु:ख को दूर करने में हम अपना सहयोग देंगे।
प्रश्न 3.
पढ़ने-लिखने के साथ ‘गुनना’ क्यों जरूरी है?
उत्तर:
पढ़ने—लिखने के साथ ‘गुनना’ (विचार करना) इसलिए जरूरी है क्योंकि बिना विचार किए हम सही और गलत के बीच अंतर नहीं कर सकते। किसी चीज को जब हम पढ़ते हैं तो मन में उस पर सोच-विचार करना चाहिए। कि हम उसे क्यों पढ़ रहे हैं ? इससे हमारे जीवन को क्या लाभ होगा ? इसका महत्त्व क्या है ? जब इन प्रश्नों का उत्तर हमें सहीं लगेगा तभी हम उसे अपने आचरण में ले आयेंगे और तभी हमें पढ़ने-लिखने का लाभ मिलेगा, नहीं तो हम पढ़ाई लिखाई से मिलने वाले लाभ को नहीं प्राप्त कर पायेंगे। इसलिए पढ़ने-लिखने के साथ उसे ‘गुनना’ भी बहुत जरूरी है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को पढिए
बुरा- अच्छा, वीरान-चमन, अपना-पराया, नए-पुराने। इन शब्द युग्मों के अर्थ में परस्पर विरोध प्रकट हो रहा है। ऐसे शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।
आप भी निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए — चढ़ना, सुख, वरदान, सुंदर, आलोक
उत्तर:
चढ़ना-उतरना, सुख-दुख, वरदान-अभिशाप, सुंदर-कुरूप, आलोक-अंधकार।
प्रश्न 2.
पाठ में धरती माता के लिए मातृभूमि शब्द का प्रयोग हुआ है। अत: धरती व भूमि शब्द का एक ही अर्थ है अर्थात् एक ही वस्तु के अनेक नाम होते हैं, जिन्हें पर्यायवाची कहते हैं।
आप भी निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए- सुमन, चमन, गिरि
उत्तर:
| शब्द | पर्यायवाची |
| सुमन | फूल, पुष्प |
| चमन | बगीचा, उद्यान |
| गिरि | पर्वत, पहाड़े |
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
पाठ में कवि मातृभूमि से वरदान माँग रहा है। आप जब प्रार्थना करते हैं तो किससे वरदान माँगते हैं?
उत्तर:
जब हम प्रार्थना करते हैं तो अपने ईश्वर और गुरु से वरदान माँगते हैं।
प्रश्न 2.
आपके आस-पास अनेक ऐसे असहाय लोग हो सकते हैं। जिनको मदद की आवश्यकता होती है। ऐसे पाँच कार्यों की सूची बनाइए जिनसे हम जरूरतमंद लोगों की सहायता कर सकते हैं।
उत्तर:
जरूरतमंद लोगों की सहायता करने वाले पाँच कार्यों की सूची निम्नलिखित है
- हम अपने पुराने कपड़े जरूरतमंद लोगों को देकर उनकी सहायता कर सकते हैं।
- अपने जेबखर्च से थोड़े-थोड़े पैसे बचाकर आवश्यकता पड़ने पर हम असहायों की सहायता कर सकते हैं।
- अपनी पुरानी किताबें जरूरतमंद छात्रों को दे सकते हैं।
- अपने से छोटी कक्षा के गरीब छात्रों को एक-दो घंटे समय निकालकर नि:शुल्क शिक्षा दे सकते हैं।
- पाँच-दस छात्रों का एक समूह बनाएँगे जो इस तरह के कार्यों में अपनी नि:स्वार्थ सेवा दे सकते हैं। इसमें बुजुर्गों वो अपनी साइकिल से स्कूल जाते समय या आते समय | कुछ दूर तक छोड़ना, अंधों को या असमर्थ लोगों को सड़क पार कराना आदि छोटे-छोटे कार्यों द्वारा भी मदद कर सकते
यह भी करें
प्रश्न 1.
इस कविता में कवि ने मातृभूमि के प्रति अपने अनुराग को अभिव्यक्त किया है। ऐसे ही भावों से भरी अन्य कविताओं का संकलन कर कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
मातृभूमि के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करने वाली कुछ कविताएँ निम्नलिखित हैं।
- जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है।
वह नर नहीं, पशु निरा है, और मृतक समान है॥ - भरा नहीं जो भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं॥ - जय हिंद देश का नारा हो, हो भुक्त सदा भारत माता।
जन-जन के कंठों से गूंज उठे, जय भारत, जय भारत माता॥
प्रश्न 2.
