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RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 नादान दोस्त

RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 नादान दोस्त

Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 2 नादान दोस्त

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठ से
उच्चारण के लिए
हिफाज़त, हिकमत, आहिस्ता, मुहब्बत
नोट—छात्र-छात्राएँ स्वयं करें।

सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
केशव व श्यामा अंडों की रक्षा क्यों करना चाहते थे?
उत्तर:
केशव व श्यामा अंडों की रक्षा धूप से बचाने के लिए करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
केशव व श्यामा के प्रयासों का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
केशव व श्यामा के प्रयासों का यह परिणाम निकला कि उनके छूने से अंडे गंदे हो गये इसलिए चिड़ियों ने उन्हें गिराकर नष्ट कर दिया।

प्रश्न 3.
यदि केशव ने अंडों को न छुआ होता तो क्या होता?
उत्तर:
यदि केशव ने अंडों को न छुआ होता तो चिडिया उन्हें सेती और थोड़े दिनों बाद उनमें से बच्चे बाहर निकल आते।

लिखें
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कार्निस पर चिड़िया ने अंडे दिए थे
(क) 2
(ख) 3
(ग) 4
(घ) 5

प्रश्न 2.
चिड़िया के अंडों को चिथड़े, पानी, दाना आदि की व्यवस्था करना केशव व श्यामा का प्रयास अंततः हुआ
(क) सार्थक
(ख) नादानी
(ग) मनोरंजक
(घ) आत्मघाती।
उत्तर:
1. (ख)
2. (ख)

किसने, किससे कहा
प्रश्न 1.
बच्चों को क्या खिलाएगी बेचारी?
उत्तर:
श्यामा ने केशव से।

प्रश्न 2.
जाकर कूड़ा फेंकने वाली टोकरी उठा लाओ।
उत्तर:
केशव ने श्यामा से।

प्रश्न 3.
तीन अंडे हैं, अभी बच्चे नहीं निकले।
उत्तर:
केशव ने श्यामा से।

प्रश्न 4.
तुझे अभी इतना भी नहीं मालूम कि छूने से चिड़ियों के अंडे गंदे हो जाते हैं।
उत्तर:
माँ ने केशव से।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
केशव ने किसकी सहायता से कार्निस पर चिथड़े बिछाकर टोकरी व दाना पानी रखा था?
उत्तर:
केशव ने श्यामा की सहायता से कार्निस पर चिथड़े बिछाकर टोकरी व दाना पानी रखा था। केशव ने स्टूले पर चढ़कर कार्निस तक पहुँचने की कोशिश की। मगर जब वह वहाँ पहुँच नहीं पाया तो स्टूल के नीचे नहाने की चौकी लगाकार कार्निस तक पहुँचा।

प्रश्न 2.
केशव व श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए?
उत्तर:
केशव व श्यामा ने अंडों के बारे में अनुमान लगाया कि अंडों से बच्चे बाहर निकल आए होंगे, लेकिन बच्चों का चुग्गा कहाँ से आएगा? बेचारी चिड़िया को इतना दाना नहीं मिल पायेगा कि वह बच्चों का पेट भर सके। बच्चे भूख के मारे मर जाएँगे।

प्रश्न 3.
केशव को अपने किए पर पछतावा क्यों हुआ?
उत्तर:
केशव को अपने किए पर पछतावा इसलिए हुआ, क्योंकि उसके छूने से अंडे गंदे हो गये थे। चिड़ियों ने उन्हें गिराकर नष्ट कर दिया था। उसे लगा कि अंडों की रक्षा करने के प्रयास में उसने उनका सत्यानाश कर डाला।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बच्चों द्वारा चिड़ियों के अंडों की रक्षा का जो प्रयत्न किया गया, उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
बच्चों को चिड़ियों के अंडों से सहानुभूति होने के कारण उन्होंने उनकी रक्षा के अनेक प्रयत्न किए। उन्होंने सोचा कि बच्चों का पेट कैसे भरा जाएगा ? उन्हें लगा बच्चे भूख के मारे मर जाएँगे। इसलिए उनके लिए चुग्गे का इंतजाम किया जाय। बच्चों के मन में अंडों को धूप लगने का भी विचार आया। उन्हें लगा धूप के कारण अंडों के अंदर जो बच्चे हैं उन्हें परेशानी होती होगी और वे प्यास से तड़पते होंगे।

