RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14 शहीद बकरी
RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14 शहीद बकरी
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 14 शहीद बकरी
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठ से
उच्चारण के लिए
किंकर्तव्यविमूढ़, रक्तरंजित, क्षतविक्षत, लपलपाती, स्वच्छंद, उत्सुकता
नोट—छात्र-छात्राएँ स्वयं उच्चारण करें।
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
“मैं कई रोज से अकेला महसूस कर रहा था आओ तनिक साथ-साथ पर्वतराज की सैर करें।” भेड़िये के इस कथने के पीछे उसकी क्या चाल थी?
उत्तर:
भेड़िये के इस कथन के पीछे यह चाल थी कि वह अपनी मीठीमीठी बातों में बकरी को फंसाना चाहता था। जिससे वह उसे मारकर खा जाए और अपनी मंशा पूरी कर सके।
प्रश्न 2.
भेड़िये को घायल करके बकरी के मरने पर मैना को गर्व क्यों हुआ?
उत्तर:
मैना को इसलिए गर्व हुआ क्योंकि बकरी ने बिना डरे वीरता के साथ भेड़िये का सामना किया और उसने से इतना घायल कर दिया कि वह भी जिंदा नहीं बच सकता था और किसी पर अत्याचार नहीं कर सकता था।
लिखें
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
“अत्याचारी से यों कब तक प्राणों की रक्षा की जा सकेगी” यह विचार किसके मन में आया?
(क) चरवाहे के
(ख) भेड़िये के
(ग) युवा बकरी के
(घ) सभी बकरियों के
प्रश्न 2.
“तुम बहुत सुंदर हो, प्यारी मालूम होती हो” यह कथन किसने किसको कहा?
(क) तोता ने मैना को
(ख) भेड़िये ने नई बकरी को
(ग) चरवाहे ने नई बकरी को
(घ) तोता ने नई बकरी को।
उत्तर:
1. (ग)
2. (ख)
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बकरियाँ चरने कहाँ जाती थीं?
उत्तर:
बकरियाँ चरने हरे-भरे पहाड़ पर जाती थीं।
प्रश्न 2.
भेड़िये के पाँव उखड़ने का क्या कारण था?
उत्तर:
क्षत-विक्षत सीने से लहू की बहती धार देख भेड़िये के पाँव उखड़ गये।
प्रश्न 3.
चरवाहा किससे डर गया था?
उत्तर:
चरवाहा भेड़िये की धूर्तता से डर गया था।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
चरवाहे ने पहाड़ पर बकरियाँ चराना बंद क्यों कर दिया?
उत्तर:
हरे-भरे पहाड़ पर जब बकरियाँ चरने जाती थीं तो दूसरे-तीसरे रोज एक न एक बकरी कम हो जाती थी। भेड़िये की इस धूर्तता से तंग आकर चरवाहे ने वहाँ बकरियाँ चराना बंद कर दिया था।
प्रश्न 2.
बकरियों ने बाड़े में कैद रहना ही उचित क्यों समझा?
उत्तर:
बकरियों ने मौत से बचने के लिए बाड़े में कैद रहकर जुगाली करते रहना ही उचित समझा।
प्रश्न 3.
नई युवा बकरी दिनभर पर्वत पर क्या करती रहीं?
उत्तर:
नई युवा बकरी दिनभर पर्वत पर चढ़कर स्वच्छंद विचरती, कूदती, फलाँगती चरती रही। मनमानी कुलेले करती रही।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नई बकरी बाड़े में बंद रहना क्यों नहीं चाहती थी?
उत्तर:
नई बकरी को बाड़े में बंद रहने का बंधन पसंद नहीं आया। वह सोचने लगी कि अत्याचारी से इस तरह कब तक प्राणों की रक्षा की जा सकती है? वह पहाड़ से उतर कर किसी रोज बाड़े में भी कुद सकता है। शिकारी के भय से मूर्ख शुतुरमुर्ग रेत में गर्दन छुपा लेता है तब क्या शिकारी उसे बख्श देता है? इन्हीं विचारों से ओत-प्रोत वह हसरत भरी नजरों से पर्वत की ओर देखती रहती।
प्रश्न 2.