आज़ादी की लड़ाई में देश के अनगिनत सपूतों ने मातृभूमि के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे पाँच देशभक्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आजादी की लड़ाई में मातृभूमि के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले पाँच देशभक्तों के नाम इस प्रकार
- झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई
- चंद्रशेखर आजाद
- रामग्रसाद बिस्मिल
- भगतसिंह
- सुभाषचंद्र बोस
यह भी जानें
प्रश्न 1.
वाल्मीकि कृत ‘रामायण’ में कहा गया है ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ इसका अभिप्राय है कि माता एवं मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं। अच्छे विचारों व सत्कर्मों से मातृभूमि का मान बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 2.
ये ‘बंदर’ हमें कुछ संदेश दे रहे हैं। संदेशों की जानकारी कीजिए।

उत्तर:
ये तीनों बंदर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के तीन संदेशों का प्रचार कर रहे हैं जो क्रमश: निम्नलिखित हैं
- बुरा न देखो
- बुरा न सुनो
- बुरा न बोलो।
इसे इस कविता के माध्यम से भी याद कर सकते हैं—
बुरा न देखो, बुरा न बोलो, बुरी बात पर दो मत कान।
यही सीख बाबा गाँधी की, बच्चो दो तुम इस पर ध्यान॥
तब और अब

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय
प्रश्न 1.
कवि चढ़ते जाना चाहता है
(क) आकाश पर
(ख) गिरि शिखरों पर
(ग) पेड़ पर
(घ) हिमालय पर।
प्रश्न 2.
पढ़-लिखकर हमें चाहिए
(क) गाना
(ख) क्रिकेट खेलना
(ग) गुनना
(घ) साइकिल चलाना।
प्रश्न 3.
माँ का आशीष पाकर जगत् में भर देंगे
(क) आलोक
(ख) अंधकार
(ग) चमक
(घ) हरियाली।
प्रश्न 4.
कवि विघ्नों से घबराकर क्या नहीं छोड़ना चाहता
(क) विद्यालय
(ख) नौकरी
(ग) मकान
(घ) सत्पथ।
उत्तर:
1, (ख)
2. (ग)
3. (क)
4. (घ)
रिक्त स्थान पूर्ति……
- पाकर …………….. तुम्हारा माँ।
- हम ………….. को चमन करें।
- हम खेल-खेल में …………… जाएँ।
- नित नए ……………. बुनना सीखें।
उत्तर:
- आशीष
- वीरानों
- पढ़ते
- सपन
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि कौन-कौनसी बुराई नहीं सीखना चाहता है? उत्तर-कवि बुरा सुनना, बुरा देखना और बुरा बोलना नहीं सीखना चाहता है।
प्रश्न 2.
कवि किस प्रकार से पढ़ने की इच्छा रखता है?
उत्तर:
कवि खेलते हुए अर्थात् मनोरंजन के साथ पढ़ने की इच्छा रखता है।
प्रश्न 3.
बाधाओं पर बाधाएँ आएँ तो हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
बाधाओं पर बाधाएँ आएँ तो हमें बाधाओं का रुख मोड़ देना चाहिए।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वीरानों को चमन करना कवि क्यों चाहता है?
उत्तर:
उजड़े हुए स्थानों को चमन करने से मातृभूमि की सुंदरता बढ़ जायेगी। धरती की मिट्टी उपजाऊ हो जायेगी तो इस भूमि में हर प्रकार की फसलें एवं अनाज हम पैदा कर लेंगे जो देश की जनता भोजन के रूप में प्रयोग करेगी। हमारे देश में अन्न का उत्पादन बढ़ेगा तो देश का कोई व्यक्ति कभी भूखा नहीं सोएगा।
प्रश्न 2.
मातृभूमि का आशीष पाकर कवि क्या करना चाहता है?
उत्तर:
मातृभूमि का आशीष पाकर कवि संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलाना चाहता है, जिससे अज्ञानता का अंधकार दूर हो जाए। संसार में सद्भाव एवं भ्रातृ प्रेम ( भाई-भाई के बीच का प्रेम) का उदय हो। सभी देशों के लोग विज्ञान और मानव सभ्यता के विकास के लिए आगे आएँ; जिससे यह धरती स्वर्ग के समान संपन्न एवं सुखी हो जाए।
प्रश्न 3.
सबमें अपनापन देखने से क्या लाभ है?