इसलिए उन्होंने घोंसले के ऊपर छत बनाने की सोची। अंडों की रक्षा के लिए केशव ने स्टूल के नीचे नहाने की चौकी रखकर कार्निस पर पुरानी धोती फाड़कर उसकी एक गद्दी बनाकर उसके ऊपर तीनों अंडों को रख दिया। केशव ने अंडों के ऊपर टोकरी को एक टहनी से टिका दिया और दाना और पानी की प्याली भी वहाँ रख दी। लेकिन दोनों बच्चों की नादानी की वजह से अंडे उनके छूने से गंदे हो गये। चिड़ियों ने अंडों को नीचे गिराकर उन्हें नष्ट कर दिया और स्वयं भी वहाँ से चली गयीं और फिर कभी वापस नहीं आयौँ।

प्रश्न 2.
पशु-पक्षी की रक्षा के समय हमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
पशु-पक्षी की रक्षा करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम उनके प्राकृतिक जीवन में दखलंदाजी न करें, साथ ही हमें इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारी वजह से उनके जीवन में कोई कष्ट न हो। पशु-पक्षी स्वच्छंद होते हैं। उन्हें किसी बंधन में बाँधकर नहीं रखना चाहिए। पशु-पक्षी बेजुबान होते हैं।

लेकिन मनुष्यों की गतिविधियों को भाँप लेते हैं इसलिए यत्न करके उनकी रक्षा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारी वजह से उन्हें शारीरिक या मानसिक कष्ट न हो। यदि हम उनके जीवन में हस्तक्षेप करते हैं, तो वे इसे उचित नहीं मानते इसलिए हमें दूर से ही उनके लिए दाना-पानी रखना चाहिए और उनकी रक्षा इस तरह से करनी चाहिए ताकि उनकी आजादी में कोई रुकावट न आये।

भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और रेखांकित पदों के स्थान पर निम्नलिखित शब्दों में से उचित शब्द छाँटकर लिखिए
(अपनी, उससे, उसकी, उसने, उसे, उस)
श्यामा दौड़कर श्यामा की पुरानी धोती फाड़कर एक टुकड़ा लाई। केशव ने झुककर श्यामा से कपड़ा ले लिया। कपड़े की कई तह करके केशव ने एक गद्दी बनाई और गद्दी को तिनकों पर बिछाकर तीनों अंडे धीरे से गद्दी पर रख दिए। श्यामा ने फिर कहा-हमको भी दिखा दो भैया।
उत्तर:
श्यामा दौड़कर अपनी पुरानी धोती फाड़कर एक टुकड़ा लाई। केशव ने झुककर उससे कपड़ा ले लिया। उसकी कई तह करके उसने एक गद्दी बनाई और उसको तिनकों पर बिछाकर तीनों अंडे धीरे से उस पर रख दिए। श्मामा ने फिर कहा-हमको भी दिखा दो भैया।

संज्ञा शब्द को बार-बार न लिखकर उसके स्थान पर जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।
सर्वनाम के छह भेद होते हैं

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम-मैं, हम, उस, उसका, तुम, वह,
  2. निश्चयवाचक सर्वनाम-यह, वह।
  3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम-कोई, कुछ।
  4. प्रश्नवाचक सर्वनाम-कौन, क्या।
  5. संबंधवाचक सर्वनाम-जो, सो, जिसकी, उनकी
  6. निजवाचक सर्वनाम-अपनी, अपना, स्वयं।

आप भी पाठ में आए सर्वनाम शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर:

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम—वे, उन्होंने, उसने, उसे, उनको, उनमें, उसका, तुम, तुझे।
  2. निश्चयवाचक सर्वनाम—वह, उसमें, उसका।
  3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम—कोई।
  4. प्रश्नवाचक सर्वनाम—कहाँ, किस, क्या, कितने।
  5. संबंधवाचक सर्वनाम—उसे, वह्।
  6. निजवाचक सर्वनाम—आप, अपनी।