नई बकरी ने भेड़िये से मुकाबला कैसे किया?
उत्तर:
भेड़िया बकरी को मीठी-मीठी बातों में फंसाने लगा। लेकिन बकरी को भेड़िये की बकवास सुनने का अवसर न था। उसने तनिक पीछे हटकर इतने जोर से टक्कर मारी कि भेड़िया सँभल न सका। टक्कर खाकर अभी वह सँभल भी न पाया था कि बकरी के पैने सँग उसके सीने में इतने जोर से लगे कि वह चीख उठा। क्षत-विक्षत सीने से लहू की बहती धार देखकर भेड़िये के पाँव उखड़ गये। वह भी साहस बटोरकर पूरे वेग से झपटा। बकरी कतराकर एक ओर हट गई और भेड़िये का सिर दरख्त से टकराकर लहूलुहान हो गया।
प्रश्न 3.
मैना ने बकरी को शहीद क्यों कहा?
उत्तर:
मैना ने बकरी को शहीद इसलिए कहा क्योंकि पीड़ित बकरी ने अत्याचारी भेड़िये का साहस के साथ मुकाबला किया। बकरी मरते-मरते भेड़िये को इतना घायल कर गयी थी कि वह भी दूसरों पर अत्याचार करने के लिए जीवित नहीं रह सकता था। सीने और मस्तक के घाव उसे सड़-सड़कर मरने को बाध्य करेंगे। बकरी मरकर अपने साथियों का जीवन बचा गई थी।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
साथियों ने उसे आँखों-आँखों में समझाने का प्रयत्न किया। प्रस्तुत वाक्य में रेखांकित भाग का अर्थ है-इशारों में समझाना। वाक्य के ऐसे भाग जो वाक्य में विशिष्ट अर्थ प्रकट करते हैं, मुहावरे कहलाते हैं। आप भी पाठ में से ऐसे ही मुहावरे छाँटकर लिखें।
उत्तर:
शब्द(मुहावरे) | अर्थ |
1. खून मुँह लगना | आदत में शामिल होना |
2. आदत से बाज न आना | कभी नहीं सुधरना |
3. दबे पाँव आना | चुपचाप आना |
4. औंधे मुँह गिरना | मुँह के बल गिरना |
5. पाँव उखाड़ना | घबरा जाना |
6. लहू में उबाल आना | बहुत क्रोध आना |
7. जी-जान से जुटना | सारी शक्ति लगानी |
8. दाँव-पेंच दिखाना | युक्ति दिखलाना। |
प्रश्न 2.
आओ, तनिक साथ-साथ पर्वतराज की सैर करें। वाक्य में रेखांकित शब्द का अर्थ है, पर्वतों का राजा। यहाँ दो शब्दों से मिलकर एक नया शब्द बना है।
इस प्रकार पदों के मेल को समास कहते हैं। इस प्रक्रिया से बनने वाले शब्दों को समस्त पद तथा जब उन्हें अलग अलग किया जाता है तब उसे समास विग्रह कहते हैं। जैसे-राजा का कुमार = राजकुमार, राजा का महल = राजमहल।
जब दो पदों के मध्य किसी कारक विभक्ति का लोप होता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है। पिछले अध्याय में कारक विभक्तियों के बारे में चर्चा की गई थी। आप अपने शिक्षक शिक्षिका की सहायता से इस प्रकार के सामासिक पद बनाइए।
उत्तर:
- रक्तरंजित = रक्त से रंजित = तत्पुरुष समास
- लहूलुहान = लहू से लुहान = तत्पुरुष समास
- जी-जान = जी और जान = द्वं द्व समास
- दाँव-पेंच = दाँव और पेंच = द्वंद्व समास
- साथ-साथ = साथ ही साथ = अव्ययी समास
- दूसरे-तीसरे = दूसरे और तीसरे = द्वंद्व समास
- हरे-भरे = हरे और भरे = द्वं द्व समास
यह भी जानें
समास के छह भेद होते हैं
- अव्ययी भाव समास- प्रतिदिन, यथासंभव
- तत्पुरुष समास – रसोईघर, राजमहल
- कर्मधारय समास – नीलकमल, नीलांबर
- वंद्व समास – माता-पिता, रात-दिन
- विगु समास – नवरात्र, चौराहा
- बहुव्रीहि समास – लंबोदर, नीलकंठ
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
सभी बकरियों ने मिलकर नई बकरी की तरह पहले ही मुकाबला किया होता, तो क्या होता?