उत्तर:
सबमें अपनापन देखने से हमें इस धरती पर रहने वाले सभी लोग परिवार की तरह लगने लगेंगे। परस्पर एक दूसरे के प्रति हमारे मन में प्रेम का भाव जागेगा, जिससे हमारे मन | में ईष्र्या की भावना नहीं रहेगी। अहंकार का भाव भी नहीं रहेगा। सब जगह सुख-शांति रहेगी। हमारे मन में विद्वेष की भावना भी दूर हो जाए।
प्रश्न 4.
हमें नये सपने क्यों बुनना चाहिए?
उत्तर:
हमें नये सपने इसलिए बुनना चाहिए क्योंकि नये सपने दुनिया को नयी खोज के साथ मानव सभ्यता को आगे बढ़ायेंगे। जब तक हम नये सपने नहीं देखेंगे तब तक हम नये कार्य कैसे करेंगे? पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम कहते थे-“हमेशा नया सोचो, नये सपने देखो और उन्हें पूरा करने के लिए मन से जुट जाओ।”
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि रुकना और झुकना क्यों नहीं चाहता? ‘हे। मातृभूमि! हमको वर दो’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
कवि रुकना और झुकना इसलिए नहीं चाहता क्योंकि रुकना अन्य लोगों से पीछे होने का प्रतीक है और झुकना अपने आत्म-सम्मान को खो देने का परिचायक है। जो लोग पढ़ने लिखने में आलस्य करते हैं वे बढ़ते हुए समय के साथ नहीं चल सकते क्योंकि समय कभी रुकता नहीं है। यदि हमें आगे बढ़ना है, अपने देश और समाज को आगे बढ़ाना है। तो हमें निरंतर परिश्रमपूर्वक आगे जाने के लिए प्रयास करते रहना होगा। जो काम कल करना है उसे आज ही समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए तभी हम लोगों के सामने सम्मानपूर्वक सिर ऊँचा करके जी सकते हैं।
प्रश्न 2.
‘हे मातृभूमि! हमको वर दो’ कविता से कवि हमें क्या संदेश देता है?
उत्तर:
इस कविता के माध्यम से कवि हमें संदेश देता है कि हमें अपनी मातृभूमि की आराधना करनी चाहिए क्योंकि इसी
से हमें जीवन मिलता है, हमारा पेट भरता है, रहने का स्थान मिलता है। हमारा देश (मातृभूमि) सुरक्षित है तभी हम सबका अस्तित्व (महत्व, सत्ता) है, तभी हमारे सपने हैं, पढ़ना-लिखना और विचार करना है। मातृभूमि हमारी पहचान है इसलिए कवि मातृभूमि से वरदान माँगता है कि माँ हमें ऐसी शक्ति दो जिससे हम संसार को प्रकाशित कर सके, अपने नये सपनों के द्वारा ज्ञान-विज्ञान का आलोक जगत् में फैला सके।
पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भावार्थ
(1)
हे मातृभूमि! हमको वर दो, पढ़-लिखकर हम गुनना सीखें।
बोलें न बुरा, देखें न बुरा, कुछ भी न बुरा सुनना सीखें॥
हम गेल-खेल पढ़ते जाएँ, पढ़-लिखकर नित बढ़ते जाएँ।
हम रुके नहीं, हम झुकें नहीं, गिरि शिखरों पर चढ़ते जाएँ॥
कठिन शब्दार्थ
मातृभूमि = जन्मभूमि भारत भूमि। वर = शरदान, देवता से प्रसाद रूप में माँगी गई वस्तु। गुनना = समझना, मनन करना, विचार करना। नित = सदैव, हमेशा, प्रतिदिन । गिरि शिखरों = पहाड़ की चोटियाँ।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित पाठ ‘हे मातृभूमि ! हमको वर दो’ से ली गई हैं। इसमें कवि मातृभूमि से यह प्रार्थना करता है कि मैं पढ़ लिखकर अच्छा और महान व्यक्ति बन जाऊँ।
व्याख्या/भावार्थ—कवि कहता है-हे मातृभूमि ! मुझे ऐसा वरदान दो जिससे हम पढ़-लिखकर हर बात को समझना और विचार करना सीख जाएँ। हम न तो बुरा बोलें, न बुरा देखें, न बुरा सुने, ऐसी अच्छी सीख़ हमें मिल जाए। हम खेलते भी रहें