प्रश्न 2.
कोई, किसी और कुछ का प्रयोग
(अ) ‘कोई’ और ‘किसी’ अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं, इन दोनों का प्रयोग सजीव प्राणियों के लिए किया जाता है। जैसे-दरवाजे पर कोई खड़ा है। किसी को भी बुला लाओ।
(ब) ‘कुछ’ शब्द का प्रयोग निर्जीव वस्तुओं, कीड़े-मकोड़े एवं कीटाणुओं के लिए किया जाता है। जैसे—झाड़ियों में कुछ है। दूध में कुछ गिरा है।

कुछ अन्य उदाहरण लिखिए।
उत्तर:

  1. कोई—इस मकान में कोई नहीं रहता है।
  2. किसी—पार्क में किसी के रोने की आवाज आ रही है।
  3. कुछ—दाल में कुछ काला है।

पाठ से आगे
प्रश्न 1.
अगर आप केशव के स्थान पर होते तो अंडों की देखभाल किस प्रकार करते?
उत्तर:
यदि हम केशव के स्थान पर होते तो अंडों की देखभाल सावधानीपूर्वक करते। हम अंडों को छुये बगैर दूर से ही उनके ऊपर छाया की व्यवस्था करते। जैसा कि सभी जानते हैं कि पक्षियों के घोंसले के पास आने पर सभी पक्षी उड़ जाते हैं, इसलिए हम चिड़ियों के घोंसले से दूर रहकर ही उनके लिए दाना-पानी रखते।

प्रश्न 2.
आपके आसपास कोई घायल पशु-पक्षी मिलता है, तो उसकी रक्षा के लिए आप क्या उपाय करेंगे?
उत्तर:
सर्वप्रथम हम घायल पशु-पक्षी को उठायेंगे। फिर उसके घावों को धोकर उसकी दवा लगाकर पट्टी करेंगे। उसको पानी और चुग्गा दे देंगे अगर चिकित्सक की जरूरत पड़ती है तो पशु-पक्षी को चिकित्सालय ले जाएँगे।

यह भी करें
प्रश्न 1.
आपके आस-पास कौन-कौन से पशु-पक्षी पाए जाते हैं, उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:

  1. गाय, भैंस, बंदर, कुत्ता, बिल्ली, गधा, ऊँट, घोड़ा, सुअर आदि।
  2. चिड़िया, तोता, कबूतर, कौआ, मोर, मोरनी, गौरेया आदि।

सृजन
आपकी पसंद के किसी पक्षी का चित्र बनाइए और उसमें रंग भरिए।
मोर

RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 नादान दोस्त 1

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय
प्रश्न 1.
केशव के घर चिड़िया ने अंडे कहाँ दिए थे
(क) छत पर
(ख) खिड़की पर
(ग) पेड़ पर
(घ) कार्निस पर।

प्रश्न 2.
श्यामा चिड़ियों के चुग्गे के लिए क्या निकाल कर लाई?
(क) चावल
(ख) दाल
(ग) आटा
(घ) रोटी।

प्रश्न 3.
केशव किस चीज पर चढ़कर कार्निस तक पहुँचा?
(क) कुर्सी
(ख) मेज
(ग) स्ट्रल
(घ) चौकी।

प्रश्न 4.
केशव ने अंडों पर किस चीज की छाया की?
(क)पेड़ की
(ख) टोकरी की
(ग)सूखी घास
(घ) कपड़े की
उत्तर:
1. (घ)
2. (क)
3. (ग)
4. (ख)

रिक्त स्थान पूर्ति……

  1. अम्मा को घर के काम-धंधों से नहीं थी।
  2. दोनों बच्चों की…..-दिन-दिन बढ़ती जाती थी।
  3. अंडों की…की तैयारियाँ होने लगीं।

उत्तर:

  1. फुरसत
  2. जिज्ञासा
  3. हिफाजत

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
श्यामा अपने भइया से क्या पूछती थी ?
उत्तर:
श्यामा पूछती थी क्यों भइया, बच्चे अंडों से निकलकर फर से उड़ जाएंगे।