उत्तर:
अगर सभी बकरियों ने मिलकर नई बकरी की तरह पहले ही मुकाबला किया होता तो भेड़िये को खत्म करके सभी बकरियाँ बाड़े में कैदी का जीवन व्यतीत करने के बजाय पहाड़ पर नि:शंक और स्वच्छंद जीवन जीतीं और विचरती होर्ती।
यह भी करें
आप भी पुस्तकालय से ऐसी वीरता वाली कहानियाँ ढूंढकर पढ़िए।
उत्तर:
किसी जंगल में एक सियार और कुत्ता रहते थे। कुत्ता अक्सर सियार को धमकाता रहता था। शाम होने पर सियार खेतों में हैं हैं करके चिल्लाता रहता था। एक दिन शाम के समय कुत्ते ने देखा कि सियार घूम रहा है तभी कुत्ता उसकी ओर लपका। सियार सावधानी से चौकन्ना हो गया, उसने चतुराई से काम लिया। जब कुत्ता उसके पीछे दौड़ रहा था तभी वह एक कुएँ की तरफ दौड़ा। कुत्ते को उस जगह का पता नहीं था और वह कुएँ में गिर गया। इस तरह सियार ने अपनी जान बचायी।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
हरे-भरे पहाड़ पर कौन चरने जाती थीं
(क) बकरियाँ
(ख) भेड़े
(ग) गायें
(घ) भैंसें
प्रश्न 2.
भेड़िये की किस बात से चरवाहा तंग था
(क) प्यार से
(ख) धूर्तता से
(ग) नफरत से
(घ) मूर्खता से
प्रश्न 3.
बकरी मौका पाकर कहाँ से निकल भागी?
(क) घर से
(ख) जंगल से
(ग) पहाड़ से
(घ) बाड़े से
प्रश्न 4.
“भेड़िये से भिड़कर भला बकरी को क्या मिला-” यह बात किसने किससे पूछी?
(क) भेड़िये ने चरवाहे से
(ख) चरवाहे ने बकरी से
(ग) तोता ने मैना से
(घ) मैना ने तोते से
उत्तर:
1. (क)
2. (ख)
3. (घ)
4. (ग)
रिक्त स्थान पूर्ति…..
(दबे पाँव, भोगने, बंधन, खून, जुगाली)
- बकरियों ने भी मौत से बचने के लिए बाड़े में कैद रहकर ………… करते रहना ही श्रेष्ठ समझा।
- युवा बकरी को यह ……… पसंद नहीं आया।
- भोग्य सदैव से ……… के लिए ही उत्पन्न होते हैं।
- भेड़िये के …….. हमारा खून लग चुका है।
उत्तर:
- जुगाली
- बंधन
- भोगने
- मुँह
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बाड़े में कैद रहकर बकरियों ने क्या करना श्रेष्ठ समझा?
उत्तर:
बाड़े में कैद रहकर बकरियों ने जुगाली करते रहना श्रेष्ठ समझा।
प्रश्न 2.
किसके भय से शुतुरमुर्ग रेत में गरदन छुपा लेता
उत्तर:
शिकारी के भय से शुतुरमुर्ग रेत में गरदन छुपा लेता
प्रश्न 3.
नई बकरी को क्या देखने की लालसा थी?
उत्तर:
भेड़िया किस तरह झपटता है, यह करतब देखने की बकरी की लालसा थी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नई बकरी को भेड़िया कब और कहाँ आता दिखायी दिया?
उत्तर:
शाम होने पर जब नई बकरी मजबूर होकर पहाड़ पर से नीचे उतरी तो रास्ते में उसे दबे पाँव भेड़िया आता हुआ दिखायी दिया।
प्रश्न 2.
भेड़िया बकरी से मुस्कराकर क्या बोला?