और पढ़-लिखकर हमेशा आगे बढ़ते भी रहें। हम रास्ते में चलते हुए कभी न तो रुके और न किसी के सामने शर्मिदा होकर झुके, बल्कि पहाड़ की चोटी जैसी ऊँचाई पर चढ़ते चले जाएँ अर्थात् हम बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर लें।
(2)
विनों से कभी न घबराएँ, सत्पथ को कभी न छोड़े हम।
बाधाओं पर बाधा आएँ, बाधाओं का रुख मोड़ें हम॥
क्यों बने फकीर लकीरों के, नित नए सपन बुनना सीखें।
हे मातृभूमि! हमको वर दो, पढ़-लिखकर हम गुमना सीखें॥
कठिन शब्दार्थ
विघ्न बाधा, रुकावट। घबराना = भयभीत होना, डरना। सत्पथ = सच्चाई का रास्ता, सत्य का मार्ग। रुख – चेहरा, दिशा। फकीर-लकीरोंके = परंपरावादी, पुराने विचारों को मानने वाला। सपन = सपने, नये विचार।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित पाठ ‘हे मातृभूमि! हमको वर दो’ से ली गई हैं। इसमें कवि मातृभूमि से यह प्रार्थना करता है कि मैं पढ़ लिखकर अच्छा और महान् व्यक्ति बन जाऊँ।
व्याख्या/भावार्थ—हमारे जीवन में कितनी भी मुश्किलें बाधाएँ आएँ लेकिन हम कभी सच्चाई का रास्ता न छोड़ें। हम अपनी ओर आने वाली बाधाओं का मुख ही दूसरी तरफ मोड़ कर उन्हें हटा दें। हम उन पुरानी परंपराओं को क्यों अपनाएँ जो अब किसी काम की नहीं हैं। हम हमेशा नये सपने सजाना सीखें। हे मातृभूमि ! हमें ऐसा आशीर्वाद दो, | जिससे हम पढ़-लिखकर हर बात को समझना और उस पर विचार करना सीख जाएँ।
(3)
पाकर आशीष तुम्हारा माँ, आलोक जगत में हम भर दें।
हम वीरानों को चमन करें, जो गूंगे हैं उनको स्वर दें॥
अपनापन सब में देखें हम, मन से विद्वेष मिटाएँ हम।
पर सुख को अपना सुख मानें, पर दुःख में हाथ बटाएँ हम॥
जग की इस सुंदर बगिया से हम, सार सुमन चुनना सीखें। हे मातृभूमि! हमको वर दो, पढ़-लिखकर हम गुनना सीखें॥
कठिन शब्दार्थ-
आशीष = आशीर्वाद, शुभ वचन।आलोक = प्रकाश, रोशनी। जगत = संसार, विश्व, दुनिया। वीरान म उजड़ा हुआ, जनहीन, बर्बाद, निर्जन। चमन =
बगीचा। गूंगा = जो बोल न सके, मूक। स्वर = वाणी, आवाज़। अपनापन = आत्मीयता, स्वजन। विद्वेष = शत्रुता, वैर, ईष्र्यो । बटाएँ = सहयोग दें। जग = संसार । सार = किसी भी पदार्थ का मुख्य भाग। चुनना = एक-एक करके इकट्ठा करना, बीनना, पसंद करना।
प्रसंग—प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित पाठ ‘हे मातृभूमि! हमको वर दो’ से ली गई हैं। इमसें कवि संसार की भलाई करने की अपनी इच्छा को मातृभूमि से कहता है।
व्याख्या/भावार्थ—कवि मातृभूमि से प्रार्थना करते हुए कहता है- हे भारत माँ! हम तुम्हारा आशीर्वाद प्राप्त करके, इस संसार को ज्ञान के प्रकाश से भर दें। हम वीरान-उजड़ी भूमि को फुलवारी से भर दें। जिनमें बोलने की ताकत नहीं है, जो बोलना नहीं जानते हैं, हम उन्हें बोलना सिखा देंगे। हमारे
भीतर ऐसे विचार पैदा हों कि हम सभी लोगों को अपना मान सके। सभी के बीच अपनेपन की भावना हो। मन में शत्रुता का जो भाव है वह मिट जाए। दूसरों के सुख को हम अपना मानें; अर्थात् जिससे सबको सुख मिले ऐसा काम करें। दूसरों के दु:ख में हम सहयोग करें। संसाररूपी इस सुंदर फूलों के बगीचे से हम उपयोगी और अपनी पसंद के फूलों का चुनाव करना सीख जाएँ अर्थात् हम इस संसार से अच्छी-अच्छी बातें चुनकर अपने जीवन में उतारें, जिससे हमारा और मानव जीवन का कल्याण हो। हे मातृभूमि! तुम हमें ऐसा वरदान दो जिससे हम पढ़ लिखकर अच्छे और विचारशील बन जाएँ।