प्रश्न 2.
बच्चे किस मुसीबत का अंदाजा करके घबरा उठे थे ?
उत्तर:
बच्चे चिड़िया के बच्चों की भूख का अंदाजा करके घबरा उठे थे।

प्रश्न 3.
केशव का ध्यान अंडों की किस तकलीफ की तरफ नहीं गया था?
उत्तर:
वेशव का ध्यान अंडों को धूप लगने की तकलीफ की तरफ नहीं गया था।

प्रश्न 4.
केशव ने श्यामा से अंडों को धूप से बचाने के लिए क्या मँगवाया?
उत्तर:
केशव ने श्यामा से अंडों को धूप से बचाने के लिए एक टोकरी मँगवायी।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किस पेचीदा सवाल का केशव के पास कोई उत्तर नहीं था?
उत्तर:
जब श्यामा ने केशव से पूछा कि चिड़िया अपने बच्चों को क्या खिलाएगी तब इस पेचीदा सवाल का केशव के पास कोई उत्तर नहीं था।

प्रश्न 2.
सवेरा होते ही श्यामा और केशव कहाँ चले जाते थे?
उत्तर:
सवेरा होते ही दोनों बच्चे आँखें मलते हुए घर की कार्निस के सामने, जहाँ चिड़ियों का घोंसला था, वहाँ चले जाते थे।

प्रश्न 3.
श्यामा ने केशव की किस गलती को छुपाया?
उत्तर:
किवाड़ केशव ने खोला था लेकिन जब माँ ने पूछा कि किवाड़ किसने खोला तब श्यामा ने माँ से यह बात नहीं कही। उसे इर लगा कि भैय्या पिट जाएँगे।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
श्यामा ने किस-किस तरह से केशव की मदद की?
उत्तर:
श्यामा केशव को हर वह चीज ला-लाकर देने लगी जो पक्षियों के घोंसले के लिए केशव सँगा रहा था। जैसे–पानी की प्याली, चावल के दाने, कूड़ा फेंकने वाली टोकरी, चिथड़े व तिनके आदि। जब केशव स्टूल पर चढ़ा तब वह पूरे समय दोनों हाथों से स्टूल को कसकर पकड़े हुए थी। | यद्यपि केशव ने उसको चिड़िया के अंडे देखने का मौका नहीं दिया फिर भी वह अपने भाई की सहायता करती रही।

प्रश्न 2.
अंडों के नीचे गिरकर फूट जाने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
अचानक चार बजे श्यामा की नींद खुली और वह तुरंत बाहर भाग गयी। संयोग से उसकी नजर नीचे पड़ी और वह उल्टे पाँव दौड़ती हुई कमरे में जाकर जोर से बोली-भइया 1 अंडे तो नीचे पड़े हैं। बच्चे उड़ गये। केशव घबराकर उठा और दौड़ता हुआ बाहर आया और देखता है कि तीनों अंडे नीचे टूटे पड़े हैं। दोनों भाई-बहनों के चेहरे का रंग उड़ गया। इस बार श्यामा को भइया पर जरा भी तरस न आया और सहमी हुई आँखों से सारी बात माँ को बता दी। केशव रुआँसा-सा खड़ा हो गया। उसको अपनी नादानी की भूल का पता लगा और वह कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस करता रहा।

कठिन शब्दार्थ-

कार्निस = छज्जा। फुरसत = खाली समय। तसल्ली = संतुष्टि। विद्वान = ज्ञान से परिपूर्ण। पेचीदा = भुश्किल। जिज्ञासा = जानने की इच्छा। अधीर = चंचल, धैर्यरहित। अनुमान = अंदाजा। मुसीबत = परेशानी। फैसला = निर्णय। तेकलीफ = परेशानी। तड़पते = व्याकुल। प्रस्ताव = विचार। स्वीकृत = मान लेना। चाव = मन लगाकर। उधेड़बुन = सोच-विचार, असमंजस। झुंझलाकर = परेशान होकर। सुराख = छेद। हिकमत = उपाय, तरकीब। चाँदनी – कपड़े की छत। हिफाजत = रक्षा। गिड़गिड़ाकर = दयनीय होकर प्रार्थना करना। विश्वास = यकीन। मोहब्बत = प्यार, प्रेम्। कसूर = गलती। हिस्सेदार = साथ में होना। यकायक = अचानक। ताकने = देखने। संयोग = अचानक, तभी। करुण स्वर = दयनीय आवाज। दफ्तर = कार्यालय। मुश्किल = परेशानी। आहिस्ता = सावधानीपूर्वक, धीरे से। भीगी बिल्ली = डर से भयभीत। अफसोस = पछतावा। सत्यानाश = सब कुछ नष्ट होना। जरूर = अवश्य।

गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1)
उनको देखने में दोनों बच्चों को न मालूम क्या मजा मिलता, दूध और जलेबी की सुध भी न रहती थी। दोनों के दिल में तरह-तरह के सवाल उठते। अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? क्या ख़ाते होंगे? कितने होंगे? उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे? बच्चों के पर कैसे निकलेंगे? घोंसला कैसा है? लेकिन इन बातों का जवाब देने वाला कोई नहीं। न अम्मा को घर के काम-धंधों से फुरसत थी, न बाबूजी को पढ़ने-लिखने से। दोनों बच्चे। आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे लिया करते थे।
प्रसंग—प्रस्तुत गद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित पाठ ‘नादान दोस्त’ से ली गई हैं। इसके लेखक प्रेमचंद हैं। इन पंक्तियों में उन्होंने बच्चों की जिज्ञासा का बहुत खूबसूरती से वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ—प्रेमचंद बच्चों की भावनाओं के बारे में बताते हुए कहते हैं कि बच्चों को चिड़िया के अंडे देखने की इतनी उत्सुकता रहती थी कि उन्हें अपना मनपसंद खाना दूध और जलेबी खाने तक का होश नहीं रहता था। दोनों के मन में अंडों के लिए तरह-तरह की बातें आती र्थी। वे सोचते थे कि अंडे कितने बड़े होंगे और उनका रंग कैसा होगा? अंडों में से बच्चे कैसे निकलेंगे, उनके पर कैसे निकलेंगे, बच्चे क्या खाएँगे और उनका घोंसला कैसा होगा आदि। अम्मा तो सारे दिन घर में व्यस्त रहती थी और बाबूजी अपने पढ़ने-लिखने के काम में व्यस्त रहते थे। दोनों बच्चे एक-दूसरे से सवाल कर लिया करते थे और एक-दूसरे को जवाब भी खुद ही दे दिया करते थे। इसी से वे एक-दूसरे को संतुष्ट कर दिया करते थे।

प्रश्न 1.
बच्चों को किस चीज की सुध नहीं रहती थी?
उत्तर:
बच्चों को दूध-जलेबी की सुध नहीं रहती थी।

प्रश्न 2.
बच्चों के मन में किसके लिए सवाल उठते थे?
उत्तर:
बच्चों के मन में चिड़ियों के अंडों के बारे में सवाल उठते थे।

प्रश्न 3.
बच्चों की जिज्ञासा क्यों नहीं शांत होती थी?
उत्तर:
क्योंकि अम्माजी और बाबूजी को अपने-अपने कामों से समय नहीं मिलता था।

प्रश्न 4.
दोनों बच्चे किस से सवाल-जवाब करते थे?
उत्तर:
दोनों बच्चे आपस में ही सवाल-जवाब करते थे।