उत्तर:
भेड़िया बकरी से मुस्कराकर बोला कि, “तुम बहुत सुंदर हो, प्यारी मालूम होती हो। मुझे तुम्हारी जैसी साथी की आवश्यकता थी। मैं कई रोज से अकेलापन महसूस कर रहा था आओ तनिक पर्वतराज की साथ-साथ सैर करें।”
प्रश्न 3.
भेड़िये ने बकरी पर कैसे वार किया?
उत्तर:
अपने बहते हुए लहू को देखकर भेड़िये के लहू में भी उबाल आ गया। वह जी-जान से बकरी के ऊपर टूट पड़ा और उसने बकरी को मारकर ढेर कर दिया।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कहानी के आधार पर भेड़िया की दुष्टता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भेड़िया बहुत ही धूर्त और चालाक था। वह बहुत अत्याचारी भी था। तभी तो वह रोज निरीह बकरियों को मारकर खा जाता था। उसकी रक्तरंजित आँखें, लपलपाती जीभ और आक्रामक चाल को देखकर ही बकरियाँ डर जाती र्थी। उसके डर की वजह से ही चरवाहे ने अपनी बकरियों को हरे-भरे पर्वत पर चराना बंद कर दिया था और बकरियाँ भी भेड़िये के खा जाने और अपनी मौत से बचने के लिए बाड़े में कैद होकर ही जी रही थीं। भेड़िये ने अपनी दुष्टता और ताकत के चलते बेचारी निरीह नई युवा बकरी को भी मार दिया।
प्रश्न 2.
पाठ का नाम ‘शहीद बकरी’ क्यों रखा गया? क्या यह शीर्षक उचित है?
उत्तर:
हाँ, यह शीर्षक बिल्कुल उचित है। क्योंकि एक नई बकरी ने अपने प्राणों का बलिदान देकर अपने साथियों को बचा लिया था। जब सारी बकरियाँ भेड़िये के डर के मारे छिपकर बैठ गयी थीं, तब उस युवा बकरी ने अकेले ही अपने दम पर भेड़िये से लड़ने की ठानी। लेकिन वह बेचारी अकेली कब तक भेड़िये का मुकाबला करती क्योंकि भेड़िया ताकत में उससे अधिक था। परंतु बकरी मरते-मरते भेड़िये को इतना घायल कर गयी थी कि उसके घाव ज्यादा दिन तक उसे जिंदा नहीं रहने देंगे और बकरी के साथियों को जान का कोई खतरा भी नहीं रहेगा।
कठिन शब्दार्थ
धूर्तता = दुष्टता। चरवाहे = बकरियाँ चराने वाला। बाड़े = चारों तरफ से घिरा हुआ स्थान। जुगाली = पशुओं द्वारा खाए हुए भोजन को पुनः चबाना। श्रेष्ठ = अच्छा। बंधन = बँधा हुआ। अत्याचारी = कष्ट देने वाला। प्राणों = जान। रक्षा = बचाव। भय = डर। बख्या = छोड़ना। ओत-प्रोत = मिला-जुला। हसरत = इच्छा, कामना। प्रयत्न = कोशिश। मूर्खतापूर्ण = बेकार के। भोग्य = भोगने योग्य। उत्पन्न = पैदा होना। खून लगना = आदत होना। आदत = व्यवहार। बाज = मानना। झपटता = कूदता। करतब = खेल। लालसा = इच्छा। बलवती = दृढ़ होना। स्वच्छंद = मनमाने तरीके से। कुलेलें = उछल-कूद करना। उत्सुकता = जानने की चाह। दर्शन = दिखायी देना। झुटपुटा = अँधेरा। लाचार = बेबस। बाध्य = मजबूर। रक्तरंजित = खून से सना हुआ। लपलपाती = ललचाई। आक्रामक = घातक। तनिक = जरा। बकवास = बेकार बात। अवसर = समय। असावधान = बिना सोचा-विचारा। संभलना = ठहरना। आँधे = उल्टे। किंकर्तव्यविमूढ़ = कुछ न कर पाने की स्थिति। क्षत-विक्षत = अत्यधिक घायल। लहू = खून। निरीह = बेचारा। आँचा = ठीक लगना। बटोरकर = साथ में। वेग = तेजी। कतराकर = घूमकर। दरख्त = पेड़। लहूलुहान = खून से लथपथ। अरमान = ख्वाहिश, सपने। दाँव-पेच = तरकीब । अकर्मण्यता = कर्म न करना। ढेर = मरना। पीड़ितों = कष्ट भोगने वाला। भावनाओं = इच्छाओं। व्यतीत = गुजारना। बजाय = अलावा। नि:शंक = बिना किसी भय के। विचरती = टहलती। शहीद = बलिदानी। टक्कर = धक्का।
गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
(1)
आखिर एक रोज मौका पाकर बाड़े से वह निकल भागी और पर्वत पर चढ़कर स्वच्छंद विचरती, कूदती, फलाँगती दिन-भर पहाड़ पर चरती रही। मनमानी कुलेलें करती रही। भेड़िये को देखने की उत्सुकता भी बनी रही, परंतु उसके दर्शन न हुए। झुटपुटा होने पर लाचार जब वह नीचे उतरने को बाध्य हुई तो रास्ते में दबे पाँव भेड़िया आता हुआ दिखाई | दिया। उसकी रक्तरंजित आँखें, लपलपाती जीभ और आक्रामक चाल से वह सब कुछ समझ गई।
प्रसंग—प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के शहीद बकरी नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक अयोध्याप्रसाद गोयलीय हैं। इन पंक्तियों में युवा नई बकरी की इच्छा का वर्णन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ—एक नयी युवा बकरी को बंधन पसंद नहीं आ रहा था। आखिर एक दिन मौका पाकर वह बाड़े में से निकल भागी और पर्वत पर चढ़कर मनमाने तरीके से घूमती, कूदती, फाँदती दिनभर पहाड़ पर चरती रही। मनमानी उछल-कूद करती रही। उसे भेड़िये को देखने और जानने की इच्छा भी बनी रही, परंतु वह दिखायी नहीं दिया। अँधेरा होने पर मजबूर होकर जब वह नीचे उतरी तो उसे चुपचाप
भेड़िया आता हुआ दिखायी दिया। उसकी खून से भरी आँखें, ललचाई हुई जीभ और घातक चाल से वह सब कुछ समझ गई।
प्रश्न 1.
मौका पाकर बाड़े से कौन निकल भागी?
उत्तर:
मौका पाकर बाड़े से एक नयी युवा बकरी निकल भागी।
प्रश्न 2.
बकरी भाग कर कहाँ गई?
उत्तर:
बकरी भाग कर पर्वत पर चढ़कर विचरती, कूदती, फलाँगती दिनभर स्वच्छंद पहाड़ पर चरती रही।
प्रश्न 3.
बकरी के मन में क्या उत्सुकता थी?
उत्तर:
बकरी के मन में भेड़िये को देखने की उत्सुकता थी।
प्रश्न 4.
भेड़िया कैसा दिखायी पड़ता था?
उत्तर:
भेड़िये की रक्तरंजित आँखें, लपलपाती जीभ और आक्रामक चाल थी।
(2)
भेड़िये की जिंदगी में यह पहला अवसर था। वह किंकर्तव्यविमूढ़ सा हो गया। टक्कर खाकर अभी वह सँभल भी न पाया था कि बकरी के पैने सँग उसके सीने में इतने जोर से लगे कि वह चीख उठा। क्षतविक्षत सीने से लहू की बहती धार देख भेड़िये के पाँव उखड़ गए। मगर एक निरीह बकरी के आगे भाग खड़ा होना उसे कुछ हुँचा नहीं। वह भी साहस बटोरकर पूरे वेग से झपटा। बकरी तो पहले से ही सावधान थी, वह कतराकर एक ओर हट गई और भेड़िये का सिर दरख्त से टकराकर लहूलुहान हो गया।
प्रसंग—प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘शहीद बकरी’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक अयोध्या प्रसाद गोयलीय हैं। इन पंक्तियों में युवा बकरी की वीरता का वर्णन
व्याख्या/भावार्थ—भेड़िये की जिंदगी में यह पहला मौका था जब उसे किसी ने घायल किया। वह कुछ न कर पाने की स्थिति में हो गया था। टक्कर लगने से अभी वह उबरा भी नहीं था कि बकरी के पैने सींग उसके सीने में इतने जोर से लगे कि उसकी चीख निकल पड़ी। घायल सीने से खून की बहती हुई धार देख भेड़िया घबरा गया। मगर एक बेचारी बकरी के आगे भाग खड़ा होना उसे कुछ हुँचा नहीं। वह भी साहस के साथ पूरी तेजी से झपटा। बकरी तो पहले से ही जानती थी वह कूदकर एक ओर हट गयी और भेड़िये का सिर पेड़ से टकराकर खून से लाल हो गया।
प्रश्न 1.