(2)
माँ ने दोनों को डाँट-डपटकर फिर कमरे में बंद कर दिया और आप धीरे-धीरे उन्हें पंखा झलने लगी। अभी सिर्फ दो बजे थे। बाहर तेज लू चल रही थी। अब दोनों बच्चों को नींद आ गई थी।
चार बजे यकायक श्यामा की नींद खुली। किवाड़ खुले हुए थे। वह दौड़ी हुई कार्निस के पास आई और ऊपर की तरफ़ ताकने लगी। टोकरी का पता न था। संयोग से उसकी नज़र नीचे गई और वह उल्टे पाँव दौड़ती हुई कमरे में जाकर जोर से बोली- ‘भइया, अंडे तो नीचे पड़े हैं, बच्चे उड़ गए।
प्रसंग—प्रस्तुत गद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित पाठ’नादान दोस्त’ से ली गयी हैं। इसके लेखक प्रेमचंद जी हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने माँ के द्वारा गरमी की दोपहर में बच्चों को सुलाने की बात बतायी है।
व्याख्या/भावार्थ—लेखक लिखते हैं कि बच्चों की माँ दोनों को डाँटकर कमरे में ले आती है। माँ दोनों बच्चों के लिए धीरे-धीरे पंखा झलने लगी। दिन के दो बज रहे थे और बाहर तेज लू चल रही थी। दोनों बच्चों को नींद आ गई थी। अचानक चार बजे श्यामा की नींद खुल गई थी। उसने देखा दरवाजा खुला हुआ था। वह दौड़ती हुई छज्जे के पास आई और ऊपर की तरफ देखने लगीं। वहाँ पर टोकरी नहीं थी। उसने नीचे की तरफ देखा और वह जल्दी से दौड़ती हुई केशव के पास कमरे में जाकर जोर से बोली भइया, अंडे तो नीचे पड़े हैं, बच्चे उड़ गए।

प्रश्न 1.
कौन बच्चों को डाँटकर कमरे में लाता है?
उत्तर:
माँ बच्चों को डाँटकर कमरे में लाती है।

प्रश्न 2.
माँ उनके ऊपर क्या करने लगी थी ?
उत्तर:
माँ बच्चों के ऊपर धीरे-धीरे पंखा झलने लगी।

प्रश्न 3.
आँख खुलने पर श्यामा ने क्या देखा?
उत्तर:
आँख खुलने पर श्यामा ने अंडों को नीचे गिरे हुए देखा।

प्रश्न 4.
श्यामा किसके पास दौड़ती हुई गयी?
उत्तर:
श्यामा अपने भाई केशव के पास दौड़ती हुई गयी।

(3)
केशव रोनी सूरत बनाकर बोला- मैंने तो सिर्फ अंडों को गद्दी पर रख दिया था अम्मा जी।
माँ को हँसी आ गई। मगर केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफ़सोस होता रहा।
अंडों की हिफाज़त करने के जोश में उसने उनका सत्यानाश कर डाला। इसे याद कर वह कभी-कभी रो पड़ता था। दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर न दिखाई दीं।
प्रसंग—प्रस्तुत गद्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित पाठ’नादान दोस्त’ से ली गयी हैं। इसके लेखक प्रेमचंद जी हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने बच्चों द्वारा की गयी गलती का पश्चात्ताप करते हुए बताया गया है।
व्याख्या/भावार्थ—लेखक कहते हैं कि केशव बिल्कुल रुआँसा हो गया था। वह रोनी सूरत बनाकर बोला- मैंने तो | सिर्फ अंडों को गद्दी पर रख दिया था अम्मा जी।
माँ को उसकी सूरत देखकर हँसी आ गई। मगर केशव को अपनी गलती पर बहुत पश्चात्ताप हो रहा था। वह हमेशा यही सोचता रहता था कि अंडों की रक्षा करने के बजाय उसने उन्हें नष्ट कर डाला। इस बात को याद करके कभी-कभी वह रो भी पड़ता था। उसे लगता था कि उसकी नादानी की वजह से चिड़िया ने अपने बच्चे नष्ट कर दिये। उसके बाद | दोनों चिड़ियाँ केशव और श्यामा के घर पर फिर कभी दिखायी नहीं दी थीं।

प्रश्न 1.
केशव की रोनी सूरत क्यों बन गई थी?
उत्तर:
माँ के डाँटने पर केशव की रोनी सूरत बन गई थी।

प्रश्न 2.
माँ को क्यों हँसी आ गयी?
उत्तर:
केशव की भोली बातें सुनकर माँ को हँसी आ गयी थी।

प्रश्न 3.
केशव को किस गलती का अफसोस होता रहा?
उत्तर:
केशव को चिड़िया के अंडों के नष्ट होने का अफसोस होता रहा।

प्रश्न 4.
केशव के घर के छज्जे पर फिर कौन नहीं दिखायी दिया?
उत्तर:
केशव के घर के छज्जे पर फिर चिड़ियाँ नहीं दिखायी दीं।

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