भेड़िया कैसा हो गया था?
उत्तर:
भेड़िया किंकर्तव्यविमूढ़-सा हो गया था क्योंकि यह पहला अवसर था कि उस पर किसी ने हमला किया था।
प्रश्न 2.
बकरी ने अपने पैने सींगों से क्या किया?
उत्तर:
बकरी ने अपने पैने सग भेड़िये के सीने में बड़ी जोर से मारे।
प्रश्न 3.
भेड़िये के पाँव क्यों उखड़ गये?
उत्तर:
अपने क्षत-विक्षत सीने से लहू की बहती धार देख भेड़िये के पाँव उखड़ गये।
प्रश्न 4.
भेड़िये को क्या नहीं जंच रहा था?
उत्तर:
एक निरीह बकरी के आगे भाग खड़ा होना भेड़िये को नहीं हुँच रहा था।
(3)
वही जो अत्याचारी का सामना करने पर पीड़ितों को मिलता है। बकरी मर जरूर गई, परंतु भेड़िये को घायल करके मरी है। वह भी अब दूसरों पर अत्याचार करने के लिए जीवित नहीं रह सकेगा। सीने और मस्तक के घाव उसे सड़-सड़कर मरने को बाध्य करेंगे। काश ! बकरी के अन्य साथियों ने उसकी भावनाओं को समझा होता। छिपने के बजाय एक साथ वार किया होता तो, वे आज बाड़े में कैदी जीवन व्यतीत करने के बजाय पहाड़ पर नि:शंक और स्वच्छंद विचरती होतीं।”
प्रसंग—प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘शहीद बकरी’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक अयोध्याप्रसाद गोयलीय हैं। इन पंक्तियों में बकरी की शहादत को नमन किया गया है।
व्याख्या/भावार्थ—तोते द्वारा पूछने पर मैना ने जवाब दिया कि इसे वही फल मिला है जो कष्ट देने वाले का सामना करने पर कष्ट भोगने वाले को मिलता है। बकरी मर तो जरूर गयी लेकिन भेड़िये को घायल करके मरी है। वह भी अब दूसरों को कष्ट देने के लिए जीवित नहीं बचेगा। सीने और मस्तक के घाव उसे सड़ सड़कर मरने को मजबूर कर देंगे। अगर बकरी के अन्य साथियों ने उसकी इच्छाओं को समझा होता और छिपने के अलावा सबने मिल-जुलकर एक साथ भेड़िये पर वार किया होता तो वे आज बाड़े में कैदी का जीवन जीने के बजाय पहाड़ पर बिना किसी भय के मनमाने तरीके से घूमते होते।
प्रश्न 1.
तोते के यह पूछने पर कि भेड़िये से भिड़कर भला बकरी को क्या मिला? तो मैना ने क्या जवाब दिया?
उत्तर:
मैना ने गर्व से उत्तर दिया कि वही जो अत्याचारी का सामना करने पर पीड़ितों को मिलता है।
प्रश्न 2.
बकरी मरने से पहले क्या कर गयी थी?
उत्तर:
बकरी मरने से पहले भेड़िये को घायल कर गई थी।
प्रश्न 3.
भेड़िया मरने को क्यों बाध्य होगा?
उत्तर:
भेड़िये के सीने और मस्तक के घाव उसे सड़-सड़कर मरने को बाध्य करेंगे।
प्रश्न 4.
अगर सारी बकरियाँ छिपने के बजाय एक साथ भेड़िये पर वार करतीं तो क्या होता?
उत्तर:
तब सारी बकरियाँ बाड़े में कैदी का जीवन व्यतीत करने के बजाय पहाड़ पर नि:शंक और स्वच्छंद विचरर्ती।।